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के जी गैस आपके लए
मह वपूण य है 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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ई एंड पी –अ नि चततापूण  यवसाय 
1. ऊजा,  ट ल और नमाण जैसे अ य े  के वपर त, तेल और गैस क खोज
और उ पादन का यवसाय बहुत ह जो ख़मपूण है िजसम प रयोजना क पूर
अव ध म अ वेषण और मू यांकन से लेकर उसके वकास और उ पादन तक
के दौरान सब कु छ अ नि चत होता है.  
2. कु ओं क सफलता का तशत अ नि चत होता है, यह दस म से एक नह ं
होता है. इसी तरह रज़व क मा ा का अनुमान भी नि चतता के बजाय
संभा यता पर ह लगाया जा सकता है. 
3. गहरे पानी म कसी एक अ वेषी कु एँ क   खुदाई क लागत 700 करोड़ से
अ धक होने से ( यान देने वाल बात है क कसी कु एँ को वक सत करने क
लागत इससे भी अ धक, या न 1200 से 1400 करोड़ पए तक भी हो सकती
है) तफल क कभी भी गारंट नह ं होती है. 
4. 3000 से 10000 फ़ ट गहरे पानी म गैस क खोज करना बेहद दु कर काय है
इसके अलावा समु का वातावरण और भी कई कार के जो ख़म को कई गुना
बढ़ा देता है. समु क सतह के भीतर  थापना और रखरखाव संबंधी काय ऐसे
वातावरण म कए जाते ह, जो मानवीय मता से परे होता है. यहाँ तक क
सामा य काय जैसे नट और बो ट कसने के लए भी उ नत कार के सट क
नदशन  वाले रोबोट वाहन क आव यकता होती है. थापना संबंधी संपूण
या को रमोट वारा  संचा लत कर गहरे पानी वाले समु म भार
उपकरण का उपयोग कर उ च दाब वाले पाइप के साथ-साथ सैकड़ मील
लंबे उ च वो टेज वाले व युतीय और संचार के बल बछाए जाते ह. गैस
खोजने के लए रोबोट पोत को ऐसे वातावरण म काय करना होता है,  जो
चं मा या मंगल पर खोज के लए काम आने वाल रमोट से नयं त वाहन
के सामने आने वाले वातावरण से भी अ धक दु कर होता है. 
5. यह ऐसा यवसाय है िजसम जो खम इसके मूलभूत DNA का ह सा होते ह।
समूचा जो ख़म अ वेषण करने वाल कं पनी वारा उठाया जाता है, ोत के
वामी वारा नह ं. 
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एनईएलपी का मक वकास 
6. भारत वारा गहरे पानी के अ वेषण काय म  म 1980  के दशक से ह
तकनीक े से जुड़ी कं प नय को शा मल करने का यास कया जाता रहा
है. शेल और शेवरॉन जैसी कं प नय को इसम कु छ सफलता भी ा त हुई थी.
शेवरॉन ह वह कं पनी थी िजसने अ वेषण म बहुत अ धक रा श खच करने के
बावजूद भारत के पूव तट को '' वफल बे सन'' करार दया था. 
7. 1991 तक भारत का तेल और गैस े बं धत मू य नधारण तं (एपीएम) 
के अंतगत संचा लत होने वाल  सावज नक े क तेल कं प नय का व श ट
े बना रहा, िजसम येक लागत पर नि चत तफल क गारंट थी. इस
अ धक लागत वाल यव था ने अ वेषण, मू यांकन और उ पादन के संपूण
जो खम का भार भी करदाता पर डाल दया. 
8. 1990 तक भारत ऐसी ि थ त म था, जहाँ उसके पास न तो गहरे पानी वाले
बे सन म अ वेषण करने क तकनीक थी, न ह उसम नवेश करने के लए
संसाधन थे और बढ़ते हुए तेल आयात के खच से भुगतान संतुलन का खतरा
बढ़ गया था. 
9. इसके बाद बड़ी हद तक अन वे षत भारतीय बे सन म अ वेषण बढ़ाने के
लए नई तकनीक के साथ जो खम पूँजी को लाने के लए 100  तशत य
वदेशी नवेश को बढ़ावा देकर इस े को नजी नवेश के लए खोला गया.
हालाँ क इन बे सन म से 31.4 लाख वग कमी का े भारत के नयं ण म
था, ले कन के वल 15 तशत ह अ वे षत कया गया. इस े म संभावना
पहले से ह कम थी और पूव तट पर शेवरॉन क वफलता ने के वल इन
संदेह को बढ़ाने का ह काम कया. भारत को इन बे सन के अ वेषण के
लए एक नई यव था क आव यकता थी, िजनक संभा यता सऊद अरब, 
कु वैत, कतर से ह नह ं बि क यांमार, पा क तान और बां लादेश से भी बहुत
कम थी. 
10. व भ न पीएससी ( ोड शन शेय रंग कां ै ट) यव थाओं म योग करने के
बाद, िजसम कभी-कभी खोजे गए े क भी नवेशक को नीलामी शा मल
थी, नई अ वेषण लाइसस नी त (एनईएलपी) का सू पात सन् 1997 म तीसरे
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मोच क सरकार वारा कया गया. रोचक बात यह है क आरआईएल के
व एफ़आईआर और पीआईएल दायर करने वाले मु य शकायतकताओं म
से एक उसी कै बनेट के स चव थे, िज ह ने वतमान म लागू क जा रह शत
को वीकृ त द थी. शत म सबसे मह वपूण शत, जो एनईएलपी को पहले
क सभी पीएससी यव थाओं से अलग करती थी, पीएससी अनुबंधकता को
वपणन क वतं ता और बाजार वारा नधा रत दर पर संपूण गैस क ब
क अनुम त देना थी. तो या यह असामा य नह ं है क ऐसे पूव कै बनेट
स चव अब पीएससी क शत को चुनौती देते हुए कोई एफ़आईआर दज कराएं
और यह मांग कर क KG  D6 के मू य बाजार के आधार पर नह ं बि क
उ पादन क लागत के आधार तय कए जाने चा हए? 
11. एनईएलपी न वदाएँ के वल ऐसे अन वे षत े के लए थीं िजनका या तो
कोई डेटा नह ं था या फर बहुत कम था. एनईएलपी ने ओआईएल और
ओएनजीसी के आ धप य वाले उ पादक कु ओं या खोजे जा चुके े क
नीलामी क इससे पहले क णाल को समा त कर दया. इसने रक के
अनुसार अ वेषण लॉक क नीलामी क . 
12. पारदश और अंतररा य त पध न वदा या वारा क गई इनक
पहल नीलामी म,  सन् 2000 म आरआईएल और नको ने सव च बोल
लगाने के कारण KG D6 अ वेषण लॉक ा त कया.  
13. य य प एनईएलपी नी त के अंतगत आवं टत कए गए 254 लॉक म 110 से
अ धक खोज क गई ह, ले कन के वल 6 म ह उ पादन हो रहा है. य द सभी
यव थाओं के तहत हुई खोज क सं या क गणना क जाए तो वह 160 से
अ धक है. इनम से कई खोज म, िजसम ओएनजीसी और जीएसपीसी वारा
आरआईएल क D1‐D3 खोज के पहले या उस समय क गई खोज शा मल ह
म अब भी उ पादन शु नह ं हुआ है. इस लए D1‐D3 े हमेशा ह भारत के
पहले गहरे पानी के उ पादन े बने रहगे. यह ऐसी उपलि ध है िजसक
कसी देश को सराहना करनी चा हए न क नंदा.
 
 
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तेल और गैस े म आरआईएल के नवेश 
14. एनईएलपी के अंतगत आरआईएल सबसे बड़ा नवेशक है. समु तट से दूर के
दुगम लॉक म तो इसका नवेश और भी अ धक है 
वषय-व तु  आरआईएल 
(एनईएलपी के
समु तट से दूर) 
एनईएलपी
समु तट से
दूर^^ 
आरआईएल 
% 
लॉक क सं या  समु तट से दूर 37 
लॉक, वतमान म 6
ह (समु तट पर1, 
कु ल 7 लॉक ह) 
134 28 
2D भूकं पीय (lkm)  82,807 3,42,245 24 
3D भूकं पीय (वग कमी)  99,733 2,18,560 46 
कु ओं क कु ल सं या  101 (अ वेषण
+मू यांकन), 29 
वकास काय 
259 39 
कु ल नवेश* ( ब लयन
डॉलर) 
12.6    एनईएलपी के
समु तट से
दूर के लॉक म
नवेश का कु ल
आँकड़ा नह ं है 
 
खोज क सं या  43 80 54 
िजन खोज से
उ पादन हो रहा है
उनक सं या 
3 3 100 
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उ पादन  2.279 ट सीएफ, 
24.384 MMbbls 
2.279 ट सीएफ, 
24.384 
MMbbls 
100 
^  दसंबर ’13 तक 
*एनईएलपी के समु तट से दूर के लॉक (कु ल 100%) म JV  तर पर. इसम
के वल अ वेषण (4. 9 ब लयन डॉलर),  वकास काय (7.7 ब लयन डॉलर)
शा मल है. इसम भुगतान क गई रॉय ट (2 ब लयन डॉलर) स हत ओपे स
शा मल नह ं है. 
^^ डीजीएच (DGH) क वेबसाइट के अुनसार 
 
15. ी-एनईएलपी और एनईएलपी राउंड म आवं टत 45 लॉक म से आरआईएल
के पास वतमान म के वल 7 लॉक ह (िजसम से 6 तट से दूर ह). कं पनी ने
1.92 ब लयन डॉलर (वतमान व नमय दर के मुता बक लगभग 12000 करोड़
.) छोड़ दए गए 37 लॉक पर नवेश कए ह और अ य 2 लॉक भी छोड़ने
वाल है. यान देने वाल बात है क गैस क खोज के बावजूद कई लॉक
छोड़ने पड़े, य क वतमान अ धसू चत गैस मू य फ़ॉमूले के अनुसार उ ह
वक सत करना और उ पादन यावहा रक नह ं था. 
16. D1‐D3 गहरे पानी वाला देश का पहला और अके ला उ पादन े है और व व
के सबसे ज टल रज़वायर म शा मल है. उसी लॉक म अ य खोज जैसे क
आरसीर ज, सैटेलाइट और एमजे1 को अभी भी वक सत कया जाना है.  
17. D1/D3  का उ पादन घटता-बढ़ता रहेगा, ले कन इसके बहुत बढ़ने क आशा
नह ं है. उ पादन म कोई भी बढ़ोतर D1‐D3 से नह ं बि क KG D6  लॉक क
नई खोज को वक सत करने से होगी और ऐसा ज द से ज द 2017‐18 म
ह हो सकता है.  
 
