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Mo Faishal
Nursing Tutor
Rama College of Nursing
 स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण स्वच्छतय एवं इकोिॉजी
कय संतुिन आवश्र्क है पर्यावरण में ककसी भी प्रकयर कय
प्रदूषण अथवय इकॉिॉजी में असंतुिन और अस्वच्छतय
स्वयस््र् पर ववपरीत प्रभयव डयिते हैं.
 बढ़ती जनसंख्र्य तथय भौततकवयदी ववकयस के कयरण प्रकृ तत
कय मूि स्वरूप नष्ट होतय जय रहय है, जजसके कयरण
जिवयर्ु पररवतान, वैजश्वक उष्णतय र्य तयपमयन बढ़ोतरी
(ग्िोबि वयलमिंग), हहमखण्डों (ग्िेलिर्रों) कय तेजी से
वपघिनय, तेजयबी बरसयत, समुद्र कय जिस्तर बढ़नय,
वयर्ुमंडि की ओजोन परत में छेद होनय इत्र्यहद समस्र्यएं
उत्पन्न हो रही हैं. इन सभी कय सीधय प्रभयव ईकॉिॉजी एवं
पर्यावरणीर् स्वयस््र् पर पड़ रहय है.
 पर्यावरण बहुपक्षीर् ववषर् है. प्रयरंभ में इसे प्रकृ तत ववज्ञयन
(Natural Sciencel) की एक ियखय मयनय जयतय थय, ककन्तु
वतामयन में र्ह सयमयजजक ववज्ञयन, इततहयस एवं सयहहत्र् से भी
सम्बंधधत है. इसमें मयनव जीवन के बयह्र् एवं आंतररक पक्ष भी
सम्मलित हैं
 डॉ. घोष के अनुसयर जीव, मयनव व्र्वहयर एवं समयज के जीवन
तथय ववकयस पर प्रभयव डयिने वयिी सम्पूणा बयह्र् पररजस्थततर्यं
एवं घटक पर्यावरण हैं.
 अथयात् मनुष्र् के आसपयस के सभी बयह्र् तत्व सजीव, तनजीव,
भौततक, अभौततक इत्र्यहद पर्यावरण में सजम्मलित हैं.
 इससे र्ह स्पष्ट होतय है कक मनुष्र् कय स्वयस््र् पर्यावरण के
प्रत्र्ेक घटक से जुड़य हुआ है. अतः पर्यावरण में ककसी भी
पररवतान से स्वयस््र् अछू तय नहीं रह सकतय है
 अच्छे स्वयस््र् स्तर हेतु बयह्र् पर्यावरण के सयथ
मनुष्र् के आन्तररक पर्यावरण कय भी स्वच्छ रहनय
आवश्र्क है, जजसकय प्रभयव व्र्जतत के मयनलसक
स्वयस््र् पर पड़तय है. पर्यावरण के ववलभन्न घटकों
को तनम्न प्रकयर वगीकृ त कर सकते हैं :
 ऐसे तत्व जजनके संपका में व्र्जतत को अपनय जीवन
गुजयरनय होतय है एवं जजनकय व्र्जतत के स्वयस््र्,
ववकयस, जीवन पर प्रत्र्क्ष एवं अप्रत्र्क्ष प्रभयव पड़तय
है, भौततक पर्यावरण के घटक जयते हैं,
 जैसे वयर्ु, जि, भोजन, प्रकयि, लमट्टी, मकयन,
जिवयर्ु तथय ववककरण आहद इनमें सजम्मलित हैं
 जीवयणु, ववषयणु, वनस्पतत, पिु, कीट, कृं तक,
परजीवी, सूक्ष्मजीव इत्र्यहद जैववक पर्यावरण के घटक
हैं. अनेक संक्रमण, रोग, ववकयर इत्र्यहद के लिर्े
जैववक पर्यावरण उत्तरदयर्ी रहतय है.
 ऐसी सभी सयमयजजक पररजस्थततर्यं एवं कयरक जो
व्र्जतत एवं समुदयर् के सयमयजजक स्वयस््र् को
प्रभयववत करते हैं, इस वगा में सजम्मलित ककर्े जयते हैं.
 जैसे सयमयजजक प्रथयएं, सयंस्कृ ततक मूल्र्, आदतें,
ववश्वयस, मयन्र्तयएं, आधथाक जस्थततर्यं, धयलमाक
पृष्ठभूलम आहद सयमयजजक पर्यावरण के घटक हैं.
 इकोिॉजी िब्द मूि रूप से ग्रीक िब्द आइकोज
(Oikos) अथयात घर (House) से संबंधधत है.
 पररभयषय के रूप में पयररजस्थततकी र्य पररजस्थतत
ववज्ञयन (ईकॉिॉजी), जीववत प्रयणणर्ों एवं पर्यावरण के
परस्पर अध्र्र्न करने वयिी ववज्ञयन है.
 ईकॉिॉजी में जीववतों के मध्र् तथय जीववतों एवं उनके
पर्यावरण के मध्र् होने वयिी अन्तःकक्रर्य को व्र्तत
ककर्य जयतय है.
 मूि रूप से इकॉिॉजी ववस्तयररत जैववक ववज्ञयन है
जजसे ववलभन्न आधयरों पर अनेक भयगों में ववभयजजत
ककर्य जय सकतय है
 जैव-ववववधतय कय इकॉिॉजी से सीधय सम्बंध है. किसी
भी प्रािृ तिि क्षेत्र में पाई जान जंगली िथा पालिू जीव-
जन्िुओं और पादपों िी प्रजातियों िी बहुलिा िो
जैवववववधि । (Biodiversity) िहिे हैं.
 जीवन चक्र के चिते, प्रकृ तत में ववलभन्न जयततर्ों के
जीवों की मृत्र्ु होती रहती है तथय उनके स्थयन पर
नवीन जयततर्ों कय उद्भव र्य ववकयस होने की एक
श्ृंखिय है.
 ककन्तु वतामयन में जीवों के वविोपन र्य समूि नष्ट होने
की दर बढ़ने से अनेक जीवों की जयततर्ों एवं उपजयतीर्ों
कय अजस्तत्व खतरे में पड़ गर्य है. जैव-ववववधतय पर
आए संकट से पयररजस्थततकी तंत्र (ecological System)
में बदियव आ गर्य है.
 जीवों के प्रयकृ ततक आवयसों (Natural Habitat) कय ववनयि
 वन्र्जीवों कय लिकयर (अवैध लिकयर एवं व्र्यपयर)
 अधधक मयत्रय में मछिी व्र्यपयर
 पर्यावरण प्रदूषण
 ग्िोबि वयलमिंग (वैजश्वक उष्णतय)
 जिवयर्ु पररवतान
 अल्प वषया र्य तेजयबी बरसयत (Acid Rain)
 आकजस्मक घटनयएं /आपदयएं
 उल्िेखनीर् है कक प्रकृ तत एवं पयररजस्थततकी तंत्र की सुरक्षय
के लिए जैव ववववधतय के संरक्षण हेतु उपयर् उठयने की
आवश्र्कतय है.
 औधोगीकरण तथय वपछिे दिकों में मयनवीर्
गततववधधर्ों में हुई वृद्धध के कयरण वयर्ुमंडि की
रयसयर्तनक संरचनय बुरी तरह से प्रभयववत हुई है.
 गैसों कय अनुपयत गड़बड़य गर्य है फिस्वरूप जिवयर्ु
में पररवतान हदखयई देने िगय है.
 जिवयर्ु में पररवतान के कयरण कु छ क्षेत्रों में कम वषया,
िीत प्रदेिों में अधधक गमी, सूखयग्रस्त क्षेत्रों में बयढ,
प्रयकृ ततक आपदयओं में वृद्धध इत्र्यहद जैसे प्रभयव प्रकट
होने िगे हैं एवं पर्यावरण बुरी तरह प्रभयववत हो रहय है.
 जिवयर्ु पररवतान के अंतरयाष्रीर् पैनि (IPCC -
International Panel for Climate Change) हेतु
तैर्यर की गई एक अध्र्र्न ररपोटा के अनुसयर जिवयर्ु
पररवतान से तनम्न खतरे र्य कु प्रभयव हो सकते हैं
 समुद्र िे स्िर में वृद्धध (Rise of Sea Level)
वतामयन में िगभग 5 करोड़ व्र्जतत समुद्र के उन
तटवती क्षेत्रों के तनवयसी हैं जहयं समुद्र स्तर में
बढ़ोतरी से बयढ कय खतरय उत्पन्न हो सकतय है.
 महामाररयों िा प्रिोप (Attack of Epidemics)
जिवयर्ु पररवतान कय सबसे बड़य कु प्रभयव मयनव-िरीर
पर पड़ने की आिंकय है
 जिवयर्ु पररवतान डेंगू, हैजय जैसे संक्रमणों के अियवय
मयनलसक रोगों में भी वृद्धध कय कयरण हो सकतय है.
 जिवयर्ु - वैज्ञयतनकों के अनुसयर वयतयवरणीर् तयपमयन
में 3°C से 5°C तक की वृद्धध होने पर, 40-60
प्रततित मिेररर्य एवं डेंगू बुखयर के रोगी बढ़ सकते हैं.
 इसी प्रकयर अस्थमय, हैजय एवं अन्र् श्वसन संक्रमण
(फ्िू सहहत) भी बढ़ेंगे,
 िृ वि उत्पादन में िमी (Decreased Agriculture
Production) जिवयर्ु पररवतान से सूखय, अकयि,
लमट्टी की नमी में कमी वयष्पीकरण में वृद्धध आहद से
कृ वष उत्पयदन एवं फसिों कय स्वरूप बदिने िगय है.
 उल्िेखनीर् है कक भीषण गमी से सन ् 2003 में वपछिे
वषों में सबसे कम कृ वष उत्पयदन नोट ककर्य गर्य.
जिवयर्ु पररवतान उवारक एवं कीटनयिकों की गुणवत्तय
को भी प्रभयववत कर रहय है.
 पाररस्स्थतििी िंत्र में बदलाव (Change in
Ecosystem) जिवयर्ु पररवतान से जगत कय
पयररजस्थततकी तंत्र भी अछू तय नहीं रहय है. जीव-
जंतुओं को नवीन वयतयवरण के अनुकू ि अपनों को
ढयिनय होगय,
 वनों कय एक बड़य भयग िुप्त हो सकतय है, ग्िेलिर्रों
के वपघिने तथय रेधगस्तयन में मृदय अपरदन तेज होने
से जगत भी बुरी तरह प्रभयववत होगय.
 इस प्रकयर जिवयर्ु पररवतान से समस्त प्रयकृ ततक चक्र
कय संतुिन भंग हो रहय है.
 ववश्व के कु ि भू-भयग में कमी (समुद्री स्तर में वृद्धध के
सयथ कयबान डयइऑतसयइड (CO.) के स्तर में बढ़ोतरी
 वैजश्वक उष्णतय (ग्िोबि वयलमिंग) के कयरण ववश्व में
प्रत्र्ेक वषा 1.5 खरब डयिर कय नुकसयन
 समुद्र तटीर् तनवयलसर्ों कय सुनयमी चक्रवयती िहरों तथय
बयढ के कयरण ववस्थयपन।
 वन क्षेत्र में कमी, वनों में आग िगने की घटनयएं बढ़नय,
वनस्पततर्ों कय उत्पयदन प्रभयववत होनय
 जैव-ववववधतय (Bio-diversity) पर खतरय, अनेक
जन्तु/प्रजयततर्ों के िुप्त होने की संभयवनयएं
 जीव-जंतुओं को अपने आवयस स्थि बदिने को
मजबूर होनय
 प्रयकृ ततक सुरक्षय चक्र टूटनय
 भयरत में सन ् 2030 तक प्रतत व्र्जतत की पयनी
उपिब्धतय 30% के िगभग घट सकती है
 अपने देि कय अन्न उत्पयदन बुरी तरह प्रभयववत हो
सकतय है. देि के तयपमयन में आधी डडग्री सेन्टीग्रेड की
वृद्धध से गेहूं कय उत्पयदन 17% तक धगर सकतय है
 गंगय कय उपजयऊ क्षेत्र, अपनय उपजयऊपन खो सकतय है
 हमयरे देि की 50% से अधधक जैव ववववधतय खतरे में
पड़ सकती है
 वयर्ु एवं जि प्रदूषण
 प्रयकृ ततक संसयधनों कय कम होते जयनय
 जैव-ववववधतय को खतरय कू ड़े-कचरे कय अनुपर्ुतत
तनस्तयरण एवं स्वच्छतय कय तनम्न स्तर
 वन क्षेत्रफि कय कम होनय
 र्यतयर्यत कय बढ़तय दबयव
 कृ वष में रसयर्नों/उवारकों कय अतत प्रर्ोग
 भूलम कय स्तर तनम्न होनय (Degradation of land)
 औद्र्ोगीकरण एवं िहरीकरण
 जनसंख्र्य वृद्धध, गरीबी, अलिक्षय एवं बेरोजगयरी कय
दुष्चक्र, पर्यावरण समस्र्यओं को और अधधक बढ़य देतय है.
 पर्यावरण संरक्षण हेतु उपचयरयत्मक एवं सुरक्षयत्मक, दोनों
प्रकयर के प्रर्यसों की आवश्र्कतय है. तनम्नलिणखत उपयर् एवं
कयर्ाक्रमों के मयध्र्म से पर्यावरण संरक्षण के प्रर्यस ककर्े जय
रहे हैं:
 के न्द्रीर् प्रदूषण तनर्ंत्रण बोडा को मजबूत करनय औधोधगक
प्रदूषणों पर तनर्ंत्रण एवं बचयव सम्बंधी पररर्ोजनयओं पर
ध्र्यन देनय
 पर्यावरण सयंजख्र्की, चयटा एवं नतिों कय तनमयाण एवं ववकयस
करनय
 िघु उधर्ोगों में स्वच्छ तकनीकी (Clean Technology)
अपनयनय
 हहमयिर्, तयजमहि तथय अन्र् पुरयतत्व तथय प्रयकृ ततक
महत्व की वस्तुओं को पर्यावरण से प्रदूषण बचयनय
 रयष्रीर् झीि संरक्षण कयर्ाक्रम ियगू करनय द्वीपों की रक्षय
करनय
 सीसय रहहत पैरोि, सी.एन.जी. उपिब्ध करयनय तथय
डीजि की गुणवत्तय बढ़यनय, बयर्ोडीजि को प्रोत्सयहन, सौर
ऊजया कय अधधकतम उपर्ोग
 वनस्पतत उद्र्यनों तथय वनक्षेत्रों को बढ़यवय देनय जि
 िुद्धधकरण र्ोजनयओं कय कक्रर्यन्वर्न
 अनुपर्ोगी भूलम कय संरक्षण करनय तथय उसे वृक्षयरोपण के
लिए उपर्ोग में िेनय
 रयष्रीर् नदी संरक्षण कयर्ाक्रमों की बेहतर कक्रर्यजन्वतत
 प्रयकृ ततक संसयधनों कय िेखय-जोखय रखनय
 पर्यावरण प्रदूषण पर तनगरयनी एवं मॉतनटॅलसंग प्रणयिी
पर्यावरण प्रभयव कय आकिन
 जैव-ववववधतय कय सवेक्षण एवं संरक्षण
 सेतनटेिन, स्वयस््र् की सुरक्षय कय ववज्ञयन अथवय जीवन के
सभी क्षेत्रों में स्वच्छतय से जीने कय तरीकय है.
 Sanitation (सेतनटेिन), फ्रें च िब्द Sanita से उत्पन्न
जजसकय अथा है Cleanliness र्य स्वच्छतय अथवय स्वच्छतय
प्रबंधन, सेतनटेिन की कु छ पररभयषयएं तनम्न प्रकयर हैं :
 जन स्वास््य िी सुरक्षा िे ललए िैयार किए गए और उपयोग
में ललए जाने वाले उपायों िो सेतनटेशन िहिे हैं.
