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सामाजिक परिवर्तन की विकास में भूमिका

  1. सामाजिक परिवर्तन की जवकास में भूजमका
  2. POST HIGHLIGHT सामाजिक जिकास में व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण क े प्रजत प्रजतबद्धता और नागररक ों क अपनी और अपने समाि की िरूरत ों क जनर्ााररत करने और उन्हें प्रभाजित करने िाले जनणाय ों क प्रभाजित करने का अिसर शाजमल है। सामाजिक पररितान सामाजिक नीजत और आजथाक पहल ों social policy and economic initiatives क जिकजसत करने में सािािजनक सर कार ों क शाजमल करता है।जिकास में गुणात्मक िृक्तद्ध शाजमल है। सामाजिक जिकास उन्नजत या प्रगजत क े जलए समाि की अिचेतन आकाोंक्षाओों से प्रेररत ह ता है। समाि क एक ऐसा आकार देना ि सबक े नज़ररए से एक िैसा ही जदखे, जिकास क सही मायने में पररभाजित करता है। समाि से बुरे व्यिहार क दू र करक े ही जिकास क एक क्तथथर घर प्रदान जकया िा सकता है। जिसकी सोंगत में रहकर समाि नामक घर में हम स्वयों क सुनहरा भजिष्य देते हैं। आि क े इस ब्लॉग में हम िानेगे की सामाजिक पररितान और जिकास जकस तरह एक दू सरे से िुड़े हैं और सामाजिक पररितान की जिकास में भूजमका Role Of Social Change In Development जकतनी महत्वपूणा है।
  3. CONTINUE READING.. समाि मनुष्य द्वारा जनजमात िह घर है, जिसमें व्यक्ति अपनी आिश्यकतानुसार उसमें बने जनयम ों क पररिजतात करता है। आिश्यकता पड़ने पर िह समाि की छत क नए रूप में ढालता है, ताजक उसक े अोंदर रहने िाले ल ग सुरजक्षत रह सक ें । परन्तु इसक े साथ यह ध्यान रखना भी ज़रूरी ह ता है जक उस छत क जकन पदाथों से जनजमात जकया िा रहा है, क् ोंजक हम तभी सही ढोंग से समाि में पररितान ला पाएों गे। हम मानि जिकास Human development क बहुत अजर्क महत्त्व देते हैं। हमारे जलए हम जिकास करक े ही समाि का चेहरा बदल सकते हैं। यह तथ्य सत्य भी है, क् ोंजक सामाि में नए रीजत-ररिाि ों का आगमन तभी ह ता है िब हम अपनी मानजसकता क जिकजसत करते हैं, अथाात उसे सकारात्मकता की ओर ले िाते हैं।जिकास िास्ति में मानजसकता की बदली हुई स च है, ि समाि में उपक्तथथत क ु रीजतय ों क नष्ट करने क े जलए प्रेररत करता है। यजद हम दुजनया में रहने िाले प्रत्येक व्यक्ति क ऐसा आिरण नहीों दे पा रहे हैं, िहाों िह चैन की साोंस ले सक ें और आज़ादी से अपनी भािना क व्यि कर सक ें , त हम जिकास की ओर अग्रसर नहीों है। सामाजिक परिवर्तन की जवकास में भूजमका Role Of Social Change In Development हम कह सकते हैं जक सामाजिक पररितान तथा जिकास एक दू सरे क े पूरक हैं तथा एक-दू सरे क े पयाायिाची भी। सामाजिक पररितान जिकास का कारक बनता है तथा जिकास सामाजिक पररितान का। ऐसे कई साक्ष्य हैं िहाों यह बात जसद्ध ह ती है। समाि का सकारात्मक जदशा positive direction of society में पररितान तभी हुआ है, िब एक नई स च ने िन्म जलया है।
