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गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका                       जुराई- 2012




                           NON PROFIT PUBLICATION.
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                                     E CIRCULAR
                        गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका जुराई 2012
सॊऩादक                सिॊतन जोशी
                      गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग

सॊऩका                 गुरुत्व कामाारम
                      92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                      BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
पोन                   91+9338213418, 91+9238328785,
                      gurutva.karyalay@gmail.com,
ईभेर                  gurutva_karyalay@yahoo.in,

                      http://gk.yolasite.com/
वेफ                   http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

ऩत्रिका प्रस्तुसत     सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
पोटो ग्राफपक्स        सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक आटा
हभाये भुख्म सहमोगी स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक सोफ्टे क इस्डडमा सर)




            ई- जडभ ऩत्रिका                      E-HOROSCOPE
      अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्धसत द्राया              Create By Advanced
         उत्कृ द्श बत्रवष्मवाणी क साथ
                                 े                       Astrology
                                                    Excellent Prediction
          कर 150+ ऩेज भं प्रस्तुत
           ु
                                                     Total 150+ Pages
                         फहॊ दी/ English भं भूल्म भाि 1050/-

                               GURUTVA KARYALAY
                      92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                          BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
                        Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
             Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
अनुक्रभ
                                                           स्वप्न पर त्रवशेष
स्वप्न शकन से सॊफॊसधत त्रवशेष सूिना
         ु                                                     6     स्वप्न की अशुबता सनवायण हे तु सयर उऩाम                 16

स्वप्न ज्मोसतष                                                 7     सतसथमं से स्वप्न पर का सभम सनधाायण                     17

स्वप्न द्राया जाने धनप्रासद्ऱ क मोग
                               े                               8     स्वप्न से योग एवॊ भृत्मु क सॊकत
                                                                                               े   े                        20

त्रववाह से सॊफॊसधत स्वप्न                                      9     वणाभारा क अनुशाय स्वप्न पर त्रविाय
                                                                              े                                             23

स्वप्न औय योग                                                  11    स्वप्न भं दे वी-दे वता क दशान
                                                                                             े                              60

                                                                     बगवान भहावीय की भाता त्रिशरा क 16
                                                                                                   े
स्वप्न भं यत्न दशान                                            12                                                           61
                                                                     अद्भत स्वप्न
                                                                         ु
स्वप्न से सॊफॊसधत ऩौयास्णक भत                                  13    गुरु ऩुष्माभृत मोग                                     64

                                                             हभाये उत्ऩाद
भॊि ससद्ध दरब साभग्री
           ु ा                 7    सयस्वती कवि औय मॊि          43   भॊिससद्ध रक्ष्भी मॊिसूसि   67   याशी यत्न एवॊ उऩयत्न    74
शादी सॊफसधत सभस्मा
        ॊ                      11   बाग्म रक्ष्भी फदब्फी        50   भॊि ससद्ध दै वी मॊि सूसि   67   शसन ऩीड़ा सनवायक         80
कनकधाया मॊि                    15   भॊिससद्ध स्पफटक श्री मॊि    55   यासश यत्न                  68   भॊगरमॊि से ऋण भुत्रि 83
द्रादश भहा मॊि                 17   दगाा फीसा मॊि
                                     ु                          57   भॊि ससद्ध रूद्राऺ          69   ऩढा़ई सॊफसधत सभस्मा
                                                                                                              ॊ              85
भॊि ससद्ध भूगा गणेश
            ॊ                  18   गणेश रक्ष्भी मॊि            58   श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि/ कवि   70   सवा योगनाशक मॊि/        90
सवा कामा ससत्रद्ध कवि          19   ऩुरुषाकाय शसन मॊि           62   याभ यऺा मॊि                71   भॊि ससद्ध कवि           92
सॊऩणा जडभ कडरी ऩयाभशा
   ू       ुॊ                  20   नवयत्न जफड़त श्री मॊि        65   जैन धभाक त्रवसशद्श मॊि
                                                                             े                  72   YANTRA                  93
धन वृत्रद्ध फडब्फी             40   श्री हनुभान मॊि             66   अभोद्य भहाभृत्मुजम कवि
                                                                                     ॊ          74   GEMS STONE              95
क्मा आऩक फच्िे कसॊगती क सशकाय हं ?
        े       ु      े                                        24   घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि                      73
ऩसत-ऩत्नी भं करह सनवायण हे तु                                   26   भॊि ससद्ध वाहन दघटना नाशक भारुसत मॊि
                                                                                     ु ा                                     66
प्रद्ल कण्डरी से स्स्टक उत्तय प्राद्ऱ फकस्जए
        ु                                                       59   भॊि ससद्ध साभग्री-                                 83,84,85

                                                      स्थामी औय अडम रेख
सॊऩादकीम                                                       4     फदन-यात क िौघफडमे
                                                                              े                                             87
भाससक यासश पर                                                  75    फदन-यात फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक                88
जुराई 2012 भाससक ऩॊिाॊग                                        79    ग्रह िरन जुराई -2012                                   89
जुराई-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय                              81    सूिना                                                  97
जुराई 2012 -त्रवशेष मोग                                        86    हभाया उद्दे श्म                                        99
दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका                             86
GURUTVA KARYALAY



                                                   सॊऩादकीम
त्रप्रम आस्त्भम

          फॊध/ फफहन
             ु

                      जम गुरुदे व
        बायतीम प्रािीन शास्त्रोि भाडमताओॊ क अनुशाय स्वप्नं की उत्ऩत्रत्त का सॊफॊध व्मत्रि क ऩूवजडभ, सिऩी हुई
                                           े                                               े   ा
भहत्वकाॊऺाओॊ तथा ईश्वयीम प्रेयणा से होता है , वहीॊ ऩाद्ळात्म दे शं क जानकाय ने अऩने शोध एवॊ अनुसॊशान क आधय
                                                                    े                                 े
ऩय स्वप्नं का भुख्म कायण व्मत्रि की      सिऩी हुई तथा अऩूणा इच्िाओॊ, काभवासनाओॊ तथा वताभान ऩरयस्स्थसतमं के
अनुरुऩ भाना है । सयर बाषा भं हन सभझे तो स्वप्न वह हं जो सोते सभम व्मत्रि को हो होने वारी अनुबूसतमाॊ होती
हं , स्वप्न दे खते सभम अॊतय भन भं होने वारे अनुबवो को आधुसनक त्रवऻान से जुडे़ रोग भ्रभ से जोडते हं तो कि
                                                                                                       ु
बायतीम ऩयॊ ऩया औय शास्त्रं की सत्मता को स्वीकाय कयने वारे रोग स्वप्न को व्मत्रि क वताभान कार, बूतकार तथा
                                                                                 े
बत्रवष्मकार से जोडते हं क्मोकी त्रवद्रानो क भत से स्वप्न भं कि ना कि एसी सभानता होती हं , जो व्मत्रि क
                                           े                 ु     ु                                  े
व्मत्रिगत मा सभाजीक जीवन को सनस्द्ळत रुऩ से प्रबात्रवत कयती हं ।
        स्वप्न क्मं आते हं ? मह जानने का प्रमास कयने ऩय मह ऻात होता हं की जफ यात नीयवता हो मा फदन भं
शाॊसत का वातावयण हो, तफ भनुष्म का अविेतन भन सशसथर हो जाता हं , जफ भनुष्म की िेतना शत्रि सशसथर हो
जाती हं तो वह उत्तेजना यफहत होता हं तफ भनुष्म का भन स्वबावीक रुऩ से अऩने जीवन भं बूत -बत्रवष्म आफद भं
घफटत होने वारे घटना क्रभं को दे खने की ऺभता अस्जात कय रेता हं । व्मत्रि की इस अद्भत ऺभता क कायण ही
                                                                                  ु       े
प्रकृ सत सभम-सभम ऩय उसे शुब-अशुब सॊकतं क भाध्मभ से उसे अवगत कयने का प्रमास कयती हं । इसी सरए त्रवद्रानो
                                    े   े
का कथन हं की स्वप्न हभंशा सनयाधाय, सनयथाक व सनरुद्दे श्म नहीॊ होते हं , अनेको फाय इन स्वप्नं भं भहत्वऩूणा व
प्रेयणादामक सॊकत सनफहत होते हं , ससप आवश्मिा हं उन सॊकतो को त्रवस्ताय से सभझने की। इसतहास बी इस फात
               े                    ा                 े
का गवाह हं की अफतक हुए अनुशॊधान भं हभाये सभऺ अनेको उदाहयण आते यहे हं की स्वप्न भं फकसी व्मत्रि त्रवशेष
                             े  ू
को अनेकं फाय गूढ़ यहस्मभम सॊकत िऩे सभरे व कई फाय मह स्वप्न उनक बत्रवष्म की भहत्वऩूणा घटनाओॊ क सूिक
                                                              े                              े
बी यहे हं ।
        स्वप्न क त्रवषम भं अफ तक हुवे वैऻासनक अनुसॊधानो क आधय ऩय अफतक साभने आमे ऩरयणाभं से मह फात
                े                                        े
स्ऩद्श हो गमी हं की असधकतय स्वप्न भं हभ वही दे खते हं स्जस त्रवषम ऩय हभाया भन-भस्स्तष्क ज्मदा सभम कल्ऩना
कयता यहता हं प्राम: हभे वह सफ घटनाए मा त्रवषम स्वप्न भं फदखाइ दे ता हं । कि जानकायं का भानना हं की
                                                                          ु
ज्मादातय हभ स्वप्न क उन भहत्व ऩूणा बागं को बूर जाते हं जो हभाये जीवन क सरए त्रवशेष अथा यखते हं ।
                    े                                                 े
        सोते सभम दे खे जाने वारे कि स्वप्न बत्रवष्म क सूिक बी होते हं । बायतीम शकन शास्त्रं भं इन स्वप्नं क
                                  ु                  े                           ु                         े
शुब-अशुब प्रबावं क फाये भं सत्रवस्ताय उल्रेस्खत फकमा गमा है ।
                  े
        बायतीम भाडमाता क अनुशाय ज्मादातय ब्रह्म भुहूता भं जो स्वप्न दे खे जाते हं , वह सि होते हं मा हभाये बत्रवष्म
                        े
भं होने वारी घटनाओॊ क ऩूवा आबास की सूिना प्रदान कयते हं । महीॊ कायण हं की हजायं वषा ऩूवा हभाये त्रवद्रान ऋषी-
                     े
भुसनमं एवॊ आिामं नं मह फात ससद्ध कय फद थी की असधकतय स्वप्न भनुष्म की सिऩी हुई इच्िाओॊ का प्रसतत्रफॊफ मा
ऩरयणाभ होते हं । इस फात को आज क आधुसनक मुग क त्रवद्रान एवॊ वैऻासनक बी भानते हं ।
                               े            े
       हजायं वषा ऩूवा ही हभाये त्रवद्रान ऋषी-भुसनमं ने अऩने मोग फर एवॊ शोध से मह बी ऻात कय सरमा था की
स्वप्न भं व्मत्रि क जीवन से जुडे़ गूढ़ यहस्म जो प्रत्मऺ औय ऩयोऺ सॊकत क रुऩ भं सिऩे होते हं ।
                   े                                               े  े                             त्रवद्रानं का कथन
हं की मफद स्वप्नं को अस्च्ि तयह से सभझकय उनका सूक्ष्भ अध्ममन फकमा जाए तो उससे अनेक प्रकाय क राब
                                                                                           े
व्मत्रि को सन्सॊदेह ही प्राद्ऱ हो सकता हं । क्मोफक स्वप्न भं फदखाई दे ने वारे दृश्मं से शुब-अशुब दोनं तयह क सॊकत
                                                                                                           े   े
प्राद्ऱ होते हं , मह सॊकत स्वप्न दृद्शा व्मत्रि क जीवन की भहत्वऩूणा घटनाओॊ से जुड़े हो सकते हं । कि ग्रॊथकायं ने
                        े                        े                                               ु
स्वप्न पर क सनणाम कयने भं सतसथमं का त्रवशेष भहत्व फतामा है । त्रवद्रानो क भतानुसाय अरग-अरग सतसथमं औय
           े                                                             े
ऩऺ भं स्वप्न पर की प्रासद्ऱ क यहस्म सिऩे होते हं । इन यहस्मं से मह ऻात फकमा जा सकता हं की व्मत्रि को स्वप्न
                             े
पर की प्रासद्ऱ शीघ्र होगी मा त्रवरॊफ से होगी मह ऻात फकमा जा सकता हं ।
       बत्रवष्म से जेडे़ अशुब स्वप्न भं व्मत्रि को मफद आने वारे सभम भं उसक उऩय कोई आऩत्रत्त-त्रवऩत्रत्त मा योग
                                                                          े
आफद क आगभन की आशॊका हो औय उसका सॊकत मफद व्मत्रि को स्वप्न क भाध्मभ से प्राद्ऱ हो जामे तो वह उस
     े                            े                        े
सॊकट से सावधान हो सकता हं औय फकसी फडे ़ खतये मा अनहोनी से फि सकता हं मा उसकी अशुबता भं कभी रा
सकता हं । बायतीम त्रवद्रानं नं अशुब स्वप्नं की अशुबता को दय कयने से रेकय शुब स्वप्नं की शुबता भं वृत्रद्ध कयने
                                                          ू
वारे सयर उऩामं खोज सनका हं , स्जससे इस साभडम व्मत्रि को त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ हो सक।
                                                                                     ं
      प्रािीन बायतीम धभाग्रॊथो भं स्वप्न शकन क भहत्व को सभझते हुवे सैकड़ं ग्रॊथो की यिना की हं । स्जसक
                                           ु  े                                                      े
भाध्मभ से भनुष्म क बूत, बत्रवष्म औय वताभान से सॊफॊसधत स्वप्नं का उत्तय प्राद्ऱ फकमे जा सकते हं । स्वप्न शकन
                  े                                                                                       ु
का परादे श कयते सभम कि भहत्व ऩूणा फातं का ख्मात यखना असत आवश्मक हं स्जनभं से कि का सॊकरन इस
                     ु                                                        ु
अॊक भं आऩक भागादशान हे तु फकमा गमा हं ।
          े

