SlideShare a Scribd company logo
1 of 11
Download to read offline
1 | P a g e 
प्रोस्टेट सुदितवधर् Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) प्रोस्टेट सुदम अितवधर्न वयोवृद्ध लोगों का एक सामान्य , िजसमें प्रोस्टेट ग्रंिथ क� कोिशकाओं में वृिद्ध होने लगतीअंग्रेजी में िबनाइन प्रोस्टेिटक हाइपरप्लेिBenign Prostatic Hyperplasia (BPH) कहते हैं। कोिशकाओं में वृिद्धकारण ग्रंिथ का आकार धी-धीरे बढ़ने लगता है िजसके कारण रोगी को कई मूत्र िवसजर्न सम्बन्धी ल�ण पैदा हो जाते हैंसमय पर उपचार नहीं िकया जाये तो बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट मूत्र के प्रवाह में आंिशक या पूणर् �कावट पैदा कर सकती है िमूत्रा, मूत्रपथ और वृक्क सम्बन्धी िवकार हो सकते हैं। इस रोग का उपचार जीवनशैली मे, जड़ी-बूिटयाँ, औषिधयाँ और शल्यिक्रया ह कारण 
प्रोस्टेट अितवधर्न य.एच.पी. क� रोगजनकता में पु�ष हाम�नAndrogens (टेस्टोस्टीरोन तथा अन्य सम्बिन्धत ) एक अहम कारक है। इसका मतलब यह ह�आ िक शरीर में ऐन्ड्रोजन उपिहोने पर ही प्रोस्टेट अितवधर्न होगा। इसका एक सा�य यह भी हैिजन लड़कों का वंध्यकर(Castration) छोटी उम्र में ही कर िदजाता है उन्हें प्रोस्टेट अितवधर कभी नहीं होता है। दूसरी तरफ िजनको टेस्टोस्टीरोन बाहर स(इंजेक्शन या गोिलयों के �प ) िदया जाता है, उनमें प्रोस्टेट अितवधर्न के जोिखम पर िवशेष अन्तआता है। डाइहाइड्रो टेस्टोस्टी(DHT), जो टेस्टोस्टीरोन कचयापचय उत्पाद ह, प्रोस्टेट क� संवृिद्ध में िनणार्यक भूिमका है। 5α-अल्फा�रडक्टेज टा-2 एंजाइम क� उपिस्थित में प्रोस ग्रंिथ टेस्टोस्टीरोन के अपघटन से डाइहाइड्रो टेस्टो(DHT) का िनमार्ण करती है। यह एंजाइम मुख्यतः स्ट्रोमा क� कोिशकाओव्या� रहता ह, अतः मुख्यतः ड.एच.टी. का िनमार्ण स्ट्रोमा में ही है। 
डी.एच.टी. हाम�न स्ट्रोमा में स्व(Autocrine) अथवा समीप क� इपीथीिलयल कोिशकाओं में पह�ँच कर परास्रा(Paracrine) रीित से कायर् करता है। दोनों ही तरह क� कोिशकाओं में.एच.टी. कोिशक�य एंड्रोजन अिभग्रा(Receptors) से बंध कर संवृिद्ध घटक यGrowth Factors (िजन पर इिपथीिलयल और स्ट्रोमल कोिशकाओं क� संवृिद्ध िजम्मेदारीहै) को िलप्यंतरण संदे (Transcription Signal) देकर प्रोत्सािहत करता है।.एच.टी. टेस्टोस्टीरोन स10 गुना अिधक प्रबहोता है क्योंिक टेस्टोस्टीरोन क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से बंधने �मता बहत कम हो.एच.टी. के प्रभाव से प्रोस्टेग्रंिथल अितवधर(Nodular Hyperplasia) होता है। इसिलए जब ग्रंिथल अितवधर्न के रोगी 5α-�रडक्टेज इिन्हबीटर जैसिफनािस्टराइड दी जाती है तो प्रोस्टेट म.एच.टी. का स्तर िवशेष �प से कम होता है और फलस्ल�प प्रोस्टेट का आमाप होता है और ल�णों में राहत िमलती है। 
प्रोस्टेट अितवधर्न में इस्ट्रोजन भी एक कारक माना गया है। लेिकन प्रोस्टेट क� अिभवृिद्ध से इस्ट्रोजन का सीबिल्क प्रोस्टेट में इस्ट्रोजन अपघिटत होकर एंड्रोजन में प�रवितर्त होकर प्रोस्टट को बढ़ाता है। पा�ात्य जीवन
2 | P a g e 
अितवधर्न 
का महत्वपूणर् कारण है। यह 
बात बह�त रहस्यमय बनी हई है िक प्रोस्टेट सुदम अितवधर्न रोग 
ि 
सफर् मन 
ुष्य और क होता है जबिक सभी नर स्तन धा�रयों में प्रोस्टेट ग्रंिथ ह ल±ण और संके त 
प्रोस्टेट अितवधर्न में ल�-िवसजर्न या �कावट और मूत्राशय में मूत्र के भराव याStretching or Irritation (मूत्राशक� िनिष्क्र) के कारण होते हैं। मू-िवसजर्न सम्बन्धी ल�ण अिधक सामान्, लेिकन भराव सम्बन्धी ल�ण रोगी को ज्यातकलीफ देते हैं। इस रोग के ल�ण उम्र साथ बढ़ते हैं40 वषर् या अिधक उम्र 25% पु�षों में प्रायः प्रोस्टेट अितवल�ण उपिस्थत होते हैं। मूत्रपथ में यांित्रक �कावट प्रोस्टेट ग्रंिथ के अितवधर्न के, लेिकन प्रोस्, मूत्र िनस्सानली और मूत्राशय ग्रीवा क� िस्नग्ध पेशी के आकुंचन से भी गत(Dynamic) �कावट होती है। यह गत्यात्मक �काविसम्पेथेिटक स्नायु तंत्रα-1 एड्रीनो�रसेप्टर के प्रोत्साहन के कारण होता है। भंडारण सम्बन्धी ल�ण मूत्र में �कावटमूत्राशय क� डेट्र�जर पेशी में आई अिस्थरता के कारण होते हैं। मूत्राशय क� िभियों (Hypertrophy) और कोलेजन एकित्रत होना प्रमुख भंडारण सम्बन्धी ल�ण हैं। इα-1 एड्रीनो�रसेप्टसर् पर शोध चल रही α-1 एड्रीनो�रसेप्टसर् कोउपजाितयों क्रमα 1A और α1D में वग�कृत िकया गया है।α 1A मुख्यतः प्रोस्टेट म α1D मुख्यतः मूत्राशय में स्थरहते हैं। इस तरह मूत्र क� कावट में राहत देने के α 1A को और भंडारण सम्बन्धी ल�ण को ठीक करने के िलα1D अव�द्ध करना जरी है िनम्न मूत्रपथ सम्बन्धी ल�ण और लैंिगक िवकारों के आपसी सम्बन्ध को भी समझना ज�री है। क्योंिक इन रोिगयिवकार होना अित सामान्य है। कामेच्छा में (Poor Libido), स्तंभन दो (Irrectile Dysfunction), स्खलन में कमी या अनस्खलन दोष प्रमुख लैंिगक िवकार 
म 
ूत-िवसजर्न या �कावट सम्बन्धी ल 
म 
ूत्र के भराव या तनाव सम्बन्धी 
• मूत्र क� धार िनकलने में देर ल 
• मूत्र क� धार पतली हो 
• �क कर मूत्र िवसजर्न का हो 
• मूत्र िवसजर्न के िलए जोर लगाना प 
• मूत्र िवसजर्न अिधक समय लगना 
• ऐसा लगे जैसे मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो पाया 
• मूत्र िवसजर्न के बाद भी मूत्र बूँद बूँद करके टपकता 
• बार मूत्र िवसजर्न होन 
• अचानक मूत्र क� तलब लगन 
• मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण न रख 
• रात में मूत्र िवसजर्न के िलए बार उठना पड़े 
जिटलताएँ मूत्र में �का 
जैसे जैसे प्रोस्टेट बढ़ती है रोगी के ल�णों क� तीवृता और मूत्र में � कावट कसंभावना भी बढ़ने लगती है। मूत्र मेंकĶदायक िवकार है और िजसके उपचार हेतु मूत्र िनस्सारण न (Urethera) द्वारा या जंघा (Symphysis Pubis) के ऊपर से मूत्राशय में केथेटर डाल कर छोड़ना पड़ता है। यिद मूत्र �कावट का समय पर उपचार नहीं िकया जाये तो डेट्र�जर पेशी मऔर �ित होने लगती है, िजससे उसमें िनिष्क्रयता आ जाती है और मूत्राशय क� मूत्र िवसज(अथार्त मूत्राशय ) कम होने
3 | P a g e 
लगती है। कालान्तर में मूत्र �कावट ददर् रिहत हो जाता है 
और �कावट के कारण 
अन्य िवकार जै-बार मूत्रपथ संक, पथरी अथवा गुदŎ का �ितग्रस्त होना स्वाभािवक इनके अलावा मूत्र असंयमता यIncontinence of Urine (अथार्त मूत्राशय में मूत्र क� मात्रा अपनी नई और बढ़ी हई अिधक होते ही मूत्र िनकल जा) उत्पन्न हो जाती है। इस तरह मूत्र अनायास ही िनकल जाता है क्योंिक मूत्र िवसजर्न परिनयंत्रण नहीं रहता है। अंितम अवस्था में प्रोस्टेट अितवधर्न के रोगी में कई बार यह पहला ल�ण होता है। इसके अलावा जाने पर भी मूत्राशय में आंिशक भराव बना रहता है। इसे अवशेष म(Residual Urine) कहते हैं। िचरकारी मूत्र �काव(Chronic Urinary Retention) में मूत्रपथ में आई �कावट दूर करने के बाद भी ज�री नहीं है िक डेपेशी पुनः ठीक से कायर् करने लगे। प्रोस्टेट अितवधर्न के समुिचत उपचार के बाद भी इन रोिगयों -बार केथेटर डालने अथवा मूत्र िनकास क� स्थाई व्यवस्था करने क� आवश्यकता ह, तािक मूत्राशय िनयिमत खाली होता रहे और उच्च मूत(गुदŎ) को �ित नहीं पह�ँचे। बार-बार िनम्न मूत्रपथ संक िनम्न मूत्रपथ को संक्रमण से बचाने के िलए सबसे आवश्यक यही है िक मूत्र ठीक से िवसिजर्त होता रहे और मूत्रखाली होता रहे। प्रोस्टेट अितवधर्न में यह व्यवस्था बािधत हो जाती है और फलस्व�प मूत्र में �कावट तथा मूत्राशय मेतथा ठहराव के कारण मूत्राशय में रोगाणुओं को पनपने तथा घरौधे बनाने का अवसर िमल जाता (जो सामान्य अवस्था में मूत्में ठहर ही नहीं पाते )। इस कारण बार-बार संक्रमण होना सामान्य घटनाक्रम बन जात मूत्राशय पथर 
िवकिसत देशों में मूत 
्राशय पथरी का सबसे बड़ा कारण प्रोस्टेट अितवधर्न क� वजह से मूत्रपथ में आई �कावट माना जाता अितवधर्न क� शल्यिक्रया के िलए आये रोिगयों में2% को मूत्राशय क� पथरी होना सामान्य बात है। पथरी बनने का कामूत्राशय में मूत्र का भराव तथा ठहराव और में(Concentration) के स्तर का बढ़ना है। इससे िवलेय यौिगकों कअव�ेपण (Crystal Precipitation) हो जाता है । यू�रऐज बनाने वाले रोगाणुओं का िचरकारी संक्रमण भी पथरी का जोिखम बढ़ातहै। कभी-कभी गुद¦ से आई छोटी पथ�रयां भी मूत्राशय में बसेरा बना लेती हैं और बढ़ने लगती हैं। प्रोस्टेट के रोगी में मूतहोना मूत्रमागर् द्वारा प्रोस्टेट उच्छेदन का स्प, क्योंिक ब-बार पथरी होने का जोिखम बना रहता है। रĉमेह (Hematuria) प्रोस्टेट अितवधर्न में एि(Acinar) और स्ट्रोमा क� कोिशकाएं बढ़ती है और नई-वािहकाएं भी बनती हैं। ये नई कोमलवािहकाएं सहज ही टूट-फूट जाती हैं और र�स्राव का कारण बनती हैं। ऐसा माना जाता है5-α �रडक्टेज इिन्हबीटर प्रजाितदवाएं (जैसे Finasteride) नई र�-वािहकाओं के िनमार्ण को बािधत करती ह, इसिलए ये प्रोस्टेट अितवधर्न के कारण ह�ए रको रोकने में भी सहायक िसद्ध ह�ई है मूत्राश(डेट्र�) अिस्थरता (Detrusor Instability) 
डेट्र�जर पेशी क15 सैंमी पानी से अिधक संकुचन(यिद मूत्राशय क� अिधकतम भराव मत300 एमएल होती है ) को मूत्राशअिस्थरता(Detrusor Instability) कहते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न के संदभर् में मूत्राशय या डेट्र�जर अिस्थरता िवशेष महहै। लेिकन डेट्र�जर अिस्थरता से कुछ िनम्न मूत्रपथ सम्बन्धी ल�ण पैदा होते हैं। ये ल�ण जैसे अचानक मूत्र , बार बार मूत्र आ, मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण न रख, रात में मूत्र िवसजर्न के िलए बार उठना पड़े आिद सामान्यतः मूत्रभराव से सम्बिन्धत होते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न में मूत्रपथ �कावट और मूत्राशय के संकुचन से डेट्र�जर पेशी में तनमूत्राशय का गित िव�ान िबगड़ जाता है। मूत्राशय अिस्थरता के कुछ ल�ण ऐिड्रनोरसेप्टर में आये बदलाव के कारण भी β- ऐिड्रनो�रसेप्टर मूत्राशय में मूत्र भरते समय मूत्राशय क� पेिशयों को ढ़ीला करने में मदद करते हैं। कुछ रोिगयों को नोरआ
