SlideShare a Scribd company logo
1 of 14
Download to read offline
पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  क हि न्दू चिंतन  चिं तन
2
पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  क्र्या ै  ?

पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  क अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। वन  र्याो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ग्र्या बन  र्याे रखने से है।  रखन े रखने से है।  से रखने से है।  ै । 

# लो जीवन योग्य बनाये रखने से है। गों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  ऐसे रखने से है।  जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। वन  जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। न  ै  त हिक # री को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  प्रकृ ति को किसी भी प्रकार की त को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  हिकसी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  प्रक र की 
हिन  न  ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। । 

अतः अपने आस अपन े रखने से है।  आस-प स पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  के रखने से है।  हिवभिभन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने  भ गों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  सुरति को किसी भी प्रकार की क्षत और स्वस्र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  रखन े रखने से है। 
के रखने से है।  क र्या को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  क सकते रखने से है।  ैं।
3
पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  के रखने से है।  प्रक र

भू चिंतन हि# सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  
जल सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन 

वन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  
वन्र्याजी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन
4
हि न्दू चिंतन  संस्कृ ति को किसी भी प्रकार की त एवं पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन 
पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  क हिववरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  हि न्दू चिंतन  ध# के रखने से है।  वे रखने से है। दों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , पुर ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन ों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , उपहिन षदों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , # क व्र्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की 
(र # र्याण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  और # भ रत) #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म प्र ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। न  क ल से रखने से है।  ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  दे रखने से है। खन े रखने से है।  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  हि#लत ैं।  हि न्दू चिंतन  ध#
#ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म प्रकृ ति को किसी भी प्रकार की त को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  #न ुष्र्या से रखने से है।  ऊपर रख गर्या ैं। 
गी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। त #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म लिलख ैं -
व सुदे रखने से है। व सव= ( ईश्वर सब जग ैं )
5
वन  सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन 

प्र ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। न  भ रती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र्या परंपर #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म वृक्षों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  ब ुत # त्व हिदर्या गर्या ै । 

ब ुत स रे रखने से है।  वृक्षों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  और पौधों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  पहिवत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं  अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व हिवशे रखने से है। ष दज भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  हिदर्या गर्या ैं , कु छ 
वृक्षों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  और पौधों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  भगव न  की  पू चिंतन ज के रखने से है।  स र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  जो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ड़ गर्या ैं।  उद्धरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  के रखने से है।  लिलए :
पी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। पल, अशो जीवन योग्य बनाये रखने से है। क, कल्पवृक्ष, क#ल, वटवृक्ष, तुलसी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। 

#न ुस्#ृति को किसी भी प्रकार की त के रखने से है।  अन ुस र, कई पौधे रखने से है।  और वृक्ष ऐसे रखने से है।  ैं जो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  खुशी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  और दद क अन ुभव
कर सकते रखने से है।  ैं। 

कौहिटल्र्या ( ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन क्र्या) के रखने से है।  अन ुस र, पे रखने से है। ड़ों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  र्या उसकी  श ख ओं को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  क टन  एक
अपर ध र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  और इसके रखने से है।  लिलए हिवभिभन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने  दंड उन्होंने निर्धारित किया था। उन् ों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की न े रखने से है।  हिन ध रिरत हिकर्या र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  ।
6
जल सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन 

भ रती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र्या हि न्दू चिंतन  परंपर एँ और संस्कृतियाँ हमारे तालाबों और नदियों की रक्षा करती  और संस्कृ ति को किसी भी प्रकार की तर्या ँ और संस्कृतियाँ हमारे तालाबों और नदियों की रक्षा करती  # रे रखने से है।  त ल बों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  और न हिदर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  की  रक्ष करती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। 
र ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  ैं। 

भ रत के रखने से है।  र क्षे रखने से है। त्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं  #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म न हिदर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  पहिवत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं  और कई न हिदर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  पू चिंतन जन ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र्या # न  गर्या ैं। 
जै से रखने से है। - उत्तर पू चिंतन व भ रत #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म गंग , पू चिंतन व #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म ब्रह्मपुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं , दति को किसी भी प्रकार की क्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म क वे रखने से है। री को जीवन योग्य बनाये रखने से है। , उत्तर #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म सिंसधु

अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ववे रखने से है। द के रखने से है।  अन ुस र जो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  न हिदर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , झी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। लों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , तल बों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  दू चिंतन हिषत करत ैं उसकी 
आलो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  न  ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। न ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  हि ए। 

तै त्तरी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र्या उपहिन षद् के अनुसार के रखने से है।  अन ुस र, प न ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म #ू चिंतन त्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं  और #ल न  ीं होना चाहिए ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। न  हि ए, प न ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म
न  ीं होना चाहिए र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ू चिंतन कन  हि ए और हिबन  वस्त्र के स्नान नहीं करना चाहिए।  के रखने से है।  स्न  न  न  ीं होना चाहिए करन  हि ए।
7
वन्र्याजी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन 

हि न्दू चिंतन  संस्कृ ति को किसी भी प्रकार की त के रखने से है।  अन ुस र सभी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व ईश्वर की  र न  ैं और सभी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  बर बर ैं। 

ब ुत स रे रखने से है।  हि न्दू चिंतन  दे रखने से है। वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। -दे रखने से है। वत क व न  पशु एवं पक्षी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ैं।  जै से रखने से है।  हिक शे रखने से है। र, ब घ,
र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। , #ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। र, बत्तख, उल्लू चिंतन , ू चिंतन  ।  इस तर के रखने से है।  जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। वों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  क दे रखने से है। वत ओं से रखने से है।  जुड़े रखने से है।  र न े रखने से है।  से रखने से है। 
अब तक इन क संरक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त र ैं। 

भगव न  के रखने से है।  अवत र भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  पशुओं से रखने से है।  संबद्ध ैं जै से रखने से है।  न ु# न  अवत र, #त्स्र्या अवत र,
कच्छ प अवत र तर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  न रसिंस अवत र आहिद। 

हिवष्ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन ु पुर ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  के रखने से है।  अन ुस र, भगव न  के रखने से है।  शव ऐसे रखने से है।  लो जीवन योग्य बनाये रखने से है। गों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  से रखने से है।  प्रसन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने  ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ते रखने से है।  ैं जो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  अन्र्या
प्र भिण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन र्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  न ुकस न  न  ीं होना चाहिए प ुँ और संस्कृतियाँ हमारे तालाबों और नदियों की रक्षा करती  त र्या न ष्ट नहीं करता है। न  ीं होना चाहिए करत ै । 

