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नइ शिक्षा नीशत
और
मध्यस्थ दिशन शिक्षा-वस्तु
का स्वरूप
डा. सुरेन्द्र पाठक
Dr. Surendra Pathak
मध्यस्थ दिशन के ऄध्येता
नइ शिक्षा नीशत 2020: महत्वपूणश शबन्द्दु
 34 साल बाद शिक्षा नीशत में बदलाव ककया गया है.
 आस नइ नीशत में मानव संसाधन मंत्रालय का नाम पुनः
शिक्षा मंत्रालय करने का फै सला शलया गया है।
 आसमें समस्त ईच्च शिक्षा (कानूनी एवं शिककत्सीय शिक्षा
को छोड़कर) के शलए एक एकल शनकाय के रूप में
भारत ईच्च शिक्षा अयोग का गठन करने का प्रावधान है।
 नइ स्कूल मूलयांकन योजना 2022-2023 से लागू होगी।
 जीडीपी में आसका योगदान जलद से जलद 6% (वतशमान
में GDP का लगभग 4.4% है) हो सके।
अजादी के सात दिक में शिक्षा से जुड़ी शसफश दो राष्ट्रीय नीशत
 नइ राष्ट्रीय शिक्षा नीशत से पूवश मुख्य रूप से शसफश दो राष्ट्रीय शिक्षा
नीशत अइ थीं।
 पहली बार 1968 में पहली शिक्षा नीशत, यह कोठारी कमीिन
(1964-1966) की शसफाररिों पर अधाररत थी। आसका मुख्य
ईद्देश्य गुणवत्तापूणश शिक्षा ईपलब्ध कराना और देि के सभी
नागररकों को शिक्षा मुहैया कराना था।
 समीक्षा के बाद दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीशत मइ 1986 में मंजूर हुइ।
आसमें कंप्यूटर और पुस्तकालय जैसे संसाधनों को जुटाने पर जोर
कदया। आस नीशत को 1992 में तत्कालीन सरकार ने संिोशधत ककया।
नइ शिक्षा नीशत 2020: महत्वपूणश शबन्द्दु
शवद्यालयीन शिक्षा में –
स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एक समान पहुंि सुशनशित करना
 एनइपी 2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से माध्यशमक स्तर तक सबके
शलए एक समान पहुंि सुशनशित करने पर जोर देती है।
 आसके के तहत स्कूल से दूर 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में लाया जाएगा।
नए पाठ्यक्रम और िैक्षशणक संरिना में प्रारंशभक बिपन की देखभाल और शिक्षा
 बिपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांिे की
जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठ्यक्रम संरिना लागू ककया जाएगा आसमें ऄब
तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का
प्रावधान है, नइ प्रणाली में तीन साल की अंगनवाड़ी/प्री स्कूललग के साथ 12
साल की स्कूली शिक्षा होगी।
 एनसीइअरटी 8 वर्श की अयु तक के बच्चों के शलए प्रारंशभक बिपन देखभाल और
शिक्षा के शलए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और िैक्षशणक ढांिा शवकशसत करेगा।
शवद्यालयीन शिक्षा में –
बुशनयादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करना
 बुशनयादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राशप्त को सीखने के शलए ऄत्यंत
जरूरी एवं पहली अवश्यकता मानते हुए आसमें शिक्षा मंत्रलाय द्वारा ‘बुशनयादी
साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय शमिन’ की स्थापना होगी।
स्कूल के पाठ्यक्रम और ऄध्यापन-कला में सुधार
 स्कूल के पाठ्यक्रम और ऄध्यापन-कला का लक्ष्य यह होगा कक 21वीं सदी के प्रमुख
कौिल या व्यावहाररक जानकाररयों से शवद्यार्थथयों को लैस करके ईनका समग्र
शवकास ककया जाए और अवश्यक ज्ञान प्राशप्त एवं ऄपररहायश लितन को बढाने व
ऄनुभवात्मक शिक्षण पर ऄशधक फोकस करने पाठ्यक्रम को कम ककया जाए।
 छठे ग्रेड से व्यावसाशयक शिक्षा िुरू होगी और आसमें आंटनशशिप िाशमल होगी।
 राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 20-21 एनसीइअरटी द्वारा शवकशसत की जाएगी।
 नीशत में मातृभार्ा/स्थानीय भार्ा/क्षेत्रीय भार्ा को ही शिक्षा का माध्यम रखने
पर शविेर् जोर कदया गया है।
 स्कूल के सभी स्तरों और ईच्च शिक्षा में संस्कृत को एक शवकलप के रूप में िुनने का
ऄवसर कदया है । शत्र-भार्ा फॉमूशले में भी यह शवकलप िाशमल होगा।
शवद्यालयीन शिक्षा में –
समान और समावेिी शिक्षा
 यह सुशनशित ककया है कक कोइ भी बच्चा ऄपने जन्द्म या पृष्ठभूशम से जुड़ी
पररशस्थशतयों के कारण ज्ञान प्राशप्त या सीखने और ईत्कृष्टता प्राप्त करने के
ककसी भी ऄवसर से वंशित नहीं रह जाए।
शिक्षकों के शलए राष्ट्रीय प्रोफे िनल मानक (एनपीएसटी)-
 राष्ट्रीय ऄध्यापक शिक्षा पररर्द द्वारा वर्श 2022 तक शवकशसत ककया
जाएगा, शजसके शलए एनसीइअरटी, एससीइअरटी, शिक्षकों और सभी
स्तरों एवं क्षेत्रों के शविेर्ज्ञ संगठनों के साथ परामिश ककया जाएगा।
स्कूली शिक्षा के शलए मानक-शनधाशरण एवं प्रत्यायन
 एनइपी 2020 नीशत शनमाशण, शवशनयमन, प्रिालनों तथा ऄकादशमक
मामलों के शलए एक स्पष्ट, पृथक प्रणाली की पररकलपना करती है।
राज्य/केंरिाशसत प्रदेि स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्डसश ऄथाररटी (एसएसएसए)
का गठन करेंगे।
नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु -शवद्यालयीन शिक्षा में
10 +2 के स्थान पर 5 +3+3+4 फामेट
 पांि साल में प्री-प्राआमरी स्कूल के तीन साल और
कक्षा एक और कक्षा दो सशहत फाईंडेिन स्टेज िाशमल होंगे।
 पहले जहां सरकारी स्कूल कक्षा एक से िुरू होती थी
वहीं ऄब तीन साल के प्री-प्राआमरी के बाद कक्षा एक िुरू होगी।
5 Years Fundamental (िार से अठ वर्श)
1. Nursery 4 Years से
2. Jr KG 5 Years
3. Sr KG 6 Years
4. Std 1st 7 Years
5. Std 2nd 8 Years
 आसके बाद कक्षा 3-5 के तीन साल िाशमल हैं।
3 Years Preparatory*
6. Std 3rd 9 Years
7. Std 4th 10 Years
8. Std 5th 11 Years
आसके बाद 3 साल का शमशडल स्टेज अएगा यानी कक्षा 6 से 8 तक की कक्षा।
3 Years Middle
 9. Std 6th @12 Years
 10.Std 7th @13 Years
 11.Std 8th @14 Years
िौथा स्टेज (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 साल का होगा।
पहले 11वीं कक्षा से शवर्य िुनने की अजादी थी, वही ऄब 9वीं कक्षा से रहेगी।
4 Years Secondary
 12.Std 9th @15 Years
 13.Std SSC @16 Years
 14.Std FYJC @17Years
 15.STD SYJC @18 Years
खास बातें :
 नीशत में पहले और दूसरे कक्षा में गशणत और भार्ा एवं िौथे और पांिवें कक्षा
के बालकों के लेखन पर जोर देने की बात कही गइ है।
 बोडश केवल 12वीं क्लास में होगा,10वीं का बोडश खत्म
 कॉलेज की शडग्री 4 साल की।एम. कफल बंद होगा
नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु -शवद्यालयीन शिक्षा में
 ऄब 5 वीं तक के छात्रों को
 मातृभार्ा,
 स्थानीय भार्ा और
 राष्ट्र भार्ा में ही पढाया जाएगा.
पहली से पांिवीं तक मातृभार्ा का आस्तेमाल ककया जायेगा।
बाकी शवर्य ऄंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढाया जाएगा।
आसमें रट्टा शवद्या को ख़त्म करने की भी कोशिि की गइ है शजसको मौजूदा
व्यवस्था की बड़ी खामी माना जाता है।
 ऄब शसफश 12वीं में बोडश की परीक्षा देनी होगी. जबकक आससे पहले 10वी बोडश
की परीक्षा देना ऄशनवायश होता था।
 9वीं से 12वीं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी.