एनईएलपी के अंतगत गैस क मू य का नधारण 
18. एनईएलपी ताव क अनुमो दत शत के अनुसार एनईएलपी ने अंतररा य
न वदाओं को इस वादे के साथ आमं त कया था क अनुबंधकता को
अंतररा य मू य पर क चे तेल और नकटतम बाजार मू य के अनुसार
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गैस बेचने क अनुम त द जाएगी. इसके अंतगत मू य नधारण ावधान के
कारण मू य को उ पादन क लागत के आधार पर तय नह ं कया जा सकता. 
19. 2003 म एनट पीसी टडर के जवाब म, आरआईएल ने गैस क आपू त करने के
लए न वदा ऐसे समय स पी थी, जब आया तत एलएनजी लगभग 2.5‐3.54
डॉलर/एमएमबीट यू बेची जा रह थी. आरआईएल ने इस ताव से इंकार नह ं
कया. व तुत: 14 दसंबर 2005 को उसने 2.34 डॉलर/एमएमबीट यू पर गैस
आपू त करने का समझौता ह ता र करके एनट पीसी को भेजा. ले कन, 
एनट पीसी ने असी मत उ तरदा य व क शत का समावेश करने पर जोर
दया और इस ताव को अ वीकार करते हुए मुकदमा करने का फै सला
कया. यह मामला फलहाल मुंबई उ च- यायालय म वचाराधीन है. 
20. इस बीच आरएनआरएल को गैस बेचने का ताव वीकृ त के लए शासन
को भेजा गया, िजसने उसे इस आधार पर अ वीकृ त कर दया क यह सहज
ब नह ं है. इस नणय को आरएनआरएल ने चुनौती द , ले कन सु ीम कोट
ने यह कहकर सरकार के नणय का समथन कया क रा य संसाधन क
ब पा रवा रक यव था के भाग के प म नह ं क जा सकती. सरकार को
इसके लए उ चत तपू त का अ धकार है. 2G मामले म सव च यायालय
ने पुनः यह नणय दया क ाकृ तक संसाधन क ब उ चत और पारदश
बोल या के मा यम से क जानी चा हए. 
21. 2007 म आरआईएल ने पीएससी के आदेशप के अंतगत दए गए ववरण और
स हा कमेट क अनुशंसाओं के अनुसार मू य अ वेषण या के मा यम
से गैस के मू य का पता लगाया. 4.2 डॉलर/एमएमबीट यू मू य को ए पावड
ुप ऑफ़ म न टस (EGOM), िजसम उपयोगकता मं ालय (ऊजा, फ़ टलाइज़र
और ट ल) शा मल थे, के वारा वीकृ त द गई थी. वीकृ त वा णि यक
उ पादन ारंभ होने के बाद से 5 वष क अव ध के लए द गई थी, इस लए
वह 31 माच, 2014 तक मा य है.  
22. यह बात यान देने यो य है  क 4.2 डॉलर/एमएमबीट यू के मू य का अ वेषण
ऐसे समय म कया गया था, जब क क चे तेल का मू य 60 डॉलर/बैरल था
और आया तत एलएनजी क भारत म लगभग 3.5‐4 डॉलर/एमएमबीट यू पर
ब क जा रह थी। 
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23. बाद म ओएनजीसी और ओआईएल क एड म न टड गैस क मत को (एपीएम 
मू य को) भी 4.2 डॉलर/एमएमबीट यू तक बढ़ाया गया, यहां तक क
ओएनजीसी क गैर-एपीएम गैस का मू य 5.25 डॉलर/एमएमबीट यू तक पर
तय कया गया. 
24. मू य क समी ा अभी करना आव यक है, य क मू य का पहले से चला
आ रहा फॉमूला 1 अ ैल, 2014 से समा त होने वाला है. कई अ वेषण (~10 
ट सीएफ,  एलएनजी आयात के ~150  ब लयन डॉलर के बराबर) क समी ा
डीजीएच/एमओपीएनजी वारा लं बत थी य क वह 4.2  डॉलर/एमएमबीट यू
पर अलाभकर होती. इसके प चात त काल न पे ो लयम मं ी ी जयपाल
रे डी के अनुरोध पर  धानमं ी ने मई 2012  म धानमं ी क आ थक
परामशदा ी स म त के अ य डॉ. सी. रंगराजन क अ य ता म एक
वशेष स म त का गठन कया. 
25. वशेष स म त ने उपभो ताओं स हत सभी भागीदार के साथ व तृत
वचार- वमश कया और अपनी रपोट दसंबर 2012 म तुत क . 27 जून,
2013  को सीसीईए वारा ताव क वीकृ त दए जाने से पहले उसक
अनुशंसाओं पर व भ न मं ालय वारा वचार कया गया. 
26. बाद म व त मं ालय और संसद य स म त वारा खच को लेकर कु छ मु े
उठाए गए. इन मु पर दसंबर 2013 म पुन: सीसीईए वारा वचार कया
गया और गैस मू य नधारण का फ़ॉमूला अनुमो दत कया गया. 
27. गैस क क मत पहल बार 2007 म अनुमो दत क ग । संशो धत मू य 7 वष
के बाद 1 अ ैल, 2014 से भावी ह गे. पछले 10 वष म अ य व तुओं जैसे
समु गामी सेवाओं, उपभो ता संबंधी आइटम इ या द के मू य म संशो धत
गैस के मू य क तुलना म अनुपातह न वृ हुई है. क चे तेल का मू य
लगभग 30 डॉलर/बैरल से बढ़कर 100 डॉलर/बैरल और आया तत एलएनजी का
मू य 4 डॉलर/एमएमबीट यू से बढ़कर 14 डॉलर/एमएमबीट यू हो गया है. 
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28. संशो धत मू य संपूण घरेलू उ पादन पर लागू होते ह. KG D6 इसके के वल 15
तशत भाग का उ पादन करता है, जब क पीएसयू जो क मुख लाभाथ ह, 
75  तशत उ पादन करती ह. KG D6 म आरआइएल क भागीदार के म ेनज़र
उ पादन म आरआइएल क भागीदार 10 तशत से भी कम है और इस
कारण ऐसा कोई आरोप क मू् य वृ के वल आरआइएल को लाभ पहुँचाने के
लए है, बहुत अ तशयोि तपूण बात है.  
29. आईएचएस सीईआरए (IHS CERA, अंतररा य सलाहकार कं पनी) के अनुसार, 
देश म खोजी गई गैस (आया तत एलएनजी के ~400 ब लयन डॉलर के
बराबर) के 27 ट सीएफ पर वकास काय करने और उ पादन करने के लए
और अ धक नवेश क आव यकता है. इसके अलावा पुन: ाि त यो य 64 
ट सीएफ गैस के जो खमपूण संसाधन को और अ धक अ वेषण के मा यम
से अभी भी खोजा जाना (YTF) है. 
30. गैस क क मत को दुगना कर ~8डॉलर/एमएमबीट यू करने के बाद भी, खोजे
गए 27 ट सीएफ म से के वल 5 ट सीएफ गैस संसाधन को ह वक सत कया
जा सकता है. 
31. सीईआरए के अनुसार, प रयोजनाओं को आ थक प से यावहा रक बनाने के
लए गैस क क मत न नानुसार आव यक ह गी: 
a.  तटवत : 6‐8 डॉलर/एमएमबीट यू 
b.  कम गहरे पानी म : 6‐10 डॉलर/एमएमबीट यू 
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c.  गहरे पानी म : 8‐12 डॉलर/एमएमबीट यू 
d.  अ यंत गहरे पानी म : 10‐12 डॉलर/एमएमबीट यू 
32. ~8.4 डॉलर/एमएमबीट यू ( द ल म ~10 डॉलर/एमएमबीट यू पर वत रत) पर
अनुमा नत संशो धत घरेलू गैस का मू य अभी भी माकट लं ड मू य नह ं है
िजसक यव था पीएससी म थी और ऊजा क बराबर के आधार पर लए
जाने पर द ल म बना सरकार सि सडी व य कए जा रहे वैकि पक
धन क तुलना म काफ स ता है.  
त डॉलर एमएमबीट यू म व भ न धन क दर.
धन डॉलर त एमएमबीट यू आधा रत
1 सि सडाइ ड एलपीजी 12 पए 450 त स लंडर
2 गैर-सि सडाइ ड एलपीजी 33 पए 1134 त स लंडर
3 सीएनजी (नई द ल ) 12 पए 35 त क ा
4 सीएनजी (मुंबई) 13 पए 39 त क ा
5 नै था 24 पए 66000 त टन
6 डीजल (सि सडाइ ड) मुंबई 20 पए 63 त ल टर
7 डीजल (सि सडाइ ड) द ल 18 पए 55 त ल टर
8 यूल आइल 17 पए 44000 त टन
9 के रो सन (सि सडाइ ड) 4.5 पए 15 त ल टर
10 पॉट एलएनजी 19 डॉलर 19 त
एमएमबीट यू
11 घरेलू ाकृ तक गैस 8
 
 
 
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33. लोग के कु छ वशेष समूह का कहना है क: 
a.   “गैस तो देश का अपना संसाधन है फर इसके लए अंतररा य मू य
य दया जाए”? देश म आयात क जाने वाल अंतररा य गैस का
मू य 8 डॉलर के संशो धत मू य का दोगुना है. जब क, इ ह ं पीएससी
और यहाँ तक क इ ह ं कु ओं के अंतगत उ पा दत कया जा रहे तेल (यह
भी रा य संसाधन है) पर आयात समतु य मू य दया जा रहा है. तो
गैस के साथ भेदभाव य कया जाना चा हए? इस लए भी यह सव ात
है क कई ट सीएफ गैस मौजूदा मू य पर उ पा दत नह ं क जा सकती.
यह सामा य समझ क बात है क देश को 16 डॉलर पर गैस के आयात
करने क जगह 8.4 डॉलर पर उसी गैस का उ पादन करना चा हए. 
b.   “हमने इनको कु एँ दए ह”: भारत सरकार ने एनईएलपी के मा यम से
कं प नय को खोदे गए कु एँ या खोजे गए े दान नह ं कए थे. KG D6 
गहरे पानी वाले अ वेषण लॉक के प म ऑफ़र कया गया था, िजसके
साथ नाममा का डेटा था और कोई भी खुदे हुए कु एँ नह ं थे. इस तरह
का दावा करने वाले लोग यह भूल जाते ह क देश म खोजे गए े ी‐
एनईएलपी उदा. Raava (तेल) के तहत दए गए थे, और इन सभी को तेल
का अंतररा य मू य दान कया जा रहा है. 
c.   डॉलर के मुकाबले पए क वतमान दर पर आरआईएल को तवष
54,500 करोड़ पए का लाभ होगा : मू यवृ सम त घरेलू गैस पर
लागू होती है, िजसका के वल 15% उ पादन ह आरआईएल वारा कया
जाता है. इस मू यवृ से देश के संपूण गैस उ पादन पर अिजत होने
वाले राज व म 26,000 करोड़ पए क वृ होगी. इस वृ म से
12,000 करोड़ पए सरकार को रॉय ट , पे ो लयम लाभ, कर और
लाभांश के प म वापस मल जाएंगे. आरआईएल और उसके भागीदार
का ह सा के वल पए 3000 करोड़ है (न क 54,500), िजसे लाभ के
प म गने जाने से पहले पूँजी और संचालन लागत के प म उपयोग
कया जाएगा. 
d.   बीपी ( टश पे ो लयम) ने एक ात खोज से 4.2 डॉलर/एमएमबीट यू के
वतमान मू य पर उ च आय का अनुमान लगाया होगा और इसी लए
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उसने आरआईएल के KG बे सन लॉक म 30 तशत ह से के लए
लगभग पए 33,000 करोड़ का नवेश कया है: नवेश करना, अथात्
अ य भागीदार वारा कसी लॉक के जो खम और लाभ म तभागी
ह सा लेना, 1997 म बनाए गए एनईएलपी क शत का ह ह सा है.
यह एक सामा य औ यो गक या है िजसके अंतगत वेदांता ने के यन
इं डया के हत का अ ध हण कया, ओएनजीसी बीपी, बीएचपी और कई
अ य कं प नय को लेकर आई और भारत म तथा वदेश म दूसर से हाथ
मलाया था (उदाहरण के लए सखा लन, इंपी रयल आ द). बीपी ने के वल
KG  D6 म ह नवेश नह ं कया बि क उसने आरआईएल के लॉक के
पोटफो लयो के साथ ह पीएससी क शत को भी आकषक पाया. नवेशक
वाभा वक प से यह मानते ह क कोई भी सरकार ताव क शत और
पीएससी का स मान करेगी. 
 
