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Poshan Maas Diarrhea Management through Food and Hygiene

Nutritionist en Jawaharlal Nehru Agricultural University
21 de Sep de 2020
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Poshan Maas Diarrhea Management through Food and Hygiene

  1. कृ षि षिज्ञान क़े न्द्र, रीिा (म.प्र.) जिाहरलाल नेहरू कृ षि षिश्वषिद्यालय पोषण मास कार्यक्रम अंतर्यत पोषण आहार एवं स्वच्छता से डार्ररर्ा प्रबन्धन दिनााँक : 21 दसतम्बर, 2020
  2. कृ षि षिज्ञान क़े न्द्र, रीिा (म.प्र.) जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय एन एफ एच एस-4 (2014-15) की ररपोर्ट के अनुसार : रीिा षिले में 36.2 % कु पोषण व्र्ाप्त है
  3. कु पोषण क्र्ों अर्ायत – एक दतहाई से अदधक लोग रीिा षिले में कु पोषित हैं जिाहरलाल नेहरू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  4. कृ षि षिज्ञान क़े न्द्र, रीिा (म.प्र.) पोषण आहार एवं स्वच्छता से डार्ररर्ा प्रबन्धन जिाहरलाल नेहरू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  5. •पेर् में ददट, अकड़न के साथ पतला, पानी युक्त मल, दस्त होना •शारीररक कमजोरी होना । कभी -कभी साथ में बुखार तथा उल्र्ी आना । •षशशुओं तथा छोर्े बच्चों में षनरंतर होने िाले दस्त के कारण जल तथा खषनज एिं लिण की कमी होती है । •व्यस्कों, षशशुओं और बच्चों में यह कमी स्िास्थ संबंधी गंभीर षस्थषत पैदा करती है । ऐसी षस्थषत में शीध्रषतिीध्र डॉक्र्र से सम्पकट करें। डार्ररर्ा (िस्त) : एक भूदमका जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  6. दस्त तीन प्रकार के होते है । यह हैं : • 3- 7 षदन तक चलने िाले • कु छ षस्थषतयों में 10 -14 षदन तक चलने िाले। (एक्यूर् डायररया) •3 सप्ताह या अषधक चलने िाले (काा्रॅषनक डायररया) िस्त के प्रकार जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  7. िस्त के क्र्ों होता है • दस्त, ई. कोलाई, शीगैला, कै म्पीलोबैक्र्र, िायषियोकौजरे, सैल्मोनेला जैसे बैक्र्ीररया अथिा िायरस, अमीबा एिं आँतों में उपषस्थत गषडटया नामक सूक्ष्म जीिों के कारण होता है । • दस्त, सूखा रोग (क्िाषशयोरकर ), पेर् की खराबी, पैलेग्रा नामक रोग के कारण तथा षशशुओं में दूध न पचा सकने के कारण भी होता है । खसरा के कारण भी दस्त हो सकते है ।
  8. िस्त के क्र्ों होता है • षबना पके फल, अषधक तेल तथा मसालेदार एिं गररष्ठ भोजन की आिश्यकता से अषधक सेिन से तथा कु छ दिाईयों के नुकसान पहँचा ने भी दस्त प्रारंभ होते है ।
  9. िस्त दकसे हो सकता है • षकसी भी उम्र के व्यषक्त कों। • षकसी भी षलंग के व्यषक्त को । • षकसी भी जाषत अथिा धमट के व्यषक्त को। • षशशुओं तथा बच्चों में संक्रमण अषधक होता है । • कु पोषित षशशुओं, कु पोषित बच्चों अथिा कु पोषित ियस्कों में संक्रमण अषधक होता है ।
  10. िस्त दकसे हो सकता है • षजन घरों में स्िच्छता का आभाि रहता है ऐसे घरों के षनिाषसयों में । • ऐसा देखा गया है षक कम जागरुक पररिार के घर में स्िच्छता कम होती है अतः ऐसे पररिार के सदस्यों में संक्रमण अषधक होता है । • षिषभन्द्न समारोहों, त्यौहारों, मेलों, यात्राओंअथिा स्थानान्द्तरणों के दौरान लोग इस सूक्ष्मजीि द्धारा संक्रषमत हो सकते है ।
