सिर दर्द के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
जो लोग सिर दर्द को रोग मानते हैं, वे धोखा खा जाते हैं क्योंकि यह रोग है ही नहीं| वास्तव में यह किसी रोग का लक्षण है| यदि यह अधिक तेज नहीं होता तो बगैर किसी दवा के अपने आप ठीक हो जाता है| कई बार देखा गया है कि अधिक काम करने या मानसिक अशान्ति के कारण सिर में दर्द होने लगता है| कुछ लोगों को समय से चाय, कॉफी या खाना नहीं मिलता तो उनका सिर दुःखने लगता है| पेट में कब्ज होने पर भी सिर दर्द की शिकायत हो जाती है| आंव भारी तो माथ भारी| अर्थात् पेट का भारीपन सिर दर्द पैदा कर देता है| कुछ लोग अधिक भाग-दौड़ के बाद सिर पकड़कर बैठ जाते हैं| जुकाम, बुखार, शरीर में दर्द आदि के कारण भी सिर दर्द हो जाता है| माथे में श्लेष्मा या विकारयुक्त पानी रुकने के कारण भी सिर में पीड़ा होने लगती है| ऐसी हालत में हमारा पहला कर्त्तव्य है कि हम दर्द होने के कारणों का पता लगाएं| फिर उसे दूर करने का प्रयास करें| सिर दर्द अपने आप जाता रहेगा| मान लिया, किसी व्यक्ति को बहुत ज्यादा मानसिक परिश्रम के कारण सिर दर्द हो गया है| ऐसी दशा में उसे गरम-गरम चाय या कॉफी पिलानी चाहिए| माथे में देशी घी मलना चाहिए या सिर की चम्पी मालिश कर देनी चाहिए|
इस प्रकार शारीरिक शक्ति के अनुसार काम करने, व्यर्थ की भाग-दौड़ से बचने, सदैव प्रसन्न रहने, नियम-संयम बरतने, हल्का व्यायाम करने, धूप में अधिक देर तक न बैठने, बर्फ या फ्रिज का पानी न पीने आदि द्वारा सिर दर्द से बचा जा सकता है|
कारण - तरह-तरह के सर्दी-गरमी के बुखार, ठंड लगने, गरमी में घूमने, जुकाम हो जाने या नजला रुक जाने, वायु के रोग, शरीर में रक्त की कमी, मस्तिष्क में तनाव, आंखों का कोई रोग या कम दिखाई देना, वमन होना, पेट में गैस बनने, दस्त साफ न होने आदि के कारण सिर दर्द होने लगता है| जिन लोगों को अचानक चोट लग जाती है, रक्तचाप का रोग ह
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जो लोग िसिर दर्दर्र को रोग मानते है, वे धोखा खा जाते है
क्योंकिक यह रोग है ही नही| वास्तव मे यह िकसिी रोग
का लक्षण है| यिदर् यह अधिधक तेज नही होता तो बगैर
िकसिी दर्वा के अधपने आप ठीक हो जाता है| कई बार दर्ेखा
गया है िक अधिधक काम करने या मानिसिक अधशािन्त के
कारण िसिर मे दर्दर्र होने लगता है| कुछ लोगोंक को सिमय सिे
चाय, कॉफी या खाना नही िमलता तो उनका िसिर
दर्ुःखने लगता है| पेट मे कब्ज होने पर भी िसिर दर्दर्र की
िशकायत हो जाती है| आंव भारी तो माथ भारी| अधथारत्
पेट का भारीपन िसिर दर्दर्र पैदर्ा कर दर्ेता है| कुछ लोग
अधिधक भाग-दर्ौड़ के बादर् िसिर पकड़कर बैठ जाते है|
जुकाम, बुखार, शरीर मे दर्दर्र आिदर् के कारण भी िसिर दर्दर्र
हो जाता है|
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माथे मे श्लेष्मा या िवकारयुक पानी रुकने के
कारण भी िसिर मे पीड़ा होने लगती है| ऐसिी
हालत मे हमारा पहला कत्रव है िक हम दर्दर्र
होने के कारणोंक का पता लगाएं| िफर उसिे दर्ूर
करने का प्रयासि करे| िसिर दर्दर्र अधपने आप
जाता रहेगा| मान िलया, िकसिी विक को
बहुत ज्यादर्ा मानिसिक पिरश्रम के कारण िसिर
दर्दर्र हो गया है| ऐसिी दर्शा मे उसिे गरम-गरम
चाय या कॉफी िपलानी चािहए| माथे मे दर्ेशी