आरआईएल क भागीदार नीको बां लादेश म यह गैस 2.34 डॉलर/एमएमबीट यू
पर बेच रह है: 
 
34. नीको बां लादेश म KG D6 क गैस नह ं बेच रह . वह बां लादेश के थल य
े से उ पा दत गैस को बां लादेश सरकार क शत के अनुसार नधा रत
मू य पर ह बेच रह है. एनईएलपी (1997 म वीकृ त) के अंतगत ताव
क शत म बाज़ार मू य का वादा था. सेब क तुलना संतरे से नह ं क जा
सकती है: 
a.   KG D6 गहरे पानी का लॉक है न क भू म आधा रत. 
b. नीको के तट य लॉक का वा णि यक प रचालन सन् 2000 म ारंभ
हुआ था और यह उस युग म वक सत हुआ था जब तेल का मू य कम
था यानी बहुत ह कम पूँजी लागत पर. 
c.   एनईएलपी ने पूव- नधा रत मू य व ध को नकारते हुए बाज़ार मू य को
अपनाया था. नीको (NIKO) बां लादेश े के लए गैस का मू य अनुबंध
म ह सि न हत था, जो क भारत म Raava या पीएमट लॉक के
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समान है. नीको बां लादेश के अनुबंध म बाज़ार मू य का कोई ावधान
नह ं है. 
उ लेखनीय यह है क वुड मॅक रपोट के अनुसार बां लादेश का शेष गैस रज़व
~10.51 ट सीएफ है और वतमान उ पाद के वल ~6.5 एमएमएसएमडी है. बां लादेश
म रज़व बहुत अ धक है ले कन उसके अनाकषक मू य नधारण प त के
कारण उ पादन काफ कम है. या भारत, बां लादेश का अनुकरण करना चाहता
है? 
गैस मू य का अ य े – ऊजा, उवरक, सीजीडी पर भाव 
35. KG D6 क गैस म मू य वृ का सीएनजी उपभो ता मू य पर भाव नह ं
पड़ेगा, य क गैस क आपू त गैस यु टलाइज़ेशन पॉ लसी (जीयूपी) के अंतगत
क जाती है िजसके अंतगत; KG D6 से गैस क आपू त नई द ल स हत
कसी भी शहर गैस वतरण नेटवक को नह ं क जा रह है. 
36. आज कु ल ऊजा मता का ~5-8%  गैस आधा रत है, जो इस धारणा के
वपर त है क गैस का मू य बढ़ने से संपूण ऊजा े धराशायी हो जाएगा.
ऊजा े म गैस क खपत मा 24 एमएमएसएमडी है और KG D6 से ऊजा
े को गैस क आपू त शू य है. 
37. फ टलाइजर के लए वैकि पक धन मु ़ य प से आया तत एलएनजी /
ने था है िजनका मू य 25 डॉलर/एमएमबीट यू से अ धक है जो संशो धत गैस
मू य का तीन गुना है. 
38. कोटक बक के व लेषण के अनुसार, गैस मू य क वतमान वृ को अं तम-
ाहक तक पहुँचाए जाने क ि थ त म बजल के दाम म के वल 10
पैसे/यू नट तक क ह वृ हो सकती है. 
39. इस त य के बावजूद क ाकृ तक गैस आधा रत 2.8% क तुलना म
प रवहन े का 97.2% भाग डीज़ल, पे ोल या ऑटो एलपीजी  आधा रत है,
पे ोल और डीज़ल के दाम का अ व नमयन बाज़ार वारा बना कसी हो-ह ले
के वीकार कर लया गया है. यहाँ तक क उपभो ता को संशो धत मू य पर
आपू त क जाने वाल ाकृ तक गैस सि सडी वाल घरेलू एलपीजी से कह ं
अ धक स ती है. 
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40. 15 क ा घरेलू गैस के मू य के लए 8 डॉलर/एमएमबीट यू का या अथ है. 
सबसे पहले तो LPG  यूटेन (हाइ ोकाबन के C4 खंड) और ोपेन (C3)  का
म ण है. D6 गैस शु मीथेन (99% मीथेन यानी C2, C3 या C4 आ द जैसे
अ य धक खंड र हत C1 खंड) गैस है और D6  गैस म से एलपीजी नह ं
नकाल जा सकती य क न तो इसम ोपेन है और न ह यूटेन. संदभ के
लए, ऊजा समतु य श द म 8 डॉलर/एमएमबीट यू का अथ है 24 ./ क ा
या 340 . त घरेलू सलडर (एक मानक घरेलू सलडर 14 कलो का होता
है). अत: 8.4 डॉलर त एमएमबीट यू का वेल अहेड मू य 14.2 कलो ाम
के सलडर के लए 340 पये क क मत देता है. प रवहन व अ य खच के
बाद भी इसका वत रत मू य 400 पये से अ धक नह ं होता. यान दया
जाना चा हए क आज बना सि सडी वाल एलपीजी 1100 पये त
सलडर से अ धक मू य क है। 
41. E&P म मू यवृ का लगभग 50% रॉय ट , पे ो लयम लाभ, लाभांश और
कर (सि सडी स हत) के प म भारत सरकार को वापस चला जाता है.
वतमान उ पादन तर पर आधा रत, बाकलेज़ क रपोट के अनुसार, मू य म
त 1 डॉलर/एमएमबीट यूक वृ के लए सरकार के पास उवरक और उ तर-
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पूव क सि स डयाँ देने बाद 101 म लयन   डॉलर का नवल शेष होगा.
सरकार के कोष म बढ़ा हुआ यह सं हण आधारभूत ढाँचे और रा नमाण
के लए और अ धक भुगतान म सहायक होगा. यह बहु-आयामी भाव का
प ट उदाहरण है.
 
42. इसके वपर त य द घरेलू गैस को बाज़ार मू य पर नह ं दया जाता, तो इसके
प रणाम व प भारतीय पए का अवमू यन बड़ी तेजी से होगा. 
a.   वतमान म 110 से अ धक थल खोजे जा चुके ह ले कन के वल 6 म
ह उ पादन हो रहा है, य क कं प नय (ओएनजीसी, जीएसपीसी आ द
स हत) को वतमान मू य पर उनम उ पादन करना यावहा रक नह ं लग
रहा है. 
b.   वतमान घरेलू मू य पर उ पादन करने क असमथता से के वल आयात
पर नभरता बढ़ेगी िजसके कारण आयात महँगा हो जाएगा और भुगतान
के शेष पर तकू ल भाव बढ़ेगा (सीईआरए के अनुसार गैस क
वतमान माँग-आपू त म 45% का अंतर सन 2025 तक 80% तक बढ़
सकता है) 
इस लए, इस मू यवृ से और अ धक गैस उपल ध होगी, य क इससे
अ धका धक खोजे गए थल से भी उ पादन लया जा सकता है, िजससे न
के वल महँगाई बढ़ाने वाल बि क भारतीय पए म तेज़ी से अवमू यन का
कारण बनने वाल 14 डॉलर से 16 डॉलर त एमएमबीट यू वाल गैस
आयात करने क आव यकता कम हो जाएगी. 
 
43. गैस आधा रत ऊजा और उवरक संयं क नि यता 
देश म कोई भी ऊजा संयं और उवरक संयं KG D6  लॉक से गैस आपू त के
आ वासन पर था पत नह ं कया गया है. ये सभी ओएनजीसी वारा
उ पा दत अथवा गेल के ोत से ा त होने वाल गैस के आवंटन के आधार
पर था पत हुए थे. इन आपू त तब ताओं को द शत करने वाले
जीएसपीए मौजूद ह जो इन जीएसपीए म कए वाद को पूरा करने म
ओएनजीसी या गेल क असमथता के कारण कभी भी पूरे नह ं हो पाए. वा तव
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म, KG D6 गैस, अपने हाल पर छोड़ द गई इन संपि तय के लए जीवनर क
के प म तब तक उपल ध रह , जब तक क सन 2011 म इसका उ पादन
घट नह ं गया. उदाहरण के लए आं म ओएनजीसी व गेल वारा गैस
आवंटन के आधार पर था पत कई लां स ने अपनी पहल बजल KG D6
गैस से बनाई. यहाँ तक क दाभोल प रयोजना एलएनजी पर आधा रत थी व
KG D6 गैस का उपयोग कर 1800 मेगावॉट बना सक . 
 
44. गैस क उ पादन लागत 0.89 डॉलर/एमएमबीट यू है
45. हम नह ं जानते क 1 डॉलर/एमएमबीट यू का आंकड़ा कहाँ से आया है. KG D6 
से गैस उ पादन क लागत एक डॉलर से भी कम होना बताया जा रहा है, जो
त या मक प से सह नह ं है. एफआईआर म संद भत प उ पादन क
लागत के बारे म नह ं बि क वेल हेड और वतरण थल के बीच क
उ पादन-प चात लागत तक ह सी मत है, जो उस समय (2009-10 म) वष
2009-10 के लए 0.89 डॉलर त एमएमबीट यू अनुमा नत थीं. यह आँकड़ा
आव यक था, य क वेल हेड मू य पर रॉय ट का भुगतान कया जाना था
िजसे 4.2 डॉलर त एमएमबीट यू के वीकृ त मू य म से पो ट वेल लागत
(0.89 डॉलर त एमएमबीट यू) को घटाकर नकाला जाना था. 
46. वेल हेड और वतरण थल के बीच क उ पादन प चात लागत, उ पादन क
कु ल लागत का एक छोटा घटक मा है. उ पादन लागत क गणना के लए 
वेल हेड और वतरण थल के बीच क उ पादन लागत (जो 0.89 डॉलर त
एमएमबीट यू है) के अलावा,  खोज,  मू य नधारण,  वकास,  उ पादन एवं
रखरखाव म कए जाने वाले खच को भी यान म रखना होगा,  उदाहरण के
लए; कु एँ खोदने क लागत,  वक-ओवर खच स हत उ पादन खच, अ वेषण
और मू य नधारण लागत आ द. 
47. इसके अलावा, आरआईएल और उसके भागीदार ने व तीय वष 2014 तक
गैर KG  D6 लॉक पर लगभग 4 ब लयन डॉलर;  छोड़े गए लॉक ( वफल
अ वेषण) पर 1.9 ब लयन डॉलर खच कए ह और अ य एनईएलपी लॉक
पर 1.8 ब लयन डॉलर अ त र त खच होने का अनुमान है, जहाँ अभी भी
तलाभ नि चत नह ं है. उ पादन क लागत पर मू य नधा रत कए जाने
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क ि थ त म 7.4 ब लयन डॉलर क इस अ त र त लागत क तपू त भी
आव यक हो जाएगी.  (नोट: ये आंकड़े साधारण याज पर आधा रत ह और
18% के कर-पूव ववरण के लए ह, च वृ याज के साथ; 7.4  ब लयन
डॉलर क रा श बढ़कर 10.4 ब लयन डॉलर हो जाएगी) 
48. कसी भी ि थ त म उ पादन क लागत मू य का नधारण करने के लए
ासं गक नह ं हो सकती, य क 1997 म बनाई गई एनईएलपी, अ वेषण को
बढ़ावा देने के लए नवेशक को गैस के लए बाज़ार मू य और तेल के लए
आया तत मू य का वादा करती है. यह सरकार को उ पादन लागत पर मू य
नधा रत करने क अनुम त नह ं देती. ऐसा करना पीएससी के ावधान और
एनईएलपी के अंतगत ऑफ़र क शत का उ लंघन करने के समान होगा.
य द एक ह पीएससी का क चा तेल अंतररा य मू य पर बेचा जा रहा है
तो सरकार पीएससी के अनुसार गैस के लए बाज़ार मू य य नह ं दे
सकती? 
गैस का सं हण 
49. सं हण तकनीक प से असंभव है. मौजूदा फ ड म उ पादन रोकने के
कसी भी यास के कारण भा वत कु ओं म त काल दाब क असंग त देखने
को मलती है. येक कुं आ ऐसे उ च दबाव वाले ेशर कु कर क तरह है,
जहां तेल और गैस लाख वष से पक रहे ह – कसी एक कु एँ म गैस को रोक
तो अगले कु एँ म दबाव म बदलाव प ट दखाई देता है. साधारण श द म
कह तो य द गैस सं ह त क जा रह है तो सभी उ पादन करने वाले कुं ओं म
दाब एक साथ कम नह ं हो सकता य क दाब म कमी इस बात का प ट
संके त है क ेशर कु कर म भाप कम हो रह है. 
50. गैस के सं ह से कोई यवसा यक लाभ भी नह ं है. उ पादन म कसी भी
कार क देर से लागत क पुन ाि त और प रणाम व प अनुबंधकता क
आय म कमी आ जाती है. कोई भी दूरदश ऑपरेटर अपने वतमान नकद
वाह को भ व य म अ नि चत लाभ के लए जो खम म नह ं डालेगा. 
51. KG D6 लॉक के D1D3 फ ड म उ पादन म कमी रज़वायर क ज टलता
और भौगो लक अचरज के कारण है न क सं हण के कारण. यह सम या,
कसी भी वशेष अंतररा य रज़व माणीकरण एजसी के मा यम से
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मौजूदा रज़वायर का आकलन और माणीकरण करवाकर आसानी से हल क
जा सकती है. 
52. जलाशयी अचरज इस उ योग म आम बात है. भारत म और वदेश म भी
इसके पया त उदाहरण है जहां रज़व और उ पादन आशा से बेहद कम पाया
गया, िजनम से कु छ ह – नीलम, मुंबई हाई र डेवलपमट लान, और स म
इंपी रयल जहां रज स और उ पाद उ मीद से कम हो गया।  
 