  11. • दूषित बासी भोजन के सेिन से • दूषित जल के सेिन से • मैले हाथ से भोजन करने से। मल त्याग के उपरांत हाथ लगाने से भोजन दूषित हो जाता है • बढ़े हये नाखूनों में लगी गंदगी से • गंदे बतटनों में भोजन पकाने तथा खाने से िस्त क्र्ों होता है जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  12. • अस्िच्छ िातािरण में भोजन पकाने तथा खाने से । • मक्खी, कीड़े मकोड़े, पालतू जानिरों के भोजन पकाने, भोजन खाने तथा बतटन धुलने के स्थान दूषित करने से। • दस्त को पैदा करने िाले सूक्ष्मजीि का फै लाि करने िाले जीिों तथा सूक्ष्मजीिों से संक्रषमत मानि द्धारा भी होता है । िस्त क्र्ों होता है जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  13. • संक्रषमत व्यषक्त के द्धारा मल त्याग के उपरांत उषचत प्रकार से षबना हाथ घोये भोज्य पदाथट अथिा जल के सम्पकट में आने से यह दूषित हो जाते है । • मल पर बैठने के उपरान्द्त मषक्खयाँ, कीड़े मकोड़े, भोज्य पदाथट अथिा पेयजल पर बैठ कर इन्द्हें दूषित कर देते है । हादन पहाँचाने वाले सूक्ष्मजीव कै से फै लते हैं: जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  14. • जानिरों के मल से भी यह सूक्ष्मजीि भोज्य पदाथट अथिा पेयजल को संक्रषमत कर सकते है । • स्िस्थय व्यषक्त द्धारा दूषित (संक्रषमत) भोज्य पदाथट अथिा पेयजल के सेिन से यह व्यषक्त भी सूक्ष्म जीिों द्धारा संक्रषमत हो जाता है । हादन पहाँचाने वाले सूक्ष्मजीव कै से फै लते हैं: जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  15. • आँखें सूखी तथा गडा् ढे में षदखना । • जीभ सूखी षदखना तथा बार बार प्यास लगना । • षशशु के शीश पर उपषस्थत कोमल स्थान पर गडा् ढा षदखना । • त्िचा बुझी मुरझाई तथा झुरी युक्त षदखना । • त्िचा को खींचने के पश्चाता् कु छ क्षणों के उपरान्द्त िह सामान्द्य षस्थषत को प्राप्त करना । िस्त से उत्पन्न र्ंभीर दस्र्दत के लक्षण
  16. • आिाज खरखरी तथा भारी होना । • हृदय की तीव्र गषत से धड़कना तथा श्वाँस तीव्रता से चलना । • बेहोश होना तथा बार बार शरीर का ऐंठना । • बहत कम मात्रा में अथिा षबलकु ल भी षपशाब न करना । • पेर् का फू लना, षिशेिकर कु पोषित छोर्े बच्चों में । िस्त से उत्पन्न र्ंभीर दस्र्दत के लक्षण
  17. िस्त का फै लाव एवं िस्त से उत्पन्न जदिलता • दस्त के षलये षजम्मेदार सूक्ष्मजीि मनुष्य तथा जानिरों देानों में पाये जाते हैं तथा इनके द्धारा ही इनका फै लाि होता है । • कु पोषित बच्चे में दस्त अषधक होता है । • अस्िच्छ िातािरण में रहने िालों में जानकारी के आभाि में रहने िालों में दस्त का प्रकोप अषधक होता है । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  18. िस्त का फै लाव एवं िस्त से उत्पन्न जदिलता • ग्रीष्म तथा ििाट ऋतु में दस्त का प्रकोप अषधक होता है । • दस्त की दर में िृषद्ध तथा साथ में उल्र्ी होना षस्थषत की गम्भीरता को बढ़ाती है । • दस्त तथा उल्र्ी के पररणामस्िरूप शरीर में होने िाली जल तथा खषनज लिण की कमी से षस्थषत और जषर्ल हो जाती है । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  19. िस्त से बचाव के उपार् • हमेशा हैंडपम्प, तथा नल जैसे जल स्त्रोत का उपयोग करें जहाँ से बहता हआ पानी प्राप्त हो पाये । • सामुदाषयक कुँ ये के जल का उपचार ब्लीषचंग पाऊडर अथिा लाल दिाई (पोर्ैषशयम परमैग्नेर्) से हर सप्ताह करें । (अषधक जानकारी के षलये पढ़े ”जल की स्चच्छता” ) • सािटजषनक हैंड पम्प तथा नल के चारों तरफ, नाली द्धार, ढाल सषहत चबूतरा बनायें । अषतररक्त पानी इकट्ठा करने के षलये नाली के सामने पक्की र्ंकी बनायें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  20. िस्त से बचाव के उपार् • कुँ ओंके चारों तरफ पक्की दीिार तथा दीिार के चारों तरफ पक्का चबूतरा बनायें। • कुँ ओंकी ढकने की व्यिस्था करें । • कुँ ओंके पास षकसी को नहाने, कपड़े तथा बतटन इत्याषद धोने न दें । • समय समय पर कुँ ये की सफाई करें । • साफ मलमल के कपड़े अथिा छन्द्नी से छानकर पानी पीयें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  