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लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com 
मिहलाओंके साथ दुराचार के कारण और िनवारण
नाि त भायार् बंधुनार्ि त भायार्-समा गित:।
नाि त भायार्समो लोके सहायो धमर् संग्रहे॥
-वेद यास (महाभारत, शांित पवर्)
अथार्त् संसार म ी के समान कोई बंधु नहीं है, ी के समान कोई आ य नहीं है और धमर्-
संग्रह म भी ी के समान कोई दूसरा नहीं है।
यत्र नायर् तु पू यंते रमंते तत्र देवता।
यत्रैता तु न पू यंते सवार् तत्राफला: िक्रया॥
-मनु मृित 3/56
अथार्त् िजस घर म ि य का आदर होता है, उस घर म िद य गुण वाली उ म संतान पैदा
होती है और िजस कुल म ि य का आदर नहीं होता है वहाँ सभी िक्रयाएँ िन फल हो जाती
ह।
वेद म नारी को ब्र ा की पदवी प्रा करने का उपाय बताया है –
अध: प य व मोपिर संतरा पादकौ हर।
मा ते कश लकौ हशं ी िह ब्र ा बभूिवथ॥
-ऋगवेद 8/33/19
अथार्त् हे नारी तुम नीचे देखकर चलो। यथर् म इधर-उधर की व तुओंतथा यिक्तय को मत
देखती रहो। अपने पैर को सावधानी तथा स यता से रखो। व इस प्रकार के पहनो िक ल जा
के अंग ढके रह। इस प्रकार उिचत आचरण करती हुई तुम िन य ही ब्र ा की पदवी पाने योग्य
बन सकती हो।
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महाकिव वयम् भू के जैन महाका य पदम चिरउ म ी को संसार की सबसे बड़ी उपलि ध
कहा गया है।
तं जो वणु तं मुह-कमलु तं सुरउ सवट्टण ह थउ।
जेण णं मािणउ-ए थु जगे तहो जोिवउ स वु िणर थउ॥
अथार्त् यौवन के पूणर् कमल से मुख वाली शृंगार युक्त सुंदर हाथ वाली ी को िजसने जग
म नहीं समझा उसका जीवन यथर् है।
वैिदक संिहता काल म नारी को पु ष की अधािगनी कहा गया है। शतपथ-ब्रा ण म तो यहाँ
तक कहा गया है िक ‘नारी नर की आ मा का आधा भाग है’। नारी की उपलि ध के िबना नर
का जीवन अधूरा है। इस अधूरेपन को दूर करने के िलए संतान की आव यकता पड़ती है,
िजसका मात्र साधन प नी है।
एक माता एवं सहचरी के प म ी अतुलनीय है। आ म-िवकास के पथ पर सां कृितक
िवकास म उसका सहयोग सराहनीय है। शा म नारी को नारायणी कहकर अलंकृत िकया
गया है। नारी को वेद पढ़ने, यज्ञोपवीत और यज्ञ करने का पूणर् अिधकार है। इसके साथ ही
भारतीय सं कृित म वह वयंवर िववाह पद्धित और गंधवर् िववाह के िलए पिरवार और समाज
की सहमित से वतंत्र थी। पु ष का जब तक इस समता और ममता का यान बना रहा तब
तक उसने कभी नारी को हीन भावना से नहीं देखा।
म यकाल म सामंत शाही अहंकार के साथ दुबर्ल का समथ द्वारा शोषण करने का जंगली
क़ानून चला तो इस चपेट म नारी भी आ गयी। नारी जाित को सामूिहक प से हेय, पितत,
या य, पातकी, अनिधकारी व घृिणत ठहराया गया। उस िवचारधारा ने नारी के मनु योिचत
अिधकार पर आक्रमण िकया और पु ष की े ता एवं सुिवधा का पोषण करने के िलए
अनेक प्रितबंध लगाकर शिक्तहीन, साहसहीन, िवद्या हीन बना िदया, इस कारण नारी समाज
के िलए उपयोगी िसद्ध होना तो दूर आ मरक्षा के िलए दूसर पर मोहताज हो गयी। पुरोिहत
ने शोिषत और शोषक को अपना-अपना भाग्य, ई र की इ छा, िविध का िवधान आिद
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कहकर यथाि थित अपनाये रखने के िलए रज़ामंद िकया। इस स ा मक यव था म अपनी
इ छाओं और वाथ की पूितर् हेतु, दया, माया, ममता, सेवा, याग, क णा आिद गुण से
िवभूिषत होते हुए भी नारी को ‘प्राणी के थान पर पदाथर्’ अिधक समझा गया। तब से
लेकर नारी अब तक नारी चरण की दासी बनकर रह गयी और नारी के िलए सवर्शिक्तमान,
कतार्, भतार्, हतार्, पित परमे र बना चला आ रहा है।
19वीं शता दी म समाज सुधारक ने नािरय की ि थित पर िचंतन िकया। सुधार आंदोलन
म ी के अि त व को प्रमुखता देने हेतु िवचार व कायावयन शु हुआ। समाज व देश के
उ थान के िलए नारी के िलए नारी के सहयोग का बहुत मह व है, वह िनमार्ण यज्ञ म प्रधान
भूिमका रखती है। समाज म हुए असाधारण पिरवतर्न के कारण नारी पुन: पु ष की सहचरी
बनी, वह अब अचल स पि मात्र नहीं है।
20वीं शता दी म समाज म आिथर्क, सामािजक व तकनीिक तर पर बड़े बदलाव हुए। इसम
पु ष के साथ-साथ मिहलाओंने भी अपना योगदान िदया।
मिहलाओंद्वारा प्रा अभूतपूवर् सफलताएँ िन न प्रकार से है:
देश की पहली (व िव की दूसरी) मिहला प्रधानमंत्री – इंिदरा गाँधी
पहली मिहला लेि टनट जनरल – पुनीता अरोड़ा
िचिक सा सेवा (वायु सेवा) – माशर्ल पद्मावती बंद्योपा याय
िवज्ञान व पयार्वरण कद्र अ यक्ष – सुनीता नारायण
देश की सबसे अमीर मिहला – िकरण मजूमदार शॉ (बायोकोन)
