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Hindi assignment
राजभाषा की पररभाषा क्या है?
किसी प्रदेश िी राज्य सरिार ि
े द्वारा उस राज्य ि
े अन्तर्गत प्रशासकिि िार्यों िो सम्पन्न िरिे ि
े किए किस भाषा िा
प्रर्योर् किर्या िाता है, उसे राज्यभाषा िहते हैं। यह भाषा सम्पूर्ण प्रदेश क
े अधिकाांश जन-समुदाय द्वारा बोली और समझी जाती
है। प्रशासधनक दृधि से सम्पूर्ण राज्य में सर्णत्र इस भाषा को महत्त्व प्राप्त रहता है।
भारतीय सांधर्िान में राज्योां और क
े न्द्रशाधसत प्रदेशोां क
े धलए धहन्दी क
े अधतररक्त 21 अन्य भाषाएँ रािभाषा स्वीकार की गई हैं।
सांधर्िान की अिम अनुसुधि में क
ु ल 22 भारतीय भाषाओां स्थान प्राप्त हुआ है। राज्योां की धर्िानसभाएँ बहुमत क
े आिार पर धकसी
एक भाषा को अथर्ा िाहें तो एक से अधिक भाषाओां को अपने राज्य की राज्यभाषा घोधषत कर सकती है|
सरकारी काम काज में धजस भाषा का प्रयोग धकया जाता हैं उस भाषा को राजभाषा कहते हैं, भारत देश की
राजभाषा धहांदी हैं, 14 धसतम्बर 1949 को धहांदी भाषा को राजभाषा क
े रूप में स्वीकार धकया गया था, और इस
धदन को ही धहांदी धदर्स क
े रूप में मनाया जाता हैं।
राजभाषा को अांग्रजी में (Official Language) कहते हैं, राजभाषा अथाणत सरकारी काम - काज की भाषा, भारत का
सांधर्िान बनाते समय धहांदी भाषा को ही राजभाषा मान धलया गया था, धहांदी भाषा भारत देश क
े सात राज्योां में
राजभाषा क
े रूप में प्रयुक्त की जाती हैं।
धकसी भी कायण का धनर्णय, धशक्षा का माध्यम, रेधियो र् दुदणशन में राजभाषा (धहांदी) का ही प्रयोग धकया जाता हैं।
भारत में स्वांत्रता क
े बाद रािर भाषा धहांदी को राज-भाषा का दजाण धदया गया, धहांदी को राज-भाषा की मान्यता धमलने क
े
बाद अधहन्दी भाधषयोां द्वारा इस धनर्णय पर बहुत धर्रोि धकया गया धजसक
े कारर् सांधर्िान सभा में 11 धसतम्बर 1949
से 14 धसतम्बर 1949 तक बहस िलती धजसमे धहांदी, अांग्रजी, सांस्क
ृ त एर्ां धहन्दुस्तानी भाषा क
े दार्े पर धर्िार धकया
गया।
धकन्तु सांधर्िान सभा क
े भीतर और बाहर धहांदी का प्रबल समथणन धमलने क
े कारर् सांधर्िान सभा क
े धनयम सधमधत ने
धहांदी क
े पक्ष में अपना धनर्णय धदया, यह धनर्णय धहांदी धर्रोिी एर्ां धहांदी समथणको क
े बीि मुंशी-आर्युंर्र फाममगिे क
े
• (मुंशी-
आर्युंर्र फाममगिे क्या हैं इसे हम आर्े िािेंर्े) और धिर 14 धसतम्बर 1949
को धहांदी को सांर्ेिाधनक रूप से भारत देश की राजभाषा घोधषत धकया गया, इ
सधलए प्रत्येक र्षण 14 कसतम्बर को कहुंदी कदवस क
े रूप में मनाया जाने लगा हैं
।भारत क
