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भूली बिसरी यादें

15 de Aug de 2021
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दगादगा
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भूली बिसरी यादें

  1. भूली बिसरी यादें हाथ से जि रेत फिसल जाती हैं तो हम उसे खेल समझते हैं ! यह ज़ िंदगी भी एक खेल ही हैं ! यहााँ 100% आप फकसी भी चीज को नहीिं पकडे रख सकतें हैं ! जीवन फिसल जायेगा और हम उन रेत क े कर्ण फक तरह हैं ! या तो फिसलने का इिंत ार करतें हैं ! या फिसलन क े िाद पश्चाताप कर रहें रहे होते हैं ! चललये हम अपने आज और िीते ददनों को फिर याद करने फक और देखने की कोलिि करतें हैं ! जो भी हमें लमला था उसी में हमने जीवन का खूि आनिंद उठाया हैं ! कभी कभी दूध िटने का इिंतजार करते थे ! कि दूध िटे और मााँ उसे उिाल उिाल कर छेना िना कर थोड़ी चीनी या गुड लमलाकर , हमे लाइन में िैठाकर जल्दी से सिको िरािर वािंटे उसका भी एक अलग आनिंद ही हुआ करता था ! आज िच्चों को िड़ी दुकान पर िीक े पकवान चादहये ! ज़जसमें क ै लोरी कम हो मीठा कम हो , बिना हाथ लगे िनी हुई हो ! मिीन से िनी हर वह चीज उनकी पहली पसिंद होती हैं ! अक्सर आज लमठाई की जगह िच्चों को चॉकलेट पसिंद ज़्यादा आती हैं ! िायद हमनें कभी अपनें िीते ददनों क े वारे में कभी भी िहुत ज्यादा सोचा या चचन्ता ही नहीिं करी ! हर ददन को और आने वाले कल को ही हमने अपना उज्ज्वल भववष्य समझ कर उसका भरपूर आनिंद उठा ललया था ! आज कल िच्चों का जन्म भी माता वपता सोच कर पहले से तय कर लेते हैं ! आज कल स्क ू ल से कॉलेज तक हर चीज अपनी अपनी पसिंद की ही होना चादहये ! अि तो नौकरी और देि , िहर स्थान भी अपनी अपनी पसिंद का दह होना चादहये ! गााँव क े वह लमट्टी क े कच्चे पक्क े मकान , खुले आाँगन , घर क े आगे पीछे थोड़ी साग सब्जी उगती थी / फकसी फकसी क े वाडे में गाय भैंस पला करती थी , छोटे छोटे धूल उड़ते खुले िा ारो में हर चीज खुली दह लमल जाया करती थी ! सुिह सुिह बिना फकसी प्रकार क े पेफकिं ग का दूध भी आ जाता था ! साप्तादहक हाट िजार भी लगा करते थे ! गााँव वाले अक्सर अपने लसर पर अपना माल समान जैसे अमरूद , आम , सब्जी , िहद रख कर कई वार महुल्ले में भी िेचने आ जाते थे ! छोटी छोटी गललयों में , महुल्लों में सि एक दूसरों को उनक े काम या नाम से दह पहचान ते थे ! जैसे मास्टर साहि , डाक्टर साहि , दजी ,पन्सारर , िलाने िलाने क े काम और नाम से सि एक दूसरे को करीि करीि अच्छी तरह पहचान थे ! आज आपका पता हैं आपका ई मेल ईडी , आपकी पहचान हैं आपका पास वडण ! फ्लॅट निंिर , टावर निंिर , रोड निंिर अन्यथा आज आपका पड़ोसी भी आप को नहीिं पहचानेगा !
