1
पोवारी साहित्य अना साांस्क
ृ हिक उत्कर्ष द्वारा आयोहिि
पोवारी साहित्य सररिा भाग ७०
आयोिक
डॉ. िरगोहवांद टेंभरे
मागषदर्षक
श्री. व्ही. बी.देर्मुख
2
१. चौरी पर हदवो लगावि चलोां
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घर मा चौरी पर दिवो लगावत चलोों l
जग मा कमों की खुशबू लुटावत चलोों ll
इदतहास का गुण गुणगुणावत चलोों l
पहचान पर स्वादिमान करत चलोों l
उत्तम ज्ञान लक महक जासे जीवन,
जग मा कमों की खुशबू लुटावत चलोों ll
मायबोली आपली रोज बोलत चलोों l
मायबोली आपली रोज दलखत चलोों l
दिव्य दचोंतन लक महक जासे जीवन,
जग मा कमों की खुशबू लुटावत चलोों ll
सोंस्कारोों ला दनत धारण करत चलोों l
दनज सोंस्क
ृ दत को सोंवधधन करत चलोों l
अच्छी सोंगत लक महक जासे जीवन,
जग मा कमों की खुशबू लुटावत चलोों ll
इहििासकार प्राचायष ओ सी पटले
र्हन.२९/१०/२०२२.
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3
२. रानी बनकर िग रिी िोिी
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मोरा िी दिन होता
रानी बनकर जग रही होती l
मोरो िी आोंचल मा
जगमगाहट दिस रहीों होती l
सारी िुदनया मोला
वोंिन करता दिस रहीों होती ll
मोरा िी दिन होता
रजवाडाओों मा नाोंि रही होती l
सबको ओोंठो पर
खुदशयोों लक इठलाय रहीों होती l
सबको दिलोों पर
रानी बनक
े राज कर रहीों होती ll
नवीन जमानोों मा
हालत दबगडता िेख रहीों होती l
सबको ओोंठो पर
दहन्दी मराठी खूब खेल रही होती l
मी सबकी नजरोों मा
उपहास की दशकार होय रही होती ll
नवी क्ाोंदत को दिनोों मा
अनुक
ू ल हवा बहती िेख रही होती l
4
सबकी वाणी लक
मोरी खूब वाहवाही िेख रहीों होती l
सबकी लेखनी लक
कदवता ना गीत मा ढल रही होती ll
पररवतधन की हवा
मी आपलो डोरा लक िेख रहीों होती l
मोरो मन की वेिना
धीरु धीरु िूर होती िेख रहीों होती l
मोरा िी दिन होता
रानी बनकर जग रही रही होती ll
इहििासकार प्राचायष ओ सी पटले
#लक्ष्मीपूिन,सोम.२४/१०/२०२२.
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7
4.
पोवार को सपनामा आपली मायबोली 'परी पोवारी' आयेच
पायिे.
हर्र्षक: 'परी पोवारी'
(चाल: एक कली मेरे ख्वाब मे आयी)
एक परी मोरो सपनमा राती
मोला सुनावों आपदबती ॥
यदक परवाह को अिाव मा आयी
बडी दबकट पररस्तथिती ॥धृ॥
झुरझुरक्यानी चेहरापर झुरी
जरोंसे जजधर काया
मोहनी मुरत प्यारी सुरत पर
ये कसा दिन आया
पेढन पेढी वैिव की राणी की
िई कसी या िुगधती ॥१॥
एकता को माध्यम समता को साधन
पोवारोों की िारोमिार
समाजोत्थान की आधारिोंि या
आज लगे दनराधार
आबालवृद्ध को मुख मा बसी रवों
वाणी की िेवी सरस्वती ॥२॥
8
दिन पररपाटी मा िरिराटी मा
ि-या रवत येका ढोला
िुध िदहको वान नोहोतो
खोंडीिर गोधन खुटोला
राजेशाही की परोंपरा येकी
समृद्धशाली सोंस्क
ृ ती ॥३॥
नवीन जमानो को चकाचौोंध मा
अनिेखी ियी या दबचारी
येको आोंचलमा दसक्या पढ्या अना
मा-या उत्तुोंग िरारी
पोवारी बोलनकी सरम आवोंसे
'का कहेत सोंगी सािी?' ॥४॥
जागो पोवारो पयचानो आपलो
जीवन की या बुदनयाि
िाषा पोवारी बोलचाल की
आता बढावो तािाि
गवध करो आमी पोवार आजन
धाकडी से आमरी छाती ॥५॥
परी पोवारीनों वचन माोंगी सेस
'िूलो नोको मायबोली
पराई िाषा मा करो तरक्की पर
चाटो नोको पितली
इदतहास खरो बने तुम्हारो
बची रहे पोवार जाती' ॥६
9
दनत्य िैनोंदिन बोलचाल लका
परी बनी रहे चोंगा
पोवारी दटक
े तों पोवार दटक
े
बहे दवकास की गोंगा
बोले प्रहरी बोलो पोवारी
आथिा ठे वो पोवारी प्रदत ॥७॥
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डॉ. प्रल्हाद िररणखेडे 'प्रिरी'
डोांगरगाांव/ उलवे, नवी मुांबई
मो. ९८६९९९३९०७
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10
5.