4 | P a g e 
डेट्र�जर पेशी का संकुचन होता है। इस प्रभाव α-1 ऐड्रीनो�रसेप्टर एंटागोिन(α-1 ऐड्रीनो�रसेप्टर िवर) दवा से बािधत िकया जा सकता है, क्योंिक डेट्र�जर पेशी में α ऐड्रीनो�रसेप्टर होते हैं। इस देखा गया है िक α-ऐड्रीनो�रसेप्टर एंटागोिनपु�षों में मूत्र के भराव और िवसजर्न सम्बन्धी ल(भले मूत्र �कावट नहीं होती) और िľयों में मूत्र के भराव सम्ल�णों में राहत देते हैं। मूत्रा α-ऐड्रीनो�रसेप्टसर् क� दो उपजाितयां कα 1D और α 1A पाई जाती हैं। गुदŎ का कमजोर होना प्रोस्टेट अितवधर्न में मूत्रपथ में आई �कावट के कारण गुद� कमजोर होते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न का 13.6% रोिगयों मेवृक्कवात के ल�ण देखने को िमलते हैं। यिद िक्रयेिटनीन का स्तर बढ़ा ह�आ हो तो वृक्कवात के िनदान हेतु छायांकन जांजाती हैं। वृक्कवात के अन्य कारणों को ध्यान में रखना भी ज� री है। यिद ऐसे रोिगयों कशल्यिक्रया करनी है तोअिधक रहता है। परी±ण और िनदान पूछताछ िचिकत्सक रोगी से प्रोस्टेट के ल�ण और उसके परवार में प्रोस्टेट रोग क� जानकारी लेने के उद्देष्य से िवस्तार मेंहै। उसके पास प्रोस्टेट अितवधर्न के िनदान हेतु िलए अमे�रकन यूरोलोिजकल एसोिसयेशन द्वारा बनाई गई प्र� ों कपूरी ि है। अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर(Digital Rectal Examination) अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर्न में िचिकत्सक रबर के दस्तानें पहन कर अंगुली को मलद्वार में घुसा कर प्रोस्टेट कइससे वह प्रोस्टेट क� अिभवृिद्ध और कैंसर क� उपिस्थित को महसूस कर ले नाड़ी तंत्र परी नाड़ी तंत्र क� सरसरी जांच से वह िनम्न मूत्रपथ लणों क-जिनत कारणों का पता कर लेता है। मूत्र परी� यह मूत्र क� सरल जांच है िजससे मूत्रपथ में संक्रमण और अन्य िवकारों क� जानकारी िमल प्रोस्टेट स्पेिसिफक एंट(PSA) प्रोस्टेट अितवधर्न के िनदान हेतु यह जाच प्रायः नहीं क� जाती है। हां प्रोस्टेट स्पेिसिफक एंटीजन का प्रमुख उपयोग का पता लगाने, श्रेणी िनधार्रण करने और कैंसर रोगी क� मोनीट�रंग करने के िलए िकया जाता है। यह भी सत्य है .एस.ए. का स्तर सुदम प्रोस्टेट अित, संक्रमण और अन्य िवकारों में भी बढ़ता है। कुछ वै�ािनक िवकासशील प्रोस्टेट अितपी.एस.ए. को रोग क� तीवृता का बॉयो माकर्र मानते हैं और उपचार सम्बन्धी कई िनणर्य करने में भी मददगार बताते हैं। जैपी.एस.ए. 1.5ng/m या अिधक हो तथा प्रोस्टेट भी बह�त बड़ी हो तो रोगी 5 α-�रडक्टेज इिन्हबीटर उपचार से अिधक लाहोगा। इस जांच का एक नया स्व�प प.एस.ए. अनुपात PSA ratio है। पी.एस.ए. अनुपात क� गणना र� में प्रवािहत हो रहे मु�.एस.ए. क� मात्रा में प्रोटीन से बं.एस.ए. क� मात्रा का भाग देकर क� जाती है। शोधकतार् मानते हैं िक र� में मुप से प्पी.एस.ए. का सुदम प्रोस्टेट िववधर्न से सीधा सम्बन्ध ह, जबिक प्रोटीन से जुड़ा .एस.ए. कैंसर से सम्बिन्धत होता है। तरह पी.एस.ए. अनुपात बढ़ा ह�आ हो तो कैंसर क� संभावना कम रहती है जबिक इस अनुपात का कम होना कैंसर क� उपिस्थित प्रबल बनाता है
5 | P a g e 
म 
ूत्र प्रवाह ज(Urinary Flow Rate) इस जांच से मूत्र के प्रवाह क� मात्रा और गित को देखा जाता है। यह सरल जांच है अस्पताल के बा� रोगी िवभाग मेसकती है। रोगी को मशीन से लगे पात्र में एक या अिधक बार मूत्र िवसजर्न करवाया जाता है। इससे मूत्र �कावट का आजाता है और पता चल जाता है िक रोगी में मूत्र क� कावट बढ़ रही है या सुधर रही है। मूत्र िवसजर्न प�ात मूत्राशय में अवशेष मूत्र (Post-void Residual Urine Volume) मूत्र िवसजर्न प� ात मूत्राशय में अवशेष मूत्र कमात्रा से मूत्राशय के खाली होने क� मता का मोटे तौर पर आंकलन लेिकन इससे मूत्र �कावट या डेट्र�जन पेशी क� िनिष्क्रयता में भेद करना मुिश्कल होता है। यिद अ300 एमएल से अिधक हो तो उच्च मूत्रपथ और वृक्क िवकार का जोिखम रहता है। अवशेष मूत्र क� गणना सोनोग्राफद्वारा आसानी से कर ली रĉ में िक्रयेिटन िक्रयेिटनीन का बढ़ना उच्च मूत्रपथ और वृक्क िवकार क� उपिस्थित को इंिगत कर उच्च मूत्रपथ छायांकन जा इस हेतु सोनोग्राफ� और .टी.स्केन अच्छी जांच िवधाएं हैं। यिद मूत्रम, संक्रमण के संकेत िमले , वृक्क िवकार हो या रोगीको पहले कभी पथरी क� िशकायत रही हो तो उच्च मूत्रपथ क� छायांकन जांच बह�त जरी हो जाती है। आवश्यकतानु अंतःिशरा वृक्क िचत्(Intra Venous Pyelography) क� जाती है िजससे वृक्क और मूत्रपथ क� संपूणर् संत्म और िक्रयात् जानकारी िमल जाती है। अन्तरमलाशय सोनोग्राTransrectal Ultrasound Scanning (TRUS) 
प्रोस्टेट के आ, आमाप, वृिद्ध या अबुर्द क� उपिस्हेतु यह जांच बह�त िवĵसनीय है। यिद कैंसर क� संभावना हो तो इसके साथ ही जीवोित जांच हेतु प्रोस्टके नमूने भी ले िलए जाते हैं। बढ़ी ह�ई प्रोस्टेटआंकलन तथा उपचार सम्बन्धी महत्वपूणर् िनणर्य हेतु यह बह�त ज�री जांच है। 
य 
ूरोडायनेिमक्स(Urodynamics) 
य 
ूरोडायनेिमक्स के अंतगर्त मूत्र िवसजर्न के समय मूत्रपथ क� सिक्रयता के आंकलन हेतु कई जांचेजाती हैं। यह जिटल जांचें है िजसमें फ्लोरोस, वीिडयो �रकोिड«ग, मूत्राशय तथा मलाशय में दबाव गणना, और मूत्र प्रवाह का आंकलन िकया जाता िनम्न मूत्रपथ ल�ण के प्रारंिभक िनदान यूरोडायनेिमक्स जांच क� अवहेलना क� जा सकती ह, िवशेष तौर पर जहां हम उपचार के सस्त, प�रवतर्नीय और सुरित िवकल्प का चयन करते हैं। लेिकन जब हम मंहग, अप�रवतर्नीय और आक्रामक उपचार देने पर िवचार करते हैं तो यह जांच आवश्य जाती है।
6 | P a g e 
म 
ूत्रमागर् द्वारा मूत्राश(Cystoscopy also called Urethrocystoscopy) इस जांच का िनणर्य रोगी के िचिकत्क�य इितहास और संभािवत शल्य उपचार आधार पर िकया जाता है। यिद रोगी को र�मक� िशकायत हो तो मूत्राशय के अबुर्द और पथरी आंकलन हेतु यह जांच करना ज�री हो जाता है। यिद रोगी को भूतकाल में- िनससारण नली का िसकुड़न या िस्ट्र , मूत्राशय अबुर्द या पूवर् में िनम्न मूत्रपथ शल्य ह�आ हो तो भी यह जांच क� अन्तरात्मक िनदाDifferential Diagnosis प्रोस्टेट अितवधर्न का िनदान प्रायः प(Symptom scores), मूत्र प्र(Uroflowmetry), अन्तरमलाशय अंगुलीप�रस्पशर (Prostatic Volume on DRE or TRUS) और पी.एसए. (Biochemical) जांचों के आधार पर िकया जाता है।लेिकन अंितम िनदान तो जीवोित जांच के आधार पर ही होता है। प्रोस्टेट अितवधर्न के अलावा कई अन्य िवकारों में भीजुलते िनम्न मूत्रपथ ल�ण होते, िजन्हें परखना और पृथक करना ज�री होता है। अन्तरात्मक िनदान नीचे सारणी में िदये गये 
संक्रमण र 
क 
ैंस 
ना 
ड़ 
ी रोग 
म 
ूत्रपथ �कावट के अन्य िव 
म 
ूत्रपथ संक प्रोस्टेट सं मूत्राशय पथ इंटरस्टीिशयल संक्रमण मूत मूत्राशय में �य र 
प्रोस्टेट क ट्रोंजीशन सेल कैंसर मू मूत्र िनस्सारण मली कै 
पािक 
« 
सन रोग 
स्ट् 
म 
ल्टीपल िस्क्लरो सेरीब्रल ऐट् शाई ड्रेगर िसंड 
य 
ूरीथ्रल िस्ट तीवृ फाईमोिसस मूत्राशय ग्रीवा िडिस्सन बा� संकोिचनी िडिस्सनिजर् 
उपचार प्रोस्टेट अितवधर्न के िलए कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं। इनमें , जड़ी-बूिटयाँ, शल्-िक्र, न्यूनतम आक्रामक शउपचार आिद प्रमुख हैं। रोगी के िलए सव�म उपचार का चयन कई पहलुओं जैसे लणों क� ती, प्रोस्टेट का आ, रोगी क� उम, रोगी का स्वास्थ्य आिद के आधार पर -समझ कर िकया जाता है। यिद रोगी को ल�ण बह�त मामूली से हों तो कई बारसतकर्ता और प्रती� ा कनीित ही उिचत रहती ह औषिधयाँ प्रारंिभक अवस्था में प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार हेतु प्रायः औषिधयों का प्रयोग िकया जाता है। औषधीय उपचार कोमें बांटा गया है। अल्फा ब्लॉक– इस श्रेणी क� औषिधयाँ मूत्राशय ग्रीवा और प्रोस्टेट क� पेिशयों(relax) करती है, िजसके कारण मूत्र िवसजर्न आसानी से हो जाता है। टेराजो, डोक्साजोिस, टेमसुलािसन, ऐल्फुजोिसन और िसलोडोिसन इस श्रेणी में हैं। अल्फा ब्लॉकर जल्दी से असर करती हैं। एक या दो िदन में ही मूत्र क� धारा तेज हो जाती ह-बार मूत्र जाने क� जरनहीं पड़ती है। अल्फा ब्लॉकर का एक हािन रिहत पाष्वर् प्रभाव प�गाम(Retrograde Ejaculation) है, िजसमें वीयरस्खलन िश� मागर् से बाहर न होकर उलटा मूत्राशय में हो जाता 
5 अल्फा �रडक्टेज इिन्हबीट– ये दवाएं प्रोस्टेट मे.एच.टी. हाम�न के िनमार्ण को बािधत कर बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट के आको छोटा करती हैं। फाइनास्ट्राइड और ड्युटास्ट्राइड इस श्रेणी में आती हैं। बह�त बड़ी प्रोस्टेट में इनका प्रयोग है। ये बह�त धीरे (कई हफ्तों या महीनों ) असर करती हैं। नपुंसकता(स्तंभन दो), संभोग क� इच्छा कम होना और प�गामीस्खलन(Retrograde Ejaculation) इनके प्रमुख पाष्वर् प्रभा
7 | P a g e 
स 
ंयुĉ औषधीय उपचार – कई बार उपरा� दोनों श्रेणी कऔषिधयाँ साथ देने से अच्छे प�रणाम िमलते टाडालािफल – जो फोस्फोडाईस्टीरेज इिन्हबीटसर् श्रेणी में, का प्रयोग नपुंसकत(स्तंभन दो) के उपचार में िकयाजाता है। कुछ िचिकत्सक प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार में भी इसका प्रयोग करते हैं। इसको अल्फा ब्लॉकर और नाइनाइट्रोग्लीसरीन के साथ नहीं िकया जाता ह 
Medical Treatment of BHP 
Finasteride 5 mg HS 
Dutasteride 0.5 HS 
Tab FINAST Tab FINCAR Tab CONTIFLO 
Cap DURIZE Tab VELTRIDE 
Terazosin start with 1 mh HS increase up to 10 mg 
Tab TERAPRESS Tab HYTRIN 
Tamsulosin 0.4 to 0.8 mg HS 
Tab URIMAX Cap DYNAPRES Tab VELTAM 
Tab ODCONTIFLO OD F Cap URIMAX F Tab VELTAM F Cap FINAST T Cap URIMAX F 
Tab VELTAM PLUS Cap DUTAS-T 
Alfuzosin 10 mg HS 
Tab FLOTRAL 
Tab ALFUSIN D 
Doxazosin 1, 2 & 4 mg Dose 1to 8 mg HS 
Tab DOXACARD Tab DURACARD 
Herbal 
Cap Prostanorm 
HS = at bed time 
श 