सु वधाओं का मता से कम उपयोग होना 
53. यह कहना बहुत ह आसान है क 80 एमएमएससीएमडी क डज़ाइन मता
का कम उपयोग कया गया है या आरआईएल ने अ त र त मता वक सत
कर ल है 
a.    कसी भी तेल व गैस वकास प रयोजना क योजना बनाना व उसे लागू
करना उस समय उपल ध डेटा व जानकार के आधार पर कया जाना
चा हए. अ नि चतता इस यवसाय क वशेषता है और उ पादन शु
होने के बाद तक कसी भी भंडार के गुण या यवहार क भ व यवाणी
करना असंभव है. 
b. इस कारण भंडार के अचरज का होना आम होने से, पीएससी के आधार
पर वकास क योजना के वल उ पादन और रज़व का आकलन देती है
िजनका समय-समय पर पुनर ण करना आव यक है. इन आँकड़ के
पूर तरह अनुमा नत होने से इ ह क पनाशीलता वारा उ पादन करने
क तब ता के प म प रभा षत नह ं कया जा सकता है. 
c. य य प भंडार व भंडार का यवहार अ नि चत ह रहेगा, तेल व गैस
क सु वधाएं चरम उ पादन के लए डज़ाइन क जानी चा हए. यह वह
व तीय जो खम है, जो अनुबंधकता वकास शु करते समय उठाता है.
यान रखा जाना चा हए क डज़ाइन क गई मता के अनुसार KG D6 
ने भंडार का यवहार प ट होने से पूव 63  एमएमएससीएमडी का
उ पादन कया है. 
Page 19 of 23 
d. आज, उ पादन दबाव म कमी के कारण यह स टम तुलना मक प से
कम गैस का कायकु शलता से उ पादन कर रहा है व उसे ऐसे सुर ा
रकॉड के साथ बाज़ार तक पहुँचा रहा है जो व व क सव े ठ
प रयोजनाओं का ह है. 
e. डज़ाइन, उस समय के गैस रज़व और उ पादन ोफ़ाइल के अनुमान
को यान म रखते हुए उपयु त था. पछल बात पर यान देते हुए,
लोग इसके लए अ त र त मता उ पादन को दोषी ठहरा रहे ह. इसी
तरह, कु छ वष बाद, पुन: अतीत म झांकने पर यह सु वधाएं लागत क
ि ट से वरदान सा बत हु पाई जाएँगी, िजनके प रणाम व प अ य
खोज (आर सीर ज, सैटेलाइट इ या द) संप न हुई. य द ये सु वधाएं
मौजूद नह ं होती तो वे अ य खोज यवहाय नह ं हो पातीं. 
f. इस सब त य के बावजूद, सरकार ने सु वधाओं का उपयोग करने म
वफल रहने के कारण अनुबंधकता को नो टस देने का नणय लया.
उपरो त नो टस का आधार बेहद ववादा पद है, और अब यह मामला,
म य थता के वचाराधीन हो गया है. 
वणावरण (गो ड ले टंग) 
54. वणावरण के आरोप इस यवसाय क कटु वा त वकता से कह ं दूर ह. य द
लागत वयं ह कपटपूण न हो, तो लागत कभी भी लाभ नह ं हो सकती.
कसी भी नवेशक के लए लागत तो वा त वक होती है जब क भ व य का
मुनाफा अनुमा नत ह होता है. 
55. D1‐D3  े म र त न ध म वृ के साथ ह वष 2003 और 2006 के बीच
अंतररा य तर पर उपयोगी व तुओं, माल और सेवाओं के मू य म 200 से
300% क वृ के कारण नवेश क लागत म वृ हुई है. वष 2006 से 2008 
के दौरान सीएजी (कै ग) पर ण ने एक बार भी " वणावरण" (गो ड ले टंग)
श द का उ लेख नह ं कया है. उसने कसी अ त र त यय को प रमा णत
नह ं करते हुए के वल खर द याओं पर ट प णयाँ भर क ं. पीएसी ने
सीएजी को तथाक थत अ त र त यय को प रमा णत करने के लए कहा
Page 20 of 23 
िजस पर सीएजी ने आ वासन दया क आगामी वष के पर ण के दौरान
ऐसा ह कया जाएगा. वष 2008 से आगे का पर ण अभी भी चल रहा है. 
56. जैसा क पूव म समझाया गया है, जब तक क लागत वयं ामक न ह , वे
अकू त लाभदायक नह ं हो सकतीं. आज तक कसी भी यि त ने आरआईएल
पर ऐसा कोई भी आरोप नह ं लगाया है. इसके वपर त, फोर सक पर ण
वारा पहले ह पुि ट क जा चुक है क सभी यय वा तव म कए गए थे
और असंब तृतीय प को संब धत भुगतान कए गए थे. 
57. लागत म जानबूझकर वृ करने का कोई औ च य नह ं है य क इससे: 
a.   अनुबंधकता का लाभ अनुपातह न तर के से भा वत होगा- येक 1
डॉलर का अ त र त यय करने से अनुबंधकता के लाभ म से 0.9 डॉलर
कम हो जाएगा. 
b. द घकाल न उ पादन पूव अव ध के कारण गैर-वसूल यो य व तपोषण
लागत म उ लेखनीय प से वृ हो जाएगी. 
c. नवेश पर कम रटन ा त होगा और पुनभुगतान क अव ध बढ़
जाएगी. 
58. अ धकतम मू य ा त करने के लए, अनुबंधकता को दूरदश ऑपरेटर और
लागत एवं समय-कु शल होना होगा. 
59. कसी भी ि थ त म सभी लागत क समी ा, अनुमोदन और पर ण सरकार
वारा पीएससी के अनुसार क जाती है. उ चत नह ं पाई गई लागत को
पीएससी म नधा रत या के अनुसार लागत वसूल के योजन से कभी
भी अ वीकार कया जा सकता है. यह लेखा पर ा, जो पीएससी म नधा रत
नयं ण याओं का भाग है, यानुसार अब भी जार है. 
 
आरोप है क मुके श अंबानी 10 वष से यूपीए सरकार चला रहे ह और अगर
एनडीए स ता म आई, तो वे आने वाले 5 और वष तक सरकार चलाएँगे 
60. यह पूर तरह से बेतुका और आधारह न बयान है. य द मुके श अंबानी इस
तरह का क थत भु व रखते तो सरकार: 
Page 21 of 23 
a. लगभग 1.8 ब लयन अमे रक डॉलर क लागत वसूल का दंड लागू
कै से करती, भावी वकास के अनुमोदन म वलंब कै से करती और पछले
तीन वष के दौरान KG‐D6  लॉक से ाकृ तक गैस उ पादन हेतु गैस के
बढ़े हुए मू य क अनुम त देने के लए बक गारंट कै से मांगती. 
b. कर क वह छू ट कै से वापस लेती िजसका वादा पीएससी म कया गया
था वह भी तब जब गैस उ पादन आरंभ हुआ था.  
c. पीएससी के तहत अनुबंधकता को द गई वपणन / मू य नधारण क
छू ट वापस कै से लेती – आज आरआईएल 15 डॉलर त एमएमबीट यू
से अ धक क दर से 12 एमएमएससीएमडी एलएनजी खर दती है जब क
अपना D6 उ पादन 4 डॉलर त एमएमबीट यू पर बेचती है.  
d. पीएससी म द गई राज व संबंधी ि थरता के बावजूद अ वेषण पर नए
कर कै से लगाती?  
61. आरआईएल ने कभी भी उसके वारा उपल ध कराए जाने वाले रोज़गार, अपने
अंशधारक के लए न मत मू य, देश के लए वदेशी मु ा बचाने,
पे ोके मकल म व व तर य उपलि ध हा सल करने, जीडीपी वृ म योगदान
देने और नयात से होने वाल आय का चार- सार नह ं कया है. 
 
आरआईएल “आम आदमी पाट ”क कं पनी नह ं है 
62. आरआईएल  “आम आदमी पाट ”क नह ं बि क “आम आदमी”(सामा य
यि त) क कं पनी है. समाज और रा नमाण के उ थान के लए इसका
योगदान बहुत ह यापक है और इसका अनुमान लगाना मुि कल है. 
63. आरआईएल को एक वशाल सा ा य के प म था पत करने क मूल
भावना आम आदमी क ज़ रत – रोट , कपड़ा और मकान क पू त करने के
मूलभूत स ांत से े रत रह है. 
•  लाख लोग के लए रोजगार का सृजन – य और व भ न तरह से
परो , दोन प म. 
•  देश के कोने-कोने म इि वट बाज़ार क सं कृ त आरआईएल वारा लाई
गई. शु आती वष म नवेश करने वाले लोग करोड़प त बन गए. वा तव
Page 22 of 23 
म आरआईएल के शेयर ने उनके ब च क श ा,  शाद के लए
व तपोषण म उनक सहायता क . 
•  कपड़ा ‐ पॉ लए टर ां त – आरआईएल ने मानव न मत फाइबर े म
ां त ला द और आम आदमी (सामा य यि त) के लए शाल न, 
कफायती और रखरखाव म आसान व क पेशकश क . 
•  PET – आम आदमी के लए खा य और अ य व तुएं संर त रखने हेतु
स ती ले कन गुणव तापूण पैके िजंग साम ी दान क . 
•  मोबाइल – मानसून हंगामा…. संचार क शि त दान करने और सामा य
यि त को उसके प रवार तथा समुदाय से जोड़े रखने वाल सबसे पहल
कं पनी. 
•   रलायंस फाउंडेशन व भ न ग त व धय के मा यम से समाज म शो षत
और गर ब वग के क याण और उ थान हेतु मौन योगदान दे रहा है. 
•  आरआईएल ने लघु इि वट सं कृ त का नमाण कया है – उसके
अंशधारक आज एक के ट टे डयम म बमुि कल समा सकते ह –
इतनी संपि त कं पनी ने अपने अंशधारक के लए बनाई है. 
 
रलायंस को ऐसी गलती के लए दोष दया जा रहा है जो उसने क ह नह ं
है, बि क उसने तो रा और अपने सभी अंशधारक के वकास के लए
अ य धक योगदान दया है. 
 
 
आप खुद फै सला कर…! 
1. या हम डॉ. रंगराजन क अ य ता वाले वशेष पैनल क व वसनीयता
पर सवाल उठाना चा हए? 
2. या हम आयात के लए अ य धक उ च मू य का भुगतान करते रहना
चा हए और एलएनजी नयातक देश तथा भारतीय आयातक को धनवान
बनाना चा हए? 
a.   तेल नयातक देश को भारत म अ धक तेल व गैस बेचने के लए
उपकृ त करने का या औ च य है? 
Page 23 of 23 
b.    या आप जानते ह क सबसे अ धक वदेशी मु ा आउट लो सोने का
नह ं बि क तेल एवं गैस का है? 
c.    या हम भारत के लोग क क मत पर तेल एवं गैस नयातक देश क
अथ यव था को उपकृ त करना चाहते ह? 
3. या हम 400  ब लयन अमे रक डॉलर के समतु य घरेलू संसाधन का लाभ
ा त करने के लए भारत के ईएंडपी े को बढ़ावा नह ं देना चा हए, िजससे
धन बचाया जा सके , रोजगार दान कए जा सक और सम वकास कया
जा सके ? 
4. मांग और आपू त के बड़े अंतर को देखते हुए,  या हम भारत म ईएंडपी
नवेश को हतो सा हत करके नवेशक को अ य देश म भेज देना चा हए और
हमेशा उ च मू य पर धन आयात करते रहना चा हए? 
5. या उ पादन म 10 तशत से कम अंश होने के बावजूद सरकार वारा गैस
मू य म वृ के लए आरआईएल को दोष दया जाना चा हए? 
6. या ऊजा सुर ा क दशा म आगे बढ़ना उ चत नह ं है? 
7. या हम व छ धन के उपयोग को बढ़ावा देकर अपने पयावरण क र ा
नह ं करनी चा हए? 
8. या घरेलू गैस के लए अर णीय कम मू य रखते हुए ऊजा सुर ा से
समझौता करना देश के हत म है? 
9. उपयोग म कु शलता लाने और मांग संबंधी बंधन म सहायता करने के लए
या भारत को ऊजा के लए बाजार आधा रत मू य नह ं अपनाने चा हए? 
 
