कृ ण ज मा टमी
कृ ण ज मा टमी, िजसे क
े वल ज मा टमी या गोक
ु ला टमी क
े प म भी जाना जाता है,
एक वा षक हंदू योहार है जो व णुजी क
े आठव अवतार ीकृ ण क
े ज म का ज न
मनाता है। यह हंदू चं क
ै लडर क
े अनुसार, कृ ण प (अंधेरे पखवाड़े) क
े आठव दन
(अ टमी) को ावण या भा पद म मनाया जाता है (इस पर नभर करता है क क
ै लडर
अमाव या या पू णमा क
े दन को मह ने क
े अं तम दन क
े प म चुनता है या
नह ं। जो ेगो रयन क
ै लडर क
े अग त या सतंबर क
े साथ ओवरलैप होता है।
यह एक मह वपूण योहार है, खासकर हंदू धम क वै णव परंपरा म। भागवत पुराण
(जैसे रास ल ला या कृ ण ल ला) क
े अनुसार कृ ण क
े जीवन क
े नृ य-नाटक क
पर परा, कृ ण क
े ज म क
े समय म यरा म भि त गायन, उपवास (उपवास), रा
जागरण (रा जागरण), और एक योहार (महो सव) अगले दन ज मा टमी समारोह
का एक ह सा ह। यह म णपुर, असम, बहार, पि चम बंगाल, ओ डशा, म य देश,
राज थान, गुजरात, महारा , कनाटक, क
े रल, त मलनाडु, आं देश तथा भारत क
े
अ य सभी रा य म पाए जाने वाले मुख वै णव और गैर-सां दा यक समुदाय क
े
साथ वशेष प से मथुरा और वृंदावन म मनाया जाता है।
कृ ण ज मा टमी क
े बाद योहार नंदो सव होता है, जो उस अवसर को मनाता है जब
नंद बाबा ने ज म क
े स मान म समुदाय को उपहार वत रत कए।
कृ ण देवक और वासुदेव अनाकदुंदुभी क
े पु ह और उनक
े ज म दन को हंदुओं वारा
ज मा टमी क
े प म मनाया जाता है, वशेष प से गौड़ीय वै णववाद परंपरा क
े प
म उ ह भगवान का सव च यि त व माना जाता है। ज मा टमी हंदू परंपरा क
े
अनुसार तब मनाई जाती है जब माना जाता है क कृ ण का ज म मथुरा म भा पद
मह ने क
े आठव दन ( ेगो रयन क
ै लडर म अग त और 3 सतंबर क
े साथ ओवरलैप)
क आधी रात को हुआ था।
कृ ण का ज म अराजकता क
े े म हुआ था। यह एक ऐसा समय था जब उ पीड़न
बड़े पैमाने पर था, वतं ता से वं चत कया गया था, बुराई हर जगह थी, और जब
उनक
े मामा राजा क
ं स वारा उनक
े जीवन क
े लए खतरा था। मथुरा म जेल म ज म
क
े तुरंत बाद, उनक
े पता वासुदेव अनाकादुंदुभी कृ ण को यमुना पार ले जाते ह, ता क
माता- पता का गोक
ु ल म नंद और यशोदा नाम दया जा सक
े । यह कथा ज मा टमी
पर लोग वारा उपवास रखने, कृ ण ेम क
े भि त गीत गाकर और रात म जागरण
करक
े मनाई जाती है। कृ ण क
े म यरा क
े ज म क
े बाद, शशु कृ ण क मू तय
को धोया और पहनाया जाता है, फर एक पालने म रखा जाता है। इसक
े बाद भ त
भोजन और मठाई बांटकर अपना उपवास तोड़ते ह। म हलाएं अपने घर क
े दरवाजे
और रसोई क
े बाहर छोटे-छोटे पैर क
े नशान बनाती ह जो अपने घर क ओर चलते
हुए, अपने घर म कृ ण क
े आने का तीक है।
क
ु छ समुदाय कृ ण क कं वदं तय को म कन चोर (म खन चोर) क
े प म मनाते
ह।
हंदू ज मा टमी को उपवास, गायन, एक साथ ाथना करने, वशेष भोजन तैयार करने
और साझा करने, रा जागरण और कृ ण या व णु मं दर म जाकर मनाते ह।
मुख कृ ण मं दर 'भागवत पुराण' और 'भगवद गीता' क
े पाठ का आयोजन करते ह।