 सेतनटेशन (स्वच्छिा) एि ववज्ञान िथा िायय िरने िी
पद्धति है स्जसमें स्वास््यप्रद आरोग्यिारी (हाइजीन)
स्स्थतियों िा अध्ययन किया जािा है िथा सुरक्षक्षि जलापूतिय
वािायन (वेस्न्टलेशन), ड्रेनेज (तनिास) इत्यादद
स्वास््यिारी उपायों िो अपनाया जािा है
 स्वास््य िे ललए लाभदायि स्स्थतियों िो तनलमयि या
स्थावपि किया जाना सेतनटेशन है
 इस प्रकयर सेतनटेिन (स्वच्छतय प्रबंधन) एक ऐसी
प्रकक्रर्य है जजसके द्वयरय मयनव के पर्यावरण एवं सम्पूणा
इकॉिॉजी को स्वयस््र् को नुकसयन पहुंचयने वयिी
जस्थततर्ों, मनुष्र् एवं पिुओं के मि, धुआं, ववषैिे,
संक्रयमक और घृणणत पदयथों, कीटों तथय रोग के लिए
उत्तरदयर्ी कयरकों और जीवन को खतरनयक वस्तुओं से
मुतत तथय स्वच्छ रखय जयतय है.
 इसमें सुरक्षक्षत एवं पर्याप्त जियपूतता, स्वच्छ वयर्ु,
उपर्ुतत आवयस तथय पोषण इत्र्यहद की समुधचत
व्र्वस्थयएं भी सजम्मलित हैं. उल्िेखनीर् है कक
सेतनटेिन को पूवा में मयत्र िौचयिर्ों की सफयई एवं
तनमयाण से संबंधधत मयनय जयतय थय.
 वतामयन में सेतनटेिन, रोगों से बचयव तथय मयनव
स्वयस््र् में बढ़ोतरी कर जयने के उद्देश्र् से पर्यावरण
तनर्ंत्रण करने वयिी ववज्ञयन की महत्वपूणा ियखय है.
जजसमे सजम्मलित हैं:
 स्वच्छ आवास
 स्वच्छ िृ वि एवं फामय
 स्वच्छ व्यवसाय (औद्योधगि हाइजीन)
 स्वच्छ पडोस
 स्वच्छिा समुदाय इत्यादद.
 पर्यावरण एवं स्वयस््र् कय संबंध व्र्तत करने के लिए
पर्यावरण स्वच्छतय (Environ- mental Sanitation)
िब्द कय प्रर्ोग ककर्य जयतय रहय है.
 स्वयस््र् प्रयजप्त में स्वच्छतय पूणा जस्थततर्ों कय प्रत्र्क्ष
संबंध पर्यावरण से है. ववश्व स्वयस््र् संगठन ( WHO)
के अनुसयर "पयायवरणीय स्वच्छिा िा अथय व्यस्ति िे
भौतिि पयायवरण िे उन सभी िारिों िो तनयंत्रत्रि
िरना है जो कि उसिे शारीररि वविास, स्वास््य एवं
जीवन पर हातनिारि बोलिे हैं अथवा डाल सििे है."
 पर्यावरणीर् स्वच्छतय के द्वयरय रोगों के आक्रमण कम
ककर्य जय सकतय है तथय स्वयस््र्कयरी जस्थततर्ों को
बढ़यर्य जय सकतय है.
 एक अन्र् मत के अनुसयर पर्यावरण स्वच्छतय, तनवयरक एवं सयमयजजक
धचककत्सय ववज्ञयन (Preventive and Social Medicine) की एक
ियखय है जजसके मयध्र्म से मनुष्र् के ियरीररक, मयनलसक एवं
सयमयजजक कल्र्यण को नुकसयन पहुंचयने वयिे भौततक पर्यावरण के
सभी घटकों को तनर्ंत्रत्रत ककर्य जय सकतय है.
 इस तनर्ंत्रण में सजम्मलित हैं :
 वयर्ुमंडि; जजसमें व्र्जतत सयंस िेते हैं.
 भोजन; जजसे व्र्जतत खयते हैं.
 जि ; जजसे व्र्जतत पीते हैं. उपर्ोग में िेते हैं.
 आवयस (गृह) : जजसमें व्र्जतत तनवयस करते हैं.
 प्रकयि ; जजसके द्वयरय व्र्जतत देख पयते हैं.
 कयर्ास्थि : जहयं व्र्जतत कयर्ा करते हैं, आजीववकय कमयते हैं,
 अपद्रव्र्ों (कचरे) कय तनस्तयरण: जजसे व्र्जतत वयतयवरण में उत्पयहदत
करते हैं.
 कीट एवं परजीवी; जजनसे व्र्जतत ।
 इस प्रकयर पर्यावरणीर् स्वच्छतय व्र्जतत के स्वयस््र्
एवं कल्र्यणकयरी जीवन हेतु सवोत्तम जस्थततर्ों को
ववकलसत करने वयिी ववज्ञयन है.
 र्ह एक ववलिष्ट क्षेत्र है जजसमें धचककत्सय ववज्ञयन एवं
अलभर्यंत्रत्रकी (इंजीतनर्ररंग) के लसद्धयंत तथय
तकनीकी कय उपर्ोग कर मयनव स्वयस््र् के लिए
अतनष्टकयरी एवं प्रयणघयती पर्यावरणीर् कयरकों को
तनर्ंत्रत्रत ककर्य जयतय है.
 स्वस्थ जीवन के लिए 'स्वच्छतय आधयरभूत आवश्र्कतय
है. स्वच्छतय की आधयरभूत आवश्र्कतयएं हैं:
 स्वच्छ वायु
 सुरक्षक्षि जलापूतिय
 उपयुति आवास
 भोजन िी स्वच्छिा (फू ड हाइजीन)
 िचरे एवं अपद्रव्यों िा सही तनस्िारण
 मानव एवं पशु मल-मूत्र िा उधचि तनपटान
 िीट तनयंत्रण (Vector control)
 व्यावसातयि खिरों से सुरक्षा
 वयर्ु गैसों कय लमश्ण है जजससे वयर्ुमंडि कय तनमयाण होतय
है. वयर्ुमंडि में गैसों कय सयमयन्र् संर्ोजन तनम्न प्रकयर है:
ऑतसीजन 20.96 प्रततित
नयइरोजन 78.01 प्रततित
कयबान डयइऑतसयइड 0.03 प्रततित
 इसके अततररतत वयर्ु की संरचनय में ऑरंगोन, हीलिर्म,
तनर्ोन, जीनॉन इत्पयहद दुिाभ गैसें भी अल्प मयत्रय में
लमिती हैं.
 गैसों के अियवय वयर्ु में जि-वयष्प, धूि, अमोतनर्य के
सूक्ष्म कण, जीवयणु, त्रबषयणु, वयनस्पततक तन्तु इत्र्यहद
भी लमिते हैं.
 सयमयन्र् पररजस्थततर्ों में वयर्ु की संरचनय कमोबेि इसी
अनुपयत के आसपयस ही जस्थर रहती है
 वयर्ु के अभयव में मयनव जीवन एवं जगत की कल्पनय
असंभव है प्रयणवयर्ु के रूप में ऑतसीज़न मयनव
जीवन कय आधयर है.
 वयर्ु के अन्र् कयर्ा है
 मयनव िरीर को िीतितय प्रदयन करनय.
 रतत को िुद्ध
 िरीर के तयपमयन कय तनर्ंत्रण
 र्ह जीवयणुओं के प्रसयरण हेतु मयध्र्म है
 वयर्ु संचयलित उद्दीपनों (Stimuli) के कयरण श्वण
एवं गंध की इजन्द्रर्ों को कयम में सहयर्तय लमिती है.
 संचयर सुववधयओं के लिर्े वयर्ु मुख्र् मयगा है
 वयर्ु प्रयणीर्ों के जीवन कय आधयर है. स्वस्थ रहने के
लिर्े स्वच्छ पर्यावरणीर् हवय कय होनय आवश्र्क है.
 हवय की संरचनय में पररवतान होने पर, स्वयस््र् के लिर्े
खतरय उत्पन्न जयतय है. वयर्ु प्रदूषण भयरत जैसे
ववकयसिीि देि से िेकर जयपयन, अमेररकय, इंग्िैण्ड आहद
ववकलसत रयष्रों में भी स्वयस््र् समस्र्य बन चुकय है.
 'पृ्वी सम्मेिन' की ववषर् सूची में वयर्ु प्रदूषण कय
महत्वपूणा स्थयन रहय है. वयर्ु प्रदूषण, श्वसन, तंत्रत्रकय तंत्र
के रोग, हृदर् रोग, क्षर् रोग इत्र्यहद बीमयररर्ों के लिर्े
उत्तरदयर्ी है. वयर्ु प्रदूषण स्वयस््र् के लिर्े गंभीर खतरय
बन गर्य है. अतः र्ह आवश्र्क है कक 'वयर्ु प्रदूषण की
स्पष्ट व्र्यख्र्य की जयए.
 प्रयकृ ततक वयतयवरण के तत्वों के सयथ बयहरी तत्वों की
लमियवट से प्रयकृ ततक तत्व जब अपनी सयमयन्र् कक्रर्य
छोड़कर ववनयिकयरी हदिय में सकक्रर् हो जयते हैं तो इस
कक्रर्य को प्रदूषण' कहते हैं,
 इस पररभयषय के संदभा में "वायु प्रदूिण वह अवस्था है
स्जसमें धूल, धुआँ, वविाति गैस, रासायतनि वाष्पों,
वैज्ञातनि प्रयोगों आदद िे िारण वायु िी िि संरचना
प्रभाववि हो जािी है".
 अथयात ववजयतीर् पदयथों की अधधकतय होने पर वयर्ु ,
मनुष्र् एवं उसके पर्यावरण के लिर्े हयतनकयरक हो
जयए तो इस जस्थतत को वयर्ु प्रदूषण कहते हैं.
 वयर्ु प्रदूषण की समस्र्य के समुधचत आकिन के लिर्े
वयर्ु प्रदूवषत होने के कयरणों अथवय स्रोतों के बयरे में
जयननय आवश्र्क है. इनको तनम्न प्रकयर से वगीकृ त
कर सकते हैं :
 औद्योधगि सोि (industrial Source) ववलभन्न
प्रकयर के रयसयर्तनक उद्र्ोग, तेि िोधक कयरखयने,
खयद एवं कीटनयिक फै तरी, धयतु संर्त्रों आहद से
तनकिने वयिय धुआं, कयलिख, धूि, गैस आहद वयर्ु
प्रदूवषत करते हैं.
 घरेलू स्रोि (Domestic Sources) हम भोजन एवं
अन्र् घरेिू कयर्ों के लिए ईंधन के रूप में िकड़ी,
कोर्िय, तेि इत्र्यहद कय उपर्ोग करते हैं. इनके
प्रर्ोग से उत्पन्न धुआ, कयलिख, गैसें वयर्ु संरचनय को
प्रभयववत करती हैं.
 वैज्ञातनि शोध िायय (Scientific Research)
आणववक ऊजया, अंतररक्ष र्यत्रय, परमयणु तकनीक के
ववकयस एवं िोध कयर्ा हेत ककर्े जयने वयिे ववस्फोट
एवं कक्रर्यएं, वयतयवरण को प्रदूवषत करती हैं.
 यािायाि एवं पररवहन सोल (Transportation)
 िहरों में, र्हयाँ तक कक छोटे कस्बों में भी बढ़ते तनजी
वयहन तथय र्यतयर्यत के अतनर्ंत्रत्रत सयधन, वयर्ु
प्रदूषण के प्रमुख स्रोत लसद्ध हो रहे है.
 वयर्ुप्रदूषण कय 5 0 % हहस्सय र्यतयर्यत के
सयधनों/वयहनों द्वयरय ही उत्पन्न होतय है. र्यतयर्यत के
िगभग सभी सयधन रक, रैतटर, बस, स्कू टर, मोटर
सयईककि, जीप, कयर, जुगयड़ (ग्रयमीण क्षेत्रों में डीजि
इंजन चयलित स्थयनीर् वयहन) वयर्ु प्रदूषण हेतु
उत्तरदयर्ी हैं
 अन्र् स्रोत (Other Sources) उपरोतत के अततररतत
तनम्न स्रोत भी वयर्ु प्रदूषण के लिर्े उत्तरदयर्ी हैं :
 उवारकों एवं कीटनयिकों कय तछड़कयव
 कू ड़य-करकट (प्ियजस्टक) जियनय
 ग्रीन हयउस प्रभयव और ओजोन मंडि के वयतयवरण में
पररवतान होनय.
 घटती वन सम्पदय तथय व्र्यवसयतर्क उपर्ोग हेतु वनों
की अंधयधुंध कटयई
 र्ुद्ध के समर् रयसयर्तनक गैसों कय उपर्ोग
 समुद्र में पेरोि, तेि बहनय तथय उसमें आग िगनय
 वयर्ु प्रदूषण कय स्तर ज्ञयत करने हेतु कु छ संके तकों
(Indicators) की सहयर्तय िी जयती जजनके आधयर पर
वयर्ु संरचनय कय अध्र्र्न कर वयर्ु प्रदूषण की जस्थतत एवं
वयस्तववकतय कय पतय िगय सकते है. कु छ मुख्र् संके तक हैं
:
 वयर्ु में सल्फर डयइऑतसयइड की मयत्रय
 धूम्र सूचकयंक (Smoke Index) : इसमें वयर्ु, एक कयगज
के टेप पर गुजयरते हैं तथय ववद्र्ुत प्रकयिीर् मयपी से
घनत्व कय पतय िगय सकते हैं.
 तनिजम्बत र्य वयर्ु में तैरते पदयथा : इस ववधध में वयतयवरण
में उपजस्थत धूि एवं कयलिख की मयत्रय नयप कर वयर्ु
प्रदूषण कय पतय िगयते हैं,
 वयर्ु में कयबान मोनोऑतसयइड, नयइरोजन डयइऑतसयइड,
सीसय, ऑतसीकयरक पदयथों इत्र्यहद की मयत्रय ज्ञयत कर
वयर्ु संरचनय की जस्थतत जयन सकते हैं.
 वयर्ु की संरचनय में ववलभन्न गैसों कय तथय अन्र् पदयथों कय
अनुपयत िगभग जस्थर रहतय है प्रकृ तत की व्र्वस्थय में बयहरी
तत्वों कय हस्तक्षेप न हो तो, वयर्ुमण्डि में वयर्ु की स्वच्छतय
प्रकक्रर्य स्वतः एवं तनरन्तर चिती रहती है. इस प्रकक्रर्य में
महत्वपूणा भूलमकय तनभयने वयिे घटक हैं-
 वायु प्रवाह : वयर्ु की गतत से, अिुद्धधर्यं तनु हो जयती हैं,उड़
जयती हैं अथवय उनकय एकीकरण एक ही स्थयन पर नहीं हो पयतय
है. जजससे अिुद्ध हवय कय स्थयन िुद्ध हवय िेती रहती है.
 विाय : र्ह वयर्ु कय प्रक्षयिन र्य धुियई करती है तथय हवय में तैरते
हुए ववजयतीर् कणों को हटय देती है. र्ही कयरण है कक वषया के
उपरयंत वयतयवरण बड़य ही स्वच्छ एवं तनमाि प्रतीत होतय है.
 ऑतसीज़न एवं ओजोन: र्े हवय में उपजस्थत कयबातनक पदयथों
को ऑतसीजनकृ त कर वयर्ुमण्डि को िुद्ध करती रहती हैं.
 सूयय िा प्रिाश : सूर्ा के प्रकयि एवं तयपमयन के कयरण
वयर्ुमण्डि में व्र्यप्त जीवयणु नष्ट हो जयते हैं तथय
वयर्ु िुद्ध होती रहती है.
