Se ha denunciado esta presentación.
Se está descargando tu SlideShare. ×
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Anuncio
Cargando en…3
×

Eche un vistazo a continuación

1 de 2 Anuncio

Más Contenido Relacionado

Anuncio

Van

  1. 1. इस मौंके पर मैं वनाधिकारी होने के नाते पेड़ों की सदाश्यता की बात पुनः तरोताजा करना चाहूँगा. साथ ही पौराणिक साहहत्य से दो उद्िरि देकर अपनी बात को ववराम दूँगा. पेड़ हवा के झोंके , वर्ाा, िप और पाला सब कु छ सहते हैं, फलों, पत्तों और फलों का भार वहन करते हैं. सब कु छ सहन करके भी पेड़ एड़ी से चोटी तक जीवन पयान्त दसरों को समवपात रहते हैं. हमारे सुख के ललये पेड़ अपना तन भी समवपात कर देते हैं. मरने के बाद भी यह मनुष्य के काम आते हैं. जरा सोचें ... ये क्या करते हैं : 1.साूँस के ललये ऑक्क्सजन बनाते हैं 2. िप की पीड़ा और ठंड के कष्ट से बचाते हैं. 3. िरती का श्रंगार कर सुंदर प्रकर तत का तनमााि करते हैं. 4. पधथकों ववश्ाम-स्थल, पक्षियोंको नीड़, जीव जन्तुओं को आश्य स्थल देते हैं. 5. पेड़ अपना तन समवपात कर गरहस्थों को इंिान, इमारती लकड़ी, पत्तो-जड़ों तथा छालों से समस्त जीवों को और्धि देते हैं. 6. पत्ते, फल, फल, जड़, छाल, लकड़ी, गन्ि, गोंद, राख, कोयला, अंकुर और कोंपलों से भी प्राणियों की अन्य अनेकानेक कामनाएूँ पिा करते हैं. कु ललमलाकर पेड़ हमारी पहली साूँस से लेकर अंततम संस्कार तक मदद करते हैं. ऐसे परोपकारी संसार में सच्चे संत ही हो सकते हैं. जो सारी बािाएं स्वयं झेलकर दसरों की सहायता करते हैं. हमारे पौराणिक साहहत्य से दो उद्िरि : दस कु ओं के बराबर एक बावड़ी, दस बावडड़यों के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक पुत्र तथा दस पुत्रों के बराबर एक वरि है.-मत्स्यपुराि. वरिों का सारा जीवन के वल दसरों की भलाई करने के ललये ही है. ये स्वयं तो हवा के झोंके ,वर्ाा, िप और पाला सब कु छ सहते हैं, फफर भी ये हम लोगों की उनसे रिा करते हैं.-श्ीमद्भागवत.
  2. 2. वन महोत्सव भारत में प्रततवर्ा जुलाई के प्रथम सप्ताह में वरिारोपि के ललये मनाया जाने वाला उत्सव है. यह पयाावरि संरिि और प्राकर ततक पररवेश के प्रतत संवेदनशीलता को अलभव्यक्त करने वाला एक आंदोलन है. इसका सत्रपात तत्कालीन कर वर् मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (Kulapati Dr. K M Munshi) ने 1950 में फकया था. वन महोत्सव को राष्रीय स्तर पर सराहना व सफलता लमली. वन महोत्सव सप्ताह के दौरान देश भर में लाखों पौिे लगाये जाते हैं. प्रत्येक नागररक से यह अपेिा की जाती है फक वह वन महोत्सव सप्ताह में एक पौिा जरुर लगावे. वन महोत्सव लोगों में पेड़ों को काटने से होने वाले नुकसान के प्रतत सजगता फै लाने में सहायक है. वन महोत्सव लोगों द्वारा घरों, ऑफफसों, स्कलों, कॉलेजोंआहद में पौिों का पौिारोपि कर मनाया जाता है. इस अवसर पर अलग अलग स्तर पर जागरुकता अलभयान चलाये जाते हैं. लोगों को प्रोत्साहहत करने ललये ववलभन्न संगठनों व वॉलंहटयसा द्वारा तनशुल्क पौिों का ववतरि भी फकया जाता है. वन महोत्सव पर पौिे लगाकर कई उद्देश्यों को सािा जाता है जैसे वैकक्ल्पक इंिन व्यवस्था, खाद्यान्न संसािन बढ़ाना, उत्पादन िमता बढ़ाने के ललये खेतों के चारों ओर शेल्टर बेल्ट बनाना, पशुओं के ललये चारा उत्पादन, छाया व सौंदयाकरि, भलम संरिि आहद आहद. यह लोगों में के पेड़ों प्रतत जागरुकता की लशिा का उत्सव है और यह बताता है फक पेड़ लगाना व उनका रखरखाव करना ग्लोबल वालमिंग व प्रदुर्ि को रोकने में सबसे अच्छा रास्ता है. वन महोत्सव जीवन के उत्सव तरह मनाया जाता है. भारत में इसे िरती माता की रिा के ललये िमा युद्ि की तरह शुरु फकया गया था. वन महोत्सव का मतलब पेड़ो का उत्सव है. इसकी शुरुआत जुलाई 1947 में हदल्ली में सघन वरिारोपि आन्दोलन के रूप में बीड़ा उठाकर की गयी, क्जसमें डा. राजेन्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरु लसरीखे राष्रीय नेताओं ने लशरकत की थी. इसके साथ साथ यह उत्सव कई राज्यों में मनाया गया था. तब से लभन्न-लभन्न प्रजाततयों के हजारों पौिे वन ववभाग जैसी ववलभन्न स्थानीय एजेंलसयों की प्रभावशाली सहभाधगता से लगाते है. इस नायाब मौंके पर अधिक से अधिक पेड़ लगाने व उनके रखरखाव की समझाइस जरुर करावें. इस महा अलभयान को जन भागीदारी से सफल बनाया जा सकता है. थैंक्स

×