ल्य िक्र यिद औषिधयां काम नहीं करे या रोग के ल�ण गंभीर और क�दायक होने लगे तो कई तरह क� शल-िक्रयाएं क� जाती हैं। स शल्-िक्रयाओं में मूत्र के प्रवाह �कावट बन रहे प्रोस्टेट के ऊतकों को िनकाल कर प्रोस्टेट को छोटा िकया िनस्सारण नली को खोल िदया जाता है। उिचत शल-िक्रया का चुनाव कई पहलुओं जैसे ल� णों कतीव, प्रोस्टेट का आ, रोगी क� उम, रोगी का स्वास्थ्य और अन्य उपचार क� उपलब्धता के आधार प-समझ कर िकया जाता है। सभी शल्-िक्रयाओं के कुछ कुप्रभाव जैसे संभोग बाद प�गामी स्खलRetrograde Ejaculation (िजसमें वीयर् स्खिश� मागर् से बाहर न होकर उलटा मूत्राशय में हो जात), मूत्राशय पर िनयंत्रण न या Incontinence (मूत्र असंयत) और नपुंसकता (स्तंभन दो) होते हैं। सामान्य शल-िक्रय मूत्रमागर् से प्रोस्टेट उच्छेदन टी(TURP) यह प्रोस्टेट अितवधर्न क� सबसे प्रचिलत और प्रम-िक्रया है। इसमें शल्यकम� प्रकाश स्रोत लगे दूरबीन को मूत्
8 | P a g e 
नली म 
े 
ं प्रोस्टे 
ट तक घुसाता है और काटनेिविशĶ औजार से प्रोस्टेट के ऊतकोंछील कर िनकाल लेता है और उसके बाहरी खोल को छोड़ देता है। टीयूआरपी के बाद रोगी को कĶदायक ल�णों में बह�त राहिमलती है और खुल कर मूत्र आना शु� हजाता है। लेिकन र� स्राव और संक्इसके प्रमुख कुप्रभाव हैं। कुछ िदनों कमूत्र िनस्सारण नली में रबर क� ड जाती है, तािक आराम से मूत्र आता रहेशल्य के बाद कुछ िदनों तक रोगी को आराकरने क� सलाह दी जाती है। 
म 
ूत्रमागर् से प्रोस्टेट िवच्छटीयूआइपी (TUIP or TIP) 
यह श 
ल्-िक्रया उन रोिगयों में क� जातीिजनक� प्रोस्टेट छोटी या मामूली बढ़ी ह�ई होती है और रोगी को कुछ शारी�रक िवकारों के कारण अन्-िक्रया करने में कखतरा भी होता है। इसमें टीयूआरपी क� तरह ही दूरबीन को मूत्र िनस्सारण नली में प्रोस्टेट तक घुसा कर काटने के िविसे प्रोस्टेट में एक या दो छोटे चीरे भर लगाये जाते हैं तािक मूत्र मागर् खुल जाये और आसानी से मूत्र आखुली प्रोस्टेट उच्छ(Open prostatectomy) यिद प्रोस्टेट बह�त बढ़ी ह�ई, मूत्राशय भी �ितग्रस्त हो या अन्य िवकार जैसे मूत्राशय में पथरी हो तो-िक्रया करनउिचत रहता है। इसे खुली शल्-िक्रया इसिलए कहते हैं क्योंिक प्रोस्टेट तक पह�ँचने के िलए उदर िनचले िहस्से मेंलगाया जाता है। बह�त बड़ी प्रोस्टेट के िलए यह सबसे प्रभावी उपचार है लेिकन इसके कई कुप्रभाव और जिटलताएँ भी हैं।िक्रया के िलए रोगी को कई िदनों तक अस्पताल में भरती रहना पड़ता है और खून चढ़ाने क� भी जरत पड़ सकती न्यूनतम आक्रामक उपच(Minimally invasive treatments) न्यूनतम आक्रामक उपचार में र� कहािन बह�त कम होत, और आवश्यता पड़ने पर ही रोगी को भरती करने क� जरत होतीहै। ददर् िनवारक दवाओं क� भी बह�त कम ज�रत होती है। प्रोस्टेट अितवधर्न के िलए िनम्न न्यूनतम आक्रामक उपचार िदये जा लेज़र शल्-िचिकत्सा(Laser Surgery) लेज़र शल्य िचिकत्सा में बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट को िनकालने या न� करने के िलए शि�शाली लेज़र िकरणों का प्रयोग िकया जलेज़र शल्य िचिकत्सा में रोगी को तुरन्त राहत िमलती है और टीयूआरपी क� तुलना में कुप्रभाव भी बह�त कम होते हैं। पतला करने क� दवाएं ले रहे रोिगयों मे(जहां अन्य शल-उपचार करना संभव नहीं होता ह) भी लेज़र शल्य िचिकत्सा क� जसकती है। लेज़र शल्य में िविभन्न प्रकार के लेज़र कई तरीकों से प्रयोग िकये ज 
अप 
± 
रण उपचार (Ablative Procedures) – में मूत्र िनस्सारण नली पर दबाव डाल रहे प्रोस्टेट के ऊतकोंकर (या वाष्पीकरण द्व) नĶ कर िदया जाता है और आराम से मूत्र आना शु� हो जाता है
9 | P a g e 
सम 
ू 
लोच्छेदन उपचार(Enucleative Procedures) - 
यह 
उपचार खुली प्रोस्टेट उच्छेदन क� तरहहै लेिकन इसमें कुप्रभाव बह�त कम होते हैइस शल्-िक्रया में मूत्र प्रवाह �काकर रहे प्रोस्टेट के सारे ऊतकों को िनिदया जाता है और प्रोस्टेट क� पुनवृर्िदरोक लगा दी जाती है। इस उपचार का एक फायदा यह भी है िक िनकाले ह�ए ऊतकों क� कैंसर या अन्य रोग सम्बन्धी जांच क� सकती है। 
प्रोस्टेट अितवधर्न हेतु िनम्न लेज़र शल्यजाते हैं। 
• होिल्मयम लेज़र ऐब्लेशन ऑफ द प्रोसHolmium laser ablation of the prostate (HoLAP) 
• िवज्वल ऐब्लेशन ऑफ द प्रोसVisual laser ablation of the prostate (VLAP) 
• होिल्मयम लेज़र इन्यूिक्लयेशन ऑफ द प्रोHolmium laser enucleation of the prostate (HoLEP) 
• फोटोसेलेिक्टव वेपोराइजेशन ऑफ द प्रोस्Photoselective vaporization of the prostate (PVP) 
ले 
ज़ 
र 
उ 
प 
चार का चयन प्रोस्टेट के आ, संवृिद्ध के स्, उपचार क� उपलब्धत, िचिकत्सक क� अनुशंस और रोगी क� वरीयता के आधार पर िकया जाता है। ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव थम�थTransurethral microwave thermotherapy (TUMT) इसमें िचिकत्सक मूत्रमागर् द्वारा एक िविश� इलेक्ट्रोड प्रोस्टेट तक घुसाता है। इलेक्ट्रोड को माइक्रोवेव तरंगो से इस ऊष्मा से प्रोस्टेट का अंद� नी िहस्सा जल कर िसकुड़ जाता है और मूत्र प्रवाह ककावट दूर देता है। इस कुप्रभाव बह�त कम हैं। लेिकन यह उपचार छोटी प्रोस्टेट के िलए प्रयोग िकया, तािक ज�रत पड़ने पर दोबारा भी उपचार िकया जा सके। ट्रांसयूरेथ्रल नीडल ऐब्Transurethral needle ablation (TUNA) यह शल्य प्रायः बा�रोगी िवभाग में िकया जाता है। इसमें प्रकाश स्रोत लगे दूरबीन को मूत्र िनस्सारण नली में प्रोस्टऔर दूरबीन से देखते ह�ए कुछ सुइयां प्रोस्टेट में स्थािपत कर देता है। िफर इन सुइयों रेिडयो तरंगें प्रवािहत , िजससे प्रोस्टेट के ऊतक जल कर न� हो जाते हैं और मूत्र प्रवाह क� कावट दूर हो जाती है। यह उपचार उन रोिगयों में ठीिजन्हें -स्राव का जोिखम रहता हो या अन्य गंभीर रोग हो। ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव (TUMT) क� भांित इस उपचार में भी रोगी को आंिशक लाभ ही िमलता है और राहत िमलने में समय भी लगता है। इस उपचार में नपुंसकत(स्तंभन दो) का जोिखम बह�त कम होता है।
10 | P a g e 
प्रोस्टेिटक स्Prostatic stents प्रोस्टेिटक स्टेंट एक छोटी सी प्लािस्टक या धातु क� नली के समान संरचना , िजसे मूत्र िनस्सारण नली में स्थािपिदया जाता है, तािक मूत्रमागर् खुला रहे। इसे 4-6 स�ाह में बदलना पड़ता है। इसको स्थािपत करने के बाद शल्य क� जरत नपड़ती है। लेिकन िचिकत्सक इसे लम्बे समय के िलए प्रयोग नहीं करते हैं क्योंिक संक्रमण और मूत्र िवसजर्न के समयखतरा रहता है। कई बार धातु के स्टेंट को िनकालना मुिश्कल होता है इसिलए इसे िवशेष प�रिस्थितयों में ही डाला जातप्लािस्टक के स्टेंट को कभी कभी शल्य से पहले डाला जाता है ताि-िक्रया होने तक आराम से मूत्र आता रह जीवनशैली में सुधार जीवनशैली में सुधार लाकर भी रोगी अपनी परेशािनयों को कम कर सकता है 
• शाम को पेय पदाथŎ का सेवन कम करें। सोने के एक या दो घंटे पहले कोई पेय पदाथर् नहीं पीयें। तािक राित्र में मूत्के िलए उठना नहीं पड़े। 
• कॉफ� या मिदरापान कम करें। क्योंिक इनको पीने से अिधक मूत्र बनता है जो मूत्राशय को (Irritate) करता है और तकलीफ बढ़ाता है। 
• यिद आप डाइयूरेिटक्स ले रहे हैं तो िचिकत्सक से सलाह लेकर इनक� मात्रा कम करें या इन्हें सुबह के समय लेइन्हें िचिकत्सक से पूछे िबना कभी बंद नहीं कर 
• अनावश्यक जुकाम क� दवा(Decongestants or Antihistamines) नहीं लें। ये प्रोस्टेट क� पेिशयों का संकुचनहैं िजससे मूत्र करने में िदक्कत बढ़ती 
• तलब लगते ही मूत्र करने चले जायें। मूत्र को अिधक देर तक रोकने से मूत्राशय का िखंचाव बढ़ता है और उसक� पकमजोर होती है। 
• िनयिमत अंतराल पर मूत्र िवसजर्न करते रहें।4-6 घंटें में मूत्र करना उिचत रहता 
• स्वयं को सिक्रय , थोड़ा व्याया, योग और भ्रमण करे 
• मूत्र िवसजर्न के बाद कुछ �णों पुनः मूत्र 
• अिधक ठंड से बचें और शरीर को गमर् रख 
• अिĵनी मुद्रा में एक योग व्यायाम बढ़ी ह�ई प्रॉस्टेटग्रंिथ के ल�णों के िलएफायदेमं 
• इस रोग में कद्दू के (िजंक), पपीता, बी पोलन, हरी चाय, ब्रोकोली आिद बह�त ही लाभदायक ह 
वैकिल्पक िचिकत्स प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार में क-बूिटयां बह�त प्रभावशाली सािबत ह�ई हैं। िनम्न-बूिटयां काफ� महत्वपूणर् मानी गई है 
• सा पामेटो (Saw Palmetto) - सबसे प्रमुख सा पामेटो है जो चीन मपैदा होने वाले पौधे सेरेनोवा रेपेन्स के फल से तैयार िकया जाता है। 
• पाइिजयम – यह एक तेल है जो अफ्रन प्रून के पेड़ िछलके सिनकाला जाता है। 
• बीटा-साइटोस्टीरोल ऐक्सट्र– यह कई तरह क� घास और पेड़ों से तैयार िकया जाता है। 
• राईग्रास ऐक्सट्(Ryegrass Extract) – यह राईग्रास के पराग सतैयार होता है। 
• िस्टंिगंग नेटल ऐक्सट्र(Stinging Nettle Extract) – यह इस पौधे क� जड़ से तैयार िकया जाता है।
11 | P a g e 
• बढ़ी ह�ई प्रॉस्टेट ग्रंिथके िलए कुछ उपयोगी आयुव�िदक पूरक गोकशुरादी गु, चन्द्रप्रभ, िशलािजत वटी, गोरखमुंडी घाना, पुनरनावा घाना, लताकरंज घाना है। 
प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार हेतु उपरो�-बूिटयों से बना केप्स्यूल प्रोस्टानोमर् एक उत्कृ� उत्पाद है। सा पामेटो इल�ण और तकलीफों में बह�त राहत देता है। पाइिजयम में वसा में घुलनशील स्टीरोल और फैटी ऐिसड जो प्रदाहरोधी है के प्रवाह को बढ़ाते , अवशेष मूत्र क� मात्रा को घटाते हैं और राित्र में मूत्र िवसजर्न के आघटन को क िस्टंिगंग नेटल ऐक्सट्रेक्ट में िलगनेन होता है जो लैंिगक हाम� न्स कएंड्रोजन अिभग्राहकों से िचपकने क� म, िजससे प्रोस्टेट क� कोिशकाओं क� संवृिद्ध बािधत होती है। िजंक प्रोस्टेट के आमाप को घटाता है। सबके िमले जुलेडाइहाइड्-टेस्टोस्टीरोन क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से अनुराग और िचपकने क� मता कम होती5-अल्फा �रडक्टेज एंजाइक� सिक्रयता बािधत होती है। प्रोस्टानोमर् बह�त असरदायक है लेिकन पाष्वर् प्रभाव न