े सांधर्िान ( Constitution ) क
े भाग 17 क
े अनुच्छे द 343 में धलखा
गया है धक सांघ की राजभाषा धहन्दी और धलधप देर्नागरी होगी। यहाँ सांघ की
राजभाषा का अथण प्रशासधनक कायों क
े धलए प्रयुक्त भाषा है। अथाणत इसे
सांर्ैिाधनक मान्यता धमली है।
• राजभाषा की तीन धर्शेषताएां धलखखए :
• 1- र्यह सरिारी िामिाि िी भाषा होती है । 2- क्षेत्रीर्य भाषा ही
रािभाषा होती है । 3- िर ि
े किर्गर्य, कशक्षा िा माध्यम, रेकयर्यो और
दम रदशगि में रािभाषा िा प्रर्योर् होता है
• राष्ट्रभाषा िा अर्ग और पररभाषा
• समाज में धजस भाषा का प्रयोग होता है साधहत्य की भाषा उसी का पररष्क
ृ त रूप है।
भाषा का आदशण रूप यही है धजसमें धर्शाल समुदाय अपने धर्िार प्रकट करता है।
अथाणत् र्ह उसका धशक्षा, शासन और साधहत्य की रिना क
े धलए प्रयोग करता है।
इन्ीांकारर्ोां से जब भाषा का क्षेत्र अधिक व्यापक और धर्स्तृत होकर समस्त रािर में
व्याप्त हो जाता है तब र्ह भाषा रािर भाषा कहलाती है।
• रािर भाषा का सीिा अथण है रािर की र्ह भाषा, धजसक
े माध्यम से सम्पूर्ण रािर में धर्िार
धर्धनमय एर्ां सम्पक
ण धकया जा सक
े । जब धकसी देश में कोई भाषा अपने क्षेत्र की सीमा
को लाँघकर अन्य भाषा क
े क्षेत्रोां में प्रर्ेश करक
े र्हाँ क
े जन मानस क
े भार् और
धर्िारोां का माध्यम बन जाती है तब र्ह रािर भाषा क
े रूप में स्थान प्राप्त करती है।
र्ही भाषा सच्ची रािर भाषा हो सकती है धजसकी प्रर्ृधि सारे रािर की प्रर्ृधि होां धजस पर
समस्त रािर का प्रेम हो। रािर क
े अधिकाधिक क्षेत्रोां में बोली जाने र्ाली तथा समझी
जाने र्ाली भाषा ही रािर भाषा कहलाती है।
• रािर भाषा की धर्शेषताएां –
• राष्ट्र भाषा िी प्रमख कवशेषताएुं किखखर्यें ?
• रािर भाषा में प्रमुख धनम्न धर्शेषताये होना आर्श्यक है । रािर भाषा की प्रमुख धर्शेषताएां धनम्न है –
• रािर भाषा की सांस्क
ृ धत,इधतहास और साधहत्य की प्रेरर्ा होती है ।
• यह सम्पूर्ण रािर की सांपक
ण भाषा होती है और जनजीर्न को प्रभाधर्त करती है ।
• रािर भाषा को राजनैधतक सरांक्षर् प्राप्त होता है ।
• रािर भाषा का अपना साधहत्य होता है ।
• रािर भाषा धशक्षा प्रशासन और जनसांपक
ण की धनधर्णर्ाद भाषा होती है ।
• रािर भाषा देश में बहुसांख्यक लोगोां द्वारा बोली जाती है ।
• रािर भाषा सीखने में सरल होती है तथा इसकी धलधप र्ैज्ञाधनक होती है।
• रािर भाषा सांधर्िान द्वारा मान्यता प्राप्त होती है।
• यह देश में धशक्षा र् समािार-पत्रोां की भाषा होती है।
• यही राजभाषा और सम्पक
ण भाषा हो सकती है।
• सांपक
ण भाषा धकसे कहते हैं?