               ऩाठकं क भागादशान क सरमे स्वप्न पर त्रवशेषाॊक फक प्रस्तुसत फक गई हं ।
                      े          े
   सबी ऩाठको क भागादशान मा ऻानवधान क सरए
              े                     े                 स्वप्न पर से सॊफॊसधत त्रवसबडन उऩमोगी जानकायी इस अॊक भं
त्रवसबडन ग्रॊथो एवॊ सनजी अनुबवो क आधाय ऩय सॊकसरत की गई हं । जानकाय एवॊ त्रवद्रान ऩाठको से अनुयोध हं , मफद
                                 े
स्वप्न पर से सॊफॊसधत त्रवषम भं सभम, स्थान, वस्तु, स्स्थसत इत्माफद क सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भं, फडजाईन भं,
                                                                   े
टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाशन भं कोई िुफट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रं मा फकसी मोग्म जानकाय मा त्रवद्रान से
सराह त्रवभशा कय रे । क्मोफक जानकाय स्वप्न पर कथन कयने वारे एवॊ त्रवद्रानो क सनजी अनुबव व त्रवसबडन ग्रॊथो भं
                                                                           े
वस्णात स्वप्न पर से सॊफॊसधत जानकायीमं भं एवॊ त्रवद्रानो क स्वमॊ क अनुबवो भं सबडनता होने क कायण स्वप्न पर
                                                         े       े                       े
का त्रविाय कयते सभम स्वप्न कार की स्स्थसत इत्माफद क स्स्टक पर क सनणाम भं सबडनता सॊबव हं ।
                                                   े           े




                                                                                                  सिॊतन जोशी
6                           जुराई 2012




               *****       स्वप्न शकन से सॊफॊसधत त्रवशेष सूिना*****
                                    ु
 ऩत्रिका भं प्रकासशत स्वप्न शकन से सम्फस्डधत सबी जानकायीमाॊ गुरुत्व कामाारम क असधकायं क साथ ही
                               ु                                              े         े
   आयस्ऺत हं ।
 स्वप्न शकन शास्त्र ऩय अत्रवद्वास यखने वारे व्मत्रि स्वप्न शकन क त्रवषम को भाि ऩठन साभग्री सभझ
           ु                                                  ु  े
   सकते हं ।
 स्वप्न शकन का त्रवषम शास्त्रोि होने क कायण इस अॊकभं वस्णात सबी जानकायीमा बायसतम शकन शास्त्रं
           ु                           े                                            ु
   से प्रेरयत होकय सरखी गई हं ।
 स्वप्न शकन से सॊफॊसधत त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जडभेदायी
           ु
   कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।
 स्वप्न शकन से सॊफॊसधत बत्रवष्मवाणी फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जडभेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक
           ु
   नहीॊ हं औय ना हीॊ प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जडभेदायी क फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक
                                                            े
   फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं ।
 स्वप्न शकन से सॊफॊसधत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष को
           ु
   फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम उनका स्वमॊ का होगा।
 स्वप्न शकन से सॊफॊसधत ऩाठक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।
           ु
 स्वप्न शकन से सॊफॊसधत रेख शकन शास्त्र क प्राभास्णक ग्रॊथो, हभाये वषो क अनुबव एव अनुशॊधान क
           ु                  ु          े                              े                   े
   आधाय ऩय फद गई हं ।
 हभ फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष द्राया स्वप्न शकन ऩय त्रवद्वास फकए जाने ऩय उसक राब मा नुक्शान की
                                             ु                             े
   स्जडभेदायी नफहॊ रेते हं । मह स्जडभेदायी स्वप्न शकन ऩय त्रवद्वास कयने वारे मा उसका प्रमोग कयने वारे
                                                    ु
   व्मत्रि फक स्वमॊ फक होगी।
 क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ डं, साभास्जक, कानूनी सनमभं क स्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्वाथा
                                                               े
   ऩूसता हे तु स्वप्न शकन का प्रमोग कताा हं अथवा स्वप्न शकन का सूक्ष्भ अध्ममन कयने भे िुफट यखता हं
                        ु                                 ु
   मा उससे िुफट होती हं तो इस कायण से प्रसतकर अथवा त्रवऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी सॊबव हं ।
                                            ू
 स्वप्न शकन से सॊफॊसधत जानकायी को भानकय उससे प्राद्ऱ होने वारे राब, हानी फक स्जडभेदायी कामाारम मा
           ु
   सॊऩादक फक नहीॊ हं ।
 हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे स्वप्न शकन ऩय आधारयत रेखं भं वस्णात जानकायी को हभने सैकडोफाय स्वमॊ
                                       ु
   ऩय एवॊ अडम हभाये फॊधगण ने बी अऩने नीजी जीवन भं अनुबव फकमा हं । स्जस्से हभ अनेको फाय स्वप्न
                       ु
   शकन क आधाय ऩय स्स्टक उत्तय की प्रासद्ऱ हुई हं । असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩक कय सकते हं ।
     ु  े                                                                               ा
                            (सबी त्रववादो कसरमे कवर बुवनेद्वय डमामारम ही भाडम होगा।)
                                           े     े
7                           जुराई 2012




                                                  स्वप्न ज्मोसतष
                                                                                                    सिॊतन जोशी
           सोते सभम व्मत्रि को हो होने वारी अनुबूसतमं को स्वप्न कहा जाता हं । स्वप्न दे खते सभम अॊतय भन भं होने
वारे अनुबवो को कि रोग भ्रभ से जोडते हं तो कि इसे वताभान कार, बूतकार तथा बत्रवष्मकार से जोड कय व्मत्रि
                ु                          ु
क जीवन क साथ जोडने का कामा अनाफदकार से िरा आ यहा हं । क्मोकी त्रवद्रानो क भत से स्वप्न भं कि ना कि
 े      े                                                                े                 ु     ु
एसी सभानता होती हं , जो व्मत्रि क व्मत्रिगत मा सभाजीक जीवन से भेर खाती हं ।
                                 े

           हभाया भस्स्तष्क ज्मदा सभम तक स्जस त्रवषम की कल्ऩना कयता ये हता हं प्राम: हभे वह सफ स्वप्न भं फदखाइ
दे ता हं । एवॊ ज्मादातय हभ स्वप्न क उन भहत्व ऩूणा बागं को बूर जाते हं जो हभाये जीवन क सरए त्रवशेष अथा यखते
                                   े                                                 े
हं ।
           सोते सभम दे खे जाने वारे कि स्वप्न बत्रवष्म क सूिक बी होते हं । बायतीम शकन शास्त्रं भं इन स्वप्नं क
                                     ु                  े                           ु                         े
शुब-अशुब प्रबावं क फाये भं सत्रवस्ताय उल्रेस्खत फकमा गमा है ।
                  े
           बायतीम भाडमाता क अनुशाय ज्मादातय ब्रह्म भुहूता भं जो स्वप्न दे खे जाते हं , वह सि होते हं मा हभाये बत्रवष्म
                           े
भं होने वारी घटनाओॊ क ऩूवा आबास की सूिना प्रदान कयते हं ।
                     े
           स्वप्न भे दे खए गमे त्रवषमो क शुकन-अऩशुकन क फाये भे कोई ठोस प्रभाण नहीॊ होने क उऩयाॊत शकन शास्त्रं
                                        े             े                                  े         ु
भं अनेक प्रकाय क स्वप्नं की त्रवस्तृत जानकायी दे कय स्वप्न का असधक भहत्व फतामा गमा हं । शास्त्र भं वस्णात कई
                े
जानकायीमा फहुउऩमोगी होने ऩय बी उससे प्राद्ऱ जानकाये से स्वप्न क फाये भं सही त्रवद्ऴेषण कयना इतना आसान नहीॊ
                                                               े
हं क्मोकी ज्मादातय भभरं भे व्मत्रि दे खे गमे स्वप्नो भं से कि एक त्रवषम को ही माद कय ऩाता हं एवॊ फाकी क
                                                            ु                                          े
त्रवषमं को वह सही पर जानने से ऩेहरे ही सभम क साथ बूरा दे ता हं । इस सरमे स्वप्न क फाये ने त्रवद्ऴेषण कयना
                                            े                                    े
थोडा़ कफठन हो जाता हं ।
           कि भनोवैऻासनक का भत हं की स्वप्नं का हभायी वास्तत्रवक अवस्था से कोई सॊफॊध नहीॊ होता। रेफकन
            ु
बायतीम त्रवद्रानं क भतानुशाय स्वप्नं का शुब-अशुब प्रबाव का हभाये जीवन ऩय सनस्द्ळत रुऩ से ऩड़ता हं ।
                   े




                                          भॊि ससद्ध दरब साभग्री
                                                     ु ा
       हत्था जोडी- Rs- 370                 घोडे की नार- Rs.351                  भामा जार- Rs- 251
       ससमाय ससॊगी- Rs- 370                दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550               इडद्र जार- Rs- 251
       त्रफल्री नार- Rs- 370               भोसत शॊख- Rs- 550                    धन वृत्रद्ध हकीक सेट Rs-251
                                            GURUTVA KARYALAY
                                  Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785,
                       Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
8                            जुराई 2012




                                         स्वप्न द्राया जाने धनप्रासद्ऱ क मोग
                                                                        े
                                                                                                       सिॊतन जोशी
स्वप्न भं दे वी-दे वता क दशान होने से धन राब क साथ सपरता दशााता है ।
                        े                     े
स्वप्न भं गाम का दध सनकारना म सनकारते दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
  े
                  ू                                            े
सपद घोडे को दे खना धन की प्रासद्ऱ एवॊ उज्जवर बत्रवष्म का सॊकत है ।
                                                            े                    100 से असधक
स्वप्न भं नीरकण्ठ मा सायस ऩऺी को दे खना धन राब एवॊ याज सम्भान फक
प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
               े
स्वप्न भं कदम्फ क वृऺ को दे खना धन प्रासद्ऱ, स्वास््म राब, याजसम्भान प्रासद्ऱ
                 े
                                                                                            जैन मॊि
का सॊकत है ।
      े                                                                         हभाये महाॊ जैन धभा क सबी प्रभुख,
                                                                                                    े
स्वप्न भं कानं भं फारी मा धायण फकमे दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                             े                  दरब एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र
                                                                                 ु ा
स्वप्न भं नृत्म कयती स्त्री/कडमा को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                             े                  ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ड (सोने)
स्वप्न भं फकसान को खेत भं काभ कयते दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                            े
                                                                                भे उऩरब्ध हं ।
स्वप्न भं भृत ऩऺी को दे खना आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                       े
स्वप्न भं जरता हुवा दीऩक दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                  े                             हभाये महाॊ सबी प्रकाय क मॊि कोऩय
                                                                                                       े
स्वप्न भं स्वणा को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                            े                                   ताम्र ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ड
स्वप्न भं िूहं को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                           े                                    (सोने) भे     फनवाए   जाते    है ।    इसके
स्वप्न भं सपद िीफटमाॉ दे खना धन राब का सॊकत है ।
            े                             े                                     अरावा    आऩकी     आवश्मकता           अनुशाय
                      ू
स्वप्न भं कारे त्रफच्ि को दे खना धन राब का सॊकत है ।
                                              े                                 आऩक द्राया प्राद्ऱ (सिि, मॊि, फड़ज़ाईन)
                                                                                   े
स्वप्न भं नेवरे का को दे खना हीये -ज्वाहयात फक प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                              े                 क अनुरुऩ मॊि बी फनवाए जाते है .
                                                                                 े
स्वप्न भं भधुभक्खी का ित्ता दे खना धन राब का सॊकत है ।
                                                े                               गुरुत्व कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे
स्वप्न भं सऩा को पन उठामे दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                   े
                                                                                गमे सबी मॊि अखॊफडत एवॊ 22 गेज
स्वप्न भं हाथी को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                           े
                                                                                शुद्ध कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 टि शुद्ध
स्वप्न भं भहर को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                          े
                                                                                ससरवय (िाॊदी) एवॊ 22 कये ट गोल्ड
                                                                                                      े
स्वप्न भं तोते को खाते दे खना प्रफर धन प्रासद्ऱ क मोग का सॊकत है ।
                                                 े          े
                                                                                (सोने) भे फनवाए जाते है । मॊि क त्रवषम
                                                                                                               े
स्वप्न भं अॊगुरी भं अॊगूठी ऩहनं हुवे दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                              े
                                                                                भे   असधक     जानकायी    के   सरमे      हे तु
स्वप्न भं आभ का फसगिा दे खना आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                        े
स्वप्न भं सऩा को त्रफर क साथ दे खना आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                        े                                      े                सम्ऩक कयं ।
                                                                                     ा
स्वप्न भं गाम क दशान होने से अत्मडत शुब होता हं , व्मत्रि को मश,
               े                                                                GURUTVA KARYALAY
वैबव एवॊ ऩरयवाय वृत्रि से राब प्राद्ऱ होती है ।                                      Call us: 91 + 9338213418, 91+
स्वप्न भं ऩवात औय वृऺ ऩय िढ़ते दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                        े                                     9238328785
स्वप्न भं गौ दग्ध, घी, पर वारे वृऺ दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
              ु                                             े                   Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com,
                                                                                     gurutva_karyalay@yahoo.in,
स्वप्न भं आॊवरे औय कभर को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है ।
                                                   े                             Visit Us: http://gk.yolasite.com/ and
                                                                                 http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
9                              जुराई 2012




