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दगा

19 de Aug de 2021
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  1. दगा दोस्तों हम अक्सर यह एक शब्द दगा अपने जीवन में कई वार सुनते हैं ! कई वार तो हम भी दगा क े शशकार हो जाते हैं, हमें ऐसा लगता हैं ! या कई वार दगा देने वाला शशकारी भी दगा का शशकार हो जाता हैं ! यह एक ऐसा शसलशसला हैं जो सालो साल से चला आ रहा हैं और लगातार चलते हह रहेगा मेरे अपने अनुसार ! दगा , धोखा , छल , फरेब , कपट , ववश्वासघात , फसाना , बोलना क ु छ करना क ु छ , नाटक करना , झूठ बोलना , ककसी की मजबूरी का फायदा उठाना , आधधक ववश्वास रखना , पीछे से वार करना ! धोखे से वार / चोट क े शलये समय का इंतज़ार करना , मुह में राम बगल में छ ु री , अधधक संखखयााँ से कम संखखयााँ वालों को दगा देना आहद आहद को ही दगा कहा जाता होगा मेरे हहसाब से ! हम दगा भी उसी से कर सकतें हैं जजसे हम अच्छी तरह से पहचानते हों ! अपने जीतने खास होंगें उनसे ही अक्सर हम दगा करतें हैं ! अंजान इंसान से दगा करेने से आपको या उसको क्यां फकक पड़ेगा ! अब आप खुद ही सोधचये की सबसे खास लोग आपकी धगनतीं में कौन कौन आते हैं ! मेरे नजरों में आपक े पररवार बाले , आपक े ररश्तेदार , आपक े अड़ोसी पड़ोसी , आपक े दोस्त , आपक े भागीदार , आपक े समाज वाले ! हम उनसे बड़े प्यार , नाटक , भाबुकता , से अंपने वालों क े साथ दगा कर सकतें हैं , और अक्सर उन्ही से हम करते भी हैं ! पैसों से या शसक्क े से कोई भी चीज खरीदी या बेची जा सकती है ! परंतु जब बही शसक्का उछाला जाता हैं ! तो ककसी एक की पहेल या हार जीत ननजश्चत होती हैं ! जजसे हम टास जजतना या हारना भी कहते हैं ! परंतु उसी शसक्क े को धोक े से उछाला जाय तो एक क े साथ हह पक्का दगा होता है ! वह भले हहं उसे अपनी हार या जीत मान लेता हैं ! और वह उसे अपने माशलक का फ ै सला समझ कर बड़े प्यार से स्वीकार भी कर लेता हैं ! दगा करने वाले की मेरे हहसाब से कभी भी ज्यादा या पूरी गलती नहीं होती होगीं ! जजतना की उसे दगा करने क े शलये वववश ककया जाता होगा , उस दगे क े शलये उपयुक्त समय और सीन बनाया जाता होगा , वह भी उसक े अपनों द्वारा ! वह दगा आसानी से कर लेता हैं , क्यों की वह उसका अपना ही कोई न कोई रहता हैं ! मेरे हहसाब से दगा करने वाला कभी भी इतना बलवान नहीं होता हैं , वह बबना दगा हदये कोई फ ै सला / जंग जीत जाये ! अब देखखये , दगा हमेशा अपने वालों से ही होता हैं , अपने वालों क े शलये हह होता हैं !