• जब कोई व्यखक्त अपनी मातृभाषा क
े अलार्ा धकसी दू सरी भाषा का प्रयोग
करक
े अपनी भार्नाओां या धर्िारोां को दू सरे व्यखक्त तक पहुांिाता है तथा र्ह
भाषा दू सरे व्यखक्त को भी समझ में आती है ऐसी भाषाओां को हम सांपक
ण भाषा
कहते हैं।
• िॉ . भोलानाथ धतर्ारी क
े अनुसार “जो भाषा अन्य लोगो क
े काम आये, उसे
सांपक
ण भाषा कहते हैं ।” धहन्दी भारत देश की सांपक
ण भाषा बहाररक रूप में है
क्योांधक यह यह भाषा भारत क
े अलग-अलग लोगोां क
े बीि में सांपक
ण तथा सांर्ाद
करने में सहायक होती है। अांग्रेजी को आज धर्श्व की सांपक
ण भाषा कहा जाता है
क्योांधक यह धर्श्व क
े अलग-अलग लोगोां से बातिीत करने में सहायता करते हैं।
• सांपक
ण भाषा सदैर् बातिीत क
े स्तर तक सीधमत नहीांरहती है सांपक
ण भाषा कई
अलग-अलग क्षेत्रोां में भी हमें सहायता करती है जैसे व्यापार का धित्र धशक्षा का
क्षेत्र इत्याधद। सांपक
ण भाषा का अत्यधिक महत्व होता है । जब कोई व्यखक्त
रािर ीय स्तर पर अलग-अलग भाषाओां क
े बारे में जानकारी रखता है तथा उस
भाषा को उस भाषा का प्रयोग धकसी दू सरे व्यखक्त से बातिीत करने क
े
धलए करता है।
• जैसे भारत में अनेक भाषाएां बोली जाती हैं अलग-अलग क्षेत्रोां में अलग-अलग
प्रकार की उनकी एक भाषा होती है। ऐसे में जब दो अलग-अलग क्षेत्र क
े लोग
आपस में धमलते हैं तो उन्ें बातिीत करने क
े धलए एक ऐसी भाषा का प्रयोग
धकया जाता है जो दोनोां लोगोां की मातृभाषा ना होकर क
े अन्य कोई भाषा हो जी
ने दोनोां व्यखक्त समझ सकते हैं तथा उन्ें आसानी से सुन सकते हैं। यही भाषा
ही सांपक
ण भाषा कहलाती है ।
• ध्यान देने की बात यह है धक क
ु छ लोग आज भी यह सोिते हैं धक अांग्रेजी ही
भारत की सांपक
ण – भाषा हो सकती है । उन्ें यह जान लेना होगा धक कोई भी
धर्देशी भाषा हमारी समस्याओां का समािान नहीांकर सकती । रािर ीय एकता ,
साांस्क
ृ धतक धर्रासत और सामाधजक – सांपदा की सुरक्षा क
े धलए हमें अपनी
भाषाओां क
े साथ ही एक सांपक
ण – भाषा का भी धर्कास करना होगा । यह भाषा
धहांदी ही हो सकती है ।
• सांपक
ण भाषा का महत्व:
• सांपक
ण भाषा को अांग्रेजी में धलांगर्ा फ्र
ें स कहते हैं धजसका सामान्य तौर पर अथण लोक बोली या समान्य बोली से
हैं।
• धर्धर्िता पूर्ण समाज में लोगोां क
े बीि सांपक
ण सािने का कायण सांपक
ण भाषा करती है और यह भाषा क्षेत्रीय स्तर
पर या राज्य स्तर पर हमें अलग-अलग धदखाई दे सकती है।
• र्ैधश्वक रूप से सांपक
ण सािने अांग्रेजी भाषा अपने साथ इसका लगातार अांतररािर ीय स्तर पर बढ़ता जा रहा है।
• धर्कधसत देशोां में जैसे अमेररका, फ्राांस, जापान, धिटेन, जमणनी इन देशोां में सांपक
ण भाषा यहाँ की प्रशासधनक
यानी राजभाषा और रािर भाषा होती है।
• धर्धर्िता पूर्ण समाज में लोगोां क
े बीि सांपक
ण सािने का कायण सांपक
ण भाषा करती है और यह भाषा क्षेत्रीय स्तर
पर या राज्य स्तर पर हमें अलग-अलग धदखाई दे सकती है।
• र्ैधश्वक रूप से सांपक
ण सािने अांग्रेजी भाषा अपने साथ इसका लगातार अांतररािर ीय स्तर पर बढ़ता जा रहा है।
• भारत में धहन्दी भाषा कोई दजाण प्राप्त है यह सांपक
ण भाषा राजभाषा रािर भाषा क
े रूप में अपनी लगातार भूधमका
अदा करती आ रही हैं
क्रम सुंख्या राष्ट्रभाषा रािभाषा
