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गंगा
अध्यापिका महोदया ,
क्या आि हमें गंगा नदी
के बारे में कुछ बता
सकती हैं?
क्या जानना चाहते हो
तुम? अिने सवाल िूछो ।
गंगा का उद्गम स्थल
कहााँ िर है ?
ध्यान से सुनना बच्चों।
उद्गम स्थल
गंगा नदी ककन-ककन
राज्यों से बहती है?
गंगा................
गंगा ककन-ककन राज्यों से
बहती है?
1. गंगा अिने पिता पहमालय से जहााँ उतरती है, उस
िपवत्र तीथथस्थल को हम हररद्वार कहते हैं।
2॰ हररद्वार (उत्तराखंड) से लगभग 800 ककलोमीटर की यात्रा कर
गंगा गढ़मुक्तेश्वर , सोरों, फर्रथखाबाद, कन्नौज, पबठूर, कानिुर से बहती हुई
इलाहाबाद यापन प्रयाग िहुाँचती है जहााँ इसका संगम यमुना से होता है।
1. इसके बाद पहन्दु धमथ की प्रमुख मोक्षदापयनी नगरी काशी (वाराणसी) में गंगा
एक वक्र लेती है, पजससे यह यहााँ कहलाती है।
2. यहााँ से मीरजािुर, िटना, भागलिुर होते हुए िाकुर िहुाँचती है। इस बीच इसमें
बहुत-सी सहायक नकदयााँ, जैसे
3. िपिम बंगाल मे गंगा दो शाखाओं मे पवभापजत हो जाती है- भागीरथी और
िद्मा।
4. यहााँ से गंगा दपक्षण की और बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है जहााँ से उसका
डेलटाई भाग शुरू हो जाता है। यह कहलता है।
क्या गंगा में कोई
प्राणी है?
हााँ................
गंगा में बस्ता जीवन
•गंगा में लगभग 140 जलीय प्रजापतयााँ रहती हैं।
•गंगाई डॉपफ़िन और गंगाई घपियाल जैसी दुलथभ प्रजापतयों ने भी मााँ गंगा
की शरण ली है।
•ककन्तु औद्योपगक कारणों से गंगा तो प्रदूपित हो ही रही है अपितु उसमे
वास कर रही पवपभन्न प्रजापतयों के अपस्तत्व िर भरी संकट मंडरा रहा है।
•इसके अपतररक्त गंगा के तट के समीि खेती होने के कारण भी गंगा में
प्रदूिण फै लता है क्योंकक खेती में प्रयोग ककए गए कीटनाशक िानी के ज़ररए
िास की नकदयों में चले जाते हैं पजसके कारण नदी में एपसड की मात्र अपधक हो
जाती है।
•िूरी गंगा में गंगाई डॉपफ़िन की आबादी 1982 में छह हज़ार थी जो
2005 में घटकर केवल दो हज़ार हो गई।
•गंगाई डॉपफ़िन को भारत सरकार द्वारा 2009 में राष्ट्रीय मछ्ली घोपित कर
कदया गया था पजसके बाद WWF नामक अंतराथष्ट्रीय संस्था ने भारत सरकार के
ियाथवरण और वन मंतरलया के साथ पमलकर गंगई डॉपफ़िन एक्शन प्लान
•2010-2020 की कायथ योजना में लग गयी।
•इसके साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता से WWF द्वारा हपस्तनािुर
अभ्यारणय में गंगा नदी के समीि वाले इलाके में 550 गंगाई घाररयलों को
लाया गया।
•मानवीय कायों द्वारा आज गंगा और गंगा में रहने वाले जीवों के प्राण संकट में
हैं और हमें इन्हें बचाने के पनरंतर प्रयास करने चापहए।
गंगाई डॉपफ़िन और घपियाल
गंगा को पहन्दु इतना िपवत्र क्यों
मानते हैं?उससे संबंपधत िौरापणक
कथाओं के बारे मेाँ हम जानने हेतु
तत्िर हैं।
तो सुनो बच्चों......
