गठिया (जोड़ों का दर्द) के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
गठिया एक विचित्र और कष्टप्रद रोग है| यह अधिकतर प्रौढ़ावस्था और बुढ़ापे में ही होती है| परन्तु कभी-कभी छोटी उम्र में भी यह बहुत से मनुष्यों को हो जाती है|
कारण - यह रोग आर्द्र तथा उष्ण स्थानों में रहने वाले स्त्री-पुरुषों को अधिक होता है| यह वंशानुगत मन जाता है| एक बार इसका आक्रमण हो जाने के बाद, यदि व्यक्ति ठीक भी हो जाता है, तो दोबारा इस रोग के आक्रमण का भय रहता है| मशीन का कुटा चावल अधिक मात्र में खाने, मेदा, खोया (मावा), चीनी, गरम वे तेज मसाले, चाट, अण्डे, शराब, मछली आदि का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने वाले व्यक्तियों को यह रोग होता है| जो लोग शक्ति से अधिक मेहनत करते हैं| और फिर अचानक छोड़ देते हैं, उनको भी गठिया का रोग लग जाता है|
पहचान - जोड़ों का दर्द, भोजन का अच्छा न लगना, प्यास अधिक लगना आलस्य, शरीर में भारीपन, कभी-कभी बुखार की शिकायत, खाया भोजन न पचना, किसी अंग का शून्य हो जाना तथा संधियों में असहनीय दर्द होना आदि गठिया के मुख्य लक्षण हैं| कभी-कभी अंगों को छूने तथा हिलाने से भी दर्द होता है| पैरों, सिर, टखने, घुटनों, जांघ और जोड़ों में दर्द के साथ-साथ सूजन भी आ जाती है| शरीर में खून की कमी हो जाती है|
नुस्खे - लहसुन के रस में कपूर मिलाकर गठिया या वातरोग के अंगों पर मालिश करने से कुछ दिनों में रोग ठीक हो जाता है|
more on http://spiritualworld.co.in
Homemade Remedies for Arthritis (Joint Pain) - 012
1.
2. 1 of 10 Contd…
गठिठिया एक िविचिचित और कष्टप्रद रोगठ है| यह अधिधिकतर
प्रौढ़ाविचस्था और बुढ़ापे मे ही होती है| परन्तु कभी-कभी
छोटी उम मे भी यह बहुत से मनुष्यो को हो जाती है|
कारण - यह रोगठ आर्द्र तथा उष्ण स्थानो मे रहने विचाले
स्त्री-पुरुषो को अधिधिक होता है| यह विचंशानुगठत मन जाता
है| एक बार इसका आर्क्रमण हो जाने के बाद, यिद
व्यक्तिक ठिीक भी हो जाता है, तो दोबारा इस रोगठ के
आर्क्रमण का भय रहता है| मशीन का कुटा चिाविचल
अधिधिक मात मे खाने, मेदा, खोया (माविचा), चिीनी, गठरम
विचे तेज मसाले, चिाट, अधण्डे, शराब, मछली आर्िद का
बहुत अधिधिक माता मे सेविचन करने विचाले व्यक्तिकयो को यह
रोगठ होता है| जो लोगठ शिक से अधिधिक मेहनत करते है|
3. 2 of 10 Contd…
और िफिर अधचिानक छोड़ देते है, उनको भी गठिठिया का
रोगठ लगठ जाता है|
पहचिान - जोड़ो का ददर, भोजन का अधच्छा न लगठना,
प्यास अधिधिक लगठना आर्लस्य, शरीर मे भारीपन, कभी-
कभी बुखार की िशकायत, खाया भोजन न पचिना,
िकसी अधंगठ का शून्य हो जाना तथा संिधियो मे अधसहनीय
ददर होना आर्िद गठिठिया के मुख्य लक्षण है| कभी-कभी
अधंगठो को छूने तथा िहलाने से भी ददर होता है| पैरो, िसर,
टखने, घुटनो, जांघ और जोड़ो मे ददर के साथ-साथ
सूजन भी आर् जाती है| शरीर मे खून की कमी हो जाती
है|
4. 3 of 10 Contd…
नुसखे - लहसुन के रस मे कपूर िमलाकर गठिठिया या
वातरोगठ के अंगठो पर मािलश करने से कुछ िदिनो मे रोगठ
ठिीक हो जाता है|
• 25 गाम सोठि, 50 गाम हरड़, 15 गाम अजमोदि तथा
10 गाम सेधा नमक-सबको पीसकर चूणर बना ले| इसमे
से 3 गाम चूणर सुबह और 3 गाम शाम को सेवन करे|
• सोठि, कालीिमचर, पीपल, सफे दि जीरा, लहसुन, हीगठ
तथा नमक-सबको पीसकर चूणर बना ले| इस चूणर मे से