 संगीत, खेल, योग अकद को सहायक पाठ्यक्रम या ऄशतररक्त पाठ्यक्रम की
बजाय मुख्य पाठ्यक्रम में ही जोड़ा जाएगा।
नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु -शवद्यालयीन शिक्षा में
ग्रेजुएिन/स्नातक के कॉलेज की शडग्री 3 और 4 साल की होगी
 पहले साल पर सर्टटकफकेट
 दूसरे साल पर शडप्लोमा
 तीसरे साल में ग्रेजुएिन शडग्री शमलेगी
 िौथे साल में ग्रेजुएिन ररसिश शडग्री शमलेगी
 3 साल की शडग्री ईन छात्रों के शलए है शजन्द्हें हायर एजुकेिन नहीं लेना है.
 हायर एजुकेिन करने वाले छात्रों को 4 साल की शडग्री करनी होगी.
 4 साल की शडग्री करने वाले स्टूडेंट्स एक साल में PG कर सकेंगे।
 3 साल की शडग्री करने वाले स्टूडेंट्स दो साल में PG कर सकेंगे।
 मशलटपल एंट्री और एशजजट शसस्टम रहेगा।
 ऄब स्टूडेंट्स को MPhil नहीं करना होगा।
 PG के छात्र ऄब सीधे Ph.D. कर सकेंगे।
 शवश्वशवद्यालयों और ईच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेि के शलए कॉमन एन्द्ट्रेंस एजजाम होंगे?
नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु - ईच्च शिक्षा में
स्टूडेंट्स बीि में कर सकेंगे दूसरे कोसश
 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा.
 कोइ छात्र एक कोसश के बीि में ऄगर कोइ दूसरा कोसश करना िाहे तो पहले
कोसश से सीशमत समय के शलए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोसश कर सकता है।
 ऄभी शवद्याथी जो बीि में ही कोसश छोड़ के िले जाते हैं , ईन्द्हें कुछ नहीं
शमलता एवं ईन्द्हें शडग्री के शलये दोबारा से नइ िुरुअत करनी पड़ती है।
 सुधारों में ग्रेडेड ऄकेडशमक, ऐडशमशनस्ट्रेरटव और फाआनेंशियल ऑटोनॉमी
अकद िाशमल हैं।
 आसके ऄलावा क्षेत्रीय भार्ाओं में इ-कोसश िुरू ककए जाएंगे।
 विुशऄल लैब्स शवकशसत ककए जाएंगे।
 एक नैिनल एजुकेिनल साआंटकफक फोरम (NETF) िुरू ककया जाएगा.
 सरकारी, शनजी, डीम्ड सभी संस्थानों के शलए होंगे एक समान शनयम
नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु - ईच्च शिक्षा में
नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु - ईच्च शिक्षा में
 नीशत में शिक्षकों के प्रशिक्षण पर शविेर् बल कदया गया है। व्यापक
सुधार के शलए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कायशक्रमों को शवशव या
कॉलेजों स्तर पर िाशमल करने की शसफाररि की गइ है।
 प्राआवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस रखने और बढाने को भी रोकने
का प्रयास ककया जाएगा।
 पहले 'समूह' के ऄनुसार शवर्य िुने जाते थे, ककन्द्तु ऄब ईसमें भी
बदलाव ककया गया है। जो छात्र आंजीशनयररग कर रहे हैं वह संगीत को
भी ऄपने शवर्य के साथ पढ सकते हैं।
 नेिनल साआंस फाईंडेिन के तजश पर नेिनल ररसिश फाईंडेिन लाइ
जाएगी शजससे पाठ्यक्रम में शवज्ञान के साथ सामाशजक शवज्ञान को भी
िाशमल ककया जाएगा।
ईच्चतर शिक्षा -1
 2035 तक जीइअर को बढाकर 50 प्रशतित करना।
 एनइपी 2020 का लक्ष्य व्यावसाशयक शिक्षा सशहत ईच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन
ऄनुपात को 26.3 प्रशतित (2018) से बढाकर 2035 तक 50 प्रशतित करना है।
ईच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नइ सीटें जोड़ी जाएंगी।
समग्र बहुशवर्यक शिक्षा
 नीशत में लिीले पाठ्यक्रम, शवर्यों के रिनात्मक संयोजन, व्यावसाशयक शिक्षा एवं
ईपयुक्त प्रमाणन के साथ मलटीपल एंट्री एवं एशक्जट लबदुओं के साथ व्यापक,
बहुशवर्यक, समग्र ऄवर स्नातक शिक्षा की पररकलपना की गइ है। यूजी शिक्षा आस
ऄवशध के भीतर शवशवध एशक्जट शवकलपों तथा ईपयुक्त प्रमाणन के साथ 3 या 4 वर्श की
हो सकती है। ईदाहरण के शलए, 1 वर्श के बाद सर्टटकफकेट, 2 वर्ों के बाद एडवांस
शडप्लोमा, 3 वर्ों के बाद स्नातक की शडग्री तथा 4 वर्ों के बाद िोध के साथ स्नातक।
 देि में वैशश्वक मानकों के सवशश्रेष्ठ बहुशवर्यक शिक्षा के मॉडलों के रूप में अइअइटी,
अइअइएम के समकक्ष बहुशवर्यक शिक्षा एवं ऄनुसंधान शवश्वशवद्यालय (एमइअरयू)
स्थाशपत ककए जाएंगे।
 शिककत्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त ईच्च शिक्षा के शलए एक एकल ऄशत
महत्वपूणश व्यापक शनकाय के रूप में भारत ईच्च शिक्षा अयोग (एिइसीअइ) का गठन
ककया जाएगा
ईच्चतर शिक्षा -1
शववेकपूणश संस्थागत संरिना-
 ईच्चतर शिक्षा संस्थानों को ईच्च गुणवत्तापूणश शिक्षण, ऄनुसंधान एवं सामुदाशयक
भागीदारी ईपलब्ध कराने के जररये बड़े, साधन संपन्न, गशतिील बहु-शवर्यक
संस्थानों में रूपांतररत कर कदया जाएगा। शवश्वशवद्यालय की पररभार्ा में संस्थानों की
एक शवस्तृत श्रेणी होगी, शजसमें ऄनुसंधान केंकरत शवश्वशवद्यालय से शिक्षण केंकरत
शवश्वशवद्यालय तथा स्वायत्तिासी शडग्री प्रदान करने वाले महाशवद्यालय िाशमल होंगे।
ऄध्यापक शिक्षण-
 एनसीइअरटी के परामिश से, एनसीटीइ के द्वारा ऄध्यापक शिक्षण के शलए एक नया
और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांिा, एनसीएफटीइ 2021 तैयार ककया जाएगा।
 गुणवत्तापूणश शिक्षा के वैकशलपक साधनों की तैयाररयों को सुशनशित करने के शलए
स्कूल और ईच्च शिक्षा दोनों को इ-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के शलए
एमएिअरडी में शडशजटल ऄवसंरिना, शडशजटल कंटेंट और क्षमता शनमाशण के ईद्देश्य
से एक समर्थपत आकाइ बनाइ जाएगी।
 सीखने, मूलयांकन करने, योजना बनाने, प्रिासन को बढावा देने के शलए प्रौद्योशगकी
का ईपयोग करने पर शविारों का मुक्त अदान-प्रदान करने हेतु एक मंि प्रदान करने के
शलए एक स्वायत्त शनकाय, राष्ट्रीय िैशक्षक प्रौद्योशगकी मंि (एनइटीएफ) का शनमाशण
ककया जाएगा।
 सभी भारतीय भार्ाओं के शलए संरक्षण, शवकास और जीवंतता सुशनशित करने के
शलए, एनइपी द्वारा पाली, फारसी और प्राकृत भार्ाओं के शलए एक आंशडयन
आंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेिन एंड आंटरशप्रटेिन अइअइटीअइ (राष्ट्रीय संस्थान) या
संस्थान (की स्थापना करने, ईच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भार्ा
शवभागों को मजबूत करने और ज्यादा से ज्यादा ईच्च शिक्षण संस्थानों के कायशक्रमों
में शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभार्ा/ स्थानीय भार्ा का ईपयोग करने की
शसफाररि की गइ है।
 शिक्षा के ऄंतरराष्ट्रीयकरण को संस्थागत रूप से सहयोग और छात्र और संकाय की
गशतिीलता दोनों के माध्यम से सुगम बनाया जाएगा और हमारे देि में पररसरों
को खोलने के शलए िीर्श शवश्व रैंककग रखने वाले शवश्वशवद्यालय के प्रवेि करने की
ऄनुमशत प्रदान की जाएगी।
 आसका लक्ष्य 2030, तक 100% युवा और प्रौढ साक्षरता की प्राशप्त करना है।
 शिक्षा क्षेत्र में सावशजशनक शनवेि को बढावा देने के शलए, केंर और राज्य शमलकर
काम करेंगे।
ईच्चतर शिक्षा -2
शिक्षा वस्तु, नीशत, प्रणाली, पद्धशत की
समीक्षा
शवश्लेर्ण
शवकलप
Eucation content and Educational structure
(1-CE)
1.1 शिक्षा वस्तु और
1.2 शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना)
1.3 आनमें क्या ऄंतर है?
