2. पुरिससच्छछसंढवेदाेदयेण पुरिससच्छछसंढअाे ाावे
णामाेदयेण दव्वे, पाएण समा कह ं ववसमा॥271॥
•अर्थ - पुरुष, स्त्री अाि नपुंसक वेदकमथ के उदय से
ाावपुरुष, ाावस्त्री अाि ाावनपुंसक ाेता , अाि
•नामकमथ के उदय से द्रव्यपुरुष, द्रव्यस्त्री, द्रव्यनपुंसक
ाेता
•साे य ााववेद अाि द्रव्यवेद प्राय: किके समान
ाेता , पिन्तु क ीं-क ीं ववषम ाी ाेता ॥271॥
3. वेद
ााव वेद
जीव के तीव्र माे से उत्पन्न
स्तरी, पुरुष, नपुंसक-ाावरूप
परिणाम
द्रव्य वेद
पुरुष, स्तरी, नपुंसकरूप शिीि
4. द्रव्य व ााव वेद में समता-ववषमता क ााँ संाव?
समानता ी ाेती
•देव
•नािकी
• ााेगाूमम के मनुष्य, ततयंच
• एके च्न्द्रय एवं ववकलेच्न्द्रय ततयंच
• सम्मूछछथन मनुष्य एवं ततयंच
ववषमता संाव
• कमथाूमम के मनुष्य एवं ततयंच
नाेट ― ज ााँ तीनाें वेद पाये जाते ं व ीं वेद ववषमता ाेती
5. वेदस्तसुदीिणाए, परिणामस्तस य वेज्ज संमाे ाे
संमाे ेण ण जाणदद, जीवाे ह गुणं व दाेषं वा॥272॥
•अर्थ - वेद नाेकषाय के उदय तर्ा उदीिणा
ाेने से जीव के परिणामाें में बड़ा ाािी माे
उत्पन्न ाेता अाि इस संमाे के ाेने से
य जीव गुण अर्वा दाेष काे न ीं जानता
॥272॥
6. पुरुगुणााेगे सेदे, किेदद लाेयच्म्म पुरुगुणं कम्मं
पुरुउत्तमाे य जम् ा, तम् ा साे वच्णणअाे पुरिसाे॥273॥
•अर्थ - उत्कृ ष्ट गुण अर्वा उत्कृ ष्ट ााेगाें का जाे
स्तवामी ाे, अर्वा
•जाे लाेक में उत्कृ ष्ट गुणयुक्त कमथ काे किे,
अर्वा
•जाे स्तवयं उत्तम ाे
•उसकाे पुरुष क ते ं ॥273॥
7. तनरुमक्त से 'पुरुष' कान ?
•उत्कृ ष्ट सम्यग्जञानादद का स्तवामी ाेतापुरु गुण शेते
•उत्कृ ष्ट इंद्राददक ााेगाें का ााेक्ता ाेतापुरु ााेग शेते
•धमथ, अर्थ, काम, माेक्षरूप पुरुषार्थ काे कितापुरुगुण किाेतत
•उत्तम पिमेष्ठी के पद में स्स्तर्त ाेतापुरु उत्तमे शेते
('शीङ् ' धातु का अर्थ स्तवामी, ााेगना, किना, स्स्तर्त ाेना अादद अर्थ ं
इसमलए एेसे अनेक अर्थ वकये ं )
8. पुरुष वेद
सामान्य स्तवरूप
•पुरुष वेद नामक नाेकषाय के उदय से
• ाेने वाली जीव की अवस्तर्ा-ववशेष काे
•पुरुष वेद क ते ं
➢कसी अवस्तर्ा-ववशेष ?
•स्तरी के सार् िमण की इछछा
कषाय की तीव्रता
के दृष्टांत
•तृण (ततनके ) की अग्नि
9. छादयदद सयं दाेसे, णयदाे छाददद पिं वव दाेसेण
छादणसीला जम् ा, तम् ा सा वच्णणया इत्र्ी॥274॥
•अर्थ - जाे ममथ्यादशथन, अञान, असंयम अादद दाेषाें
से अपने काे अाछछाददत किे अाि
•मृदु ााषण, ततिछी मचतवन अादद व्यापाि से जाे
दूसिे पुरुषाें काे ाी ह ंसा, अब्रह्म अादद दाेषाें से
अाछछाददत किे,
•उसकाे अाछछादन-स्तवाावयुक्त ाेने से स्त्री क ते ं
॥274॥
10. तनरुमक्त से 'स्तरी' कान ?
