1. म ाँ
म ाँ पर क
ु छ लिखू यही मेरे समझ क
े परे हैं ! यह मेरें दिम ग में अगर आय भी तो मैं क
ै से
म ाँ क
े ब रे में लिख सकत हूाँ ? ककसी ने कह ाँ हैं की म ाँ क
े पैरों क
े नीचे तो पूरी क यन त
बस्ती है ! जिसने आपको िन्म दिय हो उसक
े ब रे में आप क्य लिख सकते हो ! क्य
आि किर में सूयय को िीपक दिख ने ि रह हूाँ ?
आि सुबह िब मैं श्री कमि ककशोर िी से िोन पर बैंगिुरु ब त कर रह थ , तो ब तों दह
ब तों में मैंने यह महसूस ककय कक वह अपनी हर गज़ि , श यरी , नज़म में हमेश म ाँ क
े
लिये क
ु छ िगह िरूर रखते हैं ! उनक
े इस मह न ख्य ि ने मुझे दिन भर ववचलित कर
दिय कक मुझे भी आि म ाँ क
े ब रे मैं क
ु छ लिखन है ! दिन भर कक कशमकश क
े ब ि मैंने
अपनी किम को मन दह लिय कक मैं भी आि क
ु छ अपनी म ाँ जिसे मैं जिय कहत हूाँ ,
चलिये मैं आि आपको अपनी म ाँ जिय क आपको पररचय कर त हूाँ !
आि मेरी अभी तक कक अपनी छोटी सी जज़िंिगी की सबसे ज्य ि चचिंत , किकर, सोच ,
कि क्य होग यह सब चचिे मुझे नोच ड िती थी , कई ब र ििीि भी कर ड िती थी ,
और तो और म र भी ड ि सकती थी !
िेककन जिस म ाँ / जिय ने िन्म दिय होग उस म ाँ की िुआओिं क ही असर होग ! वह
मुझे िन्म िेने व िी म ाँ है , िय िु है , ममत और प्य र कक मूरत है , गमो को अपने
अिंिर छ
ु प य रखने व िी पवयत म ि है , समुन्र से ज्य ि घहरी सोच , ववश ि दिि , सुिंिर
, श िंत, आक श से ऊचे ववच र , िि िैस स्वभ व , मेरें िीवन सुरक्ष क कवच है , वह
सब क
ु छ है , वही मेरीिं म ाँ / जिय हैं !
गैरों क
े लिये न मी , मतिवी , अच्छ , बुर , बड़ , छोट , और तो और अपनों की बीच
भी में बिन म ज्य ि हूाँ !
परिंतु क
ु छ भी न होते हुये भी , बबन कोई तख्त ओ त ि क
े हमेश अपनी म ाँ क शहि ि
हूाँ ! स थ छोड़ िे स री िुननय म ाँ कभी भी बच्चो क स थ नहीिं छोड़ती है !
चिीये मेरे म ाँ िीय क्य है , वह िों भी है िि ब है ! वह मोम की मूरत है सि उन्होने
अपने को िि कर हर तरि रोशनी ही रोशनी ि
ै ि ई हैं ! प्य र िेन , िूसरों को वह सब
िेन बबन म िंगे िों उनको ककसी ने नहीिं दिय होग ! उनकी ननघ यों मे कोई िूसर हे ही
2. नही ! सब उनक
े लिए एक सम न है ! प्य र, आर म, अपन पन , ममत , ख न ,खि न ,
उनक
े लिये लसव य िुट ने क
े लसव क
ु छ भी नहीिं हैं ! उनक
े प स ऊि य क श्रोत हैं , सिैव
हाँसती रहन और िूसरों को कोई गम न होय वह ही उनकी प्रथन बोिो / तपलसय क
प्रस ि बोिो / सि ईश्वर से यही प्रथन रहती है की िूसर कोई िुखी नहीिं होन च दहये !
उन्होने िों गमो क
े पह ड़ , िुखो क
े स गर और गरीबी िैसी जिसकी कोई सीम नहीिं एविं
समय की वह म र ख ई हैं , अपने इस िीवन में ! अगर कोई अच्छे से अच्छ पहिव न /
इिंस न भी अगर उनकक िीवनी सुन िेग तो मुझे पूर भरोस है, वह भी उनको अपनी जिय
ही म नने िगेग !
चिो उनकी िीवनी भी िेखते हैं ! बचपन में करीब करीब िो स ि य उससे भी कम उम्र में
उन्होने अपनी म ाँ खो िी थी ! उसी प्रक र वपत भी तीन य च र स ि कक उम्र क
े समय ही
सवयिोक लसध र गये थे ! आि से करीब 78 स ि पहिे उनक िन्म इट रसी नगर
मध्यप्रिेश में हुआ थ ! बचपन बबन म ाँ ब प क
े पूर बबत य अपने च च च ची क
े घर ,
उनक
े िो बड़े भ ई भी थे एक च र बड़ और एक स त स ि बड़े थे ! िोनों भ इयों ने खूब
अच्छी पढ़ ई लिख ई कर क
े एक म म कॉिेि में प्रोि
े सर बन गये थे ! और एक डेपुटी
किेक्टर तक पहुाँच गये थे !
