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Lokoktiyan in Hindi

24 de Dec de 2021
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  1. Downloaded from: justpaste.it/9105b Lokoktiyan in Hindi | Gurukul99 लोकोक्तियां - Lokoktiyan in Hindi | Gurukul99 gurukul99.com    लोकोक्ति की परिभाषा – Lokokti ki Paribhasha हिंदी व्याकरण में जब किसी वाक्य का सम्पूर्ण कथन किसी विशेष प्रसंग के साथ उच्चारित किया जाता है तब उसे लोकोक्ति कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, लोकोक्तियां किसी लोक या समाज में प्रचलित उक्तियां होती है, जिनका स्वतंत्र प्रयोग किया जाता है। इन्हें हिंदी भाषा में कहावतें भी कहा जाता है। यह मुहावरों से काफी अलग होती है क्योंकि मुहावरा एक वाक्यांश होती है और लोकोक्तियां सम्पूर्ण वाक्य होती है, जिनका अपना उद्देश्य और विधेय होता है। जैसे – ऊं ची दुकान फीके पकवान ( नाम बड़े दर्शन छोटे) और एक पंथ दो कांच ( एक नहीं बल्कि दो लाभ प्राप्त होना) आदि। हिंदी लोकोक्तियां – Hindi Lakoktiyan
  2. यह निम्न प्रकार से हैं- 1. अधजल गगरी छलकत जाए – जिसमें ज्ञान काम होता है वह अधिक दिखावा करता है 2. अपनी अपनी डपली, अपनी अपना राग – एक दूसरे के साथ परस्पर मेल ना होना 3. आप डूबे जग डूबा – जो स्वयं बुरा होता है, वह दूसरों को भी बुरा समझता है 4. आग लगाकर जमालो दूर खड़ी – खुद झगड़ा कराकर अलग हो जाना 5. आगे कुं आ, पीछे खाई – हर तरफ से हानि होने की आशंका 6. अपनी करनी पार उतरनी – किये का फल भोगना 7. आधा तीतर आधा बटेर – बिना मेल का होना 8. आम का आम गुठली का दाम – हर तरफ से लाभ ही लाभ होना 9. इतनी सी जान, गज भर की जबान – छोटे होने पर भी बढ़ बढ़कर बोलना 10. आंख का अंधा नाम नयनसुख – अपने गुणों के विरुद्ध नाम होना 11. आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास – करने कु छ आए थे कर रहे कु छ और 12. आप भला तो जग भला – स्वयं अच्छे तो संसार अच्छा 13. ईंट का जवाब पत्थर – दुष्ट के साथ दुष्ट व्यवहार करना 14. इस हाथ दे उस हाथ ले – कर्मों का फल शीघ्र पाना 15. ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया – कहीं दुख तो कहीं सुख 16. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे – अपराधी ही पकड़ने वाले को खरी खोटी सुनाए 17. ऊपर ऊपर बाबाजी, भीतर दगाबाजी – बाहर से अच्छा, भीतर से बुरा 18. ऊं चे चढ़ कर देखा तो घर घर एकै लेखा – सभी लोग एक समान 19. ऊं ट किस करवट बैठता है – किसकी जीत निश्चित है 20. ऊं ट के मुंह में जीरा – जरूरत से बहुत कम 21. ऊधो का लेना न माधो का देना – लटपट से अलग रहना 22. एक तो करेला आप ती दूजे नीम चढ़ा – बुरे के संग और बुरे की संगति 23. एक अनार सौ बीमार – एक वस्तु को पसंद करने वाले लाखों 24. एक तो चोरी दूसरे सीना जोरी – दोष करके न मानना 25. एक म्यान में दो तलवार – एक स्थान पर दो उग्र विचार वाले 26. ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती – अधिक कं जूसी करने से काम नहीं चलता 27. कहां राजा भोज कहां गंगू तेली – छोटे का बड़े के साथ मिलन होना 28. कहे खेत की, सुने खलिहान की – हुक्म कु छ और करना कु छ और 29. कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कु नबा जोड़ा – इधर उधर से सामान जुटाकर काम निपटाना 30. काला अक्षर भैंस बराबर – अनपढ़ 31. किसी का घर जले कोई तापे – दूसरों के दुःख में अपना सुख मानना 32. खरी मजूरी चोखा काम – अच्छे मुआवजे में ही अच्छा फल मिलता है 33. खोदा पहाड़ निकली चुहिया – कठिन परिश्रम, थोड़ा लाभ 34. गुड़ खाए गुलगुले से परहेज़ – बनावटी परहेज़ 35. घर का भेदी लंका ढाए – आपस की फू ट से हानि होती है 36. घर की मुर्गी दाल बराबर – घर की वस्तु का आदर नहीं करना 37. चोर की दाढ़ी में तिनका – जो गलत होता है उसे सदैव भय रहता है
  3. 38. चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए – महा कं जूस व्यक्ति 39. तुम डाल डाल हम पात पात – किसी की चाल को समझते हुए काम करना 40. थूक कर चाटना ठीक नहीं – कु छ भी देकर लेना ठीक नहीं 41. दमड़ी की बुलबुल, नौ टका दलाली – काम साधारण खर्च अधिक 42. दूर के ढोल सुहावने – दूर से देखने पर सब कु छ अच्छा ही लगता है 43. धोबी का कु त्ता ना घर का ना घाट का – निकम्मा व्यक्ति 44. ना नौ मन तेल होगा, ना राधा नाचेगी – किसी प्रकार का प्रबंध भी नहीं होगा और काम भी नहीं होगा 45. ना देने के नौ बहाने – कु छ भी ना देने के अनेकों बहाने 46. नदी में रहकर मगर से बैर – जिसके अधिकार में रहना उससे ही दुश्मनी करना 47. नाच ना जाने आंगन टेढ़ा – स्वयं ज्ञान ना होना और दूसरों को दोष देना 48. पराए धन पर लक्ष्मी नारायण – दूसरे का धन पाकर उसपर अधिकार जमाना 49. पंच परमेश्वर – पांच पांचों की राय जानना 50. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख व्यक्ति कभी गुणों की कद्र नहीं करता है|  
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