  2. पहले पानी क े ललये घरो में , महुल्ले में , क ु आ , वावड़ी हैंड पम्प हुआ करते थे ! चुले , लसगड़ी , लालटेन कााँच क े लेंप और घासलेट का तेल जलाने क े ललये हुआ करता था ! रात में अक्सर एक साथ सभी क े बिस्तर एक दह कमरे में लगते थे ! िरसात क े मौसम में अक्सर मच्छर दाननयााँ दीवारों की कील में िसाई जाती थी ! सुिह सुिह सिको दन्त मिंजन हथेली पर दे ददया जाता था ! चाय और दूध पीने क े ललये भी भाई िहनों फक लाईन लगाई जाती थी ! नास्ते में कभी कभी रात की रोदटयों को भी मााँ गरम कर क े या कभी िहगार कर दे देतीिं थी ! स्क ू ल हमेिा पैदल िस्ता लेकर जाते थे ! एक दह स्क ू ल में महुल्ले क े कई िच्चे एक साथ जाते थे ! गुल्ली डिंडा , अिंटी / क िं चे , सतोललया , चोर पुललस , हमारे रोज क े खेल हुआ करते थे ! महुल्ले में फकसी क े घर भी िादी हो पूरा महुल्ल उनकी फक िाददयों में खूि महेनत से काम करते थे , पत्तल लगाना , पानी वपलाना , खाने में हमेिा मन पसिंद , हर तरह फक लमठाइयााँ हुआ करती थी , िूिंदी सेव लड्डू हर िच्चो का खास खाना होता था ! डाफकया फकसी भी घर में क ु छ भी चचट्ठी डाले पूरे अड़ोसी पड़ोसी को जल्दी ही मालूम पड़ जाता था , की कौन सा महैमान कि और कहााँ से फकतने ददन क े ललये आ रहा है ! करीि करीि सारे पड़ोसी एक दूसरो क े महेमानो को उनक े गााँव या ररश्ते से पहचान थे , आगरा वाले मामा और कानपुर वाली मौसी ! महेमानों क े अक्सर तािंगों और ररक्िा का इिंतजार होने लगता था , उनक े आने वाले ददन ! पूरे महुल्ले में मालूम पड जाता था ! कौन से महेमान कि और कहााँ से आये हैं ! हर आने वाले महेमानों को घुमाने एक दो वार िगीचे , नजदीक क े मिंददरो , िाजारो में घुमाने जरूर ले जाया करते थे ! पड़ोसी भी महेमानों को अपने अपने घर एक वार जरूर नाितें क े ललये िुलाते थे ! गलती से भी कोई तार आ गया तो समझो सारा महुल्ला परेिान हो जाता था ! कई वार तो डाफकया ही तार का सिंदेिा पड़ कर सुना कर िड़ा दुख या खुिी में िालमल भी हो जाया करता था ! अड़ोस पड़ोस क े सारे िुजुगण िौरन घर क े िाहर से पापा या मााँ से तार क े वारे में पूछ ही लेते थे ! हर एक पड़ोसी अपना धमण ननभाना जरूर जनता था !
  3. थोड़े से िीमार पड़ने पर हर घर से क ु छ न क ु छ नुख्से या सुझाव जरूर आ जाते थे ! कई वार न र भी उतार दी जाती थी , कई वार पेट की नालभ को भी नावन द्वारा ठीक करा जाता था , वैसे ही नाई भी गदणन और कमर की माललि कर क े उसका ददण भी अक्सर ठीक कर देते थे ! अक्सर पररवार में कमाने वाले वपता ही एक मात्र मुख्य सदस्य हुआ करते थे ! भाई िहनो को अक्सर अपनों से िड़ो क े उतरे या छोटे कपड़े लमल दह जाया करते थे ! जि भी मौका लमलता था अक्सर भाई िहन एक दूसरे कपड़े पहन कर अक्सर िहुत खुि हो जाते थे , और कई वार यह भी एक आपस में प्यार फक लड़ाई का एक कारर् होता था ! सकण स का आना और महुल्ले क े हर िच्चों फक ज़जद िुरू हो जाती थी ! जि भी मौका लमलता था सकण स क े तम्िू क े पास टहल आते थे ! हाथी िेर देख कर घर में कभी कभी हम ररिंग मास्टर िन जाया करते थे ! समय आज इस मौड़ पर ले आया फक पररवार अि आसमानों में िस्ते ददखाई देने लगें हैं ! ज़जतना ऊपर का फ्लॅट होगा