भूली बिसरी यादें
हाथ से जि रेत फिसल जाती हैं तो हम उसे खेल समझते हैं ! यह ज़ िंदगी भी एक खेल ही हैं ! यहााँ 100%
आप फकसी भी चीज को नहीिं पकडे रख सकतें हैं !
जीवन फिसल जायेगा और हम उन रेत क
े कर्ण फक तरह हैं ! या तो फिसलने का इिंत ार करतें हैं ! या
फिसलन क
े िाद पश्चाताप कर रहें रहे होते हैं !
चललये हम अपने आज और िीते ददनों को फिर याद करने फक और देखने की कोलिि करतें हैं !
जो भी हमें लमला था उसी में हमने जीवन का खूि आनिंद उठाया हैं !
कभी कभी दूध िटने का इिंतजार करते थे ! कि दूध िटे और मााँ उसे उिाल उिाल कर छेना िना कर थोड़ी
चीनी या गुड लमलाकर , हमे लाइन में िैठाकर जल्दी से सिको िरािर वािंटे उसका भी एक अलग आनिंद ही
हुआ करता था !
आज िच्चों को िड़ी दुकान पर िीक
े पकवान चादहये ! ज़जसमें क
ै लोरी कम हो मीठा कम हो , बिना हाथ लगे
िनी हुई हो ! मिीन से िनी हर वह चीज उनकी पहली पसिंद होती हैं ! अक्सर आज लमठाई की जगह िच्चों
को चॉकलेट पसिंद ज़्यादा आती हैं !
िायद हमनें कभी अपनें िीते ददनों क
े वारे में कभी भी िहुत ज्यादा सोचा या चचन्ता ही नहीिं करी ! हर ददन
को और आने वाले कल को ही हमने अपना उज्ज्वल भववष्य समझ कर उसका भरपूर आनिंद उठा ललया था !
आज कल िच्चों का जन्म भी माता वपता सोच कर पहले से तय कर लेते हैं ! आज कल स्क
ू ल से कॉलेज तक
हर चीज अपनी अपनी पसिंद की ही होना चादहये ! अि तो नौकरी और देि , िहर स्थान भी अपनी अपनी
पसिंद का दह होना चादहये !
गााँव क
े वह लमट्टी क
े कच्चे पक्क
े मकान , खुले आाँगन , घर क
े आगे पीछे थोड़ी साग सब्जी उगती थी /
फकसी फकसी क
े वाडे में गाय भैंस पला करती थी , छोटे छोटे धूल उड़ते खुले िा ारो में हर चीज खुली दह लमल
जाया करती थी ! सुिह सुिह बिना फकसी प्रकार क
े पेफकिं ग का दूध भी आ जाता था ! साप्तादहक हाट िजार भी
लगा करते थे !
गााँव वाले अक्सर अपने लसर पर अपना माल समान जैसे अमरूद , आम , सब्जी , िहद रख कर कई वार
महुल्ले में भी िेचने आ जाते थे !
छोटी छोटी गललयों में , महुल्लों में सि एक दूसरों को उनक
े काम या नाम से दह पहचान ते थे ! जैसे मास्टर
साहि , डाक्टर साहि , दजी ,पन्सारर , िलाने िलाने क
े काम और नाम से सि एक दूसरे को करीि करीि
अच्छी तरह पहचान थे !
आज आपका पता हैं आपका ई मेल ईडी , आपकी पहचान हैं आपका पास वडण ! फ्लॅट निंिर , टावर निंिर , रोड
निंिर अन्यथा आज आपका पड़ोसी भी आप को नहीिं पहचानेगा !
पहले पानी क
े ललये घरो में , महुल्ले में , क
ु आ , वावड़ी हैंड पम्प हुआ करते थे !
चुले , लसगड़ी , लालटेन कााँच क
े लेंप और घासलेट का तेल जलाने क
े ललये हुआ करता था !
रात में अक्सर एक साथ सभी क
े बिस्तर एक दह कमरे में लगते थे !
िरसात क
े मौसम में अक्सर मच्छर दाननयााँ दीवारों की कील में िसाई जाती थी ! सुिह सुिह सिको दन्त
मिंजन हथेली पर दे ददया जाता था !