# भ रत #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म ग र्या की  तुलन  पुरे रखने से है।  संस र से रखने से है।  की  गर्याी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  ैं।
8
सिंसधु घ टी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  सभ्र्यात ( ड़प्प सभ्र्यात )
खुद ई के रखने से है।  दौर न  हि#ले रखने से है।  सिसक्कों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  पर
हिवभिभन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने  तर के रखने से है।  पशुओं व पति को किसी भी प्रकार की क्षर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की 
( र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। , बै ल, #ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। र, ब घ इत्र्या हिद )
की  आकृ ति को किसी भी प्रकार की त अंहिकत ैं। 
र्याे रखने से है।  पशुओं के रखने से है।  प्रति को किसी भी प्रकार की त उन की  दृहिष्ट नहीं करता है। के रखने से है।  ब रे रखने से है। 
#ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म दश ते रखने से है।  ैं।
9
सिंसधु घ टी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  सभ्र्यात ( ड़प्प सभ्र्यात )
पशुपति को किसी भी प्रकार की त की  सी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ल पर अंहिकत पशुओं
क ति को किसी भी प्रकार की  त्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं  र्या दश त ैं हिक उस स#र्या
भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  लो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ग जंगलों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म स#र्या बी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ते रखने से है।  ों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की गे रखने से है। ।
10
#त्सर्या पुर ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  (154:512)
दशकू चिंतन  पस# व पी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  दशव पी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। स#ो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  ह्रदः अपने आस । 
दशह्रदस#ः अपने आस पुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं ो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  दशपुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं स#ो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  द्रु#ः अपने आस ॥
अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। :
एक त ल ब दस कु ओं के रखने से है।  बर बर ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ै , एक जल शर्या दस त ल बों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  के रखने से है।  बर बर ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त
ै । 
एक बे रखने से है। ट दस जल शर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  के रखने से है।  बर बर ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ै , और एक पे रखने से है। ड़ दस बे रखने से है। टों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की  के रखने से है।  बर बर ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ै !
11
अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ववे रखने से है। द ( 12/1 )
# त भू चिंतन हि#: पुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। s ं पृभिर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व्र्या :। 
न #ो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  # त पृभिर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व्र्याै  न #ो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  # त पृभिर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व्र्याै । । 
अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। :
र्याे रखने से है।  धरती को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  # री को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  # त ै  और # इसके रखने से है।  पुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं  ै । धरती को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  # त # रे रखने से है।  जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। वन  के रखने से है।  अस्तिस्तत्व
क एक प्र#ुख आध र ै , # र पो जीवन योग्य बनाये रखने से है। षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  करती को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  ै ।
12
र्याजुवcद ( 32.12 )
शन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने ो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  दे रखने से है। वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। रभिभष्ट नहीं करता है।र्या आपो जीवन योग्य बनाये रखने से है।  भवन्तु पी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। तर्याे रखने से है। ।  शन्र्याो जीवन योग्य बनाये रखने से है। रभिभस्त्र के स्नान नहीं करना चाहिए। वन्तु न :
अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। :
ऋहिष शुद्ध जल के रखने से है।  प्रव हि त ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। न े रखने से है।  की  क #न  करत ै ।
13
स्रो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त

http://cbseacademic.nic.in/web_material/Circulars/2012/68_KTPI/Module_5.
pdf

https://academicjournals.org/journal/AJHC/article-full-text-pdf/615E7F24098
1

https://www.legalbites.in/environment-in-the-ancient-indian-medieval

Image Sources : Internet Search

Sanskrit Phrases : Internet Search mentioned with lesson and line.
14
न #स्क र
Connect me
Twitter : ambika_rss
Instagram : ambika_rss

More Related Content

What's hot

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त  प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
Dr A C V RAMAKUMAR CEO of Online Learning Platform www.thehindiacademy.com
 
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT} description ...
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT}   description ...Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT}   description ...
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT} description ...
KALPESH-JNV
 

What's hot (20)

Nepali autosuggestions to overcome negative thoughts
Nepali  autosuggestions to overcome negative thoughtsNepali  autosuggestions to overcome negative thoughts
Nepali autosuggestions to overcome negative thoughts
 
Pedagogical analysis source
Pedagogical analysis sourcePedagogical analysis source
Pedagogical analysis source
 
Pedagogical analysis
Pedagogical analysisPedagogical analysis
Pedagogical analysis
 
Gaban
GabanGaban
Gaban
 
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त  प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
 
Bloom december2020 hindi
Bloom december2020 hindiBloom december2020 hindi
Bloom december2020 hindi
 
MUNSHI PREMCHAND AND SHORT STORY
MUNSHI PREMCHAND AND SHORT STORYMUNSHI PREMCHAND AND SHORT STORY
MUNSHI PREMCHAND AND SHORT STORY
 
Fort Fortification Conservation Mission
Fort Fortification Conservation MissionFort Fortification Conservation Mission
Fort Fortification Conservation Mission
 
SIKKIM= Art integrated project in sanskrit
SIKKIM= Art integrated project in sanskritSIKKIM= Art integrated project in sanskrit
SIKKIM= Art integrated project in sanskrit
 
नगरीय भूगोल : अध्ययन के उपागम
नगरीय भूगोल : अध्ययन के उपागम नगरीय भूगोल : अध्ययन के उपागम
नगरीय भूगोल : अध्ययन के उपागम
 
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT} description ...
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT}   description ...Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT}   description ...
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT} description ...
 