डोलसे मोरो खेि को सोना
( पोवारी बोली)
गीि रचना - रणदीप हबसने
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येन् साल िई बाररश तूफान
हलको धान को ियेव् नुकसान
सावरेव नहीों अजून दकसान
तरी मानसे मनमाों समाधान ||1||
पानी पडेव योंिा सबिून जािा
दकसान नही कर् कोदनसोंग वािा
नहीों लेन को हात माों फाोंसी को फ
ों िा
जोड माों सुरू करे कोनतो बी धोंिा ||2||
जेतरो ियेव् खेतीसाटी खचाध
सरकार िरबार माों दसरफ चचाध
मजबूत करजो पैर को क
ु रचा
आत्मदनिधर हो रे बळीराजा ||3||
िारी धान की येन् साल मजा
पानी बगावन को बचेव त्रागा
रोग लगेव् जरी कोनतो िागमाों
दपवरो सोनो चमक रही से खेतमाों ||4||
धान काटन ला नही दमळत कोनी
11
वली बाोंिी माों नहीों जमत मदशनी
रोजिार बाई मानूस की से ना कमी
झुरो धान दपवरो झळसे दबनकामी ||5||
धान की खेती दकसान को सोना
हरसाल रूलावसे येव् िुखगाना
नहीों फ
ू ट कोनीला िया को पाना
दकसान मजबूत से मन को मनमाों ||6||
•••••••••••••••••••••••••••••••••••
12
6.
मोरी भार्ा, मोरो मान
मोरी िाषा, मोरो मान l
पोवारी िाषा, दवख्यात से नाम l
समाज की या आय सोंजीवनी,
आओ, रोज करोों येको गुणगान ll
मोरी िाषा, मोरी शान l
पोवारी िाषा, मोरी पहचान l
सोंस्क
ृ दत की या आय सोंजीवनी,
आओ, रोज करोों येको गुणगान ll
मोरी िाषा, मोरी आन l
पोवारी िाषा, समाज की शान l
एकता की या आय सोंजीवनी,
आओ, रोज करोों येको गुणगान ll
मोरी िाषा, मोरोों प्राण l
पोवारी िाषा, माता को समान l
जीवन की या आय सोंजीवनी,
आओ, रोज करोों येको गुणगान ll
मोरी िाषा , मोरोों काम l
जागो उठो आता , करोों उत्थान l
समाज की या आय सोंजीवनी,
होये, सोंस्क
ृ दत ना समाज को कल्याण ll
प्राचायष ओ सी पटले
13
7.
पायल गौिम को पोवारी गीि गायन : एक अहभप्राय
गीि का बोल- पोवारी बोली बोलू सू मी, बाई मी पोवार
--------------❇️💥❇️------------
पोवार समाज की बेटी "पायल गौतम" जब् पोवारी मा
गाना गाव् से तब् -
१. पोवारी िाषा को माधुयध वातावरण मा घोल िेसे. पोवारी
िाषा को सौोंियध वातावरण मा दबखेर िेसे.
२. पोवारी िाषा की श्रेष्ठता सहज दसद्ध कर िेसे .पोवारी
िाषा या अमृतमय से, येकी साक्षात अनुिूदत कराय िेसे.