दाेष: छादयतत
अर्ाथत् दाेषाें से अाछछाददत किे
स्तवयं काे
ममथ्यात्व, असंयम अादद से
दूसिाें काे
वशकि ह ंसाददक पापाें से
इस प्रकाि अाछछादन-रूप स्तवााव ाेने से 'स्तरी' क ा जाता
11. स्तरी वेद
सामान्य स्तवरूप
•स्तरी वेद नामक नाेकषाय के उदय से
• ाेने वाली जीव की अवस्तर्ा-ववशेष काे
•स्तरी वेद क ते ं
➢कसी अवस्तर्ा-ववशेष ?
•पुरुष के सार् िमण की इछछा
कषाय की तीव्रता के
दृष्टांत
• कािीष (कं ड़े) की अग्नि
12. णेववत्र्ी णेव पुमं, णउंसअाे उ यमलंगवददरित्ताे
इट्ठावच्ग्जगसमाणग-वेदणगरुअाे कलुसमचत्ताे॥275॥
•अर्थ - जाे न स्त्री ाे अाि न पुरुष ाे एेसे दाेनाें
ी मलंगाें से िह त जीव काे नपुंसक क ते ं
•य अवा (ाट्टा) में पकती हुई इंट की अग्नि के
समान तीव्र कामवेदना से पीदड़त ाेने से
प्रततसमय कलुवषत मचत्त ि ता ॥275॥
13. तनरुमक्त से 'नपुंसक' कान ?
स्तरी-पुरुष दाेनाें के मचहाें से िह त
दाढी, मूाँछ अाि स्ततन अादद पुरुष अाि स्त्री के मचहाें से िह त
तीव्र काम पीड़ा से ािा हुअा
14. नपुंसक
सामान्य स्तवरूप
• नपुंसक वेद नामक नाेकषाय के उदय से
• ाेने वाली जीव की अवस्तर्ा-ववशेष काे
• नपुंसक वेद क ते ं
➢कसी अवस्तर्ा-ववशेष ?
• युगपत् दाेनाें के सार् िमण की इछछा
कषाय की तीव्रता
के दृष्टांत
• अवा (ाट्टे) में पकती हुई इंट की अग्नि
16. अपगत वेदी (वेदिह त)
तीन प्रकाि की कामवेदनारूप संक्लेशिह त
अपनी अात्मा से उत्पन्न अनाकु ल, अनंत, सवाेथत्कृ ष्ट सुख
के ााेक्ता
नवें गुणस्तर्ान के अपगतवेद ााग से गुणस्तर्ानातीत ससद्ध
तक
17. वेदाें के स्तवामी
द्रव्य-वेद ााव-वेद
पुरुष वेद 1-14 1-9
स्तरी वेद 1-5 1-9
नपुंसक वेद 1-5 1-9
अपगतवेदी 9-14 ाेता न ीं
20. इग्नगपुरिसे बत्तीसं, देवी तज्ाेगाजजददेवाेघे
सगगुणगािेण गुणे, पुरुसा मह ला य देवेसु॥278॥
•अर्थ - देवगतत में एक देव की कम-से-कम
बत्तीस देववयााँ ाेती ं इसमलये देव अाि
देववयाें के जाेड़रूप तेतीस का समस्तत देविाशश
में ााग देने से जाे लब्ध अावे उसका अपने-
अपने गुणाकाि के सार् गुणा किने से देव अाि
देववयाें का प्रमाण तनकलता ॥278॥
21. देव-देववयाें की संख्या का ववााजन
देव देवगनत की र शि
𝟑𝟑
× 𝟏
क्याेंवक अधधकांश
देवाें के 32 देववयााँ
ाेती ं इसमलये
32 + 1 = 33
से ााग ददयादेववयााँ देवगनत की र शि
𝟑𝟑
× 𝟑𝟐
अर्ाथत् देवगतत में लगाग 97% देववयााँ ं, देव 3% ं
22. देवेह साददिेया, पुरिसा देवीह ं साह या इत्र्ी
तेह ं वव ीण सवेदाे, िासी संढाण परिमाणं॥279॥
अर्थ - देवाें से कु छ अधधक (मनुष्य अाि ततयंच गतत