21. िस्त से बचाव के उपार् • सामुदाषयक स्तर पर जल का उपचार न षकये जाने की षस्थषत में घरेलू स्तर पर पीने के पानी में 2 गोली प्रषत घड़े पानी के दर से षमलायें । • इसे षमलाने के आधे घंर्े के पश्चाता् जल का उपयोग प्रारंभ करें । • जल के उपचार के षलये दिाई की दुकान में तरल क्लोरीन उपलब्ध है । इसे 2 बूँद प्रषत लीर्र पानी में डाल कर पानी का उपचार करें । • उपचार के आधे घंर्े पश्चाता् पानी पीना प्रारंभ करें । • पानी को धरती की सतह से ऊँ चे स्थान पर रखें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  22. िस्त से बचाव के उपार् • पानी का बतटन सुरषक्षत स्थान पर रखें जहाँ , बच्चों कीड़े-मकोड़े, पालतू अथिा आिारा जानिरों की पहँच हों । • पानी के बतटन को सदैि ढक कर रखें । • पानी षनकालने के षलये ड़ंडे िाले षगलास का उपयोग करें। पानी के बतटन में हाथ डाल कर पानी कतई न षनकालें । • डंडे िाले षगलास को सुरषक्षत तथा स्िच्छ स्थान पर रखें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  23. िस्त से बचाव के उपार् • पानी के बतटन में दुबारा पानी भरने की पूिट, इसे अच्छी तरह धो लें । साथ ही साथ डंडे िाले षगलास को भी भलीभाँषत घोयें । • गेहँ साफ कर तथा स्िच्छ धो कर 10-12 प्रषतित नमी तक सुखाकर कोठी में, नीम की पषियों के साथ रखें। धुले तथा सूखे गेहॅूं से ही रोर्ी बनायें । • दाल तथा चािल साफ कर तथा स्िच्छ जल से घो कर ही पकायें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  24. िस्त से बचाव के उपार् • तािी तथा षबना कीड़े लगी सषब्ियों को कम से कम दो षमनर् तक बहते हये स्िच्छ जल में धो कर पकायें। सषद सब्जी ी़में कीड़ा लगा हो भाग को कार् कर अलग कर दें । • षपलषपला अथिा सड़ी कच्ची सब्जी ी़का उपयोग न करें। • भोजन के िल इतनी मात्रा में ही बनायें षजससे घर के सभी सदस्यों की एक बार की भूख षमर् जाये। भोजन को ढक कर सुरषक्षत स्थान पर तब तक रखे जब तक षक पररिार के सदस्य उसका सेिन न कर लें । • बासी, दुगंधयुक्त भोजन न करें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  25. िस्त से बचाव के उपार् • यथासंभि ग्रीष्म तथा ििाट ऋतु में घर के बाहर पके भोजन का सेिन न करें। षिशेिकर गररष्ढ भोजन का सेिन षबल्कु ल भी न करें। • प्रथम छह माह तक षशशु को मात्र माँ का दूध ही षपलायें । • गभटिती तथा धात्री माता को पौषिक भोजन दें षजससे षशशु स्िस्थ रहे तथा दस्त होने की संभािना कम हो। • षशशु तथा बच्चों को सभी र्ीके समय पर लगिायें षजससे बीमारी की जषर्लता के फलस्िरूप होने िाले दस्त हो पायेगी । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  26. िस्त से बचाव के उपार् • माँ का दूध का सेिन षशशु को कराते रहें तथा 6िें मषहने से षशशु को अद्धट ठोस आहार जैसे दषलया, मसला हआ के ला, दाल चािल इत्याषद देना प्रारंभ करें षजससे षशशुओं में प्रषतरोधक शषक्त बढ़ेगी । • बच्चों को पूरक आहार अिश्य दें। हाथ पाँि ठंडे लगें, पीसना आये, हृदय गषत समान्द्य से बहत कम हो, जीभ अत्यषधक सूखी हो, रक्त दाब पढ़ा न जा सके तो ऐसे व्यषक्त को शीध्राषतिीध्र अस्पताल में भती करना चाषहये जहाँ षचषकत्सक उसकी देखरेख करेगा । • आिश्यकता नुसार, नेलकर्र से नाखून कार्ें। जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  27. िस्त से बचाव के उपार् • भोजन करने के पूिट, साबुन तथा स्िच्छ जल से हाथ धोयें। भोजन करने के बाद षफर से साबुन तथा स्िच्छ जल से हाथ तथा मुँह धोयें। स्िच्छ जल से अच्छी तरह कु ल्ला करें। स्िच्छ तौषलयें से हाथ तथा मुँह पोछें । • रोज सुबह -शाम, मंजन अथिा दातून कर दाँत साफ करें। जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  28. िस्त से बचाव