३. पोवारी िाषा ला नाव ठे वनेवालोों ला गलत सादबत कर
िेसे.
४. पोवारी िाषा को सोंबोंध मा सारी गलतफहदमयाों धराशाई
कर िेसे.
५.पोवारी िाषा को प्रदत आत्मीयता अना स्वादिमान एक
साि जागृत कर िेसे.
६. पोवारी िाषा को दवकास की सोंिावना को बारा मा
आश्वि कर िेसे.
७.पोवारी िाषा को दवकास साती प्रयत्नशील महानुिावोों को
मन मा नवी आशा, नवी उमोंग अना नवो आत्मदवश्वास को सोंचार
कर िेसे.
८.पोवारी िाषा को दवकास सोंबोंधी प्रयासोों ला अतुल्य बल
िेसे.
९. पोवारी िाषा सोंबोंधी बह रही उलटी हवा को रुख बिल
िेसे. प्रदतक
ू ल हवा िी अनुक
ू ल बन जासे.
14
१०. पोवारी िाषा को माधुयध को रसपान करायक
े मातृिाषा
पोवारी की प्रशोंसा , िुदत ,वाहवाही करन प्रत्येक व्यस्ति ला
अनुक
ू ल कर लेसे, बाध्य कर िेसे.
- प्राचायष ओ सी पटले
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15
8
मांडई को िलवा
मोंडई को जलवा गावमा रव्हसे िारी
मनोरोंजन की इच्छाला करसेती पुरी ||टेक||
आवसेती गावमा इतउतका पाव्हना
गोवारी नाचा िेखन की रव्हसे तम्हना
मोंडई की पानसुपारी खान दकसे न्यारी ||१||
मोंिीर चौकमा मोंडई को लगसे मेला
िुकान की रेलचेल से झुलसेती झुला
मटक मुटक करसेती शान रव्हसे िारी ||२||
मोंडई िेखन क
े तरी जमजासे गिी
झगडा तोंटा करो नोको रव्हसे हमििी
गावका पुढारी पर दजमेिारी से िारी ||३||
दसोंगाडा बतासा जलेबी को रव्हसे नािा
खुशी लक जोडसेती दबह्या करन ररिा
रात को जेवण सोंग चचाध रोंगसे िारी ||४||
िोंडार ड
र ामा नवटोंकी िेखो रातिर
झाडीपट्टी की नाटक ला गिी जमकर
पोंचमी की मोंडई खडी शायरी िारी ||५||
िेमांि पी पटले र्ामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१
*********************************************
16
9.
िय श्री राम
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अदत मनोहारी
लग से अदत मनोहारी प्यारी,
राजा राम जी,
तोरो चरण की धुल दमल जाहे गर
तोरो चरण की धुल दमल जाहे गर
होय जाहु मी बलीहारी,
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अदत मनोहारी,
लग से अदत मनोहारी प्यारी
राजा राम जी
,
चरण कमल को िेजो सहारा,
िुदनया लक हार जाहु िेजो तु सहारा,
आस लगाय कर बसी तोरी शरण मा ,
अता सुझ नही काही दकनारा,
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अदत मनोहारी,
लग से अदत मनोहारी प्यारी
राजा राम जी,
झुट कपट क्षल बल नोको िेजो
धन माया को लोि नोको िेजो
िेजो धमध ध्वजा िगवा धारी,
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अदत मनोहारी,
लग से अदत मनोहारी प्यारी
17
राजा राम जी,
क्षमा याचना माग सक
ु मी ऐतरो िेजो मोला िान,
गवध करु मी अपरो दहन्िु धमध पर
जब वरी सेत मोरा प्राण,
श्री राम जी राजा राम जी दसया राम जी ,
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अदत मनोहारी
लग से अदत मनोहारी प्यारी,
राजा राम जी दसता राम जी
हवद्या हबसेन
बालाघाट
*******************
18
10.
आकर
मोरो गाव को आकर
बसन उठन की जागा
योंज्या होसेती गोष्टी-मास्टी
िक
े व िागेव होसे उिा......
खेतकन जान को रिा
आकरपर लक च जासे
बोंडी गाडी दफरावन साटी
आकर पर की मित होसे......