(1.1-CE) शिक्षा वस्तु
Basic content of education
1. Philosophy
Metaphysics
Ontology
Theology
Epistemology
Philosophy of
Mind
Philosophy of
Science
Axiology
Ethics
Political
Philosophy
Virtue Philosophy
Aesthetics
2. Mathematics
Logic
3. Natural Science
Physics
Mechanics
Wave Physics
Thermodynamics
Electromagnetics
Quantum Physics
Astronomy
Cosmology
Galactic
Astronomy
Stellar Astronomy
Planetary
Astronomy
Chemistry
Geoscience
Biology
4.Technology
5. Social Science
Economics
Macroeconomics
Microeconomics
Political Science
Sociology
Psychology
Linguistics
History
Futurology
Impossible
Advances
Improbable
Advances
Academic
Progress
Technological
Progress
Industrial
Progress
Socio-political
Progress
1. Philosophy:
the study of ultimate reality and meaning.
 Metaphysics: the study of ultimate reality.
 Epistemology: the study of knowledge.
 Axiology: the study of values.
Necessary Questions Philosophy asks the questions:
What is existing? What is knowing? What is good?
2. Mathematics:
the study of necessary truths about inference, order,
quantity, and relation.
3. Natural Science:
the study of the regular behavior of nature.
 Physics: the study of matter and energy.
 Astronomy: the study of extraplanetary space and its contents.
 Chemistry: the study of substances and their properties.
 Geoscience: the study of the physical composition and behavior of planets.
 Biology: the study of life
(1.1-CE) Fundamental Content of Education
4. Technology:
the application of science and mathematics.
 Engineering: the application of physical science.
 Biotechnology: the use of biological and bioactive methods and
instruments.
 Management: the direction of persons and related processes.
 Industrial Technology.
5. Social Science:
the study of the regular behavior of persons.
 Economics: the study of production, exchange, and consumption of
goods by persons.
 Political Science: the study of the government of persons.
 Sociology: the study of human group behavior.
 Psychology: the study of mind.
 Linguistics: the study of language.
 History: the study of humanity's past.
 Futurology: the study of humanity's future.
(1.1-CE) Fundamental Content of Education
Philosophy: Study of
 Ultimate Reality and (पूर्ण/सार्णभौम सत्य/र्ास्तवर्कता)
 meaning. (अर्ण और ऱक्ष्य)
Mathematics: Study of
 Necessary Truths about ()
 inference, order, quantity, and relation.
(निष्कर्ण, व्यर्स्र्ा/क्रम, मात्रा और संबंध क
े बारे में आर्श्यक सत्य)
Natural Science: Study of the
 Regular Behavior of Nature.
(प्रकृ नत का नियममत/निश्श्ित व्यर्हार)
Technology: Study of
 Application of science and mathematics.
(वर्ज्ञाि और गणर्त का प्रयोग)
Social Science: Study of the
 Regular Behavior of Persons.
(मािर् का नियममत/निश्श्ित व्यर्हार)
(1.1-CE) Basic objectives content of education
Philosophy: the study of ultimate reality and meaning.
जानना था : पूणश/सावशभौम सत्य/वास्तशवकता ऄथश और लक्ष्य
शमला क्या : ऄशस्थरता, ऄशनशिता, लक्षय-कदिा शवहीनता, रहस्य
पाना क्या था : भ्रम-भय मुशक्त, रहस्य मुशक्त, सुख-िांशत-संतोर्
Mathematics: study of necessary truths (inference, order, quantity and relation)
पाना था : शनष्कर्श, व्यवस्था/क्रम, मात्रा और संबंध के बारे में अवश्यक सत्य
शमला क्या : ककतना, क्या, क्यों पता िला? क्रम, संबंध पता िला?
Natural Science: the study of the regular behavior of nature.
जानना था : प्रकृशत का शनयशमत/शनशित व्यवहार/अिरण
प्रश्न है कक क्या पहिान पाये ?
शमला क्या : ऄशस्थरता, ऄशनशिता, ऄसंतुलन, शवकृशत
Technology: the application of science and mathematics.
करना था : शवज्ञान और गशणत का प्रयोग ककसशलए ?
ककया क्या : प्रदूर्ण, ऄसंतुलन, धरती बबाशद, पोर्कता – गुणवत्ता का ह्रास
Social Science: the study of the regular behavior of persons.
जानना था : मानव का शनयशमत/शनशित व्यवहार/अिरण
प्रश्न है कक क्या पहिान पाये ?
शमला क्या : व्यवहार/अिरण ऄशस्थरता, ऄशनशिता, िोर्ण , ऄपराध, द्वेर्
(1.1-CE) What we achieved so for
To study these content of education
(1.1-CE) प्रिशलत शिक्षा से ऄपेक्षाएं और ऄभी तक की कदिा
(1.1-CE)
Content
flow in
society
and
System
Education and
system are
interdependent
शिक्षा और व्यवस्था
अन्योन्याश्रित (पूरक)
(1.1-
CE)
Content
flow in
society
and
System
(1.2-CE) शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना)
OBJECTIVES OF EDUCATIONAL MANAGEMENT SYSTEM IN INDIA
 Educational management system helps to develop education system
in India.
 Directives and provisions of the Indian constitution helps to
educational management system in India
 The role of International bodies to developed educational
management system in India.
 The role of educational bodies of MHRD to management of
education system in India.
 The role of state level bodies in educational management system in
India.
 And lastly we known, how local level bodies help to educational
management system in India.
ROLE OF DIRECTIVIES AND PROVISIONS OF
INDIAN CONSTITUTION
FOR EDUCATIONAL MANAGEMENT SYSTEM IN INDIA
 Right to Equality – Article 14 to 18
 Right to Freedom- Article 19 to 22
 Right against Exploitation – Article 23 & 24
 To freedom of Religion – Article 25 to 28
 Cultural and educational Rights – Article 29 & 30
 Right to Constitutional Remedies – Article 32 - 35
 Free and Compulsory Education - Article 45
 Language Safeguards - Article 29(1), 350 B
 Education forWeaker Sections - Article 15, 17, 46
 Instruction in Mother –Tongue - Article 350 A
 Higher Education and Research - Entries 63, 64, 65, and 66 of List.
 Education in the Union Territories - Article 239
(1.2-C E)
ROLE OF INTERNATIONAL BODIES
TO EDUCATIONAL MANAGEMENT SYSTEM IN INDIA
 United Nations Education, Scientific and Cultural Organization (UNESCO)
 United Nations International Children’s Emergency Fund (UNICEF)
 United Nations Development Programme (UNDP)
 World Bank Commonwealth Of Learning (COL)
Educational bodies for
Educational Management in India
 Central Advisory Board of Education (CABE)
 National Council of Education Research andTraining (NCERT)
 University Grants Commission (UGC)
 Council of Scientific and Industrial Research (CSIR)
 All India Council forTechnical Education (AICTE)
 Distance Education Council (DEC)
 Association of Indian Universities (AIU)
 National University of Educational Planning and Administration (NUEPA)
(1.2-C E)
 Department of Education State Council of Educational Research
andTraining (SCERT)
 District Primary Education Programme (DPEP)
 Regional or Circle Level Bodies
 District Level Bodies
 Block Level Bodies
 State Higher Education Commission State Institute of Educational
Management and Training (SIEMAT)
 State Institute of EducationalTechnology (SIET)
(1.2-C E)
(1.2-C E)
(1.2-C E)
शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना) :
समीक्षा और शनष्कर्श
1. Indian Constitution helps to develop education management
system in India.
But it is not creating the awareness among people to live according to
Constitutional Law, to follow the preamble of constitution, social
awareness, coexistence, Value-based Harmonious Living.
2. In these perspectives the most importance role plays of
International education sector.
Which is based on materialism and develop the mindset of
Individualism, consumerism, conflict centric approach
3. MHRD, National-State level bodies and Local level of education
sector play vital role to develop education management system.
Heavy weight : consume 4.5% to 6% GDP
Have corruption in every level
Expensive and not equal
Not uniformly quality education
मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद पर अधाररत प्रिशलत शिक्षा वस्तु प्रवृशत्त
भौशतकवाद की नजररया से (प्रिशलत शिक्षा वस्तु)
 ऄशस्थरता, ऄशनियता मूलक,
 लक्ष्य-कदिा शवहीन,
 व्यवहार-कायश-व्यवस्था को संघर्श माना
 भौशतक-रासायशनक वस्तु केशन्द्रत शविार बनाम शवज्ञान शवशध,
 सुशवधा-संग्रहवादी,
 यंत्र को प्रमाण मानने वाली,
 शजसमें मानव के शनशित अिरण का ऄध्ययन नहीं हो पाया।
इश्वरवाद नजररया से (शवगत की शिक्षा वस्तु)
 रहस्य मूलक,ऄप्रामाशणक
 जीने ऄथाशत व्यवहार-कायश-व्यवस्था से नहीं जुड़ी
 भशक्त-शवरशक्तवादी और व्यशक्तवादी
 मोक्ष और स्वगश जैसे रहस्यमयी लक्ष्य के शलए
 अदिशवादी लितन शवशध
 मानव को जीव मानने वाली
(1.2-C E)
शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना) : समीक्षा और शनष्कर्श
शिक्षा वस्तु और शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना)
आनमें क्या ऄंतर है?
शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा
 लोकव्यापीकरण के शलए प्रबंध
 शिक्षा सुलभता के शलए प्रिासशनक व्यवस्था
शिक्षा वस्तु कारण है
 मानशसकता (व्यशक्तवादी/िासन या सह ऄशस्तत्ववादी/व्यवस्था वादी)
 व्यवहार (मूलय, िररत्र, नैशतकता का ऄभ्यास)
 अिरण (व्यशक्तवादी/समुदायवादी या पररवार मूलक/मानवीय)
 व्यवसाय/शनपुणता (समृशद्ध के शलए ईत्पादन का प्रशिक्षण वस्तु)
 व्यवस्था (भय-प्रलोभन िासन या पररवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था)
1.3
Eucation content and Educational structure
badesd on Madhyasth Darshan Sah-astitvvaad
(2-MD)
2.1 मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद पर अधाररत शिक्षा वस्तु
2.2 शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा
2.3 आनमें क्या ऄंतर है?
(MD) 2.1 मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद पर अधाररत शिक्षा वस्तु
मानवीय शिक्षा वस्तु की ऄखंडता और सामरस्यता
ज्ञान, शववेक, शवज्ञान संबंध
ज्ञान = ऄनुभव + शविार (बौशद्धक क्षेत्र) = मानव मानशसकता
शववेक = ऄनुभव +शविार + व्यवहार (बौशद्धक + सामाशजक क्षेत्र) = ऄखंड समाज
शवज्ञान = ऄनुभव + शविार + व्यवहार + व्यवसाय (बौशद्धक + सामाशजक +
प्राकृशतक क्षेत्र) = सावशभौम व्यवस्था।
सवशमानव िार अयाम और पांि शस्थशतयों में मानव परंपरा में जीता हुअ कदखता है। मूल रूप से
जीने में पांि व्यवस्थात्मक कायशक्रम हैं जो शनम्नानुसार है:-
 शिक्षा-संस्कार व्यवस्था (ज्ञान-शववेक-शवज्ञान सहज बोध होने की शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली )
 ईत्पादन-कायश व्यवस्था (ईपयोशगता, सुंदरता के शलए श्रम शनयोजन शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली)
 शवशनमय-कोर् व्यवस्था (लाभ – हाशन मुक्त वस्तु शवशनमय शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली)
 न्द्याय-सुरक्षा व्यवस्था (न्द्यायपूवशक वतशमान में शवश्वास करना- परस्परता में शवश्वस्थ होने
की शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली)
 स्वास््य-संयम व्यवस्था (जागृशत सहज प्रमाण प्रस्तुशत की शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली)
मानवीय शिक्षा वस्तु की ऄखंडता और सामरस्यता
मानव मानशसकता, मानवीय अिरण और सावशभौम व्यवस्था ही शिक्षा-संस्कार का
प्रयोजन और मानव परंपरा में जागृशत है। “शनयम, न्द्याय, धमश एवं सत्य सावशभौशमक हैं,
• सावशभौशमकता ही ऄप्रशतमता,
• ऄप्रशतमता ही मध्यस्थता,
• मध्यस्थता ही प्रबुद्घता, प्रबुद्घता ही शवज्ञान व शववेक,
• शवज्ञान व शववेक ही सम्प्रभुता,
• सम्प्रभुता ही ऄखण्डता,
• ऄखण्डता ही समाधान एवं समृशद्घ,
• समाधान एवं समृशद्घ ही सह-ऄशस्तत्व,
• सह-ऄशस्तत्व ही जीवन एवं
• जीवन ही शनयम, न्द्याय, धमश एवं सत्य है।
मानव जीवन कायशक्रम में शवशध, नीशत एवं व्यवस्था का समाशहत रहना प्रशसद्घ है।
 शनभशम ज्ञान = शववेक सम्मत शवज्ञान,
 शववेक व शवज्ञान = बौशद्घक समाधान व भौशतक समृशद्घ,
 भौशतक समृशद्घ एवं बौशद्घक समाधान = सह-ऄशस्तत्व,
 सह-ऄशस्तत्व = ऄखंडता, ऄखंडता = सामाशजकता,
 सामाशजकता = स्वगीयता (शवश्वास, सुख, िांशत, संतोर् की शनरंतरता)
 स्वगीयता = ऄभय है।
ऄनुभव, शविार, व्यवहार और व्यवसाय/व्यवस्था अयाम में
शिक्षा वस्तु का क्रशमक शवकास, ऄंतरसंबंध और वगीकरण
मानव के जीने के िार अयाम -
 ऄनुभव,
 शविार
 व्यवहार
 व्यवसाय/व्यवस्था और
पांि शस्थशतयां -
व्यशक्त-पररवार-समाज-राष्ट्र-ऄंतरराष्ट्रीय हैं।
आनके के ऄंतसंबंध को समझने के शलए यह अवश्यक है कक हम शनम्नांककत ऄंतसंबंध
को समझे :-
 मानव में ऄनुभव-शविार (ज्ञान-समझ) के अयाम और ऄंतसंबंध
 मानव के व्यवहार अयाम (समझ और शववेक) और ऄंतसंबंध
 मानव परम्परा में व्यवसाय-व्यवस्था अयाम (समझ और शवज्ञान) और ऄंतसंबंध
(I)
मानव में
ऄनुभव-शविार
(ज्ञान-समझ)
के अयाम
और ऄंतसंबंध
(II)
मानव के
ऄनुभव-शविार
व्यवहार अयाम
(समझ -शववेक)
और ऄंतसंबंध
(III)
मानव में
ऄनुभव,
शविार
व्यवहार,
व्यवसाय/
व्यवस्था
(समझ-शवज्ञान)
के अयाम
और ऄंतसंबंध
ऄशधगम क्षेत्र -1
संपूणश शिक्षा वस्तु के
शवशभन्न मुद्दों, क्षेत्रों
और अयामों को
समझना,
सीखना,
करना
(ऄशधगम) के अधार
पर वगीकृत है।
मानव में कमश
मानशसक,
वाशिक,
काशयक
होते हैं और आन्द्हें करने
की शवशध
कृ त (करना),
काररत (कराना),
ऄनुमोदन (सहमत)
होना, आस प्रकार नौ
प्रकार से कमश होते हैं।
शिक्षा-संस्कार अयाम और मानव जीने के अयाम में संबंध
1. जीने के अयाम, समझने की कक्रया और समझने के क्षेत्र
2. ऄध्ययन वस्तु, ऄध्ययन शवशध, शिक्षण शवशध, शिक्षा की ईपलशब्ध
3. पररपूणशता के शलए ऄभ्यास, मानव में स्पष्टता और शिक्षा प्रयोजन
4. मानव में पााँि स्तरों पर जीने के कायशक्रम और शिक्षा का प्रयोजन
5. मानव में, से, के शलए ऄध्ययन-शिक्षण-प्रशिक्षण के शलए शिक्षा त्य
6. िारों अयामों एवं पााँिों शस्थशतयों की एकसूत्रता एवं समन्द्वयता ही ऄभ्युदय
7. मानव के जीने के िार अयामों में शिक्षा की सम्पूणश वस्तु का ऄंतसंबंध
8. मानव में समग्र शिक्षा-संस्कार अयाम और शिक्षा-वस्तु का संबंध व वगीकरण
9. ऄशधगम (समझना-सीखना-करना) और ऄशधगम क्षेत्र
10. प्रिशलत शिक्षा में ऄशधगम (समझना-सीखना-करना) और ऄशधगम क्षेत्र
Is NEPaddressing content or structure?
(2-CE)
नइ शिक्षा नीशत
शिक्षा वस्तु
को प्रस्तुत करती है?
या
शिक्षा देने की प्रकक्रया (संरिना) को
या दोनों को?
structural changes and
education content change
(3-CE)
1. शिक्षा में संरिनात्मक करने का क्या ऄथश है?
2. शिक्षा वस्तु में पररवतशन करने का क्या ऄथश है?
structural changes and
education content change
badesd on Madhyasth Darshan Sah-astitvvaad
(3-MD)
मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद पर अधाररत
1. शिक्षा में संरिनात्मक करने का क्या ऄथश है?
2. शिक्षा वस्तु में पररवतशन करने का क्या ऄथश है?
Education badesd on
Madhyasth Darshan sah-astitvvaad
(4-MD)
मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद
िेतना शवकास मूलय शिक्षा और तकनीकी के संयुक्त रूप में
"समग्र शिक्षा वस्तु" (integral education content)
की बात करता है,
ईसको deliver करने के शलए
क्या structure अवश्यक ऄथवा सहयोगी है?
Logic: the study of valid inference.
 Formal Logic: the study of systems
of valid inference.
 Metalogic: the study of valid
inference about systems of valid
inference.
 Applied Logic: the application of
logic to special arenas of inference
SetTheory: the study of sets and the
most basic operations on them.
 Extension.
 Empty set.
 Separation
 Pairing
 Power Set.