के उपार् • भोजन करने के पूिट साबुन एिं स्िच्छ जल से नहायें । न नहा पाने की षस्थषत में हाथ, साबुन तथा स्िच्छ जल से धोयें । शरीर पोंछने के षलये स्िच्छ तौषलयें का उपयोग करें एिं साबुन तथा स्िच्छ जल से धुले तथा सूखे कपड़े धारण करें । • भोजन पकाने तथा परसने के षलये उपयोग में आने िाले बतटन को साबुन तथा स्िच्छ जल से धोने के बाद ही उपयोग करें। • चौके के उपयोग के पहले तथा बाद में झाडू लगायें तथा पोछा लगायें । यषद फिट कच्ची हो तो आिश्यकता नुसार इसे गोबर से लीपें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  29. िस्त से बचाव के उपार् • चौके को आिश्यकता नुसार ििट में 2 से 4 बार अच्छी तरह साफ करें । • घर में पक्के शौचालय तथा षनकास नालीयों षनमाटण करिायें । • मल त्याग के तुरंत बाद, साबुन तथा स्िच्छ जल से कम से कम दो बार हाथ अिश्य धोयें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  30. िस्त का प्रारंदभक उपचार • प्राथषमक षचषकत्सा के न्द्र से अथिा दिाई की दुकान से ओ. आर. एस. का धोल प्राप्त कर संक्रषमत व्यषक्त को स्िच्छ तथा उबले हये जल में पीने को दें । • एक लीर्र स्िच्छ जल में एक चम्मच शक्कर, तथा आधा चम्मच सादा, सफे द नमक षमषित कर घर पर ही ओ. आर. एस. का घोल बनायें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  31. िस्त का प्रारंदभक उपचार • यषद शरीर में जल की कमी अषधक न हो (संक्रषमत व्यषक्त को प्यास लग रही हो, हृदय गषत सामान्द्य हो, जीभ नम हो, तथा त्िचा खींचने के उपरान्द्त शीध्र ही यथाित हो जाये) तो शरीर के प्रषत षकलो ग्राम िजन पर प्रत्येक 4 धंर्े में 50 षम.ली., ओ. आर. एस. का घोल पीने को दें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  32. िस्त का प्रारंदभक उपचार • यषद जल की कमी अषधक हो (संक्रषमत व्यषक्त प्यासा हो, हृदय गषत सामान्द्य से अषधक हो, आँखें गडा् ढे में लगें तथा जीभ सूखी लगे) तो ओ. आर. एस. की घोल की मात्रा बढाकर प्रषत षकलो ग्राम शारीररक िनज पर प्रत्येक 4 धंर्े में 100 षमली लीर्र करे । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  33. िस्त का प्रारंदभक उपचार • यषद जल की कमी अत्यषधक हो संक्रषमत व्यषक्त उनींदा लगे अथिा हाथ पाँि ठंडे लगे, पसीना आये, हृदय गषत सामान्द्य से बहत कम हो, जीभ अत्यषधक सूखी हो तथा रक्त दाब पढ़ा न जा सके तो ऐसे व्यषक्त को तुरंत अस्पताल में भती कराये, जहाँ इसकी देख रेख डॉक्र्र की षनगरानी में होगी । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  34. िस्त का प्रारंदभक उपचार • जल की कमी के लक्षण दूर होने पर लगभग षजतना जल, दस्त अथिा उल्र्ी के कारण शरीर से षनकल रहा है उतना ही ओ. आर. एस. का धोल षपलाते रहें। अथिा षजतनी बार बीमार प्यास महसूस करे उतनी बार ओ. आर. एस. का घोल षपलायें। • जैसे ही बीमार व्यषक्त को भोजन करने का मन करे, उसे हल्का आहार देना प्रारंभ करें । षशशु को माँ का दूध दें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  35. खास बातें • बार-बार मल त्याग जो षक पानीदार भी हो सकते है । • दस्त के कारण कु पोिण हो सकता है । • पानीदार पतले दस्त के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  36. खास बातें • ओ. आर.ए स. का घोल षपला कर शरीर में पानी की कमी का उपचार षकया जा सकता है। • व्यषक्तगत, स्िच्छता रखें, उबला पानी षपलायें तथा कम मात्रा में षदन में कई बार हल्का भोजन खाने में दें । • डॉक्र्र से शीघ्रषतशीघ्र षमलें । जिाहरलाल नेह्ररू कृ षि षिश्वषिद्यालय
  37. कृ षि षिज्ञान क़े न्द्र, रीिा (म.प्र.) धन्द्यिाद जिाहरलाल नेहरू कृ षि षिश्वषिद्यालय
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