दगा
दोस्तों हम अक्सर यह एक शब्द दगा अपने जीवन में कई वार सुनते हैं ! कई वार तो हम भी दगा क
े शशकार
हो जाते हैं, हमें ऐसा लगता हैं ! या कई वार दगा देने वाला शशकारी भी दगा का शशकार हो जाता हैं !
यह एक ऐसा शसलशसला हैं जो सालो साल से चला आ रहा हैं और लगातार चलते हह रहेगा मेरे अपने अनुसार !
दगा , धोखा , छल , फरेब , कपट , ववश्वासघात , फसाना , बोलना क
ु छ करना क
ु छ , नाटक करना , झूठ
बोलना , ककसी की मजबूरी का फायदा उठाना , आधधक ववश्वास रखना , पीछे से वार करना !
धोखे से वार / चोट क
े शलये समय का इंतज़ार करना , मुह में राम बगल में छ
ु री , अधधक संखखयााँ से कम
संखखयााँ वालों को दगा देना आहद आहद को ही दगा कहा जाता होगा मेरे हहसाब से !
हम दगा भी उसी से कर सकतें हैं जजसे हम अच्छी तरह से पहचानते हों ! अपने जीतने खास होंगें उनसे ही
अक्सर हम दगा करतें हैं ! अंजान इंसान से दगा करेने से आपको या उसको क्यां फकक पड़ेगा !
अब आप खुद ही सोधचये की सबसे खास लोग आपकी धगनतीं में कौन कौन आते हैं ! मेरे नजरों में आपक
े
पररवार बाले , आपक
े ररश्तेदार , आपक
े अड़ोसी पड़ोसी , आपक
े दोस्त , आपक
े भागीदार , आपक
े समाज
वाले !
हम उनसे बड़े प्यार , नाटक , भाबुकता , से अंपने वालों क
े साथ दगा कर सकतें हैं , और अक्सर उन्ही से
हम करते भी हैं !
पैसों से या शसक्क
े से कोई भी चीज खरीदी या बेची जा सकती है ! परंतु जब बही शसक्का उछाला जाता हैं ! तो
ककसी एक की पहेल या हार जीत ननजश्चत होती हैं ! जजसे हम टास जजतना या हारना भी कहते हैं !
परंतु उसी शसक्क
े को धोक
े से उछाला जाय तो एक क
े साथ हह पक्का दगा होता है ! वह भले हहं उसे अपनी
हार या जीत मान लेता हैं ! और वह उसे अपने माशलक का फ
ै सला समझ कर बड़े प्यार से स्वीकार भी कर
लेता हैं !
दगा करने वाले की मेरे हहसाब से कभी भी ज्यादा या पूरी गलती नहीं होती होगीं ! जजतना की उसे दगा करने
क
े शलये वववश ककया जाता होगा , उस दगे क
े शलये उपयुक्त समय और सीन बनाया जाता होगा , वह भी
उसक
े अपनों द्वारा !
वह दगा आसानी से कर लेता हैं , क्यों की वह उसका अपना ही कोई न कोई रहता हैं !
मेरे हहसाब से दगा करने वाला कभी भी इतना बलवान नहीं होता हैं , वह बबना दगा हदये कोई फ
ै सला / जंग
जीत जाये !
अब देखखये , दगा हमेशा अपने वालों से ही होता हैं , अपने वालों क
े शलये हह होता हैं !
अगर दगा अपनों क
े बीच ही होता हैं , तो जनाब आप ककसे अपना कहते हैं ?
मेरे हहसाब से दगा करने वाला , सामने वाले की आखें भी खोल देता हैं !
जीवन में हर इंसान अक
े ला आता हैं , और उसे अक
े ला ही जाना पड़ता हैं !
यह दगा नहीं हैं दोस्तों यह जीवन क
े उतार और चढ़ाव हैं ! जजसे इंसान अपनों से ही सीखता हैं , और मेरा
दावा हैं , हर दगा देने वाला शशकारी भी एक न एक हदन अपनों का शशकार पक्का हो जायेगा !
दोस्तों यह चीज कोई नई नहीं हैं ! यह न बंद होने वाली हैं ! यह कब और ककसक
े साथ होगी ककसी को नहीं
मालूम इसशलए इसे धोखा / दगा / फरेब नाम से पहचाना गया हैं !
इंसान की एक कफतरत होती हैं मैं !
मैं ही सबसे ज्यादा होशशयार हूाँ , मुझे ही सबसे अच्छा , ज्यादा शमलना चाहहये, उसे दुननया में जो भी चीज
पहेली वार हदखती हैं ! तो उसकी लालसा उसे पाने की हो जाती हैं ! चाहें वह उसक
े शलये उपयुक्त हो या नहीं
उसकी उसे परवा नहीं होती है ! बस उस इंसान को हर चीज पाने की एक हवस लालच हो जाती हैं !