कई समुदाय नृ य-नाटक काय म आयोिजत करते ह िज ह रास ल ला या कृ ण
ल ला कहा जाता है। रास ल ला क परंपरा वशेष प से मथुरा े म, भारत क
े
पूव र रा य जैसे म णपुर और असम म और राज थान और गुजरात क
े क
ु छ
ह स म लोक य है। यह शौ कया कलाकार क कई ट म वारा अ भनय कया
जाता है, उनक
े थानीय समुदाय वारा उ सा हत कया जाता है, और ये नाटक-नृ य
नाटक येक ज मा टमी से क
ु छ दन पहले शु होते ह
ज मा टमी (महारा म "गोक
ु ला टमी" क
े प म लोक य) मुंबई, लातूर, नागपुर और
पुणे जैसे शहर म मनाई जाती है। दह हांडी कृ ण ज मा टमी क
े अगले दन हर
अग त/ सतंबर म मनाई जाती है। यहां लोग दह हांडी को तोड़ते ह जो इस योहार
का एक ह सा है। दह हांडी श द का शाि दक अथ है "दह का म ट का बतन"।
योहार को यह लोक य े ीय नाम शशु कृ ण क कथा से मलता है। इसक
े
अनुसार, वह दह और म खन जैसे दु ध उ पाद क तलाश और चोर करते थे और
लोग अपनी आपू त को ब चे क पहुंच से बाहर छपा देते थे। कृ ण अपनी खोज म
हर तरह क
े रचना मक वचार को आजमाते थे, जैसे क अपने दो त क
े साथ इन
ऊ
ँ चे लटकते बतन को तोड़ने क
े लए मानव परा मड बनाना। यह कहानी भारत भर
म हंदू मं दर क
े साथ-साथ सा ह य और नृ य-नाटक दशन क कई राहत का
वषय है, जो ब च क आनंदमय मासू मयत का तीक है, क ेम और जीवन का
खेल ई वर क अ भ यि त है।
महारा और भारत क
े अ य पि चमी रा य म, इस कृ ण कथा को ज मा टमी पर
एक सामुदा यक परंपरा क
े प म नभाया जाता है, जहां दह क
े बतन को ऊ
ं चे डंडे से
या कसी इमारत क
े दूसरे या तीसरे तर से लटक हुई रि सय से ऊपर लटका दया
जाता है। वा षक परंपरा क
े अनुसार, "गो वंदा" कहे जाने वाले युवाओं और लड़क क
ट म इन लटकते हुए बतन क
े चार ओर नृ य और गायन करते हुए जाती ह, एक
दूसरे क
े ऊपर चढ़ती ह और एक मानव परा मड बनाती ह, फर बतन को तोड़ती ह।
गराई गई साम ी को साद (उ सव साद) क
े प म माना जाता है। यह एक
सावज नक तमाशा है, एक सामुदा यक काय म क
े प म उ सा हत और वागत
कया जाता है।
समकाल न समय म, कई भारतीय शहर इस वा षक हंदू अनु ठान को मनाते ह। युवा
समूह गो वंदा पाठक बनाते ह, जो वशेष प से ज मा टमी पर पुर कार रा श क
े
लए एक-दूसरे क
े साथ त पधा करते ह। इन समूह को मंडल या हांडी कहा जाता
है और वे थानीय े म घूमते ह, हर अग त म अ धक से अ धक बतन तोड़ने का
यास करते ह। सामािजक हि तयां और मी डया उ सव म भाग लेते ह, जब क नगम
काय म क
े क
ु छ ह स को ायोिजत करते ह। गो वंदा ट म क
े लए नकद और
उपहार क पेशकश क जाती है, और टाइ स ऑफ इं डया क
े अनुसार, 2014 म अक
े ले
मुंबई म 4,000 से अ धक हांडी पुर कार से लबरेज थे, और गो वंदा क कई ट म ने
भाग लया था।
गुजरात क
े वारका म लोग - जहां माना जाता है क कृ ण ने अपना रा य था पत
कया था - दह हांडी क
े समान एक परंपरा क
े साथ योहार मनाते ह, िजसे माखन
हांडी (ताजा मथने वाले म खन क
े साथ बतन) कहा जाता है। अ य लोग मं दर म
लोक नृ य करते ह, भजन गाते ह, कृ ण मं दर जैसे वारकाधीश मं दर या नाथ वारा
जाते ह। क छ िजले क