क्या है लहसुन के फायदे
क्या है लहसुन के फायदे क्या है लहसुन के फायदे
क्या है लहसुन के फायदे
 
नगरीय भूगोल : अर्थ, प्रकृति और संकल्पना
नगरीय भूगोल : अर्थ, प्रकृति और संकल्पना नगरीय भूगोल : अर्थ, प्रकृति और संकल्पना
नगरीय भूगोल : अर्थ, प्रकृति और संकल्पना
 
Avian influenza General Awareness - Hindi
Avian influenza General Awareness - HindiAvian influenza General Awareness - Hindi
Avian influenza General Awareness - Hindi
 
Audhyogik pradooshan
Audhyogik pradooshanAudhyogik pradooshan
Audhyogik pradooshan
 
Peoples Biodiversity Register
Peoples Biodiversity Register Peoples Biodiversity Register
Peoples Biodiversity Register
 
Blog october2020
Blog october2020Blog october2020
Blog october2020
 
F14 Srikrishna Karnamrutham-Part-2
F14 Srikrishna Karnamrutham-Part-2F14 Srikrishna Karnamrutham-Part-2
F14 Srikrishna Karnamrutham-Part-2
 
Python Building Blocks
Python Building BlocksPython Building Blocks
Python Building Blocks
 
Data Types in Python
Data Types in PythonData Types in Python
Data Types in Python
 