वेदों, िुराणों, और रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रन्थों में गंगा का बार-बार उफ़लेख हुआ है।
आइए हम इसके बारे में िढ़ते हैं।
गंगा और राजा बली
•इन्र की देवलोक में िुनः स्थािना हेतु पवष्णु भगवान ने वामन अवतार पलया। यह उनका िांचवा अवतार
था। वे ॠपि कश्यि तथा उनकी ित्नी अकदपत के िुत्र थे। वह आकदत्यों में बारहवें थे। ऐसी मान्यता है कक
वह इन्र के छोटे भाई थे।सभी राजाओं की भांपत बाली भी यज्ञ करवाता था और ब्राहमणों को मनवांपछत
चीज देता था।
•वामन राजा बाली के िास बौने के वेश में गए थे। उनके हाथों में लकिी का बना एक छाता था। उन्होने
राजा बली से तीन िैर पजतनी ज़मीन मांगी।शुक्राचायथ की चेतावनी के बावजूद राजा बाली ने वामन को
तीन िैर पजतनी भूपम देने का वचन दे कदया।
•इसके बाद वामन ने अिना आकार इतना बढ़ा पलया कक िहले कदम में उन्होने भूलोक और दूसरे कदम में
देवलोक को नाि पलया। तीसरे कदम के पलए कोई जगह बची नहीं इसपलए राजा बाली ने वामन को अिने
सर िर िााँव रखने को कहा।राजा बाली की वचनबद्धता से प्रसन्न होकर वामान(पवष्णु)जी ने उन्हे िाताल
लोक प्रदान ककया और उनके सर िर िैर रखा पजसके फलस्वरूि बाली िाताल में िहुाँच गए।
•दूसरे कदम में देवलोक नािने के ििात ब्रह्मदेव ने अिने कमंडल के जल से पवष्णु जी के वामानवतर के िैर
धोए पजससे गंगा की उत्िपत्त हुई।
गंगा बचिन में शरारत से भरी थी। ककन्तु वे गाना बहुत मधुर गाती थी। इसके साथ वह नृत्य भी
बहुत अच्छा करती थी। देवता उनका संगीत सुनने और उनका नृत्य देखने आते थे।
एक कदन महर्िथ दुवाथसा भी उनका संगीत सुनने और नृत्य देखने आए। जैसे ही उनका नृत्य खत्म
हुआ, एक तेज़ हवा के झोंके से महर्िथ दुवाथसा के वस्त्र उि गए। सभी देवताओं ने महर्िथ के क्रोध
को जानते हुए अिना मुंह मोड पलया ककन्तु गंगा ज़ोर से हंस ििी।
महर्िथ ने क्रोधवश उन्हे श्राि कदया कक वे सदैव धरती िर जाकर बहेंगी।ककन्तु गंगा के क्षमा मांगने
िर उन्होने उन्हे वरदान कदया कक वह धरती की सबसे शुद्ध नदी होगी और जो भी उनमे डुबकी
लगाएगा, उसके सारे िाि धुल जाएाँगे
महर्िथ दुवाथसा का श्राि
महाराज सागर और भागीरथ
महाराजा सागर ने अिनी श्रेष्ठता को प्रदर्शथत करने हेतु अश्वमेघ यज्ञ करने का फै सला ककया। उनके इस पनणथय से
इन्र यज्ञ के दुष्िररणामों से भयभीत हो गए। इसके बाद उन्होने उनके घोिे को चुरा पलया और उसे ऋपि कपिल
के आश्रम में बांध कदया पजसके फलस्वरूि राजा सागर ने अिने ६०००० िुत्रों को घोिे की खोज में भेज कदया।
उनहोने घोिे को ऋपि कपिल के आश्रम में ढूंढ पलया और सोचा की ऋपि कपिल ने ही उनके घोिे को चुराया है।
वे ऋपि कपिल िर प्रहार करने ही वाले थे कक उनकी आाँखें खुल गयी और राजा सागर के सारे िुत्र भस्म हो गए।
मृत्यु के बाद की रस्में िूरी होने से िहली ही वे सब भस्म बन गए । अतः वे भूत के रूि में भटकते रहे।
उनकी मुपक्त के पलए राजा सागर के िौत्र भागीरथ ने कठोर तिस्या कर ब्रह्मदेव को प्रसन्न ककया और गंगा को
धरती िर लाने का आग्रह ककया ककन्तु गंगा ने स्वगथ छोिकर जाने से मना कर कदया और यह चेतावनी भी दी की
वे अिने प्रवाह से धरती िर जीवन का पवनाश कर देगी।
इसके बाद भागीरथ ने पशवजी को प्रसन्न ककया और उनसे गंगा के प्रवाह को पनयंपत्रत करने का आग्रह ककया।
पशव जी ने अिने केश को फै लाकर िूरे आकाश को धक पलया और जब गंगा स्वगथ से नीचे उतरी तो उन्होने गंगा
को अिनी जटाओं में बंद कर पलया और धीरे-धीरे उन्हे महाराज सागर के 6000 बेटों की आपस्तयों िर बहा
कदया पजसके फलस्वरूि उन्हे मुपक्त पमल गई।
गंगा को हम और ककन –ककन नामों
से जानते हैं?