 
 

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  • 1. Page 1 of 23              के जी गैस आपके लए मह वपूण य है                               
  • 2. Page 2 of 23  ई एंड पी –अ नि चततापूण  यवसाय  1. ऊजा,  ट ल और नमाण जैसे अ य े  के वपर त, तेल और गैस क खोज और उ पादन का यवसाय बहुत ह जो ख़मपूण है िजसम प रयोजना क पूर अव ध म अ वेषण और मू यांकन से लेकर उसके वकास और उ पादन तक के दौरान सब कु छ अ नि चत होता है.   2. कु ओं क सफलता का तशत अ नि चत होता है, यह दस म से एक नह ं होता है. इसी तरह रज़व क मा ा का अनुमान भी नि चतता के बजाय संभा यता पर ह लगाया जा सकता है.  3. गहरे पानी म कसी एक अ वेषी कु एँ क   खुदाई क लागत 700 करोड़ से अ धक होने से ( यान देने वाल बात है क कसी कु एँ को वक सत करने क लागत इससे भी अ धक, या न 1200 से 1400 करोड़ पए तक भी हो सकती है) तफल क कभी भी गारंट नह ं होती है.  4. 3000 से 10000 फ़ ट गहरे पानी म गैस क खोज करना बेहद दु कर काय है इसके अलावा समु का वातावरण और भी कई कार के जो ख़म को कई गुना बढ़ा देता है. समु क सतह के भीतर  थापना और रखरखाव संबंधी काय ऐसे वातावरण म कए जाते ह, जो मानवीय मता से परे होता है. यहाँ तक क सामा य काय जैसे नट और बो ट कसने के लए भी उ नत कार के सट क नदशन  वाले रोबोट वाहन क आव यकता होती है. थापना संबंधी संपूण या को रमोट वारा  संचा लत कर गहरे पानी वाले समु म भार उपकरण का उपयोग कर उ च दाब वाले पाइप के साथ-साथ सैकड़ मील लंबे उ च वो टेज वाले व युतीय और संचार के बल बछाए जाते ह. गैस खोजने के लए रोबोट पोत को ऐसे वातावरण म काय करना होता है,  जो चं मा या मंगल पर खोज के लए काम आने वाल रमोट से नयं त वाहन के सामने आने वाले वातावरण से भी अ धक दु कर होता है.  5. यह ऐसा यवसाय है िजसम जो खम इसके मूलभूत DNA का ह सा होते ह। समूचा जो ख़म अ वेषण करने वाल कं पनी वारा उठाया जाता है, ोत के वामी वारा नह ं. 
  • 3. Page 3 of 23  एनईएलपी का मक वकास  6. भारत वारा गहरे पानी के अ वेषण काय म  म 1980  के दशक से ह तकनीक े से जुड़ी कं प नय को शा मल करने का यास कया जाता रहा है. शेल और शेवरॉन जैसी कं प नय को इसम कु छ सफलता भी ा त हुई थी. शेवरॉन ह वह कं पनी थी िजसने अ वेषण म बहुत अ धक रा श खच करने के बावजूद भारत के पूव तट को '' वफल बे सन'' करार दया था.  7. 1991 तक भारत का तेल और गैस े बं धत मू य नधारण तं (एपीएम)  के अंतगत संचा लत होने वाल  सावज नक े क तेल कं प नय का व श ट े बना रहा, िजसम येक लागत पर नि चत तफल क गारंट थी. इस अ धक लागत वाल यव था ने अ वेषण, मू यांकन और उ पादन के संपूण जो खम का भार भी करदाता पर डाल दया.  8. 1990 तक भारत ऐसी ि थ त म था, जहाँ उसके पास न तो गहरे पानी वाले बे सन म अ वेषण करने क तकनीक थी, न ह उसम नवेश करने के लए संसाधन थे और बढ़ते हुए तेल आयात के खच से भुगतान संतुलन का खतरा बढ़ गया था.  9. इसके बाद बड़ी हद तक अन वे षत भारतीय बे सन म अ वेषण बढ़ाने के लए नई तकनीक के साथ जो खम पूँजी को लाने के लए 100  तशत य वदेशी नवेश को बढ़ावा देकर इस े को नजी नवेश के लए खोला गया. हालाँ क इन बे सन म से 31.4 लाख वग कमी का े भारत के नयं ण म था, ले कन के वल 15 तशत ह अ वे षत कया गया. इस े म संभावना पहले से ह कम थी और पूव तट पर शेवरॉन क वफलता ने के वल इन संदेह को बढ़ाने का ह काम कया. भारत को इन बे सन के अ वेषण के लए एक नई यव था क आव यकता थी, िजनक संभा यता सऊद अरब,  कु वैत, कतर से ह नह ं बि क यांमार, पा क तान और बां लादेश से भी बहुत कम थी.  10. व भ न पीएससी ( ोड शन शेय रंग कां ै ट) यव थाओं म योग करने के बाद, िजसम कभी-कभी खोजे गए े क भी नवेशक को नीलामी शा मल थी, नई अ वेषण लाइसस नी त (एनईएलपी) का सू पात सन् 1997 म तीसरे
  • 4. Page 4 of 23  मोच क सरकार वारा कया गया. रोचक बात यह है क आरआईएल के व एफ़आईआर और पीआईएल दायर करने वाले मु य शकायतकताओं म से एक उसी कै बनेट के स चव थे, िज ह ने वतमान म लागू क जा रह शत को वीकृ त द थी. शत म सबसे मह वपूण शत, जो एनईएलपी को पहले क सभी पीएससी यव थाओं से अलग करती थी, पीएससी अनुबंधकता को वपणन क वतं ता और बाजार वारा नधा रत दर पर संपूण गैस क ब क अनुम त देना थी. तो या यह असामा य नह ं है क ऐसे पूव कै बनेट स चव अब पीएससी क शत को चुनौती देते हुए कोई एफ़आईआर दज कराएं और यह मांग कर क KG  D6 के मू य बाजार के आधार पर नह ं बि क उ पादन क लागत के आधार तय कए जाने चा हए?  11. एनईएलपी न वदाएँ के वल ऐसे अन वे षत े के लए थीं िजनका या तो कोई डेटा नह ं था या फर बहुत कम था. एनईएलपी ने ओआईएल और ओएनजीसी के आ धप य वाले उ पादक कु ओं या खोजे जा चुके े क नीलामी क इससे पहले क णाल को समा त कर दया. इसने रक के अनुसार अ वेषण लॉक क नीलामी क .  12. पारदश और अंतररा य त पध न वदा या वारा क गई इनक पहल नीलामी म,  सन् 2000 म आरआईएल और नको ने सव च बोल लगाने के कारण KG D6 अ वेषण लॉक ा त कया.   13. य य प एनईएलपी नी त के अंतगत आवं टत कए गए 254 लॉक म 110 से अ धक खोज क गई ह, ले कन के वल 6 म ह उ पादन हो रहा है. य द सभी यव थाओं के तहत हुई खोज क सं या क गणना क जाए तो वह 160 से अ धक है. इनम से कई खोज म, िजसम ओएनजीसी और जीएसपीसी वारा आरआईएल क D1‐D3 खोज के पहले या उस समय क गई खोज शा मल ह म अब भी उ पादन शु नह ं हुआ है. इस लए D1‐D3 े हमेशा ह भारत के पहले गहरे पानी के उ पादन े बने रहगे. यह ऐसी उपलि ध है िजसक कसी देश को सराहना करनी चा हए न क नंदा.    
  • 5. Page 5 of 23  तेल और गैस े म आरआईएल के नवेश  14. एनईएलपी के अंतगत आरआईएल सबसे बड़ा नवेशक है. समु तट से दूर के दुगम लॉक म तो इसका नवेश और भी अ धक है  वषय-व तु  आरआईएल  (एनईएलपी के समु तट से दूर)  एनईएलपी समु तट से दूर^^  आरआईएल  %  लॉक क सं या  समु तट से दूर 37  लॉक, वतमान म 6 ह (समु तट पर1,  कु ल 7 लॉक ह)  134 28  2D भूकं पीय (lkm)  82,807 3,42,245 24  3D भूकं पीय (वग कमी)  99,733 2,18,560 46  कु ओं क कु ल सं या  101 (अ वेषण +मू यांकन), 29  वकास काय  259 39  कु ल नवेश* ( ब लयन डॉलर)  12.6    एनईएलपी के समु तट से दूर के लॉक म नवेश का कु ल आँकड़ा नह ं है    खोज क सं या  43 80 54  िजन खोज से उ पादन हो रहा है उनक सं या  3 3 100 
  • 6. Page 6 of 23  उ पादन  2.279 ट सीएफ,  24.384 MMbbls  2.279 ट सीएफ,  24.384  MMbbls  100  ^  दसंबर ’13 तक  *एनईएलपी के समु तट से दूर के लॉक (कु ल 100%) म JV  तर पर. इसम के वल अ वेषण (4. 9 ब लयन डॉलर),  वकास काय (7.7 ब लयन डॉलर) शा मल है. इसम भुगतान क गई रॉय ट (2 ब लयन डॉलर) स हत ओपे स शा मल नह ं है.  ^^ डीजीएच (DGH) क वेबसाइट के अुनसार    15. ी-एनईएलपी और एनईएलपी राउंड म आवं टत 45 लॉक म से आरआईएल के पास वतमान म के वल 7 लॉक ह (िजसम से 6 तट से दूर ह). कं पनी ने 1.92 ब लयन डॉलर (वतमान व नमय दर के मुता बक लगभग 12000 करोड़ .) छोड़ दए गए 37 लॉक पर नवेश कए ह और अ य 2 लॉक भी छोड़ने वाल है. यान देने वाल बात है क गैस क खोज के बावजूद कई लॉक छोड़ने पड़े, य क वतमान अ धसू चत गैस मू य फ़ॉमूले के अनुसार उ ह वक सत करना और उ पादन यावहा रक नह ं था.  16. D1‐D3 गहरे पानी वाला देश का पहला और अके ला उ पादन े है और व व के सबसे ज टल रज़वायर म शा मल है. उसी लॉक म अ य खोज जैसे क आरसीर ज, सैटेलाइट और एमजे1 को अभी भी वक सत कया जाना है.   17. D1/D3  का उ पादन घटता-बढ़ता रहेगा, ले कन इसके बहुत बढ़ने क आशा नह ं है. उ पादन म कोई भी बढ़ोतर D1‐D3 से नह ं बि क KG D6  लॉक क नई खोज को वक सत करने से होगी और ऐसा ज द से ज द 2017‐18 म ह हो सकता है.     एनईएलपी के अंतगत गैस क मू य का नधारण  18. एनईएलपी ताव क अनुमो दत शत के अनुसार एनईएलपी ने अंतररा य न वदाओं को इस वादे के साथ आमं त कया था क अनुबंधकता को अंतररा य मू य पर क चे तेल और नकटतम बाजार मू य के अनुसार