                                                    त्रववाह से सॊफॊसधत स्वप्न

                                                                                                              सिॊतन जोशी
    कि प्रकाय क स्वप्न एक त्रवशेष प्रकाय का पर दे ते हं । आऩक भागा दशान क सरमे ज्मोसतष क ग्रॊथो भं उल्रेस्खत दाॊऩत्म जीवन
     ु         े                                             े           े              े
एवॊ प्रेभ-प्रसॊगं से सम्फॊसधत स्वप्न पर का त्रविाय महा दशााएॊ गएॊ हं ।
     स्वप्न शास्त्र क अनुसाय नीॊद भं फदखाई दे ने वारे सऩनं से बी प्रेभ त्रववाह होने मा ना होने क सॊकत प्राद्ऱ होते हं ।
                      े                                                                          े   े
     रडकी का स्वप्न भं फकसी सिफडय़ा को िहिहाती हुई दे खना प्रेभ त्रववाह होने का सॊकत हं । े
     रड़की का स्वप्न भं स्वमॊ को त्रफस्तय ऩय िद्दय त्रफिाते हुए दे खना फकसी से जल्दी प्रेभ होने का मा अऩना प्रेभ त्रववाह होने का
        सॊकत हं
           े
       स्वप्न भं स्वमॊ को सॊगीत सुनते हुए दे खना प्रेभ सॊफॊध भं सपरता प्रासद्ऱ का सॊकत हं ।
                                                                                      े
       स्वप्न भं सकस जेसी कराफाजी दे खना उसक प्रेभ भं कोई तीसया व्मत्रि दखर दे ने का सॊकत हं ।
                    ा                        े                                           े
       स्वप्न भं प्रणम दृश्म दे खना प्रेभ सॊफॊध भं ऩये शासन आने क सॊकत हं ।
                                                                  े   े
       स्वप्न भं हीये -जवाहयात मा हीये क आबूषण उऩहाय भं प्राद्ऱ होते दे खना दाॊऩत्म जीवन भं ऩये शासनमाॊ आसकती हं ।
                                         े
       स्वप्न भं सोने क आबूषण दे खना सभृद्ध ऩरयवाय भं त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                        े                                                 े
       स्वप्न भं फाजाय भं घुभते दे खे दे खना भनऩसॊद जीवन साथी प्राद्ऱ होने का सॊकत हं ।
                                                                                  े
       स्वप्न भं शव दे खना गृहस्थ जीवन भं सॊकटं क आने का सॊकत हं ।
                                                  े          े
       स्वप्न भं स्वमॊ को सुयॊग भं दे खना प्रेभ सॊफॊध अथवा वैवाफहक जीवन ऩये शासनमाॊ आसकती हं ।
       स्वप्न भं सुॊदय कराकायी वारे वस्त्र दे खना सुॊदय औय सुशीर जीवन साथी प्राद्ऱ होने का सॊकत हं ।
                                                                                               े
       स्वप्न भं स्वमॊ को नािते दे खना शीघ्र त्रववाह होने का औय वैवाफहक सुख भं वृत्रद्ध होने का सॊकत हं ।
                                                                                                    े
       स्वप्न भं सुॊदय स्त्री की साड़ी दे खना अऩने प्रेभ ऩाि से शीघ्र सभरने का सॊकत हं ।
                                                                                  े
       स्वप्न भं सुॊदय रड़की से भस्ती कयते दे खना औय रड़की को हॊ सते दे खना बोग त्रवरास प्राद्ऱ होने का सॊकत हं ।
                                                                                                          े
       सऩने भं कऩड़े खोरते दे खना प्रेभ औय स्त्री सुख स्त्री सुख प्राद्ऱ होने का सॊकत हं ।
                                                                                    े
       स्वप्न भं स्वमॊ को शहद का सेवन कयते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                                                                               े
       स्वप्न भं स्वमॊ को हवाई जहाज िराते हुए दे खना त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                                                                         े
       स्वप्न भं स्वमॊ को करा खाते दे खना प्रेभ एवॊ वैवाफहक जीवन क सरमे अशुब सॊकत हं ।
                            े                                      े             े
       स्वप्न भं स्वमॊ को कगन ऩहनने दे खना शीघ्र वैवाफहक फॊधन भं फॊधने का सॊकत हं ।
                            ॊ                                                 े
       स्वप्न भं स्वमॊ को भॊफदय अथवा ऩूजा स्थान ऩय ऩूजा-अिाना कयते दे खना प्रेभ त्रववाह भं सपर होने का सॊकत हं ।
                                                                                                           े
       स्वप्न भं अऩनो से सॊफॊध टू टते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                                                                          े
       स्वप्न भं फकसी बवन मा भहर से फाहय आते दे खना सगाई टू ट ने का सॊकत हो सकता हं ।
                                                                        े
       स्वप्न भं अऩने प्रेभी, ऩसत-
        ऩत्नी को अडम क साथ भं अनैसतक सॊफॊध फनाते दे खना अच्िे िरयि क जीवन साथी प्राद्ऱ होने का सॊकत हं ।
                      े                                             े                             े
     स्वप्न भं अऩने प्रेभी क साथ भं पूरं क फगीिं भं घूभते-
                             े             े
        फपयते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का औय सुखी दाॊऩत्म जीवन का सॊकत हं ।
                                                                         े
10                                जुराई 2012



     स्वप्न भं फैर को ऩानी ऩीता दे खना दाॊऩत्म जीवन भं सपरता का सॊकत हं ।
                                                                    े
     स्वप्न भं कवर फडे बवन अथवा त्रफल्री को दे खना प्रेभ सॊफॊधो भं ऩये शानी आने का सॊकत हं ।
                 े                                                                     े
     स्वप्न भं फकसी का त्रववाह होते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                                                                        े
     स्वप्न भं फकभती आबूषण खोते दे खना दाॊऩत्म जीवन भं ऩये शानी आने का सॊकत हं ।
                                                                           े
     स्वप्न भं नुफकरे हसथमाय दे खना ऩारयवारयक जीवन भं क्रेश होने का सॊकत हं ।
                                                                        े
     स्वप्न भं फकभती भं अॊगूठी उऩहाये भं प्राद्ऱ होते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                                                                                          े
     स्वप्न भं िभकते कऩडे दे खना भान सम्भान भं वृत्रद्ध एवॊ शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                                                                                         े
     स्वप्न भं कयी खाते दे खना त्रवधवा मा त्रवधुय से त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                                                                         े
     स्वप्न भं गुड्डे -गुफडमा दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                                                                  े
     स्वप्न भं उडती सततरी ऩास आते दे खना प्रेभ त्रववाह भं सपरता का सॊकत हं ।
                                                                       े
     स्वप्न भं उडती सततरी दय जाते दे खना वैवाफहक जीवन भं ऩये शानी सॊकत हं ।
                            ू                                         े
     स्वप्न भं नीरकठ दे खना त्रववाह होने का सॊकत हं ।
                    ॊ                           े
     स्वप्न भं फकसी को प्रेभ प्रस्ताव यखते दे खना शादी भं त्रवरॊफ होने का सॊकत हं ।
                                                                              े
     स्वप्न भं यॊ गफी-यॊ गे परं से बया फगीिा दे खना प्रेभ त्रववाह भं सपरता का सॊकत हं ।
                              ू                                                   े
     स्वप्न भं अऩने शयीय ऩय बस्भ रगाते दे खना शीघ्र ही त्रववाह एवॊ गृहस्थ सुख भं वृत्रद्ध का सॊकत हं ।
                                                                                                 े
     स्वप्न भं जरती भोभफत्ती दे खना शीघ्र ही त्रववाह का सॊकत हं ।
                                                            े
     स्वप्न भं यसीरे पर खाते दे खना शीघ्र ही त्रववाह का सॊकत हं ।
                                                            े
     स्वप्न भं सुऩायी दे खना शीघ्र ही त्रववाह का सॊकत हं ।
                                                     े
     स्वप्न भं फहयन दे खना शीघ्र त्रववाह एवॊ धन राब का सॊकत हं ।
                                                           े
     स्वप्न भं कतरी क पर दे खना दाॊऩत्म जीवन सुख-शाॊसत का सॊकत हं ।
                 े    े ू                                     े

                                    असरी 1 भुखी से 14 भुखी रुद्राऺ
गुरुत्व कामाारम भं सॊऩणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ असरी 1 भुखी से 14 भुखी तक क रुद्राऺ उऩरब्ध हं ।
                      ू                                                   े
ज्मोसतष कामा से जुडे़ फॊध/फहन व यत्न व्मवसाम से जुडे रोगो क सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यत्न, उऩयत्न
                         ु                                 े
मॊि, रुद्राऺ व अडम दरब साभग्रीमाॊ एवॊ अडम सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं । रुद्राऺ क त्रवषम भं असधक
                    ु ा                                                   े
जानकायी क सरए कामाारम भं सॊऩक कयं ।
         े                   ा

                                                         त्रवशेष मॊि
हभायं महाॊ सबी प्रकाय क मॊि सोने-िाॊफद-ताम्फे भं आऩकी आवश्मिा क अनुशाय फकसी बी बाषा/धभा
                       े                                       े
क मॊिो को आऩकी आवश्मक फडजाईन क अनुशाय २२ गेज शुद्ध ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रवशेष
 े                            े
सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं । असधक जानकायी क सरए कामाारम भं सॊऩक कयं ।
                                     े                   ा
                                   GURUTVA KARYALAY
             BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
                 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
11                         जुराई 2012




                                         स्वप्न औय योग

                                                                                          सिॊतन जोशी
    स्वप्न भं मफद अभरतास क पर फदखे तो ऩीसरमा मा कोढ़ का योग होने की सॊबावना होती हं ।
                           े ू
    स्वप्न भं मफद अॊजन अथाात काजर फदखे तो नेि योग होने की सॊबावना होती हं ।
    स्वप्न भं मफद अयहय खाते दे खना ऩेट ददा का सूिक हं ।
    स्वप्न भं मफद अिाय, ऩऩीता, अयफी, कद ू दे खना ससय ददा औय ऩेट ददा होने क सॊकत हं । मफद अऩना ऩेट
                                                                           े   े
     फढाहुआ नझय आमे तो ऩेट से सॊफॊसधत ऩये शानी का सूिक हं ।
  स्वप्न भं मफद अॊग यऺक फदखे तो गॊसबय िोट रगने का खतया होता हं ।
  मफद स्वप्न भं जरती हुई अगयफत्ती, स्वमॊ को उड़ते, कोई कायखाना दे खना आकस्स्भक दघटना का सॊकत हं ।
                                                                                ु ा        े
  स्वप्न भं मफद अॊगायं ऩय िरते, आक का ऩौधा मा पूर, पॊसा हुआ िूहा, उड़ती हुई वाष्ऩ दे खना शायीरयक
     कद्श होने क सॊकत हं ।
                े   े
  मफद स्वप्न भं फकसी प्रकाय की ऩुफडमा फॊधते, पूटी आॉख फदखे तो महॊ शायीरयक कद्श भं वृत्रद्ध क सॊकत हं ।
                                                                                             े   े
  मफद स्वप्न भं इद्श भूसता िोयी फदखना भृत्मुतुल्म कद्श होने क सॊकत हं ।
                                                              े   े
  मफद स्वप्न भं फदखे तो उऩवन, करी, कम्फर, कसयत कयते, ऩोशाक ऩहनना, योटी खाना मा ऩकाना, वासागय
     सूखता, ित्त से सगयते साॊऩ, नकाफ रगाते, गभा ऩानी का झयना, ऩीरे यॊ गका   झॊडा, दल्हा /दल्हन फायात, ऩॊजीयी
                                                                                   ू      ु
     खाना, त्रवषैरे जीव, खारी खाट दे खना फीभायी की ऩूवा सूिना क सॊकत हं ।
                                                               े   े
  िॊिर आॉखे दे खना
  मफद स्वप्न भं फदखे तो कॊघी दे खना दाॊत मा कान भं ददा औय आकस्स्भक िोट रगने का सॊकत हं ।
                                                                                     े
  मफद स्वप्न भं घय भं आग, तयाजू भं तुरता साभान, फादाभ खाता, हकीभ-वैद्य, स्वमॊ को बूसभ ऩय, भखभर ऩय
     फैठे, सोना, शयीय की भासरश, आईना, गीरी वस्तु, फदखे तो फीभायी फढने क सॊकत हं ।
                                                                       े   े
  मफद स्वप्न भं सेवा कयवाना, सोरह श्रृगाय, ऩीरा यॊ ग, त्रऩजया दे खना, ऩारकी फदखे तो स्वास््म खयाफ होने क
                                      ॊ                                                                  े
     रऺण हं ।