 वनस्पति जीवन : हरी पवत्तर्ों वयिे पेड़-पौधे हदन में
कयबान डयई ऑतसयईड ग्रहण करते तथय ऑतसीजन
प्रदयन करते हैं. इस प्रकयर र्े हदन में प्रयणवयर्ु की
उपिब्धतय बढ़य देते र्ही कयरण है कक पर्यावरण
संरक्षण में वृक्षयरोपण कय महत्व सवोपरर है.
 वयर्ु प्रदूषण, धीमय जहर है जो कक गंभीरतम समस्र्य
कय रूप धयरण करतय जय रहय है. हमयरे देि की
रयजधयनी हदल्िी, ववश्व कय चौथे नम्बर कय
प्रदूषणग्रस्त िहर है.
 कभी- कभी र्ह वयर्ु प्रदूषण महयमयरी के रूप में प्रकट
होकर, मृत्र्ुदयर्क त्रयसदी बन जयतय है. कु प्रभयव
इतनय लिग्रगयमी तथय ववकरयि होतय है कक प्रबंधन
कहठन हो जयतय है.
 अस्थायी प्रभाव (Temporary Effects) िगयतयर
त्रबनय ककसी कयरण के खयंसी रहनय, हमेिय सदी-जुकयम
बने रहनय, श्वसन रोगों कय आक्रमण होते रहनय,
बेचैनी रहनय तथय श्म िजतत पर कु प्रभयव.
 स्थायी प्रभाव (Permanent Effects) दीघा श्वयसनिी
िोथ (Chronic Bronchitis), फु फ्फु स के संक्रमण,
क्षर्रोग, दमय (Asthma), फु प्फु सपयत
(Atelectasis), फु प्फु स कैं सर (Lung Cancer) एवं
मृत्र्ु, मजस्तष्क, गुदे एवं नयड़ी प्रणयिी कय प्रभयववत
होनय. वयर्ुजतनत रोगों (Air bome dis eases) कय
मुख्र् कयरण, वयर्ुजतनत संक्रमण (त्रबन्दुक र्य ड्रयपिेट
संक्रमण, संक्रलमत धूि) तथय अन्र् नुकसयनदयर्क
पदयथा होते हैं.
 पौधों एवं वनस्पति पर पडने वाले प्रभाव (Effects on
Plants & Vegetables) वयर्ु प्रदूषण वविेषकर
सल्फर डयई ऑतसयइड, कु हरे, फ्िोरीन र्ौधगकों के
दुष्प्रयव से पौधों कय ववकयस अवरूद्ध हो जयतय है.
संदूवषत वनस्पतत के सेवन से पिु बीमयर हो जयते हैं.
 सामास्जि एवं आधथयि प्रभाव (Social and
Economical Effects) धूि, धुआाँ, कयलिख इत्र्यहद
के कयरण भवनों कय बदरंग हो जयनय, भवनों, मकयनों
की मरम्मत एवं रंग-रोगन से होने वयिी आधथाक
हयतन. अवप्रर् गंध से बेचैनी होनय, धूम्र के कयरण
दृश्र्तय कम होनय तथय इनके कयरण रेि, सड़क
र्यतयर्यत में बयर दुघाटनयएं.
 संवयतन (Ventilation) िब्द कय सरि अलभप्रयर्, भीतर की हवय
कय बयहर की हवय से तनभार्य र्य अदिी-बदिी है अथयात् दूवषत
वयर्ु के स्थयन पर िुद्ध एवं तयजी वयर्ु के प्रवेि को संवयतन कह
सकते हैं. संवयतन की र्ह पररभयषय कु छ सीलमत अथा लिर्े हुए
है.
 आधुतनक आख्र्य के अनुसयर संवयतन में :
 िुद्ध वयर्ु के स्थयन पर िुद्ध वयर्ु कय ववतनमर् ।
 वयर्ु कय वेग,
 वयर्ु कय तयपमयन, आद्रातय एवं
 तयपीर् वयतयवरण तथय वयर्ु कय संक्रमण से मुतत एवं
आरयमदयर्क होनय भी सजम्मलित है
 इस प्रकयर हम कह सकते है कक सवयतन मयनव िरीर को स्वस्थ
रखने एवं सववधय प्रदयन करने कय ववज्ञयन है जो कक वयतयवरणीर्
पररजस्थततर्ों कय रखरखयव र्य अनुरक्षण करतय है.
 र्हयाँ पर संवयतन के कु छ मयनक हदर्े गर्े हैं :
 प्रतत व्र्जतत 1000-1200 घनफु ट हवय की प्रतत घंटय
पूतता, पर्याप्त मयनी गई है. अनेक वयतयवरण वैज्ञयतनकों
ने र्ह सीमय 300 से 3000 घन फु ट प्रतत व्र्जतत प्रतत
घंटय व्र्तत की है. वतामयन में घन फु ट कय र्ह मयनक
कम प्रचलित है,
 कमरे में प्रततघंटे 2 र्य 3 बयर तथय सभयकक्षों में 4 से 6
बयर, हवय कय बदिनय आवश्र्क है
 आवयसीर् भवनों में प्रतत व्र्जतत 500 घनफु ट स्थयन
(िगभग) वयंछनीर् है
 अस्पतयि में श्ेणणर्ों के आधयर पर प्रतत रोगी के लिर्े
1200 घनफु ट से िेकर 1800 धनफु ट स्थयन आरक्षक्षत होनय
चयहहर्े.
 आदिा फिा स्थि (Optimum Floor Space), प्रतत
व्र्जतत के हहसयब से 50 से 100 फु ट के बीच होनय चयहहए.
संक्रयमक रोग धचककत्सयिर्ों में पह मयनक 144 वगाफु ट
प्रतत रोगी के हहसयब से होनय चयहहर्े.
 अस्पतयिों में 2 िय्र्यओं के मध्र् कम से कम 3 फु ट कय
अन्तरयि होनय चयहहर्े.
 आवयसीर् भवनों के छत की ऊाँ चयई 11-12 फु ट होनी
चयहहर्े.
 हर आवयस में णखड़ककर्यं, दरवयजे, रोिनदयनों की पर्याप्त
संख्र्य होनय आवश्र्क है.
 कमरे में वयर्ु घूमती रहे, तयपमयन आरयमदयर्क
जस्थतत में जस्थर रहे तथय आद्रातय 80 प्रततित के
आसपयस रहनी चयहहर्े.
 पररसर की वयर्ु धूि, धुआं एवं असुहयवनी गंध से
मुतत होनी चयहहर्े
 आवयसीर् पररसर अथवय कमरे में संवयतन की समुधचत
व्र्वस्थय न होने पर, इसमें रहने वयिे व्र्जततर्ों के
स्वयस््र् पर प्रभयव पड़तय है तथय इनमें तनम्न िक्षण
अथवय लिकयर्तें पयई जय सकती हैं:
 थकयन, धचड़धचड़यपन
 कयर्ाक्षमतय में कमी
 गमयाहट, अतत स्वेदन (पसीने) की लिकयर्त
 चतकर आनय
 भूख कम िगनय
 अतनद्रय एवं लसरददा
 िरीर की प्रततरक्षय क्षमतय कम हो जयनय
 जुकयम, खयंसी, श्वसन रोगों कय संक्रमण होनय
 संवयतन को दो प्रकयर से वगीकृ त कर सकते हैं
 प्रािृ तिि संवािन (Natural Ventilation)
 िृ त्रत्रम या यांत्रत्रि संवािन (Artificial or
Mechanical Ventilation)
 प्रयकृ ततक संवयतन (Natural Ventilation) र्ह
संवयतन की सरितम एवं प्रयकृ ततक ववधध है. जजसकय
उपर्ोग िघु भवनो, ववद्र्यिर्ों कयर्यािर्ों, प्रयथलमक
स्वयस््र् के न्द्र के भवनों इत्र्यहद के संवयतन हेतु ककर्य
जय सकतय है
 वायुगति (Air Movement)-दरवयजे एवं णखड़ककर्याँ
खुिी होने पर वयर्ु एक स्थयन से दूसरे स्थयन पर बहती
रहती है तथय अपने सयथ अिुद्धधर्ों को बहय िे जयती
है.
 गैसों िा प्रसार (Expansion of Gases) - गैस की
वविेषतयओं में प्रसरण मुख्र् है. अतः कमरे, भवनों के
तछद्रों से भी हवय तनकिती है एवं अन्दर, बयहर आ
सकती है. र्ूं इनकय संवयतन प्रकक्रर्य में र्ोगदयन
महत्वपूणा नहीं मयनय जय सकतय ककन्तु भीड़ भयड़ वयिे
आवयसीर् स्थिों में इन तछद्रों, दरयरों कय होनय
स्वयस््र् की दृजष्ट से आवश्र्क एवं प्रभयवकयरी लसद्ध
हो सकतय है.
 िापमान (Temperature)-वयर्ु अधधक सघनतय से
कम सघनतय की ओर बहती है.
 अन्दर की वयर्ु, गमा होने पर कमरे में फै िकर ऊपर
की ओर उठती है एवं ऊं चयई पर बने रोिनदयनों से
बयहर तनकि जयती है।
 जबकक बयहर से अंदर आने वयिी हवय कय तयपमयन कम
रहतय है जो कक बयहर तनकिने वयिी वयर्ु कय स्थयन
ग्रहण कर िेती है
 प्रवेश एवं तनगयम मागय (Entrance and Exit Way)
प्रयकृ ततक संवयतन हेतु प्रवेि मयगा एवं तनर्यात की
व्र्वस्थय कय होनय अच्छी तकनीक है.
 प्रवेि मयगा से िुद्ध हवय कमरे में प्रवेि करती है.
जबकक तनगाम, दूवषत हवय बयहर तनकिती है. संवयतक
(Ventilator) एवं उच्च स्तर पर अवजस्थतत णखड़ककर्यं
बयहरी मयगा कय कयर्ा करती हैं जबकक प्रवेि द्वयर तथय
कम ऊाँ चयई की णखड़ककर्याँ वयर्ु की प्रववजष्ट के मयगा हैं.
 र्ह 4 प्रकयर से ककर्य जय सकतय है जजनकय संक्षक्षप्त
वणान र्हयाँ हदर्य जय रहय है
 तनवायचि प्रणाली (Exhaust System) इस ववधध में
तनवयात पंखों (Exhaust Fans) कय प्रर्ोग कर दूवषत
हवय बयहर तनकयिी जयती है. हवय के इस प्रकयर बयहर
तनकिने पर कमरे में तनवयात र्य ररतत स्थयन उत्पन्न
हो जयतय है जो कक प्रवेि मयगा से तयजी, िुद्ध वयर्ु के
आने पर भर जयतय है. रसोई गैस से धुआं एवं
कयरखयनों से ववषयतत गैसों को बयहर तनकयिने के लिर्े
इस प्रणयिी कय उपर्ोग करते हैं.
 प्लीनम या नोदन प्रणाली (Plenum or Propulsion
System) इसमें बड़ी-बड़ी नलिकयओं (Ducts) द्वयरय
पररसर में, वेग से हवय कय प्रवेि करयर्य जयतय है जो
कक प्रदूवषत वयर्ु कय स्थयन ग्रहण कर िेती है. र्ह
प्रणयिी वयतयनुकू लित भवनों, कयरखयनों में संवयतन हेतु
प्रर्ुतत की जयती है.
 संिुललि प्रणाली (Balanced System) इसमें एक
तरफ तो तीव्र वेग से वयर्ु कय प्रवेि (प्िीनम र्य नोदन
संवयतन) करयर्य है जबकक दूसरी ओर दूवषत वयर्ु को
बयहर (तनवयातन संवयतन) तनकयिय जयतय है. इन दोनों
कक्रर्यओं के मध्र् संतुिन ही, संतुलित संवयतन
प्रणयिी है. र्ह प्रणयिी बड़े सभयकक्षों के लिर् उपर्ुतत
है.
 वािानुिू लन प्रणाली (Air Conditioning System)
इस प्रणयिी के द्वयरय हवय को एक ही समर् में िुद्ध,
िीति अथवय गमा ककर्य जय सकतय। इस तकनीक में
कफल्टर, रेकफ्रजरेटर, िीति कु ण्डलिर्ों (Cooling
Coils), आद्रातयकयरी चक्रों एलिलमनेटर प्िेट्स तथय
त्रबजिी के पंखों की संर्ुतत कयर्ाप्रणयिी से
वयतयनुकू िन ककर्य जयतय है.
 इस प्रकयर संवयतन, प्रयकृ ततक अथवय कृ त्रत्रम प्रणयलिर्ों
द्वयरय प्रयप्त ककर्य जय सकतय है ककन्तु भयरत जैसे
ववकयसिीि, ग्रयमीण बहुतयर्त वयिे देि में संवयतन हेतु
प्रयकृ ततक प्रणयलिर्ों कय उपर्ोग सवाश्ेष्ठ है.
 आवयसीर् भवनों में पर्याप्त संख्र्य में णखड़ककर्यं, दरवयजे,
परगयमी संवयतन (Cross Ventilation) की व्र्वस्थय, हयथ
एवं त्रबजिी के पंखे, खसखस की चटयइर्ों कय प्रर्ोग तथय
पर्यावरण संरक्षण की सहयर्तय से स्वयस््र्प्रद स्वयतन कय
रख-रखयव संभव है,
 आवश्र्कतय तथय उपिब्ध संसयधनों के आधयर पर एर्र
कं डीिनरों कय प्रर्ोग अथवय वयतयनुकू लित (AC) संर्ंत्र
िगवयकर भी संवयतन की व्र्वस्थय की जय सकती है.
 मयनव जीवन हेतु वयर्ु, भोजन, जि, संवयतन इत्र्यहद
की स्वच्छतय एवं प्रकयि कय होनय भी वयंछनीर् है,
अच्छी प्रकयि व्र्वस्थय के तनम्न ियभ है :
 थकयन, तनयव तथय दृजष्टदोषों से नेत्रों की सुरक्षय
 कयर्ाक्षमतय में वृद्धध दुघाटनयओं से बचयव (वृद्धयवस्थय
में अनेक दुघाटनयओं कय मूि कयरण, अनुपर्ुतत प्रकयि
होतय है)
 मनोवैज्ञयतनक भर्, लसरददा से बचयव धचककत्सय
संस्थयनों, अनुसंधयनों, कयरखयनों, बहुमंजजिी इमयरतों,
कयर्यािर्ों इत्र्यहद में
 सूर्ा की ककरणों तथय परयवतान से हमें प्रकृ तत प्रदत्त
प्रकयि लमितय है ककन्तु प्रयकृ ततक प्रकयि की मयत्रय :
हदन, समर्, मौसम चक्र तथय बयदिों पर तनभार करती
है.
 इसी प्रकयर प्रयकृ ततक प्रकयि की प्रयजप्त मकयन के
डडज़यइन, प्रवेि एवं तनगाम मयगा, कमरे कय क्षेत्रफि,
दरवयजे, णखड़ककर्ों की संख्र्य, िीिे, रंग एवं पदे
इत्र्यहद की सयज-सज्जय से तनधयाररत होती है. भवनों
में रंगीन पुतयई की अपेक्षय सफे दी कय प्रर्ोग प्रकयि
पररवतान में सहयर्क होतय है.
 रोिनदयनों (Ventilators ) की समुधचत संख्र्य से
कमरय प्रकयि में रहतय है
 प्रयकृ ततक प्रकयि की श्ेष्ठतय तनस्संदेह है ककन्तु सभी
को र्ह आसयनी से सुिभ नहीं है पयतय है.
 भवन तनमयाण में क्षेत्रफि की कमी, गगनचुम्बी
इमयरतें, िहरी गलिर्यं, अंधेरे भंडयर एवं कोठे,
कयर्यािर्ों की भरमयर तथय दोषपूणा नतिों एवं तनमयाण
इत्र्यहद से प्रयकृ ततक प्रकयि बयधधत हो सकतय है.