दिवस बुडेवपर योंज्या
आवसेत मोहल्ला का लोक
हसी मज्या चलसे मि
िरि िुख घटना माों कर शोक...
गाव मा का हाल हवाल
िेटसे येन् आकर परा
कोनघर जनी गाय शेरी
कोन कोोंटा माों कटेव बकरा.....
माोंिी बससे सब उमर की
बाल गोपाल त् बुजरूग
अनुिव की िेवघेव होसे
येन् दपढीकनल दपढीला वोन्....
20
11.
पोवारी सांस्क
ृ हि उत्थान.
आपरी पोवारी बोली को दवकास अना सोंवधधन लाई यदि कोनो
मोंच पर जानो पडे परा पूणध बुलोंि आवाज को साि 36 क
ु ल
पोवार को बारे मा मोंच पर लका उि् घोष. तादक मोंचाशीन अना
उपस्तथित जनसमुिाय मा सीधो जागृदत होये पायजे.
जाती नाम, अना क
ु ल नाम को फरक समझावनो.
36 क
ु र को उल्लेख, अना वतधमान 31 क
ु र को उच्चारण.
36 क
ु ल की समान सोंस्क
ृ दत को पुनः पुनः उच्चारण, जसो की
मयरी, डोकरी पूजा, िीवारी की खीर अना मुख्य बात चौरी, िेव
उतारनो.
ये बात बहुत लहान लग सेत, पन मात्र 36 क
ु ल पोवार की धरोहर
आय, स्वजातीय की पहचान आय. अना मुख्य बात पोवारी बोली,
ब्राम्हस्त्र आय.
जय श्री राम
जय राजा िोज.
✒️ऋहर्क
े र् गौिम (1-oct -2022)
************************************
21
12.
पोवार समाि मा सामाहिक उत्थान अना सामाहिक
सांगठना
सबला आपरो अतीत को गौरव अना सोंस्क
ृ दत को जतन का
प्रयास करनो चादहसे। पोवार समाज क़ी आपरी िाषा अना
गौरवमयी सोंस्क
ृ दत आय जेला आपरो पुरखाइन ना सोंजोयकन
राखी होदतन। आम्हरी िाषा अना साोंस्क
ृ दतक मूल्य इनको धीरू-
धीरू लक िुलावनोों समाज लाई दचोंता को दवषय आय। सप्
समाजजन इनला येको जतन लाई युद्ध िर परा प्रयास करनो
पढें।
समाज मा फ
ै ली बुराई को दवलोपन अना साोंस्क
ृ दतक
उत्थान लाई १९०० को आसपास प्रबुद्ध जन इनना पोंवार जादत
सुधारणी सिा को गठन करीन। तसच सनातनी मूल्य को सोंरक्षन
लाई समाज को आराध्य िगवान श्रीराम को मोठो मोंदिर,
दसहारपाठ, बैहर १९११ मा थिादपत ियो। यहाँ लक़ पोवार
समाज ला सोंगदठत रहकन आपरो समाज क़ी सोंस्क
ृ दत अना
पदहचान को सोंरक्षन क़ी शुरुवात िई, जेको मुल्य इनला समाज
क़ी सबलक प्रदतदष्ठत अना आिशध सोंथिा, पोंवार राम मोंदिर टरष्ठ,
दसहारपाठ, बैहर समाज मा प्रचाररत अना प्रसाररत कर रही से।
छत्तीस क
ु ल समाज क़ी सोंस्क
ृ दत अना समाजोत्थान मा
अग्रणी सोंथिा, अस्तखल िारतीय क्षदत्रय पोवार/पोंवार महासोंघ यन
कायध ला नवी पीढी तक पोंहुचावन का काम मा जुटी से। तसच
सबला दमलकन आपरी िाषा अना सोंस्क
ृ दत का रक्षण को
समाजोत्थान मा सहयोग करनो ही सच्ची समाजसेवा होहे।
🙏🙏🚩🙏🙏🚩🙏🙏🚩🙏🙏
22
13
❤️मोरी भार्ा मोरोां मान❤️
मोरी िाषा मोरो मान l
छत्तीस क
ु ल को प्राण l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
मािो को चोंिन समान l
एका को बोंधन समान l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
जीवन मा येको मान l
सपना मा ठे ओ ध्यान l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
या से समाज की शान l
येको लक से कल्याण l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
पूवधजोों को वरिान l
छत्तीस क
ु ल को प्राण l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
इहििासकार प्राचायष ओ सी पटले
23
14.