िव सुंदिरयाँ – सुि मता सेन, ऐ यार् राय, िप्रयंका चोपड़ा
िकं तु बड़े अफ़सोस की बात है िक एक ओर जहाँ मिहलाएँ इतना कुछ कर रही ह वहीं दूसरी
ओर एक वगर् वह भी है जो िक आज तक समाज की कुरीितय और दिरंदगी के नीचे दबा
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कुचला है। इतनी बदलाव की उ मीद के बावजूद भी रोज़ अख़बार म मिहलाओंपर हो रहे
शोषण को उजागर िकया जा रहा है।
‘थामसन रॉयटसर् फ़ाउंडेशन’ की क़ानूनी समाचार सेवा ‘ट्र ट लॉ’ ने जो सवेर् कराया है,
उसके अनुसार मिहलाओंका सबसे बुरा हाल िन न देश म है:
1. अफ़गािन तान
2. कॉ गो
3. पािक तान
4. भारत
5. सोमािलया
इस तािलका म हम चौथे थान पर ह। यह दशार्ता है िक हम उ नित के िकस िशखर की ओर
अग्रसर ह, िजसका गुणगान व बखान हम करते नहीं थकते ह। उ र प्रदेश म जो हालात ह वे
हम इस तािलका म ऊपर ही लेते जायगे। वैसे हम यह जानकर आ मग्लािन होनी चािहए की
हम पहले पाँच देश म से एक ह।
मिहलाओं, क याओं, बािलकाओं, बि चय , नवजात िशशुओंके साथ होने वाले दु यर्वहार
अग्र िलिखत ह –
 भ्रूण ह या/ क या भ्रूण ह या
 िलंग भेद
 कम आयु म िववाह/ बाल िववाह
 छेड़खानी/ तेज़ाब डालना
 यौन उ पीड़न व िहंसा
 बला कार व सामूिहक बला कार
 ऑनर िकिलंग/ पिरवािरक स मान के िलए ह या
 मानिसक उ पीड़न
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 नाबािलग और बािलग लड़िकय की त करी/ देह यापार
 दहेज व ह या
 घरेलू िहंसा
 िवधवा दहन
भ्रूण ह या के कारण –
1. ी-पु ष दोन वग की पुत्र लालसा
2. बढ़ता हुआ यिभचार
3. चिरत्र पतन व हनन
4. कुछ लोग बेटी का िपता बनने म शमर् महसूस करते ह
5. दहेज प्रथा व शादी के बाद तीज यौहार पर होने वाले खचर्
6. सामािजक पिरवेश; घरेलू िहंसा, वासना मक िनगाह
बेटी के िपता होने की िचंता को पंचतंत्र म कुछ यूँ यक्त िकया गया है –
पुत्रीित जाता महतीह िचंता, क मै प्रदेयित महान िवतकर् :।
द वा सुख प्रा यित वा न देती, क या िपतृ व खलु नाम क मद्ध॥
अथार्त् एक क या का ज म लेना बड़ी िचंता की बात है। िपता को बेटी की सदैव िचंता रहती
है। बेटी का िववाह िकसके साथ होगा तथा िववाह के बाद वह सुख पायेगी अथवा दुःख
झेलेगी। क या का िपता होना सचमुच दुखपूणर् है।
िनदान – क या भ्रूण ह या को कम करने के िलए समाज म नयी चेतना लाने की आव यकता
है। इसके िलए हम अपनी मानिसकता म पिरवतर्न लाना होगा। िशिक्षत समाज का िनमार्ण
करना होगा। भ्रूण िलंग की जानकारी िकसी भी म ि थित म िकसी को न देने के सरकारी
क़ानून का स ती से पालन करना होगा। हम वयं अपनी लालसाओंऔर इस क्षेत्र म या
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भ्र ाचार को समथर्न देना बंद करना होगा। िढ़वादी पर पराओंजैसे वधु पक्ष का मह व वर
पक्ष से कम होता है, को अपने मन से िनकालना होगा।
िलंग भेद के कारण –
1. लड़के व लड़की म अंतर करना
2. चलती आ रही सामािजक कुरीितयाँ व िवकृत सोच
3. अिशक्षा
4. सकारा मक सोच का अभाव – लड़िकयाँ वंश आगे नहीं बढ़ातीं
5. लड़िकय को लड़क की अपेक्षा कमज़ोर समझना
िनदान – िलंग भेद को समा करने के िलए समाज म जाग कता लाने की आव यकता है।
हम अपने सोच व यवहार म धना मक पिरवतर्न लाने ह गे। िवकृत सोच व कुरीितय को जड़
से उखाड़ फकना होगा। िशक्षा के प्रसार म अिधक गित लाने की आव यकता है। सकारा मक
सोच व आदशर् उदाहरण प्र तुत करने ह गे।
कम आयु म िववाह के कारण –
1. िनधर्नता
2. अिशक्षा
3. लड़की जैसे-जैसे बड़ी होगी उसके िलए वर ढूँढ़ना किठन होगा जैसी पुरानी सोच
4. िकसी िवपि / िवपरीत पिरि थित म लड़की को आ य िमलने की सोच
5. ज दी शादी करके सर का बोझ ह का करने की सोच
6. दहेज प्रथा; लड़की की उम्र के साथ दहेज की रकम बढ़ती है
िनदान – िनधर्नता को प्रमुखता के साथ समाज से दूर करना आव यक है। िशक्षा को ऐसी
जगह पर प्रमुखता के साथ पहुँचाने की आव यकता है जहाँ बाल-िववाह जैसी कुप्रथा अभी
तक प्रचलन म है। लड़िकय की शादी कम उम्र म करने की बजाय उ ह वावलंबी बनाने की
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आव यकता है। लड़की सर का बोझ हैइस मानिसकता का याग करने की परम आव यकता
है।
छेड़खानी/तेज़ाब डालना जैसी घटनाओंके कारण –
1. एक तरफ़ा प्रेम व आकषर्ण; मानिसक िवकार
2. यार म धोखा
3. िकसी अपमान का बदला लेने की ि थित म
4. मनोरंजन के िलए; िवकृत मानिसकता
5. शराब या अ य नशे की ि थित म
6. परेशान करने के िलए