गंगा को हम कई नामों से
जानते हैं । जैसे:-
गंगा के पवपभन्न नाम
गंगा पभन्न-पभन्न नामों से जानी जाती है
नाम अथाथत
जाहन्वी महर्िथ जनु की िुत्री
भागीरथी- क्योंकक भागीरथ उन्हे धरती िर लाए थे।
पवष्णु िदब्ज-समभूता भगवान पवष्णु (के वामनावतर) के चरणों से उत्िन्न
हुई।
हर-वफ़लभ- हर(पशव जी) को पप्रय
पहमकलेंर-तनया िवथतों के राजा पहमालय की िुत्री
सगरात्मजा-ताररका महाराज सागर के 60000 िुत्रों को मोक्ष देने वाली
सुघोि मधुर गीत गाने वाली
पत्रपवकमाथ-िदोद्धत भगवान पवष्णु के चरणों से पगरने वाली
पत्रलोक-िथ-गापमनी तीनों लोकों से बहने वाली
पत्रलोकन-जटा-वापसनी पशवजी की जटाओं में बहने वाली
अव्यय पजसका पवनाश न हो सके
सापवत्री प्रेररत करने वाली
श्रीमती सुंदर, शुभ, एवं शानदार
धावलंबर पजसके िास सिे द चमकते हुए वस्त्र हैं
अमृतकरा-सपलला पजसका जाल अमृत के समान है।
शंख-दुंदुपभ-पनस्वान शंख के समान ध्वपन करने वाली
क्या आि हमें उस िर पस्थत
तीथथस्थलों के बारे मेाँ कुछ बता
सकती हैं?
ज़रूर..........
गंगा के िास पस्थत तीथथस्थल
काशी पवश्वनाथ मंकदर
काशी पवश्वनाथ मंकदर को हम स्वणथ मंकदर भी कहते हैं।
इंदौर की रानी अपहफ़याबाई ने गंगा के ककनारे सन् 1780
में इसका पनमाथण करवाया था।
इस मंकदर के कारण वाराणसी पहन्दुओं के पलए धार्मथक
रूि से बहुत महत्त्व्िूणथ स्थान है क्योंकक यहााँ पवश्वनाथ
ज्योपतर्लिंग प्रपतष्ठापित है। एसी मान्यता है की पवश्वनाथ
ज्योपतर्लिंग का मात्र एक दशथन सभी अन्य ज्योपतर्लिंगों के
दशथन के बराबर है।
गंगा के िास पस्थत तीथथस्थल
दुगाथ मंकदर
दुगाथ मंकदर का पनमाथण 18 वी सदी में हुआ था।
िौरापणक कथा के अनुसार दुगाथ मंकदर में स्थापित मााँ दुगाथ
की मूर्तथ ककसी मानव द्वारा पनर्मथत नहीं है बपफ़क स्वयं ही
मंकदर में प्रकट हुई थी।
हर साल नवरापत्र और अन्य शुभकारी त्योहारों िर
हजारों की संख्या में श्रद्धालू यहााँ आते हैं और मााँ दुगाथ के
रूि के दशथन करके जाते हैं।
गंगा के िास पस्थत तीथथस्थल
दुगाथ मंकदर
दुगाथ मंकदर में आयत के आकार का तैलाब है पजसे हम
दुगाथ कुंड कहते हैं।
हर विथ नाग-िंचमी वाले कदन शेि नाग िर लेते भगवान
पवष्णु की मूर्तथ का िुन: पनमाथण आरंभ हो जाता है।
क्या गंगा नदी िर कोई बांध है ?
हााँ। रटहरी बांध है .......
रटहरी बांध
•रटहरी बााँध टेहरी पवकास िररयोजना का एक प्राथपमक बााँध है
जो उत्तराखण्ड राज्य के रटहरी में पस्थत है।
•यह बााँध गंगा नदी की प्रमुख सहयोगी नदी भागीरथी िर बनाया गया है।
• रटहरी बााँध की ऊाँ चाई २६१ मीटर है जो इसे पवश्व का िााँचवा सबसे ऊाँ चा बााँध
बनाती है।
•इस बााँध से २४०० मेगा वाट पवद्युत उत्िादन, २७०,००० हेक्टर क्षेत्र की ससंचाई
और प्रपतकदन १०२.२० करोि लीटर िेयजल कदफ़ली, उत्तर प्रदेश एवाँ उत्तराखण्ड
को उिलब्ध कराना प्रस्तापवत है।
पनमाथण पतपथ - 1978
उद्घाटन पतपथ - 2006
पनमाथण का खचथ - 1पबपलयन अमेररकी डॉलर
मापलक - रटहरी जल पवकासपनगम
नदी - भागीरथी नदी
लंबाई - 260.5 मीटर (855 फीट)
चौिाई (पशखा) - 20 मीटर (66 फु ट)
चौिाई (आधार) - 1,128 मीटर (3,701 फु ट)
अपधिफ़व मागथ क्षमता - 15,540 एम 3 / एस (549000 घन फीट / एस)
कु ल क्षमता - 2.6 km3 (2,100,000 फु ट. एकि ·)
सतह क्षेत्र - 52 km2 (20 मील. वगथ. )
स्थापित क्षमता - - 1000 एम.वी.
रटहरी बांध
ओह! पजन्हे हम मााँ
गंगा कहते हैं, उनकी
यह दुदथशा!!!
कैसे? कब ? कहााँ?