 अतः ऐसे सभी स्थयनों एवं पररजस्थततर्ों में, हदन के
समर् प्रकयि व्र्वस्थय तथय रयत्रत्र में अंधकयर दूर करने
हेतु कृ त्रत्रम प्रकयि कय सहयरय िेनय पड़तय है. कृ त्रत्रम
प्रकयि के कु छ स्रोत हैं:
 ववद्युि स्रोि (Electric Source) : र्ह स्रोत जि-
ववद्र्ुत, सौर ववद्र्ुत, तयप ववद्र्ुत,परमयण-ववद्र्ुत,
पवन ववद्र्ुत इत्र्यहद के रूप में हो सकतय है तथय हमें
ववद्र्ुत बल्व ट्र्ूबियइट आहद से प्रकयि प्रयप्त होतय है.
ववद्र्ुत, कृ त्रत्रम प्रकयि कय सबसे महत्वपूणा एवं वृहद् स्रोत
है.
 पेट्रोललयम एवं अन्य स्रोि (Petroleum and other
Source) के रोसीन, मोमबत्तय गैस की ियिटेन, डीज़ि
चलित जनरेटरों इत्र्यहद से हमें कृ त्रत्रम प्रकयि प्रयप्त होतय है
 इसी प्रकयर तेि, घी के दीपकों तथय ग्रयमीण क्षेत्रों में गोबर
गैस संर्ंत्रों से भी हमे क्रत्रत्रम प्रकयि प्रयप्त हो सकतय है.
 अच्छी दृजष्ट तथय सही प्रकयर से देखने के लिर्े
उपर्ुतत प्रकयि व्र्वस्थय होनय आवश्र्क है. अच्छे
प्रकयि में तनम्न त्र्ों कय ध्र्यन रखनय जरूरी है:
 पयायप्ििा : प्रकयि की मयत्रय पर्याप्त होनी चयहहर्े तयकक
पढ़ते र्य कयम करते समर् आंखो पर अनयवश्र्क
तनयव न पड़े.
 चिाचौध या चमि ववहीन : चमक एवं चकयचौधर्ुतत
प्रकयि अच्छय नहीं मयनय जयतय। है तर्ोंकक र्ह बेचैनी
उत्पन्न करतय है, नेत्रों को क्षतत पहुाँचयतय है तथय
क्रयजन्तक पय वववेचनयत्मक दृजष्ट (Critical Vision)
को घटयतय है,
 छाया : छयर्य प्रकयि में बयधक होती है. अध्र्र्न के
समर् पुस्तक पर छयर्य नहीं पड़नी चयहहर्े.
 स्स्थरिा : प्रकयि जस्थर होनय चयहहए. प्रकयि कय
णझिलमियनय, रंग त्रबखेरनय, चक्र में घूमनय, अच्छी
प्रकयि व्र्वस्थय कय द्र्ोतक नहीं है.
 प्रिाश िा रंग एवं वविरण : रंगीन प्रकयि अध्र्र्न
हेतु उपर्ुतत नहीं है. दूधधर्य प्रकयि (ट्र्ूबियइट) कयर्ा
में सुववधय प्रयप्त करतय है. प्रकयि कय ववतरण एक
समयन होनय चयहहर्े.
 गृह, घर र्य आवयस पयररवयररक एवं सयमयजजक
गततववधधर्ों कय महत्वपूणा के न्द्र है. गृह (घर) मयत्र
ईंट, सीमेंट, िोहय, पत्थर, चूनय, आर.सी.सी आहद से
तनलमात एक भौततक संरचनय र्य ढयंचय ही नहीं बजल्क
र्ह उसमें रहने वयिे सदस्र्ों को मयनलसक
ियंतत,संतोष एवं सुरक्षय कय अहसयस र्य अनुभूतत देतय
है. अतः घरेिू पर्यावरण कय स्वयस््र्प्रद होनय अत्र्न्त
जरूरी है.
 घर एक स्थयन है जहयं व्र्जतत तनवयस करतय है, अथयात
घर आवयस है.
 घर एक ऐसय वयतयवरण है जहयं व्र्जतत को सुरक्षय एवं
प्रसन्नतय लमिती है.
 घर एक ऐसी भौततक संरचनय (Physical Structure)
है जजसमें एक र्य एक से अधधक व्र्जतत रहते हैं.
 घर र्य तनवयस स्थि पिुओं एवं पौधों कय प्रयकृ ततक
आश्र् स्थि (Natural Habitat) है.
 घर एक ऐसी संस्थय है जहयाँ पर व्र्जतत र्य व्र्जततर्ों
की देखभयि की जयती है
 गृह िहरी तथय ग्रयमीण ककसी भी क्षेत्र में जस्थत हो,
स्वयस््र्प्रद घरेिू वयतयवरण हेतु उसमे तनम्न वविेषतयएं र्य
गुण होने चयहहए
 नमी रदहि या शुष्ि गृह (Dry Home)- िुष्कतय होने के
कयरण घर में कॉकरोच,मृतकों की उत्पवत्त नहीं होती है.
धूिकण एवं छोटे जीवों की अनुपजस्थतत से घर के सदस्र्
एिजी, अस्थमय इत्र्यहद रोगों के लिकयर नहीं होते हैं
 स्वच्छ घर (Clean Home)- घर में रोज सयफ-सफयई,
पोंछय आहद िगनय चयहहए. स्वच्छतय के कयरण घर में
गंदगी कय जमनय बंद हो जयतय है र्द्र्वप घर को पूरी तरह
धूि से मुतत करनय कहठन है तर्ोंकक जूते-चप्पि, आने-
जयने, संवयतन (Ventilation), भीड़-भयड़, वयर्ु कय तछद्रों से
प्रवेि करनय अथवय अन्र् गततववधधर्ों से धूि कणों और
गंदे पदयथों कय आवयगमन होतय रहतय है
 पूणयिः सम्वातिि गृह (Well Ventilated Home)
संवयतन की अच्छी व्र्वस्थय से घर में वयर्ु कय
आवयगमन एवं प्रवयह बनय रहतय है. संवयतन में पंखों
(Fans) की भी महत्वपूणा भूलमकय रहती है.
 ज्वलनशील उत्पादों से सुरक्षक्षि गृह (Home Safe
from Combustible Products) ज्वनििीि
उत्पयदों; गैस स्टोव, चूल्हय, गैस भट्हटर्यं, गैस वयटर
हीटर, कयर आहद िीघ्र आग पकड़ने वयिे तथय दम
घोंटने वयिी गैस (कयबान मोनोऑतसयइड) धुआं के स्रोत
हैं. स्वयस््र्प्रद गृह पर्यावरण हेतु इन उत्पयदों की
गुणवत्तय अच्छी तथय कयर्ाप्रणयिी सुरक्षक्षत होनी
चयहहए.
 िीटों से मुति गृह (Pest Free Home) - मच्छर,
कयंकरोच, तछपकिी, चूहे आहद अनेक जीव घर में रहने
वयिे व्र्जततर्ों में श्वसनीर् संक्रमण, एिजी, भोजन
ववषयतततय (Food Poisoning) आहद फै िय सकते हैं.
इन्हें नष्ट करने वयिे रयसयर्तनक र्य कीटनयिक
(Pesticides) पदयथा भी घर के वयतयवरण को ववषयतत
बनय सकते हैं. अतः अच्छे गृह पर्यावरण हेतु, घर कीटों
एवं कृ न्तकों (Rodents) से मुतत होनय चयहहए,
 हातनिारि पदाथों, वविैले रसायनों से मुति गृह मुति
होना चादहये (Home Free from Harmture and
Toxic Chemicals)
 मनुष्र् के पर्यावरण में, घरेिू वयतयवरण र्य आवयस
एक महत्वपूणा अंग है. अच्छे एवं स्वयस््र् प्रद गृह-
वयतयवरण हेतु घर कय तनमयाण उपर्ुतत तरीके से तथय
घर के देखभयि की तनर्लमत तनगरयनी व्र्वस्थय होनी
चयहहए.
 घर के आस-पड़ौस कय वयतयवरण भी अच्छय होनय
जरूरी है. र्हयं पर गृह-पर्यावरण से सम्बंधधत कु छ
महत्वपूणा त्र् वणणात हैं:
 स्थि: वषया से सुरक्षक्षत, सड़क से ऊाँ चय, भूकम्प अप्रभयववत,
सयफ-सुथरय हो.
 कक्ष: मकयन में सदस्र्ों की संख्र्य के आधयर पर कमरे हों.
एक कमरे में दो से अधधक व्र्जततर्ों कय रहनय भीड़
कहियतय है. पर्याप्त संख्र्य में णखड़ककर्यं, दरवयजे एवं
रोिनदयन हों.
 फिा: पतकय हों, जजसकी नींव 2-3 फीट से कम न हो,
क्षेत्रफि एक व्र्जतत हेतु 50 से 100 वगा फु ट के बीच हो.
 छत: इसकी ऊाँ चयई 10-11 फीट से कम नहीं हो.
 दीवयरें: मजबूत, मौसम से अप्रभयववत, चूहों आहद के त्रबिों
से सुरक्षक्षत हो,
 घनफु ट स्थि: प्रतत व्र्जतत 500 घनफु ट से 1000 घन फु ट
के मध्र् हो तयकक वयर्ु संवयतन अच्छी प्रकयर से हो सके .
 सेट बैक: भवन में आगे-पीछे खुिय स्थयन हो.
 भवन तनमयाण सयमग्री : स्थयनीर् जिवयर्ु, पररजस्थततर्ों के
अनुकू ि हो
 इसी प्रकयर भवन तनमयाण में रसोई पर वविेष ध्र्यन देने
और सदस्र् संख्र्य के आधयर पर िौचयिर्, स्नयनगृह,
पिुओं के लिए अिग स्थयन होनय जरूरी है.
2.उपयुति संवािन या वायु संचरण - भवन तनमयाण के
समर् ही घर में उपर्ुतत वयर्ु प्रवयह की व्र्वस्थय पर ध्र्यन
देनय चयहहए. आवयस में तयजय हवय कय प्रवेि होनय जरूरी है,
पर्याप्त संख्र्य में दरवयजे, णखड़ककर्यं तथय रोिनदयन
(वेंहटिेिन) होने पर, वयर्ु कय सही संचरण होतय रहतय है
तथय घर की गरम पय अिुद्ध हवय बयहर जयती है तथय बयहर
की िुद्ध हवय अंदर आती है.
3. धुएं से बचाव (Protection from Smoke)- जहयं
तक संभव हो, आवयसीर् स्थिों/कयिोतनर्ों/घरों के
आस-पयस औद्र्ोधगक अथवय कि-कयरखयने नहीं होने
चयहहए.
 सयवाजतनक एवं तनजी वयहनों से तनकिने वयिय धुआाँ
घर के वयतयवरण में प्रदूषण फै ियतय है.
4. सुरक्षक्षि जलापूतिय (Safe Water-supply) घर में
सयफ-सफयई, रसोई, स्नयनगृह, िौचयिर् आहद के
लिए समुधचत एवं सुरक्षक्षत जियपूतता होनी चयहहए. पीने
के लिए पेर्जि (Potable water) की सही व्र्वस्थय
होनी चयहहए, जि कय स्रोत घर से दूर नहीं होनय
चयहहए.
5.सेतनटरी िौचयिर् (Sanitary Latrine) घर में स्वयस््र्प्रद
वयतयरण बनयए रखने हेतु सेतनटरी िौचयिर् होनय आवश्र्क
है. प्रत्र्ेक 4-6 व्र्जततर्ों के मध्र् एक िौचयिर् होनय
जरूरी है.
6.तनकयस नयलिर्यं (Drains)- भवन से स्नयनगृह, रसोई,
बयररि के पयनी तथय जि मि (Sewage) के तनकयस
नयलिर्याँ होनी चयहहए, तनकयस नयलिर्ों को समर्-समर् पर
चेक करते रहनय चयहहए तयकक उनमें रूके हुए पयनी में
मच्छर आहद उत्पन्न नहीं हों एवं घर में दुगान्ध न हो.
 बतान धोने अथवय रसोई के व्र्था पयनी कय उपर्ोग ककचन
गयडान हेतु ककर्य जय सकतय है. बयररि के जि को व्र्था
नयलिर्ों में बहने देने की अपेक्षय जि पुनभारण (Water
Recharging) हेतु उपर्ोग में िे सकते हैं
 पिुओं हेतु व्र्वस्थय (Arrangement for Animals)
िहरों में पिुओं को सयमयन्र्तः डेर्री अथवय कृ वष फयमा
में रखय जयतय है ककं तु डेर्री फयमों कय आवयसीर्
कॉिोनी से बयहर होनय चयहहए.
 आवयसीर् स्थिों में पिुओं को (वविेषकर िहरों पतं
गयर्ों को दूध हेतु) रखने से गंदगी फै िती है, मच्छर
एवं कीटों कय आश्र् स्थि बन जयतय है तथय कु छ पिु
जतनत रोग फै िने की संभयवनयएं बढ़ती हैं.
 घर के आसपयस हरीततमय पट्टी (ग्रीन बेल्ट) ववकलसत
करनी चयहहए.
 भवन में आग से बचयव के पर्याप्त प्रबंधन होने चयहहए.
 गृह-वयतयवरण में ियंतत हेतु आस-पड़ोस की सुववधयओं
कय ध्र्यन रखनय चयहहए और पड़ोलसर्ों से अच्छय
व्र्वहयर रखनय चयहहए.
 ग्रयमीण आवयस हेतु मयपदण्ड (Standards for Rural Housing)
 स्वयस््र् एवं पररवयर कल्र्यण मंत्रयिर् द्वयरय गहठत पर्यावरणीर्
हयइजीन सलमतत की एक ररपोटा के अनुसयर ग्रयमीण आवयस के
मयपदण्ड तनम्न प्रकयर हैं :
1. मकयन में कम से कम 2 कमरे तथय बरयमदय अथवय पर्याप्त खुिय
स्थयन हो
2. मकयन कय तनमयाण क्षेत्र, कु ि क्षेत्रफि के 1/2 भयग से अधधक नहीं हो.
3. मकयन में एक रसोई होनी चयहहए जजसमें बतान धोने की सुववधय तथय
सयमयन रखने की व्र्वस्थय हो.
4. मकयन में सेतनटरी िौचयिर् हो.
5. मकयन के आसपयस 1/2 ककमी की दूरी में पेर्जि की व्र्वस्थय हो.
6. मकयन के वपछवयड़े में पिुओं कय बयडय हो सकतय है, ककन्तु बयडय (पिु
आवयस) मकयन से कम से कम 25 फु ट दूर हो.
7. कू ड़े-कचरे के उधचत तनपटयन की व्र्वस्थय हो.
8. ग्रयमीण आवयस में अनयज रखने तथय पिुओं के लिए चयरय रखने की
उपर्ुतत व्र्वस्थय होनी चयहहए.
 ग्रयमीण आवयसों कय िगभग 100% तनमयाण गैर इंजीतनर्रों (Non
Engineered) द्वयरय होतय है
 आवयसों के तनमयाण में तनम्न गुणवत्तय की भवन सयमग्री कय
उपर्ोग होतय है.
 तनमयाण कयर्ा एक सयथ न होकर टुकड़ों में होतय है. नींव कच्ची
होती है, अनेक तनमयाणों में लमट्टी से ही पत्थर र्य ईंटों को जोड़
हदर्य जयतय है.
 ग्रयमीण क्षेत्रों के मकयन अधधकयंितः एक मंजजि वयिे होते हैं.
 मकयन में छत नीचे रहती हैं, प्रकयि एवं संवयतन की समुधचत
व्र्वस्थय नहीं होती है.