More Related Content

Viewers also liked

Fat - Friend or Foe
Fat - Friend or FoeFat - Friend or Foe
Fat - Friend or Foe
Om Verma
 
Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...
Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...
Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...
Om Verma
 
Fat - friend or foe
Fat -  friend or foe Fat -  friend or foe
Fat - friend or foe
Om Verma
 
Wheat grass
Wheat grassWheat grass
Wheat grass
Om Verma
 
Mini's fracture
Mini's fractureMini's fracture
Mini's fracture
Om Verma
 
Flax hull lignans
Flax hull lignansFlax hull lignans
Flax hull lignans
Om Verma
 

Viewers also liked (15)

Fat - Friend or Foe
Fat - Friend or FoeFat - Friend or Foe
Fat - Friend or Foe
 
Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...
Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...
Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...
 
Fat - friend or foe
Fat -  friend or foe Fat -  friend or foe
Fat - friend or foe
 
Wheat grass
Wheat grassWheat grass
Wheat grass
 
Mini's fracture
Mini's fractureMini's fracture
Mini's fracture
 
Résistance de Plasmodium falciparum à la chloroquine
Résistance de Plasmodium falciparum à la chloroquineRésistance de Plasmodium falciparum à la chloroquine
Résistance de Plasmodium falciparum à la chloroquine
 
DWC product manual
DWC product manualDWC product manual
DWC product manual
 
Pituitary adenoma
Pituitary adenomaPituitary adenoma
Pituitary adenoma
 
Flax hull lignans
Flax hull lignansFlax hull lignans
Flax hull lignans
 
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)
 
Entomologie moléculaire et étude de la structuration génétique des anophèles
Entomologie moléculaire et étude de la structuration génétique des anophèlesEntomologie moléculaire et étude de la structuration génétique des anophèles
Entomologie moléculaire et étude de la structuration génétique des anophèles
 
Infection palustre en fonction de l'âge et du niveau de transmission : rôle d...
Infection palustre en fonction de l'âge et du niveau de transmission : rôle d...Infection palustre en fonction de l'âge et du niveau de transmission : rôle d...
Infection palustre en fonction de l'âge et du niveau de transmission : rôle d...
 
Les risques des médicaments du marché pour le traitement du paludisme
Les risques des médicaments du marché pour le traitement du paludismeLes risques des médicaments du marché pour le traitement du paludisme
Les risques des médicaments du marché pour le traitement du paludisme
 
Plannification d'une enquête transversale
Plannification d'une enquête transversalePlannification d'une enquête transversale
Plannification d'une enquête transversale
 
Un accès palustre, oui mais: infection multiple, infection mixte ou co-infect...
Un accès palustre, oui mais: infection multiple, infection mixte ou co-infect...Un accès palustre, oui mais: infection multiple, infection mixte ou co-infect...
Un accès palustre, oui mais: infection multiple, infection mixte ou co-infect...
 

Similar to BHP

गुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशा
गुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशागुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशा
गुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशा
mag_fun
 
Gout
GoutGout
Gout
Om Verma
 
Gout
GoutGout
Gout
Om Verma
 
Diabetic Nephropathy
Diabetic NephropathyDiabetic Nephropathy
Diabetic Nephropathy
Om Verma
 
Urinary system (structure and function of kidney) hindi
Urinary system (structure and function of kidney)   hindiUrinary system (structure and function of kidney)   hindi
Urinary system (structure and function of kidney) hindi
MY STUDENT SUPPORT SYSTEM .
 
Diabetic Neuropathy
Diabetic NeuropathyDiabetic Neuropathy
Diabetic Neuropathy
Om Verma
 
Digestive system part 4 (pancreas, liver and gall bladder) hindi
Digestive system  part 4  (pancreas, liver and gall bladder)  hindiDigestive system  part 4  (pancreas, liver and gall bladder)  hindi
Digestive system part 4 (pancreas, liver and gall bladder) hindi
MY STUDENT SUPPORT SYSTEM .
 
Osteoarthritis
OsteoarthritisOsteoarthritis
Osteoarthritis
Om Verma
 
Prostate cancer
Prostate cancer Prostate cancer
Prostate cancer
Om Verma
 
Nephropathy
NephropathyNephropathy
Nephropathy
Om Verma
 

Similar to BHP (20)

गुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशा
गुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशागुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशा
गुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशा
 
What about Liver Fibrosis
What about Liver FibrosisWhat about Liver Fibrosis
What about Liver Fibrosis
 
Gout
GoutGout
Gout
 
Gout
GoutGout
Gout
 
Urinary Tract Infections(UTI)
Urinary Tract Infections(UTI)Urinary Tract Infections(UTI)
Urinary Tract Infections(UTI)
 
Diabetic Nephropathy
Diabetic NephropathyDiabetic Nephropathy
Diabetic Nephropathy
 
Urinary system (structure and function of kidney) hindi
Urinary system (structure and function of kidney)   hindiUrinary system (structure and function of kidney)   hindi
Urinary system (structure and function of kidney) hindi
 
Kidney stone- गुर्दे में पथरी होने के कारण, लक्षण और इलाज क्या है _.pdf
Kidney stone- गुर्दे में पथरी होने के कारण, लक्षण और इलाज क्या है _.pdfKidney stone- गुर्दे में पथरी होने के कारण, लक्षण और इलाज क्या है _.pdf
Kidney stone- गुर्दे में पथरी होने के कारण, लक्षण और इलाज क्या है _.pdf
 
Diabetic Neuropathy
Diabetic NeuropathyDiabetic Neuropathy
Diabetic Neuropathy
 
Liver and liver disease
Liver and liver diseaseLiver and liver disease
Liver and liver disease
 
फिस्टुला (Fistula Symptoms in Hindi) के लक्षणों को नहीं करें नजरंदाज वर्ना हो...
फिस्टुला (Fistula Symptoms in Hindi) के लक्षणों को नहीं करें नजरंदाज वर्ना हो...फिस्टुला (Fistula Symptoms in Hindi) के लक्षणों को नहीं करें नजरंदाज वर्ना हो...
फिस्टुला (Fistula Symptoms in Hindi) के लक्षणों को नहीं करें नजरंदाज वर्ना हो...
 