चाय और दूध पीने क
े ललये भी भाई िहनों फक लाईन लगाई जाती थी ! नास्ते में कभी कभी रात की रोदटयों
को भी मााँ गरम कर क
े या कभी िहगार कर दे देतीिं थी !
स्क
ू ल हमेिा पैदल िस्ता लेकर जाते थे ! एक दह स्क
ू ल में महुल्ले क
े कई िच्चे एक साथ जाते थे !
गुल्ली डिंडा , अिंटी / क
िं चे , सतोललया , चोर पुललस , हमारे रोज क
े खेल हुआ करते थे !
महुल्ले में फकसी क
े घर भी िादी हो पूरा महुल्ल उनकी फक िाददयों में खूि महेनत से काम करते थे , पत्तल
लगाना , पानी वपलाना , खाने में हमेिा मन पसिंद , हर तरह फक लमठाइयााँ हुआ करती थी , िूिंदी सेव लड्डू
हर िच्चो का खास खाना होता था !
डाफकया फकसी भी घर में क
ु छ भी चचट्ठी डाले पूरे अड़ोसी पड़ोसी को जल्दी ही मालूम पड़ जाता था , की कौन
सा महैमान कि और कहााँ से फकतने ददन क
े ललये आ रहा है !
करीि करीि सारे पड़ोसी एक दूसरो क
े महेमानो को उनक
े गााँव या ररश्ते से पहचान थे , आगरा वाले मामा
और कानपुर वाली मौसी !
महेमानों क
े अक्सर तािंगों और ररक्िा का इिंतजार होने लगता था , उनक
े आने वाले ददन !
पूरे महुल्ले में मालूम पड जाता था ! कौन से महेमान कि और कहााँ से आये हैं !
हर आने वाले महेमानों को घुमाने एक दो वार िगीचे , नजदीक क
े मिंददरो , िाजारो में घुमाने जरूर ले जाया
करते थे ! पड़ोसी भी महेमानों को अपने अपने घर एक वार जरूर नाितें क
े ललये िुलाते थे !
गलती से भी कोई तार आ गया तो समझो सारा महुल्ला परेिान हो जाता था ! कई वार तो डाफकया ही तार
का सिंदेिा पड़ कर सुना कर िड़ा दुख या खुिी में िालमल भी हो जाया करता था !
अड़ोस पड़ोस क
े सारे िुजुगण िौरन घर क
े िाहर से पापा या मााँ से तार क
े वारे में पूछ ही लेते थे ! हर एक
पड़ोसी अपना धमण ननभाना जरूर जनता था !
थोड़े से िीमार पड़ने पर हर घर से क
ु छ न क
ु छ नुख्से या सुझाव जरूर आ जाते थे ! कई वार न र भी उतार
दी जाती थी , कई वार पेट की नालभ को भी नावन द्वारा ठीक करा जाता था , वैसे ही नाई भी गदणन और
कमर की माललि कर क
े उसका ददण भी अक्सर ठीक कर देते थे !
अक्सर पररवार में कमाने वाले वपता ही एक मात्र मुख्य सदस्य हुआ करते थे !
भाई िहनो को अक्सर अपनों से िड़ो क
े उतरे या छोटे कपड़े लमल दह जाया करते थे ! जि भी मौका लमलता
था अक्सर भाई िहन एक दूसरे कपड़े पहन कर अक्सर िहुत खुि हो जाते थे , और कई वार यह भी एक
आपस में प्यार फक लड़ाई का एक कारर् होता था !
सकण स का आना और महुल्ले क
े हर िच्चों फक ज़जद िुरू हो जाती थी ! जि भी मौका लमलता था सकण स क
े
तम्िू क
े पास टहल आते थे ! हाथी िेर देख कर घर में कभी कभी हम ररिंग मास्टर िन जाया करते थे !
समय आज इस मौड़ पर ले आया फक पररवार अि आसमानों में िस्ते ददखाई देने लगें हैं ! ज़जतना ऊपर का
फ्लॅट होगा उतना अच्छा होगा , हवा अच्छी होगी िोर गुल सुनाई नहीिं देगा !
हर वक्त डर और सेफ्टी पहली पसिंद हैं आज क
े ददन , क
े मरा पहले देखगा फिर इन्सान ! दरवाजा जि ही कोई
खोलेगा , जि आप फक पहचान कर ली गई होगी ! सोसाइटी का वॉचमेन बिना नाम पता और बिना िुलावे क
े
आपको उस घर या फ्लॅट तक भी नहीिं जाने देगा !
