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स्वागत है आपका /आपको
इस chapter में आज हम
पड़ने वाला है …..
अव्यय या अविकारी शब्द
ह िंदी व्याकरण
साति िं
पाठ-14
अव्यय वे शब्द हैं जजनक
े वाक्य में प्रयोग होने पर ललिंग,
वचन, पुरुष, काल, वाच्य आदद क
े कारण इनमें कोई
पररवततन नह िं होता है। इसी कारण इन शब्दों को
‘अववकार ’ भी कहा जाता है। अव्यय क
े चार भेद होते हैं।
1) क्रियाववशेषण
2) सिंबिंधबोधक
3) समुच्चयबोधक
4) ववस्मयाददबोधक
क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया की ववशेषता बताते हैं, वे क्रियाववशेषण कहलाते हैं।
नीचे ददए गए वाक्यों में धीरे-धीरे शब्द चलने का ढिंग (र तत)
बता रहा है, तो कम शब्द कायत की मात्रा (पररमाण) बता रहा
है। ये शब्द क्रिया की ववशेषता बता रहे हैं। अतः ये
क्रियाववशेषण क
े उदाहरण हैं।
जैसे- अक्षत धीरे-धीरे चल रहा है।
उसने कम खाया।
क्रियाववशेषण क
े चार भेद हैं।
• कालवाचक क्रियाववशेषण
• स्थानवाचक क्रियाववशेषण
• र ततवाचक क्रियाववशेषण
• पररमाणवाचक क्रियाववशेषण
कालिाचक क्रियाविशेषण
जजन क्रियाववशेषण शब्दों से क्रिया क
े काल यानी
समय का पता चले उसे कालवाचक क्रियाववशेषण
कहते हैं; इसका पता लगाने क
े ललए क्रिया क
े साथ
कब लगाकर प्रश्न क्रकया जाता है। कल, परसों, आज,
सदा, जब तक, हमेशा आदद।
जैसे-
1. वह कल आया था।
2. तुम अब जा सकते हो।
3. वह अभी आ रहा है।
4. अिंशु हमेशा सोती रहती है।
स्थानिाचक क्रियाविशेषण
जजस क्रियाववशेषण से क्रिया क
े होने क
े स्थान या
ददशा क
े बारे में पता चले उसे स्थान वाचक
क्रियाववशेषण कहते हैं। इसका पता लगाने क
े ललए
क्रिया क
े साथ कहााँ लगाकर प्रश्न क्रकया जाता है;
दाएाँ, बाएाँ, इधर, उधर, नीचे, ऊपर, पास, दूर आदद।
जैसे- हररयाल चारों ओर फ
ै ल है।
हररयाल कहााँ फ
ै ल है? चारों ओर
1. तुम बाहर बैठो।
2. वह ऊपर बैठा है।
3. तुम वहााँ फल खा रहे थे।
रीततिाचक क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया क
े होने की र तत या ढिंग(ववधध,तर का) का
बोध कराते हैं, उन्हें र ततवाचक क्रियाववशेषण कहते हैं।
इसका पता लगाने क
े ललए क्रिया क
े साथ क
ै से, क्रकस
तरह या क्रकस प्रकार लगाकर प्रश्न क्रकया जाता है; जैसे-
• घोड़ा तेज़ भाग रहा है।
• कार तेज़ दौड़ती है।
• बैलगाड़ी धीरे-धीरे चलती है।
• र ना जल्द -जल्द पढ़ती है।
• शेर जोर-जोर से दहाड़ रहा था।
• वह मुझे भल - भााँतत जानता है।
पररमाणिाचक क्रियाविशेषण
जजन शब्दों से क्रिया क
े पररमाण (मात्रा) का बोध हो,
उन्हें पररणामवाचक क्रियाववशेषण कहते हैं। इसका
पता लगाने क
े ललए क्रिया क
े साथ क्रकतना, क्रकतनी
या क्रकतने लगाकर प्रश्न क्रकया जाता है; जैसे-
1. उतना खाओ जजतना पचा सको।
2.आज काफी वषात हुई।
3.कम बोलो।
4.अधधक पीओ।
सिंबिंधबोधक
जजन अव्यय शब्दों से सिंज्ञा या सवतनाम का सिंबिंध वाक्य क
े दूसरे
शब्दों से जाना जाता है, वे सिंबिंधबोधक कहलाते हैं। जैसे-
1.मेरे घर क
े सामने एक उद्यान है।
2.घर क
े बाहर बच्चे खेल रहे हैं।
3.पेड़ क
े ऊपर धचडड़या का घोंसला है।
4. धन क
े बबना कोई नह िं पूछता।
5. राजा क
े पीछे चलना चादहए।
6. उसने शेर क
े बच्चे की ओर देखा।
• क
ु छ अन्य सिंबिंधबोधक शब्द – क
े बाहर, क
े मारे, क
े भीतर, की
ओर, क
े सामने, क
े पीछे, की तरह, क
े आगे, क
े ववपर त, की
तरफ आदद।
समुच्चयबोधक
दो शब्दों, वाक्यािंशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्द
समुच्चयबोधक अथवा योजक कहलाते हैं। जैसे-
1.उसने खूब पररश्रम क्रकया इसललए वह प्रथम आया।
2.रवव और सोहन छठी कक्षा में पढ़ते हैं।
3.गौरव पररश्रमी तो है परिंतु वह बुद्धधमान नह िं है।
4.वपता जी और आयुष बातें कर रहे हैं।
5.तुम अखबार पढ़ोगे या पबत्रका?