 Union.
 Infinity.
 Well-Ordering.
Algebra: the study of operations on sets
of numbers and symbols representing them.
 Arithmetic.
 Number Theory.
Geometry: the study of transformations of
sets of points in space.
 Euclidean Geometry.
 Non-Euclidean Geometry.
 Topology:
Analysis: the study of infinite processes as
they approach limits.
 Differential Calculus.
 Integral Calculus.
 Vector Analysis.
Combinatorics: the study of selection and
arrangement within finite sets.
Applied Mathematics: the study of the
sampling or processing of information.
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  • 1. नइ शिक्षा नीशत और मध्यस्थ दिशन शिक्षा-वस्तु का स्वरूप डा. सुरेन्द्र पाठक Dr. Surendra Pathak मध्यस्थ दिशन के ऄध्येता
  • 2. नइ शिक्षा नीशत 2020: महत्वपूणश शबन्द्दु  34 साल बाद शिक्षा नीशत में बदलाव ककया गया है.  आस नइ नीशत में मानव संसाधन मंत्रालय का नाम पुनः शिक्षा मंत्रालय करने का फै सला शलया गया है।  आसमें समस्त ईच्च शिक्षा (कानूनी एवं शिककत्सीय शिक्षा को छोड़कर) के शलए एक एकल शनकाय के रूप में भारत ईच्च शिक्षा अयोग का गठन करने का प्रावधान है।  नइ स्कूल मूलयांकन योजना 2022-2023 से लागू होगी।  जीडीपी में आसका योगदान जलद से जलद 6% (वतशमान में GDP का लगभग 4.4% है) हो सके।
  • 3. अजादी के सात दिक में शिक्षा से जुड़ी शसफश दो राष्ट्रीय नीशत  नइ राष्ट्रीय शिक्षा नीशत से पूवश मुख्य रूप से शसफश दो राष्ट्रीय शिक्षा नीशत अइ थीं।  पहली बार 1968 में पहली शिक्षा नीशत, यह कोठारी कमीिन (1964-1966) की शसफाररिों पर अधाररत थी। आसका मुख्य ईद्देश्य गुणवत्तापूणश शिक्षा ईपलब्ध कराना और देि के सभी नागररकों को शिक्षा मुहैया कराना था।  समीक्षा के बाद दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीशत मइ 1986 में मंजूर हुइ। आसमें कंप्यूटर और पुस्तकालय जैसे संसाधनों को जुटाने पर जोर कदया। आस नीशत को 1992 में तत्कालीन सरकार ने संिोशधत ककया। नइ शिक्षा नीशत 2020: महत्वपूणश शबन्द्दु
  • 4. शवद्यालयीन शिक्षा में – स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एक समान पहुंि सुशनशित करना  एनइपी 2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से माध्यशमक स्तर तक सबके शलए एक समान पहुंि सुशनशित करने पर जोर देती है।  आसके के तहत स्कूल से दूर 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में लाया जाएगा। नए पाठ्यक्रम और िैक्षशणक संरिना में प्रारंशभक बिपन की देखभाल और शिक्षा  बिपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांिे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठ्यक्रम संरिना लागू ककया जाएगा आसमें ऄब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, नइ प्रणाली में तीन साल की अंगनवाड़ी/प्री स्कूललग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।  एनसीइअरटी 8 वर्श की अयु तक के बच्चों के शलए प्रारंशभक बिपन देखभाल और शिक्षा के शलए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और िैक्षशणक ढांिा शवकशसत करेगा।
  • 5. शवद्यालयीन शिक्षा में – बुशनयादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करना  बुशनयादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राशप्त को सीखने के शलए ऄत्यंत जरूरी एवं पहली अवश्यकता मानते हुए आसमें शिक्षा मंत्रलाय द्वारा ‘बुशनयादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय शमिन’ की स्थापना होगी। स्कूल के पाठ्यक्रम और ऄध्यापन-कला में सुधार  स्कूल के पाठ्यक्रम और ऄध्यापन-कला का लक्ष्य यह होगा कक 21वीं सदी के प्रमुख कौिल या व्यावहाररक जानकाररयों से शवद्यार्थथयों को लैस करके ईनका समग्र शवकास ककया जाए और अवश्यक ज्ञान प्राशप्त एवं ऄपररहायश लितन को बढाने व ऄनुभवात्मक शिक्षण पर ऄशधक फोकस करने पाठ्यक्रम को कम ककया जाए।  छठे ग्रेड से व्यावसाशयक शिक्षा िुरू होगी और आसमें आंटनशशिप िाशमल होगी।  राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 20-21 एनसीइअरटी द्वारा शवकशसत की जाएगी।  नीशत में मातृभार्ा/स्थानीय भार्ा/क्षेत्रीय भार्ा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर शविेर् जोर कदया गया है।  स्कूल के सभी स्तरों और ईच्च शिक्षा में संस्कृत को एक शवकलप के रूप में िुनने का ऄवसर कदया है । शत्र-भार्ा फॉमूशले में भी यह शवकलप िाशमल होगा।
  • 6. शवद्यालयीन शिक्षा में – समान और समावेिी शिक्षा  यह सुशनशित ककया है कक कोइ भी बच्चा ऄपने जन्द्म या पृष्ठभूशम से जुड़ी पररशस्थशतयों के कारण ज्ञान प्राशप्त या सीखने और ईत्कृष्टता प्राप्त करने के ककसी भी ऄवसर से वंशित नहीं रह जाए। शिक्षकों के शलए राष्ट्रीय प्रोफे िनल मानक (एनपीएसटी)-  राष्ट्रीय ऄध्यापक शिक्षा पररर्द द्वारा वर्श 2022 तक शवकशसत ककया जाएगा, शजसके शलए एनसीइअरटी, एससीइअरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के शविेर्ज्ञ संगठनों के साथ परामिश ककया जाएगा। स्कूली शिक्षा के शलए मानक-शनधाशरण एवं प्रत्यायन  एनइपी 2020 नीशत शनमाशण, शवशनयमन, प्रिालनों तथा ऄकादशमक मामलों के शलए एक स्पष्ट, पृथक प्रणाली की पररकलपना करती है। राज्य/केंरिाशसत प्रदेि स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्डसश ऄथाररटी (एसएसएसए) का गठन करेंगे।
  • 7. नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु -शवद्यालयीन शिक्षा में 10 +2 के स्थान पर 5 +3+3+4 फामेट  पांि साल में प्री-प्राआमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा दो सशहत फाईंडेिन स्टेज िाशमल होंगे।  पहले जहां सरकारी स्कूल कक्षा एक से िुरू होती थी वहीं ऄब तीन साल के प्री-प्राआमरी के बाद कक्षा एक िुरू होगी। 5 Years Fundamental (िार से अठ वर्श) 1. Nursery 4 Years से 2. Jr KG 5 Years 3. Sr KG 6 Years 4. Std 1st 7 Years 5. Std 2nd 8 Years  आसके बाद कक्षा 3-5 के तीन साल िाशमल हैं। 3 Years Preparatory* 6. Std 3rd 9 Years 7. Std 4th 10 Years 8. Std 5th 11 Years
  • 8. आसके बाद 3 साल का शमशडल स्टेज अएगा यानी कक्षा 6 से 8 तक की कक्षा। 3 Years Middle  9. Std 6th @12 Years  10.Std 7th @13 Years  11.Std 8th @14 Years िौथा स्टेज (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 साल का होगा। पहले 11वीं कक्षा से शवर्य िुनने की अजादी थी, वही ऄब 9वीं कक्षा से रहेगी। 4 Years Secondary  12.Std 9th @15 Years  13.Std SSC @16 Years  14.Std FYJC @17Years  15.STD SYJC @18 Years खास बातें :  नीशत में पहले और दूसरे कक्षा में गशणत और भार्ा एवं िौथे और पांिवें कक्षा के बालकों के लेखन पर जोर देने की बात कही गइ है।  बोडश केवल 12वीं क्लास में होगा,10वीं का बोडश खत्म  कॉलेज की शडग्री 4 साल की।एम. कफल बंद होगा नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु -शवद्यालयीन शिक्षा में