 अधधकयंि मयमिों में मकयन में रसोई के लिए अिग से कमरय
नहीं होतय है कपड़े धोने, स्नयन, िौच आहद की व्र्वस्थय आधी-
अधूरी होती है तथय नयलिर्ों और तनकयस पर पर्याप्त ध्र्यन नहीं
हदर्य जयतय है.
 मवेलिर्ों को घर के आगे र्य वपछवयड़े में रखय जयतय है.
 स्वच्छतय के तनर्मों कय पयिन नहीं होतय है।
पर्यावरणएवं स्वच्छता|Environmental Sanitation|By- Mo Faishal

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  • 1. Mo Faishal Nursing Tutor Rama College of Nursing
  • 2.  स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण स्वच्छतय एवं इकोिॉजी कय संतुिन आवश्र्क है पर्यावरण में ककसी भी प्रकयर कय प्रदूषण अथवय इकॉिॉजी में असंतुिन और अस्वच्छतय स्वयस््र् पर ववपरीत प्रभयव डयिते हैं.  बढ़ती जनसंख्र्य तथय भौततकवयदी ववकयस के कयरण प्रकृ तत कय मूि स्वरूप नष्ट होतय जय रहय है, जजसके कयरण जिवयर्ु पररवतान, वैजश्वक उष्णतय र्य तयपमयन बढ़ोतरी (ग्िोबि वयलमिंग), हहमखण्डों (ग्िेलिर्रों) कय तेजी से वपघिनय, तेजयबी बरसयत, समुद्र कय जिस्तर बढ़नय, वयर्ुमंडि की ओजोन परत में छेद होनय इत्र्यहद समस्र्यएं उत्पन्न हो रही हैं. इन सभी कय सीधय प्रभयव ईकॉिॉजी एवं पर्यावरणीर् स्वयस््र् पर पड़ रहय है.
  • 3.  पर्यावरण बहुपक्षीर् ववषर् है. प्रयरंभ में इसे प्रकृ तत ववज्ञयन (Natural Sciencel) की एक ियखय मयनय जयतय थय, ककन्तु वतामयन में र्ह सयमयजजक ववज्ञयन, इततहयस एवं सयहहत्र् से भी सम्बंधधत है. इसमें मयनव जीवन के बयह्र् एवं आंतररक पक्ष भी सम्मलित हैं  डॉ. घोष के अनुसयर जीव, मयनव व्र्वहयर एवं समयज के जीवन तथय ववकयस पर प्रभयव डयिने वयिी सम्पूणा बयह्र् पररजस्थततर्यं एवं घटक पर्यावरण हैं.  अथयात् मनुष्र् के आसपयस के सभी बयह्र् तत्व सजीव, तनजीव, भौततक, अभौततक इत्र्यहद पर्यावरण में सजम्मलित हैं.  इससे र्ह स्पष्ट होतय है कक मनुष्र् कय स्वयस््र् पर्यावरण के प्रत्र्ेक घटक से जुड़य हुआ है. अतः पर्यावरण में ककसी भी पररवतान से स्वयस््र् अछू तय नहीं रह सकतय है
  • 4.  अच्छे स्वयस््र् स्तर हेतु बयह्र् पर्यावरण के सयथ मनुष्र् के आन्तररक पर्यावरण कय भी स्वच्छ रहनय आवश्र्क है, जजसकय प्रभयव व्र्जतत के मयनलसक स्वयस््र् पर पड़तय है. पर्यावरण के ववलभन्न घटकों को तनम्न प्रकयर वगीकृ त कर सकते हैं :
  • 5.  ऐसे तत्व जजनके संपका में व्र्जतत को अपनय जीवन गुजयरनय होतय है एवं जजनकय व्र्जतत के स्वयस््र्, ववकयस, जीवन पर प्रत्र्क्ष एवं अप्रत्र्क्ष प्रभयव पड़तय है, भौततक पर्यावरण के घटक जयते हैं,  जैसे वयर्ु, जि, भोजन, प्रकयि, लमट्टी, मकयन, जिवयर्ु तथय ववककरण आहद इनमें सजम्मलित हैं
  • 6.  जीवयणु, ववषयणु, वनस्पतत, पिु, कीट, कृं तक, परजीवी, सूक्ष्मजीव इत्र्यहद जैववक पर्यावरण के घटक हैं. अनेक संक्रमण, रोग, ववकयर इत्र्यहद के लिर्े जैववक पर्यावरण उत्तरदयर्ी रहतय है.
  • 7.  ऐसी सभी सयमयजजक पररजस्थततर्यं एवं कयरक जो व्र्जतत एवं समुदयर् के सयमयजजक स्वयस््र् को प्रभयववत करते हैं, इस वगा में सजम्मलित ककर्े जयते हैं.  जैसे सयमयजजक प्रथयएं, सयंस्कृ ततक मूल्र्, आदतें, ववश्वयस, मयन्र्तयएं, आधथाक जस्थततर्यं, धयलमाक पृष्ठभूलम आहद सयमयजजक पर्यावरण के घटक हैं.
  • 8.  इकोिॉजी िब्द मूि रूप से ग्रीक िब्द आइकोज (Oikos) अथयात घर (House) से संबंधधत है.  पररभयषय के रूप में पयररजस्थततकी र्य पररजस्थतत ववज्ञयन (ईकॉिॉजी), जीववत प्रयणणर्ों एवं पर्यावरण के परस्पर अध्र्र्न करने वयिी ववज्ञयन है.  ईकॉिॉजी में जीववतों के मध्र् तथय जीववतों एवं उनके पर्यावरण के मध्र् होने वयिी अन्तःकक्रर्य को व्र्तत ककर्य जयतय है.  मूि रूप से इकॉिॉजी ववस्तयररत जैववक ववज्ञयन है जजसे ववलभन्न आधयरों पर अनेक भयगों में ववभयजजत ककर्य जय सकतय है
  • 9.  जैव-ववववधतय कय इकॉिॉजी से सीधय सम्बंध है. किसी भी प्रािृ तिि क्षेत्र में पाई जान जंगली िथा पालिू जीव- जन्िुओं और पादपों िी प्रजातियों िी बहुलिा िो जैवववववधि । (Biodiversity) िहिे हैं.  जीवन चक्र के चिते, प्रकृ तत में ववलभन्न जयततर्ों के जीवों की मृत्र्ु होती रहती है तथय उनके स्थयन पर नवीन जयततर्ों कय उद्भव र्य ववकयस होने की एक श्ृंखिय है.  ककन्तु वतामयन में जीवों के वविोपन र्य समूि नष्ट होने की दर बढ़ने से अनेक जीवों की जयततर्ों एवं उपजयतीर्ों कय अजस्तत्व खतरे में पड़ गर्य है. जैव-ववववधतय पर आए संकट से पयररजस्थततकी तंत्र (ecological System) में बदियव आ गर्य है.
  • 10.  जीवों के प्रयकृ ततक आवयसों (Natural Habitat) कय ववनयि  वन्र्जीवों कय लिकयर (अवैध लिकयर एवं व्र्यपयर)  अधधक मयत्रय में मछिी व्र्यपयर  पर्यावरण प्रदूषण  ग्िोबि वयलमिंग (वैजश्वक उष्णतय)  जिवयर्ु पररवतान  अल्प वषया र्य तेजयबी बरसयत (Acid Rain)  आकजस्मक घटनयएं /आपदयएं  उल्िेखनीर् है कक प्रकृ तत एवं पयररजस्थततकी तंत्र की सुरक्षय के लिए जैव ववववधतय के संरक्षण हेतु उपयर् उठयने की आवश्र्कतय है.
  • 11.  औधोगीकरण तथय वपछिे दिकों में मयनवीर् गततववधधर्ों में हुई वृद्धध के कयरण वयर्ुमंडि की रयसयर्तनक संरचनय बुरी तरह से प्रभयववत हुई है.  गैसों कय अनुपयत गड़बड़य गर्य है फिस्वरूप जिवयर्ु में पररवतान हदखयई देने िगय है.  जिवयर्ु में पररवतान के कयरण कु छ क्षेत्रों में कम वषया, िीत प्रदेिों में अधधक गमी, सूखयग्रस्त क्षेत्रों में बयढ, प्रयकृ ततक आपदयओं में वृद्धध इत्र्यहद जैसे प्रभयव प्रकट होने िगे हैं एवं पर्यावरण बुरी तरह प्रभयववत हो रहय है.
  • 12.  जिवयर्ु पररवतान के अंतरयाष्रीर् पैनि (IPCC - International Panel for Climate Change) हेतु तैर्यर की गई एक अध्र्र्न ररपोटा के अनुसयर जिवयर्ु पररवतान से तनम्न खतरे र्य कु प्रभयव हो सकते हैं  समुद्र िे स्िर में वृद्धध (Rise of Sea Level) वतामयन में िगभग 5 करोड़ व्र्जतत समुद्र के उन तटवती क्षेत्रों के तनवयसी हैं जहयं समुद्र स्तर में बढ़ोतरी से बयढ कय खतरय उत्पन्न हो सकतय है.
  • 13.  महामाररयों िा प्रिोप (Attack of Epidemics) जिवयर्ु पररवतान कय सबसे बड़य कु प्रभयव मयनव-िरीर पर पड़ने की आिंकय है  जिवयर्ु पररवतान डेंगू, हैजय जैसे संक्रमणों के अियवय मयनलसक रोगों में भी वृद्धध कय कयरण हो सकतय है.  जिवयर्ु - वैज्ञयतनकों के अनुसयर वयतयवरणीर् तयपमयन में 3°C से 5°C तक की वृद्धध होने पर, 40-60 प्रततित मिेररर्य एवं डेंगू बुखयर के रोगी बढ़ सकते हैं.  इसी प्रकयर अस्थमय, हैजय एवं अन्र् श्वसन संक्रमण (फ्िू सहहत) भी बढ़ेंगे,
  • 14.  िृ वि उत्पादन में िमी (Decreased Agriculture Production) जिवयर्ु पररवतान से सूखय, अकयि, लमट्टी की नमी में कमी वयष्पीकरण में वृद्धध आहद से कृ वष उत्पयदन एवं फसिों कय स्वरूप बदिने िगय है.  उल्िेखनीर् है कक भीषण गमी से सन ् 2003 में वपछिे वषों में सबसे कम कृ वष उत्पयदन नोट ककर्य गर्य. जिवयर्ु पररवतान उवारक एवं कीटनयिकों की गुणवत्तय को भी प्रभयववत कर रहय है.
  • 15.  पाररस्स्थतििी िंत्र में बदलाव (Change in Ecosystem) जिवयर्ु पररवतान से जगत कय पयररजस्थततकी तंत्र भी अछू तय नहीं रहय है. जीव- जंतुओं को नवीन वयतयवरण के अनुकू ि अपनों को ढयिनय होगय,  वनों कय एक बड़य भयग िुप्त हो सकतय है, ग्िेलिर्रों के वपघिने तथय रेधगस्तयन में मृदय अपरदन तेज होने से जगत भी बुरी तरह प्रभयववत होगय.  इस प्रकयर जिवयर्ु पररवतान से समस्त प्रयकृ ततक चक्र कय संतुिन भंग हो रहय है.
  • 16.  ववश्व के कु ि भू-भयग में कमी (समुद्री स्तर में वृद्धध के सयथ कयबान डयइऑतसयइड (CO.) के स्तर में बढ़ोतरी  वैजश्वक उष्णतय (ग्िोबि वयलमिंग) के कयरण ववश्व में प्रत्र्ेक वषा 1.5 खरब डयिर कय नुकसयन  समुद्र तटीर् तनवयलसर्ों कय सुनयमी चक्रवयती िहरों तथय बयढ के कयरण ववस्थयपन।  वन क्षेत्र में कमी, वनों में आग िगने की घटनयएं बढ़नय, वनस्पततर्ों कय उत्पयदन प्रभयववत होनय  जैव-ववववधतय (Bio-diversity) पर खतरय, अनेक जन्तु/प्रजयततर्ों के िुप्त होने की संभयवनयएं
  • 17.  जीव-जंतुओं को अपने आवयस स्थि बदिने को मजबूर होनय  प्रयकृ ततक सुरक्षय चक्र टूटनय  भयरत में सन ् 2030 तक प्रतत व्र्जतत की पयनी उपिब्धतय 30% के िगभग घट सकती है  अपने देि कय अन्न उत्पयदन बुरी तरह प्रभयववत हो सकतय है. देि के तयपमयन में आधी डडग्री सेन्टीग्रेड की वृद्धध से गेहूं कय उत्पयदन 17% तक धगर सकतय है  गंगय कय उपजयऊ क्षेत्र, अपनय उपजयऊपन खो सकतय है  हमयरे देि की 50% से अधधक जैव ववववधतय खतरे में पड़ सकती है
  • 18.  वयर्ु एवं जि प्रदूषण  प्रयकृ ततक संसयधनों कय कम होते जयनय  जैव-ववववधतय को खतरय कू ड़े-कचरे कय अनुपर्ुतत तनस्तयरण एवं स्वच्छतय कय तनम्न स्तर  वन क्षेत्रफि कय कम होनय  र्यतयर्यत कय बढ़तय दबयव  कृ वष में रसयर्नों/उवारकों कय अतत प्रर्ोग  भूलम कय स्तर तनम्न होनय (Degradation of land)  औद्र्ोगीकरण एवं िहरीकरण  जनसंख्र्य वृद्धध, गरीबी, अलिक्षय एवं बेरोजगयरी कय दुष्चक्र, पर्यावरण समस्र्यओं को और अधधक बढ़य देतय है.
  • 19.  पर्यावरण संरक्षण हेतु उपचयरयत्मक एवं सुरक्षयत्मक, दोनों प्रकयर के प्रर्यसों की आवश्र्कतय है. तनम्नलिणखत उपयर् एवं कयर्ाक्रमों के मयध्र्म से पर्यावरण संरक्षण के प्रर्यस ककर्े जय रहे हैं:  के न्द्रीर् प्रदूषण तनर्ंत्रण बोडा को मजबूत करनय औधोधगक प्रदूषणों पर तनर्ंत्रण एवं बचयव सम्बंधी पररर्ोजनयओं पर ध्र्यन देनय  पर्यावरण सयंजख्र्की, चयटा एवं नतिों कय तनमयाण एवं ववकयस करनय  िघु उधर्ोगों में स्वच्छ तकनीकी (Clean Technology) अपनयनय  हहमयिर्, तयजमहि तथय अन्र् पुरयतत्व तथय प्रयकृ ततक महत्व की वस्तुओं को पर्यावरण से प्रदूषण बचयनय
  • 20.  रयष्रीर् झीि संरक्षण कयर्ाक्रम ियगू करनय द्वीपों की रक्षय करनय  सीसय रहहत पैरोि, सी.एन.जी. उपिब्ध करयनय तथय डीजि की गुणवत्तय बढ़यनय, बयर्ोडीजि को प्रोत्सयहन, सौर ऊजया कय अधधकतम उपर्ोग  वनस्पतत उद्र्यनों तथय वनक्षेत्रों को बढ़यवय देनय जि  िुद्धधकरण र्ोजनयओं कय कक्रर्यन्वर्न  अनुपर्ोगी भूलम कय संरक्षण करनय तथय उसे वृक्षयरोपण के लिए उपर्ोग में िेनय  रयष्रीर् नदी संरक्षण कयर्ाक्रमों की बेहतर कक्रर्यजन्वतत  प्रयकृ ततक संसयधनों कय िेखय-जोखय रखनय  पर्यावरण प्रदूषण पर तनगरयनी एवं मॉतनटॅलसंग प्रणयिी पर्यावरण प्रभयव कय आकिन  जैव-ववववधतय कय सवेक्षण एवं संरक्षण
  • 21.  सेतनटेिन, स्वयस््र् की सुरक्षय कय ववज्ञयन अथवय जीवन के सभी क्षेत्रों में स्वच्छतय से जीने कय तरीकय है.  Sanitation (सेतनटेिन), फ्रें च िब्द Sanita से उत्पन्न जजसकय अथा है Cleanliness र्य स्वच्छतय अथवय स्वच्छतय प्रबंधन, सेतनटेिन की कु छ पररभयषयएं तनम्न प्रकयर हैं :  जन स्वास््य िी सुरक्षा िे ललए िैयार किए गए और उपयोग में ललए जाने वाले उपायों िो सेतनटेशन िहिे हैं.  सेतनटेशन (स्वच्छिा) एि ववज्ञान िथा िायय िरने िी पद्धति है स्जसमें स्वास््यप्रद आरोग्यिारी (हाइजीन) स्स्थतियों िा अध्ययन किया जािा है िथा सुरक्षक्षि जलापूतिय वािायन (वेस्न्टलेशन), ड्रेनेज (तनिास) इत्यादद स्वास््यिारी उपायों िो अपनाया जािा है  स्वास््य िे ललए लाभदायि स्स्थतियों िो तनलमयि या स्थावपि किया जाना सेतनटेशन है
  • 22.  इस प्रकयर सेतनटेिन (स्वच्छतय प्रबंधन) एक ऐसी प्रकक्रर्य है जजसके द्वयरय मयनव के पर्यावरण एवं सम्पूणा इकॉिॉजी को स्वयस््र् को नुकसयन पहुंचयने वयिी जस्थततर्ों, मनुष्र् एवं पिुओं के मि, धुआं, ववषैिे, संक्रयमक और घृणणत पदयथों, कीटों तथय रोग के लिए उत्तरदयर्ी कयरकों और जीवन को खतरनयक वस्तुओं से मुतत तथय स्वच्छ रखय जयतय है.  इसमें सुरक्षक्षत एवं पर्याप्त जियपूतता, स्वच्छ वयर्ु, उपर्ुतत आवयस तथय पोषण इत्र्यहद की समुधचत व्र्वस्थयएं भी सजम्मलित हैं. उल्िेखनीर् है कक सेतनटेिन को पूवा में मयत्र िौचयिर्ों की सफयई एवं तनमयाण से संबंधधत मयनय जयतय थय.