1 रािर भाषा जन सामान्य की भाषा होती है। राजभाषा देश क
े प्रशासन-र्गण की भाषा होती है।
2
राजभाषा समूिे देश क
े नागररकोां को एक-दू सरे से
परस्पर जोड़ती है।
राजभाषा राज्योां क
े कायाणलयोां या सांघ से राज्योां द्वारा धकये
जाने र्ाले पत्रािार और अधिधनयम, धनयम आधद बनाने में
प्रयुक्त होती है।
3 रािर भाषा प्रयोग तथा व्यर्हार में अनौपिाररक होती है।
राजभाषा मयाणदा में बांिी होती है। उसमें अधभव्यखक्त को
समधयत रूप से व्यक्त धकया जाता है।
4
रािर भाषा देश क
े कोने-कोने में तीथों, सभा गोधियोां
मनोरांजन स्थलोां आधद सभी जगह व्यर्हार में होती है।
राजभाषा सीधमत क्षेत्र प्रशासधनक या धर्धिक कायों से
सम्बांधित धनधित शब्दर्ली होती है। उसमें धर्स्तार की
अपेक्षा सांधक्षप्ता का गुर् होता है।
5
जनसामान्य की भाषा होने क
े कारर् रािर भाषा में धर्धभन्न
बोधलयोां का प्रभार् लोक-प्रयोग, सहजता,
अनौपिाररकता आधद गुर् होते है।
राजभाषा की शब्दार्ली प्रशासधनक कायाणलयोां तक ही
सीधमत रहती है।

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  • 2. सरकारी काम काज में धजस भाषा का प्रयोग धकया जाता हैं उस भाषा को राजभाषा कहते हैं, भारत देश की राजभाषा धहांदी हैं, 14 धसतम्बर 1949 को धहांदी भाषा को राजभाषा क े रूप में स्वीकार धकया गया था, और इस धदन को ही धहांदी धदर्स क े रूप में मनाया जाता हैं। राजभाषा को अांग्रजी में (Official Language) कहते हैं, राजभाषा अथाणत सरकारी काम - काज की भाषा, भारत का सांधर्िान बनाते समय धहांदी भाषा को ही राजभाषा मान धलया गया था, धहांदी भाषा भारत देश क े सात राज्योां में राजभाषा क े रूप में प्रयुक्त की जाती हैं। धकसी भी कायण का धनर्णय, धशक्षा का माध्यम, रेधियो र् दुदणशन में राजभाषा (धहांदी) का ही प्रयोग धकया जाता हैं। भारत में स्वांत्रता क े बाद रािर भाषा धहांदी को राज-भाषा का दजाण धदया गया, धहांदी को राज-भाषा की मान्यता धमलने क े बाद अधहन्दी भाधषयोां द्वारा इस धनर्णय पर बहुत धर्रोि धकया गया धजसक े कारर् सांधर्िान सभा में 11 धसतम्बर 1949 से 14 धसतम्बर 1949 तक बहस िलती धजसमे धहांदी, अांग्रजी, सांस्क ृ त एर्ां धहन्दुस्तानी भाषा क े दार्े पर धर्िार धकया गया। धकन्तु सांधर्िान सभा क े भीतर और बाहर धहांदी का प्रबल समथणन धमलने क े कारर् सांधर्िान सभा क े धनयम सधमधत ने धहांदी क े पक्ष में अपना धनर्णय धदया, यह धनर्णय धहांदी धर्रोिी एर्ां धहांदी समथणको क े बीि मुंशी-आर्युंर्र फाममगिे क े
  • 3. • (मुंशी- आर्युंर्र फाममगिे क्या हैं इसे हम आर्े िािेंर्े) और धिर 14 धसतम्बर 1949 को धहांदी को सांर्ेिाधनक रूप से भारत देश की राजभाषा घोधषत धकया गया, इ सधलए प्रत्येक र्षण 14 कसतम्बर को कहुंदी कदवस क े रूप में मनाया जाने लगा हैं ।भारत क े सांधर्िान ( Constitution ) क े भाग 17 क े अनुच्छे द 343 में धलखा गया है धक सांघ की राजभाषा धहन्दी और धलधप देर्नागरी होगी। यहाँ सांघ की राजभाषा का अथण प्रशासधनक कायों क े धलए प्रयुक्त भाषा है। अथाणत इसे सांर्ैिाधनक मान्यता धमली है।
  • 4. • राजभाषा की तीन धर्शेषताएां धलखखए : • 1- र्यह सरिारी िामिाि िी भाषा होती है । 2- क्षेत्रीर्य भाषा ही रािभाषा होती है । 3- िर ि े किर्गर्य, कशक्षा िा माध्यम, रेकयर्यो और दम रदशगि में रािभाषा िा प्रर्योर् होता है