Digestive system part 4 (pancreas, liver and gall bladder) hindi
Digestive system  part 4  (pancreas, liver and gall bladder)  hindiDigestive system  part 4  (pancreas, liver and gall bladder)  hindi
Digestive system part 4 (pancreas, liver and gall bladder) hindi
 
Osteoarthritis
OsteoarthritisOsteoarthritis
Osteoarthritis
 
पीसीओडी.pdf
पीसीओडी.pdfपीसीओडी.pdf
पीसीओडी.pdf
 
Prostate cancer
Prostate cancer Prostate cancer
Prostate cancer
 
Diarrhea अतिसार-1.pdf
Diarrhea अतिसार-1.pdfDiarrhea अतिसार-1.pdf
Diarrhea अतिसार-1.pdf
 
Nephropathy
NephropathyNephropathy
Nephropathy
 
Disorder due to vitiated milk (BAMS)
Disorder due to vitiated milk (BAMS)Disorder due to vitiated milk (BAMS)
Disorder due to vitiated milk (BAMS)
 
Presentation (7).pdf
Presentation (7).pdfPresentation (7).pdf
Presentation (7).pdf
 
CANCER.pptx
CANCER.pptxCANCER.pptx
CANCER.pptx
 

More from Om Verma

Coconut oil hindi
Coconut oil hindiCoconut oil hindi
Coconut oil hindi
Om Verma
 
Cell phone - a friend or foe
Cell phone - a friend or foeCell phone - a friend or foe
Cell phone - a friend or foe
Om Verma
 
Blackseed Miracles
Blackseed  MiraclesBlackseed  Miracles
Blackseed Miracles
Om Verma
 
G spot
G spot G spot
G spot
Om Verma
 
Gazal by Zeba
Gazal by ZebaGazal by Zeba
Gazal by Zeba
Om Verma
 
Cancer - disease of the psyche dr. india
Cancer -  disease of the psyche dr. indiaCancer -  disease of the psyche dr. india
Cancer - disease of the psyche dr. india
Om Verma
 
Budwig Protocol Album
Budwig Protocol AlbumBudwig Protocol Album
Budwig Protocol Album
Om Verma
 
Budwig Protocol in Aha zindagi
Budwig Protocol in Aha zindagi Budwig Protocol in Aha zindagi
Budwig Protocol in Aha zindagi
Om Verma
 
Aha zindagi maha visheshank 2014
Aha zindagi maha visheshank 2014Aha zindagi maha visheshank 2014
Aha zindagi maha visheshank 2014
Om Verma
 
Flax Awareness Society
Flax Awareness Society Flax Awareness Society
Flax Awareness Society
Om Verma
 

More from Om Verma (20)

Linomel Muesli (FOCC)
Linomel Muesli (FOCC)Linomel Muesli (FOCC)
Linomel Muesli (FOCC)
 
Coconut oil hindi
Coconut oil hindiCoconut oil hindi
Coconut oil hindi
 
Cell phone - a friend or foe
Cell phone - a friend or foeCell phone - a friend or foe
Cell phone - a friend or foe
 
Blackseed Miracles
Blackseed  MiraclesBlackseed  Miracles
Blackseed Miracles
 
Sauerkraut - Professor of Probiotics
Sauerkraut - Professor of Probiotics Sauerkraut - Professor of Probiotics
Sauerkraut - Professor of Probiotics
 
Cottage cheese making
Cottage cheese making Cottage cheese making
Cottage cheese making
 
FOCC or Omkhand
FOCC or OmkhandFOCC or Omkhand
FOCC or Omkhand
 
Black Seed – Cures every disease except death
Black Seed – Cures every disease except death Black Seed – Cures every disease except death
Black Seed – Cures every disease except death
 
Sour cabbage or Sauerkraut
Sour cabbage or SauerkrautSour cabbage or Sauerkraut
Sour cabbage or Sauerkraut
 
Oregano Oil
Oregano Oil Oregano Oil
Oregano Oil
 
Mayo dressing
Mayo dressing  Mayo dressing
Mayo dressing
 
Sauerkraut - Make your own
Sauerkraut - Make your own Sauerkraut - Make your own
Sauerkraut - Make your own
 
G spot
G spot G spot
G spot
 
Gazal by Zeba
Gazal by ZebaGazal by Zeba
Gazal by Zeba
 
Cancer - disease of the psyche dr. india
Cancer -  disease of the psyche dr. indiaCancer -  disease of the psyche dr. india
Cancer - disease of the psyche dr. india
 
Budwig Protocol Album
Budwig Protocol AlbumBudwig Protocol Album
Budwig Protocol Album
 
Budwig Protocol in Aha zindagi
Budwig Protocol in Aha zindagi Budwig Protocol in Aha zindagi
Budwig Protocol in Aha zindagi
 
Aha zindagi maha visheshank 2014
Aha zindagi maha visheshank 2014Aha zindagi maha visheshank 2014
Aha zindagi maha visheshank 2014
 
DWC Business Plan in Hindi
DWC Business Plan in HindiDWC Business Plan in Hindi
DWC Business Plan in Hindi
 
Flax Awareness Society
Flax Awareness Society Flax Awareness Society
Flax Awareness Society
 

Recently uploaded

AMAZING VIP Russian Call Girls Connaught Place ASHVI 9711199012 Russian High...
AMAZING VIP  Russian Call Girls Connaught Place ASHVI 9711199012 Russian High...AMAZING VIP  Russian Call Girls Connaught Place ASHVI 9711199012 Russian High...
AMAZING VIP Russian Call Girls Connaught Place ASHVI 9711199012 Russian High...
nr802185
 
TOP VIP Call Girls Janakpuri 9711199012 Russian High Class Model
TOP VIP Call Girls Janakpuri 9711199012 Russian High Class ModelTOP VIP Call Girls Janakpuri 9711199012 Russian High Class Model
TOP VIP Call Girls Janakpuri 9711199012 Russian High Class Model
nr802185
 
Best VIP Call Girls {{Laxmi Nagar Delhi}}9711199012 Russian High Class Model
Best VIP Call Girls  {{Laxmi Nagar Delhi}}9711199012 Russian High Class ModelBest VIP Call Girls  {{Laxmi Nagar Delhi}}9711199012 Russian High Class Model
Best VIP Call Girls {{Laxmi Nagar Delhi}}9711199012 Russian High Class Model
nr802185
 
No ED Now: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
No ED Now: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil DubeyNo ED Now: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
No ED Now: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
DUBEY CLINIC
 

Recently uploaded (6)

AMAZING VIP Russian Call Girls Connaught Place ASHVI 9711199012 Russian High...
AMAZING VIP  Russian Call Girls Connaught Place ASHVI 9711199012 Russian High...AMAZING VIP  Russian Call Girls Connaught Place ASHVI 9711199012 Russian High...
AMAZING VIP Russian Call Girls Connaught Place ASHVI 9711199012 Russian High...
 
TOP VIP Call Girls Janakpuri 9711199012 Russian High Class Model
TOP VIP Call Girls Janakpuri 9711199012 Russian High Class ModelTOP VIP Call Girls Janakpuri 9711199012 Russian High Class Model
TOP VIP Call Girls Janakpuri 9711199012 Russian High Class Model
 
amlapitta ayurvedic approach with treatment
amlapitta ayurvedic approach with treatmentamlapitta ayurvedic approach with treatment
amlapitta ayurvedic approach with treatment
 
Best VIP Call Girls {{Laxmi Nagar Delhi}}9711199012 Russian High Class Model
Best VIP Call Girls  {{Laxmi Nagar Delhi}}9711199012 Russian High Class ModelBest VIP Call Girls  {{Laxmi Nagar Delhi}}9711199012 Russian High Class Model
Best VIP Call Girls {{Laxmi Nagar Delhi}}9711199012 Russian High Class Model
 
Call Girls In Delhi Paharganj +91)꧁9711147426꧂Escorts Service 24 × 7 Online B...
Call Girls In Delhi Paharganj +91)꧁9711147426꧂Escorts Service 24 × 7 Online B...Call Girls In Delhi Paharganj +91)꧁9711147426꧂Escorts Service 24 × 7 Online B...
Call Girls In Delhi Paharganj +91)꧁9711147426꧂Escorts Service 24 × 7 Online B...
 
No ED Now: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
No ED Now: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil DubeyNo ED Now: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
No ED Now: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
 

