2. प्राणस्येदं वशे सवं त्रत्रददवे यत्प्प्रनिष्ठििम् ।
मािेव पुत्रान ् रक्षस्व श्रीश्च प्रज्ांच ववधेदि न इनि ।।
२.१२ ।।
(प्रश्नोपननषद)
ભાવાર્થ: ત્રિલોકમાાંજે કાાંઈપ્રત્રિષ્ઠિિછે િે સવથ પ્રાણને આત્રિનછે.
(હેપ્રાણ) માિાજે રીિે પુિનુાંરક્ષણ કરે િે રીિે અમારુ રક્ષણ કર અને
સમૃધ્ધિ િેમજ બુધ્ધિ પ્રદાનકર.
Meaning: Whatever is manifested in the
threefold world is under the control of
Prana. O Prana care us like a mother to her
child and bestow us with wealth and higher
intellect.
भावार्थ: त्रैलोक्याि जे जे कािी अष्स्ित्त्वाि आिे िे सवथ
प्राणाच्या आधीन आिे. िे प्राणा, मािेप्रमाणे आम्िा
3. NAADIS & CHAKRAS
( Present in Pranamaya
Kosh )
PINGLA
IDA
Mooladhar
chakra
Swadhishtana Chakr
Manipur Chakra
Anahat
Chakra
Vishuddhi Chakra
Ajna Chakra
Sahastraar
Chakra
SUSHUMNA
4. प्राणायाम (पूवथ िैयारी )
• श्वसन
• स्र्ान (जगि ), वािावरण
• आसन- पद्मासन, ससद्धासन, स्वष्स्िकासन
• क्रम - यम, ननयम, आसन ससद्धध
• वस्त्र
• स्नान
• आिार - खाली पेट
• समय - सुबि, सूयाथस्ि के िुरंि
• शरीर िनाव मुक्ि , ढीला
• सजगिा
5. दोष Disorder कारण उपाय
गनिमान
श्वसन
Speedy
breathing,
asthmatic 23 / m
Hypertension 25
/ m
Anxiety Nurosis
31 / m
शरीर की सिि
िालचाल, क्रोध,
संिाप, िनाव ,
क्षोसभि मन:ष्स्र्िी
सुखासन,
कायास्र्ैयथ,
कायाशैधर्ल्य,
मंद श्वसन
झटके दार
श्वसन
Jerky
Breathing
ससकु ड़ा नाक, सदी,
कफ़, इत्प्यादद
श्वसनमागथ शुद्धध,
कपालभानि,
जलनेनि
उर्ला
(नििला)
श्वसन
Shallow /
Light
Breathing
श्वसन संबंधधि स्नायु
की दुबथलिा या
अकायथक्षमिा
दीर्थ श्वसन
अव्यवष्स्र्ि
श्वसन
Haphazard
Breathing
- - // - - भ्रामरी, ओंकार
श्वास बड़ा,
प्रश्वास िोटा
Inhale Long
Exhale Short
नैसधगथक
समाविथन १:१:१:१
अनुलोम ववलोम १:२
श्वसन दोष
7. नई संज्ा
१) श्वासोच््वास
२) श्वास-प्रश्वास
३) पूरक – रेचक
४) प्राण – अपान
नैसधगथक श्वसन (व्यविाररक भाषामं)
नैसधगथक श्वसन (यौधगक पररभाषा)
ननयंत्रत्रि श्वसन
सजगिा पूवथक स्र्ूल से सूक्ष्म की
ओर
(श्वसन को ननयंत्रत्रि करनेवाली शक्नि की
सजगिा)
8. प्राणायाम के सवथ साधारण लाभ
• श्वसन ननयंत्रण द्वारा मनो ननयंत्रण
• अनैष्च्िक क्रक्रयाओं पर ननयंत्रण
• असभसरण-पाचन-उत्प्सजथन संस्र्ा का कायथ सुधरिा
िै.
• मज्जासंस्र्ा कायथक्षम बनिी िै.