म ाँ कक श िी क्ि स छ य स त प स करने क
े ब ि ही कर िी थी ! उस समय मेरे वपत श्री
11बी प स कर क
े श यि रेल्वे मे किक
य क
े पि पर नोकरी पर िग गये थे !
वपत िी क बचपन खिंडव य उसक
े आस प स क
े ग ाँव में ही गुिर थ ! मेरे ि ि िी
िीननगिं लमिों मे मुनीम क
े पि पर ही क यय करते थे ! जिय कक श िी क
े समय श यि वह
सब िोग ननिंह ड़ख्रेड़ी ग ाँव में ही रहते थे ! िह ाँ श यि ि इट और रोड भी नहीिं थे ! उस
म हौि में वपत िी ने इिंजलिश ववषय िेकर 11बी प स कक थे और श िी क
े ब ि बी ए ,
एम ए और हम तीनों भ ई बहन कक पढ़ ई क
े स थ उन्होने भी ि ईबेरी स इिंस कक डडग्री पूरे
यूननवरलसदट में पहिे निंबर से प स कक !
आप सोच क
े िेखें म ाँ नहीिं वपत नहीिं अच नक पनत क भी िेह िंत बच्चे छोटे , 7बी क्ि स
क
े ब ि श िी य ने ज्य ि पढ़ ई लिख ई भी नहीिं की थी ! क
ु िरत क एक चपत्क र िेखये की
प प ने श िी क
े ब ि तीनों बच्चो की पढ़ ई क
े स थ स थ मेरी म ाँ को भी 11बी प स करव
िी थी ! मध्यप्रिेश में एक ब र स्कीम आई की अगर आप 6 य 7 प स हैं तो ड इरैक्ट
10बी और 11बी बोडय की परीक्ष िे सकते हैं प्र यवेट बैठ कर य ने आपको स्क
ू ि ि ने कक
3. कोई िरूरत नहीिं है ! इसी क ि यि श यि मेरी म ाँ जिय क
ु िरत ने दिि ब दिय होग !
किर भी एक आप सोच सकते है , उन्हे अपने बच्चो क
े लिए रेल्वे मे नोकरी भी लमि गई
थी प प की नोकरी क
े बििे में ! नॉन मेदिक क्िक
य की पोस्ट से नोकरी शुरू की और पूरी
जज़िंिगी पररश्रम और सिंघषय से ननकिी ररट रमेंट ऑकिस सुप्रीडेंडेट क
े पि से हुई !
िुननय क
े हर बबगड़े हुये ह ि तों कक तस्वीर बिि िेती है , म ाँ कक िुव एिं बच्चो कक तकिीर
बिि िेती है ! पह ड़ो िैसे सिमे , स गर से ज्य ि गहरे गमों और अिंचधयों तूि न से ज्य ि
तकिीकिय ाँ झेिती है म ाँ उम्र भर , िेककन एक औि ि कक तकिीि से हर म ाँ हमेश चूर
चूर टूट ि ती है यह पक्क है ! क
ै से कौन म ाँ को पहच न सकत हैं !
उनक
े आशीव यि से उनक
े तीनों बच्चे आि भरपूर हर तरह से सम्प्प्प्न हैं , और तो और न ती
पोते पोती सब भी खूब अच्छी पढ़ ई लिख ई कर क
े नौकरी , व्यप र , ड क्टर , इिंिीनीर बन
गय है !
आि भी उनक
े सवभ व में कोई िक
य नहीिं िेख हैं मैंने आि तक ! अपने बड़े पुत्र क
े प स
बहुत खुशी से अपन िीवन गुि र रही है ! म ाँ /जिय को किर चरण स्पशय , उनक स्व स्थ
सि अच्छ रहें यही ईश्वर से हमेश प्रथन यही रहती हैं ! उिंनक आशीव यि मेरे ऊपर सि
बन रहेग और ह ाँ मेर पूर िीवन लसि
य बड़े िोगो क
े आशीव यि से ही ननकि है और मुझे
पूर ववश्व स भी हैं की मेरे भोिे ब ब , वपत , बुिुगो क एविं म ाँ / जिय क
े आशीव यि से
ही मेर सम्प्पूणय िीवन एक ि
ू िो क
े बगीचे िैस खुशबू , और सुिंिरत क
े स थ ननकि गय
और ब की क िीवन भी इन्ही िोगो क
े आशीव यि से 100 % ननकि ि येग !
धन्यब ि
वीरेंर श्रीव स्तव
29/07/2021