िनदान – लड़िकय को िशक्षा के साथ-साथ आ मरक्षा एवं संयम के गुण िसखाने चािहए।
छेड़खानी जैसी बात को पहले चरण म ही दबाने का प्रयास पुिलस व क़ानून द्वारा िकया जाना
चािहए। लड़िकय को उनके अंदर या डर से मुिक्त िदलाने की आव यकता हैक्य िक बहुत-
सी लड़िकयाँ छेड़खानी करने वाले लड़क या पु ष द्वारा डरायी जाती ह। उ ह और उनके
पिरवार को समाज म अपनी बदनामी का डरा लगा रहता है। इसके िलए उनम पिरवार और
िमत्र द्वारा सहयोग पर िव ास जागृत करना चािहए।
यौन उ पीड़न व िहंसा के कारण –
1. इसका सबसे बड़ा कारण मानिसक िवकृित ही है िजसम कोई भी पु ष ी को मात्र
भोग व िवलािसता की व तु समझने लगता है।
2. िकसी पूवर् घटना का बदला लेने के िलए
3. ी को प्रा करने की हवस/ लालच होना
4. नशाख़ोरी
िनदान – समाज म ऐसे िवकृत मानिसक िवकृत मानिसकता वाले लोग या ह तभी ऐसी
घटनाएँ िनत अख़बार म छपती ह। हम ि य / बािलकाओंको इस योग्य बनाना होगा िक वे
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समाज के इन भूखे भेिड़य को पहचान कर उनसे िनि त दूरी बनाये रख सक। इसके साथ
बािलकाओं म आ मरक्षा के िलए िवशेष प्रिशक्षण प्रा करने की भावना भी जागृत करनी
होगी। समाज से नशाख़ोरी को हटाना होगा इसके िलए हम शराब के ठेक की संख्या म कमी
लाने की आव यकता है। इसके िलए जन आंदोलन करना होगा व रा य सरकार द्वारा इस
समय मुनाफ़े से अिधक समाज के िवकास पर यान किद्रत करना होगा।
बला कार व सामूिहक बला कार के कारण –
1. मानिसक िवकार व िवकृित, एक तरफ़ा आकषर्ण/ हवस
2. बदले की भावना
3. नशाख़ोरी
4. नैितक व चािरित्रक गुण का अभाव
5. अिशक्षा
6. शिक्त व कुसीर् का दु पयोग
िनदान – बला कार व सामूिहक बला कार का िनदान रा य की सुरक्षा यव था म सुधार
द्वारा प्राथिमक प से स भव है। नशाख़ोरी को समाज से उखाड़ फकने की आव यकता है।
िकसी भी मनु य का बचपन से नैितक व चािरित्रक िवकास करना आव यक है, इसके िलए
िशक्षा म ऐसे गुण के िवकास पर िवशेष बल देने की आव यकता है। अपनी स ा म पहुँच व
दखल रखने वाले अपरािधय को कठोर से कठोर दंड देकर समाज म नये मानक थािपत
करने की ज़ रत है।
ऑनर िकिलंग (पािरवािरक स मान के िलए ह या) के कारण –
1. प्रेम िववाह
2. झूठी शान का िदखावा
3. सामािजक कुरीितयाँ
4. जाितवाद
5. धमर् वाद
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िनदान – जो वतंत्रता िकसी भी बािलग को क़ानून से प्रा है उसे सामािजक मा यता िदलाने
की आव यकता है। यिद समाज म जाित व धमर् को रहने भी द तो उसके मूल ‘प्रेम’ को
समझने, समझाने व वीकार करने की आव यकता है। ी को वही मान-स मान लौटाने की
आव यकता है जो वैिदक संिहता काल म प्रा था। इसके िलए िशक्षा व समाज सुधार की
अित आव यकता है।
मानिसक उ पीड़न के कारण –
1. ी को असहाय समझकर उसे हीन भावना से देखना
2. िलंग भेद
3. मानिसक िवकृित
4. ग़लत मनोभावना
5. बौिद्धक िवकास को बािधत करने के िलए
6. बदला लेने के िलए
िनदान – मानिसक उ पीड़न का िनदान ी वयं कर सकती है इसके िलए उसे चािहए िक
वह ऋणा मकता लाने वाले पु ष व पिरि थितय (दफ़तर या समूह ) से वयं को दूर रखे।
अपना आ मिव ास बढ़ाने पर बल दे। िवरोधी को उिचत समय पर उिचत जवाब दे, आज
वह इसम क़ानूनी मदद भी ले सकती है। मानिसक उ पीड़न की ि थित म ी की वयं पर
जीत शत्रु पर जीत से अिधक मह व रखती है।
इस िवषय म मुझे गुलज़ार की िलखी गुड्डी िफ़ म की एक प्राथर्ना याद आती है –
हमको मन की शिक्त देना मन िवजय कर
दूसर की जय से पहले ख़ुद को जय कर
नाबािलग व बािलग लड़िकय की त करी/ देह यापार के कारण –
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1. समाज म समथ द्वारा इसकी बढ़ती माँग
2. ी को भोग-िवलास की व तु समझना
3. िनधर्नता
4. लोभ और अपना िहत िसद्ध करने की भावना
5. िवपरीत पिरि थितयाँ
िनदान – देह यापार पर पंजा कसने व लड़िकय की अवैध त करी पर रोक लगाने के िलए
सरकारी िनयम व क़ानून यव था म सुधार लाने की आव यकता है। िनधर्नता को समाज से
हटाने के िलए देश म सभी के िलए रोज़गार की समुिचत यव था करने की आव यकता है
तािक लड़िकय और उनके पिरवार को कोई रोज़गार िदलाने के नाम पर धोखा न दे सके ।
लड़िकय की िशक्षा पर िवशेष बल देने की अित आव यकता है िजससे वे प्रेम व यिक्त की
परख करने म उिचत िनणर्य ले सक। समाज म एक-दूसरे की मदद व सहयोग की जन भावना
को िवकिसत करने की आव यकता है िजससे िवपरीत पिरि थितय म लड़िकयाँ ग़लत राह
का चुनाव न कर बि क अपने पैर पर खड़े होने पर बल द।