                                      शादी सॊफॊसधत सभस्मा
क्मा आऩक रडक-रडकी फक आऩकी शादी भं अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनक वैवाफहक
        े   े                                                              े
जीवन भं खुसशमाॊ कभ होती जायही हं औय सभस्मा असधक फढती जायही हं । एसी स्स्थती होने ऩय
अऩने रडक-रडकी फक कडरी का अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनक वैवाफहक सुख को कभ कयने
        े         ॊु                               े
वारे दोषं क सनवायण क उऩामो क फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।
           े        े       े
                                  GURUTVA KARYALAY
                              Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
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12                               जुराई 2012



      मफद स्वप्न भं अऩना कद रम्फा फदखे मा सूमा िडद्र आफद का त्रवनाश होता फदखे तो भृत्मुतुल्म कद्श होने का
         सॊकत हं ।
            े
        मफद स्वप्न भं कभॊडर फदखे तो ऩरयवाय क फकसी सदस्म से त्रवमोग होने का सॊकत हं ।
                                             े                                 े
        मफद स्वप्न भं ऩीरे यॊ ग की       गाम मा फैर दे खना बमॊकय भहाभायी आने क रऺण हं ।
                                                                               े
        मफद स्वप्न भं गयभ ऩानी दे खना फुखाय मा अडम फीभायी आने क रऺण हं ।
                                                                े
        स्वप्न भं आकाश, ध्रुव ताया, ग्रहण, सूमा दशान औय स्वणा फदखे तो शायीरयक कद्श होने क सॊकत हं ।
                                                                                          े   े
        मफद स्वप्न भं शयी यफडे से         िोटा व िोटे से फडा होते फदखे, हाथ से िरना, जानवयं की तयह िरना, भनुष्म
         क स्थान ऩय ऩशु मा ऩऺी आवाज सुनना, जॊगरी ऩत्ते-घास खाते दे खना स्वास््म से सॊफॊसधत सभस्माओॊ से
          े
         सभुस्खन होने का सॊकत हं ।
                            े
      मफद स्वप्न भं कोई वस्तु पूटते दे खना, िीय-पाड आसध फदखाई दे तो शल्मफक्रमा अथाात ऑऩये शन का सॊकत हं ।
                                                                                                    े

 स्वप्न औय उत्तभ स्वास््म क सॊकत
                           े   े

                                                                                    ु
      मफद स्वप्न भं अॊगूय, अजवाईन, िूयन, सयसं का साग, संठ खाते दे खना त्रफभायी से िटकाया औय स्वस््म राब
         होने का सॊकत हं ।
                    े
      मफद स्वप्न भं शयीयका कोई कटा अॊग, खयंि, खुजरी, ताराफ भं तैयना, तोसरमा, दवा का सगयना, दऩट्टा, दे वी
                                                                                             ु
         दशान, नभक, नीभ का व्रऺ, ऩयी, प्रसाद फाॉटना,               फटु आ दे खना, अऩने बाई को दे खना, मभयाज दे खना, हयं यॊ ग
          े                                                              ु
         क कऩडे , शयफत दे खना, ऺभा-दान कयते, साफुन, हड्डी दे खना योग से िटकाया सभरने का सॊकत हं ।
                                                                                           े
      मफद स्वप्न भं िूहे दानी से िूहा सनकरते दे खना योग, कद्श से भुत्रि क सॊकत हं ।
                                                                          े   े

 फदधाामु मोग

      मफद स्वप्न भं अऩहयण, आत्भहत्मा, कपन, नय कॊकार, भीनाय, शभशान-कब्रस्तान, हत्मा मा अऩने ऩय हभरा
         होते दे खना आमु वृत्रद्ध क सॊकत हं ।
                                   े   े

 नोट: स्वप्न का पर दे खते सभम कवर यात्रि क उत्तयाद्धा क उऩयाॊत फदखाई दे ने वारे स्वप्न को ही बत्रवष्म का सॊकत
                               े          े            े                                                    े
 सभझना िाफहमे।


                                                   स्वप्न भं यत्न दशान
स्वप्न भं भास्णक यत्न दे खना शत्रि तथा सत्ता भं वृत्रद्ध होने का     स्वप्न भं नीरभ यत्न दे खना उडनत्रत्त होने का सॊकत हं ।
                                                                                                                     े
सॊकत हं ।
   े                                                                 स्वप्न भं गोभेद यत्न दे खना अनावश्मक सभस्माएॊ आने का
स्वप्न भं भोती यत्न दे खना भानससक शाॊसत सभरने का सॊकत हं ।
                                                    े                सॊकत हं ।
                                                                        े
स्वप्न भं भूॊगा यत्न दे खना शिु ऩय त्रवजम सभरने का सॊकत हं ।
                                                      े              स्वप्न भं रहसुसनमा यत्न दे खना – भान सम्भान फढ़ने का
स्वप्न भं ऩडना यत्न दे खना व्मवसाम भं वृत्रद्ध होने का सॊकत हं ।
                                                          े          सॊकत हं ।
                                                                        े
स्वप्न भं ऩुखयाज यत्न दे खना सुख-सौबाग्म फढ़ने का सॊकत हं ।
                                                     े               स्वप्न भं फपयोज़ा यत्न दे खना व्मवसाम भं वृत्रद्ध होने का सॊकत
                                                                                                                                 े
स्वप्न भं हीया यत्न दे खना आसथाक उडनसत होने का सॊकत हं ।
                                                  े                  हं ।
13                            जुराई 2012




                                  स्वप्न से सॊफॊसधत ऩौयास्णक भत
                                                                               सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
क्मा     स्वप्न     सिऩाई       गई    इच्िाओॊ       का     शुब-अशुब सॊकतं क भाध्मभ से उसे अवगत कयने का
                                                                       े   े

प्रसतत्रफॊफ/ऩरयणाभ होते हं ?                               प्रमास कयती हं । इसी सरए त्रवद्रानो का कथन हं की
                                                           स्वप्न हभंशा सनयाधाय, सनयथाक व सनरुद्दे श्म नहीॊ होते हं ,
       हजायं वषा ऩूवा हभाये त्रवद्रान ऋषी-भुसनमं एवॊ
                                                           अनेको फाय इन स्वप्नं भं भहत्वऩूणा व प्रेयणादामक
आिामं नं मह फात ससद्ध कय फद थी की असधकतय
                                                           सॊकत सनफहत होते हं , ससप आवश्मिा हं उन सॊकतो को
                                                              े                    ा                 े
स्वप्न भनुष्म की सिऩी हुई इच्िाओॊ का प्रसतत्रफॊफ मा
                                                           त्रवस्ताय से सभझने की। इसतहास बी इस फात का गवाह
ऩरयणाभ होते हं । इस फात को आज क आधुसनक मुग क
                               े            े
                                                           हं की अफतक हुए अनुशॊधान भं हभाये सभऺ अनेको
त्रवद्रान एवॊ वैऻासनक बी भानते हं ।
                                                           उदाहयण आते यहे हं की स्वप्न भं फकसी व्मत्रि त्रवशेष
                                                                                           ू
                                                           को अनेकं फाय गूढ़ यहस्मभम सॊकत िऩे सभरे व कई
                                                                                        े
       हजायं वषा ऩूवा ही हभाये त्रवद्रान ऋषी-भुसनमं ने
                                                           फाय मह स्वप्न उनक बत्रवष्म की भहत्वऩूणा घटनाओॊ क
                                                                            े                              े
अऩने मोग फर एवॊ शोध से मह बी ऻात कय सरमा था
                                                           सूिक बी यहे हं ।
की स्वप्न भं व्मत्रि क जीवन से जुडे़ गूढ़ यहस्म जो
                      े
प्रत्मऺ औय ऩयोऺ सॊकत क रुऩ भं सिऩे होते हं ।
                   े  े
                                                           स्वप्नशास्त्र की भूर ग्रॊथो भं स्वप्नो क सात
                                                                                                   े
       त्रवद्रानं का कथन हं की मफद स्वप्नं को अस्च्ि       प्रकाय होने का उल्रेख सभरता हं ।
तयह से सभझकय उनका सूक्ष्भ अध्ममन फकमा जाए तो
उससे अनेक प्रकाय क राब व्मत्रि को सन्सॊदेह ही प्राद्ऱ
                  े                                             दृद्श् श्रुतोऽनुबतद्ळ प्रासथात् कस्ल्ऩतस्तथा ।
                                                                                 ू
हो सकता हं । क्मोफक अफतक हुवे शोध क अनुशाय स्वप्न
                                   े                           बात्रवको दोषजश्िेसत स्वप्न् सद्ऱत्रवधो भत्
भं फदखाई दे ने वारे दृश्मं से शुब-अशुब दोनं तयह के
सॊकत प्राद्ऱ होते हं , मह सॊकत स्वप्न दृद्शा व्मत्रि क
   े                         े                        े
                                                           1. दृद्श
जीवन की भहत्वऩूणा घटनाओॊ से जुड़े हो सकते हं ।
                                                           जो दृश्म जागृत अवस्था भं दे खे जाते हं उसी से सॊफॊसधत
                                                           दृश्म को स्वप्न भं दे खना दृद्श स्वप्न कहराते हं ।
       सयर बाषा भं स्वप्न क्मं आते हं मह जानने का
प्रमास कयने ऩय मह ऻात होता हं की जफ यात नीयवता
हो मा फदन भं शाॊसत का वातावयण हो, तफ भनुष्म का
                                                           2. श्रुत
अविेतन भन सशसथर हो जाता हं , जफ भनुष्म की िेतना            फकसी से सुनी हुई फातं से सॊफसधत दृश्म को स्वप्न भं
                                                                                       ॊ
शत्रि सशसथर हो जाती हं तो वह उत्तेजना यफहत होता हं         दे खना श्रुत स्वप्न कहराते हं ।
तफ भनुष्म का भन स्वबावीक रुऩ से अऩने जीवन भं
बूत-बत्रवष्म आफद भं घफटत होने वारे घटना क्रभं को           3. अनुबत
                                                                  ू
दे खने की ऺभता अस्जात कय रेता हं । व्मत्रि की इस           जागृत अवस्था क दौयान अनुबव की हुई फातं को स्वप्न
                                                                         े
अद्भत ऺभता क कायण ही प्रकृ सत सभम-सभम ऩय उसे
    ु       े                                              भं दे खना अनुबूत स्वप्न कहराते हं ।
14                           जुराई 2012



4. प्रासथात                                                  फड़ा पर दे ता हं , औय स्जस स्वप्न को दे खने क फाद भं
                                                                                                         े

मफद व्मत्रि ने अऩनी जागृत अवस्था भं फकसी प्राथाना-           ऩुन् सनद्रा नहीॊ आती औय जो स्वप्न प्रसतकर विनो से
                                                                                                     ू

वस्तु की इच्िा की हो उस से सॊफॊसधत दृश्म को स्वप्न           उऩहत अथाात प्रबात्रवत नहीॊ होता उसका बी उसी फदन

भं दे खना प्रासथात स्वप्न कहराते हं ।                        फहुत फड़ा पर (शुब-अशुब पर सॊफॊसधत व्मत्रि को) प्राद्ऱ
                                                             होता हं ।

5. कस्ल्ऩत
                                                             नोट् कि त्रवद्रानो का भानना हं की कवर
                                                                   ु                            े
मफद व्मत्रि ने अऩनी जाग्रतावस्था भं फकसी की कल्ऩना
                                                             बात्रवक स्वप्नो का प्रबाव ही त्रवशेष रुऩ से व्मत्रि
की हो उस से सॊफॊसधत दृश्म को स्वप्न भं दे खना कस्ल्ऩत
स्वप्न कहराते हं ।
                                                             क जीवन ऩय होता हं ।
                                                              े


6. बात्रवत                                                   ग्रॊथकायं ने स्वप्न क पर प्रासद्ऱ भं सॊबॊत्रवत
                                                                                  े
स्जसे व्मत्रि ने न कबी दे खा हो औय नाहीॊ सुना हो,            सभम को दशााते हुए कहा हं ।
रेफकन जो बत्रवष्म भं घफटत होने वारा हो वह बात्रवक
स्वप्न कहराते हं ।                                           यात्रि क त्रवसबडन प्रहय क अनुसाय स्वप्न पर:
                                                                     े                े