  • 7. Page 7 of 23  गैस बेचने क अनुम त द जाएगी. इसके अंतगत मू य नधारण ावधान के कारण मू य को उ पादन क लागत के आधार पर तय नह ं कया जा सकता.  19. 2003 म एनट पीसी टडर के जवाब म, आरआईएल ने गैस क आपू त करने के लए न वदा ऐसे समय स पी थी, जब आया तत एलएनजी लगभग 2.5‐3.54 डॉलर/एमएमबीट यू बेची जा रह थी. आरआईएल ने इस ताव से इंकार नह ं कया. व तुत: 14 दसंबर 2005 को उसने 2.34 डॉलर/एमएमबीट यू पर गैस आपू त करने का समझौता ह ता र करके एनट पीसी को भेजा. ले कन,  एनट पीसी ने असी मत उ तरदा य व क शत का समावेश करने पर जोर दया और इस ताव को अ वीकार करते हुए मुकदमा करने का फै सला कया. यह मामला फलहाल मुंबई उ च- यायालय म वचाराधीन है.  20. इस बीच आरएनआरएल को गैस बेचने का ताव वीकृ त के लए शासन को भेजा गया, िजसने उसे इस आधार पर अ वीकृ त कर दया क यह सहज ब नह ं है. इस नणय को आरएनआरएल ने चुनौती द , ले कन सु ीम कोट ने यह कहकर सरकार के नणय का समथन कया क रा य संसाधन क ब पा रवा रक यव था के भाग के प म नह ं क जा सकती. सरकार को इसके लए उ चत तपू त का अ धकार है. 2G मामले म सव च यायालय ने पुनः यह नणय दया क ाकृ तक संसाधन क ब उ चत और पारदश बोल या के मा यम से क जानी चा हए.  21. 2007 म आरआईएल ने पीएससी के आदेशप के अंतगत दए गए ववरण और स हा कमेट क अनुशंसाओं के अनुसार मू य अ वेषण या के मा यम से गैस के मू य का पता लगाया. 4.2 डॉलर/एमएमबीट यू मू य को ए पावड ुप ऑफ़ म न टस (EGOM), िजसम उपयोगकता मं ालय (ऊजा, फ़ टलाइज़र और ट ल) शा मल थे, के वारा वीकृ त द गई थी. वीकृ त वा णि यक उ पादन ारंभ होने के बाद से 5 वष क अव ध के लए द गई थी, इस लए वह 31 माच, 2014 तक मा य है.   22. यह बात यान देने यो य है  क 4.2 डॉलर/एमएमबीट यू के मू य का अ वेषण ऐसे समय म कया गया था, जब क क चे तेल का मू य 60 डॉलर/बैरल था और आया तत एलएनजी क भारत म लगभग 3.5‐4 डॉलर/एमएमबीट यू पर ब क जा रह थी। 
  • 8. Page 8 of 23  23. बाद म ओएनजीसी और ओआईएल क एड म न टड गैस क मत को (एपीएम  मू य को) भी 4.2 डॉलर/एमएमबीट यू तक बढ़ाया गया, यहां तक क ओएनजीसी क गैर-एपीएम गैस का मू य 5.25 डॉलर/एमएमबीट यू तक पर तय कया गया.  24. मू य क समी ा अभी करना आव यक है, य क मू य का पहले से चला आ रहा फॉमूला 1 अ ैल, 2014 से समा त होने वाला है. कई अ वेषण (~10  ट सीएफ,  एलएनजी आयात के ~150  ब लयन डॉलर के बराबर) क समी ा डीजीएच/एमओपीएनजी वारा लं बत थी य क वह 4.2  डॉलर/एमएमबीट यू पर अलाभकर होती. इसके प चात त काल न पे ो लयम मं ी ी जयपाल रे डी के अनुरोध पर  धानमं ी ने मई 2012  म धानमं ी क आ थक परामशदा ी स म त के अ य डॉ. सी. रंगराजन क अ य ता म एक वशेष स म त का गठन कया.  25. वशेष स म त ने उपभो ताओं स हत सभी भागीदार के साथ व तृत वचार- वमश कया और अपनी रपोट दसंबर 2012 म तुत क . 27 जून, 2013  को सीसीईए वारा ताव क वीकृ त दए जाने से पहले उसक अनुशंसाओं पर व भ न मं ालय वारा वचार कया गया.  26. बाद म व त मं ालय और संसद य स म त वारा खच को लेकर कु छ मु े उठाए गए. इन मु पर दसंबर 2013 म पुन: सीसीईए वारा वचार कया गया और गैस मू य नधारण का फ़ॉमूला अनुमो दत कया गया.  27. गैस क क मत पहल बार 2007 म अनुमो दत क ग । संशो धत मू य 7 वष के बाद 1 अ ैल, 2014 से भावी ह गे. पछले 10 वष म अ य व तुओं जैसे समु गामी सेवाओं, उपभो ता संबंधी आइटम इ या द के मू य म संशो धत गैस के मू य क तुलना म अनुपातह न वृ हुई है. क चे तेल का मू य लगभग 30 डॉलर/बैरल से बढ़कर 100 डॉलर/बैरल और आया तत एलएनजी का मू य 4 डॉलर/एमएमबीट यू से बढ़कर 14 डॉलर/एमएमबीट यू हो गया है. 
  • 9. Page 9 of 23    28. संशो धत मू य संपूण घरेलू उ पादन पर लागू होते ह. KG D6 इसके के वल 15 तशत भाग का उ पादन करता है, जब क पीएसयू जो क मुख लाभाथ ह,  75  तशत उ पादन करती ह. KG D6 म आरआइएल क भागीदार के म ेनज़र उ पादन म आरआइएल क भागीदार 10 तशत से भी कम है और इस कारण ऐसा कोई आरोप क मू् य वृ के वल आरआइएल को लाभ पहुँचाने के लए है, बहुत अ तशयोि तपूण बात है.   29. आईएचएस सीईआरए (IHS CERA, अंतररा य सलाहकार कं पनी) के अनुसार,  देश म खोजी गई गैस (आया तत एलएनजी के ~400 ब लयन डॉलर के बराबर) के 27 ट सीएफ पर वकास काय करने और उ पादन करने के लए और अ धक नवेश क आव यकता है. इसके अलावा पुन: ाि त यो य 64  ट सीएफ गैस के जो खमपूण संसाधन को और अ धक अ वेषण के मा यम से अभी भी खोजा जाना (YTF) है.  30. गैस क क मत को दुगना कर ~8डॉलर/एमएमबीट यू करने के बाद भी, खोजे गए 27 ट सीएफ म से के वल 5 ट सीएफ गैस संसाधन को ह वक सत कया जा सकता है.  31. सीईआरए के अनुसार, प रयोजनाओं को आ थक प से यावहा रक बनाने के लए गैस क क मत न नानुसार आव यक ह गी:  a.  तटवत : 6‐8 डॉलर/एमएमबीट यू  b.  कम गहरे पानी म : 6‐10 डॉलर/एमएमबीट यू 
  • 10. Page 10 of 23  c.  गहरे पानी म : 8‐12 डॉलर/एमएमबीट यू  d.  अ यंत गहरे पानी म : 10‐12 डॉलर/एमएमबीट यू  32. ~8.4 डॉलर/एमएमबीट यू ( द ल म ~10 डॉलर/एमएमबीट यू पर वत रत) पर अनुमा नत संशो धत घरेलू गैस का मू य अभी भी माकट लं ड मू य नह ं है िजसक यव था पीएससी म थी और ऊजा क बराबर के आधार पर लए जाने पर द ल म बना सरकार सि सडी व य कए जा रहे वैकि पक धन क तुलना म काफ स ता है.   त डॉलर एमएमबीट यू म व भ न धन क दर. धन डॉलर त एमएमबीट यू आधा रत 1 सि सडाइ ड एलपीजी 12 पए 450 त स लंडर 2 गैर-सि सडाइ ड एलपीजी 33 पए 1134 त स लंडर 3 सीएनजी (नई द ल ) 12 पए 35 त क ा 4 सीएनजी (मुंबई) 13 पए 39 त क ा 5 नै था 24 पए 66000 त टन 6 डीजल (सि सडाइ ड) मुंबई 20 पए 63 त ल टर 7 डीजल (सि सडाइ ड) द ल 18 पए 55 त ल टर 8 यूल आइल 17 पए 44000 त टन 9 के रो सन (सि सडाइ ड) 4.5 पए 15 त ल टर 10 पॉट एलएनजी 19 डॉलर 19 त एमएमबीट यू 11 घरेलू ाकृ तक गैस 8      
  • 11. Page 11 of 23  33. लोग के कु छ वशेष समूह का कहना है क:  a.   “गैस तो देश का अपना संसाधन है फर इसके लए अंतररा य मू य य दया जाए”? देश म आयात क जाने वाल अंतररा य गैस का मू य 8 डॉलर के संशो धत मू य का दोगुना है. जब क, इ ह ं पीएससी और यहाँ तक क इ ह ं कु ओं के अंतगत उ पा दत कया जा रहे तेल (यह भी रा य संसाधन है) पर आयात समतु य मू य दया जा रहा है. तो गैस के साथ भेदभाव य कया जाना चा हए? इस लए भी यह सव ात है क कई ट सीएफ गैस मौजूदा मू य पर उ पा दत नह ं क जा सकती. यह सामा य समझ क बात है क देश को 16 डॉलर पर गैस के आयात करने क जगह 8.4 डॉलर पर उसी गैस का उ पादन करना चा हए.  b.   “हमने इनको कु एँ दए ह”: भारत सरकार ने एनईएलपी के मा यम से कं प नय को खोदे गए कु एँ या खोजे गए े दान नह ं कए थे. KG D6  गहरे पानी वाले अ वेषण लॉक के प म ऑफ़र कया गया था, िजसके साथ नाममा का डेटा था और कोई भी खुदे हुए कु एँ नह ं थे. इस तरह का दावा करने वाले लोग यह भूल जाते ह क देश म खोजे गए े ी‐ एनईएलपी उदा. Raava (तेल) के तहत दए गए थे, और इन सभी को तेल का अंतररा य मू य दान कया जा रहा है.  c.   डॉलर के मुकाबले पए क वतमान दर पर आरआईएल को तवष 54,500 करोड़ पए का लाभ होगा : मू यवृ सम त घरेलू गैस पर लागू होती है, िजसका के वल 15% उ पादन ह आरआईएल वारा कया जाता है. इस मू यवृ से देश के संपूण गैस उ पादन पर अिजत होने वाले राज व म 26,000 करोड़ पए क वृ होगी. इस वृ म से 12,000 करोड़ पए सरकार को रॉय ट , पे ो लयम लाभ, कर और लाभांश के प म वापस मल जाएंगे. आरआईएल और उसके भागीदार का ह सा के वल पए 3000 करोड़ है (न क 54,500), िजसे लाभ के प म गने जाने से पहले पूँजी और संचालन लागत के प म उपयोग कया जाएगा.  d.   बीपी ( टश पे ो लयम) ने एक ात खोज से 4.2 डॉलर/एमएमबीट यू के वतमान मू य पर उ च आय का अनुमान लगाया होगा और इसी लए
  • 12. Page 12 of 23  उसने आरआईएल के KG बे सन लॉक म 30 तशत ह से के लए लगभग पए 33,000 करोड़ का नवेश कया है: नवेश करना, अथात् अ य भागीदार वारा कसी लॉक के जो खम और लाभ म तभागी ह सा लेना, 1997 म बनाए गए एनईएलपी क शत का ह ह सा है. यह एक सामा य औ यो गक या है िजसके अंतगत वेदांता ने के यन इं डया के हत का अ ध हण कया, ओएनजीसी बीपी, बीएचपी और कई अ य कं प नय को लेकर आई और भारत म तथा वदेश म दूसर से हाथ मलाया था (उदाहरण के लए सखा लन, इंपी रयल आ द). बीपी ने के वल KG  D6 म ह नवेश नह ं कया बि क उसने आरआईएल के लॉक के पोटफो लयो के साथ ह पीएससी क शत को भी आकषक पाया. नवेशक वाभा वक प से यह मानते ह क कोई भी सरकार ताव क शत और पीएससी का स मान करेगी.    आरआईएल क भागीदार नीको बां लादेश म यह गैस 2.34 डॉलर/एमएमबीट यू पर बेच रह है:    34. नीको बां लादेश म KG D6 क गैस नह ं बेच रह . वह बां लादेश के थल य े से उ पा दत गैस को बां लादेश सरकार क शत के अनुसार नधा रत मू य पर ह बेच रह है. एनईएलपी (1997 म वीकृ त) के अंतगत ताव क शत म बाज़ार मू य का वादा था. सेब क तुलना संतरे से नह ं क जा सकती है:  a.   KG D6 गहरे पानी का लॉक है न क भू म आधा रत.  b. नीको के तट य लॉक का वा णि यक प रचालन सन् 2000 म ारंभ हुआ था और यह उस युग म वक सत हुआ था जब तेल का मू य कम था यानी बहुत ह कम पूँजी लागत पर.  c.   एनईएलपी ने पूव- नधा रत मू य व ध को नकारते हुए बाज़ार मू य को अपनाया था. नीको (NIKO) बां लादेश े के लए गैस का मू य अनुबंध म ह सि न हत था, जो क भारत म Raava या पीएमट लॉक के