  • 5. • राष्ट्रभाषा िा अर्ग और पररभाषा • समाज में धजस भाषा का प्रयोग होता है साधहत्य की भाषा उसी का पररष्क ृ त रूप है। भाषा का आदशण रूप यही है धजसमें धर्शाल समुदाय अपने धर्िार प्रकट करता है। अथाणत् र्ह उसका धशक्षा, शासन और साधहत्य की रिना क े धलए प्रयोग करता है। इन्ीांकारर्ोां से जब भाषा का क्षेत्र अधिक व्यापक और धर्स्तृत होकर समस्त रािर में व्याप्त हो जाता है तब र्ह भाषा रािर भाषा कहलाती है। • रािर भाषा का सीिा अथण है रािर की र्ह भाषा, धजसक े माध्यम से सम्पूर्ण रािर में धर्िार धर्धनमय एर्ां सम्पक ण धकया जा सक े । जब धकसी देश में कोई भाषा अपने क्षेत्र की सीमा को लाँघकर अन्य भाषा क े क्षेत्रोां में प्रर्ेश करक े र्हाँ क े जन मानस क े भार् और धर्िारोां का माध्यम बन जाती है तब र्ह रािर भाषा क े रूप में स्थान प्राप्त करती है। र्ही भाषा सच्ची रािर भाषा हो सकती है धजसकी प्रर्ृधि सारे रािर की प्रर्ृधि होां धजस पर समस्त रािर का प्रेम हो। रािर क े अधिकाधिक क्षेत्रोां में बोली जाने र्ाली तथा समझी जाने र्ाली भाषा ही रािर भाषा कहलाती है।
  • 6. • रािर भाषा की धर्शेषताएां – • राष्ट्र भाषा िी प्रमख कवशेषताएुं किखखर्यें ? • रािर भाषा में प्रमुख धनम्न धर्शेषताये होना आर्श्यक है । रािर भाषा की प्रमुख धर्शेषताएां धनम्न है – • रािर भाषा की सांस्क ृ धत,इधतहास और साधहत्य की प्रेरर्ा होती है । • यह सम्पूर्ण रािर की सांपक ण भाषा होती है और जनजीर्न को प्रभाधर्त करती है । • रािर भाषा को राजनैधतक सरांक्षर् प्राप्त होता है । • रािर भाषा का अपना साधहत्य होता है । • रािर भाषा धशक्षा प्रशासन और जनसांपक ण की धनधर्णर्ाद भाषा होती है । • रािर भाषा देश में बहुसांख्यक लोगोां द्वारा बोली जाती है । • रािर भाषा सीखने में सरल होती है तथा इसकी धलधप र्ैज्ञाधनक होती है। • रािर भाषा सांधर्िान द्वारा मान्यता प्राप्त होती है। • यह देश में धशक्षा र् समािार-पत्रोां की भाषा होती है। • यही राजभाषा और सम्पक ण भाषा हो सकती है।
  • 7. • सांपक ण भाषा धकसे कहते हैं? • जब कोई व्यखक्त अपनी मातृभाषा क े अलार्ा धकसी दू सरी भाषा का प्रयोग करक े अपनी भार्नाओां या धर्िारोां को दू सरे व्यखक्त तक पहुांिाता है तथा र्ह भाषा दू सरे व्यखक्त को भी समझ में आती है ऐसी भाषाओां को हम सांपक ण भाषा कहते हैं। • िॉ . भोलानाथ धतर्ारी क े अनुसार “जो भाषा अन्य लोगो क े काम आये, उसे सांपक ण भाषा कहते हैं ।” धहन्दी भारत देश की सांपक ण भाषा बहाररक रूप में है क्योांधक यह यह भाषा भारत क े अलग-अलग लोगोां क े बीि में सांपक ण तथा सांर्ाद करने में सहायक होती है। अांग्रेजी को आज धर्श्व की सांपक ण भाषा कहा जाता है क्योांधक यह धर्श्व क े अलग-अलग लोगोां से बातिीत करने में सहायता करते हैं।