  • 23.  वतामयन में सेतनटेिन, रोगों से बचयव तथय मयनव स्वयस््र् में बढ़ोतरी कर जयने के उद्देश्र् से पर्यावरण तनर्ंत्रण करने वयिी ववज्ञयन की महत्वपूणा ियखय है. जजसमे सजम्मलित हैं:  स्वच्छ आवास  स्वच्छ िृ वि एवं फामय  स्वच्छ व्यवसाय (औद्योधगि हाइजीन)  स्वच्छ पडोस  स्वच्छिा समुदाय इत्यादद.
  • 24.  पर्यावरण एवं स्वयस््र् कय संबंध व्र्तत करने के लिए पर्यावरण स्वच्छतय (Environ- mental Sanitation) िब्द कय प्रर्ोग ककर्य जयतय रहय है.  स्वयस््र् प्रयजप्त में स्वच्छतय पूणा जस्थततर्ों कय प्रत्र्क्ष संबंध पर्यावरण से है. ववश्व स्वयस््र् संगठन ( WHO) के अनुसयर "पयायवरणीय स्वच्छिा िा अथय व्यस्ति िे भौतिि पयायवरण िे उन सभी िारिों िो तनयंत्रत्रि िरना है जो कि उसिे शारीररि वविास, स्वास््य एवं जीवन पर हातनिारि बोलिे हैं अथवा डाल सििे है."  पर्यावरणीर् स्वच्छतय के द्वयरय रोगों के आक्रमण कम ककर्य जय सकतय है तथय स्वयस््र्कयरी जस्थततर्ों को बढ़यर्य जय सकतय है.
  • 25.  एक अन्र् मत के अनुसयर पर्यावरण स्वच्छतय, तनवयरक एवं सयमयजजक धचककत्सय ववज्ञयन (Preventive and Social Medicine) की एक ियखय है जजसके मयध्र्म से मनुष्र् के ियरीररक, मयनलसक एवं सयमयजजक कल्र्यण को नुकसयन पहुंचयने वयिे भौततक पर्यावरण के सभी घटकों को तनर्ंत्रत्रत ककर्य जय सकतय है.  इस तनर्ंत्रण में सजम्मलित हैं :  वयर्ुमंडि; जजसमें व्र्जतत सयंस िेते हैं.  भोजन; जजसे व्र्जतत खयते हैं.  जि ; जजसे व्र्जतत पीते हैं. उपर्ोग में िेते हैं.  आवयस (गृह) : जजसमें व्र्जतत तनवयस करते हैं.  प्रकयि ; जजसके द्वयरय व्र्जतत देख पयते हैं.  कयर्ास्थि : जहयं व्र्जतत कयर्ा करते हैं, आजीववकय कमयते हैं,  अपद्रव्र्ों (कचरे) कय तनस्तयरण: जजसे व्र्जतत वयतयवरण में उत्पयहदत करते हैं.  कीट एवं परजीवी; जजनसे व्र्जतत ।
  • 26.  इस प्रकयर पर्यावरणीर् स्वच्छतय व्र्जतत के स्वयस््र् एवं कल्र्यणकयरी जीवन हेतु सवोत्तम जस्थततर्ों को ववकलसत करने वयिी ववज्ञयन है.  र्ह एक ववलिष्ट क्षेत्र है जजसमें धचककत्सय ववज्ञयन एवं अलभर्यंत्रत्रकी (इंजीतनर्ररंग) के लसद्धयंत तथय तकनीकी कय उपर्ोग कर मयनव स्वयस््र् के लिए अतनष्टकयरी एवं प्रयणघयती पर्यावरणीर् कयरकों को तनर्ंत्रत्रत ककर्य जयतय है.
  • 27.  स्वस्थ जीवन के लिए 'स्वच्छतय आधयरभूत आवश्र्कतय है. स्वच्छतय की आधयरभूत आवश्र्कतयएं हैं:  स्वच्छ वायु  सुरक्षक्षि जलापूतिय  उपयुति आवास  भोजन िी स्वच्छिा (फू ड हाइजीन)  िचरे एवं अपद्रव्यों िा सही तनस्िारण  मानव एवं पशु मल-मूत्र िा उधचि तनपटान  िीट तनयंत्रण (Vector control)  व्यावसातयि खिरों से सुरक्षा
  • 28.  वयर्ु गैसों कय लमश्ण है जजससे वयर्ुमंडि कय तनमयाण होतय है. वयर्ुमंडि में गैसों कय सयमयन्र् संर्ोजन तनम्न प्रकयर है: ऑतसीजन 20.96 प्रततित नयइरोजन 78.01 प्रततित कयबान डयइऑतसयइड 0.03 प्रततित  इसके अततररतत वयर्ु की संरचनय में ऑरंगोन, हीलिर्म, तनर्ोन, जीनॉन इत्पयहद दुिाभ गैसें भी अल्प मयत्रय में लमिती हैं.  गैसों के अियवय वयर्ु में जि-वयष्प, धूि, अमोतनर्य के सूक्ष्म कण, जीवयणु, त्रबषयणु, वयनस्पततक तन्तु इत्र्यहद भी लमिते हैं.  सयमयन्र् पररजस्थततर्ों में वयर्ु की संरचनय कमोबेि इसी अनुपयत के आसपयस ही जस्थर रहती है
  • 29.  वयर्ु के अभयव में मयनव जीवन एवं जगत की कल्पनय असंभव है प्रयणवयर्ु के रूप में ऑतसीज़न मयनव जीवन कय आधयर है.  वयर्ु के अन्र् कयर्ा है  मयनव िरीर को िीतितय प्रदयन करनय.  रतत को िुद्ध  िरीर के तयपमयन कय तनर्ंत्रण  र्ह जीवयणुओं के प्रसयरण हेतु मयध्र्म है  वयर्ु संचयलित उद्दीपनों (Stimuli) के कयरण श्वण एवं गंध की इजन्द्रर्ों को कयम में सहयर्तय लमिती है.  संचयर सुववधयओं के लिर्े वयर्ु मुख्र् मयगा है
  • 30.  वयर्ु प्रयणीर्ों के जीवन कय आधयर है. स्वस्थ रहने के लिर्े स्वच्छ पर्यावरणीर् हवय कय होनय आवश्र्क है.  हवय की संरचनय में पररवतान होने पर, स्वयस््र् के लिर्े खतरय उत्पन्न जयतय है. वयर्ु प्रदूषण भयरत जैसे ववकयसिीि देि से िेकर जयपयन, अमेररकय, इंग्िैण्ड आहद ववकलसत रयष्रों में भी स्वयस््र् समस्र्य बन चुकय है.  'पृ्वी सम्मेिन' की ववषर् सूची में वयर्ु प्रदूषण कय महत्वपूणा स्थयन रहय है. वयर्ु प्रदूषण, श्वसन, तंत्रत्रकय तंत्र के रोग, हृदर् रोग, क्षर् रोग इत्र्यहद बीमयररर्ों के लिर्े उत्तरदयर्ी है. वयर्ु प्रदूषण स्वयस््र् के लिर्े गंभीर खतरय बन गर्य है. अतः र्ह आवश्र्क है कक 'वयर्ु प्रदूषण की स्पष्ट व्र्यख्र्य की जयए.
  • 31.  प्रयकृ ततक वयतयवरण के तत्वों के सयथ बयहरी तत्वों की लमियवट से प्रयकृ ततक तत्व जब अपनी सयमयन्र् कक्रर्य छोड़कर ववनयिकयरी हदिय में सकक्रर् हो जयते हैं तो इस कक्रर्य को प्रदूषण' कहते हैं,  इस पररभयषय के संदभा में "वायु प्रदूिण वह अवस्था है स्जसमें धूल, धुआँ, वविाति गैस, रासायतनि वाष्पों, वैज्ञातनि प्रयोगों आदद िे िारण वायु िी िि संरचना प्रभाववि हो जािी है".  अथयात ववजयतीर् पदयथों की अधधकतय होने पर वयर्ु , मनुष्र् एवं उसके पर्यावरण के लिर्े हयतनकयरक हो जयए तो इस जस्थतत को वयर्ु प्रदूषण कहते हैं.
  • 32.  वयर्ु प्रदूषण की समस्र्य के समुधचत आकिन के लिर्े वयर्ु प्रदूवषत होने के कयरणों अथवय स्रोतों के बयरे में जयननय आवश्र्क है. इनको तनम्न प्रकयर से वगीकृ त कर सकते हैं :  औद्योधगि सोि (industrial Source) ववलभन्न प्रकयर के रयसयर्तनक उद्र्ोग, तेि िोधक कयरखयने, खयद एवं कीटनयिक फै तरी, धयतु संर्त्रों आहद से तनकिने वयिय धुआं, कयलिख, धूि, गैस आहद वयर्ु प्रदूवषत करते हैं.
  • 33.  घरेलू स्रोि (Domestic Sources) हम भोजन एवं अन्र् घरेिू कयर्ों के लिए ईंधन के रूप में िकड़ी, कोर्िय, तेि इत्र्यहद कय उपर्ोग करते हैं. इनके प्रर्ोग से उत्पन्न धुआ, कयलिख, गैसें वयर्ु संरचनय को प्रभयववत करती हैं.  वैज्ञातनि शोध िायय (Scientific Research) आणववक ऊजया, अंतररक्ष र्यत्रय, परमयणु तकनीक के ववकयस एवं िोध कयर्ा हेत ककर्े जयने वयिे ववस्फोट एवं कक्रर्यएं, वयतयवरण को प्रदूवषत करती हैं.
  • 34.  यािायाि एवं पररवहन सोल (Transportation)  िहरों में, र्हयाँ तक कक छोटे कस्बों में भी बढ़ते तनजी वयहन तथय र्यतयर्यत के अतनर्ंत्रत्रत सयधन, वयर्ु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत लसद्ध हो रहे है.  वयर्ुप्रदूषण कय 5 0 % हहस्सय र्यतयर्यत के सयधनों/वयहनों द्वयरय ही उत्पन्न होतय है. र्यतयर्यत के िगभग सभी सयधन रक, रैतटर, बस, स्कू टर, मोटर सयईककि, जीप, कयर, जुगयड़ (ग्रयमीण क्षेत्रों में डीजि इंजन चयलित स्थयनीर् वयहन) वयर्ु प्रदूषण हेतु उत्तरदयर्ी हैं
  • 35.  अन्र् स्रोत (Other Sources) उपरोतत के अततररतत तनम्न स्रोत भी वयर्ु प्रदूषण के लिर्े उत्तरदयर्ी हैं :  उवारकों एवं कीटनयिकों कय तछड़कयव  कू ड़य-करकट (प्ियजस्टक) जियनय  ग्रीन हयउस प्रभयव और ओजोन मंडि के वयतयवरण में पररवतान होनय.  घटती वन सम्पदय तथय व्र्यवसयतर्क उपर्ोग हेतु वनों की अंधयधुंध कटयई  र्ुद्ध के समर् रयसयर्तनक गैसों कय उपर्ोग  समुद्र में पेरोि, तेि बहनय तथय उसमें आग िगनय
  • 36.  वयर्ु प्रदूषण कय स्तर ज्ञयत करने हेतु कु छ संके तकों (Indicators) की सहयर्तय िी जयती जजनके आधयर पर वयर्ु संरचनय कय अध्र्र्न कर वयर्ु प्रदूषण की जस्थतत एवं वयस्तववकतय कय पतय िगय सकते है. कु छ मुख्र् संके तक हैं :  वयर्ु में सल्फर डयइऑतसयइड की मयत्रय  धूम्र सूचकयंक (Smoke Index) : इसमें वयर्ु, एक कयगज के टेप पर गुजयरते हैं तथय ववद्र्ुत प्रकयिीर् मयपी से घनत्व कय पतय िगय सकते हैं.  तनिजम्बत र्य वयर्ु में तैरते पदयथा : इस ववधध में वयतयवरण में उपजस्थत धूि एवं कयलिख की मयत्रय नयप कर वयर्ु प्रदूषण कय पतय िगयते हैं,  वयर्ु में कयबान मोनोऑतसयइड, नयइरोजन डयइऑतसयइड, सीसय, ऑतसीकयरक पदयथों इत्र्यहद की मयत्रय ज्ञयत कर वयर्ु संरचनय की जस्थतत जयन सकते हैं.
  • 37.  वयर्ु की संरचनय में ववलभन्न गैसों कय तथय अन्र् पदयथों कय अनुपयत िगभग जस्थर रहतय है प्रकृ तत की व्र्वस्थय में बयहरी तत्वों कय हस्तक्षेप न हो तो, वयर्ुमण्डि में वयर्ु की स्वच्छतय प्रकक्रर्य स्वतः एवं तनरन्तर चिती रहती है. इस प्रकक्रर्य में महत्वपूणा भूलमकय तनभयने वयिे घटक हैं-  वायु प्रवाह : वयर्ु की गतत से, अिुद्धधर्यं तनु हो जयती हैं,उड़ जयती हैं अथवय उनकय एकीकरण एक ही स्थयन पर नहीं हो पयतय है. जजससे अिुद्ध हवय कय स्थयन िुद्ध हवय िेती रहती है.  विाय : र्ह वयर्ु कय प्रक्षयिन र्य धुियई करती है तथय हवय में तैरते हुए ववजयतीर् कणों को हटय देती है. र्ही कयरण है कक वषया के उपरयंत वयतयवरण बड़य ही स्वच्छ एवं तनमाि प्रतीत होतय है.  ऑतसीज़न एवं ओजोन: र्े हवय में उपजस्थत कयबातनक पदयथों को ऑतसीजनकृ त कर वयर्ुमण्डि को िुद्ध करती रहती हैं.
