3. •विलक
ु र बालाजी मंविर, वजसे "िीसा बालाजी मंविर'' क
े नाम
से जाना जाता है, तेलंगाना क
े रंगारेड्डी वजले में उस्मान सागर
क
े तट पर भगिान बालाजी का एक प्रािीन वहंिू मंविर है। यह
हैिराबाि वजले क
े सबसे पुराने मंविर ं में से एक है, ज पहले
अब रंगारेड्डी वजले में है। भक्त रामिास क
े िािा मिन्ना और
अक्कन्ना क
े समय में वनवमित। इस मंविर में न त हंडी है और
न ही भक्त ं से पैसे स्वीकार करता है।
5. •वबड़ला मंविर एक वहंिू मंविर है, ज हैिराबाि, तेलंगाना,
भारत में 13 एकड़ (53,000 मी2) भूखंड पर नौबत पहाड़
नामक 280 फीट (85 मीटर) ऊ
ं िी पहाड़ी पर बना है।
वनमािण में 10 साल लगे और 1976 में रामक
ृ ष्ण वमशन क
े
स्वामी रंगनाथनंि द्वारा ख ला गया। मंविर का वनमािण वबड़ला
फाउंडेशन द्वारा वकया गया था, वजसने पूरे भारत में कई
समान मंविर ं का वनमािण वकया है, वजनमें से सभी क वबड़ला
मंविर क
े नाम से जाना जाता है।
7. •भारत में तेलंगाना क
े सांघी नगर में स्थथत सांघी मंविर
हैिराबाि शहर से लगभग 35 वकमी िू र है।पवित्र राजा
ग पुरम, ज बहत ऊ
ं िा है, कई वकल मीटर िू र से िेखा
जा सकता है।मंविर परमानंि वगरर पहाड़ी की ि टी पर
स्थथत है, ज कई भक्त ं क आकवषित करता है।मंविर
का प्रबंधन संघी पररिार की श्रीमती अनीता सांघी द्वारा
वकया जाता है।
9. •ज्ञान सरस्वती मंविर भारत क
े तेलंगाना क
े बसर में ग िािरी
निी क
े तट पर स्थथत िेिी सरस्वती का एक वहंिू मंविर है। [1]
यह भारतीय उपमहाद्वीप में ि प्रवसद्ध सरस्वती मंविर ं में से
एक है, िू सरा शारिा पीठ है। सरस्वती ज्ञान और सीखने की
वहंिू िेिी है। बच् ं क अक्षर अभ्यसम नामक वशक्षण समार ह
क
े वलए मंविर में लाया जाता है।
11. •सुरेंद्रपुरी एक धावमिक पयिटन थथल है ज यिाद्री भुिनवगरर
वजले में हैिराबाि, तेलंगाना, भारत क
े पास स्थथत है। 17
एकड़ क
े धावमिक पररसर में क
ुं डा सत्यनारायण कलाधमम -
भारत का पहला पौरावणक संग्रहालय, पंिमुखा हनुमिेश्वर
िेिथथानम (वहंिू मंविर), निग्रह मंविर, नागक वट मूवति और
सुरेंद्रपुरी की प्रवतवित ि तरफा पंिमुख हनुमान-वशि प्रवतमा
शावमल हैं।
13. • कमिघाट हनुमान मंविर भारत क
े तेलंगाना राज्य क
े हैिराबाि में सबसे
पुराने और ल कवप्रय वहंिू मंविर ं में से एक है। मंविर क
े प्रमुख िेिता
भगिान हनुमान हैं और मंविर पररसर में अन्य िेिताओं का भी वनिास
है। भगिान राम, भगिान वशि, िेिी सरस्वती, िेिी िुगाि, िेिी
संत षीमाता, भगिान िेणुग पाल स्वामी और भगिान जगन्नाथ। यह
मंविर कमिघाट में, संत षनगर क
े पास और नागाजुिन सागर ररंग र ड
क
े करीब स्थथत है।
15. •ज गुलम्बा गडिाल वजले, तेलंगाना, भारत में बीिुपल्ली,
भगिान हनुमान (अंजनेया स्वामी) क
े प्रवसद्ध मंविर ं में से एक
है। यह जुराला पररय जना से लगभग 30 वकल मीटर नीिे की
ओर क
ृ ष्णा निी क
े तट पर स्थथत है।इस थथान पर क
ृ ष्णा निी
क
े वकनारे वहंिू रीवत-ररिाज ं क
े अनुसार वििंगत आत्माओं की
अंत्येवि करने क
े वलए प्रवसद्ध हैं।
17. •श्री लक्ष्मी नरवसम्हा स्वामी मंविर या क
े िल यािाद्री या
यािवगररगुट्टा मंविर क
े रूप में जाना जाता है, [1] (पंि
नरवसम्हा क्षेत्रम और ऋवष आराधना क्षेत्रम क
े रूप में भी जाना
जाता है) एक वहंिू मंविर है ज यिाद्री भुिनवगरी वजले क
े छ टे
से शहर यािवगररगुट्टा में एक पहाड़ी पर स्थथत है। भारतीय
राज्य तेलंगाना। मंविर भगिान विष्णु क
े अितार नरवसंह का
वनिास थथान है।