                                                                  यात्रि क ऩहरे प्रहय जो स्वप्न दे खे जाते है उसका
                                                                           े
7. दौषज।
                                                                     पर एक वषा भं सभरता हं ।
वात, त्रऩत्त औय कप से त्रवकृ त हो जाने ऩय फदखाई दे ने
                                                                  यात्रि क दसये प्रहय भं दे खे गए स्वप्न का पर
                                                                           े ू
वारे स्वप्न को दोषज कहाजाता हं ।
                                                                     आठ भाह भं सभरता हं , फकसी आिामं नं सात
                                                                     भाह (भुसन िडद्रसेन) तो फकसी ने ि् भाह कहं
   तेष्वाद्या सनष्परा् ऩञ्ि मथास्वप्रकृ सतफदा वा ।                   हं ।
   त्रवस्भृतो दीघाह्रस्वोऽसत ऩूवयािे सियात्परभ ्
                                ा                                 यात्रि क तीसये प्रहय भं दे खे गए स्वप्न का पर
                                                                           े
    दृद्श् कयोसत तुच्िॊ ि गो सगे तदहभाहत ् ।                         तीन भाह भं सभरता हं ।
        सनद्रमा वाऽनुऩहत् प्रतीऩैविनैस्तथा
                                  ा                               यात्रि क िैथे प्रहय भं दे खे गए स्वप्न का पर एक
                                                                           े
                                                                     भहीने भं सभरता हं । वयाहसभफहय क भत से िैथे
                                                                                                    े
अथाात: उि सात प्रकाय क स्वप्नं भं से ऩहरे ऩाॊि
                      े                                              प्रहय क स्वप्न 16 फदनं भं पर दे ते हं ।
                                                                            े
स्वप्न तो सनष्पर (अथाात शुब-अशुब परं से यफहत)                     यात्रि क अॊत अथाात ब्रह्म भुहूता भं दे खे गए स्वप्न
                                                                           े
होते हं , औय जो स्वप्न वाताफद प्रकृ सत क अनुसाय होते हं ,
                                        े                            का दश फदन भं पर दे ते हं ।
फदन भं आते हं , बूर जाते हं , फहुत रम्फे मा फहुत िोटे             सूमोदम से ऩूवा दे खे गमे स्वप्न असतशीघ्र पर
होते हं वे सफ सनष्पर होते हं । अॊसतभ दो प्रकाय के                    दे ते हं ।
स्वप्न (अथाात बात्रवक तथा दोषज) का पर अवश्म                       मफद कोई व्मत्रि एक ही यात भं शुब-अशुब दोनं
सभरता हं वह बी जो स्वप्न यात्रि की ऩूवा बाग भं फदखते                 तयह क स्वप्न दे खता हं तो पर कथन क सभम
                                                                          े                            े
हं उनका पर सिय कार क ऩद्ळात होता हं तथा स्वल्ऩ
                    े                                                कवर ऩीिे वारे स्वप्न से ही पर का सनणाम
                                                                      े
पर होता हं , औय प्रात् कार का स्वप्न उसी फदन फहुत                    कयना िाफहए।
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  • 1. Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका जुराई- 2012 NON PROFIT PUBLICATION.
  • 2. FREE E CIRCULAR गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका जुराई 2012 सॊऩादक सिॊतन जोशी गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग सॊऩका गुरुत्व कामाारम 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA पोन 91+9338213418, 91+9238328785, gurutva.karyalay@gmail.com, ईभेर gurutva_karyalay@yahoo.in, http://gk.yolasite.com/ वेफ http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ ऩत्रिका प्रस्तुसत सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी पोटो ग्राफपक्स सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक आटा हभाये भुख्म सहमोगी स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक सोफ्टे क इस्डडमा सर) ई- जडभ ऩत्रिका E-HOROSCOPE अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्धसत द्राया Create By Advanced उत्कृ द्श बत्रवष्मवाणी क साथ े Astrology Excellent Prediction कर 150+ ऩेज भं प्रस्तुत ु Total 150+ Pages फहॊ दी/ English भं भूल्म भाि 1050/- GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
  • 3. अनुक्रभ स्वप्न पर त्रवशेष स्वप्न शकन से सॊफॊसधत त्रवशेष सूिना ु 6 स्वप्न की अशुबता सनवायण हे तु सयर उऩाम 16 स्वप्न ज्मोसतष 7 सतसथमं से स्वप्न पर का सभम सनधाायण 17 स्वप्न द्राया जाने धनप्रासद्ऱ क मोग े 8 स्वप्न से योग एवॊ भृत्मु क सॊकत े े 20 त्रववाह से सॊफॊसधत स्वप्न 9 वणाभारा क अनुशाय स्वप्न पर त्रविाय े 23 स्वप्न औय योग 11 स्वप्न भं दे वी-दे वता क दशान े 60 बगवान भहावीय की भाता त्रिशरा क 16 े स्वप्न भं यत्न दशान 12 61 अद्भत स्वप्न ु स्वप्न से सॊफॊसधत ऩौयास्णक भत 13 गुरु ऩुष्माभृत मोग 64 हभाये उत्ऩाद भॊि ससद्ध दरब साभग्री ु ा 7 सयस्वती कवि औय मॊि 43 भॊिससद्ध रक्ष्भी मॊिसूसि 67 याशी यत्न एवॊ उऩयत्न 74 शादी सॊफसधत सभस्मा ॊ 11 बाग्म रक्ष्भी फदब्फी 50 भॊि ससद्ध दै वी मॊि सूसि 67 शसन ऩीड़ा सनवायक 80 कनकधाया मॊि 15 भॊिससद्ध स्पफटक श्री मॊि 55 यासश यत्न 68 भॊगरमॊि से ऋण भुत्रि 83 द्रादश भहा मॊि 17 दगाा फीसा मॊि ु 57 भॊि ससद्ध रूद्राऺ 69 ऩढा़ई सॊफसधत सभस्मा ॊ 85 भॊि ससद्ध भूगा गणेश ॊ 18 गणेश रक्ष्भी मॊि 58 श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि/ कवि 70 सवा योगनाशक मॊि/ 90 सवा कामा ससत्रद्ध कवि 19 ऩुरुषाकाय शसन मॊि 62 याभ यऺा मॊि 71 भॊि ससद्ध कवि 92 सॊऩणा जडभ कडरी ऩयाभशा ू ुॊ 20 नवयत्न जफड़त श्री मॊि 65 जैन धभाक त्रवसशद्श मॊि े 72 YANTRA 93 धन वृत्रद्ध फडब्फी 40 श्री हनुभान मॊि 66 अभोद्य भहाभृत्मुजम कवि ॊ 74 GEMS STONE 95 क्मा आऩक फच्िे कसॊगती क सशकाय हं ? े ु े 24 घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि 73 ऩसत-ऩत्नी भं करह सनवायण हे तु 26 भॊि ससद्ध वाहन दघटना नाशक भारुसत मॊि ु ा 66 प्रद्ल कण्डरी से स्स्टक उत्तय प्राद्ऱ फकस्जए ु 59 भॊि ससद्ध साभग्री- 83,84,85 स्थामी औय अडम रेख सॊऩादकीम 4 फदन-यात क िौघफडमे े 87 भाससक यासश पर 75 फदन-यात फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक 88 जुराई 2012 भाससक ऩॊिाॊग 79 ग्रह िरन जुराई -2012 89 जुराई-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय 81 सूिना 97 जुराई 2012 -त्रवशेष मोग 86 हभाया उद्दे श्म 99 दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका 86
  • 4. GURUTVA KARYALAY सॊऩादकीम त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ फफहन ु जम गुरुदे व बायतीम प्रािीन शास्त्रोि भाडमताओॊ क अनुशाय स्वप्नं की उत्ऩत्रत्त का सॊफॊध व्मत्रि क ऩूवजडभ, सिऩी हुई े े ा भहत्वकाॊऺाओॊ तथा ईश्वयीम प्रेयणा से होता है , वहीॊ ऩाद्ळात्म दे शं क जानकाय ने अऩने शोध एवॊ अनुसॊशान क आधय े े ऩय स्वप्नं का भुख्म कायण व्मत्रि की सिऩी हुई तथा अऩूणा इच्िाओॊ, काभवासनाओॊ तथा वताभान ऩरयस्स्थसतमं के अनुरुऩ भाना है । सयर बाषा भं हन सभझे तो स्वप्न वह हं जो सोते सभम व्मत्रि को हो होने वारी अनुबूसतमाॊ होती हं , स्वप्न दे खते सभम अॊतय भन भं होने वारे अनुबवो को आधुसनक त्रवऻान से जुडे़ रोग भ्रभ से जोडते हं तो कि ु बायतीम ऩयॊ ऩया औय शास्त्रं की सत्मता को स्वीकाय कयने वारे रोग स्वप्न को व्मत्रि क वताभान कार, बूतकार तथा े बत्रवष्मकार से जोडते हं क्मोकी त्रवद्रानो क भत से स्वप्न भं कि ना कि एसी सभानता होती हं , जो व्मत्रि क े ु ु े व्मत्रिगत मा सभाजीक जीवन को सनस्द्ळत रुऩ से प्रबात्रवत कयती हं । स्वप्न क्मं आते हं ? मह जानने का प्रमास कयने ऩय मह ऻात होता हं की जफ यात नीयवता हो मा फदन भं शाॊसत का वातावयण हो, तफ भनुष्म का अविेतन भन सशसथर हो जाता हं , जफ भनुष्म की िेतना शत्रि सशसथर हो जाती हं तो वह उत्तेजना यफहत होता हं तफ भनुष्म का भन स्वबावीक रुऩ से अऩने जीवन भं बूत -बत्रवष्म आफद भं घफटत होने वारे घटना क्रभं को दे खने की ऺभता अस्जात कय रेता हं । व्मत्रि की इस अद्भत ऺभता क कायण ही ु े प्रकृ सत सभम-सभम ऩय उसे शुब-अशुब सॊकतं क भाध्मभ से उसे अवगत कयने का प्रमास कयती हं । इसी सरए त्रवद्रानो े े का कथन हं की स्वप्न हभंशा सनयाधाय, सनयथाक व सनरुद्दे श्म नहीॊ होते हं , अनेको फाय इन स्वप्नं भं भहत्वऩूणा व प्रेयणादामक सॊकत सनफहत होते हं , ससप आवश्मिा हं उन सॊकतो को त्रवस्ताय से सभझने की। इसतहास बी इस फात े ा े का गवाह हं की अफतक हुए अनुशॊधान भं हभाये सभऺ अनेको उदाहयण आते यहे हं की स्वप्न भं फकसी व्मत्रि त्रवशेष े ू को अनेकं फाय गूढ़ यहस्मभम सॊकत िऩे सभरे व कई फाय मह स्वप्न उनक बत्रवष्म की भहत्वऩूणा घटनाओॊ क सूिक े े बी यहे हं । स्वप्न क त्रवषम भं अफ तक हुवे वैऻासनक अनुसॊधानो क आधय ऩय अफतक साभने आमे ऩरयणाभं से मह फात े े स्ऩद्श हो गमी हं की असधकतय स्वप्न भं हभ वही दे खते हं स्जस त्रवषम ऩय हभाया भन-भस्स्तष्क ज्मदा सभम कल्ऩना कयता यहता हं प्राम: हभे वह सफ घटनाए मा त्रवषम स्वप्न भं फदखाइ दे ता हं । कि जानकायं का भानना हं की ु ज्मादातय हभ स्वप्न क उन भहत्व ऩूणा बागं को बूर जाते हं जो हभाये जीवन क सरए त्रवशेष अथा यखते हं । े े सोते सभम दे खे जाने वारे कि स्वप्न बत्रवष्म क सूिक बी होते हं । बायतीम शकन शास्त्रं भं इन स्वप्नं क ु े ु े शुब-अशुब प्रबावं क फाये भं सत्रवस्ताय उल्रेस्खत फकमा गमा है । े बायतीम भाडमाता क अनुशाय ज्मादातय ब्रह्म भुहूता भं जो स्वप्न दे खे जाते हं , वह सि होते हं मा हभाये बत्रवष्म े