  • 38.  सूयय िा प्रिाश : सूर्ा के प्रकयि एवं तयपमयन के कयरण वयर्ुमण्डि में व्र्यप्त जीवयणु नष्ट हो जयते हैं तथय वयर्ु िुद्ध होती रहती है.  वनस्पति जीवन : हरी पवत्तर्ों वयिे पेड़-पौधे हदन में कयबान डयई ऑतसयईड ग्रहण करते तथय ऑतसीजन प्रदयन करते हैं. इस प्रकयर र्े हदन में प्रयणवयर्ु की उपिब्धतय बढ़य देते र्ही कयरण है कक पर्यावरण संरक्षण में वृक्षयरोपण कय महत्व सवोपरर है.
  • 39.  वयर्ु प्रदूषण, धीमय जहर है जो कक गंभीरतम समस्र्य कय रूप धयरण करतय जय रहय है. हमयरे देि की रयजधयनी हदल्िी, ववश्व कय चौथे नम्बर कय प्रदूषणग्रस्त िहर है.  कभी- कभी र्ह वयर्ु प्रदूषण महयमयरी के रूप में प्रकट होकर, मृत्र्ुदयर्क त्रयसदी बन जयतय है. कु प्रभयव इतनय लिग्रगयमी तथय ववकरयि होतय है कक प्रबंधन कहठन हो जयतय है.
  • 40.  अस्थायी प्रभाव (Temporary Effects) िगयतयर त्रबनय ककसी कयरण के खयंसी रहनय, हमेिय सदी-जुकयम बने रहनय, श्वसन रोगों कय आक्रमण होते रहनय, बेचैनी रहनय तथय श्म िजतत पर कु प्रभयव.  स्थायी प्रभाव (Permanent Effects) दीघा श्वयसनिी िोथ (Chronic Bronchitis), फु फ्फु स के संक्रमण, क्षर्रोग, दमय (Asthma), फु प्फु सपयत (Atelectasis), फु प्फु स कैं सर (Lung Cancer) एवं मृत्र्ु, मजस्तष्क, गुदे एवं नयड़ी प्रणयिी कय प्रभयववत होनय. वयर्ुजतनत रोगों (Air bome dis eases) कय मुख्र् कयरण, वयर्ुजतनत संक्रमण (त्रबन्दुक र्य ड्रयपिेट संक्रमण, संक्रलमत धूि) तथय अन्र् नुकसयनदयर्क पदयथा होते हैं.
  • 41.  पौधों एवं वनस्पति पर पडने वाले प्रभाव (Effects on Plants & Vegetables) वयर्ु प्रदूषण वविेषकर सल्फर डयई ऑतसयइड, कु हरे, फ्िोरीन र्ौधगकों के दुष्प्रयव से पौधों कय ववकयस अवरूद्ध हो जयतय है. संदूवषत वनस्पतत के सेवन से पिु बीमयर हो जयते हैं.  सामास्जि एवं आधथयि प्रभाव (Social and Economical Effects) धूि, धुआाँ, कयलिख इत्र्यहद के कयरण भवनों कय बदरंग हो जयनय, भवनों, मकयनों की मरम्मत एवं रंग-रोगन से होने वयिी आधथाक हयतन. अवप्रर् गंध से बेचैनी होनय, धूम्र के कयरण दृश्र्तय कम होनय तथय इनके कयरण रेि, सड़क र्यतयर्यत में बयर दुघाटनयएं.
  • 42.  संवयतन (Ventilation) िब्द कय सरि अलभप्रयर्, भीतर की हवय कय बयहर की हवय से तनभार्य र्य अदिी-बदिी है अथयात् दूवषत वयर्ु के स्थयन पर िुद्ध एवं तयजी वयर्ु के प्रवेि को संवयतन कह सकते हैं. संवयतन की र्ह पररभयषय कु छ सीलमत अथा लिर्े हुए है.  आधुतनक आख्र्य के अनुसयर संवयतन में :  िुद्ध वयर्ु के स्थयन पर िुद्ध वयर्ु कय ववतनमर् ।  वयर्ु कय वेग,  वयर्ु कय तयपमयन, आद्रातय एवं  तयपीर् वयतयवरण तथय वयर्ु कय संक्रमण से मुतत एवं आरयमदयर्क होनय भी सजम्मलित है  इस प्रकयर हम कह सकते है कक सवयतन मयनव िरीर को स्वस्थ रखने एवं सववधय प्रदयन करने कय ववज्ञयन है जो कक वयतयवरणीर् पररजस्थततर्ों कय रखरखयव र्य अनुरक्षण करतय है.
  • 43.  र्हयाँ पर संवयतन के कु छ मयनक हदर्े गर्े हैं :  प्रतत व्र्जतत 1000-1200 घनफु ट हवय की प्रतत घंटय पूतता, पर्याप्त मयनी गई है. अनेक वयतयवरण वैज्ञयतनकों ने र्ह सीमय 300 से 3000 घन फु ट प्रतत व्र्जतत प्रतत घंटय व्र्तत की है. वतामयन में घन फु ट कय र्ह मयनक कम प्रचलित है,  कमरे में प्रततघंटे 2 र्य 3 बयर तथय सभयकक्षों में 4 से 6 बयर, हवय कय बदिनय आवश्र्क है  आवयसीर् भवनों में प्रतत व्र्जतत 500 घनफु ट स्थयन (िगभग) वयंछनीर् है
  • 44.  अस्पतयि में श्ेणणर्ों के आधयर पर प्रतत रोगी के लिर्े 1200 घनफु ट से िेकर 1800 धनफु ट स्थयन आरक्षक्षत होनय चयहहर्े.  आदिा फिा स्थि (Optimum Floor Space), प्रतत व्र्जतत के हहसयब से 50 से 100 फु ट के बीच होनय चयहहए. संक्रयमक रोग धचककत्सयिर्ों में पह मयनक 144 वगाफु ट प्रतत रोगी के हहसयब से होनय चयहहर्े.  अस्पतयिों में 2 िय्र्यओं के मध्र् कम से कम 3 फु ट कय अन्तरयि होनय चयहहर्े.  आवयसीर् भवनों के छत की ऊाँ चयई 11-12 फु ट होनी चयहहर्े.  हर आवयस में णखड़ककर्यं, दरवयजे, रोिनदयनों की पर्याप्त संख्र्य होनय आवश्र्क है.
  • 45.  कमरे में वयर्ु घूमती रहे, तयपमयन आरयमदयर्क जस्थतत में जस्थर रहे तथय आद्रातय 80 प्रततित के आसपयस रहनी चयहहर्े.  पररसर की वयर्ु धूि, धुआं एवं असुहयवनी गंध से मुतत होनी चयहहर्े
  • 46.  आवयसीर् पररसर अथवय कमरे में संवयतन की समुधचत व्र्वस्थय न होने पर, इसमें रहने वयिे व्र्जततर्ों के स्वयस््र् पर प्रभयव पड़तय है तथय इनमें तनम्न िक्षण अथवय लिकयर्तें पयई जय सकती हैं:  थकयन, धचड़धचड़यपन  कयर्ाक्षमतय में कमी  गमयाहट, अतत स्वेदन (पसीने) की लिकयर्त  चतकर आनय  भूख कम िगनय  अतनद्रय एवं लसरददा  िरीर की प्रततरक्षय क्षमतय कम हो जयनय  जुकयम, खयंसी, श्वसन रोगों कय संक्रमण होनय
  • 47.  संवयतन को दो प्रकयर से वगीकृ त कर सकते हैं  प्रािृ तिि संवािन (Natural Ventilation)  िृ त्रत्रम या यांत्रत्रि संवािन (Artificial or Mechanical Ventilation)  प्रयकृ ततक संवयतन (Natural Ventilation) र्ह संवयतन की सरितम एवं प्रयकृ ततक ववधध है. जजसकय उपर्ोग िघु भवनो, ववद्र्यिर्ों कयर्यािर्ों, प्रयथलमक स्वयस््र् के न्द्र के भवनों इत्र्यहद के संवयतन हेतु ककर्य जय सकतय है
  • 48.  वायुगति (Air Movement)-दरवयजे एवं णखड़ककर्याँ खुिी होने पर वयर्ु एक स्थयन से दूसरे स्थयन पर बहती रहती है तथय अपने सयथ अिुद्धधर्ों को बहय िे जयती है.  गैसों िा प्रसार (Expansion of Gases) - गैस की वविेषतयओं में प्रसरण मुख्र् है. अतः कमरे, भवनों के तछद्रों से भी हवय तनकिती है एवं अन्दर, बयहर आ सकती है. र्ूं इनकय संवयतन प्रकक्रर्य में र्ोगदयन महत्वपूणा नहीं मयनय जय सकतय ककन्तु भीड़ भयड़ वयिे आवयसीर् स्थिों में इन तछद्रों, दरयरों कय होनय स्वयस््र् की दृजष्ट से आवश्र्क एवं प्रभयवकयरी लसद्ध हो सकतय है.
  • 49.  िापमान (Temperature)-वयर्ु अधधक सघनतय से कम सघनतय की ओर बहती है.  अन्दर की वयर्ु, गमा होने पर कमरे में फै िकर ऊपर की ओर उठती है एवं ऊं चयई पर बने रोिनदयनों से बयहर तनकि जयती है।  जबकक बयहर से अंदर आने वयिी हवय कय तयपमयन कम रहतय है जो कक बयहर तनकिने वयिी वयर्ु कय स्थयन ग्रहण कर िेती है
  • 50.  प्रवेश एवं तनगयम मागय (Entrance and Exit Way) प्रयकृ ततक संवयतन हेतु प्रवेि मयगा एवं तनर्यात की व्र्वस्थय कय होनय अच्छी तकनीक है.  प्रवेि मयगा से िुद्ध हवय कमरे में प्रवेि करती है. जबकक तनगाम, दूवषत हवय बयहर तनकिती है. संवयतक (Ventilator) एवं उच्च स्तर पर अवजस्थतत णखड़ककर्यं बयहरी मयगा कय कयर्ा करती हैं जबकक प्रवेि द्वयर तथय कम ऊाँ चयई की णखड़ककर्याँ वयर्ु की प्रववजष्ट के मयगा हैं.
  • 51.  र्ह 4 प्रकयर से ककर्य जय सकतय है जजनकय संक्षक्षप्त वणान र्हयाँ हदर्य जय रहय है  तनवायचि प्रणाली (Exhaust System) इस ववधध में तनवयात पंखों (Exhaust Fans) कय प्रर्ोग कर दूवषत हवय बयहर तनकयिी जयती है. हवय के इस प्रकयर बयहर तनकिने पर कमरे में तनवयात र्य ररतत स्थयन उत्पन्न हो जयतय है जो कक प्रवेि मयगा से तयजी, िुद्ध वयर्ु के आने पर भर जयतय है. रसोई गैस से धुआं एवं कयरखयनों से ववषयतत गैसों को बयहर तनकयिने के लिर्े इस प्रणयिी कय उपर्ोग करते हैं.
  • 52.  प्लीनम या नोदन प्रणाली (Plenum or Propulsion System) इसमें बड़ी-बड़ी नलिकयओं (Ducts) द्वयरय पररसर में, वेग से हवय कय प्रवेि करयर्य जयतय है जो कक प्रदूवषत वयर्ु कय स्थयन ग्रहण कर िेती है. र्ह प्रणयिी वयतयनुकू लित भवनों, कयरखयनों में संवयतन हेतु प्रर्ुतत की जयती है.
  • 53.  संिुललि प्रणाली (Balanced System) इसमें एक तरफ तो तीव्र वेग से वयर्ु कय प्रवेि (प्िीनम र्य नोदन संवयतन) करयर्य है जबकक दूसरी ओर दूवषत वयर्ु को बयहर (तनवयातन संवयतन) तनकयिय जयतय है. इन दोनों कक्रर्यओं के मध्र् संतुिन ही, संतुलित संवयतन प्रणयिी है. र्ह प्रणयिी बड़े सभयकक्षों के लिर् उपर्ुतत है.
  • 54.  वािानुिू लन प्रणाली (Air Conditioning System) इस प्रणयिी के द्वयरय हवय को एक ही समर् में िुद्ध, िीति अथवय गमा ककर्य जय सकतय। इस तकनीक में कफल्टर, रेकफ्रजरेटर, िीति कु ण्डलिर्ों (Cooling Coils), आद्रातयकयरी चक्रों एलिलमनेटर प्िेट्स तथय त्रबजिी के पंखों की संर्ुतत कयर्ाप्रणयिी से वयतयनुकू िन ककर्य जयतय है.
  • 55.  इस प्रकयर संवयतन, प्रयकृ ततक अथवय कृ त्रत्रम प्रणयलिर्ों द्वयरय प्रयप्त ककर्य जय सकतय है ककन्तु भयरत जैसे ववकयसिीि, ग्रयमीण बहुतयर्त वयिे देि में संवयतन हेतु प्रयकृ ततक प्रणयलिर्ों कय उपर्ोग सवाश्ेष्ठ है.  आवयसीर् भवनों में पर्याप्त संख्र्य में णखड़ककर्यं, दरवयजे, परगयमी संवयतन (Cross Ventilation) की व्र्वस्थय, हयथ एवं त्रबजिी के पंखे, खसखस की चटयइर्ों कय प्रर्ोग तथय पर्यावरण संरक्षण की सहयर्तय से स्वयस््र्प्रद स्वयतन कय रख-रखयव संभव है,  आवश्र्कतय तथय उपिब्ध संसयधनों के आधयर पर एर्र कं डीिनरों कय प्रर्ोग अथवय वयतयनुकू लित (AC) संर्ंत्र िगवयकर भी संवयतन की व्र्वस्थय की जय सकती है.
  • 56.  मयनव जीवन हेतु वयर्ु, भोजन, जि, संवयतन इत्र्यहद की स्वच्छतय एवं प्रकयि कय होनय भी वयंछनीर् है, अच्छी प्रकयि व्र्वस्थय के तनम्न ियभ है :  थकयन, तनयव तथय दृजष्टदोषों से नेत्रों की सुरक्षय  कयर्ाक्षमतय में वृद्धध दुघाटनयओं से बचयव (वृद्धयवस्थय में अनेक दुघाटनयओं कय मूि कयरण, अनुपर्ुतत प्रकयि होतय है)  मनोवैज्ञयतनक भर्, लसरददा से बचयव धचककत्सय संस्थयनों, अनुसंधयनों, कयरखयनों, बहुमंजजिी इमयरतों, कयर्यािर्ों इत्र्यहद में
  • 57.  सूर्ा की ककरणों तथय परयवतान से हमें प्रकृ तत प्रदत्त प्रकयि लमितय है ककन्तु प्रयकृ ततक प्रकयि की मयत्रय : हदन, समर्, मौसम चक्र तथय बयदिों पर तनभार करती है.  इसी प्रकयर प्रयकृ ततक प्रकयि की प्रयजप्त मकयन के डडज़यइन, प्रवेि एवं तनगाम मयगा, कमरे कय क्षेत्रफि, दरवयजे, णखड़ककर्ों की संख्र्य, िीिे, रंग एवं पदे इत्र्यहद की सयज-सज्जय से तनधयाररत होती है. भवनों में रंगीन पुतयई की अपेक्षय सफे दी कय प्रर्ोग प्रकयि पररवतान में सहयर्क होतय है.  रोिनदयनों (Ventilators ) की समुधचत संख्र्य से कमरय प्रकयि में रहतय है
  • 58.  प्रयकृ ततक प्रकयि की श्ेष्ठतय तनस्संदेह है ककन्तु सभी को र्ह आसयनी से सुिभ नहीं है पयतय है.  भवन तनमयाण में क्षेत्रफि की कमी, गगनचुम्बी इमयरतें, िहरी गलिर्यं, अंधेरे भंडयर एवं कोठे, कयर्यािर्ों की भरमयर तथय दोषपूणा नतिों एवं तनमयाण इत्र्यहद से प्रयकृ ततक प्रकयि बयधधत हो सकतय है.  अतः ऐसे सभी स्थयनों एवं पररजस्थततर्ों में, हदन के समर् प्रकयि व्र्वस्थय तथय रयत्रत्र में अंधकयर दूर करने हेतु कृ त्रत्रम प्रकयि कय सहयरय िेनय पड़तय है. कृ त्रत्रम प्रकयि के कु छ स्रोत हैं:
  • 59.  ववद्युि स्रोि (Electric Source) : र्ह स्रोत जि- ववद्र्ुत, सौर ववद्र्ुत, तयप ववद्र्ुत,परमयण-ववद्र्ुत, पवन ववद्र्ुत इत्र्यहद के रूप में हो सकतय है तथय हमें ववद्र्ुत बल्व ट्र्ूबियइट आहद से प्रकयि प्रयप्त होतय है. ववद्र्ुत, कृ त्रत्रम प्रकयि कय सबसे महत्वपूणा एवं वृहद् स्रोत है.  पेट्रोललयम एवं अन्य स्रोि (Petroleum and other Source) के रोसीन, मोमबत्तय गैस की ियिटेन, डीज़ि चलित जनरेटरों इत्र्यहद से हमें कृ त्रत्रम प्रकयि प्रयप्त होतय है  इसी प्रकयर तेि, घी के दीपकों तथय ग्रयमीण क्षेत्रों में गोबर गैस संर्ंत्रों से भी हमे क्रत्रत्रम प्रकयि प्रयप्त हो सकतय है.