दहेज/ जहेज़ व ह या के कारण –
1. धन का अ यिधक लोभ
2. समाज म झूठी प्रित ा बढ़ाने / िदखावे का प्रयास
3. ी को नारी न समझकर ‘पदाथर्’ समझना
4. नशाख़ोरी व उधारी
5. िनधर्नता
िनदान – दहेज/ जहेज़ व ह या का िनदान मात्र मनु य का आ म िवकास है। इसके अभाव म
वह िदखावे व लोभ से कभी मुक्त नहीं हो सकता है। िशक्षा म अहम भूिमका िनभा सकती है
लेिकन िशिक्षत वगर् म ही दहेज का भयावह कुप्रभाव देखने को िमल रहा है। नशाख़ोरी करके
कज़ेर् म डूब जाना और प नी के मायके म दहेज की माँग रखना भी प्रमुख कारण म से एक
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है, इसिलए इस राह म साथर्क प्रयास की आव यकता है। िनधर्नता भी इसका एक अ य
प्रमुख कारण है। इस िवषय को ग भीरता से लेकर इस पर िवचार करने की आव यकता है।
घरेलू िहंसा के कारण –
1. नशाख़ोरी
2. दहेज की माँग
3. ी के िलए स मान की भावना न होना
4. पर- ी के साथ स ब ध होना
िनदान –
1. नशाख़ोरी व शराब के ठेक पर प्रितबंध
2. दहेज िवरोधी िनयम व क़ानून का स ती से पालन
3. नैितक व चािरित्रक िवकास (िशक्षा व स संग)
4. पु ष द्वारा आ म िनयंत्रण व संयम
िवधवा दहन (सती प्रथा) के कारण –
1. भरण पोषण की िज मेदारी से बचना
2. अंधिव ास और सामािजक कुरीितय पर मा यता
िनदान – सती प्रथा यूँ तो समा हो चुकी है लेिकन राज थान से कभी-कभी ख़बर आ जाती
ह। सबसे पहले लड़िकय को िशिक्षत करने की ज़ रत है तािक वे अपने िलए रोज़गार की
यव था कर सक। इसके िलए मानवता और क़ानूनी िनयम का स ती से पालन करने की
आव यकता है। अंधिव ास और सामािजक कुरीितय व मा यताओंको जड़ से उखाड़ने के
िलए िशक्षा परम आव यक है।
उपरोक्त सम याओंके िनदान के अ य मा यम –
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लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com 
ी पर हो रहे दुराचार को समाज से िमटाने के िलए आज ‘मीिडया’ एक सशक्त मा यम है।
इसी मा यम से िकसी न िकसी प म िव का घटना चक्र हर एक घर म पहुँच रहा है।
मीिडया के सर एक बहुत बड़ी िज मेवारी है िक वह समाज की बुराइय को आईना िदखाने
के साथ वह समाज म हो रहे उ थान को भी सभी के समक्ष प्र तुत करे। उदाहरण व प यिद
वह िद ली म हुए ‘दािमनी’ बला कार को सभी के सामने ला सकता है तो वह इस बात को
भी सामने लाये िक ‘के रल के ित व ले क्षेत्र म चक्कु लाथालु काबू देवी मंिदर म मलायम
के धानु माह म प्रथम शुक्रवार को प्रित वषर् नारी की पूजा की जाती है। इस िदन हज़ार ि याँ
एकत्र होती ह। मंिदर का पुजारी मिहलाओंको आसन पर बैठाकर उनके पाँव धोता है, नये
व िवतिरत करता है, इसके बाद पु ष वगर् पुजारी के साथ मंत्रो चारण करते हुए उपि थत
मिहलाओं की िविधवत पूजा करते ह। इसे मीिडया द्वारा सभी के सामने लाने से समाज म
ि य के िलए पूजा और स मान की भावना बनी रहेगी व सभी के िलए प्रेरणा का ोत बनेगी।
इस पूजा को देखने के िलए देश-िवदेश से पयर्टक आते ह। इस पूजा को देखने के बाद एक
फ्राँसीसी मिहला ने अपनी िट पणी म िलखा है – मिहलाओंका ऐसा स मान होना भारत म
ही स भव है। एक िवकिसत रा ट्र की गिवर्त नागिरक के प म, म िवकासशील भारत के
प्रित कुछ-कुछ ितर कार की भावना से यहाँ आयी थी, िकं तु अब एक िवकिसत रा ट्र से
अपनी िवकासशील मातृभूिम पर वापस जा रही हूँ। क्या ये प्रेरक प्रसंग हम भारत के हर यिक्त
तक नहीं पहुँचा सकते ह? इसके िलए मीिडया की भूिमका अिद्वतीय हो सकती है।
आशा है हम म से कई लोग इस संदेश को अपने पिरवार व िमत्र से साझा करगे व उस नारी
के स मान और अिधकार को उसे वापस दगे जो िक ‘एक अगरब ी की तरह है जो अपना
सवर् व हवन करके स पूणर् जगत को सुगंिधत करती है और अंत म भ मीभूत होकर राख म
पिरणत हो जाती है।
***
Filename:  मिहलाओं के साथ दुराचार के कारण और िनवारण.docx 
Directory:  C:UsersVinayDocuments 
Template:
  C:UsersVinayAppDataRoamingMicrosoftTemplatesNormal.do
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Title:   
Subject:   
Author:  Vinay Prajapati 
Keywords:   
Comments:   
Creation Date:  05‐09‐2013 19:54:00 
Change Number:  41 
Last Saved On:  06‐09‐2013 22:55:00 
Last Saved By:  Vinay Prajapati 
Total Editing Time:  356 Minutes 
Last Printed On:  06‐09‐2013 22:56:00 