Environment Conservation and Hindu Culture

  • 1. पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन क हि न्दू चिंतन चिं तन
  • 2. 2 पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन क्र्या ै ?  पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन क अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। को जीवन योग्य बनाये रखने से है। जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। वन र्याो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ग्र्या बन र्याे रखने से है। रखन े रखने से है। से रखने से है। ै ।  # लो जीवन योग्य बनाये रखने से है। गों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ऐसे रखने से है। जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। वन जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। न ै त हिक # री को जीवन योग्य बनाये रखने से है। प्रकृ ति को किसी भी प्रकार की त को जीवन योग्य बनाये रखने से है। हिकसी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। प्रक र की हिन न ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ।  अतः अपने आस अपन े रखने से है। आस-प स पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन के रखने से है। हिवभिभन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने भ गों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। सुरति को किसी भी प्रकार की क्षत और स्वस्र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। रखन े रखने से है। के रखने से है। क र्या को जीवन योग्य बनाये रखने से है। पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन क सकते रखने से है। ैं।
  • 3. 3 पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन के रखने से है। प्रक र  भू चिंतन हि# सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  जल सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  वन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  वन्र्याजी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन
  • 4. 4 हि न्दू चिंतन संस्कृ ति को किसी भी प्रकार की त एवं पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन पर्या वरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन क हिववरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन हि न्दू चिंतन ध# के रखने से है। वे रखने से है। दों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , पुर ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन ों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , उपहिन षदों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , # क व्र्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की (र # र्याण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन और # भ रत) #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म प्र ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। न क ल से रखने से है। ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। दे रखने से है। खन े रखने से है। को जीवन योग्य बनाये रखने से है। हि#लत ैं। हि न्दू चिंतन ध# #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म प्रकृ ति को किसी भी प्रकार की त को जीवन योग्य बनाये रखने से है। #न ुष्र्या से रखने से है। ऊपर रख गर्या ैं। गी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। त #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म लिलख ैं - व सुदे रखने से है। व सव= ( ईश्वर सब जग ैं )
  • 5. 5 वन सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  प्र ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। न भ रती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र्या परंपर #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म वृक्षों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ब ुत # त्व हिदर्या गर्या ै ।  ब ुत स रे रखने से है। वृक्षों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की और पौधों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। पहिवत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व हिवशे रखने से है। ष दज भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। हिदर्या गर्या ैं , कु छ वृक्षों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की और पौधों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। भगव न की पू चिंतन ज के रखने से है। स र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। जो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ड़ गर्या ैं। उद्धरण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन के रखने से है। लिलए : पी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। पल, अशो जीवन योग्य बनाये रखने से है। क, कल्पवृक्ष, क#ल, वटवृक्ष, तुलसी को जीवन योग्य बनाये रखने से है।  #न ुस्#ृति को किसी भी प्रकार की त के रखने से है। अन ुस र, कई पौधे रखने से है। और वृक्ष ऐसे रखने से है। ैं जो जीवन योग्य बनाये रखने से है। खुशी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। और दद क अन ुभव कर सकते रखने से है। ैं।  कौहिटल्र्या ( ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन क्र्या) के रखने से है। अन ुस र, पे रखने से है। ड़ों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की र्या उसकी श ख ओं को जीवन योग्य बनाये रखने से है। क टन एक अपर ध र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। और इसके रखने से है। लिलए हिवभिभन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने दंड उन्होंने निर्धारित किया था। उन् ों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की न े रखने से है। हिन ध रिरत हिकर्या र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ।
  • 6. 6 जल सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  भ रती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र्या हि न्दू चिंतन परंपर एँ और संस्कृतियाँ हमारे तालाबों और नदियों की रक्षा करती और संस्कृ ति को किसी भी प्रकार की तर्या ँ और संस्कृतियाँ हमारे तालाबों और नदियों की रक्षा करती # रे रखने से है। त ल बों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की और न हिदर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की की रक्ष करती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ैं।  भ रत के रखने से है। र क्षे रखने से है। त्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म न हिदर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। पहिवत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं और कई न हिदर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। पू चिंतन जन ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र्या # न गर्या ैं। जै से रखने से है। - उत्तर पू चिंतन व भ रत #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म गंग , पू चिंतन व #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म ब्रह्मपुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं , दति को किसी भी प्रकार की क्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म क वे रखने से है। री को जीवन योग्य बनाये रखने से है। , उत्तर #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म सिंसधु  अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ववे रखने से है। द के रखने से है। अन ुस र जो जीवन योग्य बनाये रखने से है। न हिदर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , झी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। लों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की , तल बों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। दू चिंतन हिषत करत ैं उसकी आलो जीवन योग्य बनाये रखने से है। न ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। न ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। हि ए।  तै त्तरी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। र्या उपहिन षद् के अनुसार के रखने से है। अन ुस र, प न ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म #ू चिंतन त्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं और #ल न ीं होना चाहिए ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। न हि ए, प न ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म न ीं होना चाहिए र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ू चिंतन कन हि ए और हिबन वस्त्र के स्नान नहीं करना चाहिए। के रखने से है। स्न न न ीं होना चाहिए करन हि ए।