  • 60.  अच्छी दृजष्ट तथय सही प्रकयर से देखने के लिर्े उपर्ुतत प्रकयि व्र्वस्थय होनय आवश्र्क है. अच्छे प्रकयि में तनम्न त्र्ों कय ध्र्यन रखनय जरूरी है:  पयायप्ििा : प्रकयि की मयत्रय पर्याप्त होनी चयहहर्े तयकक पढ़ते र्य कयम करते समर् आंखो पर अनयवश्र्क तनयव न पड़े.  चिाचौध या चमि ववहीन : चमक एवं चकयचौधर्ुतत प्रकयि अच्छय नहीं मयनय जयतय। है तर्ोंकक र्ह बेचैनी उत्पन्न करतय है, नेत्रों को क्षतत पहुाँचयतय है तथय क्रयजन्तक पय वववेचनयत्मक दृजष्ट (Critical Vision) को घटयतय है,
  • 61.  छाया : छयर्य प्रकयि में बयधक होती है. अध्र्र्न के समर् पुस्तक पर छयर्य नहीं पड़नी चयहहर्े.  स्स्थरिा : प्रकयि जस्थर होनय चयहहए. प्रकयि कय णझिलमियनय, रंग त्रबखेरनय, चक्र में घूमनय, अच्छी प्रकयि व्र्वस्थय कय द्र्ोतक नहीं है.  प्रिाश िा रंग एवं वविरण : रंगीन प्रकयि अध्र्र्न हेतु उपर्ुतत नहीं है. दूधधर्य प्रकयि (ट्र्ूबियइट) कयर्ा में सुववधय प्रयप्त करतय है. प्रकयि कय ववतरण एक समयन होनय चयहहर्े.
  • 62.  गृह, घर र्य आवयस पयररवयररक एवं सयमयजजक गततववधधर्ों कय महत्वपूणा के न्द्र है. गृह (घर) मयत्र ईंट, सीमेंट, िोहय, पत्थर, चूनय, आर.सी.सी आहद से तनलमात एक भौततक संरचनय र्य ढयंचय ही नहीं बजल्क र्ह उसमें रहने वयिे सदस्र्ों को मयनलसक ियंतत,संतोष एवं सुरक्षय कय अहसयस र्य अनुभूतत देतय है. अतः घरेिू पर्यावरण कय स्वयस््र्प्रद होनय अत्र्न्त जरूरी है.
  • 63.  घर एक स्थयन है जहयं व्र्जतत तनवयस करतय है, अथयात घर आवयस है.  घर एक ऐसय वयतयवरण है जहयं व्र्जतत को सुरक्षय एवं प्रसन्नतय लमिती है.  घर एक ऐसी भौततक संरचनय (Physical Structure) है जजसमें एक र्य एक से अधधक व्र्जतत रहते हैं.  घर र्य तनवयस स्थि पिुओं एवं पौधों कय प्रयकृ ततक आश्र् स्थि (Natural Habitat) है.  घर एक ऐसी संस्थय है जहयाँ पर व्र्जतत र्य व्र्जततर्ों की देखभयि की जयती है
  • 64.  गृह िहरी तथय ग्रयमीण ककसी भी क्षेत्र में जस्थत हो, स्वयस््र्प्रद घरेिू वयतयवरण हेतु उसमे तनम्न वविेषतयएं र्य गुण होने चयहहए  नमी रदहि या शुष्ि गृह (Dry Home)- िुष्कतय होने के कयरण घर में कॉकरोच,मृतकों की उत्पवत्त नहीं होती है. धूिकण एवं छोटे जीवों की अनुपजस्थतत से घर के सदस्र् एिजी, अस्थमय इत्र्यहद रोगों के लिकयर नहीं होते हैं  स्वच्छ घर (Clean Home)- घर में रोज सयफ-सफयई, पोंछय आहद िगनय चयहहए. स्वच्छतय के कयरण घर में गंदगी कय जमनय बंद हो जयतय है र्द्र्वप घर को पूरी तरह धूि से मुतत करनय कहठन है तर्ोंकक जूते-चप्पि, आने- जयने, संवयतन (Ventilation), भीड़-भयड़, वयर्ु कय तछद्रों से प्रवेि करनय अथवय अन्र् गततववधधर्ों से धूि कणों और गंदे पदयथों कय आवयगमन होतय रहतय है
  • 65.  पूणयिः सम्वातिि गृह (Well Ventilated Home) संवयतन की अच्छी व्र्वस्थय से घर में वयर्ु कय आवयगमन एवं प्रवयह बनय रहतय है. संवयतन में पंखों (Fans) की भी महत्वपूणा भूलमकय रहती है.  ज्वलनशील उत्पादों से सुरक्षक्षि गृह (Home Safe from Combustible Products) ज्वनििीि उत्पयदों; गैस स्टोव, चूल्हय, गैस भट्हटर्यं, गैस वयटर हीटर, कयर आहद िीघ्र आग पकड़ने वयिे तथय दम घोंटने वयिी गैस (कयबान मोनोऑतसयइड) धुआं के स्रोत हैं. स्वयस््र्प्रद गृह पर्यावरण हेतु इन उत्पयदों की गुणवत्तय अच्छी तथय कयर्ाप्रणयिी सुरक्षक्षत होनी चयहहए.
  • 66.  िीटों से मुति गृह (Pest Free Home) - मच्छर, कयंकरोच, तछपकिी, चूहे आहद अनेक जीव घर में रहने वयिे व्र्जततर्ों में श्वसनीर् संक्रमण, एिजी, भोजन ववषयतततय (Food Poisoning) आहद फै िय सकते हैं. इन्हें नष्ट करने वयिे रयसयर्तनक र्य कीटनयिक (Pesticides) पदयथा भी घर के वयतयवरण को ववषयतत बनय सकते हैं. अतः अच्छे गृह पर्यावरण हेतु, घर कीटों एवं कृ न्तकों (Rodents) से मुतत होनय चयहहए,  हातनिारि पदाथों, वविैले रसायनों से मुति गृह मुति होना चादहये (Home Free from Harmture and Toxic Chemicals)
  • 67.  मनुष्र् के पर्यावरण में, घरेिू वयतयवरण र्य आवयस एक महत्वपूणा अंग है. अच्छे एवं स्वयस््र् प्रद गृह- वयतयवरण हेतु घर कय तनमयाण उपर्ुतत तरीके से तथय घर के देखभयि की तनर्लमत तनगरयनी व्र्वस्थय होनी चयहहए.  घर के आस-पड़ौस कय वयतयवरण भी अच्छय होनय जरूरी है. र्हयं पर गृह-पर्यावरण से सम्बंधधत कु छ महत्वपूणा त्र् वणणात हैं:
  • 68.  स्थि: वषया से सुरक्षक्षत, सड़क से ऊाँ चय, भूकम्प अप्रभयववत, सयफ-सुथरय हो.  कक्ष: मकयन में सदस्र्ों की संख्र्य के आधयर पर कमरे हों. एक कमरे में दो से अधधक व्र्जततर्ों कय रहनय भीड़ कहियतय है. पर्याप्त संख्र्य में णखड़ककर्यं, दरवयजे एवं रोिनदयन हों.  फिा: पतकय हों, जजसकी नींव 2-3 फीट से कम न हो, क्षेत्रफि एक व्र्जतत हेतु 50 से 100 वगा फु ट के बीच हो.  छत: इसकी ऊाँ चयई 10-11 फीट से कम नहीं हो.  दीवयरें: मजबूत, मौसम से अप्रभयववत, चूहों आहद के त्रबिों से सुरक्षक्षत हो,  घनफु ट स्थि: प्रतत व्र्जतत 500 घनफु ट से 1000 घन फु ट के मध्र् हो तयकक वयर्ु संवयतन अच्छी प्रकयर से हो सके .
  • 69.  सेट बैक: भवन में आगे-पीछे खुिय स्थयन हो.  भवन तनमयाण सयमग्री : स्थयनीर् जिवयर्ु, पररजस्थततर्ों के अनुकू ि हो  इसी प्रकयर भवन तनमयाण में रसोई पर वविेष ध्र्यन देने और सदस्र् संख्र्य के आधयर पर िौचयिर्, स्नयनगृह, पिुओं के लिए अिग स्थयन होनय जरूरी है. 2.उपयुति संवािन या वायु संचरण - भवन तनमयाण के समर् ही घर में उपर्ुतत वयर्ु प्रवयह की व्र्वस्थय पर ध्र्यन देनय चयहहए. आवयस में तयजय हवय कय प्रवेि होनय जरूरी है, पर्याप्त संख्र्य में दरवयजे, णखड़ककर्यं तथय रोिनदयन (वेंहटिेिन) होने पर, वयर्ु कय सही संचरण होतय रहतय है तथय घर की गरम पय अिुद्ध हवय बयहर जयती है तथय बयहर की िुद्ध हवय अंदर आती है.
  • 70. 3. धुएं से बचाव (Protection from Smoke)- जहयं तक संभव हो, आवयसीर् स्थिों/कयिोतनर्ों/घरों के आस-पयस औद्र्ोधगक अथवय कि-कयरखयने नहीं होने चयहहए.  सयवाजतनक एवं तनजी वयहनों से तनकिने वयिय धुआाँ घर के वयतयवरण में प्रदूषण फै ियतय है. 4. सुरक्षक्षि जलापूतिय (Safe Water-supply) घर में सयफ-सफयई, रसोई, स्नयनगृह, िौचयिर् आहद के लिए समुधचत एवं सुरक्षक्षत जियपूतता होनी चयहहए. पीने के लिए पेर्जि (Potable water) की सही व्र्वस्थय होनी चयहहए, जि कय स्रोत घर से दूर नहीं होनय चयहहए.
  • 71. 5.सेतनटरी िौचयिर् (Sanitary Latrine) घर में स्वयस््र्प्रद वयतयरण बनयए रखने हेतु सेतनटरी िौचयिर् होनय आवश्र्क है. प्रत्र्ेक 4-6 व्र्जततर्ों के मध्र् एक िौचयिर् होनय जरूरी है. 6.तनकयस नयलिर्यं (Drains)- भवन से स्नयनगृह, रसोई, बयररि के पयनी तथय जि मि (Sewage) के तनकयस नयलिर्याँ होनी चयहहए, तनकयस नयलिर्ों को समर्-समर् पर चेक करते रहनय चयहहए तयकक उनमें रूके हुए पयनी में मच्छर आहद उत्पन्न नहीं हों एवं घर में दुगान्ध न हो.  बतान धोने अथवय रसोई के व्र्था पयनी कय उपर्ोग ककचन गयडान हेतु ककर्य जय सकतय है. बयररि के जि को व्र्था नयलिर्ों में बहने देने की अपेक्षय जि पुनभारण (Water Recharging) हेतु उपर्ोग में िे सकते हैं
  • 72.  पिुओं हेतु व्र्वस्थय (Arrangement for Animals) िहरों में पिुओं को सयमयन्र्तः डेर्री अथवय कृ वष फयमा में रखय जयतय है ककं तु डेर्री फयमों कय आवयसीर् कॉिोनी से बयहर होनय चयहहए.  आवयसीर् स्थिों में पिुओं को (वविेषकर िहरों पतं गयर्ों को दूध हेतु) रखने से गंदगी फै िती है, मच्छर एवं कीटों कय आश्र् स्थि बन जयतय है तथय कु छ पिु जतनत रोग फै िने की संभयवनयएं बढ़ती हैं.
  • 73.  घर के आसपयस हरीततमय पट्टी (ग्रीन बेल्ट) ववकलसत करनी चयहहए.  भवन में आग से बचयव के पर्याप्त प्रबंधन होने चयहहए.  गृह-वयतयवरण में ियंतत हेतु आस-पड़ोस की सुववधयओं कय ध्र्यन रखनय चयहहए और पड़ोलसर्ों से अच्छय व्र्वहयर रखनय चयहहए.
  • 74.  ग्रयमीण आवयस हेतु मयपदण्ड (Standards for Rural Housing)  स्वयस््र् एवं पररवयर कल्र्यण मंत्रयिर् द्वयरय गहठत पर्यावरणीर् हयइजीन सलमतत की एक ररपोटा के अनुसयर ग्रयमीण आवयस के मयपदण्ड तनम्न प्रकयर हैं : 1. मकयन में कम से कम 2 कमरे तथय बरयमदय अथवय पर्याप्त खुिय स्थयन हो 2. मकयन कय तनमयाण क्षेत्र, कु ि क्षेत्रफि के 1/2 भयग से अधधक नहीं हो. 3. मकयन में एक रसोई होनी चयहहए जजसमें बतान धोने की सुववधय तथय सयमयन रखने की व्र्वस्थय हो. 4. मकयन में सेतनटरी िौचयिर् हो. 5. मकयन के आसपयस 1/2 ककमी की दूरी में पेर्जि की व्र्वस्थय हो. 6. मकयन के वपछवयड़े में पिुओं कय बयडय हो सकतय है, ककन्तु बयडय (पिु आवयस) मकयन से कम से कम 25 फु ट दूर हो. 7. कू ड़े-कचरे के उधचत तनपटयन की व्र्वस्थय हो. 8. ग्रयमीण आवयस में अनयज रखने तथय पिुओं के लिए चयरय रखने की उपर्ुतत व्र्वस्थय होनी चयहहए.
  • 75.  ग्रयमीण आवयसों कय िगभग 100% तनमयाण गैर इंजीतनर्रों (Non Engineered) द्वयरय होतय है  आवयसों के तनमयाण में तनम्न गुणवत्तय की भवन सयमग्री कय उपर्ोग होतय है.  तनमयाण कयर्ा एक सयथ न होकर टुकड़ों में होतय है. नींव कच्ची होती है, अनेक तनमयाणों में लमट्टी से ही पत्थर र्य ईंटों को जोड़ हदर्य जयतय है.  ग्रयमीण क्षेत्रों के मकयन अधधकयंितः एक मंजजि वयिे होते हैं.  मकयन में छत नीचे रहती हैं, प्रकयि एवं संवयतन की समुधचत व्र्वस्थय नहीं होती है.  अधधकयंि मयमिों में मकयन में रसोई के लिए अिग से कमरय नहीं होतय है कपड़े धोने, स्नयन, िौच आहद की व्र्वस्थय आधी- अधूरी होती है तथय नयलिर्ों और तनकयस पर पर्याप्त ध्र्यन नहीं हदर्य जयतय है.
  • 76.  मवेलिर्ों को घर के आगे र्य वपछवयड़े में रखय जयतय है.  स्वच्छतय के तनर्मों कय पयिन नहीं होतय है।