BHP

  • 1. 1 | P a g e प्रोस्टेट सुदितवधर् Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) प्रोस्टेट सुदम अितवधर्न वयोवृद्ध लोगों का एक सामान्य , िजसमें प्रोस्टेट ग्रंिथ क� कोिशकाओं में वृिद्ध होने लगतीअंग्रेजी में िबनाइन प्रोस्टेिटक हाइपरप्लेिBenign Prostatic Hyperplasia (BPH) कहते हैं। कोिशकाओं में वृिद्धकारण ग्रंिथ का आकार धी-धीरे बढ़ने लगता है िजसके कारण रोगी को कई मूत्र िवसजर्न सम्बन्धी ल�ण पैदा हो जाते हैंसमय पर उपचार नहीं िकया जाये तो बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट मूत्र के प्रवाह में आंिशक या पूणर् �कावट पैदा कर सकती है िमूत्रा, मूत्रपथ और वृक्क सम्बन्धी िवकार हो सकते हैं। इस रोग का उपचार जीवनशैली मे, जड़ी-बूिटयाँ, औषिधयाँ और शल्यिक्रया ह कारण प्रोस्टेट अितवधर्न य.एच.पी. क� रोगजनकता में पु�ष हाम�नAndrogens (टेस्टोस्टीरोन तथा अन्य सम्बिन्धत ) एक अहम कारक है। इसका मतलब यह ह�आ िक शरीर में ऐन्ड्रोजन उपिहोने पर ही प्रोस्टेट अितवधर्न होगा। इसका एक सा�य यह भी हैिजन लड़कों का वंध्यकर(Castration) छोटी उम्र में ही कर िदजाता है उन्हें प्रोस्टेट अितवधर कभी नहीं होता है। दूसरी तरफ िजनको टेस्टोस्टीरोन बाहर स(इंजेक्शन या गोिलयों के �प ) िदया जाता है, उनमें प्रोस्टेट अितवधर्न के जोिखम पर िवशेष अन्तआता है। डाइहाइड्रो टेस्टोस्टी(DHT), जो टेस्टोस्टीरोन कचयापचय उत्पाद ह, प्रोस्टेट क� संवृिद्ध में िनणार्यक भूिमका है। 5α-अल्फा�रडक्टेज टा-2 एंजाइम क� उपिस्थित में प्रोस ग्रंिथ टेस्टोस्टीरोन के अपघटन से डाइहाइड्रो टेस्टो(DHT) का िनमार्ण करती है। यह एंजाइम मुख्यतः स्ट्रोमा क� कोिशकाओव्या� रहता ह, अतः मुख्यतः ड.एच.टी. का िनमार्ण स्ट्रोमा में ही है। डी.एच.टी. हाम�न स्ट्रोमा में स्व(Autocrine) अथवा समीप क� इपीथीिलयल कोिशकाओं में पह�ँच कर परास्रा(Paracrine) रीित से कायर् करता है। दोनों ही तरह क� कोिशकाओं में.एच.टी. कोिशक�य एंड्रोजन अिभग्रा(Receptors) से बंध कर संवृिद्ध घटक यGrowth Factors (िजन पर इिपथीिलयल और स्ट्रोमल कोिशकाओं क� संवृिद्ध िजम्मेदारीहै) को िलप्यंतरण संदे (Transcription Signal) देकर प्रोत्सािहत करता है।.एच.टी. टेस्टोस्टीरोन स10 गुना अिधक प्रबहोता है क्योंिक टेस्टोस्टीरोन क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से बंधने �मता बहत कम हो.एच.टी. के प्रभाव से प्रोस्टेग्रंिथल अितवधर(Nodular Hyperplasia) होता है। इसिलए जब ग्रंिथल अितवधर्न के रोगी 5α-�रडक्टेज इिन्हबीटर जैसिफनािस्टराइड दी जाती है तो प्रोस्टेट म.एच.टी. का स्तर िवशेष �प से कम होता है और फलस्ल�प प्रोस्टेट का आमाप होता है और ल�णों में राहत िमलती है। प्रोस्टेट अितवधर्न में इस्ट्रोजन भी एक कारक माना गया है। लेिकन प्रोस्टेट क� अिभवृिद्ध से इस्ट्रोजन का सीबिल्क प्रोस्टेट में इस्ट्रोजन अपघिटत होकर एंड्रोजन में प�रवितर्त होकर प्रोस्टट को बढ़ाता है। पा�ात्य जीवन
  • 2. 2 | P a g e अितवधर्न का महत्वपूणर् कारण है। यह बात बह�त रहस्यमय बनी हई है िक प्रोस्टेट सुदम अितवधर्न रोग ि सफर् मन ुष्य और क होता है जबिक सभी नर स्तन धा�रयों में प्रोस्टेट ग्रंिथ ह ल±ण और संके त प्रोस्टेट अितवधर्न में ल�-िवसजर्न या �कावट और मूत्राशय में मूत्र के भराव याStretching or Irritation (मूत्राशक� िनिष्क्र) के कारण होते हैं। मू-िवसजर्न सम्बन्धी ल�ण अिधक सामान्, लेिकन भराव सम्बन्धी ल�ण रोगी को ज्यातकलीफ देते हैं। इस रोग के ल�ण उम्र साथ बढ़ते हैं40 वषर् या अिधक उम्र 25% पु�षों में प्रायः प्रोस्टेट अितवल�ण उपिस्थत होते हैं। मूत्रपथ में यांित्रक �कावट प्रोस्टेट ग्रंिथ के अितवधर्न के, लेिकन प्रोस्, मूत्र िनस्सानली और मूत्राशय ग्रीवा क� िस्नग्ध पेशी के आकुंचन से भी गत(Dynamic) �कावट होती है। यह गत्यात्मक �काविसम्पेथेिटक स्नायु तंत्रα-1 एड्रीनो�रसेप्टर के प्रोत्साहन के कारण होता है। भंडारण सम्बन्धी ल�ण मूत्र में �कावटमूत्राशय क� डेट्र�जर पेशी में आई अिस्थरता के कारण होते हैं। मूत्राशय क� िभियों (Hypertrophy) और कोलेजन एकित्रत होना प्रमुख भंडारण सम्बन्धी ल�ण हैं। इα-1 एड्रीनो�रसेप्टसर् पर शोध चल रही α-1 एड्रीनो�रसेप्टसर् कोउपजाितयों क्रमα 1A और α1D में वग�कृत िकया गया है।α 1A मुख्यतः प्रोस्टेट म α1D मुख्यतः मूत्राशय में स्थरहते हैं। इस तरह मूत्र क� कावट में राहत देने के α 1A को और भंडारण सम्बन्धी ल�ण को ठीक करने के िलα1D अव�द्ध करना जरी है िनम्न मूत्रपथ सम्बन्धी ल�ण और लैंिगक िवकारों के आपसी सम्बन्ध को भी समझना ज�री है। क्योंिक इन रोिगयिवकार होना अित सामान्य है। कामेच्छा में (Poor Libido), स्तंभन दो (Irrectile Dysfunction), स्खलन में कमी या अनस्खलन दोष प्रमुख लैंिगक िवकार म ूत-िवसजर्न या �कावट सम्बन्धी ल म ूत्र के भराव या तनाव सम्बन्धी • मूत्र क� धार िनकलने में देर ल • मूत्र क� धार पतली हो • �क कर मूत्र िवसजर्न का हो • मूत्र िवसजर्न के िलए जोर लगाना प • मूत्र िवसजर्न अिधक समय लगना • ऐसा लगे जैसे मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो पाया • मूत्र िवसजर्न के बाद भी मूत्र बूँद बूँद करके टपकता • बार मूत्र िवसजर्न होन • अचानक मूत्र क� तलब लगन • मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण न रख • रात में मूत्र िवसजर्न के िलए बार उठना पड़े जिटलताएँ मूत्र में �का जैसे जैसे प्रोस्टेट बढ़ती है रोगी के ल�णों क� तीवृता और मूत्र में � कावट कसंभावना भी बढ़ने लगती है। मूत्र मेंकĶदायक िवकार है और िजसके उपचार हेतु मूत्र िनस्सारण न (Urethera) द्वारा या जंघा (Symphysis Pubis) के ऊपर से मूत्राशय में केथेटर डाल कर छोड़ना पड़ता है। यिद मूत्र �कावट का समय पर उपचार नहीं िकया जाये तो डेट्र�जर पेशी मऔर �ित होने लगती है, िजससे उसमें िनिष्क्रयता आ जाती है और मूत्राशय क� मूत्र िवसज(अथार्त मूत्राशय ) कम होने
  • 3. 3 | P a g e लगती है। कालान्तर में मूत्र �कावट ददर् रिहत हो जाता है और �कावट के कारण अन्य िवकार जै-बार मूत्रपथ संक, पथरी अथवा गुदŎ का �ितग्रस्त होना स्वाभािवक इनके अलावा मूत्र असंयमता यIncontinence of Urine (अथार्त मूत्राशय में मूत्र क� मात्रा अपनी नई और बढ़ी हई अिधक होते ही मूत्र िनकल जा) उत्पन्न हो जाती है। इस तरह मूत्र अनायास ही िनकल जाता है क्योंिक मूत्र िवसजर्न परिनयंत्रण नहीं रहता है। अंितम अवस्था में प्रोस्टेट अितवधर्न के रोगी में कई बार यह पहला ल�ण होता है। इसके अलावा जाने पर भी मूत्राशय में आंिशक भराव बना रहता है। इसे अवशेष म(Residual Urine) कहते हैं। िचरकारी मूत्र �काव(Chronic Urinary Retention) में मूत्रपथ में आई �कावट दूर करने के बाद भी ज�री नहीं है िक डेपेशी पुनः ठीक से कायर् करने लगे। प्रोस्टेट अितवधर्न के समुिचत उपचार के बाद भी इन रोिगयों -बार केथेटर डालने अथवा मूत्र िनकास क� स्थाई व्यवस्था करने क� आवश्यकता ह, तािक मूत्राशय िनयिमत खाली होता रहे और उच्च मूत(गुदŎ) को �ित नहीं पह�ँचे। बार-बार िनम्न मूत्रपथ संक िनम्न मूत्रपथ को संक्रमण से बचाने के िलए सबसे आवश्यक यही है िक मूत्र ठीक से िवसिजर्त होता रहे और मूत्रखाली होता रहे। प्रोस्टेट अितवधर्न में यह व्यवस्था बािधत हो जाती है और फलस्व�प मूत्र में �कावट तथा मूत्राशय मेतथा ठहराव के कारण मूत्राशय में रोगाणुओं को पनपने तथा घरौधे बनाने का अवसर िमल जाता (जो सामान्य अवस्था में मूत्में ठहर ही नहीं पाते )। इस कारण बार-बार संक्रमण होना सामान्य घटनाक्रम बन जात मूत्राशय पथर िवकिसत देशों में मूत ्राशय पथरी का सबसे बड़ा कारण प्रोस्टेट अितवधर्न क� वजह से मूत्रपथ में आई �कावट माना जाता अितवधर्न क� शल्यिक्रया के िलए आये रोिगयों में2% को मूत्राशय क� पथरी होना सामान्य बात है। पथरी बनने का कामूत्राशय में मूत्र का भराव तथा ठहराव और में(Concentration) के स्तर का बढ़ना है। इससे िवलेय यौिगकों कअव�ेपण (Crystal Precipitation) हो जाता है । यू�रऐज बनाने वाले रोगाणुओं का िचरकारी संक्रमण भी पथरी का जोिखम बढ़ातहै। कभी-कभी गुद¦ से आई छोटी पथ�रयां भी मूत्राशय में बसेरा बना लेती हैं और बढ़ने लगती हैं। प्रोस्टेट के रोगी में मूतहोना मूत्रमागर् द्वारा प्रोस्टेट उच्छेदन का स्प, क्योंिक ब-बार पथरी होने का जोिखम बना रहता है। रĉमेह (Hematuria) प्रोस्टेट अितवधर्न में एि(Acinar) और स्ट्रोमा क� कोिशकाएं बढ़ती है और नई-वािहकाएं भी बनती हैं। ये नई कोमलवािहकाएं सहज ही टूट-फूट जाती हैं और र�स्राव का कारण बनती हैं। ऐसा माना जाता है5-α �रडक्टेज इिन्हबीटर प्रजाितदवाएं (जैसे Finasteride) नई र�-वािहकाओं के िनमार्ण को बािधत करती ह, इसिलए ये प्रोस्टेट अितवधर्न के कारण ह�ए रको रोकने में भी सहायक िसद्ध ह�ई है मूत्राश(डेट्र�) अिस्थरता (Detrusor Instability) डेट्र�जर पेशी क15 सैंमी पानी से अिधक संकुचन(यिद मूत्राशय क� अिधकतम भराव मत300 एमएल होती है ) को मूत्राशअिस्थरता(Detrusor Instability) कहते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न के संदभर् में मूत्राशय या डेट्र�जर अिस्थरता िवशेष महहै। लेिकन डेट्र�जर अिस्थरता से कुछ िनम्न मूत्रपथ सम्बन्धी ल�ण पैदा होते हैं। ये ल�ण जैसे अचानक मूत्र , बार बार मूत्र आ, मूत्र िवसजर्न पर िनयंत्रण न रख, रात में मूत्र िवसजर्न के िलए बार उठना पड़े आिद सामान्यतः मूत्रभराव से सम्बिन्धत होते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न में मूत्रपथ �कावट और मूत्राशय के संकुचन से डेट्र�जर पेशी में तनमूत्राशय का गित िव�ान िबगड़ जाता है। मूत्राशय अिस्थरता के कुछ ल�ण ऐिड्रनोरसेप्टर में आये बदलाव के कारण भी β- ऐिड्रनो�रसेप्टर मूत्राशय में मूत्र भरते समय मूत्राशय क� पेिशयों को ढ़ीला करने में मदद करते हैं। कुछ रोिगयों को नोरआ