बिना मोिाइल िोन फकये िायद आज आप अपने ररितेदारों क
े घर भी नहीिं जा सकतें हैं ,
और तो और अपने वाले ही कोई न कोई िहाना िना क
े कई वार आपको मना कर देंगे !
इतने छोटे छोटे फ्लॅट होते हैं की अि िादी , जन्म ददन , होटल में ही होते ही ! कई वार मााँ िाप भाई िहन
को भी साि साि मना कर ददया जाता है की इस साल हमारे िच्चे का िोडण एक्जाम है , आप लोग कोई भी
हमारे घर आने का प्रोग्राम न िनाये !
िुढ़ापा अि चचिंता और सोच का ववषय िन गया है ! अगर मााँ िाप क
े पास पैसा हैं और तिीयत ठीक ठाक हैं
। तो वह खुद दह तय करेंगे फक वह अपनी लाइि क
ै से जीना चाहतें हैं , यह सोचने लिंगेगे फक उनक
े पैसों क
े
दहसाि से वह अपने ललये ऑनलाइन ओल्ड होम की खोज िुरू कर देंगे !
पैसा कम पड़ा तो उनकी दह प्रॉपदटण िेच कर उनक
े ललये दह कोई न कोई वैवस्था की जायेगी !
आज यह हालत है की अगर सारे िच्चे खूि अच्छी जगह हैं या ववदेिो में हैं ,तो आप समझ ले की मााँ िाप क
े
ललये उनक
े पास बिलक
ु ल भी टाइम नहीिं होगा !
आज क
े ददन यह सि पररवार की पररभाषा से िाहर ननकल चुका हैं ---- प्यार , अपना पन , आदर , मन
सम्मान , धीरज , सहन शक्ति , संकोज !
आज का पररवार मेरा िेटा या मेरी िेटी मााँ िाप दोनों की एक एक अलग अलग अपनी दह पसिंद होती हैं !
िेटा िेटी को मेरा रूम , मेरा कॉलेज ,मेरा क्र
े डडट काडण , मेरा वाहन , कार / टू व्हीलर , मेरे दोस्त !
सिक
े कमरे अलग अलग ,घर का मेन डोर एक चाबियााँ चार हो गई , डायननिंग टेिल एक है परिंतु खाने सिक
े
अलग अलग हैं , एक ही घर में अि िात मोिाइल िोन पर कई वार होगे लगी हैं !
पररवार क
े सदस्यों से ज्यादा घर में अि वाहन और मोिाइल िोन होते है !
आज कल फक दुननया में डडज़जटल दोस्तों की भरमार हैं ! ि
े स िूक , इिंसटाग्राम , व्हाट्स अप्प , ट्वीटर और
ललिंक
े ड पर दोस्तों फक भरमार हैं , ज़जन दोस्तों को कभी भी नहीिं देखा , ना लमले , ना कभी उन्हे मालूम पड़
सकता हैं उनकी आईडी से फक वह कौन हैं !
समय अपनों फक ललये बिलक
ु ल नहीिं है , हर वक्त मोिाइल , लैपटाप साथ हैं ! नेट वकण डाउन तो उनकी
दुननया खतम !
पहले आपस में िातें कर क
े अपने जी को हम हल्का कर ललया करते थे !
अि आपस में चेदटिंग खूि होती हैं , परिंतु अि मुह ििंद होते हैं और उाँगललयों से अि िातें होतीिं हैं !
क्या से क्या जमाना आ गया हैं ! मााँ िाप भाई िहन ररितेदारों क
े कोई समय नहीिं है और लैपटाप क
े ललये
100 150 mpbs , और मोिाइल क
े ललये 5 g फक स्पीड से ज़्यादा स्पीड फक खोज हैं ! नई पीढ़ी क
े ललये
रोज रोज जैसे टेक्नालाजी पुरानी होती जा रही हैं , और वह स्माटण िोन ,स्माटण टीवी ,रोिटण फक सोच रहा हैं
और दूसरी तरि उनक
े ररश्ते पुराने और भूलने फक कगार पर खड़ें नजर आ रहे हैं !
वीरेंद्र श्रीवास्तव
15/08/2021