2. क
ु ष्ांड क
ु ल की सब्जियां गर्मी और बरसात की र्मौसर्म
की प्रर्मुख सब्जियां हैं। इनका उपयोग सिी या सलाद क
े
रूप र्में षकया जाता है। इनक
े पौिे बेल नुर्मा होते हैं।
क
ु ष्ांड क
ु ल की प्रर्मुख सब्जियां तरबूज, खरबूजा कद् दू
तुरई लौकी पेठा परवल ककडी ष ंडा खीरा करेला आषद
है।
क
ु ष्ांड क
ु ल की सब्जियों र्में पुष्प र्मोनोषियस होते हैं,
अर्ाात नर व र्मादा पुष्प एक ही बेल पर अलग-अलग
आते हैं। इनक
े परागण की षिया र्मुख्य रूप से की ों
द्वारा होती है।
3. इनकी बेलों की अच्छी वृब्जदद 25 से 30 षडग्री सेब्जियस
तापर्मान पर होती है।
इन पर पाले का प्रभाव बहुत अषिक होता है।
इनक
े षलए उपजाऊ दोर्म भूषर्म जहां पानी का षनकास
अच्छा हो, उत्तर्म होती है।
इनकी खेती गर्मी और विाा दोनों ररतुओं र्में की जाती है।
5. तरबूज खरबूजा व ककडी फरवरी-र्मार्ा र्में तर्ा तुरई
खीरा लौकी कद् दू करेला तर्ा ष ंडे की बुवाई
ग्रीष्कालीन फसल क
े षलए फरवरी-र्मार्ा व विाा कालीन
फसल की जून-जुलाई र्में करना उषर्त है|
बीर्माररयों की रोकर्ार्म क
े षलए बीजों को बोने से पूवा
बषवषिन 2 ग्रार्म प्रषत षकलो बीज क
े षहसाब से उपर्ाररत
कर बोना र्ाषहए|
बुवाई का सर्मय इस बात पर षनभार करता है षक इन
सब्जियों की बुवाई नदी पे े र्में की जा रही है या सर्मतल
भूषर्म पर|
6. अगेती फसल लेने क
े षलए बीजों को सीिे खेत र्में ना
बोकर प्रो- रे र्में बोया जा सकता है|
प्रो- रे को वषर्माक्यूलाइ ,परले व कोकोपी क
े 1:1 क
े
अनुपात क
े षर्मश्रण से भरा जाता है| इन प्रो- रे र्में बीज को
बोया जाता है|
प्रो- रे को 1/3 भाग षर्कनी षर्म ी , 1/3 भाग बालू व
1/3 भाग वर्मीकम्पोस्ट खाद षर्मलकर भी भरा जा सकता
है |
वातावरण गर्मा बनाए रखने क
े षलए रात क
े सर्मय प्रो- रे
को पॉषलर्ीन से ढक देवें।
7. उपयुक्त तापर्मान होने पर तैयार खेत र्में स्र्ानांतरण करें।
सीिे खेत र्में बोने क
े षलए बीजों को बुवाई से पूवा 24 घं े
पानी र्में षभगोने क
े बाद ा र्में बांिकर 24 घं े रखें।
उपयुक्त तापिर्म पर रखने से बीजों को अंक
ु रण प्रषिया
गषतिील हो जाती है इसक
े बाद बीजों को खेत र्में बोया
जा सकता है इससे अंक
ु रण प्रषतित बढ़ जाता है|
10. ग्रीष् ऋतु की फसल र्में प्रारंषभक षदनों र्में लगभग 10 से
12 षदन क
े अंतर से तर्ा बाद र्में तापर्मान बढ़ने पर पांर्
6 षदन क
े अंतर से षसंर्ाई करनी र्ाषहए।
खरीफ की फसल र्में षसंर्ाई की आवश्यकता नहीं पडती
है यषद लंबे सर्मय तक विाा ना हो तो आवश्यकतानुसार