  • 4. 4 | P a g e डेट्र�जर पेशी का संकुचन होता है। इस प्रभाव α-1 ऐड्रीनो�रसेप्टर एंटागोिन(α-1 ऐड्रीनो�रसेप्टर िवर) दवा से बािधत िकया जा सकता है, क्योंिक डेट्र�जर पेशी में α ऐड्रीनो�रसेप्टर होते हैं। इस देखा गया है िक α-ऐड्रीनो�रसेप्टर एंटागोिनपु�षों में मूत्र के भराव और िवसजर्न सम्बन्धी ल(भले मूत्र �कावट नहीं होती) और िľयों में मूत्र के भराव सम्ल�णों में राहत देते हैं। मूत्रा α-ऐड्रीनो�रसेप्टसर् क� दो उपजाितयां कα 1D और α 1A पाई जाती हैं। गुदŎ का कमजोर होना प्रोस्टेट अितवधर्न में मूत्रपथ में आई �कावट के कारण गुद� कमजोर होते हैं। प्रोस्टेट अितवधर्न का 13.6% रोिगयों मेवृक्कवात के ल�ण देखने को िमलते हैं। यिद िक्रयेिटनीन का स्तर बढ़ा ह�आ हो तो वृक्कवात के िनदान हेतु छायांकन जांजाती हैं। वृक्कवात के अन्य कारणों को ध्यान में रखना भी ज� री है। यिद ऐसे रोिगयों कशल्यिक्रया करनी है तोअिधक रहता है। परी±ण और िनदान पूछताछ िचिकत्सक रोगी से प्रोस्टेट के ल�ण और उसके परवार में प्रोस्टेट रोग क� जानकारी लेने के उद्देष्य से िवस्तार मेंहै। उसके पास प्रोस्टेट अितवधर्न के िनदान हेतु िलए अमे�रकन यूरोलोिजकल एसोिसयेशन द्वारा बनाई गई प्र� ों कपूरी ि है। अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर(Digital Rectal Examination) अन्तरमलाशय अंगुली प�रस्पशर्न में िचिकत्सक रबर के दस्तानें पहन कर अंगुली को मलद्वार में घुसा कर प्रोस्टेट कइससे वह प्रोस्टेट क� अिभवृिद्ध और कैंसर क� उपिस्थित को महसूस कर ले नाड़ी तंत्र परी नाड़ी तंत्र क� सरसरी जांच से वह िनम्न मूत्रपथ लणों क-जिनत कारणों का पता कर लेता है। मूत्र परी� यह मूत्र क� सरल जांच है िजससे मूत्रपथ में संक्रमण और अन्य िवकारों क� जानकारी िमल प्रोस्टेट स्पेिसिफक एंट(PSA) प्रोस्टेट अितवधर्न के िनदान हेतु यह जाच प्रायः नहीं क� जाती है। हां प्रोस्टेट स्पेिसिफक एंटीजन का प्रमुख उपयोग का पता लगाने, श्रेणी िनधार्रण करने और कैंसर रोगी क� मोनीट�रंग करने के िलए िकया जाता है। यह भी सत्य है .एस.ए. का स्तर सुदम प्रोस्टेट अित, संक्रमण और अन्य िवकारों में भी बढ़ता है। कुछ वै�ािनक िवकासशील प्रोस्टेट अितपी.एस.ए. को रोग क� तीवृता का बॉयो माकर्र मानते हैं और उपचार सम्बन्धी कई िनणर्य करने में भी मददगार बताते हैं। जैपी.एस.ए. 1.5ng/m या अिधक हो तथा प्रोस्टेट भी बह�त बड़ी हो तो रोगी 5 α-�रडक्टेज इिन्हबीटर उपचार से अिधक लाहोगा। इस जांच का एक नया स्व�प प.एस.ए. अनुपात PSA ratio है। पी.एस.ए. अनुपात क� गणना र� में प्रवािहत हो रहे मु�.एस.ए. क� मात्रा में प्रोटीन से बं.एस.ए. क� मात्रा का भाग देकर क� जाती है। शोधकतार् मानते हैं िक र� में मुप से प्पी.एस.ए. का सुदम प्रोस्टेट िववधर्न से सीधा सम्बन्ध ह, जबिक प्रोटीन से जुड़ा .एस.ए. कैंसर से सम्बिन्धत होता है। तरह पी.एस.ए. अनुपात बढ़ा ह�आ हो तो कैंसर क� संभावना कम रहती है जबिक इस अनुपात का कम होना कैंसर क� उपिस्थित प्रबल बनाता है
  • 5. 5 | P a g e म ूत्र प्रवाह ज(Urinary Flow Rate) इस जांच से मूत्र के प्रवाह क� मात्रा और गित को देखा जाता है। यह सरल जांच है अस्पताल के बा� रोगी िवभाग मेसकती है। रोगी को मशीन से लगे पात्र में एक या अिधक बार मूत्र िवसजर्न करवाया जाता है। इससे मूत्र �कावट का आजाता है और पता चल जाता है िक रोगी में मूत्र क� कावट बढ़ रही है या सुधर रही है। मूत्र िवसजर्न प�ात मूत्राशय में अवशेष मूत्र (Post-void Residual Urine Volume) मूत्र िवसजर्न प� ात मूत्राशय में अवशेष मूत्र कमात्रा से मूत्राशय के खाली होने क� मता का मोटे तौर पर आंकलन लेिकन इससे मूत्र �कावट या डेट्र�जन पेशी क� िनिष्क्रयता में भेद करना मुिश्कल होता है। यिद अ300 एमएल से अिधक हो तो उच्च मूत्रपथ और वृक्क िवकार का जोिखम रहता है। अवशेष मूत्र क� गणना सोनोग्राफद्वारा आसानी से कर ली रĉ में िक्रयेिटन िक्रयेिटनीन का बढ़ना उच्च मूत्रपथ और वृक्क िवकार क� उपिस्थित को इंिगत कर उच्च मूत्रपथ छायांकन जा इस हेतु सोनोग्राफ� और .टी.स्केन अच्छी जांच िवधाएं हैं। यिद मूत्रम, संक्रमण के संकेत िमले , वृक्क िवकार हो या रोगीको पहले कभी पथरी क� िशकायत रही हो तो उच्च मूत्रपथ क� छायांकन जांच बह�त जरी हो जाती है। आवश्यकतानु अंतःिशरा वृक्क िचत्(Intra Venous Pyelography) क� जाती है िजससे वृक्क और मूत्रपथ क� संपूणर् संत्म और िक्रयात् जानकारी िमल जाती है। अन्तरमलाशय सोनोग्राTransrectal Ultrasound Scanning (TRUS) प्रोस्टेट के आ, आमाप, वृिद्ध या अबुर्द क� उपिस्हेतु यह जांच बह�त िवĵसनीय है। यिद कैंसर क� संभावना हो तो इसके साथ ही जीवोित जांच हेतु प्रोस्टके नमूने भी ले िलए जाते हैं। बढ़ी ह�ई प्रोस्टेटआंकलन तथा उपचार सम्बन्धी महत्वपूणर् िनणर्य हेतु यह बह�त ज�री जांच है। य ूरोडायनेिमक्स(Urodynamics) य ूरोडायनेिमक्स के अंतगर्त मूत्र िवसजर्न के समय मूत्रपथ क� सिक्रयता के आंकलन हेतु कई जांचेजाती हैं। यह जिटल जांचें है िजसमें फ्लोरोस, वीिडयो �रकोिड«ग, मूत्राशय तथा मलाशय में दबाव गणना, और मूत्र प्रवाह का आंकलन िकया जाता िनम्न मूत्रपथ ल�ण के प्रारंिभक िनदान यूरोडायनेिमक्स जांच क� अवहेलना क� जा सकती ह, िवशेष तौर पर जहां हम उपचार के सस्त, प�रवतर्नीय और सुरित िवकल्प का चयन करते हैं। लेिकन जब हम मंहग, अप�रवतर्नीय और आक्रामक उपचार देने पर िवचार करते हैं तो यह जांच आवश्य जाती है।
  • 6. 6 | P a g e म ूत्रमागर् द्वारा मूत्राश(Cystoscopy also called Urethrocystoscopy) इस जांच का िनणर्य रोगी के िचिकत्क�य इितहास और संभािवत शल्य उपचार आधार पर िकया जाता है। यिद रोगी को र�मक� िशकायत हो तो मूत्राशय के अबुर्द और पथरी आंकलन हेतु यह जांच करना ज�री हो जाता है। यिद रोगी को भूतकाल में- िनससारण नली का िसकुड़न या िस्ट्र , मूत्राशय अबुर्द या पूवर् में िनम्न मूत्रपथ शल्य ह�आ हो तो भी यह जांच क� अन्तरात्मक िनदाDifferential Diagnosis प्रोस्टेट अितवधर्न का िनदान प्रायः प(Symptom scores), मूत्र प्र(Uroflowmetry), अन्तरमलाशय अंगुलीप�रस्पशर (Prostatic Volume on DRE or TRUS) और पी.एसए. (Biochemical) जांचों के आधार पर िकया जाता है।लेिकन अंितम िनदान तो जीवोित जांच के आधार पर ही होता है। प्रोस्टेट अितवधर्न के अलावा कई अन्य िवकारों में भीजुलते िनम्न मूत्रपथ ल�ण होते, िजन्हें परखना और पृथक करना ज�री होता है। अन्तरात्मक िनदान नीचे सारणी में िदये गये संक्रमण र क ैंस ना ड़ ी रोग म ूत्रपथ �कावट के अन्य िव म ूत्रपथ संक प्रोस्टेट सं मूत्राशय पथ इंटरस्टीिशयल संक्रमण मूत मूत्राशय में �य र प्रोस्टेट क ट्रोंजीशन सेल कैंसर मू मूत्र िनस्सारण मली कै पािक « सन रोग स्ट् म ल्टीपल िस्क्लरो सेरीब्रल ऐट् शाई ड्रेगर िसंड य ूरीथ्रल िस्ट तीवृ फाईमोिसस मूत्राशय ग्रीवा िडिस्सन बा� संकोिचनी िडिस्सनिजर् उपचार प्रोस्टेट अितवधर्न के िलए कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं। इनमें , जड़ी-बूिटयाँ, शल्-िक्र, न्यूनतम आक्रामक शउपचार आिद प्रमुख हैं। रोगी के िलए सव�म उपचार का चयन कई पहलुओं जैसे लणों क� ती, प्रोस्टेट का आ, रोगी क� उम, रोगी का स्वास्थ्य आिद के आधार पर -समझ कर िकया जाता है। यिद रोगी को ल�ण बह�त मामूली से हों तो कई बारसतकर्ता और प्रती� ा कनीित ही उिचत रहती ह औषिधयाँ प्रारंिभक अवस्था में प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार हेतु प्रायः औषिधयों का प्रयोग िकया जाता है। औषधीय उपचार कोमें बांटा गया है। अल्फा ब्लॉक– इस श्रेणी क� औषिधयाँ मूत्राशय ग्रीवा और प्रोस्टेट क� पेिशयों(relax) करती है, िजसके कारण मूत्र िवसजर्न आसानी से हो जाता है। टेराजो, डोक्साजोिस, टेमसुलािसन, ऐल्फुजोिसन और िसलोडोिसन इस श्रेणी में हैं। अल्फा ब्लॉकर जल्दी से असर करती हैं। एक या दो िदन में ही मूत्र क� धारा तेज हो जाती ह-बार मूत्र जाने क� जरनहीं पड़ती है। अल्फा ब्लॉकर का एक हािन रिहत पाष्वर् प्रभाव प�गाम(Retrograde Ejaculation) है, िजसमें वीयरस्खलन िश� मागर् से बाहर न होकर उलटा मूत्राशय में हो जाता 5 अल्फा �रडक्टेज इिन्हबीट– ये दवाएं प्रोस्टेट मे.एच.टी. हाम�न के िनमार्ण को बािधत कर बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट के आको छोटा करती हैं। फाइनास्ट्राइड और ड्युटास्ट्राइड इस श्रेणी में आती हैं। बह�त बड़ी प्रोस्टेट में इनका प्रयोग है। ये बह�त धीरे (कई हफ्तों या महीनों ) असर करती हैं। नपुंसकता(स्तंभन दो), संभोग क� इच्छा कम होना और प�गामीस्खलन(Retrograde Ejaculation) इनके प्रमुख पाष्वर् प्रभा
  • 7. 7 | P a g e स ंयुĉ औषधीय उपचार – कई बार उपरा� दोनों श्रेणी कऔषिधयाँ साथ देने से अच्छे प�रणाम िमलते टाडालािफल – जो फोस्फोडाईस्टीरेज इिन्हबीटसर् श्रेणी में, का प्रयोग नपुंसकत(स्तंभन दो) के उपचार में िकयाजाता है। कुछ िचिकत्सक प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार में भी इसका प्रयोग करते हैं। इसको अल्फा ब्लॉकर और नाइनाइट्रोग्लीसरीन के साथ नहीं िकया जाता ह Medical Treatment of BHP Finasteride 5 mg HS Dutasteride 0.5 HS Tab FINAST Tab FINCAR Tab CONTIFLO Cap DURIZE Tab VELTRIDE Terazosin start with 1 mh HS increase up to 10 mg Tab TERAPRESS Tab HYTRIN Tamsulosin 0.4 to 0.8 mg HS Tab URIMAX Cap DYNAPRES Tab VELTAM Tab ODCONTIFLO OD F Cap URIMAX F Tab VELTAM F Cap FINAST T Cap URIMAX F Tab VELTAM PLUS Cap DUTAS-T Alfuzosin 10 mg HS Tab FLOTRAL Tab ALFUSIN D Doxazosin 1, 2 & 4 mg Dose 1to 8 mg HS Tab DOXACARD Tab DURACARD Herbal Cap Prostanorm HS = at bed time श ल्य िक्र यिद औषिधयां काम नहीं करे या रोग के ल�ण गंभीर और क�दायक होने लगे तो कई तरह क� शल-िक्रयाएं क� जाती हैं। स शल्-िक्रयाओं में मूत्र के प्रवाह �कावट बन रहे प्रोस्टेट के ऊतकों को िनकाल कर प्रोस्टेट को छोटा िकया िनस्सारण नली को खोल िदया जाता है। उिचत शल-िक्रया का चुनाव कई पहलुओं जैसे ल� णों कतीव, प्रोस्टेट का आ, रोगी क� उम, रोगी का स्वास्थ्य और अन्य उपचार क� उपलब्धता के आधार प-समझ कर िकया जाता है। सभी शल्-िक्रयाओं के कुछ कुप्रभाव जैसे संभोग बाद प�गामी स्खलRetrograde Ejaculation (िजसमें वीयर् स्खिश� मागर् से बाहर न होकर उलटा मूत्राशय में हो जात), मूत्राशय पर िनयंत्रण न या Incontinence (मूत्र असंयत) और नपुंसकता (स्तंभन दो) होते हैं। सामान्य शल-िक्रय मूत्रमागर् से प्रोस्टेट उच्छेदन टी(TURP) यह प्रोस्टेट अितवधर्न क� सबसे प्रचिलत और प्रम-िक्रया है। इसमें शल्यकम� प्रकाश स्रोत लगे दूरबीन को मूत्