िमरो मध्य प्रदेर्
िारत को िील अना जान हमरो मध्य प्रिेश यो से हमारी शान
हमरो मध्य प्रिेश ,
िारत को िील अना जान हमरो मध्य प्रिेश,
कारी कारी माटी यहा उगल से सोना,
धन्य धान लक िरया कोना कोना
हमरो िेश की बढाा़व पदहचान हमरो मध्य प्रिेश,
िारत को िील अना जान अपरो मध्य प्रिेश,
यो से हमारी शान हमरो मध्य प्रिेश,
कारो सोना उगले से माय धरती मेहनत कस मजिुर दगन को
पोट माय िरती,
सोयाबीन खेत खेत लहराव, खेती दकसानी ला उन्नत बढाव,
स्वाधीनता को से मान अपरो मध्य प्रिेश ,
िारत को िील अना जान हमरो प्रिेश
यो से हमारी शान हमरो मध्य प्रिेश,
दशक्षा, व्यवसाय व्यापार मा अव्वल आव,
िेश िुदनया मा अपरो डोंका बजाव,
िारत को से अदिमान हमरो मध्य प्रिेश ,
िारत को िील अना जान हमरो मध्य प्रिेश
यो से हमारी पदहचान हमरो मध्य प्रिेश,
24
स्वाथि ,स्वच्छता मा सबले आगे वायु प्रिुषण सब िुर िागे,
जोंगल पहाडीा़ लहर लहराव
पशु पक्षी िी मगन होयक
े नाचत गावत,
हररयाली की से खान हमरो मध्य प्रिेश,
िारत को िील अना जान हमरो मध्य प्रिेश ,
यो से हमरी शान हमरो मध्य प्रिेश,।।
हवद्या हबसेन
बालाघाट
*****************
25
15.
सनािन
सत् को तन मा वसन बनयो सनातन।
बडी गहरी ना अक्षुण से माया तोरी िगवन।।
कई आताताई आया येला दमटावन।
कोई ला िी नहीों दमलयो दवजय को जतन।।
चािर वाला आया सनातन ला दसरावन।
पर उनको उल्टो करम मा न्होतो कोई िम।।
दफर फािर वाला आया सनातन जरावन।
माया तोरी िेखकर करन लगीन पुजन।।
सनातन को बडो गहरो से सार।
चार वेि, अठारह पुराण कर सेती तोरो प्रसार।।
छह शाथञ सब ग्रोंि मा तोरी बडी माया।
तोला िुलावन का कई जतन कराया गया।।
सनातन की रक्षा मा कई िय गया अमर।
सनातन लक जीवन को सफल से सफर।।
दहोंिु अवतर जो नही समझया सनातन।
ओको जीवन से पशु लक िी बत्तर।।
26
एक प्रधान सेवक न उठाइस बीडा।
सनातन को पार होय रही से बेडा।।
चािर ना फािर को घट गयो मान।
सनातन को सब करन लगीन सम्मान।।
िुदनयाों मा सादजश वाला पैिा िया िगवान।
बहया रूप का सोंता आना साई समान।।
राम _क
ृ ष्णा ,ब्रह्मा _दवष्णु महेश।
सृष्ठी मा कोइ नहाय इनको लक दवशेष।।
िरोसा कर लेव ये सब सनातनी िेव।।
इनको अलावा कोई नहीों हर सक: िेव।।
दम का करू सनातन को बखान।
मोरो मा नहाय जी येतरो ज्ञान।।
सनातन सोंस्क
ृ दत की आन बान आना शान।
येको लाई हमेशा मोरी जान से क
ु बाधन।।
व्यस्तिगत फायिा को नही लेव मी सहारा।
सनातन सोंस्क
ृ दत लगाय िेहेेे मजधार लक दकनारा।।
यर्वन्त कटरे
िबलपुर
०१/११/२०२२
27
16. झुांझुरका
ियी झुोंझुरका
दनकलेव दिवस
आब रातकी
टाक िेवो अवस
जमीन पर आया
सोनेरी दकरण
उठकन करकमल ला
जावो तुमी शरण
चहूबाजू पक्षीोंकी
गुोंजसे दकलदबल
ताजी ताजी हवा मा
ताजो करो दिल
राोंगोली अना सरा
आोंगण की शोिा