  • 5. भं होने वारी घटनाओॊ क ऩूवा आबास की सूिना प्रदान कयते हं । महीॊ कायण हं की हजायं वषा ऩूवा हभाये त्रवद्रान ऋषी- े भुसनमं एवॊ आिामं नं मह फात ससद्ध कय फद थी की असधकतय स्वप्न भनुष्म की सिऩी हुई इच्िाओॊ का प्रसतत्रफॊफ मा ऩरयणाभ होते हं । इस फात को आज क आधुसनक मुग क त्रवद्रान एवॊ वैऻासनक बी भानते हं । े े हजायं वषा ऩूवा ही हभाये त्रवद्रान ऋषी-भुसनमं ने अऩने मोग फर एवॊ शोध से मह बी ऻात कय सरमा था की स्वप्न भं व्मत्रि क जीवन से जुडे़ गूढ़ यहस्म जो प्रत्मऺ औय ऩयोऺ सॊकत क रुऩ भं सिऩे होते हं । े े े त्रवद्रानं का कथन हं की मफद स्वप्नं को अस्च्ि तयह से सभझकय उनका सूक्ष्भ अध्ममन फकमा जाए तो उससे अनेक प्रकाय क राब े व्मत्रि को सन्सॊदेह ही प्राद्ऱ हो सकता हं । क्मोफक स्वप्न भं फदखाई दे ने वारे दृश्मं से शुब-अशुब दोनं तयह क सॊकत े े प्राद्ऱ होते हं , मह सॊकत स्वप्न दृद्शा व्मत्रि क जीवन की भहत्वऩूणा घटनाओॊ से जुड़े हो सकते हं । कि ग्रॊथकायं ने े े ु स्वप्न पर क सनणाम कयने भं सतसथमं का त्रवशेष भहत्व फतामा है । त्रवद्रानो क भतानुसाय अरग-अरग सतसथमं औय े े ऩऺ भं स्वप्न पर की प्रासद्ऱ क यहस्म सिऩे होते हं । इन यहस्मं से मह ऻात फकमा जा सकता हं की व्मत्रि को स्वप्न े पर की प्रासद्ऱ शीघ्र होगी मा त्रवरॊफ से होगी मह ऻात फकमा जा सकता हं । बत्रवष्म से जेडे़ अशुब स्वप्न भं व्मत्रि को मफद आने वारे सभम भं उसक उऩय कोई आऩत्रत्त-त्रवऩत्रत्त मा योग े आफद क आगभन की आशॊका हो औय उसका सॊकत मफद व्मत्रि को स्वप्न क भाध्मभ से प्राद्ऱ हो जामे तो वह उस े े े सॊकट से सावधान हो सकता हं औय फकसी फडे ़ खतये मा अनहोनी से फि सकता हं मा उसकी अशुबता भं कभी रा सकता हं । बायतीम त्रवद्रानं नं अशुब स्वप्नं की अशुबता को दय कयने से रेकय शुब स्वप्नं की शुबता भं वृत्रद्ध कयने ू वारे सयर उऩामं खोज सनका हं , स्जससे इस साभडम व्मत्रि को त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ हो सक। ं प्रािीन बायतीम धभाग्रॊथो भं स्वप्न शकन क भहत्व को सभझते हुवे सैकड़ं ग्रॊथो की यिना की हं । स्जसक ु े े भाध्मभ से भनुष्म क बूत, बत्रवष्म औय वताभान से सॊफॊसधत स्वप्नं का उत्तय प्राद्ऱ फकमे जा सकते हं । स्वप्न शकन े ु का परादे श कयते सभम कि भहत्व ऩूणा फातं का ख्मात यखना असत आवश्मक हं स्जनभं से कि का सॊकरन इस ु ु अॊक भं आऩक भागादशान हे तु फकमा गमा हं । े ऩाठकं क भागादशान क सरमे स्वप्न पर त्रवशेषाॊक फक प्रस्तुसत फक गई हं । े े सबी ऩाठको क भागादशान मा ऻानवधान क सरए े े स्वप्न पर से सॊफॊसधत त्रवसबडन उऩमोगी जानकायी इस अॊक भं त्रवसबडन ग्रॊथो एवॊ सनजी अनुबवो क आधाय ऩय सॊकसरत की गई हं । जानकाय एवॊ त्रवद्रान ऩाठको से अनुयोध हं , मफद े स्वप्न पर से सॊफॊसधत त्रवषम भं सभम, स्थान, वस्तु, स्स्थसत इत्माफद क सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भं, फडजाईन भं, े टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाशन भं कोई िुफट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रं मा फकसी मोग्म जानकाय मा त्रवद्रान से सराह त्रवभशा कय रे । क्मोफक जानकाय स्वप्न पर कथन कयने वारे एवॊ त्रवद्रानो क सनजी अनुबव व त्रवसबडन ग्रॊथो भं े वस्णात स्वप्न पर से सॊफॊसधत जानकायीमं भं एवॊ त्रवद्रानो क स्वमॊ क अनुबवो भं सबडनता होने क कायण स्वप्न पर े े े का त्रविाय कयते सभम स्वप्न कार की स्स्थसत इत्माफद क स्स्टक पर क सनणाम भं सबडनता सॊबव हं । े े सिॊतन जोशी
  • 6. 6 जुराई 2012 ***** स्वप्न शकन से सॊफॊसधत त्रवशेष सूिना***** ु  ऩत्रिका भं प्रकासशत स्वप्न शकन से सम्फस्डधत सबी जानकायीमाॊ गुरुत्व कामाारम क असधकायं क साथ ही ु े े आयस्ऺत हं ।  स्वप्न शकन शास्त्र ऩय अत्रवद्वास यखने वारे व्मत्रि स्वप्न शकन क त्रवषम को भाि ऩठन साभग्री सभझ ु ु े सकते हं ।  स्वप्न शकन का त्रवषम शास्त्रोि होने क कायण इस अॊकभं वस्णात सबी जानकायीमा बायसतम शकन शास्त्रं ु े ु से प्रेरयत होकय सरखी गई हं ।  स्वप्न शकन से सॊफॊसधत त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जडभेदायी ु कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।  स्वप्न शकन से सॊफॊसधत बत्रवष्मवाणी फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जडभेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक ु नहीॊ हं औय ना हीॊ प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जडभेदायी क फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक े फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं ।  स्वप्न शकन से सॊफॊसधत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष को ु फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम उनका स्वमॊ का होगा।  स्वप्न शकन से सॊफॊसधत ऩाठक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी। ु  स्वप्न शकन से सॊफॊसधत रेख शकन शास्त्र क प्राभास्णक ग्रॊथो, हभाये वषो क अनुबव एव अनुशॊधान क ु ु े े े आधाय ऩय फद गई हं ।  हभ फकसी बी व्मत्रि त्रवशेष द्राया स्वप्न शकन ऩय त्रवद्वास फकए जाने ऩय उसक राब मा नुक्शान की ु े स्जडभेदायी नफहॊ रेते हं । मह स्जडभेदायी स्वप्न शकन ऩय त्रवद्वास कयने वारे मा उसका प्रमोग कयने वारे ु व्मत्रि फक स्वमॊ फक होगी।  क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ डं, साभास्जक, कानूनी सनमभं क स्खराप कोई व्मत्रि मफद नीजी स्वाथा े ऩूसता हे तु स्वप्न शकन का प्रमोग कताा हं अथवा स्वप्न शकन का सूक्ष्भ अध्ममन कयने भे िुफट यखता हं ु ु मा उससे िुफट होती हं तो इस कायण से प्रसतकर अथवा त्रवऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी सॊबव हं । ू  स्वप्न शकन से सॊफॊसधत जानकायी को भानकय उससे प्राद्ऱ होने वारे राब, हानी फक स्जडभेदायी कामाारम मा ु सॊऩादक फक नहीॊ हं ।  हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे स्वप्न शकन ऩय आधारयत रेखं भं वस्णात जानकायी को हभने सैकडोफाय स्वमॊ ु ऩय एवॊ अडम हभाये फॊधगण ने बी अऩने नीजी जीवन भं अनुबव फकमा हं । स्जस्से हभ अनेको फाय स्वप्न ु शकन क आधाय ऩय स्स्टक उत्तय की प्रासद्ऱ हुई हं । असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩक कय सकते हं । ु े ा (सबी त्रववादो कसरमे कवर बुवनेद्वय डमामारम ही भाडम होगा।) े े
  • 7. 7 जुराई 2012 स्वप्न ज्मोसतष  सिॊतन जोशी सोते सभम व्मत्रि को हो होने वारी अनुबूसतमं को स्वप्न कहा जाता हं । स्वप्न दे खते सभम अॊतय भन भं होने वारे अनुबवो को कि रोग भ्रभ से जोडते हं तो कि इसे वताभान कार, बूतकार तथा बत्रवष्मकार से जोड कय व्मत्रि ु ु क जीवन क साथ जोडने का कामा अनाफदकार से िरा आ यहा हं । क्मोकी त्रवद्रानो क भत से स्वप्न भं कि ना कि े े े ु ु एसी सभानता होती हं , जो व्मत्रि क व्मत्रिगत मा सभाजीक जीवन से भेर खाती हं । े हभाया भस्स्तष्क ज्मदा सभम तक स्जस त्रवषम की कल्ऩना कयता ये हता हं प्राम: हभे वह सफ स्वप्न भं फदखाइ दे ता हं । एवॊ ज्मादातय हभ स्वप्न क उन भहत्व ऩूणा बागं को बूर जाते हं जो हभाये जीवन क सरए त्रवशेष अथा यखते े े हं । सोते सभम दे खे जाने वारे कि स्वप्न बत्रवष्म क सूिक बी होते हं । बायतीम शकन शास्त्रं भं इन स्वप्नं क ु े ु े शुब-अशुब प्रबावं क फाये भं सत्रवस्ताय उल्रेस्खत फकमा गमा है । े बायतीम भाडमाता क अनुशाय ज्मादातय ब्रह्म भुहूता भं जो स्वप्न दे खे जाते हं , वह सि होते हं मा हभाये बत्रवष्म े भं होने वारी घटनाओॊ क ऩूवा आबास की सूिना प्रदान कयते हं । े स्वप्न भे दे खए गमे त्रवषमो क शुकन-अऩशुकन क फाये भे कोई ठोस प्रभाण नहीॊ होने क उऩयाॊत शकन शास्त्रं े े े ु भं अनेक प्रकाय क स्वप्नं की त्रवस्तृत जानकायी दे कय स्वप्न का असधक भहत्व फतामा गमा हं । शास्त्र भं वस्णात कई े जानकायीमा फहुउऩमोगी होने ऩय बी उससे प्राद्ऱ जानकाये से स्वप्न क फाये भं सही त्रवद्ऴेषण कयना इतना आसान नहीॊ े हं क्मोकी ज्मादातय भभरं भे व्मत्रि दे खे गमे स्वप्नो भं से कि एक त्रवषम को ही माद कय ऩाता हं एवॊ फाकी क ु े त्रवषमं को वह सही पर जानने से ऩेहरे ही सभम क साथ बूरा दे ता हं । इस सरमे स्वप्न क फाये ने त्रवद्ऴेषण कयना े े थोडा़ कफठन हो जाता हं । कि भनोवैऻासनक का भत हं की स्वप्नं का हभायी वास्तत्रवक अवस्था से कोई सॊफॊध नहीॊ होता। रेफकन ु बायतीम त्रवद्रानं क भतानुशाय स्वप्नं का शुब-अशुब प्रबाव का हभाये जीवन ऩय सनस्द्ळत रुऩ से ऩड़ता हं । े भॊि ससद्ध दरब साभग्री ु ा हत्था जोडी- Rs- 370 घोडे की नार- Rs.351 भामा जार- Rs- 251 ससमाय ससॊगी- Rs- 370 दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550 इडद्र जार- Rs- 251 त्रफल्री नार- Rs- 370 भोसत शॊख- Rs- 550 धन वृत्रद्ध हकीक सेट Rs-251 GURUTVA KARYALAY Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785, Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