  2. अगर दगा अपनों क े बीच ही होता हैं , तो जनाब आप ककसे अपना कहते हैं ? मेरे हहसाब से दगा करने वाला , सामने वाले की आखें भी खोल देता हैं ! जीवन में हर इंसान अक े ला आता हैं , और उसे अक े ला ही जाना पड़ता हैं ! यह दगा नहीं हैं दोस्तों यह जीवन क े उतार और चढ़ाव हैं ! जजसे इंसान अपनों से ही सीखता हैं , और मेरा दावा हैं , हर दगा देने वाला शशकारी भी एक न एक हदन अपनों का शशकार पक्का हो जायेगा ! दोस्तों यह चीज कोई नई नहीं हैं ! यह न बंद होने वाली हैं ! यह कब और ककसक े साथ होगी ककसी को नहीं मालूम इसशलए इसे धोखा / दगा / फरेब नाम से पहचाना गया हैं ! इंसान की एक कफतरत होती हैं मैं ! मैं ही सबसे ज्यादा होशशयार हूाँ , मुझे ही सबसे अच्छा , ज्यादा शमलना चाहहये, उसे दुननया में जो भी चीज पहेली वार हदखती हैं ! तो उसकी लालसा उसे पाने की हो जाती हैं ! चाहें वह उसक े शलये उपयुक्त हो या नहीं उसकी उसे परवा नहीं होती है ! बस उस इंसान को हर चीज पाने की एक हवस लालच हो जाती हैं ! डरपोक इंसान डर डर कर हर चीज बटोरने क े कफराक में हह रहता हैं ! डर क े मारे उसे ज्यादा पैसा चाहहये डर क े मारे उसे ज्यादा सेफ़्टी चाहहये डर क े मारे उसे सारे ववकल्प चाहहये और उसी डर से उसे दगा भी करना होता हैं ! अपने वालों को दगा देने वाले इंसान की सोच , क े वारे में हमने देखा कक मैं ( खुद क े स्वाथक ) शलये वह कोई दगा कभी भी अपनों वालों से जरूर करेगा ! हमने यहााँ तक दगा देने वाले को पहचान कक कोशशश करी हैं ! अब मेरी नजरों से उस इंसान को भी देखते हैं जजसक े साथ दगा होता हैं अपनों वाले से ! जब अपने वाले हह अपनो से दगा करते हैं , धोखे से तो जब आप धोखा खा हह जाते हैं , अपनों से तो ईश्वर , क ु दरत का साफ संदेश हैं , की आपका यहााँ क ु छ भी अपना नहीं हैं ! आप यह एक मुसाकफर हैं , यहााँ कोई भी ननवासी नहीं है सब प्रवाशस हैं , आपको आपका जीवन क ै से जीना हैं वह आपको तैय करना हैं , आपक े शलये आपका जीवन हह महत्वपूर्क हैं ! आपक े जीवन में उतार चढ़ाव धोखा धड़ी एक वार नहीं कई वार होगीं ! जब क ु दरत आपको खाली हाथ जन्म देती हैं , और खाली हाथ वापस भेज देती हैं ! जीवन जीना एक कला हैं , हर एक इंसान को कई एक ककरदार ननभाना पड़ता हैं ! धोखा देने वाला डरपोक या अहंकारी होता हैं ! धोखा खाने वाला मोह त्याग देता हैं ! उसका माशलक उसे समय समय पर महेसूस करवा देता हैं की जब तू खाली हाथ आया था तो यह सब तेरा क ै से हो गया ? और तू क ै से कह सकता हैं की यह सब तेरे अपने है ! तू तो अक े ला आया था तेरा कौन अपना हैं ? जो तेरे साथ जायेगा ?
  3. तू तो एक प्रवाशस हह हैं यहााँ पर , क्यां करेगा बेकार में इन भौनतक चीजो को बटोर कर सब यहीं धरी रह जायेगी ! तू जजसे दगा समझ रहा हैं बह तेरी भावुक भूल हैं ! वही सत्य हकीकत हैं इस जीवन की ! धोखे से क ु दरत ना कभी रात अंधेरा करती हैं ना कोई ऋतु बदलती हैं ! सबका एक समय होता हैं ! जजस हदन जो इंसान शसफक अपने हह फायदे क े शलये सोचने लगता हैं , समझो वह ककसी को भी दगा , धोखा अवश्य देगा ! दगा देना और दगा सहन करना यह शसफक इंसान की एक छोटी सोच ही हैं ! यह बहुत ज्यादा हदन तक फायदा या नुकसान नहीं करता है ! परंतु सालो साल पुराने ररश्तों को क ु छ ही ण मर् में क ु चल देती हैं ! दगा ककसने ककस को हदया हैं वह शसफक और शसफक दगा देने वाला और सहने वाले को ही मालूम पड़ता हैं ! अन्य था , समाज क े शलये तो दोनों एक शसक्क े क े दो पहेलु क े समान हैं जैसे हेड और टेल ! समाज को कोई नहीं फकक पड़ता हैं ! ककसी शायर ने सही कहााँ है , घाव तो अक्सर सुख हह जाते हैं , समय गुजरने पर , शसफक घाव देने वाले वह हादसे हह जज़ंदगी भर याद रह जाते हैं ! यह सब इंसान कक अपनी लालच , स्वाथक , ननयत , डर और बेशमी का हह नतीजा होता हैं ! आप भूल गये तो यह एक हादसा हैं ! अन्य था लड़ाई , मनमुटाव ,कोटक कचेररयाओ ं, पुशलस शशकायत , खून करावा होना तय हैं , जो हम आय हदन हर पररवार , पूरे समाज में और तो और राजनीनत में तो 100% फ ै ल चुका है ! यह सब हम रोज देखते हैं सुनते हैं अखवारों में भी पढ़ते हैं ! बबरेन्र श्रीवास्तव / 19/08/2021
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