शाोंत दशतल शोिसे
पररमोंडल की आिा
प्रक
ृ ती झुोंझुरका
रोज खोलसे रहस्य
आवन िेव चेहरा पर
दचरथिायी हास्य
र्ेर्राव येळे कर
हसांदीपार
28
17
हबर्य:- मांडई
ढोलकी की िाप
तूनतुना पर तान
मोंडई से
झाडीपट्टी की शान
अटक मटक चटक
मोंडई को सोला शोंगार
िाऊबीज सोंग उत्सव
समाज को दशष्टाचार
िुकान अना िोंडार
दिवसिर करसे गजर
रात जगावनला पौरादणक
नाटक ड
र ामा होसे हजर
दिवाळी बाि को उत्सव
गाव सोंस्क
ृ ती को आरसा
बाररश बाि कला जगायकन
झाडसेत मन को धुसा
आरोग्य सोंग उत्साह
आनोंिी होसे तन मन
दिवारी बािकी मोंडई
गाव सोंस्क
ृ ती को धन
र्ेर्राव येळे कर,हसांदीपार
29
18
भारि मािा की बेटी
------------🚩🚩-----------
िारत माता की या बेटी पोवारी बोली l
मोरोों समाज की लाडली पोवारी बोली ll
राजथिान मा नाोंिी से या पोवारी बोली l
मालवा मा नाोंिी से मोरी पोवारी बोली l
पोवार बाल बालाओों की या पहचान से,
हर युग मा नाोंिी से मोरी पोवारी बोली ll
रजवाडाओों मा नाोंिी से पोवारी बोली l
रण मैिान मा नाोंिी से पोवारी बोली l
पोवार बाल बालाओों की या पहचान से,
हर युग मा नाोंिी से मोरी पोवारी बोली ll
रानी-रदनवास मा नाोंिी से पोवारी बोली l
खेत-खदलहान मा नाोंिी से पोवारी बोली l
पोवार बाल बालाओों की या पहचान से ,
हर युग मा नाोंिी से मोरी पोवारी बोली ll
इहििासकार प्राचायष ओ सी पटले
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30
19
क
ु र (सरनाम)
आजकाल िेखनो पढनो मा आय रही से दक बहुत सा पोवार
समाज का लोग अपरो नाम सोंग अपरी क
ु र (सरनाम) नही
दलखकर अपरो नाम सोंग पवार दलख रही सेतीन अन बहुतसा
पोवार समाज का सोंगठन िी अपरो कायधक्म मा पत्रक अन
बेनर मा िी पवार दलखकर गवध महसूस कर सेतीन जो बहुत ही
गलत अन अनावश्यक से।
िदवष्य मा एका ियानक िुष्पररणाम िेखन मा दमल्हेत।
(1) िदवष्य मा आवन वाली पीढी अपरी क
ु र अन मूल जादत
पोवार पोंवार ला िूल जाहे।
(2) जब अपरी मूल जादत अन क
ु र ला िूल जाहेत त अपरी क
ु र
वाला बदहन िाई सोंग दबह्या करनो शुरू होय जाहे। जो दक दहन्िू
अन पोवार समाज मा वदजधत से ।
(3) िारत िेश अन िुदनया िर का िेश मा बहुत सा लोग पवार
शब्द को उपयोग अपरी जादत अन क
ु र (सरनेम) अन वगध पोंि
कौम को रूप मा कर रही सेतीन।
िुदनया को दविाररकरण मा पोवार समाज अपरी मूल पदहचान
लक िूर होय जाहे।
(4) अबो च लक पोवार समाज का लोग अपरी बोली अपरा रीदत
ररवाज ििूर परम्परा मानदबन्िू आिशध सोंस्कार अन सोंस्क
ृ दत
ला छोडकर अन्य पोंि या सम्प्रिाय का की बोली रीदत ररवाज
अन ििूर ला अपनावन मा दहचक नहीों कर रही सेतीन। जसो
दबह्या मा ररोंग सेरेमनी दबहा को पदहले टुरा टुरी को सोंग
घुमनोअन सोंग मा रहनो। जन्मदिन मा क
े क काटने अन
मोमबत्ती बुझावनो