  4. हम चाहें हररत क्ाोंजत green revolution की बात करें, श्वेत क्ाोंजत white revolution की, नई तकनीकी क े ख ि की या जिर मजहलाओों क े उत्थान upliftment of women क े जलए उठाए गए अनेक कदम ों की, इन सब क्षेत् ों ने अपना रूप तब बदला, िब जकसान ों, िानिर ों, जिज्ञान तथा मजहलाओों इत्याजद क े ल ग ों ने अपना नज़ररया बदला। क ु छ ल ग ों की बदली स च ने जिकास का रास्ता ख ला, इसक े पश्चात जिकास ने अन्य ल ग ों की स च क बदला। हम आि भी यह कहते हैं जक हमें और अजर्क जिकजसत ह ने की आिश्यकता है। समाि में आि भी क ु छ ऐसे जबोंदु हैं, जिन पर ल ग ों क स च-जिचार करने की ज़रूरत है। यजद हम यह समझ सक ें जक प्रत्येक व्यक्ति एक समान व्यिहार का हक़दार है तथा उसे जमलने िाला अिसर ठीक िही ह ि हमारा है और हम इस पर अमल करें, त हमारा समाि पररितान की र्ारा क सहिता से बहने देने क े जलए सज्ज ह गा। क ु छ ल ग ों क े पास ज़रूरत से अजर्क ह ता है, क ु छ क े पास ज़रूरत से कम। ऐसे में समानता क िन्म देना द न ों का ही कर्त्ाव्य है। हमें ऐसा समाि जनजमात करना है, िहाों अजर्क सक्षम ह ने का अक्तस्तत्व त रहे, परन्तु िह क े िल अपने जलए नहीों, समाि जहत क े जलए ह । सामाजिक पररितान क े िल मनुष्य ों से नहीों िातािरण से भी प्रभाजित ह ता है। हमारा मन स्वच्छता क े प्रजत दृढ़ सोंकक्तित ह ना चाजहए। गोंदगी क प्रत्येक पररपेक्ष में समाि से पूणा रूप से नष्ट करना है। यह शरीर और मन द न ों क स्वथथ रखेगा तथा जिकास की पररभािा क पररभाजित करने में मदद करेगा। समाि क एक ऐसा आकार देना ि सबक े नज़ररए से एक िैसा ही जदखे, जिकास क सही मायने में पररभाजित करता है। समाि से बुरे व्यिहार क दू र करक े ही जिकास क एक क्तथथर घर प्रदान जकया िा सकता है। जिसकी सोंगत में रहकर समाि नामक घर में हम स्वयों क सुनहरा भजिष्य देते हैं।
  5. जिक्षा का समाि पि प्रभाव Impact of education on society िब सामाजिक पररितान की जिकास में भूजमका की बात आती है त सामाजिक पररितान में जशक्षा की भूजमका का जिक् न ह ये नहीों ह सकता है। क् ोंजक जशक्षा का समाि पर पूणा रूप से प्रभाि पड़ता है और समाि जशक्षा क े हर पक्ष क प्रभाजित करता है। िैसे ही जशक्षा भी समाि क े हर पक्ष क प्रभाजित करती है। जशक्षा का समाि पर क्ा प्रभाि पड़ता है िानते हैं – हम सब िानते हैं जक जशक्षा पररितान का सार्न है। जशक्षा से ही समाि में पररितान सोंभि है। समाि शुरू से लेकर आि तक जनरन्तर जिकजसत ह ने क े साथ साथ पररिजतात ह ता रहा है। दरअसल जशक्षा ने समाि में ल ग ों क े दृजष्टक ण क , निररये क , रहन-सहन, खान-पान, रीजत-ररिाि ों, तौर तरीक ों पर असर डाला है और समाि क पूरी तरह बदल डाला है। जशक्षा व्यक्ति क े दृजष्टक ण में पररितान change in person's attitude कर उसक े जक्याकलाप ों में पररितान कर, अत्यव्यिथथा दू र कर उपयुि सामाजिक व्यिथथा का जनमााण creation of appropriate social order करती है। जशक्षा समाि क े प्रजत लेाग ों क िागरूक बनाते हुये उसमें प्रगजत का आर्ार बनाती है। जशक्षा व्यिथथा िहाों समाि से प्रभाजित हेाती है िहीों समाि क पररिजतात भी करती है िैसे जक स्वतोंत्ता क े पश्चात् सबक े जलये जशक्षा एिों समानता क े जलये जशक्षा हमारे मुख्य लक्ष्य रहे हैं इससे जशक्षा का प्रचार-प्रसार हुआ और समाि का पुराना ढाोंचा पररितान ह ने लगा। जशक्षा समाि का स्वरूप बदलकर उस पर जनयोंत्ण करती है।