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  • 1. Page 1 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  मिहलाओंके साथ दुराचार के कारण और िनवारण नाि त भायार् बंधुनार्ि त भायार्-समा गित:। नाि त भायार्समो लोके सहायो धमर् संग्रहे॥ -वेद यास (महाभारत, शांित पवर्) अथार्त् संसार म ी के समान कोई बंधु नहीं है, ी के समान कोई आ य नहीं है और धमर्- संग्रह म भी ी के समान कोई दूसरा नहीं है। यत्र नायर् तु पू यंते रमंते तत्र देवता। यत्रैता तु न पू यंते सवार् तत्राफला: िक्रया॥ -मनु मृित 3/56 अथार्त् िजस घर म ि य का आदर होता है, उस घर म िद य गुण वाली उ म संतान पैदा होती है और िजस कुल म ि य का आदर नहीं होता है वहाँ सभी िक्रयाएँ िन फल हो जाती ह। वेद म नारी को ब्र ा की पदवी प्रा करने का उपाय बताया है – अध: प य व मोपिर संतरा पादकौ हर। मा ते कश लकौ हशं ी िह ब्र ा बभूिवथ॥ -ऋगवेद 8/33/19 अथार्त् हे नारी तुम नीचे देखकर चलो। यथर् म इधर-उधर की व तुओंतथा यिक्तय को मत देखती रहो। अपने पैर को सावधानी तथा स यता से रखो। व इस प्रकार के पहनो िक ल जा के अंग ढके रह। इस प्रकार उिचत आचरण करती हुई तुम िन य ही ब्र ा की पदवी पाने योग्य बन सकती हो।
  • 2. Page 2 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  महाकिव वयम् भू के जैन महाका य पदम चिरउ म ी को संसार की सबसे बड़ी उपलि ध कहा गया है। तं जो वणु तं मुह-कमलु तं सुरउ सवट्टण ह थउ। जेण णं मािणउ-ए थु जगे तहो जोिवउ स वु िणर थउ॥ अथार्त् यौवन के पूणर् कमल से मुख वाली शृंगार युक्त सुंदर हाथ वाली ी को िजसने जग म नहीं समझा उसका जीवन यथर् है। वैिदक संिहता काल म नारी को पु ष की अधािगनी कहा गया है। शतपथ-ब्रा ण म तो यहाँ तक कहा गया है िक ‘नारी नर की आ मा का आधा भाग है’। नारी की उपलि ध के िबना नर का जीवन अधूरा है। इस अधूरेपन को दूर करने के िलए संतान की आव यकता पड़ती है, िजसका मात्र साधन प नी है। एक माता एवं सहचरी के प म ी अतुलनीय है। आ म-िवकास के पथ पर सां कृितक िवकास म उसका सहयोग सराहनीय है। शा म नारी को नारायणी कहकर अलंकृत िकया गया है। नारी को वेद पढ़ने, यज्ञोपवीत और यज्ञ करने का पूणर् अिधकार है। इसके साथ ही भारतीय सं कृित म वह वयंवर िववाह पद्धित और गंधवर् िववाह के िलए पिरवार और समाज की सहमित से वतंत्र थी। पु ष का जब तक इस समता और ममता का यान बना रहा तब तक उसने कभी नारी को हीन भावना से नहीं देखा। म यकाल म सामंत शाही अहंकार के साथ दुबर्ल का समथ द्वारा शोषण करने का जंगली क़ानून चला तो इस चपेट म नारी भी आ गयी। नारी जाित को सामूिहक प से हेय, पितत, या य, पातकी, अनिधकारी व घृिणत ठहराया गया। उस िवचारधारा ने नारी के मनु योिचत अिधकार पर आक्रमण िकया और पु ष की े ता एवं सुिवधा का पोषण करने के िलए अनेक प्रितबंध लगाकर शिक्तहीन, साहसहीन, िवद्या हीन बना िदया, इस कारण नारी समाज के िलए उपयोगी िसद्ध होना तो दूर आ मरक्षा के िलए दूसर पर मोहताज हो गयी। पुरोिहत ने शोिषत और शोषक को अपना-अपना भाग्य, ई र की इ छा, िविध का िवधान आिद
  • 3. Page 3 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  कहकर यथाि थित अपनाये रखने के िलए रज़ामंद िकया। इस स ा मक यव था म अपनी इ छाओं और वाथ की पूितर् हेतु, दया, माया, ममता, सेवा, याग, क णा आिद गुण से िवभूिषत होते हुए भी नारी को ‘प्राणी के थान पर पदाथर्’ अिधक समझा गया। तब से लेकर नारी अब तक नारी चरण की दासी बनकर रह गयी और नारी के िलए सवर्शिक्तमान, कतार्, भतार्, हतार्, पित परमे र बना चला आ रहा है। 19वीं शता दी म समाज सुधारक ने नािरय की ि थित पर िचंतन िकया। सुधार आंदोलन म ी के अि त व को प्रमुखता देने हेतु िवचार व कायावयन शु हुआ। समाज व देश के उ थान के िलए नारी के िलए नारी के सहयोग का बहुत मह व है, वह िनमार्ण यज्ञ म प्रधान भूिमका रखती है। समाज म हुए असाधारण पिरवतर्न के कारण नारी पुन: पु ष की सहचरी बनी, वह अब अचल स पि मात्र नहीं है। 20वीं शता दी म समाज म आिथर्क, सामािजक व तकनीिक तर पर बड़े बदलाव हुए। इसम पु ष के साथ-साथ मिहलाओंने भी अपना योगदान िदया। मिहलाओंद्वारा प्रा अभूतपूवर् सफलताएँ िन न प्रकार से है: देश की पहली (व िव की दूसरी) मिहला प्रधानमंत्री – इंिदरा गाँधी पहली मिहला लेि टनट जनरल – पुनीता अरोड़ा िचिक सा सेवा (वायु सेवा) – माशर्ल पद्मावती बंद्योपा याय िवज्ञान व पयार्वरण कद्र अ यक्ष – सुनीता नारायण देश की सबसे अमीर मिहला – िकरण मजूमदार शॉ (बायोकोन) िव सुंदिरयाँ – सुि मता सेन, ऐ यार् राय, िप्रयंका चोपड़ा िकं तु बड़े अफ़सोस की बात है िक एक ओर जहाँ मिहलाएँ इतना कुछ कर रही ह वहीं दूसरी ओर एक वगर् वह भी है जो िक आज तक समाज की कुरीितय और दिरंदगी के नीचे दबा