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जन्मदिन मोंगलमय होय को जाग्हा मा हेपी बड्डे बोलनो दलखनो।
जो दक कोई िी दृदष्ट लक ठीक नहाय।
(5) अपरी बोली बोलनो मा दहचक अन शरम महसूस करनो अन
अपरी बोली बोलन वालो ला िदकयानूसी दपछडो अनपढ गोंवार
रूदढवािी पुरातन वािी समझनो।
(6) िला च ठीक लक दहोंिी अोंग्रेजी उिूध सोंस्क
ृ त नहीों जानन
लेदकन आधी दहन्दी आधी अोंग्रेजी अन अन्य बोली िाषा का शब्द
दमलायकर बोलनो मा गवध महसूस करन। जो दक ठीक नहाय।
मोरो समाज का प्रमुख अन अन्यन क्षेत्र मा नेतृत्व मागधिशधन
करन वाला सीन दनवेिन से दक अपरी अस्तस्मता मौदलकता जड
पहचान रीदत ररवाज ििूर परम्परा मान्यता आिशध तीज त्यौहार
अन अपरो इदतहास पर िी ध्यान िेत समाजसेवको की मेहनत
समय अिध अन ज्ञान को समुदचत उपयोग होय अन समाज ला
लाि दमल। धन्यवाि।
िय रािा भोि िय भारि मािा।
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20.
िुलसी हववाि
श्री हरी को खतम ियो दवश्राम।
िेव करन लगीन मोंगल गान।।
चार मदहना को हाेे तो दवश्राम।
आषाढ लक कादतधक को िौरान।।
दशव जी सोंिाली होदतन िार।
सौप िेहेती आता हरर ला प्रिार।।
दशव आना हरर को होए दमलन।
िेव दिवारी को तब ले से चलन।।
मोंगल काज की आज लक से धूमधाम।
आज को दिन हरी बनया होता सादलग्राम।।
प्रिम मोंगल तुलसी सोंग सादलग्राम।
दफर सबको शुरु होसे शािीकाम।।
तुलसी जी न करी होदतस िारी तप।
तब दमलया होता हरर जसा वर।।
हर घर तुलसी हरर को होतो वरिान।
दबना तुलसी को हरर पुजन नहीों पावन।।
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गन्ना को बनसे मोंडप हरो हरो।
कलश सोंग गजानन ला दवराजो।।
प्रिम पुजन दवघ्ण दवनाशक आना राम।
दफर तुलसी _सादलग्राम को धरो ध्यान।।
चढाय कर तुलसी जी ला श्रृोंगार।
सात फ
े रा लेव हाि मा धरकर िेव सादलग्राम।।
करो आरती दवष्णु सोंग तुलसी जी की।
दफर बाोंटो प्रसाि इनको दबह्या की।।
यर्वन्त कटरे
िबलपु ०४/१२०२२
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21.
देव श्री िरी भगवान
ऊठो ऊठो श्री हरी िगवान िेव
करत गुणगान लगायकर ध्यान,
चार मदहना िेवा दवश्राम होतो तुम्हरो,
सोंिाली होतीन तब वरी जागा तुम्हरी दशव िोला ना जगत
कल्याण,
ऊठो ऊठो श्री हरी िगवान,
अज लक शुि माोंगदलक कायध शुरु करनो से सब िेव करत
गुणगान लगायकर ध्यान बजावत म्रिोंग अना झाोंझ, मनावत सब
िेव मील
दिवारी िगवान,
ऊठो ऊठो श्री हरी िगवान,
पहलो पुजन गणनायक को मग तुलसी सोंग सादलकराम,
सजो से माोंडो दहवरो गन्ना को दबहा मा आओ सकल िेव सोंग
दसया राजा राम,
ऊठो ऊठो श्री हरी िगवान,
सात फ
े रा को बोंधन मा बोंध गयी जोडी, तुलसी सोंग सादलगराम
जय बोलो िगवान,
दवष्णु करत शोंख नाोंि,
ऊठो ऊठो श्री हरी िगवान।।
हवद्या हबसेन
बालाघाट