• क
ु छ अन्य समुच्चयबोधक शब्द इसललए,लेक्रकन, व, तथा
, तथावप, यद्यवप, क्रक, क्योंक्रक, ताक्रक आदद।
विस्मयाहदबोधक
जो शब्द ववस्मय, हषत, शोक, प्रशिंसा, भय, िोध, दुख आदद मन क
े भावों
को प्रकट करते हैं, वे ववस्मयाददबोधक कहलाते हैं । जैसे-
1.अरे! तुम भी आ गए।
2.वाह! क्या छक्का मारा है।
3.अहा ! क
ै सा मधुर सिंगीत है।
4.ओह! क्रकतना कमजोर है।
5.तछः! क्रकतनी गिंद बात।
6. ठीक है! ठीक है! मैं कल ददल्ल चला जाऊ
ाँ गा।
7. बाप रे! क्रकतना भयानक शेर।
8. खबरदार! जो बबजल की तार को हाथ लगाया।
• क
ु छ अन्य ववस्मयाददबोधक शब्द – बाप रे, हाय, अजी, उफ, हे राम,
आह, शाबाश, काश, हे भगवान, सावधान, खबर आदद।
धन्यवाद

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G 7-hin-v14-अव्यय (अविकारी) शब्द

  • 1. स्वागत है आपका /आपको इस chapter में आज हम पड़ने वाला है …..
  • 2. अव्यय या अविकारी शब्द ह िंदी व्याकरण साति िं पाठ-14
  • 3. अव्यय वे शब्द हैं जजनक े वाक्य में प्रयोग होने पर ललिंग, वचन, पुरुष, काल, वाच्य आदद क े कारण इनमें कोई पररवततन नह िं होता है। इसी कारण इन शब्दों को ‘अववकार ’ भी कहा जाता है। अव्यय क े चार भेद होते हैं। 1) क्रियाववशेषण 2) सिंबिंधबोधक 3) समुच्चयबोधक 4) ववस्मयाददबोधक
  • 4. क्रियाविशेषण जो शब्द क्रिया की ववशेषता बताते हैं, वे क्रियाववशेषण कहलाते हैं। नीचे ददए गए वाक्यों में धीरे-धीरे शब्द चलने का ढिंग (र तत) बता रहा है, तो कम शब्द कायत की मात्रा (पररमाण) बता रहा है। ये शब्द क्रिया की ववशेषता बता रहे हैं। अतः ये क्रियाववशेषण क े उदाहरण हैं। जैसे- अक्षत धीरे-धीरे चल रहा है। उसने कम खाया। क्रियाववशेषण क े चार भेद हैं। • कालवाचक क्रियाववशेषण • स्थानवाचक क्रियाववशेषण • र ततवाचक क्रियाववशेषण • पररमाणवाचक क्रियाववशेषण
  • 5. कालिाचक क्रियाविशेषण जजन क्रियाववशेषण शब्दों से क्रिया क े काल यानी समय का पता चले उसे कालवाचक क्रियाववशेषण कहते हैं; इसका पता लगाने क े ललए क्रिया क े साथ कब लगाकर प्रश्न क्रकया जाता है। कल, परसों, आज, सदा, जब तक, हमेशा आदद। जैसे- 1. वह कल आया था। 2. तुम अब जा सकते हो। 3. वह अभी आ रहा है। 4. अिंशु हमेशा सोती रहती है।
  • 6. स्थानिाचक क्रियाविशेषण जजस क्रियाववशेषण से क्रिया क े होने क े स्थान या ददशा क े बारे में पता चले उसे स्थान वाचक क्रियाववशेषण कहते हैं। इसका पता लगाने क े ललए क्रिया क े साथ कहााँ लगाकर प्रश्न क्रकया जाता है; दाएाँ, बाएाँ, इधर, उधर, नीचे, ऊपर, पास, दूर आदद। जैसे- हररयाल चारों ओर फ ै ल है। हररयाल कहााँ फ ै ल है? चारों ओर 1. तुम बाहर बैठो। 2. वह ऊपर बैठा है। 3. तुम वहााँ फल खा रहे थे।