  • 9.  ऄब 5 वीं तक के छात्रों को  मातृभार्ा,  स्थानीय भार्ा और  राष्ट्र भार्ा में ही पढाया जाएगा. पहली से पांिवीं तक मातृभार्ा का आस्तेमाल ककया जायेगा। बाकी शवर्य ऄंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढाया जाएगा। आसमें रट्टा शवद्या को ख़त्म करने की भी कोशिि की गइ है शजसको मौजूदा व्यवस्था की बड़ी खामी माना जाता है।  ऄब शसफश 12वीं में बोडश की परीक्षा देनी होगी. जबकक आससे पहले 10वी बोडश की परीक्षा देना ऄशनवायश होता था।  9वीं से 12वीं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी.  संगीत, खेल, योग अकद को सहायक पाठ्यक्रम या ऄशतररक्त पाठ्यक्रम की बजाय मुख्य पाठ्यक्रम में ही जोड़ा जाएगा। नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु -शवद्यालयीन शिक्षा में
  • 10. ग्रेजुएिन/स्नातक के कॉलेज की शडग्री 3 और 4 साल की होगी  पहले साल पर सर्टटकफकेट  दूसरे साल पर शडप्लोमा  तीसरे साल में ग्रेजुएिन शडग्री शमलेगी  िौथे साल में ग्रेजुएिन ररसिश शडग्री शमलेगी  3 साल की शडग्री ईन छात्रों के शलए है शजन्द्हें हायर एजुकेिन नहीं लेना है.  हायर एजुकेिन करने वाले छात्रों को 4 साल की शडग्री करनी होगी.  4 साल की शडग्री करने वाले स्टूडेंट्स एक साल में PG कर सकेंगे।  3 साल की शडग्री करने वाले स्टूडेंट्स दो साल में PG कर सकेंगे।  मशलटपल एंट्री और एशजजट शसस्टम रहेगा।  ऄब स्टूडेंट्स को MPhil नहीं करना होगा।  PG के छात्र ऄब सीधे Ph.D. कर सकेंगे।  शवश्वशवद्यालयों और ईच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेि के शलए कॉमन एन्द्ट्रेंस एजजाम होंगे? नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु - ईच्च शिक्षा में
  • 11. स्टूडेंट्स बीि में कर सकेंगे दूसरे कोसश  2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा.  कोइ छात्र एक कोसश के बीि में ऄगर कोइ दूसरा कोसश करना िाहे तो पहले कोसश से सीशमत समय के शलए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोसश कर सकता है।  ऄभी शवद्याथी जो बीि में ही कोसश छोड़ के िले जाते हैं , ईन्द्हें कुछ नहीं शमलता एवं ईन्द्हें शडग्री के शलये दोबारा से नइ िुरुअत करनी पड़ती है।  सुधारों में ग्रेडेड ऄकेडशमक, ऐडशमशनस्ट्रेरटव और फाआनेंशियल ऑटोनॉमी अकद िाशमल हैं।  आसके ऄलावा क्षेत्रीय भार्ाओं में इ-कोसश िुरू ककए जाएंगे।  विुशऄल लैब्स शवकशसत ककए जाएंगे।  एक नैिनल एजुकेिनल साआंटकफक फोरम (NETF) िुरू ककया जाएगा.  सरकारी, शनजी, डीम्ड सभी संस्थानों के शलए होंगे एक समान शनयम नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु - ईच्च शिक्षा में
  • 12. नइ शिक्षा नीशत : महत्वपूणश शबन्द्दु - ईच्च शिक्षा में  नीशत में शिक्षकों के प्रशिक्षण पर शविेर् बल कदया गया है। व्यापक सुधार के शलए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कायशक्रमों को शवशव या कॉलेजों स्तर पर िाशमल करने की शसफाररि की गइ है।  प्राआवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस रखने और बढाने को भी रोकने का प्रयास ककया जाएगा।  पहले 'समूह' के ऄनुसार शवर्य िुने जाते थे, ककन्द्तु ऄब ईसमें भी बदलाव ककया गया है। जो छात्र आंजीशनयररग कर रहे हैं वह संगीत को भी ऄपने शवर्य के साथ पढ सकते हैं।  नेिनल साआंस फाईंडेिन के तजश पर नेिनल ररसिश फाईंडेिन लाइ जाएगी शजससे पाठ्यक्रम में शवज्ञान के साथ सामाशजक शवज्ञान को भी िाशमल ककया जाएगा।
  • 13. ईच्चतर शिक्षा -1  2035 तक जीइअर को बढाकर 50 प्रशतित करना।  एनइपी 2020 का लक्ष्य व्यावसाशयक शिक्षा सशहत ईच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन ऄनुपात को 26.3 प्रशतित (2018) से बढाकर 2035 तक 50 प्रशतित करना है। ईच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नइ सीटें जोड़ी जाएंगी। समग्र बहुशवर्यक शिक्षा  नीशत में लिीले पाठ्यक्रम, शवर्यों के रिनात्मक संयोजन, व्यावसाशयक शिक्षा एवं ईपयुक्त प्रमाणन के साथ मलटीपल एंट्री एवं एशक्जट लबदुओं के साथ व्यापक, बहुशवर्यक, समग्र ऄवर स्नातक शिक्षा की पररकलपना की गइ है। यूजी शिक्षा आस ऄवशध के भीतर शवशवध एशक्जट शवकलपों तथा ईपयुक्त प्रमाणन के साथ 3 या 4 वर्श की हो सकती है। ईदाहरण के शलए, 1 वर्श के बाद सर्टटकफकेट, 2 वर्ों के बाद एडवांस शडप्लोमा, 3 वर्ों के बाद स्नातक की शडग्री तथा 4 वर्ों के बाद िोध के साथ स्नातक।  देि में वैशश्वक मानकों के सवशश्रेष्ठ बहुशवर्यक शिक्षा के मॉडलों के रूप में अइअइटी, अइअइएम के समकक्ष बहुशवर्यक शिक्षा एवं ऄनुसंधान शवश्वशवद्यालय (एमइअरयू) स्थाशपत ककए जाएंगे।  शिककत्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त ईच्च शिक्षा के शलए एक एकल ऄशत महत्वपूणश व्यापक शनकाय के रूप में भारत ईच्च शिक्षा अयोग (एिइसीअइ) का गठन ककया जाएगा
  • 14. ईच्चतर शिक्षा -1 शववेकपूणश संस्थागत संरिना-  ईच्चतर शिक्षा संस्थानों को ईच्च गुणवत्तापूणश शिक्षण, ऄनुसंधान एवं सामुदाशयक भागीदारी ईपलब्ध कराने के जररये बड़े, साधन संपन्न, गशतिील बहु-शवर्यक संस्थानों में रूपांतररत कर कदया जाएगा। शवश्वशवद्यालय की पररभार्ा में संस्थानों की एक शवस्तृत श्रेणी होगी, शजसमें ऄनुसंधान केंकरत शवश्वशवद्यालय से शिक्षण केंकरत शवश्वशवद्यालय तथा स्वायत्तिासी शडग्री प्रदान करने वाले महाशवद्यालय िाशमल होंगे। ऄध्यापक शिक्षण-  एनसीइअरटी के परामिश से, एनसीटीइ के द्वारा ऄध्यापक शिक्षण के शलए एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांिा, एनसीएफटीइ 2021 तैयार ककया जाएगा।  गुणवत्तापूणश शिक्षा के वैकशलपक साधनों की तैयाररयों को सुशनशित करने के शलए स्कूल और ईच्च शिक्षा दोनों को इ-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के शलए एमएिअरडी में शडशजटल ऄवसंरिना, शडशजटल कंटेंट और क्षमता शनमाशण के ईद्देश्य से एक समर्थपत आकाइ बनाइ जाएगी।  सीखने, मूलयांकन करने, योजना बनाने, प्रिासन को बढावा देने के शलए प्रौद्योशगकी का ईपयोग करने पर शविारों का मुक्त अदान-प्रदान करने हेतु एक मंि प्रदान करने के शलए एक स्वायत्त शनकाय, राष्ट्रीय िैशक्षक प्रौद्योशगकी मंि (एनइटीएफ) का शनमाशण ककया जाएगा।
  • 15.  सभी भारतीय भार्ाओं के शलए संरक्षण, शवकास और जीवंतता सुशनशित करने के शलए, एनइपी द्वारा पाली, फारसी और प्राकृत भार्ाओं के शलए एक आंशडयन आंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेिन एंड आंटरशप्रटेिन अइअइटीअइ (राष्ट्रीय संस्थान) या संस्थान (की स्थापना करने, ईच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भार्ा शवभागों को मजबूत करने और ज्यादा से ज्यादा ईच्च शिक्षण संस्थानों के कायशक्रमों में शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभार्ा/ स्थानीय भार्ा का ईपयोग करने की शसफाररि की गइ है।  शिक्षा के ऄंतरराष्ट्रीयकरण को संस्थागत रूप से सहयोग और छात्र और संकाय की गशतिीलता दोनों के माध्यम से सुगम बनाया जाएगा और हमारे देि में पररसरों को खोलने के शलए िीर्श शवश्व रैंककग रखने वाले शवश्वशवद्यालय के प्रवेि करने की ऄनुमशत प्रदान की जाएगी।  आसका लक्ष्य 2030, तक 100% युवा और प्रौढ साक्षरता की प्राशप्त करना है।  शिक्षा क्षेत्र में सावशजशनक शनवेि को बढावा देने के शलए, केंर और राज्य शमलकर काम करेंगे। ईच्चतर शिक्षा -2
  • 16. शिक्षा वस्तु, नीशत, प्रणाली, पद्धशत की समीक्षा शवश्लेर्ण शवकलप
  • 17. Eucation content and Educational structure (1-CE) 1.1 शिक्षा वस्तु और 1.2 शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना) 1.3 आनमें क्या ऄंतर है?