े े म, कसान अपनी बैलगा ड़य को सजाते ह और सामू हक
गायन और नृ य क
े साथ कृ ण जुलूस नकालते ह।
वै णववाद क
े पुि टमाग क
े व वान दयाराम क का नवल-शैल और चंचल क वता
और रचनाएँ, गुजरात और राज थान म ज मा टमी क
े दौरान वशेष प से लोक य
ह।
ज मा टमी उ र भारत क
े ज े म सबसे बड़ा योहार है, मथुरा जैसे शहर म जहां
हंदू परंपरा कहती है क कृ ण का ज म हुआ था, और वृंदावन म जहां वे बड़े हुए
थे। उ र देश क
े इन शहर म वै णव समुदाय, साथ ह अ य रा य राज थान,
द ल , ह रयाणा, उ राखंड और हमालयी उ र क
े थान म ज मा टमी मनाते ह।
कृ ण मं दर को सजाया जाता है और रोशनी क जाती है, वे दन म कई आगंतुक
को आक षत करते ह, जब क कृ ण भ त भि त काय म आयोिजत करते ह और
रा जागरण करते ह।भ तजन मठाई बांटते ह।
योहार आम तौर पर वषा ऋतु म पड़ता है। फसल से लदे खेत और ामीण
समुदाय क
े पास खेलने का समय है। उ र रा य म, ज मा टमी को रासल ला
परंपरा क
े साथ मनाया जाता है, िजसका शाि दक अथ है "खुशी का खेल (ल ला), सार
(रस)"। इसे ज मा टमी पर एकल या समूह नृ य और नाटक काय म क
े प म
य त कया जाता है, िजसम कृ ण से संबं धत रचनाएं गाई जाती ह। कृ ण क
े
बचपन क शरारत और राधा-कृ ण क
े ेम संग वशेष प से लोक य ह।
ि चयन रॉय और अ य व वान क
े अनुसार, ये राधा-कृ ण ेम कहा नयां दैवीय
स धांत और वा त वकता क
े लए मानव आ मा क लालसा और ेम क
े लए हंदू
तीक ह।
ज मू म, छत से पतंग उड़ाना कृ ण ज मा टमी पर उ सव का एक ह सा है।
ज मा टमी यापक प से पूव और पूव र भारत क
े हंदू वै णव समुदाय वारा
मनाई जाती है। इन े म कृ ण ज मा टमी को मनाने क यापक परंपरा का ेय
१५वीं और १६वीं शता द क
े शंकरदेव और चैत य महा भु क
े यास और श ाओं
को जाता है। उ ह ने दाश नक वचार क
े साथ-साथ हंदू भगवान कृ ण को मनाने क
े
लए दशन कला क
े नए प वक सत कए जैसे क बोगट, अं कया नाट, सि या
और भि त योग अब पि चम बंगाल और असम म लोक य ह। आगे पूव म, म णपुर
क
े लोग ने म णपुर नृ य प वक सत कया, एक शा ीय नृ य प जो अपने हंदू
वै णववाद वषय क
े लए जाना जाता है, और िजसम सि या क तरह रासल ला
नामक राधा-कृ ण क ेम- े रत नृ य नाटक कला शा मल है। ये नृ य ना य कलाएं
इन े म ज मा टमी परंपरा का एक ह सा ह, और सभी शा ीय भारतीय नृ य
क
े साथ, ाचीन हंदू सं कृ त पाठ ना य शा म ासं गक जड़ ह, ले कन भारत और
द ण पूव ए शया क
े बीच सं कृ त संलयन से भा वत ह।
ज मा टमी पर, माता- पता अपने ब च को कृ ण क कं वदं तय , जैसे क गो पय
और कृ ण क
े पा क
े प म तैयार करते ह। मं दर और सामुदा यक क को े ीय
फ
ू ल और प य से सजाया जाता है, जब क समूह भागवत पुराण और भगवत गीता
क
े दसव अ याय का पाठ करते या सुनते ह।
ज मा टमी म णपुर म उपवास, सतकता, शा क
े पाठ और कृ ण ाथना क
े साथ
मनाया जाने वाला एक मुख योहार है। मथुरा और वृंदावन म ज मा टमी क
े दौरान
रासल ला करने वाले नतक एक उ लेखनीय वा षक परंपरा है। मीतेई वै णव समुदाय
म ब चे लकोल स नाबागेम खेलते ह।