हमने गंगा के प्रदूपित होने के बारे मे बहुत
सुना है ककन्तु उसके बारे में कुछ ज्ञात
नहीं। क्या आि हमें यह बता सकती हैं कक
गंगा कहााँ-कहााँ प्रदूपित होती है?
प्रदूिण.........
गंगा में प्रदूिण
उद्योगों के कारण
धार्मथक प्रकक्रयाओं
के कारण
उद्योगों के कारण
•पहमालयों से पनकलने के बाद जैसे-जैसे गंगा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,
झारखंड, पबहार और िपिम बंगाल से बहती है, उसमे प्रदूिण भी बढ़ता
जाता है।
•गंगा के समीि कई उद्योगों का पनमाथण हुआ है पजससे पनकलने वाले कूिे-
ककथट को गंगा में ही छोि कदया जाता है। इससे मााँ गंगा में प्रदूिण बढ़ता
जा रहा है।इस के कारण आज गंगा पवश्व की दस सबसे ज़्यादा प्रदूपित
नकदयों में से एक हो गई है।
•वैकपफ़िक जल – ऊजाथ केंर, IIT, के प्रमुख प्रोफे सर अर्रण कुमार के अनुसार गंगा
नदी का लगभग 20 प्रपतशत प्रदूिण उद्योग-कारखानों के कारण है।
• प्रदूिण –पनयंत्रण पनयमों के उफ़लंघन के कारण 154 में से 38 कारखानों को बंद
भी ककया गया है।
• गंगा के तट के िास बने चरम शोधनफ़य (चमिी के खरखाने) रासायपनक
कारखाने, कििो की पमल, चीनी की पमल, मद्यशाला(शराब बनाने के स्थान) आकद
द्वारा अनुिचररत कचिा और कूिा गंगा में दाल कदया जाता है जो न केवल नदी को
दूपित करता है अपितु मानव स्वस््य के पलए भी अत्यंत हापनकारक होते हैं।
•गंगा के िास कई चमिे के कारखाने हैं पजनमे से पनकालने वाली कई चीजें गंगा
में फें क दी जाती है जैसे कोयले का काला िानी, अनेक प्रकार के तेल,रंग
फोरमलदहयद नामक जहरीले िदाथथ भी गंगा में छोि कदए जाते हैं पजसके
कारण गंगा में एपसड की मात्रा बि चुकी है।
•ककन्तु गंगाजल में प्रकृपतक रूि से जीवाणुनाशक, स्वस््य को बढावा देने वाले
और कभी न सिने वाले तत्व होते हैं।
•इसी कारण से इसमे इतना प्रदूिण होने के बावजूद भी इसका िानी
कोलेरा,टाइिाइड, और अन्य बीमारी फै लाने वाले जीवाणुओं से रपहत है।
धार्मथक प्रकक्रयाओं के कारण
•मााँ दुगाथ की िूजा के बाद गंगा नदी में उनकी मूर्तथ का पवसजथन,ककसी की
मृत्यु के बाद उसकी आपस्तयां या उसके मृत शरीर को गंगा में बहाना या
कफर हवन या िूजा के बाद अवशेिों को गंगा में बहाने की प्रकक्रयाओं के
कारण भी गंगा में प्रदूिण बढ़ता जा रहा है।
• हर साल कोलकाता, िटना और गंगा के तट िर बसे अन्य शहरों से
हजारों मूर्तथयााँ पवसर्जथत होती है।
•
•इसके साथ-साथ वाराणसी, हररद्वार और अन्य जगहों में होने वाली गंगा
िूजा के कारण भी गंगा प्रदूपशत होती है। गंगा आरती के बाद सभी अवशेिों
को गंगा में ही बहा कदया जाता है । इनमे से कई चीजें एसी होती हैं जो
स्वाभापवक रूि सरणशील नहीं होती।
•एसा करने से न केवल मनुष्यों को अपितु गंगा मे वास कर रहे प्रापणयों के
अपस्तत्व िर भी भारी खतरा मंडरा रहा है।
हमारी भारत सरकार ने गंगा को बचाने
के पलए क्या कदम उठाए हैं?
गंगा कायथ योजना......
गंगा-कायथ योजना
गंगा-कायथ योजना भारत के िूवथ प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी द्वारा 14
जनवरी,1986 में लागू की गई थी। इसका प्रमुख लक्ष्य था- गंगा में बिते जा रहे
प्रदूिण के अंतरावरोधन, व्यािवतथन और घरेलू सीवेज के उिचार के जररए गंगा
में बिता जा रहा प्रदूिण कम करना।
इसके िीछे एक और इरादा था कक गंगा में प्रदूिण कम होने से उसमे वास कर रहे
जलीय प्रापणयों को बचाया जा सके।
नकदयों के प्रपत हमारे
क्या दापयत्व हैं।
नकदयों के प्रपत हमें अिने कतथव्यों का
स्मरण रखना चापहए।
हमारा दापयत्व बनता है कक
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धन्यवाद

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Himalaya ki betiyan
 
Anandpur Sahib (Hindi)
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Godess ganga

  • 2. अध्यापिका महोदया , क्या आि हमें गंगा नदी के बारे में कुछ बता सकती हैं? क्या जानना चाहते हो तुम? अिने सवाल िूछो । गंगा का उद्गम स्थल कहााँ िर है ? ध्यान से सुनना बच्चों।
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  • 5. गंगा नदी ककन-ककन राज्यों से बहती है? गंगा................