  6. जशक्षा समाि क े व्यक्तिय ों क इस लायक बनाती है जक िह समाि में व्याप्त समस्याओों, क ु रीजतय ों, गलत परम्पराओों क े प्रजत सचेत ह कर उसकी आल चना करते हैं और र्ीरे-र्ीरे समाि में पररितान ह ता है। जशक्षा ने िाजतगत ि लैंजगक असमानता क कािी हद तक दू र करने का प्रयास जकया है। आि जशक्षा समाि क े सभी िगों क े जलये अजनिाया बनी है जिससे सामाजिक प्रगजत एिों सुर्ार social progress and reform स्पष्ट निर आ रहा है। Also Read: What is Globalization? भािर् पि वैश्वीकिण क े प्रभाव सामाजिक परिवर्तन की जवकास में महत्वपूणत भूजमका Important role in the development of social change पररितान प्रक ृ जत का जनयम है। हर एक चीि पररिजतात ह ती रहती है, िैसे ऋतुएँ , िीि एिों उनका व्यिहार, समय, समाि, स च, िीजित और जनिीि हर िस्तु आजद। क्ा पररितान ही जिकास है? हमारे चार ओर हर एक पल क ु छ न क ु छ नया ह रहा है। आजदकाल से मनुष्य क दू सरे क े बारे में स चना और उसकी नक़ल करना अच्छा लगता है। प्रजतस्पर्ाा करना िैसे मनुष्य ों की आदत बन गयी है। जिस तरह आिश्यकता अजिष्कार की िननी है उसी तरह जिकास की यही अिर्ारणा एक सामाजिक पररितान की नीि बनती है। याजन सामाजिक सोंघिा से उत्पन्न पररितान भजिष्य में उच्च जिकास क प्राप्त करता है। यह एक सतत प्राक ृ जतक प्रजक्या continuous natural process है। मनुष्य क े व्यक्तित्व का जिकास भी इन सामाजिक पररितान ों पर जनभार रहता है। मनुष्य का व्यक्तित्व भी समाि, देश तथा इजतहास क े अजमट प्रेरणाओों की अजभव्यक्ति है ।
  7. ितामान समय में तक ा शक्ति का जिकास ह रहा है। प्रजतष्पर्ाा अपने चरमसीमा पर है। अपने आप क श्रेष्ट साजबत करने की ह ड़ लगी हुई है। ल ग जिकास की नयी उचाई प्राप्त कर रहें है। िहीों समाि का दू सरा जहस्सा देखें त समाि में जिघटन ह रहा है। स्वाथी और जिघटनकारी तत्व अजर्क हैं। प्रेम, प्यार और जिम्मेदाररय ों की भािना कम ह रही है। जिज्ञान से हमें नयी-नयी उचाईयाों प्राप्त ह रही है जिर भी हम सत्य ब लने से डरते हैं। क्ा यही जिकास है ये प्रश्न हर जकसी क े मन में है। याजन यह जिकास त है लेजकन इसक े साथ नैजतक जिकास moral development भी ह ना बहुत िरूरी है। त हम कह सकते हैं जक सामाजिक पररितान की जिकास में महत्वपूणा भूजमका ह ती है। जिज्ञान क े साथ साथ अध्यात्म क भी हमें अपनाना ह गा। हम सबक जमलकर समाि में ि ै ली असमानता क दू र करक े सबकी भलाई क े साथ आगे बढ़ना ह गा। अपने अपने र्मा, सम्प्रदाय और िगा क े महापुरुि ों का ल ग अनुसरण करते हुए अपने व्यक्तिि का जिकास करते रहे हैं और भजिष्य में भी करते रहेंगे । सामाजिक परिवर्तन क े कािक The factors of social change सामाजिक पररितान क े कारक जनम्न हैं - 1- साांस्क ृ जर्क कािक (Cultural Factors) 2- आजथतक कािक (Economic Factors) 3- िैजवकीय कािक (Biological Factors) सामाजिक पररितान में कई कारक काम करते है जिनमें साोंस्क ृ जतक, प्रौद्य जगक, िैजिकीय, आजथाक, भौग जलक पररिेश सम्बन्धी, मन िैज्ञाजनक कारक मुख्य कारक हैं। ये सभी कारक परस्पर जनभार हैं और एक-दू सरे क प्रभाजित करते हैं । ये सभी कारक जमलकर सामाजिक पररितान उत्पन्न करते है।
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