षसंर्ाई अवश्य कर देनी र्ाषहए|
पौिों की प्रारंषभक बढ़वार र्में खरपतवारओं से काफी
हाषन होती है। अतः पौिों की छो ी अवस्र्ा र्में षनराई-
गुडाई करना आवश्यक है।
11. गर्मी की फसल र्में दो-तीन बार तर्ा बरसात की फसल र्में
तीन र्ार बार षनराई-गुडाई की आवश्यकता पड सकती
है|
12. 1. लाल भृंग
यह की लाल रंग का होता है तर्ा अंक
ु ररत एवं नई
पषत्तयों को खाकर छलनी कर देता है|
इसक
े प्रकोप से कई बार पूरी फसल नि हो जाती है।
षनयंत्रण हेतु क्योंनालफास 2 षर्मलीली र प्रषत ली र की
दर से षछडकाव करें एवं 15 षदन क
े अंतराल पर दोहरावे
|
14. 2. फल र्मक्खी
करेला,तुरई, ष ंडा, ककडी व खरबूजे आषद को अषिक
नुकसान पहुंर्ाती है|
इसक
े आिर्मण से फल काणे हो जाते हैं षनयंत्रण हेतु
ग्रषसत फलों को तोडकर जला देवे या जर्मीन र्में गहरे गाढ़
कर नि कर दें|
र्मेलाषर्यान 50 ईसी या डाइषर्मर्ोए 30 ईसी 1 षर्मली
ली र का प्रषत ली र या क्यूनालफास 2 षर्मलीली र पानी
की दर से षछडकाव करें, आवश्यकता अनुसार 10 से 15
षदन बाद षछडकाव को दोहरावें |
16. 3. बरूर्ी
यह की पषत्तयों की षनर्ली सतह पर रहकर र्मुलायर्म
तने तर्ा पषत्तयों का रस र्ूसते हैं।
षनयंत्रण हेतु इषर्यन 50 ईसी 1 षर्मली ली र प्रषत ली र
पानी र्में घोल बनाकर जून क
े षद्वतीय सप्ताह र्में षछडकाव
करें|
18. 1. तुलषसता
इस रोग क
े र्मुख्य लक्षण पषत्तयों की ऊपरी सतह पर पीले
िब्बे षदखाई देते हैं और नीर्े की सतह पर कवक की
वृब्जि षदखाई देती है।
उग्र अवस्र्ा र्में रोग ग्रषसत पषत्तयां झड जाती है तर्ा फल
ठीक से नहीं लगते हैं।
षनयंत्रण हेतु र्मैनकोजेब 2 ग्रार्म प्रषत ली र पानी क
े घोल
का षछडकाव करें |
20. 2. झुलसा
इस रोगीक
े प्रकोप से पषत्तयों पर भूरे रंग की छल्लेदार
िाररयां बन जाती हैं|
इसक
े षनयंत्रण हेतु र्मैनकोजेब या जाइनेब 2 ग्रार्म या
जाईरर्म 2ml प्रषत ली र पानी षर्मलाकर षछडक
ें |
आवश्यकता पडने पर षछडकाव को 15 षदन क
े अंतर से
दोहरावें |
22. 3. श्यार्म वणा
इस रोग क
े प्रकोप से फलों एवं पषत्तयों पर गहरे भूरे रंग
क
े काले िब्बे बन जाते हैं।
ग्रषसत भाग र्मुरझा कर सूखने लगता है फल कठोर हो
जाते हैं |
रोकर्ार्म क
े षलए र्मैनकोजेब 2 ग्रार्म प्रषत ली र पानी क
े
घोल का षछडकाव करें|
23. 4. छाछया
रोग ग्रषसत बेलोपर सफ
े द र्ूणी िब्बे षदखाई देते हैं।
रोग ग्रषसत पषत्तयों और फलों की बढ़वार रुक जाती है
और बाद र्में सूख जाते हैं।
षनयंत्रण हेतु क
े रार्ेन 1ml प्रषत ली र पानी क
े घोल का
षछडकाव 15 षदन क
े अंतराल पर करें |