  • 13. Page 13 of 23  समान है. नीको बां लादेश के अनुबंध म बाज़ार मू य का कोई ावधान नह ं है.  उ लेखनीय यह है क वुड मॅक रपोट के अनुसार बां लादेश का शेष गैस रज़व ~10.51 ट सीएफ है और वतमान उ पाद के वल ~6.5 एमएमएसएमडी है. बां लादेश म रज़व बहुत अ धक है ले कन उसके अनाकषक मू य नधारण प त के कारण उ पादन काफ कम है. या भारत, बां लादेश का अनुकरण करना चाहता है?  गैस मू य का अ य े – ऊजा, उवरक, सीजीडी पर भाव  35. KG D6 क गैस म मू य वृ का सीएनजी उपभो ता मू य पर भाव नह ं पड़ेगा, य क गैस क आपू त गैस यु टलाइज़ेशन पॉ लसी (जीयूपी) के अंतगत क जाती है िजसके अंतगत; KG D6 से गैस क आपू त नई द ल स हत कसी भी शहर गैस वतरण नेटवक को नह ं क जा रह है.  36. आज कु ल ऊजा मता का ~5-8%  गैस आधा रत है, जो इस धारणा के वपर त है क गैस का मू य बढ़ने से संपूण ऊजा े धराशायी हो जाएगा. ऊजा े म गैस क खपत मा 24 एमएमएसएमडी है और KG D6 से ऊजा े को गैस क आपू त शू य है.  37. फ टलाइजर के लए वैकि पक धन मु ़ य प से आया तत एलएनजी / ने था है िजनका मू य 25 डॉलर/एमएमबीट यू से अ धक है जो संशो धत गैस मू य का तीन गुना है.  38. कोटक बक के व लेषण के अनुसार, गैस मू य क वतमान वृ को अं तम- ाहक तक पहुँचाए जाने क ि थ त म बजल के दाम म के वल 10 पैसे/यू नट तक क ह वृ हो सकती है.  39. इस त य के बावजूद क ाकृ तक गैस आधा रत 2.8% क तुलना म प रवहन े का 97.2% भाग डीज़ल, पे ोल या ऑटो एलपीजी  आधा रत है, पे ोल और डीज़ल के दाम का अ व नमयन बाज़ार वारा बना कसी हो-ह ले के वीकार कर लया गया है. यहाँ तक क उपभो ता को संशो धत मू य पर आपू त क जाने वाल ाकृ तक गैस सि सडी वाल घरेलू एलपीजी से कह ं अ धक स ती है. 
  • 14. Page 14 of 23      40. 15 क ा घरेलू गैस के मू य के लए 8 डॉलर/एमएमबीट यू का या अथ है.  सबसे पहले तो LPG  यूटेन (हाइ ोकाबन के C4 खंड) और ोपेन (C3)  का म ण है. D6 गैस शु मीथेन (99% मीथेन यानी C2, C3 या C4 आ द जैसे अ य धक खंड र हत C1 खंड) गैस है और D6  गैस म से एलपीजी नह ं नकाल जा सकती य क न तो इसम ोपेन है और न ह यूटेन. संदभ के लए, ऊजा समतु य श द म 8 डॉलर/एमएमबीट यू का अथ है 24 ./ क ा या 340 . त घरेलू सलडर (एक मानक घरेलू सलडर 14 कलो का होता है). अत: 8.4 डॉलर त एमएमबीट यू का वेल अहेड मू य 14.2 कलो ाम के सलडर के लए 340 पये क क मत देता है. प रवहन व अ य खच के बाद भी इसका वत रत मू य 400 पये से अ धक नह ं होता. यान दया जाना चा हए क आज बना सि सडी वाल एलपीजी 1100 पये त सलडर से अ धक मू य क है।  41. E&P म मू यवृ का लगभग 50% रॉय ट , पे ो लयम लाभ, लाभांश और कर (सि सडी स हत) के प म भारत सरकार को वापस चला जाता है. वतमान उ पादन तर पर आधा रत, बाकलेज़ क रपोट के अनुसार, मू य म त 1 डॉलर/एमएमबीट यूक वृ के लए सरकार के पास उवरक और उ तर-
  • 15. Page 15 of 23  पूव क सि स डयाँ देने बाद 101 म लयन   डॉलर का नवल शेष होगा. सरकार के कोष म बढ़ा हुआ यह सं हण आधारभूत ढाँचे और रा नमाण के लए और अ धक भुगतान म सहायक होगा. यह बहु-आयामी भाव का प ट उदाहरण है.   42. इसके वपर त य द घरेलू गैस को बाज़ार मू य पर नह ं दया जाता, तो इसके प रणाम व प भारतीय पए का अवमू यन बड़ी तेजी से होगा.  a.   वतमान म 110 से अ धक थल खोजे जा चुके ह ले कन के वल 6 म ह उ पादन हो रहा है, य क कं प नय (ओएनजीसी, जीएसपीसी आ द स हत) को वतमान मू य पर उनम उ पादन करना यावहा रक नह ं लग रहा है.  b.   वतमान घरेलू मू य पर उ पादन करने क असमथता से के वल आयात पर नभरता बढ़ेगी िजसके कारण आयात महँगा हो जाएगा और भुगतान के शेष पर तकू ल भाव बढ़ेगा (सीईआरए के अनुसार गैस क वतमान माँग-आपू त म 45% का अंतर सन 2025 तक 80% तक बढ़ सकता है)  इस लए, इस मू यवृ से और अ धक गैस उपल ध होगी, य क इससे अ धका धक खोजे गए थल से भी उ पादन लया जा सकता है, िजससे न के वल महँगाई बढ़ाने वाल बि क भारतीय पए म तेज़ी से अवमू यन का कारण बनने वाल 14 डॉलर से 16 डॉलर त एमएमबीट यू वाल गैस आयात करने क आव यकता कम हो जाएगी.    43. गैस आधा रत ऊजा और उवरक संयं क नि यता  देश म कोई भी ऊजा संयं और उवरक संयं KG D6  लॉक से गैस आपू त के आ वासन पर था पत नह ं कया गया है. ये सभी ओएनजीसी वारा उ पा दत अथवा गेल के ोत से ा त होने वाल गैस के आवंटन के आधार पर था पत हुए थे. इन आपू त तब ताओं को द शत करने वाले जीएसपीए मौजूद ह जो इन जीएसपीए म कए वाद को पूरा करने म ओएनजीसी या गेल क असमथता के कारण कभी भी पूरे नह ं हो पाए. वा तव
  • 16. Page 16 of 23  म, KG D6 गैस, अपने हाल पर छोड़ द गई इन संपि तय के लए जीवनर क के प म तब तक उपल ध रह , जब तक क सन 2011 म इसका उ पादन घट नह ं गया. उदाहरण के लए आं म ओएनजीसी व गेल वारा गैस आवंटन के आधार पर था पत कई लां स ने अपनी पहल बजल KG D6 गैस से बनाई. यहाँ तक क दाभोल प रयोजना एलएनजी पर आधा रत थी व KG D6 गैस का उपयोग कर 1800 मेगावॉट बना सक .    44. गैस क उ पादन लागत 0.89 डॉलर/एमएमबीट यू है 45. हम नह ं जानते क 1 डॉलर/एमएमबीट यू का आंकड़ा कहाँ से आया है. KG D6  से गैस उ पादन क लागत एक डॉलर से भी कम होना बताया जा रहा है, जो त या मक प से सह नह ं है. एफआईआर म संद भत प उ पादन क लागत के बारे म नह ं बि क वेल हेड और वतरण थल के बीच क उ पादन-प चात लागत तक ह सी मत है, जो उस समय (2009-10 म) वष 2009-10 के लए 0.89 डॉलर त एमएमबीट यू अनुमा नत थीं. यह आँकड़ा आव यक था, य क वेल हेड मू य पर रॉय ट का भुगतान कया जाना था िजसे 4.2 डॉलर त एमएमबीट यू के वीकृ त मू य म से पो ट वेल लागत (0.89 डॉलर त एमएमबीट यू) को घटाकर नकाला जाना था.  46. वेल हेड और वतरण थल के बीच क उ पादन प चात लागत, उ पादन क कु ल लागत का एक छोटा घटक मा है. उ पादन लागत क गणना के लए  वेल हेड और वतरण थल के बीच क उ पादन लागत (जो 0.89 डॉलर त एमएमबीट यू है) के अलावा,  खोज,  मू य नधारण,  वकास,  उ पादन एवं रखरखाव म कए जाने वाले खच को भी यान म रखना होगा,  उदाहरण के लए; कु एँ खोदने क लागत,  वक-ओवर खच स हत उ पादन खच, अ वेषण और मू य नधारण लागत आ द.  47. इसके अलावा, आरआईएल और उसके भागीदार ने व तीय वष 2014 तक गैर KG  D6 लॉक पर लगभग 4 ब लयन डॉलर;  छोड़े गए लॉक ( वफल अ वेषण) पर 1.9 ब लयन डॉलर खच कए ह और अ य एनईएलपी लॉक पर 1.8 ब लयन डॉलर अ त र त खच होने का अनुमान है, जहाँ अभी भी तलाभ नि चत नह ं है. उ पादन क लागत पर मू य नधा रत कए जाने
  • 17. Page 17 of 23  क ि थ त म 7.4 ब लयन डॉलर क इस अ त र त लागत क तपू त भी आव यक हो जाएगी.  (नोट: ये आंकड़े साधारण याज पर आधा रत ह और 18% के कर-पूव ववरण के लए ह, च वृ याज के साथ; 7.4  ब लयन डॉलर क रा श बढ़कर 10.4 ब लयन डॉलर हो जाएगी)  48. कसी भी ि थ त म उ पादन क लागत मू य का नधारण करने के लए ासं गक नह ं हो सकती, य क 1997 म बनाई गई एनईएलपी, अ वेषण को बढ़ावा देने के लए नवेशक को गैस के लए बाज़ार मू य और तेल के लए आया तत मू य का वादा करती है. यह सरकार को उ पादन लागत पर मू य नधा रत करने क अनुम त नह ं देती. ऐसा करना पीएससी के ावधान और एनईएलपी के अंतगत ऑफ़र क शत का उ लंघन करने के समान होगा. य द एक ह पीएससी का क चा तेल अंतररा य मू य पर बेचा जा रहा है तो सरकार पीएससी के अनुसार गैस के लए बाज़ार मू य य नह ं दे सकती?  गैस का सं हण  49. सं हण तकनीक प से असंभव है. मौजूदा फ ड म उ पादन रोकने के कसी भी यास के कारण भा वत कु ओं म त काल दाब क असंग त देखने को मलती है. येक कुं आ ऐसे उ च दबाव वाले ेशर कु कर क तरह है, जहां तेल और गैस लाख वष से पक रहे ह – कसी एक कु एँ म गैस को रोक तो अगले कु एँ म दबाव म बदलाव प ट दखाई देता है. साधारण श द म कह तो य द गैस सं ह त क जा रह है तो सभी उ पादन करने वाले कुं ओं म दाब एक साथ कम नह ं हो सकता य क दाब म कमी इस बात का प ट संके त है क ेशर कु कर म भाप कम हो रह है.  50. गैस के सं ह से कोई यवसा यक लाभ भी नह ं है. उ पादन म कसी भी कार क देर से लागत क पुन ाि त और प रणाम व प अनुबंधकता क आय म कमी आ जाती है. कोई भी दूरदश ऑपरेटर अपने वतमान नकद वाह को भ व य म अ नि चत लाभ के लए जो खम म नह ं डालेगा.  51. KG D6 लॉक के D1D3 फ ड म उ पादन म कमी रज़वायर क ज टलता और भौगो लक अचरज के कारण है न क सं हण के कारण. यह सम या, कसी भी वशेष अंतररा य रज़व माणीकरण एजसी के मा यम से