  • 4. Page 4 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  कुचला है। इतनी बदलाव की उ मीद के बावजूद भी रोज़ अख़बार म मिहलाओंपर हो रहे शोषण को उजागर िकया जा रहा है। ‘थामसन रॉयटसर् फ़ाउंडेशन’ की क़ानूनी समाचार सेवा ‘ट्र ट लॉ’ ने जो सवेर् कराया है, उसके अनुसार मिहलाओंका सबसे बुरा हाल िन न देश म है: 1. अफ़गािन तान 2. कॉ गो 3. पािक तान 4. भारत 5. सोमािलया इस तािलका म हम चौथे थान पर ह। यह दशार्ता है िक हम उ नित के िकस िशखर की ओर अग्रसर ह, िजसका गुणगान व बखान हम करते नहीं थकते ह। उ र प्रदेश म जो हालात ह वे हम इस तािलका म ऊपर ही लेते जायगे। वैसे हम यह जानकर आ मग्लािन होनी चािहए की हम पहले पाँच देश म से एक ह। मिहलाओं, क याओं, बािलकाओं, बि चय , नवजात िशशुओंके साथ होने वाले दु यर्वहार अग्र िलिखत ह –  भ्रूण ह या/ क या भ्रूण ह या  िलंग भेद  कम आयु म िववाह/ बाल िववाह  छेड़खानी/ तेज़ाब डालना  यौन उ पीड़न व िहंसा  बला कार व सामूिहक बला कार  ऑनर िकिलंग/ पिरवािरक स मान के िलए ह या  मानिसक उ पीड़न
  • 5. Page 5 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com   नाबािलग और बािलग लड़िकय की त करी/ देह यापार  दहेज व ह या  घरेलू िहंसा  िवधवा दहन भ्रूण ह या के कारण – 1. ी-पु ष दोन वग की पुत्र लालसा 2. बढ़ता हुआ यिभचार 3. चिरत्र पतन व हनन 4. कुछ लोग बेटी का िपता बनने म शमर् महसूस करते ह 5. दहेज प्रथा व शादी के बाद तीज यौहार पर होने वाले खचर् 6. सामािजक पिरवेश; घरेलू िहंसा, वासना मक िनगाह बेटी के िपता होने की िचंता को पंचतंत्र म कुछ यूँ यक्त िकया गया है – पुत्रीित जाता महतीह िचंता, क मै प्रदेयित महान िवतकर् :। द वा सुख प्रा यित वा न देती, क या िपतृ व खलु नाम क मद्ध॥ अथार्त् एक क या का ज म लेना बड़ी िचंता की बात है। िपता को बेटी की सदैव िचंता रहती है। बेटी का िववाह िकसके साथ होगा तथा िववाह के बाद वह सुख पायेगी अथवा दुःख झेलेगी। क या का िपता होना सचमुच दुखपूणर् है। िनदान – क या भ्रूण ह या को कम करने के िलए समाज म नयी चेतना लाने की आव यकता है। इसके िलए हम अपनी मानिसकता म पिरवतर्न लाना होगा। िशिक्षत समाज का िनमार्ण करना होगा। भ्रूण िलंग की जानकारी िकसी भी म ि थित म िकसी को न देने के सरकारी क़ानून का स ती से पालन करना होगा। हम वयं अपनी लालसाओंऔर इस क्षेत्र म या
  • 6. Page 6 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  भ्र ाचार को समथर्न देना बंद करना होगा। िढ़वादी पर पराओंजैसे वधु पक्ष का मह व वर पक्ष से कम होता है, को अपने मन से िनकालना होगा। िलंग भेद के कारण – 1. लड़के व लड़की म अंतर करना 2. चलती आ रही सामािजक कुरीितयाँ व िवकृत सोच 3. अिशक्षा 4. सकारा मक सोच का अभाव – लड़िकयाँ वंश आगे नहीं बढ़ातीं 5. लड़िकय को लड़क की अपेक्षा कमज़ोर समझना िनदान – िलंग भेद को समा करने के िलए समाज म जाग कता लाने की आव यकता है। हम अपने सोच व यवहार म धना मक पिरवतर्न लाने ह गे। िवकृत सोच व कुरीितय को जड़ से उखाड़ फकना होगा। िशक्षा के प्रसार म अिधक गित लाने की आव यकता है। सकारा मक सोच व आदशर् उदाहरण प्र तुत करने ह गे। कम आयु म िववाह के कारण – 1. िनधर्नता 2. अिशक्षा 3. लड़की जैसे-जैसे बड़ी होगी उसके िलए वर ढूँढ़ना किठन होगा जैसी पुरानी सोच 4. िकसी िवपि / िवपरीत पिरि थित म लड़की को आ य िमलने की सोच 5. ज दी शादी करके सर का बोझ ह का करने की सोच 6. दहेज प्रथा; लड़की की उम्र के साथ दहेज की रकम बढ़ती है िनदान – िनधर्नता को प्रमुखता के साथ समाज से दूर करना आव यक है। िशक्षा को ऐसी जगह पर प्रमुखता के साथ पहुँचाने की आव यकता है जहाँ बाल-िववाह जैसी कुप्रथा अभी तक प्रचलन म है। लड़िकय की शादी कम उम्र म करने की बजाय उ ह वावलंबी बनाने की