4-4 गाम की माता िदिन मे चार बार शहदि के साथ
चाटे|
5. 4 of 10 Contd…
• 10 गाम सोठि का काढ़ा िनतय सुबह-शाम िपएं|
• िबनौले का तेल गठिठिया वाले अंगठो पर मले|
• अड़ूसा के पते गठरम करके पभािवत अंगठो को सेकना
चािहए| इससे सूजन कम हो जाती है|
• दिदिर वाले सथान पर सरसो के तेल की मािलश करने के
बादि सेकाई करे|
6. 5 of 10 Contd…
• गठोले (नािरयल) के तेल मे पीपरमेन्ट डालकर तेल
को अच्छी तरह िमला ले| िफर दिदिर वाले अंगठो पर
हथेली से मािलश करे|
• करेले को पीसकर गठिठिया वाले सथानो पर लेप
करना चािहए|
• करेले के रस मे राई का तेल िमलाकर मािलश
करने से दिदिर और सूजन कम हो जाती है|
• जािवती और सोठि-दिोनो के चूणर की 3-3 गाम की
माता गठुनगठुने जल से सुबह-शाम सेवन करे|
7. 6 of 10 Contd…
• आम की गुठली को सरसो के तेल मे पकाएं| िफिर
छानकर इस तेल का उपयोग करे| इस तेल की मािलश
से गिठया चला जाता है|
• बबूल के गोद को महीन पीस ले| दो चुटकी चूण र गरम
पानी के साथ िदन मे चार बार सेवन करे|
• अमरूद की मुलायम पित्तियो को पीसकर चटनी बना
ले| इसमे से एक चम्मच चटनी सुबह और एक चम्मच
शाम का सेवन करे|
• पत्तिागोभी, चुकन्दर और फिू लगोभी के पत्तिो का रस
एक-एक चम्मच की मात्रा मे सुबह-शाम गरम करके
सेवन करे|
8. 7 of 10 Contd…
• कायफिल का तेल मलने से जोड़ो का ददर जाता
रहता है|
• पीली कनेर का तेल गिठया रोग के िलए बहुत
मुफिीद है|
• कपूर 2 ग्राम और अफिीम 1 ग्राम - दोनो को सरसो
के तेल मे पकाकर गिठया के अंगो पर सुबह-शाम
मािलश करे|
• पीपल के वृक की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से
भी गिठया का रोग जाता रहता है|
• प्याज के रस मे राई का तेल िमलाकर मािलश करे|
9. • अदरक का रस गरम करके जोड़ो पर लेप करे|
• दो चम्मच तुलसी के पत्तिो का रस सरसो के तेल मे
िमलाकर लगाएं|
• गुड़ के साथ मेथी की सब्जी पकाकर खाने से
गिठया रोग कम हो जाता है| िफिर धीरे-धीरे चला
जाता है|
• चौलाई के पत्तिो का रस िनकालकर सरसो के तेल
मे िमलाकर गरम करे| िफिर दोपहर के समय गिठया
वाले अंगो पर लगाएं|
• गिठया के रोगी को टमाटर का रस आलू के रस मे
िमलाकर अंगो पर लगाना चािहए|
8 of 10 Contd…
10. 9 of 10 Contd…
• दो चम्मच सूखी हल्दी तवे पर भूनकर उसमे थोड़ा-सा
गुड़ िमलाकर सेवन करे|
• एक िगलास पानी मे 25 ग्राम सूखे आंवले और 50
गुड़ डालकर उबाले| जब पानी आधा रह जाए तो
िदनभर मे चार बार सेवन करे|
• सरसो के तेल मे दो चम्मच अजवायन, चार किलयां
लहसुन तथा जरा सी अफीम डालकर पका ले| इस तेल
को छानकर शीशी मे रख ले| रोज धूप मे बैठकर इस तेल
की मािलश करे|
• बड़ी इलायची के िछलको को िसरहाने रखकर सोएं|
दो माह तक लगातर यह कायर करने से जोड़ो का ददर
ठीक हो जाता है|
11. r more Spiritual Content Kindly visit:
http://spiritualworld.co.in
10 of 10 End
कया खाए कया नही - गिठया के रोिगयो को वायु
बनाने वाले पदाथो का सेवन नही करना चािहए|
साधारण भोजन मे पुराने चावल, लहसुन, करेला बैंगन
तथा सिहजन का प्रयोग अिधक करे| यिद बुखार और
खांसी की िशकायत हो तो चावल न खाएं| दूध, दही,
मछली, उरद की दाल, बड़े, कचौड़ी, मूली, गोभी आिद
का प्रयोग न करे| रात को हल्का भोजन करके जल्दी सो
जाएं| तेज धूप तथा पुरवाई मे न बैठे| गरमी के मौसम मे
सुबह तथा जाड़ो मे शाम को टहलना अच्छा रहता है|