डरपोक इंसान डर डर कर हर चीज बटोरने क
े कफराक में हह रहता हैं ! डर क
े मारे उसे ज्यादा पैसा चाहहये डर
क
े मारे उसे ज्यादा सेफ़्टी चाहहये डर क
े मारे उसे सारे ववकल्प चाहहये और उसी डर से उसे दगा भी करना होता
हैं ! अपने वालों को दगा देने वाले इंसान की सोच , क
े वारे में हमने देखा कक मैं ( खुद क
े स्वाथक ) शलये वह
कोई दगा कभी भी अपनों वालों से जरूर करेगा ! हमने यहााँ तक दगा देने वाले को पहचान कक कोशशश करी हैं
!
अब मेरी नजरों से उस इंसान को भी देखते हैं जजसक
े साथ दगा होता हैं अपनों वाले से !
जब अपने वाले हह अपनो से दगा करते हैं , धोखे से तो जब आप धोखा खा हह जाते हैं , अपनों से तो ईश्वर
, क
ु दरत का साफ संदेश हैं , की आपका यहााँ क
ु छ भी अपना नहीं हैं !
आप यह एक मुसाकफर हैं , यहााँ कोई भी ननवासी नहीं है सब प्रवाशस हैं , आपको आपका जीवन क
ै से जीना हैं
वह आपको तैय करना हैं , आपक
े शलये आपका जीवन हह महत्वपूर्क हैं !
आपक
े जीवन में उतार चढ़ाव धोखा धड़ी एक वार नहीं कई वार होगीं !
जब क
ु दरत आपको खाली हाथ जन्म देती हैं , और खाली हाथ वापस भेज देती हैं ! जीवन जीना एक कला हैं ,
हर एक इंसान को कई एक ककरदार ननभाना पड़ता हैं !
धोखा देने वाला डरपोक या अहंकारी होता हैं ! धोखा खाने वाला मोह त्याग देता हैं ! उसका माशलक उसे समय
समय पर महेसूस करवा देता हैं की जब तू खाली हाथ आया था तो यह सब तेरा क
ै से हो गया ? और तू क
ै से
कह सकता हैं की यह सब तेरे अपने है ! तू तो अक
े ला आया था तेरा कौन अपना हैं ? जो तेरे साथ जायेगा ?
तू तो एक प्रवाशस हह हैं यहााँ पर , क्यां करेगा बेकार में इन भौनतक चीजो को बटोर कर सब यहीं धरी रह
जायेगी !
तू जजसे दगा समझ रहा हैं बह तेरी भावुक भूल हैं ! वही सत्य हकीकत हैं इस जीवन की ! धोखे से क
ु दरत
ना कभी रात अंधेरा करती हैं ना कोई ऋतु बदलती हैं ! सबका एक समय होता हैं !
जजस हदन जो इंसान शसफक अपने हह फायदे क
े शलये सोचने लगता हैं , समझो वह ककसी को भी दगा , धोखा
अवश्य देगा ! दगा देना और दगा सहन करना यह शसफक इंसान की एक छोटी सोच ही हैं !
यह बहुत ज्यादा हदन तक फायदा या नुकसान नहीं करता है !
परंतु सालो साल पुराने ररश्तों को क
ु छ ही ण मर् में क
ु चल देती हैं !
दगा ककसने ककस को हदया हैं वह शसफक और शसफक दगा देने वाला और सहने वाले को ही मालूम पड़ता हैं !
अन्य था , समाज क
े शलये तो दोनों एक शसक्क
े क
े दो पहेलु क
े समान हैं जैसे हेड और टेल !
समाज को कोई नहीं फकक पड़ता हैं ! ककसी शायर ने सही कहााँ है , घाव तो अक्सर सुख हह जाते हैं , समय
गुजरने पर , शसफक घाव देने वाले वह हादसे हह जज़ंदगी भर याद रह जाते हैं !
यह सब इंसान कक अपनी लालच , स्वाथक , ननयत , डर और बेशमी का हह नतीजा होता हैं !
आप भूल गये तो यह एक हादसा हैं ! अन्य था लड़ाई , मनमुटाव ,कोटक कचेररयाओ ं, पुशलस शशकायत , खून
करावा होना तय हैं , जो हम आय हदन हर पररवार , पूरे समाज में और तो और राजनीनत में तो 100% फ
ै ल
चुका है ! यह सब हम रोज देखते हैं सुनते हैं अखवारों में भी पढ़ते हैं !
बबरेन्र श्रीवास्तव / 19/08/2021