  • 18. (1.1-CE) शिक्षा वस्तु Basic content of education 1. Philosophy Metaphysics Ontology Theology Epistemology Philosophy of Mind Philosophy of Science Axiology Ethics Political Philosophy Virtue Philosophy Aesthetics 2. Mathematics Logic 3. Natural Science Physics Mechanics Wave Physics Thermodynamics Electromagnetics Quantum Physics Astronomy Cosmology Galactic Astronomy Stellar Astronomy Planetary Astronomy Chemistry Geoscience Biology 4.Technology 5. Social Science Economics Macroeconomics Microeconomics Political Science Sociology Psychology Linguistics History Futurology Impossible Advances Improbable Advances Academic Progress Technological Progress Industrial Progress Socio-political Progress
  • 19. 1. Philosophy: the study of ultimate reality and meaning.  Metaphysics: the study of ultimate reality.  Epistemology: the study of knowledge.  Axiology: the study of values. Necessary Questions Philosophy asks the questions: What is existing? What is knowing? What is good? 2. Mathematics: the study of necessary truths about inference, order, quantity, and relation. 3. Natural Science: the study of the regular behavior of nature.  Physics: the study of matter and energy.  Astronomy: the study of extraplanetary space and its contents.  Chemistry: the study of substances and their properties.  Geoscience: the study of the physical composition and behavior of planets.  Biology: the study of life (1.1-CE) Fundamental Content of Education
  • 20. 4. Technology: the application of science and mathematics.  Engineering: the application of physical science.  Biotechnology: the use of biological and bioactive methods and instruments.  Management: the direction of persons and related processes.  Industrial Technology. 5. Social Science: the study of the regular behavior of persons.  Economics: the study of production, exchange, and consumption of goods by persons.  Political Science: the study of the government of persons.  Sociology: the study of human group behavior.  Psychology: the study of mind.  Linguistics: the study of language.  History: the study of humanity's past.  Futurology: the study of humanity's future. (1.1-CE) Fundamental Content of Education
  • 21. Philosophy: Study of  Ultimate Reality and (पूर्ण/सार्णभौम सत्य/र्ास्तवर्कता)  meaning. (अर्ण और ऱक्ष्य) Mathematics: Study of  Necessary Truths about ()  inference, order, quantity, and relation. (निष्कर्ण, व्यर्स्र्ा/क्रम, मात्रा और संबंध क े बारे में आर्श्यक सत्य) Natural Science: Study of the  Regular Behavior of Nature. (प्रकृ नत का नियममत/निश्श्ित व्यर्हार) Technology: Study of  Application of science and mathematics. (वर्ज्ञाि और गणर्त का प्रयोग) Social Science: Study of the  Regular Behavior of Persons. (मािर् का नियममत/निश्श्ित व्यर्हार) (1.1-CE) Basic objectives content of education
  • 22. Philosophy: the study of ultimate reality and meaning. जानना था : पूणश/सावशभौम सत्य/वास्तशवकता ऄथश और लक्ष्य शमला क्या : ऄशस्थरता, ऄशनशिता, लक्षय-कदिा शवहीनता, रहस्य पाना क्या था : भ्रम-भय मुशक्त, रहस्य मुशक्त, सुख-िांशत-संतोर् Mathematics: study of necessary truths (inference, order, quantity and relation) पाना था : शनष्कर्श, व्यवस्था/क्रम, मात्रा और संबंध के बारे में अवश्यक सत्य शमला क्या : ककतना, क्या, क्यों पता िला? क्रम, संबंध पता िला? Natural Science: the study of the regular behavior of nature. जानना था : प्रकृशत का शनयशमत/शनशित व्यवहार/अिरण प्रश्न है कक क्या पहिान पाये ? शमला क्या : ऄशस्थरता, ऄशनशिता, ऄसंतुलन, शवकृशत Technology: the application of science and mathematics. करना था : शवज्ञान और गशणत का प्रयोग ककसशलए ? ककया क्या : प्रदूर्ण, ऄसंतुलन, धरती बबाशद, पोर्कता – गुणवत्ता का ह्रास Social Science: the study of the regular behavior of persons. जानना था : मानव का शनयशमत/शनशित व्यवहार/अिरण प्रश्न है कक क्या पहिान पाये ? शमला क्या : व्यवहार/अिरण ऄशस्थरता, ऄशनशिता, िोर्ण , ऄपराध, द्वेर् (1.1-CE) What we achieved so for To study these content of education
  • 23. (1.1-CE) प्रिशलत शिक्षा से ऄपेक्षाएं और ऄभी तक की कदिा
  • 24. (1.1-CE) Content flow in society and System Education and system are interdependent शिक्षा और व्यवस्था अन्योन्याश्रित (पूरक)
  • 26. (1.2-CE) शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना) OBJECTIVES OF EDUCATIONAL MANAGEMENT SYSTEM IN INDIA  Educational management system helps to develop education system in India.  Directives and provisions of the Indian constitution helps to educational management system in India  The role of International bodies to developed educational management system in India.  The role of educational bodies of MHRD to management of education system in India.  The role of state level bodies in educational management system in India.  And lastly we known, how local level bodies help to educational management system in India.
  • 27. ROLE OF DIRECTIVIES AND PROVISIONS OF INDIAN CONSTITUTION FOR EDUCATIONAL MANAGEMENT SYSTEM IN INDIA  Right to Equality – Article 14 to 18  Right to Freedom- Article 19 to 22  Right against Exploitation – Article 23 & 24  To freedom of Religion – Article 25 to 28  Cultural and educational Rights – Article 29 & 30  Right to Constitutional Remedies – Article 32 - 35  Free and Compulsory Education - Article 45  Language Safeguards - Article 29(1), 350 B  Education forWeaker Sections - Article 15, 17, 46  Instruction in Mother –Tongue - Article 350 A  Higher Education and Research - Entries 63, 64, 65, and 66 of List.  Education in the Union Territories - Article 239 (1.2-C E)
  • 28. ROLE OF INTERNATIONAL BODIES TO EDUCATIONAL MANAGEMENT SYSTEM IN INDIA  United Nations Education, Scientific and Cultural Organization (UNESCO)  United Nations International Children’s Emergency Fund (UNICEF)  United Nations Development Programme (UNDP)  World Bank Commonwealth Of Learning (COL) Educational bodies for Educational Management in India  Central Advisory Board of Education (CABE)  National Council of Education Research andTraining (NCERT)  University Grants Commission (UGC)  Council of Scientific and Industrial Research (CSIR)  All India Council forTechnical Education (AICTE)  Distance Education Council (DEC)  Association of Indian Universities (AIU)  National University of Educational Planning and Administration (NUEPA) (1.2-C E)
  • 29.  Department of Education State Council of Educational Research andTraining (SCERT)  District Primary Education Programme (DPEP)  Regional or Circle Level Bodies  District Level Bodies  Block Level Bodies  State Higher Education Commission State Institute of Educational Management and Training (SIEMAT)  State Institute of EducationalTechnology (SIET) (1.2-C E)
  • 31. (1.2-C E) शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना) : समीक्षा और शनष्कर्श 1. Indian Constitution helps to develop education management system in India. But it is not creating the awareness among people to live according to Constitutional Law, to follow the preamble of constitution, social awareness, coexistence, Value-based Harmonious Living. 2. In these perspectives the most importance role plays of International education sector. Which is based on materialism and develop the mindset of Individualism, consumerism, conflict centric approach 3. MHRD, National-State level bodies and Local level of education sector play vital role to develop education management system. Heavy weight : consume 4.5% to 6% GDP Have corruption in every level Expensive and not equal Not uniformly quality education
  • 32. मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद पर अधाररत प्रिशलत शिक्षा वस्तु प्रवृशत्त भौशतकवाद की नजररया से (प्रिशलत शिक्षा वस्तु)  ऄशस्थरता, ऄशनियता मूलक,  लक्ष्य-कदिा शवहीन,  व्यवहार-कायश-व्यवस्था को संघर्श माना  भौशतक-रासायशनक वस्तु केशन्द्रत शविार बनाम शवज्ञान शवशध,  सुशवधा-संग्रहवादी,  यंत्र को प्रमाण मानने वाली,  शजसमें मानव के शनशित अिरण का ऄध्ययन नहीं हो पाया। इश्वरवाद नजररया से (शवगत की शिक्षा वस्तु)  रहस्य मूलक,ऄप्रामाशणक  जीने ऄथाशत व्यवहार-कायश-व्यवस्था से नहीं जुड़ी  भशक्त-शवरशक्तवादी और व्यशक्तवादी  मोक्ष और स्वगश जैसे रहस्यमयी लक्ष्य के शलए  अदिशवादी लितन शवशध  मानव को जीव मानने वाली (1.2-C E) शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना) : समीक्षा और शनष्कर्श
  • 33. शिक्षा वस्तु और शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा (संरिना) आनमें क्या ऄंतर है? शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा  लोकव्यापीकरण के शलए प्रबंध  शिक्षा सुलभता के शलए प्रिासशनक व्यवस्था शिक्षा वस्तु कारण है  मानशसकता (व्यशक्तवादी/िासन या सह ऄशस्तत्ववादी/व्यवस्था वादी)  व्यवहार (मूलय, िररत्र, नैशतकता का ऄभ्यास)  अिरण (व्यशक्तवादी/समुदायवादी या पररवार मूलक/मानवीय)  व्यवसाय/शनपुणता (समृशद्ध के शलए ईत्पादन का प्रशिक्षण वस्तु)  व्यवस्था (भय-प्रलोभन िासन या पररवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था) 1.3
  • 34. Eucation content and Educational structure badesd on Madhyasth Darshan Sah-astitvvaad (2-MD) 2.1 मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद पर अधाररत शिक्षा वस्तु 2.2 शिक्षा देने की प्रकक्रया, ढांिा- खााँिा 2.3 आनमें क्या ऄंतर है?