  • 8. 8 जुराई 2012 स्वप्न द्राया जाने धनप्रासद्ऱ क मोग े  सिॊतन जोशी स्वप्न भं दे वी-दे वता क दशान होने से धन राब क साथ सपरता दशााता है । े े स्वप्न भं गाम का दध सनकारना म सनकारते दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े ू े सपद घोडे को दे खना धन की प्रासद्ऱ एवॊ उज्जवर बत्रवष्म का सॊकत है । े 100 से असधक स्वप्न भं नीरकण्ठ मा सायस ऩऺी को दे खना धन राब एवॊ याज सम्भान फक प्रासद्ऱ का सॊकत है । े स्वप्न भं कदम्फ क वृऺ को दे खना धन प्रासद्ऱ, स्वास््म राब, याजसम्भान प्रासद्ऱ े जैन मॊि का सॊकत है । े हभाये महाॊ जैन धभा क सबी प्रभुख, े स्वप्न भं कानं भं फारी मा धायण फकमे दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े दरब एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ु ा स्वप्न भं नृत्म कयती स्त्री/कडमा को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) स्वप्न भं फकसान को खेत भं काभ कयते दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े भे उऩरब्ध हं । स्वप्न भं भृत ऩऺी को दे खना आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े स्वप्न भं जरता हुवा दीऩक दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े हभाये महाॊ सबी प्रकाय क मॊि कोऩय े स्वप्न भं स्वणा को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े ताम्र ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ड स्वप्न भं िूहं को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े (सोने) भे फनवाए जाते है । इसके स्वप्न भं सपद िीफटमाॉ दे खना धन राब का सॊकत है । े े अरावा आऩकी आवश्मकता अनुशाय ू स्वप्न भं कारे त्रफच्ि को दे खना धन राब का सॊकत है । े आऩक द्राया प्राद्ऱ (सिि, मॊि, फड़ज़ाईन) े स्वप्न भं नेवरे का को दे खना हीये -ज्वाहयात फक प्रासद्ऱ का सॊकत है । े क अनुरुऩ मॊि बी फनवाए जाते है . े स्वप्न भं भधुभक्खी का ित्ता दे खना धन राब का सॊकत है । े गुरुत्व कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे स्वप्न भं सऩा को पन उठामे दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े गमे सबी मॊि अखॊफडत एवॊ 22 गेज स्वप्न भं हाथी को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े शुद्ध कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 टि शुद्ध स्वप्न भं भहर को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े ससरवय (िाॊदी) एवॊ 22 कये ट गोल्ड े स्वप्न भं तोते को खाते दे खना प्रफर धन प्रासद्ऱ क मोग का सॊकत है । े े (सोने) भे फनवाए जाते है । मॊि क त्रवषम े स्वप्न भं अॊगुरी भं अॊगूठी ऩहनं हुवे दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े भे असधक जानकायी के सरमे हे तु स्वप्न भं आभ का फसगिा दे खना आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े स्वप्न भं सऩा को त्रफर क साथ दे खना आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े े सम्ऩक कयं । ा स्वप्न भं गाम क दशान होने से अत्मडत शुब होता हं , व्मत्रि को मश, े GURUTVA KARYALAY वैबव एवॊ ऩरयवाय वृत्रि से राब प्राद्ऱ होती है । Call us: 91 + 9338213418, 91+ स्वप्न भं ऩवात औय वृऺ ऩय िढ़ते दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े 9238328785 स्वप्न भं गौ दग्ध, घी, पर वारे वृऺ दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । ु े Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, स्वप्न भं आॊवरे औय कभर को दे खना धन प्रासद्ऱ का सॊकत है । े Visit Us: http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
  • 9. 9 जुराई 2012 त्रववाह से सॊफॊसधत स्वप्न  सिॊतन जोशी कि प्रकाय क स्वप्न एक त्रवशेष प्रकाय का पर दे ते हं । आऩक भागा दशान क सरमे ज्मोसतष क ग्रॊथो भं उल्रेस्खत दाॊऩत्म जीवन ु े े े े एवॊ प्रेभ-प्रसॊगं से सम्फॊसधत स्वप्न पर का त्रविाय महा दशााएॊ गएॊ हं ।  स्वप्न शास्त्र क अनुसाय नीॊद भं फदखाई दे ने वारे सऩनं से बी प्रेभ त्रववाह होने मा ना होने क सॊकत प्राद्ऱ होते हं । े े े  रडकी का स्वप्न भं फकसी सिफडय़ा को िहिहाती हुई दे खना प्रेभ त्रववाह होने का सॊकत हं । े  रड़की का स्वप्न भं स्वमॊ को त्रफस्तय ऩय िद्दय त्रफिाते हुए दे खना फकसी से जल्दी प्रेभ होने का मा अऩना प्रेभ त्रववाह होने का सॊकत हं े  स्वप्न भं स्वमॊ को सॊगीत सुनते हुए दे खना प्रेभ सॊफॊध भं सपरता प्रासद्ऱ का सॊकत हं । े  स्वप्न भं सकस जेसी कराफाजी दे खना उसक प्रेभ भं कोई तीसया व्मत्रि दखर दे ने का सॊकत हं । ा े े  स्वप्न भं प्रणम दृश्म दे खना प्रेभ सॊफॊध भं ऩये शासन आने क सॊकत हं । े े  स्वप्न भं हीये -जवाहयात मा हीये क आबूषण उऩहाय भं प्राद्ऱ होते दे खना दाॊऩत्म जीवन भं ऩये शासनमाॊ आसकती हं । े  स्वप्न भं सोने क आबूषण दे खना सभृद्ध ऩरयवाय भं त्रववाह होने का सॊकत हं । े े  स्वप्न भं फाजाय भं घुभते दे खे दे खना भनऩसॊद जीवन साथी प्राद्ऱ होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं शव दे खना गृहस्थ जीवन भं सॊकटं क आने का सॊकत हं । े े  स्वप्न भं स्वमॊ को सुयॊग भं दे खना प्रेभ सॊफॊध अथवा वैवाफहक जीवन ऩये शासनमाॊ आसकती हं ।  स्वप्न भं सुॊदय कराकायी वारे वस्त्र दे खना सुॊदय औय सुशीर जीवन साथी प्राद्ऱ होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं स्वमॊ को नािते दे खना शीघ्र त्रववाह होने का औय वैवाफहक सुख भं वृत्रद्ध होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं सुॊदय स्त्री की साड़ी दे खना अऩने प्रेभ ऩाि से शीघ्र सभरने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं सुॊदय रड़की से भस्ती कयते दे खना औय रड़की को हॊ सते दे खना बोग त्रवरास प्राद्ऱ होने का सॊकत हं । े  सऩने भं कऩड़े खोरते दे खना प्रेभ औय स्त्री सुख स्त्री सुख प्राद्ऱ होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं स्वमॊ को शहद का सेवन कयते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं स्वमॊ को हवाई जहाज िराते हुए दे खना त्रववाह होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं स्वमॊ को करा खाते दे खना प्रेभ एवॊ वैवाफहक जीवन क सरमे अशुब सॊकत हं । े े े  स्वप्न भं स्वमॊ को कगन ऩहनने दे खना शीघ्र वैवाफहक फॊधन भं फॊधने का सॊकत हं । ॊ े  स्वप्न भं स्वमॊ को भॊफदय अथवा ऩूजा स्थान ऩय ऩूजा-अिाना कयते दे खना प्रेभ त्रववाह भं सपर होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं अऩनो से सॊफॊध टू टते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं फकसी बवन मा भहर से फाहय आते दे खना सगाई टू ट ने का सॊकत हो सकता हं । े  स्वप्न भं अऩने प्रेभी, ऩसत- ऩत्नी को अडम क साथ भं अनैसतक सॊफॊध फनाते दे खना अच्िे िरयि क जीवन साथी प्राद्ऱ होने का सॊकत हं । े े े  स्वप्न भं अऩने प्रेभी क साथ भं पूरं क फगीिं भं घूभते- े े फपयते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का औय सुखी दाॊऩत्म जीवन का सॊकत हं । े
  • 10. 10 जुराई 2012  स्वप्न भं फैर को ऩानी ऩीता दे खना दाॊऩत्म जीवन भं सपरता का सॊकत हं । े  स्वप्न भं कवर फडे बवन अथवा त्रफल्री को दे खना प्रेभ सॊफॊधो भं ऩये शानी आने का सॊकत हं । े े  स्वप्न भं फकसी का त्रववाह होते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं फकभती आबूषण खोते दे खना दाॊऩत्म जीवन भं ऩये शानी आने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं नुफकरे हसथमाय दे खना ऩारयवारयक जीवन भं क्रेश होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं फकभती भं अॊगूठी उऩहाये भं प्राद्ऱ होते दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं िभकते कऩडे दे खना भान सम्भान भं वृत्रद्ध एवॊ शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं कयी खाते दे खना त्रवधवा मा त्रवधुय से त्रववाह होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं गुड्डे -गुफडमा दे खना शीघ्र ही त्रववाह होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं उडती सततरी ऩास आते दे खना प्रेभ त्रववाह भं सपरता का सॊकत हं । े  स्वप्न भं उडती सततरी दय जाते दे खना वैवाफहक जीवन भं ऩये शानी सॊकत हं । ू े  स्वप्न भं नीरकठ दे खना त्रववाह होने का सॊकत हं । ॊ े  स्वप्न भं फकसी को प्रेभ प्रस्ताव यखते दे खना शादी भं त्रवरॊफ होने का सॊकत हं । े  स्वप्न भं यॊ गफी-यॊ गे परं से बया फगीिा दे खना प्रेभ त्रववाह भं सपरता का सॊकत हं । ू े  स्वप्न भं अऩने शयीय ऩय बस्भ रगाते दे खना शीघ्र ही त्रववाह एवॊ गृहस्थ सुख भं वृत्रद्ध का सॊकत हं । े  स्वप्न भं जरती भोभफत्ती दे खना शीघ्र ही त्रववाह का सॊकत हं । े  स्वप्न भं यसीरे पर खाते दे खना शीघ्र ही त्रववाह का सॊकत हं । े  स्वप्न भं सुऩायी दे खना शीघ्र ही त्रववाह का सॊकत हं । े  स्वप्न भं फहयन दे खना शीघ्र त्रववाह एवॊ धन राब का सॊकत हं । े  स्वप्न भं कतरी क पर दे खना दाॊऩत्म जीवन सुख-शाॊसत का सॊकत हं । े े ू े असरी 1 भुखी से 14 भुखी रुद्राऺ गुरुत्व कामाारम भं सॊऩणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ असरी 1 भुखी से 14 भुखी तक क रुद्राऺ उऩरब्ध हं । ू े ज्मोसतष कामा से जुडे़ फॊध/फहन व यत्न व्मवसाम से जुडे रोगो क सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यत्न, उऩयत्न ु े मॊि, रुद्राऺ व अडम दरब साभग्रीमाॊ एवॊ अडम सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं । रुद्राऺ क त्रवषम भं असधक ु ा े जानकायी क सरए कामाारम भं सॊऩक कयं । े ा त्रवशेष मॊि हभायं महाॊ सबी प्रकाय क मॊि सोने-िाॊफद-ताम्फे भं आऩकी आवश्मिा क अनुशाय फकसी बी बाषा/धभा े े क मॊिो को आऩकी आवश्मक फडजाईन क अनुशाय २२ गेज शुद्ध ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रवशेष े े सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं । असधक जानकायी क सरए कामाारम भं सॊऩक कयं । े ा GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