  • 18. Page 18 of 23  मौजूदा रज़वायर का आकलन और माणीकरण करवाकर आसानी से हल क जा सकती है.  52. जलाशयी अचरज इस उ योग म आम बात है. भारत म और वदेश म भी इसके पया त उदाहरण है जहां रज़व और उ पादन आशा से बेहद कम पाया गया, िजनम से कु छ ह – नीलम, मुंबई हाई र डेवलपमट लान, और स म इंपी रयल जहां रज स और उ पाद उ मीद से कम हो गया।     सु वधाओं का मता से कम उपयोग होना  53. यह कहना बहुत ह आसान है क 80 एमएमएससीएमडी क डज़ाइन मता का कम उपयोग कया गया है या आरआईएल ने अ त र त मता वक सत कर ल है  a.    कसी भी तेल व गैस वकास प रयोजना क योजना बनाना व उसे लागू करना उस समय उपल ध डेटा व जानकार के आधार पर कया जाना चा हए. अ नि चतता इस यवसाय क वशेषता है और उ पादन शु होने के बाद तक कसी भी भंडार के गुण या यवहार क भ व यवाणी करना असंभव है.  b. इस कारण भंडार के अचरज का होना आम होने से, पीएससी के आधार पर वकास क योजना के वल उ पादन और रज़व का आकलन देती है िजनका समय-समय पर पुनर ण करना आव यक है. इन आँकड़ के पूर तरह अनुमा नत होने से इ ह क पनाशीलता वारा उ पादन करने क तब ता के प म प रभा षत नह ं कया जा सकता है.  c. य य प भंडार व भंडार का यवहार अ नि चत ह रहेगा, तेल व गैस क सु वधाएं चरम उ पादन के लए डज़ाइन क जानी चा हए. यह वह व तीय जो खम है, जो अनुबंधकता वकास शु करते समय उठाता है. यान रखा जाना चा हए क डज़ाइन क गई मता के अनुसार KG D6  ने भंडार का यवहार प ट होने से पूव 63  एमएमएससीएमडी का उ पादन कया है. 
  • 19. Page 19 of 23  d. आज, उ पादन दबाव म कमी के कारण यह स टम तुलना मक प से कम गैस का कायकु शलता से उ पादन कर रहा है व उसे ऐसे सुर ा रकॉड के साथ बाज़ार तक पहुँचा रहा है जो व व क सव े ठ प रयोजनाओं का ह है.  e. डज़ाइन, उस समय के गैस रज़व और उ पादन ोफ़ाइल के अनुमान को यान म रखते हुए उपयु त था. पछल बात पर यान देते हुए, लोग इसके लए अ त र त मता उ पादन को दोषी ठहरा रहे ह. इसी तरह, कु छ वष बाद, पुन: अतीत म झांकने पर यह सु वधाएं लागत क ि ट से वरदान सा बत हु पाई जाएँगी, िजनके प रणाम व प अ य खोज (आर सीर ज, सैटेलाइट इ या द) संप न हुई. य द ये सु वधाएं मौजूद नह ं होती तो वे अ य खोज यवहाय नह ं हो पातीं.  f. इस सब त य के बावजूद, सरकार ने सु वधाओं का उपयोग करने म वफल रहने के कारण अनुबंधकता को नो टस देने का नणय लया. उपरो त नो टस का आधार बेहद ववादा पद है, और अब यह मामला, म य थता के वचाराधीन हो गया है.  वणावरण (गो ड ले टंग)  54. वणावरण के आरोप इस यवसाय क कटु वा त वकता से कह ं दूर ह. य द लागत वयं ह कपटपूण न हो, तो लागत कभी भी लाभ नह ं हो सकती. कसी भी नवेशक के लए लागत तो वा त वक होती है जब क भ व य का मुनाफा अनुमा नत ह होता है.  55. D1‐D3  े म र त न ध म वृ के साथ ह वष 2003 और 2006 के बीच अंतररा य तर पर उपयोगी व तुओं, माल और सेवाओं के मू य म 200 से 300% क वृ के कारण नवेश क लागत म वृ हुई है. वष 2006 से 2008  के दौरान सीएजी (कै ग) पर ण ने एक बार भी " वणावरण" (गो ड ले टंग) श द का उ लेख नह ं कया है. उसने कसी अ त र त यय को प रमा णत नह ं करते हुए के वल खर द याओं पर ट प णयाँ भर क ं. पीएसी ने सीएजी को तथाक थत अ त र त यय को प रमा णत करने के लए कहा
  • 20. Page 20 of 23  िजस पर सीएजी ने आ वासन दया क आगामी वष के पर ण के दौरान ऐसा ह कया जाएगा. वष 2008 से आगे का पर ण अभी भी चल रहा है.  56. जैसा क पूव म समझाया गया है, जब तक क लागत वयं ामक न ह , वे अकू त लाभदायक नह ं हो सकतीं. आज तक कसी भी यि त ने आरआईएल पर ऐसा कोई भी आरोप नह ं लगाया है. इसके वपर त, फोर सक पर ण वारा पहले ह पुि ट क जा चुक है क सभी यय वा तव म कए गए थे और असंब तृतीय प को संब धत भुगतान कए गए थे.  57. लागत म जानबूझकर वृ करने का कोई औ च य नह ं है य क इससे:  a.   अनुबंधकता का लाभ अनुपातह न तर के से भा वत होगा- येक 1 डॉलर का अ त र त यय करने से अनुबंधकता के लाभ म से 0.9 डॉलर कम हो जाएगा.  b. द घकाल न उ पादन पूव अव ध के कारण गैर-वसूल यो य व तपोषण लागत म उ लेखनीय प से वृ हो जाएगी.  c. नवेश पर कम रटन ा त होगा और पुनभुगतान क अव ध बढ़ जाएगी.  58. अ धकतम मू य ा त करने के लए, अनुबंधकता को दूरदश ऑपरेटर और लागत एवं समय-कु शल होना होगा.  59. कसी भी ि थ त म सभी लागत क समी ा, अनुमोदन और पर ण सरकार वारा पीएससी के अनुसार क जाती है. उ चत नह ं पाई गई लागत को पीएससी म नधा रत या के अनुसार लागत वसूल के योजन से कभी भी अ वीकार कया जा सकता है. यह लेखा पर ा, जो पीएससी म नधा रत नयं ण याओं का भाग है, यानुसार अब भी जार है.    आरोप है क मुके श अंबानी 10 वष से यूपीए सरकार चला रहे ह और अगर एनडीए स ता म आई, तो वे आने वाले 5 और वष तक सरकार चलाएँगे  60. यह पूर तरह से बेतुका और आधारह न बयान है. य द मुके श अंबानी इस तरह का क थत भु व रखते तो सरकार: 
  • 21. Page 21 of 23  a. लगभग 1.8 ब लयन अमे रक डॉलर क लागत वसूल का दंड लागू कै से करती, भावी वकास के अनुमोदन म वलंब कै से करती और पछले तीन वष के दौरान KG‐D6  लॉक से ाकृ तक गैस उ पादन हेतु गैस के बढ़े हुए मू य क अनुम त देने के लए बक गारंट कै से मांगती.  b. कर क वह छू ट कै से वापस लेती िजसका वादा पीएससी म कया गया था वह भी तब जब गैस उ पादन आरंभ हुआ था.   c. पीएससी के तहत अनुबंधकता को द गई वपणन / मू य नधारण क छू ट वापस कै से लेती – आज आरआईएल 15 डॉलर त एमएमबीट यू से अ धक क दर से 12 एमएमएससीएमडी एलएनजी खर दती है जब क अपना D6 उ पादन 4 डॉलर त एमएमबीट यू पर बेचती है.   d. पीएससी म द गई राज व संबंधी ि थरता के बावजूद अ वेषण पर नए कर कै से लगाती?   61. आरआईएल ने कभी भी उसके वारा उपल ध कराए जाने वाले रोज़गार, अपने अंशधारक के लए न मत मू य, देश के लए वदेशी मु ा बचाने, पे ोके मकल म व व तर य उपलि ध हा सल करने, जीडीपी वृ म योगदान देने और नयात से होने वाल आय का चार- सार नह ं कया है.    आरआईएल “आम आदमी पाट ”क कं पनी नह ं है  62. आरआईएल  “आम आदमी पाट ”क नह ं बि क “आम आदमी”(सामा य यि त) क कं पनी है. समाज और रा नमाण के उ थान के लए इसका योगदान बहुत ह यापक है और इसका अनुमान लगाना मुि कल है.  63. आरआईएल को एक वशाल सा ा य के प म था पत करने क मूल भावना आम आदमी क ज़ रत – रोट , कपड़ा और मकान क पू त करने के मूलभूत स ांत से े रत रह है.  •  लाख लोग के लए रोजगार का सृजन – य और व भ न तरह से परो , दोन प म.  •  देश के कोने-कोने म इि वट बाज़ार क सं कृ त आरआईएल वारा लाई गई. शु आती वष म नवेश करने वाले लोग करोड़प त बन गए. वा तव
  • 22. Page 22 of 23  म आरआईएल के शेयर ने उनके ब च क श ा,  शाद के लए व तपोषण म उनक सहायता क .  •  कपड़ा ‐ पॉ लए टर ां त – आरआईएल ने मानव न मत फाइबर े म ां त ला द और आम आदमी (सामा य यि त) के लए शाल न,  कफायती और रखरखाव म आसान व क पेशकश क .  •  PET – आम आदमी के लए खा य और अ य व तुएं संर त रखने हेतु स ती ले कन गुणव तापूण पैके िजंग साम ी दान क .  •  मोबाइल – मानसून हंगामा…. संचार क शि त दान करने और सामा य यि त को उसके प रवार तथा समुदाय से जोड़े रखने वाल सबसे पहल कं पनी.  •   रलायंस फाउंडेशन व भ न ग त व धय के मा यम से समाज म शो षत और गर ब वग के क याण और उ थान हेतु मौन योगदान दे रहा है.  •  आरआईएल ने लघु इि वट सं कृ त का नमाण कया है – उसके अंशधारक आज एक के ट टे डयम म बमुि कल समा सकते ह – इतनी संपि त कं पनी ने अपने अंशधारक के लए बनाई है.    रलायंस को ऐसी गलती के लए दोष दया जा रहा है जो उसने क ह नह ं है, बि क उसने तो रा और अपने सभी अंशधारक के वकास के लए अ य धक योगदान दया है.      आप खुद फै सला कर…!  1. या हम डॉ. रंगराजन क अ य ता वाले वशेष पैनल क व वसनीयता पर सवाल उठाना चा हए?  2. या हम आयात के लए अ य धक उ च मू य का भुगतान करते रहना चा हए और एलएनजी नयातक देश तथा भारतीय आयातक को धनवान बनाना चा हए?  a.   तेल नयातक देश को भारत म अ धक तेल व गैस बेचने के लए उपकृ त करने का या औ च य है? 
  • 23. Page 23 of 23  b.    या आप जानते ह क सबसे अ धक वदेशी मु ा आउट लो सोने का नह ं बि क तेल एवं गैस का है?  c.    या हम भारत के लोग क क मत पर तेल एवं गैस नयातक देश क अथ यव था को उपकृ त करना चाहते ह?  3. या हम 400  ब लयन अमे रक डॉलर के समतु य घरेलू संसाधन का लाभ ा त करने के लए भारत के ईएंडपी े को बढ़ावा नह ं देना चा हए, िजससे धन बचाया जा सके , रोजगार दान कए जा सक और सम वकास कया जा सके ?  4. मांग और आपू त के बड़े अंतर को देखते हुए,  या हम भारत म ईएंडपी नवेश को हतो सा हत करके नवेशक को अ य देश म भेज देना चा हए और हमेशा उ च मू य पर धन आयात करते रहना चा हए?  5. या उ पादन म 10 तशत से कम अंश होने के बावजूद सरकार वारा गैस मू य म वृ के लए आरआईएल को दोष दया जाना चा हए?  6. या ऊजा सुर ा क दशा म आगे बढ़ना उ चत नह ं है?  7. या हम व छ धन के उपयोग को बढ़ावा देकर अपने पयावरण क र ा नह ं करनी चा हए?  8. या घरेलू गैस के लए अर णीय कम मू य रखते हुए ऊजा सुर ा से समझौता करना देश के हत म है?  9. उपयोग म कु शलता लाने और मांग संबंधी बंधन म सहायता करने के लए या भारत को ऊजा के लए बाजार आधा रत मू य नह ं अपनाने चा हए?