  • 7. 7 वन्र्याजी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व सरंक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन  हि न्दू चिंतन संस्कृ ति को किसी भी प्रकार की त के रखने से है। अन ुस र सभी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व ईश्वर की र न ैं और सभी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। बर बर ैं।  ब ुत स रे रखने से है। हि न्दू चिंतन दे रखने से है। वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। -दे रखने से है। वत क व न पशु एवं पक्षी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ैं। जै से रखने से है। हिक शे रखने से है। र, ब घ, र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। , #ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। र, बत्तख, उल्लू चिंतन , ू चिंतन । इस तर के रखने से है। जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। वों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की क दे रखने से है। वत ओं से रखने से है। जुड़े रखने से है। र न े रखने से है। से रखने से है। अब तक इन क संरक्षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त र ैं।  भगव न के रखने से है। अवत र भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। पशुओं से रखने से है। संबद्ध ैं जै से रखने से है। न ु# न अवत र, #त्स्र्या अवत र, कच्छ प अवत र तर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। न रसिंस अवत र आहिद।  हिवष्ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन ु पुर ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन के रखने से है। अन ुस र, भगव न के रखने से है। शव ऐसे रखने से है। लो जीवन योग्य बनाये रखने से है। गों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की से रखने से है। प्रसन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ते रखने से है। ैं जो जीवन योग्य बनाये रखने से है। अन्र्या प्र भिण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन र्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की को जीवन योग्य बनाये रखने से है। न ुकस न न ीं होना चाहिए प ुँ और संस्कृतियाँ हमारे तालाबों और नदियों की रक्षा करती त र्या न ष्ट नहीं करता है। न ीं होना चाहिए करत ै ।  # भ रत #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म ग र्या की तुलन पुरे रखने से है। संस र से रखने से है। की गर्याी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ैं।
  • 8. 8 सिंसधु घ टी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। सभ्र्यात ( ड़प्प सभ्र्यात ) खुद ई के रखने से है। दौर न हि#ले रखने से है। सिसक्कों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की पर हिवभिभन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने तर के रखने से है। पशुओं व पति को किसी भी प्रकार की क्षर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की ( र्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। , बै ल, #ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। र, ब घ इत्र्या हिद ) की आकृ ति को किसी भी प्रकार की त अंहिकत ैं। र्याे रखने से है। पशुओं के रखने से है। प्रति को किसी भी प्रकार की त उन की दृहिष्ट नहीं करता है। के रखने से है। ब रे रखने से है। #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म दश ते रखने से है। ैं।
  • 9. 9 सिंसधु घ टी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। सभ्र्यात ( ड़प्प सभ्र्यात ) पशुपति को किसी भी प्रकार की त की सी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ल पर अंहिकत पशुओं क ति को किसी भी प्रकार की त्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं र्या दश त ैं हिक उस स#र्या भी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। लो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ग जंगलों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की #ें प्राचीन काल से ही देखने को मिलता हैं। हिन्दू धर्म स#र्या बी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ते रखने से है। ों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की गे रखने से है। ।
  • 10. 10 #त्सर्या पुर ण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन (154:512) दशकू चिंतन पस# व पी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। दशव पी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। स#ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। ह्रदः अपने आस । दशह्रदस#ः अपने आस पुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। दशपुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं स#ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। द्रु#ः अपने आस ॥ अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। : एक त ल ब दस कु ओं के रखने से है। बर बर ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ै , एक जल शर्या दस त ल बों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की के रखने से है। बर बर ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ै । एक बे रखने से है। ट दस जल शर्याों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की के रखने से है। बर बर ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ै , और एक पे रखने से है। ड़ दस बे रखने से है। टों को ऐसे जीवन जीना है ताकि हमारी प्रकृति को किसी भी प्रकार की के रखने से है। बर बर ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त ै !
  • 11. 11 अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ववे रखने से है। द ( 12/1 ) # त भू चिंतन हि#: पुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। s ं पृभिर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व्र्या :। न #ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। # त पृभिर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व्र्याै न #ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। # त पृभिर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। व्र्याै । । अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। : र्याे रखने से है। धरती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। # री को जीवन योग्य बनाये रखने से है। # त ै और # इसके रखने से है। पुत्र अथवा विशेष दर्जा भी दिया गया हैं ै । धरती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। # त # रे रखने से है। जी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। वन के रखने से है। अस्तिस्तत्व क एक प्र#ुख आध र ै , # र पो जीवन योग्य बनाये रखने से है। षण सरंक्षण का हिन्दू चिंतन करती को जीवन योग्य बनाये रखने से है। ै ।
  • 12. 12 र्याजुवcद ( 32.12 ) शन्न भागों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। दे रखने से है। वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। रभिभष्ट नहीं करता है।र्या आपो जीवन योग्य बनाये रखने से है। भवन्तु पी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। तर्याे रखने से है। । शन्र्याो जीवन योग्य बनाये रखने से है। रभिभस्त्र के स्नान नहीं करना चाहिए। वन्तु न : अर्थ पृथ्वी को जीवन योग्य बनाये रखने से है। : ऋहिष शुद्ध जल के रखने से है। प्रव हि त ो जीवन योग्य बनाये रखने से है। न े रखने से है। की क #न करत ै ।
  • 13. 13 स्रो जीवन योग्य बनाये रखने से है। त  http://cbseacademic.nic.in/web_material/Circulars/2012/68_KTPI/Module_5. pdf  https://academicjournals.org/journal/AJHC/article-full-text-pdf/615E7F24098 1  https://www.legalbites.in/environment-in-the-ancient-indian-medieval  Image Sources : Internet Search  Sanskrit Phrases : Internet Search mentioned with lesson and line.
  • 14. 14 न #स्क र Connect me Twitter : ambika_rss Instagram : ambika_rss