  • 8. • सांपक ण भाषा सदैर् बातिीत क े स्तर तक सीधमत नहीांरहती है सांपक ण भाषा कई अलग-अलग क्षेत्रोां में भी हमें सहायता करती है जैसे व्यापार का धित्र धशक्षा का क्षेत्र इत्याधद। सांपक ण भाषा का अत्यधिक महत्व होता है । जब कोई व्यखक्त रािर ीय स्तर पर अलग-अलग भाषाओां क े बारे में जानकारी रखता है तथा उस भाषा को उस भाषा का प्रयोग धकसी दू सरे व्यखक्त से बातिीत करने क े धलए करता है। • जैसे भारत में अनेक भाषाएां बोली जाती हैं अलग-अलग क्षेत्रोां में अलग-अलग प्रकार की उनकी एक भाषा होती है। ऐसे में जब दो अलग-अलग क्षेत्र क े लोग आपस में धमलते हैं तो उन्ें बातिीत करने क े धलए एक ऐसी भाषा का प्रयोग धकया जाता है जो दोनोां लोगोां की मातृभाषा ना होकर क े अन्य कोई भाषा हो जी ने दोनोां व्यखक्त समझ सकते हैं तथा उन्ें आसानी से सुन सकते हैं। यही भाषा ही सांपक ण भाषा कहलाती है ।
  • 9. • ध्यान देने की बात यह है धक क ु छ लोग आज भी यह सोिते हैं धक अांग्रेजी ही भारत की सांपक ण – भाषा हो सकती है । उन्ें यह जान लेना होगा धक कोई भी धर्देशी भाषा हमारी समस्याओां का समािान नहीांकर सकती । रािर ीय एकता , साांस्क ृ धतक धर्रासत और सामाधजक – सांपदा की सुरक्षा क े धलए हमें अपनी भाषाओां क े साथ ही एक सांपक ण – भाषा का भी धर्कास करना होगा । यह भाषा धहांदी ही हो सकती है ।
  • 10. • सांपक ण भाषा का महत्व: • सांपक ण भाषा को अांग्रेजी में धलांगर्ा फ्र ें स कहते हैं धजसका सामान्य तौर पर अथण लोक बोली या समान्य बोली से हैं। • धर्धर्िता पूर्ण समाज में लोगोां क े बीि सांपक ण सािने का कायण सांपक ण भाषा करती है और यह भाषा क्षेत्रीय स्तर पर या राज्य स्तर पर हमें अलग-अलग धदखाई दे सकती है। • र्ैधश्वक रूप से सांपक ण सािने अांग्रेजी भाषा अपने साथ इसका लगातार अांतररािर ीय स्तर पर बढ़ता जा रहा है। • धर्कधसत देशोां में जैसे अमेररका, फ्राांस, जापान, धिटेन, जमणनी इन देशोां में सांपक ण भाषा यहाँ की प्रशासधनक यानी राजभाषा और रािर भाषा होती है। • धर्धर्िता पूर्ण समाज में लोगोां क े बीि सांपक ण सािने का कायण सांपक ण भाषा करती है और यह भाषा क्षेत्रीय स्तर पर या राज्य स्तर पर हमें अलग-अलग धदखाई दे सकती है। • र्ैधश्वक रूप से सांपक ण सािने अांग्रेजी भाषा अपने साथ इसका लगातार अांतररािर ीय स्तर पर बढ़ता जा रहा है। • भारत में धहन्दी भाषा कोई दजाण प्राप्त है यह सांपक ण भाषा राजभाषा रािर भाषा क े रूप में अपनी लगातार भूधमका अदा करती आ रही हैं
  • 11. क्रम सुंख्या राष्ट्रभाषा रािभाषा 1 रािर भाषा जन सामान्य की भाषा होती है। राजभाषा देश क े प्रशासन-र्गण की भाषा होती है। 2 राजभाषा समूिे देश क े नागररकोां को एक-दू सरे से परस्पर जोड़ती है। राजभाषा राज्योां क े कायाणलयोां या सांघ से राज्योां द्वारा धकये जाने र्ाले पत्रािार और अधिधनयम, धनयम आधद बनाने में प्रयुक्त होती है। 3 रािर भाषा प्रयोग तथा व्यर्हार में अनौपिाररक होती है। राजभाषा मयाणदा में बांिी होती है। उसमें अधभव्यखक्त को समधयत रूप से व्यक्त धकया जाता है। 4 रािर भाषा देश क े कोने-कोने में तीथों, सभा गोधियोां मनोरांजन स्थलोां आधद सभी जगह व्यर्हार में होती है। राजभाषा सीधमत क्षेत्र प्रशासधनक या धर्धिक कायों से सम्बांधित धनधित शब्दर्ली होती है। उसमें धर्स्तार की अपेक्षा सांधक्षप्ता का गुर् होता है। 5 जनसामान्य की भाषा होने क े कारर् रािर भाषा में धर्धभन्न बोधलयोां का प्रभार् लोक-प्रयोग, सहजता, अनौपिाररकता आधद गुर् होते है। राजभाषा की शब्दार्ली प्रशासधनक कायाणलयोां तक ही सीधमत रहती है।