घी मलना चािहए या िसिर की चम्पी मािलश
कर दर्ेनी चािहए|
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इसि प्रकार शारीिरक शिक के अधनुसिार काम करने, वथर
की भाग-दर्ौड़ सिे बचने, सिदर्ैव प्रसिन रहने, िनयम-सिंयम
बरतने, हल्का वायाम करने, धूप मे अधिधक दर्ेर तक न
बैठने, बफर या िफ्रिज का पानी न पीने आिदर् द्वारा िसिर
दर्दर्र सिे बचा जा सिकता है|
कारण - तरह-तरह के सिदर्ी-गरमी के बुखार, ठंड लगने,
गरमी मे घूमने, जुकाम हो जाने या नजला रुक जाने,
वायु के रोग, शरीर मे रक की कमी, मिस्तष्क मे तनाव,
आंखोंक का कोई रोग या कम िदर्खाई दर्ेना, वमन होना,
पेट मे गैसि बनने, दर्स्त सिाफ न होने आिदर् के कारण िसिर
दर्दर्र होने लगता है| िजन लोगोंक को अधचानक चोट लग
जाती है, रकचाप का रोग हो जाता है, मधुमेह तथा
जाड़ा दर्ेकर बुखार आता है, उनके िसिर मे भी पीड़ा होने
लगती है|
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शराब, िसिगरेट, भांग, अफीम आदिद का सिेवन करने वाले
व्यक्तिक्तियो को यिद सिमय पर ये चीजे न िमले तो उनके
िसिर मे ददर होने लगता है|
कुछ व्यक्तिक्ति एक ही मुद्रा मे देर तक काम करते रहते है,
अत: उनके िसिर मे ददर होने लगता है| प्रदूषिषित
वातावरण मे रहने, धुंआद-धूषल के नाक मे पहुंचने, दूषिषित
भोजन करने आदिद के कारण भी िसिर मे ददर हो जाता है|
इसिके अलावा वायु बनाने वाली चीजो का अिधक सिेवन
करने, दही या बफर का अिधक प्रयोग तथा िवरुद भोजन
इसि रोग की गांठ बांध देता है| इसिी प्रकार िसिर का ददर
वायु सिे, िपत सिे, खूषन की खराबी सिे, धातु क्षय सिे तथा
कृमिम सिे भी हो जाता है|
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पहचान - िसिर ददर मे ऐसिा मालूषम पड़ता है, मानो कोई
हथौड़ो सिे चोट कर रहा हो| यिद लगातार तेज ददर
होता है तो आदंखे मुंद जाती है| कई बार उल्टी भी हो
जाती है| आदधे िसिर मे ददर रूखा भोजन करने या पेट
की वायु िसिर तक पहुंचने के कारण होता है| यह ददर
गरदन, कनपटी, कान एवं आदँख आदिद को जकड़
डालता है| रोगी बसि यही सिोचता है िक हर हालत
मे उसिके िसिर का ददर रुकना चािहए| िसिर का ददर
पूषरे शरीर को अपनी सिीमा मे ले लेता है| अत: काम-
धाम मे उसिका मन िबलकुल नही लगता|
नुसखे - माथे पर देशी घी कुछ देर तक मलने सिे िसिर
ददर रुक जाता है|
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• नाक के छेदो मे गाय का घी, गोमूषत या शहद
डालना चािहए|
• पानी मे सिोठ पीसिकर माथे पर लगाने सिे सिदी सिे
होने वाला िसिर का ददर रुक जाता है|
• लौंग पीसिकर पानी मे घोलकर मसतक पर चंदन
की तरह लगाएं|
• तुलसिी की पितयो का रसि अदरक के रसि मे
िमलाकर माथे पर चुपड़े तथा रोगी को िपलाएं|
• बड़ी इलायची का िछलका खरल करके गरम पानी
मे गाढ़ा-गाढ़ा घोलकर माथे पर लगाएं|
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• लौंग पीसिकर पानी मे घोलकर माथे पर लगाएं|
• बादाम के तेल मे केसिर िमलाकर िदन मे तीन बार
सिूषंघने की िक्रिया करनी चािहए|
• नीबूष को चाय मे िनचोड़कर पीने सिे िसिर ददर ठीक
हो जाता है|
• पानी मे सिोठ िघसिकर माथे पर लगाने सिे िसिर ददर
मे आदराम िमलता है|
• तीन-चार तुलसिी की पितयां चबाने सिे िसिर ददर
कम हो जाता है|