  • 8. 8 | P a g e नली म े ं प्रोस्टे ट तक घुसाता है और काटनेिविशĶ औजार से प्रोस्टेट के ऊतकोंछील कर िनकाल लेता है और उसके बाहरी खोल को छोड़ देता है। टीयूआरपी के बाद रोगी को कĶदायक ल�णों में बह�त राहिमलती है और खुल कर मूत्र आना शु� हजाता है। लेिकन र� स्राव और संक्इसके प्रमुख कुप्रभाव हैं। कुछ िदनों कमूत्र िनस्सारण नली में रबर क� ड जाती है, तािक आराम से मूत्र आता रहेशल्य के बाद कुछ िदनों तक रोगी को आराकरने क� सलाह दी जाती है। म ूत्रमागर् से प्रोस्टेट िवच्छटीयूआइपी (TUIP or TIP) यह श ल्-िक्रया उन रोिगयों में क� जातीिजनक� प्रोस्टेट छोटी या मामूली बढ़ी ह�ई होती है और रोगी को कुछ शारी�रक िवकारों के कारण अन्-िक्रया करने में कखतरा भी होता है। इसमें टीयूआरपी क� तरह ही दूरबीन को मूत्र िनस्सारण नली में प्रोस्टेट तक घुसा कर काटने के िविसे प्रोस्टेट में एक या दो छोटे चीरे भर लगाये जाते हैं तािक मूत्र मागर् खुल जाये और आसानी से मूत्र आखुली प्रोस्टेट उच्छ(Open prostatectomy) यिद प्रोस्टेट बह�त बढ़ी ह�ई, मूत्राशय भी �ितग्रस्त हो या अन्य िवकार जैसे मूत्राशय में पथरी हो तो-िक्रया करनउिचत रहता है। इसे खुली शल्-िक्रया इसिलए कहते हैं क्योंिक प्रोस्टेट तक पह�ँचने के िलए उदर िनचले िहस्से मेंलगाया जाता है। बह�त बड़ी प्रोस्टेट के िलए यह सबसे प्रभावी उपचार है लेिकन इसके कई कुप्रभाव और जिटलताएँ भी हैं।िक्रया के िलए रोगी को कई िदनों तक अस्पताल में भरती रहना पड़ता है और खून चढ़ाने क� भी जरत पड़ सकती न्यूनतम आक्रामक उपच(Minimally invasive treatments) न्यूनतम आक्रामक उपचार में र� कहािन बह�त कम होत, और आवश्यता पड़ने पर ही रोगी को भरती करने क� जरत होतीहै। ददर् िनवारक दवाओं क� भी बह�त कम ज�रत होती है। प्रोस्टेट अितवधर्न के िलए िनम्न न्यूनतम आक्रामक उपचार िदये जा लेज़र शल्-िचिकत्सा(Laser Surgery) लेज़र शल्य िचिकत्सा में बढ़ी ह�ई प्रोस्टेट को िनकालने या न� करने के िलए शि�शाली लेज़र िकरणों का प्रयोग िकया जलेज़र शल्य िचिकत्सा में रोगी को तुरन्त राहत िमलती है और टीयूआरपी क� तुलना में कुप्रभाव भी बह�त कम होते हैं। पतला करने क� दवाएं ले रहे रोिगयों मे(जहां अन्य शल-उपचार करना संभव नहीं होता ह) भी लेज़र शल्य िचिकत्सा क� जसकती है। लेज़र शल्य में िविभन्न प्रकार के लेज़र कई तरीकों से प्रयोग िकये ज अप ± रण उपचार (Ablative Procedures) – में मूत्र िनस्सारण नली पर दबाव डाल रहे प्रोस्टेट के ऊतकोंकर (या वाष्पीकरण द्व) नĶ कर िदया जाता है और आराम से मूत्र आना शु� हो जाता है
  • 9. 9 | P a g e सम ू लोच्छेदन उपचार(Enucleative Procedures) - यह उपचार खुली प्रोस्टेट उच्छेदन क� तरहहै लेिकन इसमें कुप्रभाव बह�त कम होते हैइस शल्-िक्रया में मूत्र प्रवाह �काकर रहे प्रोस्टेट के सारे ऊतकों को िनिदया जाता है और प्रोस्टेट क� पुनवृर्िदरोक लगा दी जाती है। इस उपचार का एक फायदा यह भी है िक िनकाले ह�ए ऊतकों क� कैंसर या अन्य रोग सम्बन्धी जांच क� सकती है। प्रोस्टेट अितवधर्न हेतु िनम्न लेज़र शल्यजाते हैं। • होिल्मयम लेज़र ऐब्लेशन ऑफ द प्रोसHolmium laser ablation of the prostate (HoLAP) • िवज्वल ऐब्लेशन ऑफ द प्रोसVisual laser ablation of the prostate (VLAP) • होिल्मयम लेज़र इन्यूिक्लयेशन ऑफ द प्रोHolmium laser enucleation of the prostate (HoLEP) • फोटोसेलेिक्टव वेपोराइजेशन ऑफ द प्रोस्Photoselective vaporization of the prostate (PVP) ले ज़ र उ प चार का चयन प्रोस्टेट के आ, संवृिद्ध के स्, उपचार क� उपलब्धत, िचिकत्सक क� अनुशंस और रोगी क� वरीयता के आधार पर िकया जाता है। ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव थम�थTransurethral microwave thermotherapy (TUMT) इसमें िचिकत्सक मूत्रमागर् द्वारा एक िविश� इलेक्ट्रोड प्रोस्टेट तक घुसाता है। इलेक्ट्रोड को माइक्रोवेव तरंगो से इस ऊष्मा से प्रोस्टेट का अंद� नी िहस्सा जल कर िसकुड़ जाता है और मूत्र प्रवाह ककावट दूर देता है। इस कुप्रभाव बह�त कम हैं। लेिकन यह उपचार छोटी प्रोस्टेट के िलए प्रयोग िकया, तािक ज�रत पड़ने पर दोबारा भी उपचार िकया जा सके। ट्रांसयूरेथ्रल नीडल ऐब्Transurethral needle ablation (TUNA) यह शल्य प्रायः बा�रोगी िवभाग में िकया जाता है। इसमें प्रकाश स्रोत लगे दूरबीन को मूत्र िनस्सारण नली में प्रोस्टऔर दूरबीन से देखते ह�ए कुछ सुइयां प्रोस्टेट में स्थािपत कर देता है। िफर इन सुइयों रेिडयो तरंगें प्रवािहत , िजससे प्रोस्टेट के ऊतक जल कर न� हो जाते हैं और मूत्र प्रवाह क� कावट दूर हो जाती है। यह उपचार उन रोिगयों में ठीिजन्हें -स्राव का जोिखम रहता हो या अन्य गंभीर रोग हो। ट्रांसयूरेथ्रल माइक्रोवेव (TUMT) क� भांित इस उपचार में भी रोगी को आंिशक लाभ ही िमलता है और राहत िमलने में समय भी लगता है। इस उपचार में नपुंसकत(स्तंभन दो) का जोिखम बह�त कम होता है।
  • 10. 10 | P a g e प्रोस्टेिटक स्Prostatic stents प्रोस्टेिटक स्टेंट एक छोटी सी प्लािस्टक या धातु क� नली के समान संरचना , िजसे मूत्र िनस्सारण नली में स्थािपिदया जाता है, तािक मूत्रमागर् खुला रहे। इसे 4-6 स�ाह में बदलना पड़ता है। इसको स्थािपत करने के बाद शल्य क� जरत नपड़ती है। लेिकन िचिकत्सक इसे लम्बे समय के िलए प्रयोग नहीं करते हैं क्योंिक संक्रमण और मूत्र िवसजर्न के समयखतरा रहता है। कई बार धातु के स्टेंट को िनकालना मुिश्कल होता है इसिलए इसे िवशेष प�रिस्थितयों में ही डाला जातप्लािस्टक के स्टेंट को कभी कभी शल्य से पहले डाला जाता है ताि-िक्रया होने तक आराम से मूत्र आता रह जीवनशैली में सुधार जीवनशैली में सुधार लाकर भी रोगी अपनी परेशािनयों को कम कर सकता है • शाम को पेय पदाथŎ का सेवन कम करें। सोने के एक या दो घंटे पहले कोई पेय पदाथर् नहीं पीयें। तािक राित्र में मूत्के िलए उठना नहीं पड़े। • कॉफ� या मिदरापान कम करें। क्योंिक इनको पीने से अिधक मूत्र बनता है जो मूत्राशय को (Irritate) करता है और तकलीफ बढ़ाता है। • यिद आप डाइयूरेिटक्स ले रहे हैं तो िचिकत्सक से सलाह लेकर इनक� मात्रा कम करें या इन्हें सुबह के समय लेइन्हें िचिकत्सक से पूछे िबना कभी बंद नहीं कर • अनावश्यक जुकाम क� दवा(Decongestants or Antihistamines) नहीं लें। ये प्रोस्टेट क� पेिशयों का संकुचनहैं िजससे मूत्र करने में िदक्कत बढ़ती • तलब लगते ही मूत्र करने चले जायें। मूत्र को अिधक देर तक रोकने से मूत्राशय का िखंचाव बढ़ता है और उसक� पकमजोर होती है। • िनयिमत अंतराल पर मूत्र िवसजर्न करते रहें।4-6 घंटें में मूत्र करना उिचत रहता • स्वयं को सिक्रय , थोड़ा व्याया, योग और भ्रमण करे • मूत्र िवसजर्न के बाद कुछ �णों पुनः मूत्र • अिधक ठंड से बचें और शरीर को गमर् रख • अिĵनी मुद्रा में एक योग व्यायाम बढ़ी ह�ई प्रॉस्टेटग्रंिथ के ल�णों के िलएफायदेमं • इस रोग में कद्दू के (िजंक), पपीता, बी पोलन, हरी चाय, ब्रोकोली आिद बह�त ही लाभदायक ह वैकिल्पक िचिकत्स प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार में क-बूिटयां बह�त प्रभावशाली सािबत ह�ई हैं। िनम्न-बूिटयां काफ� महत्वपूणर् मानी गई है • सा पामेटो (Saw Palmetto) - सबसे प्रमुख सा पामेटो है जो चीन मपैदा होने वाले पौधे सेरेनोवा रेपेन्स के फल से तैयार िकया जाता है। • पाइिजयम – यह एक तेल है जो अफ्रन प्रून के पेड़ िछलके सिनकाला जाता है। • बीटा-साइटोस्टीरोल ऐक्सट्र– यह कई तरह क� घास और पेड़ों से तैयार िकया जाता है। • राईग्रास ऐक्सट्(Ryegrass Extract) – यह राईग्रास के पराग सतैयार होता है। • िस्टंिगंग नेटल ऐक्सट्र(Stinging Nettle Extract) – यह इस पौधे क� जड़ से तैयार िकया जाता है।
  • 11. 11 | P a g e • बढ़ी ह�ई प्रॉस्टेट ग्रंिथके िलए कुछ उपयोगी आयुव�िदक पूरक गोकशुरादी गु, चन्द्रप्रभ, िशलािजत वटी, गोरखमुंडी घाना, पुनरनावा घाना, लताकरंज घाना है। प्रोस्टेट अितवधर्न के उपचार हेतु उपरो�-बूिटयों से बना केप्स्यूल प्रोस्टानोमर् एक उत्कृ� उत्पाद है। सा पामेटो इल�ण और तकलीफों में बह�त राहत देता है। पाइिजयम में वसा में घुलनशील स्टीरोल और फैटी ऐिसड जो प्रदाहरोधी है के प्रवाह को बढ़ाते , अवशेष मूत्र क� मात्रा को घटाते हैं और राित्र में मूत्र िवसजर्न के आघटन को क िस्टंिगंग नेटल ऐक्सट्रेक्ट में िलगनेन होता है जो लैंिगक हाम� न्स कएंड्रोजन अिभग्राहकों से िचपकने क� म, िजससे प्रोस्टेट क� कोिशकाओं क� संवृिद्ध बािधत होती है। िजंक प्रोस्टेट के आमाप को घटाता है। सबके िमले जुलेडाइहाइड्-टेस्टोस्टीरोन क� एंड्रोजन अिभग्राहकों से अनुराग और िचपकने क� मता कम होती5-अल्फा �रडक्टेज एंजाइक� सिक्रयता बािधत होती है। प्रोस्टानोमर् बह�त असरदायक है लेिकन पाष्वर् प्रभाव न