ेम-प का दूषण… D K Singhal
deveshksinghal@gmail.com
March, 2018
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ेम-प का दूषण…
कल शाम यूँ ह बैठे हुए,
फु सत म देखते हुए पुराने कागज़,
हाथ म आ गया उसका प!.
वो प!, जो &लखा था उसने
बड़े ह चाव से, )यार से.
साफ़, सफ़े द कागज़ पर,
नील ,याह से.
देखने लगा म- गौर से,
उस प! का कागज़ सफ़े द.
,व/छ, 1नद2ष, ि,न5ध
जैसे 7क दाग हो 1नषेध.
ऐसे शाल न कागज़ पर
&लखा था उसने प!,
कल तक भी था लग रहा
जैसे उसपे पड़ा हो इ!.
व;त 7कतना बदल गया है,
और बदल गए ह- हम भी.
उस प! से कल शाम
=मा1नयत गायब थी.
>दखने लगा मुझको प! म,
लेखन से अलग कु छ और भी.
Aया ,याह िजससे &लखा,
मा! सBCेषण कE डोर थी?
Gचकना कागज़ साफ़ &लखाई,
ICय कE यादJ कE बारे म,
अब कब सोचते ह- हम
उस ,याह कE बारे म,
भां1त भां1त के सभी रसायन
अपने अंदर भर लाई,
अनेक Cदूषक तLवJ से,
&मलकर बनती है ,याह .
,याह के सम,त Cदूषक लगते
Mय,त, मुझको CदूIषत करने म,
और अब काँप रहे ह- हाथ मेरे,
इस प! को संभाले रखने म...
वचार
कभी सोचा है 7क जेल पेन
कE इंक, बॉल पेन कE इंक,
&लखाई-छपाई म- Cयोग
होने वाल इंक, अपने अंदर
7कतने तरह के Cदूषक
समेटे हुए है? Cयोग के
बाद इसको तो र सायकल
भी नह ं 7कया जा सकता.
पता नह ं इंक के &लए
पयावरण से सBबंGधत
कु छ मानक ह- या नह ं?
परQतु, &लखा हुआ हो या
छपा हुआ- हर पैराRाफ, हर
पंिAत, हर शSद, हर अTर
Cदूषण बढ़ा रहा है. हम-
आप कर भी Aया सकते
ह-? हम कर सकते ह-.
&लVखए. प>ढ़ए. ले7कन,
कम &लVखए. कम प>ढ़ए.
पर अ/छा &लVखए, अ/छा
प>ढ़ए.