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• छोटी इलायची के बीजो को पीसकर बार-बार
सूंघने से िसर दर्दर्र मे काफी आराम िमलता है|
• धनिनया तथा कालीिमचर पीसकर माथे पर चंदर्न
की तरह लगाएं|
• रीठे के पानी को नाक मे डालने से आधनासीसी का
दर्दर्र जाता रहता है| दर्ो बूंदर् से ज्यादर्ा इस पानी को
नाम मे नही डालना चािहए|
• बादर्ाम के तेल की मािलश करने से िसर दर्दर्र कम
हो जाता है|
• िसरस के बीजो को पीसकर धनीरे-धनीरे सूंघने से
िसर दर्दर्र चला जाता है|
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• तिज भुने चनो को गुड़ के साथ खाएं|
• पानी मे नीबू िनचोड़कर हल्का गरम करे और
सहता-सहता तीन-चार बार िपएं|
• सफेदर् चंदर्न को गुलाबजल मे िघसकर माथे पर
लेप करे|
• एक चुटकी नमक या छोटी ढेली जीभ की नोक पर
रखकर धनीरे-धनीरे चूसने से िसर का दर्दर्र जाता रहता
है|
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• चार पित्तियां तुलसी, चार दर्ाने कालीिमचर तथा दर्ो
लौंग - सबको पीसकर माथे पर लगाएं और चटनी
की तरह चाटे भी|
• माथे पर स्वमूत की मािलश 10 िमनट तक करे|
हर प्रकार के िसर दर्दर्र से छुटकारा िमलेगा|
• नािरयल की िगरी को पानी मे िघसकर माथे पर
लगाएं|
• तम्बाकू के पत्तिो को पीसकर उसमे थोड़ी-सी
नौसादर्र डाले| िफर उसे रुक-रुककर सूंघे|
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• नाक मे कड़वा तेल की तीन-चार बूंदर्े डालने से भी
िसर दर्दर्र मे काफी लाभ होता है|
• यिदर् गरमी मे िसर मे दर्दर्र हो तो पालक और गाजर
का रस िपएं|
• छोटी इलायची के बीजो को पीसकर उसमे जरा-
सा कपूर िमला दर्े| िफर इस नस्य को थोड़ी-थोड़ी
दर्ेर बादर् सूंघने से िसर दर्दर्र जाता रहता है|
• नीबू की पित्तियो को कुचलकर सूंघने से िसर दर्दर्र
चला जाता है|
• प्याज को पीसकर पैर के तलवो पर लगाएं और
नस्य ले|
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• नाक के नथुनो मे लहसुन का रस बूंद-बूंद टपकाएं|
• हींग को गरम करके पानी मे घोल ले| िफिर माथे
पर लेप करे|
• पानी मे दालचीनी पीसकर िसर पर लेप करने से
िसर ददर मे काफिी आराम िमलता है|
• पानी मे कालीिमचर और सोठ पीसकर माथे पर
लेप करे|
• पीपल के पत्तो को पानी मे चटनी की तरह पीसकर
माथे पर लेप करे|
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बकरी के दूध मे जायफिल िघसकर कपाल पर लगाएं|
कया खाएं कया नहीं - िसर ददर मे खाने-पीने की
वस्तुओ के िलए कोई िवशेष परहेज नहीं है| िफिर भी
कुछ मामलो मे सावधानी बरतना जरूरी है|
उदाहरण के िलए यिद गरमी के कारण िसर ददर हो
तो चाय, कॉफिी, शराब िसगरेट, गरम मसालेदार
पदाथर, चौलाई आिद का सेवन नहीं करना चािहए|
इसी प्रकार यिद ठंड की वजह से िसर ददर हो तो
दही, बफिर , आइसक्रीम, ठंडा पानी, छोले, मैदा की
चीजे, सेब, नाशपाती, अमरूद केला आिद का सेवन
न करे|
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इसकी जगह मेवे तथा समफिल ले| अिधक धूप मे काम न
करे| जाड़े के मौसम मे िसर पर टोपी धारण करे| अिधक
शारीिरक तथा मानिसक पिरश्रम न करे| घी, दूध, हल्का
भोजन, मौसमी फिल तथा सिब्जयो का प्रयोग करे| पेट
के कब्ज न बनने दे| रात को हाथ-पैरो मे सरसो का तेल
मलकर गहरी नींद ले|