• श्वसन क्षमिा बढ़िी िै.
• फे फड़ो का व्यायाम िोिा िै और रोग प्रनिकारक
शष्क्ि बढ़िी िै.
• एकाग्रिा, समरसिा मं वृद्धध िोिी िै.
• रोग प्रनिबंधक रोग ननयंत्रक और कोई कोई रोग मं
ननवारक िोिा िै.
• मानससक संिुलन प्राप्ि िोिा िै.
9. प्राणायाम ित्त्व िंत्र शास्त्र
• प्राणायाम शुरू करने से पिेले यर्ाशष्क्ि, प्रमाण
ववरदिि सजगिापूवथक दीगथ श्वसन का अभ्यास करना
िै.
• प्राणायाम करिे समय श्वास और प्रश्वास के ऊपर धीरे
धीरे सिजिा से ननयंत्रण पाना िै.
• श्वास लेना (पूरक), रोकना (कुं भक) और िोड़ना
(रेचक) इसका जो प्रमाण िै (१:४:२) उसका ििाग्रि
से पालन करना निीं िै. शुरुआि मं कुं भक करना निीं
िै.
• पूरक की िुलना मं रेचक का समय धीरे धीरे बढ़ाना
िै.
• सर भरी लगे, र्कान लगे, श्वास के ऊपर िमारा
ननयंत्रण ना रिे िो ये अयोग्य प्राणायाम के लक्षण
10. प्राणायाम ित्त्व िंत्र शास्त्र
• उच्च रक्िदाब, ह्रदय ववकार, और क्षय रोग िो िो
कुं भक और भ्रष्स्त्रका प्राणायाम करना निीं िै. अन्द्य
प्राणायाम करिे समय भी ववशेषज् की सलाि लेना
जरुरी िै.
• ससफथ पुस्िक पढ़कर या टी.वव. मं देखकर प्राणायाम
का अभ्याश करना निीं िै. मागथ दशथक के मित्त्व को
िमे ध्यान मं रखना िै.
• शरीर, श्वास और मन ये निन प्राणायाम के मुख्य
र्टक िै.
• प्राणायाम मं पूरक, कुं भक , बंध और रेचक ये सारी
क्रक्रयाए सजगिा से और सिजिा से करनी िै.
• शीिली और सशत्प्कारी प्राणायाम मं पूरक मुि से करना
िै. अन्द्य सभी प्राणायाम मं पूरक नाक से करना िै.
11. अंग
क्र.
िि प्रदीवपका
(स्वात्प्माराम )
चिुरंग योग
गोरक्ष शिक
(गोरक्षनार्)
षडांग योग
र्ेरंड संदििा
(र्ेरंड मुनन)
सप्िांग योग
योग दशथन
(पिंजसल)
अठटांग योग
१ आसन आसन षट्कमथ यम
२ कुं भक
(प्राणायाम)
प्राणायाम आसन ननयम
३ मुरा प्रत्प्यािार मुरा आसन
४ नादानुसंधान धारणा प्रत्प्यािार प्राणायाम
५ ध्यान प्राणायाम प्रत्प्यािार
६ समाधध ध्यान धारणा
७ समाधध ध्यान
८ समाधी
ववववध ग्रंर्ो मं प्राणायाम का स्र्ान
12. प्राण का
नाम
वपंड कायथ ब्रह्मांड चक्र
प्राण
नेत्र, कणथ,
नाससका, मुख
श्वसन सूयथ
अनािि ,
ववशुद्धध
अपान
मल मागथ और
मूत्र मागथ
उत्प्सजथन
पृथ्वी,ज
ल
स्वाधधठिान
, मूलाधार
व्यान संपूणथ शरीर विन वायु ---
उदान सुषुम्णा नाडी
उध्वथ
गमन
िेज
आज्ा,
त्रबंदु ,
सिस्त्रार
समान पक्वाशय पचन आकाश मणणपुर
मुख्य
प्राण