उतना अच्छा होगा , हवा अच्छी होगी िोर गुल सुनाई नहीिं देगा ! हर वक्त डर और सेफ्टी पहली पसिंद हैं आज क े ददन , क े मरा पहले देखगा फिर इन्सान ! दरवाजा जि ही कोई खोलेगा , जि आप फक पहचान कर ली गई होगी ! सोसाइटी का वॉचमेन बिना नाम पता और बिना िुलावे क े आपको उस घर या फ्लॅट तक भी नहीिं जाने देगा ! बिना मोिाइल िोन फकये िायद आज आप अपने ररितेदारों क े घर भी नहीिं जा सकतें हैं , और तो और अपने वाले ही कोई न कोई िहाना िना क े कई वार आपको मना कर देंगे ! इतने छोटे छोटे फ्लॅट होते हैं की अि िादी , जन्म ददन , होटल में ही होते ही ! कई वार मााँ िाप भाई िहन को भी साि साि मना कर ददया जाता है की इस साल हमारे िच्चे का िोडण एक्जाम है , आप लोग कोई भी हमारे घर आने का प्रोग्राम न िनाये ! िुढ़ापा अि चचिंता और सोच का ववषय िन गया है ! अगर मााँ िाप क े पास पैसा हैं और तिीयत ठीक ठाक हैं । तो वह खुद दह तय करेंगे फक वह अपनी लाइि क ै से जीना चाहतें हैं , यह सोचने लिंगेगे फक उनक े पैसों क े दहसाि से वह अपने ललये ऑनलाइन ओल्ड होम की खोज िुरू कर देंगे ! पैसा कम पड़ा तो उनकी दह प्रॉपदटण िेच कर उनक े ललये दह कोई न कोई वैवस्था की जायेगी ! आज यह हालत है की अगर सारे िच्चे खूि अच्छी जगह हैं या ववदेिो में हैं ,तो आप समझ ले की मााँ िाप क े ललये उनक े पास बिलक ु ल भी टाइम नहीिं होगा ! आज क े ददन यह सि पररवार की पररभाषा से िाहर ननकल चुका हैं ---- प्यार , अपना पन , आदर , मन सम्मान , धीरज , सहन शक्ति , संकोज !
  4. आज का पररवार मेरा िेटा या मेरी िेटी मााँ िाप दोनों की एक एक अलग अलग अपनी दह पसिंद होती हैं ! िेटा िेटी को मेरा रूम , मेरा कॉलेज ,मेरा क्र े डडट काडण , मेरा वाहन , कार / टू व्हीलर , मेरे दोस्त ! सिक े कमरे अलग अलग ,घर का मेन डोर एक चाबियााँ चार हो गई , डायननिंग टेिल एक है परिंतु खाने सिक े अलग अलग हैं , एक ही घर में अि िात मोिाइल िोन पर कई वार होगे लगी हैं ! पररवार क े सदस्यों से ज्यादा घर में अि वाहन और मोिाइल िोन होते है ! आज कल फक दुननया में डडज़जटल दोस्तों की भरमार हैं ! ि े स िूक , इिंसटाग्राम , व्हाट्स अप्प , ट्वीटर और ललिंक े ड पर दोस्तों फक भरमार हैं , ज़जन दोस्तों को कभी भी नहीिं देखा , ना लमले , ना कभी उन्हे मालूम पड़ सकता हैं उनकी आईडी से फक वह कौन हैं ! समय अपनों फक ललये बिलक ु ल नहीिं है , हर वक्त मोिाइल , लैपटाप साथ हैं ! नेट वकण डाउन तो उनकी दुननया खतम ! पहले आपस में िातें कर क े अपने जी को हम हल्का कर ललया करते थे ! अि आपस में चेदटिंग खूि होती हैं , परिंतु अि मुह ििंद होते हैं और उाँगललयों से अि िातें होतीिं हैं ! क्या से क्या जमाना आ गया हैं ! मााँ िाप भाई िहन ररितेदारों क े कोई समय नहीिं है और लैपटाप क े ललये 100 150 mpbs , और मोिाइल क े ललये 5 g फक स्पीड से ज़्यादा स्पीड फक खोज हैं ! नई पीढ़ी क े ललये रोज रोज जैसे टेक्नालाजी पुरानी होती जा रही हैं , और वह स्माटण िोन ,स्माटण टीवी ,रोिटण फक सोच रहा हैं और दूसरी तरि उनक े ररश्ते पुराने और भूलने फक कगार पर खड़ें नजर आ रहे हैं ! वीरेंद्र श्रीवास्तव 15/08/2021
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