  • 7. रीततिाचक क्रियाविशेषण जो शब्द क्रिया क े होने की र तत या ढिंग(ववधध,तर का) का बोध कराते हैं, उन्हें र ततवाचक क्रियाववशेषण कहते हैं। इसका पता लगाने क े ललए क्रिया क े साथ क ै से, क्रकस तरह या क्रकस प्रकार लगाकर प्रश्न क्रकया जाता है; जैसे- • घोड़ा तेज़ भाग रहा है। • कार तेज़ दौड़ती है। • बैलगाड़ी धीरे-धीरे चलती है। • र ना जल्द -जल्द पढ़ती है। • शेर जोर-जोर से दहाड़ रहा था। • वह मुझे भल - भााँतत जानता है।
  • 8. पररमाणिाचक क्रियाविशेषण जजन शब्दों से क्रिया क े पररमाण (मात्रा) का बोध हो, उन्हें पररणामवाचक क्रियाववशेषण कहते हैं। इसका पता लगाने क े ललए क्रिया क े साथ क्रकतना, क्रकतनी या क्रकतने लगाकर प्रश्न क्रकया जाता है; जैसे- 1. उतना खाओ जजतना पचा सको। 2.आज काफी वषात हुई। 3.कम बोलो। 4.अधधक पीओ।
  • 9. सिंबिंधबोधक जजन अव्यय शब्दों से सिंज्ञा या सवतनाम का सिंबिंध वाक्य क े दूसरे शब्दों से जाना जाता है, वे सिंबिंधबोधक कहलाते हैं। जैसे- 1.मेरे घर क े सामने एक उद्यान है। 2.घर क े बाहर बच्चे खेल रहे हैं। 3.पेड़ क े ऊपर धचडड़या का घोंसला है। 4. धन क े बबना कोई नह िं पूछता। 5. राजा क े पीछे चलना चादहए। 6. उसने शेर क े बच्चे की ओर देखा। • क ु छ अन्य सिंबिंधबोधक शब्द – क े बाहर, क े मारे, क े भीतर, की ओर, क े सामने, क े पीछे, की तरह, क े आगे, क े ववपर त, की तरफ आदद।
  • 10. समुच्चयबोधक दो शब्दों, वाक्यािंशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अथवा योजक कहलाते हैं। जैसे- 1.उसने खूब पररश्रम क्रकया इसललए वह प्रथम आया। 2.रवव और सोहन छठी कक्षा में पढ़ते हैं। 3.गौरव पररश्रमी तो है परिंतु वह बुद्धधमान नह िं है। 4.वपता जी और आयुष बातें कर रहे हैं। 5.तुम अखबार पढ़ोगे या पबत्रका? • क ु छ अन्य समुच्चयबोधक शब्द इसललए,लेक्रकन, व, तथा , तथावप, यद्यवप, क्रक, क्योंक्रक, ताक्रक आदद।
  • 11. विस्मयाहदबोधक जो शब्द ववस्मय, हषत, शोक, प्रशिंसा, भय, िोध, दुख आदद मन क े भावों को प्रकट करते हैं, वे ववस्मयाददबोधक कहलाते हैं । जैसे- 1.अरे! तुम भी आ गए। 2.वाह! क्या छक्का मारा है। 3.अहा ! क ै सा मधुर सिंगीत है। 4.ओह! क्रकतना कमजोर है। 5.तछः! क्रकतनी गिंद बात। 6. ठीक है! ठीक है! मैं कल ददल्ल चला जाऊ ाँ गा। 7. बाप रे! क्रकतना भयानक शेर। 8. खबरदार! जो बबजल की तार को हाथ लगाया। • क ु छ अन्य ववस्मयाददबोधक शब्द – बाप रे, हाय, अजी, उफ, हे राम, आह, शाबाश, काश, हे भगवान, सावधान, खबर आदद।

Editor's Notes

  1. विष्णु दत्त मिश्र
  2. विष्णु दत्त मिश्र
  3. विष्णु दत्त मिश्र
  4. विष्णु दत्त मिश्र
  5. विष्णु दत्त मिश्र
  6. विष्णु दत्त मिश्र
  7. विष्णु दत्त मिश्र
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  9. विष्णु दत्त मिश्र
  10. विष्णु दत्त मिश्र
  11. विष्णु दत्त मिश्र