  • 6. गंगा ककन-ककन राज्यों से बहती है? 1. गंगा अिने पिता पहमालय से जहााँ उतरती है, उस िपवत्र तीथथस्थल को हम हररद्वार कहते हैं। 2॰ हररद्वार (उत्तराखंड) से लगभग 800 ककलोमीटर की यात्रा कर गंगा गढ़मुक्तेश्वर , सोरों, फर्रथखाबाद, कन्नौज, पबठूर, कानिुर से बहती हुई इलाहाबाद यापन प्रयाग िहुाँचती है जहााँ इसका संगम यमुना से होता है।
  • 7. 1. इसके बाद पहन्दु धमथ की प्रमुख मोक्षदापयनी नगरी काशी (वाराणसी) में गंगा एक वक्र लेती है, पजससे यह यहााँ कहलाती है। 2. यहााँ से मीरजािुर, िटना, भागलिुर होते हुए िाकुर िहुाँचती है। इस बीच इसमें बहुत-सी सहायक नकदयााँ, जैसे 3. िपिम बंगाल मे गंगा दो शाखाओं मे पवभापजत हो जाती है- भागीरथी और िद्मा। 4. यहााँ से गंगा दपक्षण की और बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है जहााँ से उसका डेलटाई भाग शुरू हो जाता है। यह कहलता है।
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  • 9. क्या गंगा में कोई प्राणी है? हााँ................
  • 10. गंगा में बस्ता जीवन •गंगा में लगभग 140 जलीय प्रजापतयााँ रहती हैं। •गंगाई डॉपफ़िन और गंगाई घपियाल जैसी दुलथभ प्रजापतयों ने भी मााँ गंगा की शरण ली है। •ककन्तु औद्योपगक कारणों से गंगा तो प्रदूपित हो ही रही है अपितु उसमे वास कर रही पवपभन्न प्रजापतयों के अपस्तत्व िर भरी संकट मंडरा रहा है। •इसके अपतररक्त गंगा के तट के समीि खेती होने के कारण भी गंगा में
  • 11. प्रदूिण फै लता है क्योंकक खेती में प्रयोग ककए गए कीटनाशक िानी के ज़ररए िास की नकदयों में चले जाते हैं पजसके कारण नदी में एपसड की मात्र अपधक हो जाती है। •िूरी गंगा में गंगाई डॉपफ़िन की आबादी 1982 में छह हज़ार थी जो 2005 में घटकर केवल दो हज़ार हो गई। •गंगाई डॉपफ़िन को भारत सरकार द्वारा 2009 में राष्ट्रीय मछ्ली घोपित कर कदया गया था पजसके बाद WWF नामक अंतराथष्ट्रीय संस्था ने भारत सरकार के ियाथवरण और वन मंतरलया के साथ पमलकर गंगई डॉपफ़िन एक्शन प्लान •2010-2020 की कायथ योजना में लग गयी।
  • 12. •इसके साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता से WWF द्वारा हपस्तनािुर अभ्यारणय में गंगा नदी के समीि वाले इलाके में 550 गंगाई घाररयलों को लाया गया। •मानवीय कायों द्वारा आज गंगा और गंगा में रहने वाले जीवों के प्राण संकट में हैं और हमें इन्हें बचाने के पनरंतर प्रयास करने चापहए।
  • 14. गंगा को पहन्दु इतना िपवत्र क्यों मानते हैं?उससे संबंपधत िौरापणक कथाओं के बारे मेाँ हम जानने हेतु तत्िर हैं। तो सुनो बच्चों......