  • 7. Page 7 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  आव यकता है। लड़की सर का बोझ हैइस मानिसकता का याग करने की परम आव यकता है। छेड़खानी/तेज़ाब डालना जैसी घटनाओंके कारण – 1. एक तरफ़ा प्रेम व आकषर्ण; मानिसक िवकार 2. यार म धोखा 3. िकसी अपमान का बदला लेने की ि थित म 4. मनोरंजन के िलए; िवकृत मानिसकता 5. शराब या अ य नशे की ि थित म 6. परेशान करने के िलए िनदान – लड़िकय को िशक्षा के साथ-साथ आ मरक्षा एवं संयम के गुण िसखाने चािहए। छेड़खानी जैसी बात को पहले चरण म ही दबाने का प्रयास पुिलस व क़ानून द्वारा िकया जाना चािहए। लड़िकय को उनके अंदर या डर से मुिक्त िदलाने की आव यकता हैक्य िक बहुत- सी लड़िकयाँ छेड़खानी करने वाले लड़क या पु ष द्वारा डरायी जाती ह। उ ह और उनके पिरवार को समाज म अपनी बदनामी का डरा लगा रहता है। इसके िलए उनम पिरवार और िमत्र द्वारा सहयोग पर िव ास जागृत करना चािहए। यौन उ पीड़न व िहंसा के कारण – 1. इसका सबसे बड़ा कारण मानिसक िवकृित ही है िजसम कोई भी पु ष ी को मात्र भोग व िवलािसता की व तु समझने लगता है। 2. िकसी पूवर् घटना का बदला लेने के िलए 3. ी को प्रा करने की हवस/ लालच होना 4. नशाख़ोरी िनदान – समाज म ऐसे िवकृत मानिसक िवकृत मानिसकता वाले लोग या ह तभी ऐसी घटनाएँ िनत अख़बार म छपती ह। हम ि य / बािलकाओंको इस योग्य बनाना होगा िक वे
  • 8. Page 8 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  समाज के इन भूखे भेिड़य को पहचान कर उनसे िनि त दूरी बनाये रख सक। इसके साथ बािलकाओं म आ मरक्षा के िलए िवशेष प्रिशक्षण प्रा करने की भावना भी जागृत करनी होगी। समाज से नशाख़ोरी को हटाना होगा इसके िलए हम शराब के ठेक की संख्या म कमी लाने की आव यकता है। इसके िलए जन आंदोलन करना होगा व रा य सरकार द्वारा इस समय मुनाफ़े से अिधक समाज के िवकास पर यान किद्रत करना होगा। बला कार व सामूिहक बला कार के कारण – 1. मानिसक िवकार व िवकृित, एक तरफ़ा आकषर्ण/ हवस 2. बदले की भावना 3. नशाख़ोरी 4. नैितक व चािरित्रक गुण का अभाव 5. अिशक्षा 6. शिक्त व कुसीर् का दु पयोग िनदान – बला कार व सामूिहक बला कार का िनदान रा य की सुरक्षा यव था म सुधार द्वारा प्राथिमक प से स भव है। नशाख़ोरी को समाज से उखाड़ फकने की आव यकता है। िकसी भी मनु य का बचपन से नैितक व चािरित्रक िवकास करना आव यक है, इसके िलए िशक्षा म ऐसे गुण के िवकास पर िवशेष बल देने की आव यकता है। अपनी स ा म पहुँच व दखल रखने वाले अपरािधय को कठोर से कठोर दंड देकर समाज म नये मानक थािपत करने की ज़ रत है। ऑनर िकिलंग (पािरवािरक स मान के िलए ह या) के कारण – 1. प्रेम िववाह 2. झूठी शान का िदखावा 3. सामािजक कुरीितयाँ 4. जाितवाद 5. धमर् वाद
  • 9. Page 9 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  िनदान – जो वतंत्रता िकसी भी बािलग को क़ानून से प्रा है उसे सामािजक मा यता िदलाने की आव यकता है। यिद समाज म जाित व धमर् को रहने भी द तो उसके मूल ‘प्रेम’ को समझने, समझाने व वीकार करने की आव यकता है। ी को वही मान-स मान लौटाने की आव यकता है जो वैिदक संिहता काल म प्रा था। इसके िलए िशक्षा व समाज सुधार की अित आव यकता है। मानिसक उ पीड़न के कारण – 1. ी को असहाय समझकर उसे हीन भावना से देखना 2. िलंग भेद 3. मानिसक िवकृित 4. ग़लत मनोभावना 5. बौिद्धक िवकास को बािधत करने के िलए 6. बदला लेने के िलए िनदान – मानिसक उ पीड़न का िनदान ी वयं कर सकती है इसके िलए उसे चािहए िक वह ऋणा मकता लाने वाले पु ष व पिरि थितय (दफ़तर या समूह ) से वयं को दूर रखे। अपना आ मिव ास बढ़ाने पर बल दे। िवरोधी को उिचत समय पर उिचत जवाब दे, आज वह इसम क़ानूनी मदद भी ले सकती है। मानिसक उ पीड़न की ि थित म ी की वयं पर जीत शत्रु पर जीत से अिधक मह व रखती है। इस िवषय म मुझे गुलज़ार की िलखी गुड्डी िफ़ म की एक प्राथर्ना याद आती है – हमको मन की शिक्त देना मन िवजय कर दूसर की जय से पहले ख़ुद को जय कर नाबािलग व बािलग लड़िकय की त करी/ देह यापार के कारण –
  • 10. Page 10 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  1. समाज म समथ द्वारा इसकी बढ़ती माँग 2. ी को भोग-िवलास की व तु समझना 3. िनधर्नता 4. लोभ और अपना िहत िसद्ध करने की भावना 5. िवपरीत पिरि थितयाँ िनदान – देह यापार पर पंजा कसने व लड़िकय की अवैध त करी पर रोक लगाने के िलए सरकारी िनयम व क़ानून यव था म सुधार लाने की आव यकता है। िनधर्नता को समाज से हटाने के िलए देश म सभी के िलए रोज़गार की समुिचत यव था करने की आव यकता है तािक लड़िकय और उनके पिरवार को कोई रोज़गार िदलाने के नाम पर धोखा न दे सके । लड़िकय की िशक्षा पर िवशेष बल देने की अित आव यकता है िजससे वे प्रेम व यिक्त की परख करने म उिचत िनणर्य ले सक। समाज म एक-दूसरे की मदद व सहयोग की जन भावना को िवकिसत करने की आव यकता है िजससे िवपरीत पिरि थितय म लड़िकयाँ ग़लत राह का चुनाव न कर बि क अपने पैर पर खड़े होने पर बल द। दहेज/ जहेज़ व ह या के कारण – 1. धन का अ यिधक लोभ 2. समाज म झूठी प्रित ा बढ़ाने / िदखावे का प्रयास 3. ी को नारी न समझकर ‘पदाथर्’ समझना 4. नशाख़ोरी व उधारी 5. िनधर्नता िनदान – दहेज/ जहेज़ व ह या का िनदान मात्र मनु य का आ म िवकास है। इसके अभाव म वह िदखावे व लोभ से कभी मुक्त नहीं हो सकता है। िशक्षा म अहम भूिमका िनभा सकती है लेिकन िशिक्षत वगर् म ही दहेज का भयावह कुप्रभाव देखने को िमल रहा है। नशाख़ोरी करके कज़ेर् म डूब जाना और प नी के मायके म दहेज की माँग रखना भी प्रमुख कारण म से एक