सह त) पुरुषवेदवालाें का प्रमाण अाि
देववयाें से कु छ अधधक (मनुष्य तर्ा ततयंच गतत सह त)
स्त्रीवेदवालाें का प्रमाण
सवेद िाशश में से पुरुषवेद तर्ा स्त्रीवेद का प्रमाण घटाने
से जाे शेष ि े व नपुंसकवेददयाें का प्रमाण ॥279॥
23. संख्या - पुरुष वेदी
देवाें से कु छ अधधक
= देव + पुरुष वेदी ततयंच + पुरुष वेदी मनुष्य
=
जगतप्रतर
65= प्रतर ांगुल ×33
+
योनििी नतयंच
सांख्य त
+
(ब द ल)3
4
−
अर्ाथत् देवाें की संख्या से कु छ अधधक =
जगतप्रतर
65= प्रतर ांगुल ×33
++
24. संख्या – स्त्री वेद
देववयाें से कु छ अधधक
= देववयााँ + स्त्री-वेदी ततयंच + स्त्री-वेदी मनुष्य
=
जगतप्रतर × 3𝟐
65= प्रतर ांगुल × 33
+
व्यांतर देव
सांख्य त
+
(ब द ल)3 × 𝟑
4
अर्ाथत् देववयाें की संख्या से कु छ अधधक =
जगतप्रतर ×𝟑𝟐
65= प्रतर ांगुल ×33
++
25. संख्या – नपुंसक वेदी
नपुंसक वेदी =
सवेद िाशश ‒ पुरुष वेदी ‒ स्तरी वेदी
13- ‒ देवाें से कु छ अधधक ‒ देववयाें
से कु छ अधधक
13≡
(प्रर्मगुणस्तर्ान से 9वें गुणस्तर्ान
के सवेदााग तक के जीव सवेदी
ं ताे सवेद िाशश संसािी िाशश
से कु छ कम हुई )
(संसािी िाशी की संदृधष्ट 13
कु छ कम के मलए - का
मचह मलखा )
26. तीनाें वेद वालाें की संख्या
वेद
सामान्य
प्रमाण
ववशेष प्रमाण अल्प-बहुत्व
पुरुष वेद असंख्यात देवाें से कु छ अधधक सबसे कम
स्तरी वेद असंख्यात देववयाें से कु छ अधधक संख्यात गुणा
नपुंसक वेद अनंत
कु ल सवेद िाशश - पुरुष
अाि स्तरी वेदी
अनंत गुणा
27. गब्भणपुइस्त्र्सणणी, सम्मुछछणसच्णणपुणणगा इदिा
कु रुजा असच्णणगब्भज-णपुइत्र्ीवाणजाेइससया॥280॥
र्ाेवा ततसु संखगुणा, तत्ताे अावमलअसंखाागगुणा
पल्लासंखेज्जगुणा, तत्ताे सव्वत्र् संखगुणा॥281॥
• अर्थ - 1-2-3 गाथज संञी नपुंसक, पुधल्लंगी तर्ा स्त्रीमलंगी, 4-5
सम्मूछछथन संञी पयाथप्त अाि अपयाथप्त, 6 ााेगाूममया, 7-8-9 असंञी
गाथज नपुंसक, पुधल्लंगी तर्ा स्त्रीमलंगी तर्ा 10 व्यंति अाि 11 ज्याेततषी
- इन ग्जयाि स्तर्ानाें काे क्रम से स्तर्ापन किना चाह ये
• जजसमें प ला स्तर्ान सबसे स्तताेक , अाि उससे अागे के तीन स्तर्ान
संख्यातगुणे-संख्यातगुणे ं पााँचवााँ स्तर्ान अावली के असंख्यातवें ााग
गुणा छठा स्तर्ान पल्य के असंख्यातवें ाागगुणा इससे अागे के
पााँचाें ी स्तर्ान क्रम से संख्यातगुणे-संख्यातगुणे ं ॥280-281॥
28. नाेट: पूवथ-पूवथ की िाशश से अागे-अागे की िाशश गुणाकािरूप
1. नपुंसक 2. पुरुष 3. स्त्री
संख्यात गुणा संख्यात गुणा
संञी गाथज
वेद संबंधी कु छ अन्य राशिय ं का अल्प-बहुत्व