  • 11. 11 जुराई 2012 स्वप्न औय योग  सिॊतन जोशी  स्वप्न भं मफद अभरतास क पर फदखे तो ऩीसरमा मा कोढ़ का योग होने की सॊबावना होती हं । े ू  स्वप्न भं मफद अॊजन अथाात काजर फदखे तो नेि योग होने की सॊबावना होती हं ।  स्वप्न भं मफद अयहय खाते दे खना ऩेट ददा का सूिक हं ।  स्वप्न भं मफद अिाय, ऩऩीता, अयफी, कद ू दे खना ससय ददा औय ऩेट ददा होने क सॊकत हं । मफद अऩना ऩेट े े फढाहुआ नझय आमे तो ऩेट से सॊफॊसधत ऩये शानी का सूिक हं ।  स्वप्न भं मफद अॊग यऺक फदखे तो गॊसबय िोट रगने का खतया होता हं ।  मफद स्वप्न भं जरती हुई अगयफत्ती, स्वमॊ को उड़ते, कोई कायखाना दे खना आकस्स्भक दघटना का सॊकत हं । ु ा े  स्वप्न भं मफद अॊगायं ऩय िरते, आक का ऩौधा मा पूर, पॊसा हुआ िूहा, उड़ती हुई वाष्ऩ दे खना शायीरयक कद्श होने क सॊकत हं । े े  मफद स्वप्न भं फकसी प्रकाय की ऩुफडमा फॊधते, पूटी आॉख फदखे तो महॊ शायीरयक कद्श भं वृत्रद्ध क सॊकत हं । े े  मफद स्वप्न भं इद्श भूसता िोयी फदखना भृत्मुतुल्म कद्श होने क सॊकत हं । े े  मफद स्वप्न भं फदखे तो उऩवन, करी, कम्फर, कसयत कयते, ऩोशाक ऩहनना, योटी खाना मा ऩकाना, वासागय सूखता, ित्त से सगयते साॊऩ, नकाफ रगाते, गभा ऩानी का झयना, ऩीरे यॊ गका झॊडा, दल्हा /दल्हन फायात, ऩॊजीयी ू ु खाना, त्रवषैरे जीव, खारी खाट दे खना फीभायी की ऩूवा सूिना क सॊकत हं । े े  िॊिर आॉखे दे खना  मफद स्वप्न भं फदखे तो कॊघी दे खना दाॊत मा कान भं ददा औय आकस्स्भक िोट रगने का सॊकत हं । े  मफद स्वप्न भं घय भं आग, तयाजू भं तुरता साभान, फादाभ खाता, हकीभ-वैद्य, स्वमॊ को बूसभ ऩय, भखभर ऩय फैठे, सोना, शयीय की भासरश, आईना, गीरी वस्तु, फदखे तो फीभायी फढने क सॊकत हं । े े  मफद स्वप्न भं सेवा कयवाना, सोरह श्रृगाय, ऩीरा यॊ ग, त्रऩजया दे खना, ऩारकी फदखे तो स्वास््म खयाफ होने क ॊ े रऺण हं । शादी सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩक रडक-रडकी फक आऩकी शादी भं अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनक वैवाफहक े े े जीवन भं खुसशमाॊ कभ होती जायही हं औय सभस्मा असधक फढती जायही हं । एसी स्स्थती होने ऩय अऩने रडक-रडकी फक कडरी का अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनक वैवाफहक सुख को कभ कयने े ॊु े वारे दोषं क सनवायण क उऩामो क फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं । े े े GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
  • 12. 12 जुराई 2012  मफद स्वप्न भं अऩना कद रम्फा फदखे मा सूमा िडद्र आफद का त्रवनाश होता फदखे तो भृत्मुतुल्म कद्श होने का सॊकत हं । े  मफद स्वप्न भं कभॊडर फदखे तो ऩरयवाय क फकसी सदस्म से त्रवमोग होने का सॊकत हं । े े  मफद स्वप्न भं ऩीरे यॊ ग की गाम मा फैर दे खना बमॊकय भहाभायी आने क रऺण हं । े  मफद स्वप्न भं गयभ ऩानी दे खना फुखाय मा अडम फीभायी आने क रऺण हं । े  स्वप्न भं आकाश, ध्रुव ताया, ग्रहण, सूमा दशान औय स्वणा फदखे तो शायीरयक कद्श होने क सॊकत हं । े े  मफद स्वप्न भं शयी यफडे से िोटा व िोटे से फडा होते फदखे, हाथ से िरना, जानवयं की तयह िरना, भनुष्म क स्थान ऩय ऩशु मा ऩऺी आवाज सुनना, जॊगरी ऩत्ते-घास खाते दे खना स्वास््म से सॊफॊसधत सभस्माओॊ से े सभुस्खन होने का सॊकत हं । े  मफद स्वप्न भं कोई वस्तु पूटते दे खना, िीय-पाड आसध फदखाई दे तो शल्मफक्रमा अथाात ऑऩये शन का सॊकत हं । े स्वप्न औय उत्तभ स्वास््म क सॊकत े े ु  मफद स्वप्न भं अॊगूय, अजवाईन, िूयन, सयसं का साग, संठ खाते दे खना त्रफभायी से िटकाया औय स्वस््म राब होने का सॊकत हं । े  मफद स्वप्न भं शयीयका कोई कटा अॊग, खयंि, खुजरी, ताराफ भं तैयना, तोसरमा, दवा का सगयना, दऩट्टा, दे वी ु दशान, नभक, नीभ का व्रऺ, ऩयी, प्रसाद फाॉटना, फटु आ दे खना, अऩने बाई को दे खना, मभयाज दे खना, हयं यॊ ग े ु क कऩडे , शयफत दे खना, ऺभा-दान कयते, साफुन, हड्डी दे खना योग से िटकाया सभरने का सॊकत हं । े  मफद स्वप्न भं िूहे दानी से िूहा सनकरते दे खना योग, कद्श से भुत्रि क सॊकत हं । े े फदधाामु मोग  मफद स्वप्न भं अऩहयण, आत्भहत्मा, कपन, नय कॊकार, भीनाय, शभशान-कब्रस्तान, हत्मा मा अऩने ऩय हभरा होते दे खना आमु वृत्रद्ध क सॊकत हं । े े नोट: स्वप्न का पर दे खते सभम कवर यात्रि क उत्तयाद्धा क उऩयाॊत फदखाई दे ने वारे स्वप्न को ही बत्रवष्म का सॊकत े े े े सभझना िाफहमे। स्वप्न भं यत्न दशान स्वप्न भं भास्णक यत्न दे खना शत्रि तथा सत्ता भं वृत्रद्ध होने का स्वप्न भं नीरभ यत्न दे खना उडनत्रत्त होने का सॊकत हं । े सॊकत हं । े स्वप्न भं गोभेद यत्न दे खना अनावश्मक सभस्माएॊ आने का स्वप्न भं भोती यत्न दे खना भानससक शाॊसत सभरने का सॊकत हं । े सॊकत हं । े स्वप्न भं भूॊगा यत्न दे खना शिु ऩय त्रवजम सभरने का सॊकत हं । े स्वप्न भं रहसुसनमा यत्न दे खना – भान सम्भान फढ़ने का स्वप्न भं ऩडना यत्न दे खना व्मवसाम भं वृत्रद्ध होने का सॊकत हं । े सॊकत हं । े स्वप्न भं ऩुखयाज यत्न दे खना सुख-सौबाग्म फढ़ने का सॊकत हं । े स्वप्न भं फपयोज़ा यत्न दे खना व्मवसाम भं वृत्रद्ध होने का सॊकत े स्वप्न भं हीया यत्न दे खना आसथाक उडनसत होने का सॊकत हं । े हं ।
  • 13. 13 जुराई 2012 स्वप्न से सॊफॊसधत ऩौयास्णक भत  सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी क्मा स्वप्न सिऩाई गई इच्िाओॊ का शुब-अशुब सॊकतं क भाध्मभ से उसे अवगत कयने का े े प्रसतत्रफॊफ/ऩरयणाभ होते हं ? प्रमास कयती हं । इसी सरए त्रवद्रानो का कथन हं की स्वप्न हभंशा सनयाधाय, सनयथाक व सनरुद्दे श्म नहीॊ होते हं , हजायं वषा ऩूवा हभाये त्रवद्रान ऋषी-भुसनमं एवॊ अनेको फाय इन स्वप्नं भं भहत्वऩूणा व प्रेयणादामक आिामं नं मह फात ससद्ध कय फद थी की असधकतय सॊकत सनफहत होते हं , ससप आवश्मिा हं उन सॊकतो को े ा े स्वप्न भनुष्म की सिऩी हुई इच्िाओॊ का प्रसतत्रफॊफ मा त्रवस्ताय से सभझने की। इसतहास बी इस फात का गवाह ऩरयणाभ होते हं । इस फात को आज क आधुसनक मुग क े े हं की अफतक हुए अनुशॊधान भं हभाये सभऺ अनेको त्रवद्रान एवॊ वैऻासनक बी भानते हं । उदाहयण आते यहे हं की स्वप्न भं फकसी व्मत्रि त्रवशेष ू को अनेकं फाय गूढ़ यहस्मभम सॊकत िऩे सभरे व कई े हजायं वषा ऩूवा ही हभाये त्रवद्रान ऋषी-भुसनमं ने फाय मह स्वप्न उनक बत्रवष्म की भहत्वऩूणा घटनाओॊ क े े अऩने मोग फर एवॊ शोध से मह बी ऻात कय सरमा था सूिक बी यहे हं । की स्वप्न भं व्मत्रि क जीवन से जुडे़ गूढ़ यहस्म जो े प्रत्मऺ औय ऩयोऺ सॊकत क रुऩ भं सिऩे होते हं । े े स्वप्नशास्त्र की भूर ग्रॊथो भं स्वप्नो क सात े त्रवद्रानं का कथन हं की मफद स्वप्नं को अस्च्ि प्रकाय होने का उल्रेख सभरता हं । तयह से सभझकय उनका सूक्ष्भ अध्ममन फकमा जाए तो उससे अनेक प्रकाय क राब व्मत्रि को सन्सॊदेह ही प्राद्ऱ े दृद्श् श्रुतोऽनुबतद्ळ प्रासथात् कस्ल्ऩतस्तथा । ू हो सकता हं । क्मोफक अफतक हुवे शोध क अनुशाय स्वप्न े बात्रवको दोषजश्िेसत स्वप्न् सद्ऱत्रवधो भत् भं फदखाई दे ने वारे दृश्मं से शुब-अशुब दोनं तयह के सॊकत प्राद्ऱ होते हं , मह सॊकत स्वप्न दृद्शा व्मत्रि क े े े 1. दृद्श जीवन की भहत्वऩूणा घटनाओॊ से जुड़े हो सकते हं । जो दृश्म जागृत अवस्था भं दे खे जाते हं उसी से सॊफॊसधत दृश्म को स्वप्न भं दे खना दृद्श स्वप्न कहराते हं । सयर बाषा भं स्वप्न क्मं आते हं मह जानने का प्रमास कयने ऩय मह ऻात होता हं की जफ यात नीयवता हो मा फदन भं शाॊसत का वातावयण हो, तफ भनुष्म का 2. श्रुत अविेतन भन सशसथर हो जाता हं , जफ भनुष्म की िेतना फकसी से सुनी हुई फातं से सॊफसधत दृश्म को स्वप्न भं ॊ शत्रि सशसथर हो जाती हं तो वह उत्तेजना यफहत होता हं दे खना श्रुत स्वप्न कहराते हं । तफ भनुष्म का भन स्वबावीक रुऩ से अऩने जीवन भं बूत-बत्रवष्म आफद भं घफटत होने वारे घटना क्रभं को 3. अनुबत ू दे खने की ऺभता अस्जात कय रेता हं । व्मत्रि की इस जागृत अवस्था क दौयान अनुबव की हुई फातं को स्वप्न े अद्भत ऺभता क कायण ही प्रकृ सत सभम-सभम ऩय उसे ु े भं दे खना अनुबूत स्वप्न कहराते हं ।
  • 14. 14 जुराई 2012 4. प्रासथात फड़ा पर दे ता हं , औय स्जस स्वप्न को दे खने क फाद भं े मफद व्मत्रि ने अऩनी जागृत अवस्था भं फकसी प्राथाना- ऩुन् सनद्रा नहीॊ आती औय जो स्वप्न प्रसतकर विनो से ू वस्तु की इच्िा की हो उस से सॊफॊसधत दृश्म को स्वप्न उऩहत अथाात प्रबात्रवत नहीॊ होता उसका बी उसी फदन भं दे खना प्रासथात स्वप्न कहराते हं । फहुत फड़ा पर (शुब-अशुब पर सॊफॊसधत व्मत्रि को) प्राद्ऱ होता हं । 5. कस्ल्ऩत नोट् कि त्रवद्रानो का भानना हं की कवर ु े मफद व्मत्रि ने अऩनी जाग्रतावस्था भं फकसी की कल्ऩना बात्रवक स्वप्नो का प्रबाव ही त्रवशेष रुऩ से व्मत्रि की हो उस से सॊफॊसधत दृश्म को स्वप्न भं दे खना कस्ल्ऩत स्वप्न कहराते हं । क जीवन ऩय होता हं । े 6. बात्रवत ग्रॊथकायं ने स्वप्न क पर प्रासद्ऱ भं सॊबॊत्रवत े स्जसे व्मत्रि ने न कबी दे खा हो औय नाहीॊ सुना हो, सभम को दशााते हुए कहा हं । रेफकन जो बत्रवष्म भं घफटत होने वारा हो वह बात्रवक स्वप्न कहराते हं । यात्रि क त्रवसबडन प्रहय क अनुसाय स्वप्न पर: े े  यात्रि क ऩहरे प्रहय जो स्वप्न दे खे जाते है उसका े 7. दौषज। पर एक वषा भं सभरता हं । वात, त्रऩत्त औय कप से त्रवकृ त हो जाने ऩय फदखाई दे ने  यात्रि क दसये प्रहय भं दे खे गए स्वप्न का पर े ू वारे स्वप्न को दोषज कहाजाता हं । आठ भाह भं सभरता हं , फकसी आिामं नं सात भाह (भुसन िडद्रसेन) तो फकसी ने ि् भाह कहं तेष्वाद्या सनष्परा् ऩञ्ि मथास्वप्रकृ सतफदा वा । हं । त्रवस्भृतो दीघाह्रस्वोऽसत ऩूवयािे सियात्परभ ् ा  यात्रि क तीसये प्रहय भं दे खे गए स्वप्न का पर े दृद्श् कयोसत तुच्िॊ ि गो सगे तदहभाहत ् । तीन भाह भं सभरता हं । सनद्रमा वाऽनुऩहत् प्रतीऩैविनैस्तथा ा  यात्रि क िैथे प्रहय भं दे खे गए स्वप्न का पर एक े भहीने भं सभरता हं । वयाहसभफहय क भत से िैथे े अथाात: उि सात प्रकाय क स्वप्नं भं से ऩहरे ऩाॊि े प्रहय क स्वप्न 16 फदनं भं पर दे ते हं । े स्वप्न तो सनष्पर (अथाात शुब-अशुब परं से यफहत)  यात्रि क अॊत अथाात ब्रह्म भुहूता भं दे खे गए स्वप्न े होते हं , औय जो स्वप्न वाताफद प्रकृ सत क अनुसाय होते हं , े का दश फदन भं पर दे ते हं । फदन भं आते हं , बूर जाते हं , फहुत रम्फे मा फहुत िोटे  सूमोदम से ऩूवा दे खे गमे स्वप्न असतशीघ्र पर होते हं वे सफ सनष्पर होते हं । अॊसतभ दो प्रकाय के दे ते हं । स्वप्न (अथाात बात्रवक तथा दोषज) का पर अवश्म  मफद कोई व्मत्रि एक ही यात भं शुब-अशुब दोनं सभरता हं वह बी जो स्वप्न यात्रि की ऩूवा बाग भं फदखते तयह क स्वप्न दे खता हं तो पर कथन क सभम े े हं उनका पर सिय कार क ऩद्ळात होता हं तथा स्वल्ऩ े कवर ऩीिे वारे स्वप्न से ही पर का सनणाम े पर होता हं , औय प्रात् कार का स्वप्न उसी फदन फहुत कयना िाफहए।