  • 35. (MD) 2.1 मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद पर अधाररत शिक्षा वस्तु मानवीय शिक्षा वस्तु की ऄखंडता और सामरस्यता ज्ञान, शववेक, शवज्ञान संबंध ज्ञान = ऄनुभव + शविार (बौशद्धक क्षेत्र) = मानव मानशसकता शववेक = ऄनुभव +शविार + व्यवहार (बौशद्धक + सामाशजक क्षेत्र) = ऄखंड समाज शवज्ञान = ऄनुभव + शविार + व्यवहार + व्यवसाय (बौशद्धक + सामाशजक + प्राकृशतक क्षेत्र) = सावशभौम व्यवस्था। सवशमानव िार अयाम और पांि शस्थशतयों में मानव परंपरा में जीता हुअ कदखता है। मूल रूप से जीने में पांि व्यवस्थात्मक कायशक्रम हैं जो शनम्नानुसार है:-  शिक्षा-संस्कार व्यवस्था (ज्ञान-शववेक-शवज्ञान सहज बोध होने की शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली )  ईत्पादन-कायश व्यवस्था (ईपयोशगता, सुंदरता के शलए श्रम शनयोजन शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली)  शवशनमय-कोर् व्यवस्था (लाभ – हाशन मुक्त वस्तु शवशनमय शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली)  न्द्याय-सुरक्षा व्यवस्था (न्द्यायपूवशक वतशमान में शवश्वास करना- परस्परता में शवश्वस्थ होने की शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली)  स्वास््य-संयम व्यवस्था (जागृशत सहज प्रमाण प्रस्तुशत की शवशध-प्रकक्रया-प्रणाली)
  • 36. मानवीय शिक्षा वस्तु की ऄखंडता और सामरस्यता मानव मानशसकता, मानवीय अिरण और सावशभौम व्यवस्था ही शिक्षा-संस्कार का प्रयोजन और मानव परंपरा में जागृशत है। “शनयम, न्द्याय, धमश एवं सत्य सावशभौशमक हैं, • सावशभौशमकता ही ऄप्रशतमता, • ऄप्रशतमता ही मध्यस्थता, • मध्यस्थता ही प्रबुद्घता, प्रबुद्घता ही शवज्ञान व शववेक, • शवज्ञान व शववेक ही सम्प्रभुता, • सम्प्रभुता ही ऄखण्डता, • ऄखण्डता ही समाधान एवं समृशद्घ, • समाधान एवं समृशद्घ ही सह-ऄशस्तत्व, • सह-ऄशस्तत्व ही जीवन एवं • जीवन ही शनयम, न्द्याय, धमश एवं सत्य है। मानव जीवन कायशक्रम में शवशध, नीशत एवं व्यवस्था का समाशहत रहना प्रशसद्घ है।  शनभशम ज्ञान = शववेक सम्मत शवज्ञान,  शववेक व शवज्ञान = बौशद्घक समाधान व भौशतक समृशद्घ,  भौशतक समृशद्घ एवं बौशद्घक समाधान = सह-ऄशस्तत्व,  सह-ऄशस्तत्व = ऄखंडता, ऄखंडता = सामाशजकता,  सामाशजकता = स्वगीयता (शवश्वास, सुख, िांशत, संतोर् की शनरंतरता)  स्वगीयता = ऄभय है।
  • 37. ऄनुभव, शविार, व्यवहार और व्यवसाय/व्यवस्था अयाम में शिक्षा वस्तु का क्रशमक शवकास, ऄंतरसंबंध और वगीकरण मानव के जीने के िार अयाम -  ऄनुभव,  शविार  व्यवहार  व्यवसाय/व्यवस्था और पांि शस्थशतयां - व्यशक्त-पररवार-समाज-राष्ट्र-ऄंतरराष्ट्रीय हैं। आनके के ऄंतसंबंध को समझने के शलए यह अवश्यक है कक हम शनम्नांककत ऄंतसंबंध को समझे :-  मानव में ऄनुभव-शविार (ज्ञान-समझ) के अयाम और ऄंतसंबंध  मानव के व्यवहार अयाम (समझ और शववेक) और ऄंतसंबंध  मानव परम्परा में व्यवसाय-व्यवस्था अयाम (समझ और शवज्ञान) और ऄंतसंबंध
  • 38.
  • 39.
  • 40.
  • 41.
  • 45. ऄशधगम क्षेत्र -1 संपूणश शिक्षा वस्तु के शवशभन्न मुद्दों, क्षेत्रों और अयामों को समझना, सीखना, करना (ऄशधगम) के अधार पर वगीकृत है। मानव में कमश मानशसक, वाशिक, काशयक होते हैं और आन्द्हें करने की शवशध कृ त (करना), काररत (कराना), ऄनुमोदन (सहमत) होना, आस प्रकार नौ प्रकार से कमश होते हैं।
  • 46.
  • 47. शिक्षा-संस्कार अयाम और मानव जीने के अयाम में संबंध 1. जीने के अयाम, समझने की कक्रया और समझने के क्षेत्र 2. ऄध्ययन वस्तु, ऄध्ययन शवशध, शिक्षण शवशध, शिक्षा की ईपलशब्ध 3. पररपूणशता के शलए ऄभ्यास, मानव में स्पष्टता और शिक्षा प्रयोजन 4. मानव में पााँि स्तरों पर जीने के कायशक्रम और शिक्षा का प्रयोजन 5. मानव में, से, के शलए ऄध्ययन-शिक्षण-प्रशिक्षण के शलए शिक्षा त्य 6. िारों अयामों एवं पााँिों शस्थशतयों की एकसूत्रता एवं समन्द्वयता ही ऄभ्युदय 7. मानव के जीने के िार अयामों में शिक्षा की सम्पूणश वस्तु का ऄंतसंबंध 8. मानव में समग्र शिक्षा-संस्कार अयाम और शिक्षा-वस्तु का संबंध व वगीकरण 9. ऄशधगम (समझना-सीखना-करना) और ऄशधगम क्षेत्र 10. प्रिशलत शिक्षा में ऄशधगम (समझना-सीखना-करना) और ऄशधगम क्षेत्र
  • 48.
  • 49.
  • 50.
  • 51. Is NEPaddressing content or structure? (2-CE) नइ शिक्षा नीशत शिक्षा वस्तु को प्रस्तुत करती है? या शिक्षा देने की प्रकक्रया (संरिना) को या दोनों को?
  • 52. structural changes and education content change (3-CE) 1. शिक्षा में संरिनात्मक करने का क्या ऄथश है? 2. शिक्षा वस्तु में पररवतशन करने का क्या ऄथश है?
  • 53. structural changes and education content change badesd on Madhyasth Darshan Sah-astitvvaad (3-MD) मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद पर अधाररत 1. शिक्षा में संरिनात्मक करने का क्या ऄथश है? 2. शिक्षा वस्तु में पररवतशन करने का क्या ऄथश है?
  • 54. Education badesd on Madhyasth Darshan sah-astitvvaad (4-MD) मध्यस्थ दिशन सह ऄशस्तत्ववाद िेतना शवकास मूलय शिक्षा और तकनीकी के संयुक्त रूप में "समग्र शिक्षा वस्तु" (integral education content) की बात करता है, ईसको deliver करने के शलए क्या structure अवश्यक ऄथवा सहयोगी है?
  • 55. Logic: the study of valid inference.  Formal Logic: the study of systems of valid inference.  Metalogic: the study of valid inference about systems of valid inference.  Applied Logic: the application of logic to special arenas of inference SetTheory: the study of sets and the most basic operations on them.  Extension.  Empty set.  Separation  Pairing  Power Set.  Union.  Infinity.  Well-Ordering. Algebra: the study of operations on sets of numbers and symbols representing them.  Arithmetic.  Number Theory. Geometry: the study of transformations of sets of points in space.  Euclidean Geometry.  Non-Euclidean Geometry.  Topology: Analysis: the study of infinite processes as they approach limits.  Differential Calculus.  Integral Calculus.  Vector Analysis. Combinatorics: the study of selection and arrangement within finite sets. Applied Mathematics: the study of the sampling or processing of information.  Information Theory. Statistics: the study of the samples and their representativeness.  Optimization Theory:  Computer Science. For examlpe: Mathematics