  • 15. वेदों, िुराणों, और रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रन्थों में गंगा का बार-बार उफ़लेख हुआ है। आइए हम इसके बारे में िढ़ते हैं। गंगा और राजा बली
  • 16. •इन्र की देवलोक में िुनः स्थािना हेतु पवष्णु भगवान ने वामन अवतार पलया। यह उनका िांचवा अवतार था। वे ॠपि कश्यि तथा उनकी ित्नी अकदपत के िुत्र थे। वह आकदत्यों में बारहवें थे। ऐसी मान्यता है कक वह इन्र के छोटे भाई थे।सभी राजाओं की भांपत बाली भी यज्ञ करवाता था और ब्राहमणों को मनवांपछत चीज देता था। •वामन राजा बाली के िास बौने के वेश में गए थे। उनके हाथों में लकिी का बना एक छाता था। उन्होने राजा बली से तीन िैर पजतनी ज़मीन मांगी।शुक्राचायथ की चेतावनी के बावजूद राजा बाली ने वामन को तीन िैर पजतनी भूपम देने का वचन दे कदया। •इसके बाद वामन ने अिना आकार इतना बढ़ा पलया कक िहले कदम में उन्होने भूलोक और दूसरे कदम में देवलोक को नाि पलया। तीसरे कदम के पलए कोई जगह बची नहीं इसपलए राजा बाली ने वामन को अिने सर िर िााँव रखने को कहा।राजा बाली की वचनबद्धता से प्रसन्न होकर वामान(पवष्णु)जी ने उन्हे िाताल लोक प्रदान ककया और उनके सर िर िैर रखा पजसके फलस्वरूि बाली िाताल में िहुाँच गए। •दूसरे कदम में देवलोक नािने के ििात ब्रह्मदेव ने अिने कमंडल के जल से पवष्णु जी के वामानवतर के िैर धोए पजससे गंगा की उत्िपत्त हुई।
  • 17. गंगा बचिन में शरारत से भरी थी। ककन्तु वे गाना बहुत मधुर गाती थी। इसके साथ वह नृत्य भी बहुत अच्छा करती थी। देवता उनका संगीत सुनने और उनका नृत्य देखने आते थे। एक कदन महर्िथ दुवाथसा भी उनका संगीत सुनने और नृत्य देखने आए। जैसे ही उनका नृत्य खत्म हुआ, एक तेज़ हवा के झोंके से महर्िथ दुवाथसा के वस्त्र उि गए। सभी देवताओं ने महर्िथ के क्रोध को जानते हुए अिना मुंह मोड पलया ककन्तु गंगा ज़ोर से हंस ििी। महर्िथ ने क्रोधवश उन्हे श्राि कदया कक वे सदैव धरती िर जाकर बहेंगी।ककन्तु गंगा के क्षमा मांगने िर उन्होने उन्हे वरदान कदया कक वह धरती की सबसे शुद्ध नदी होगी और जो भी उनमे डुबकी लगाएगा, उसके सारे िाि धुल जाएाँगे महर्िथ दुवाथसा का श्राि
  • 18. महाराज सागर और भागीरथ महाराजा सागर ने अिनी श्रेष्ठता को प्रदर्शथत करने हेतु अश्वमेघ यज्ञ करने का फै सला ककया। उनके इस पनणथय से इन्र यज्ञ के दुष्िररणामों से भयभीत हो गए। इसके बाद उन्होने उनके घोिे को चुरा पलया और उसे ऋपि कपिल के आश्रम में बांध कदया पजसके फलस्वरूि राजा सागर ने अिने ६०००० िुत्रों को घोिे की खोज में भेज कदया। उनहोने घोिे को ऋपि कपिल के आश्रम में ढूंढ पलया और सोचा की ऋपि कपिल ने ही उनके घोिे को चुराया है। वे ऋपि कपिल िर प्रहार करने ही वाले थे कक उनकी आाँखें खुल गयी और राजा सागर के सारे िुत्र भस्म हो गए। मृत्यु के बाद की रस्में िूरी होने से िहली ही वे सब भस्म बन गए । अतः वे भूत के रूि में भटकते रहे। उनकी मुपक्त के पलए राजा सागर के िौत्र भागीरथ ने कठोर तिस्या कर ब्रह्मदेव को प्रसन्न ककया और गंगा को धरती िर लाने का आग्रह ककया ककन्तु गंगा ने स्वगथ छोिकर जाने से मना कर कदया और यह चेतावनी भी दी की वे अिने प्रवाह से धरती िर जीवन का पवनाश कर देगी।
  • 19. इसके बाद भागीरथ ने पशवजी को प्रसन्न ककया और उनसे गंगा के प्रवाह को पनयंपत्रत करने का आग्रह ककया। पशव जी ने अिने केश को फै लाकर िूरे आकाश को धक पलया और जब गंगा स्वगथ से नीचे उतरी तो उन्होने गंगा को अिनी जटाओं में बंद कर पलया और धीरे-धीरे उन्हे महाराज सागर के 6000 बेटों की आपस्तयों िर बहा कदया पजसके फलस्वरूि उन्हे मुपक्त पमल गई।
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  • 22. गंगा को हम और ककन –ककन नामों से जानते हैं? गंगा को हम कई नामों से जानते हैं । जैसे:-
  • 23. गंगा के पवपभन्न नाम गंगा पभन्न-पभन्न नामों से जानी जाती है नाम अथाथत जाहन्वी महर्िथ जनु की िुत्री भागीरथी- क्योंकक भागीरथ उन्हे धरती िर लाए थे। पवष्णु िदब्ज-समभूता भगवान पवष्णु (के वामनावतर) के चरणों से उत्िन्न हुई। हर-वफ़लभ- हर(पशव जी) को पप्रय पहमकलेंर-तनया िवथतों के राजा पहमालय की िुत्री सगरात्मजा-ताररका महाराज सागर के 60000 िुत्रों को मोक्ष देने वाली सुघोि मधुर गीत गाने वाली पत्रपवकमाथ-िदोद्धत भगवान पवष्णु के चरणों से पगरने वाली
  • 24. पत्रलोक-िथ-गापमनी तीनों लोकों से बहने वाली पत्रलोकन-जटा-वापसनी पशवजी की जटाओं में बहने वाली अव्यय पजसका पवनाश न हो सके सापवत्री प्रेररत करने वाली श्रीमती सुंदर, शुभ, एवं शानदार धावलंबर पजसके िास सिे द चमकते हुए वस्त्र हैं अमृतकरा-सपलला पजसका जाल अमृत के समान है। शंख-दुंदुपभ-पनस्वान शंख के समान ध्वपन करने वाली
  • 25. क्या आि हमें उस िर पस्थत तीथथस्थलों के बारे मेाँ कुछ बता सकती हैं? ज़रूर..........