  • 11. Page 11 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  है, इसिलए इस राह म साथर्क प्रयास की आव यकता है। िनधर्नता भी इसका एक अ य प्रमुख कारण है। इस िवषय को ग भीरता से लेकर इस पर िवचार करने की आव यकता है। घरेलू िहंसा के कारण – 1. नशाख़ोरी 2. दहेज की माँग 3. ी के िलए स मान की भावना न होना 4. पर- ी के साथ स ब ध होना िनदान – 1. नशाख़ोरी व शराब के ठेक पर प्रितबंध 2. दहेज िवरोधी िनयम व क़ानून का स ती से पालन 3. नैितक व चािरित्रक िवकास (िशक्षा व स संग) 4. पु ष द्वारा आ म िनयंत्रण व संयम िवधवा दहन (सती प्रथा) के कारण – 1. भरण पोषण की िज मेदारी से बचना 2. अंधिव ास और सामािजक कुरीितय पर मा यता िनदान – सती प्रथा यूँ तो समा हो चुकी है लेिकन राज थान से कभी-कभी ख़बर आ जाती ह। सबसे पहले लड़िकय को िशिक्षत करने की ज़ रत है तािक वे अपने िलए रोज़गार की यव था कर सक। इसके िलए मानवता और क़ानूनी िनयम का स ती से पालन करने की आव यकता है। अंधिव ास और सामािजक कुरीितय व मा यताओंको जड़ से उखाड़ने के िलए िशक्षा परम आव यक है। उपरोक्त सम याओंके िनदान के अ य मा यम –
  • 12. Page 12 of 12    लेखक – इं. िवनय प्रजापित । ईमेल - vinayprajapati@msn.com  ी पर हो रहे दुराचार को समाज से िमटाने के िलए आज ‘मीिडया’ एक सशक्त मा यम है। इसी मा यम से िकसी न िकसी प म िव का घटना चक्र हर एक घर म पहुँच रहा है। मीिडया के सर एक बहुत बड़ी िज मेवारी है िक वह समाज की बुराइय को आईना िदखाने के साथ वह समाज म हो रहे उ थान को भी सभी के समक्ष प्र तुत करे। उदाहरण व प यिद वह िद ली म हुए ‘दािमनी’ बला कार को सभी के सामने ला सकता है तो वह इस बात को भी सामने लाये िक ‘के रल के ित व ले क्षेत्र म चक्कु लाथालु काबू देवी मंिदर म मलायम के धानु माह म प्रथम शुक्रवार को प्रित वषर् नारी की पूजा की जाती है। इस िदन हज़ार ि याँ एकत्र होती ह। मंिदर का पुजारी मिहलाओंको आसन पर बैठाकर उनके पाँव धोता है, नये व िवतिरत करता है, इसके बाद पु ष वगर् पुजारी के साथ मंत्रो चारण करते हुए उपि थत मिहलाओं की िविधवत पूजा करते ह। इसे मीिडया द्वारा सभी के सामने लाने से समाज म ि य के िलए पूजा और स मान की भावना बनी रहेगी व सभी के िलए प्रेरणा का ोत बनेगी। इस पूजा को देखने के िलए देश-िवदेश से पयर्टक आते ह। इस पूजा को देखने के बाद एक फ्राँसीसी मिहला ने अपनी िट पणी म िलखा है – मिहलाओंका ऐसा स मान होना भारत म ही स भव है। एक िवकिसत रा ट्र की गिवर्त नागिरक के प म, म िवकासशील भारत के प्रित कुछ-कुछ ितर कार की भावना से यहाँ आयी थी, िकं तु अब एक िवकिसत रा ट्र से अपनी िवकासशील मातृभूिम पर वापस जा रही हूँ। क्या ये प्रेरक प्रसंग हम भारत के हर यिक्त तक नहीं पहुँचा सकते ह? इसके िलए मीिडया की भूिमका अिद्वतीय हो सकती है। आशा है हम म से कई लोग इस संदेश को अपने पिरवार व िमत्र से साझा करगे व उस नारी के स मान और अिधकार को उसे वापस दगे जो िक ‘एक अगरब ी की तरह है जो अपना सवर् व हवन करके स पूणर् जगत को सुगंिधत करती है और अंत म भ मीभूत होकर राख म पिरणत हो जाती है। ***
  • 13. Filename:  मिहलाओं के साथ दुराचार के कारण और िनवारण.docx  Directory:  C:UsersVinayDocuments  Template:   C:UsersVinayAppDataRoamingMicrosoftTemplatesNormal.do tm  Title:    Subject:    Author:  Vinay Prajapati  Keywords:    Comments:    Creation Date:  05‐09‐2013 19:54:00  Change Number:  41  Last Saved On:  06‐09‐2013 22:55:00  Last Saved By:  Vinay Prajapati  Total Editing Time:  356 Minutes  Last Printed On:  06‐09‐2013 22:56:00  As of Last Complete Printing    Number of Pages:  12    Number of Words:  2,128 (approx.)    Number of Characters:  12,131 (approx.)