  • 26. गंगा के िास पस्थत तीथथस्थल काशी पवश्वनाथ मंकदर काशी पवश्वनाथ मंकदर को हम स्वणथ मंकदर भी कहते हैं। इंदौर की रानी अपहफ़याबाई ने गंगा के ककनारे सन् 1780 में इसका पनमाथण करवाया था। इस मंकदर के कारण वाराणसी पहन्दुओं के पलए धार्मथक रूि से बहुत महत्त्व्िूणथ स्थान है क्योंकक यहााँ पवश्वनाथ ज्योपतर्लिंग प्रपतष्ठापित है। एसी मान्यता है की पवश्वनाथ ज्योपतर्लिंग का मात्र एक दशथन सभी अन्य ज्योपतर्लिंगों के दशथन के बराबर है।
  • 27. गंगा के िास पस्थत तीथथस्थल दुगाथ मंकदर दुगाथ मंकदर का पनमाथण 18 वी सदी में हुआ था। िौरापणक कथा के अनुसार दुगाथ मंकदर में स्थापित मााँ दुगाथ की मूर्तथ ककसी मानव द्वारा पनर्मथत नहीं है बपफ़क स्वयं ही मंकदर में प्रकट हुई थी। हर साल नवरापत्र और अन्य शुभकारी त्योहारों िर हजारों की संख्या में श्रद्धालू यहााँ आते हैं और मााँ दुगाथ के रूि के दशथन करके जाते हैं।
  • 28. गंगा के िास पस्थत तीथथस्थल दुगाथ मंकदर दुगाथ मंकदर में आयत के आकार का तैलाब है पजसे हम दुगाथ कुंड कहते हैं। हर विथ नाग-िंचमी वाले कदन शेि नाग िर लेते भगवान पवष्णु की मूर्तथ का िुन: पनमाथण आरंभ हो जाता है।
  • 29. क्या गंगा नदी िर कोई बांध है ? हााँ। रटहरी बांध है .......
  • 30. रटहरी बांध •रटहरी बााँध टेहरी पवकास िररयोजना का एक प्राथपमक बााँध है जो उत्तराखण्ड राज्य के रटहरी में पस्थत है। •यह बााँध गंगा नदी की प्रमुख सहयोगी नदी भागीरथी िर बनाया गया है। • रटहरी बााँध की ऊाँ चाई २६१ मीटर है जो इसे पवश्व का िााँचवा सबसे ऊाँ चा बााँध बनाती है। •इस बााँध से २४०० मेगा वाट पवद्युत उत्िादन, २७०,००० हेक्टर क्षेत्र की ससंचाई और प्रपतकदन १०२.२० करोि लीटर िेयजल कदफ़ली, उत्तर प्रदेश एवाँ उत्तराखण्ड को उिलब्ध कराना प्रस्तापवत है।
  • 31. पनमाथण पतपथ - 1978 उद्घाटन पतपथ - 2006 पनमाथण का खचथ - 1पबपलयन अमेररकी डॉलर मापलक - रटहरी जल पवकासपनगम नदी - भागीरथी नदी लंबाई - 260.5 मीटर (855 फीट) चौिाई (पशखा) - 20 मीटर (66 फु ट) चौिाई (आधार) - 1,128 मीटर (3,701 फु ट) अपधिफ़व मागथ क्षमता - 15,540 एम 3 / एस (549000 घन फीट / एस) कु ल क्षमता - 2.6 km3 (2,100,000 फु ट. एकि ·) सतह क्षेत्र - 52 km2 (20 मील. वगथ. ) स्थापित क्षमता - - 1000 एम.वी. रटहरी बांध
  • 32. ओह! पजन्हे हम मााँ गंगा कहते हैं, उनकी यह दुदथशा!!! कैसे? कब ? कहााँ?
  • 33. हमने गंगा के प्रदूपित होने के बारे मे बहुत सुना है ककन्तु उसके बारे में कुछ ज्ञात नहीं। क्या आि हमें यह बता सकती हैं कक गंगा कहााँ-कहााँ प्रदूपित होती है? प्रदूिण.........
  • 34.
  • 35. गंगा में प्रदूिण उद्योगों के कारण धार्मथक प्रकक्रयाओं के कारण
  • 36. उद्योगों के कारण •पहमालयों से पनकलने के बाद जैसे-जैसे गंगा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पबहार और िपिम बंगाल से बहती है, उसमे प्रदूिण भी बढ़ता जाता है। •गंगा के समीि कई उद्योगों का पनमाथण हुआ है पजससे पनकलने वाले कूिे- ककथट को गंगा में ही छोि कदया जाता है। इससे मााँ गंगा में प्रदूिण बढ़ता जा रहा है।इस के कारण आज गंगा पवश्व की दस सबसे ज़्यादा प्रदूपित नकदयों में से एक हो गई है।
  • 37. •वैकपफ़िक जल – ऊजाथ केंर, IIT, के प्रमुख प्रोफे सर अर्रण कुमार के अनुसार गंगा नदी का लगभग 20 प्रपतशत प्रदूिण उद्योग-कारखानों के कारण है। • प्रदूिण –पनयंत्रण पनयमों के उफ़लंघन के कारण 154 में से 38 कारखानों को बंद भी ककया गया है। • गंगा के तट के िास बने चरम शोधनफ़य (चमिी के खरखाने) रासायपनक कारखाने, कििो की पमल, चीनी की पमल, मद्यशाला(शराब बनाने के स्थान) आकद द्वारा अनुिचररत कचिा और कूिा गंगा में दाल कदया जाता है जो न केवल नदी को दूपित करता है अपितु मानव स्वस््य के पलए भी अत्यंत हापनकारक होते हैं। •गंगा के िास कई चमिे के कारखाने हैं पजनमे से पनकालने वाली कई चीजें गंगा में फें क दी जाती है जैसे कोयले का काला िानी, अनेक प्रकार के तेल,रंग फोरमलदहयद नामक जहरीले िदाथथ भी गंगा में छोि कदए जाते हैं पजसके कारण गंगा में एपसड की मात्रा बि चुकी है। •ककन्तु गंगाजल में प्रकृपतक रूि से जीवाणुनाशक, स्वस््य को बढावा देने वाले और कभी न सिने वाले तत्व होते हैं। •इसी कारण से इसमे इतना प्रदूिण होने के बावजूद भी इसका िानी कोलेरा,टाइिाइड, और अन्य बीमारी फै लाने वाले जीवाणुओं से रपहत है।
  • 38. धार्मथक प्रकक्रयाओं के कारण •मााँ दुगाथ की िूजा के बाद गंगा नदी में उनकी मूर्तथ का पवसजथन,ककसी की मृत्यु के बाद उसकी आपस्तयां या उसके मृत शरीर को गंगा में बहाना या कफर हवन या िूजा के बाद अवशेिों को गंगा में बहाने की प्रकक्रयाओं के कारण भी गंगा में प्रदूिण बढ़ता जा रहा है। • हर साल कोलकाता, िटना और गंगा के तट िर बसे अन्य शहरों से हजारों मूर्तथयााँ पवसर्जथत होती है।
  • 39. • •इसके साथ-साथ वाराणसी, हररद्वार और अन्य जगहों में होने वाली गंगा िूजा के कारण भी गंगा प्रदूपशत होती है। गंगा आरती के बाद सभी अवशेिों को गंगा में ही बहा कदया जाता है । इनमे से कई चीजें एसी होती हैं जो स्वाभापवक रूि सरणशील नहीं होती। •एसा करने से न केवल मनुष्यों को अपितु गंगा मे वास कर रहे प्रापणयों के अपस्तत्व िर भी भारी खतरा मंडरा रहा है।
  • 40. हमारी भारत सरकार ने गंगा को बचाने के पलए क्या कदम उठाए हैं? गंगा कायथ योजना......
  • 41. गंगा-कायथ योजना गंगा-कायथ योजना भारत के िूवथ प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी द्वारा 14 जनवरी,1986 में लागू की गई थी। इसका प्रमुख लक्ष्य था- गंगा में बिते जा रहे प्रदूिण के अंतरावरोधन, व्यािवतथन और घरेलू सीवेज के उिचार के जररए गंगा में बिता जा रहा प्रदूिण कम करना। इसके िीछे एक और इरादा था कक गंगा में प्रदूिण कम होने से उसमे वास कर रहे जलीय प्रापणयों को बचाया जा सके।
  • 42. नकदयों के प्रपत हमारे क्या दापयत्व हैं। नकदयों के प्रपत हमें अिने कतथव्यों का स्मरण रखना चापहए।
  • 43. हमारा दापयत्व बनता है कक हम न केवल खुद अपितु उन लोगों को एसा करने से रोके।
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Editor's Notes