पूव रा य ओ डशा म, वशेष प से पुर क
े आसपास क
े े और पि चम बंगाल क
े
नब वीप म, योहार को ी कृ ण जयंती या बस ी जयंती क
े प म भी जाना जाता
है। लोग आधी रात तक उपवास और पूजा कर ज मा टमी मनाते ह। भागवत पुराण
कृ ण क
े जीवन को सम पत एक खंड, १०व अ याय से पढ़ा जाता है। अगले दन को
"नंदा उ सव" या कृ ण क
े पालक माता- पता नंदा और यशोदा का खुशी का उ सव
कहा जाता है। ज मा टमी क
े पूरे दन भ त उपवास रखते ह। वे अपने अ भषेक
समारोह क
े दौरान गंगा नान राधा माधव से पानी लाते ह। आधी रात को छोटे राधा
माधव देवताओं क
े लए एक भ य अ भषेक कया जाता है, जब क 400 से अ धक
व तुओं का भोजन (भोग) भि त क
े साथ उनक
े भु को अ पत कया जाता है।
गोक
ु ला अ टमी (ज मा टमी या ी कृ ण जयंती) कृ ण का ज म दन मनाती है।
गोक
ु ला टमी द ण भारत म बहुत उ साह क
े साथ मनाई जाती है। क
े रल म, लोग
मलयालम क
ै लडर क
े अनुसार सतंबर को मनाते ह। त मलनाडु म, लोग फश को
कोलम (चावल क
े घोल से तैयार सजावट पैटन) से सजाते ह। गीता गो वंदम और
ऐसे ह अ य भि त गीत कृ ण क तु त म गाए जाते ह। फर वे घर क दहल ज
से पूजा क तक कृ ण क
े पैर क
े नशान खींचते ह, जो घर म कृ ण क
े आगमन को
दशाता है। भगव गीता का पाठ भी एक लोक य था है। कृ ण को चढ़ाए जाने वाले
साद म फल, पान और म खन शा मल ह। कृ ण क पसंद दा मानी जाने वाल
सेवइयां बड़ी सावधानी से तैयार क जाती ह। उनम से सबसे मह वपूण ह सीदाई,
मीठ सीदाई, वेरकादलाई उ ंडई। यह योहार शाम को मनाया जाता है य क कृ ण
का ज म म यरा म हुआ था। यादातर लोग इस दन स त उपवास रखते ह और
आधी रात क पूजा क
े बाद ह भोजन करते ह।
आं देश म, लोक और भि त गीत का पाठ इस योहार क वशेषता है। इस
यौहार क एक और अनूठ वशेषता यह है क युवा लड़क
े कृ ण क
े प म तैयार
होते ह और वे पड़ो सय और दो त से मलते ह। व भ न कार क
े फल और
मठाइयाँ सबसे पहले कृ ण को अ पत क जाती ह और पूजा क
े बाद इन मठाइय
को आगंतुक क
े बीच वत रत कया जाता है। आं देश क
े लोग भी उपवास रखते
ह। इस दन गोक
ु लनंदन चढ़ाने क
े लए तरह-तरह क मठाइयां बनाई जाती ह। कृ ण
को साद बनाने क
े लए दूध और दह क
े साथ खाने क चीज तैयार क जाती ह।
रा य क
े क
ु छ मं दर म कृ ण क
े नाम का आनंदपूवक जप होता है। कृ ण को
सम पत मं दर क सं या कम है। इसका कारण यह है क लोग ने मू तय क
े
बजाय च क
े मा यम से उनक पूजा क जाती है।
कृ ण को सम पत लोक य द ण भारतीय मं दर ह, त व र िजले क
े म नारगुडी म
राजगोपाल वामी मं दर, कांचीपुरम म पांडवधूथर मं दर, उडुपी म ी कृ ण मं दर और
गु वायुर म कृ ण मं दर व णु क
े कृ ण अवतार क मृ त को सम पत ह। कं वदंती
कहती है क गु वायुर म था पत ी कृ ण क मू त वारका क है, िजसक
े बारे म
माना जाता है क यह समु म डूबी हुई थी।
नेपाल
नेपाल क लगभग अ सी तशत आबाद खुद को हंदू क
े प म पहचानती है और
कृ ण ज मा टमी मनाती है। वे आधी रात तक उपवास करक
े ज मा टमी मनाते ह।
भ त भगवद गीता का पाठ करते ह और भजन और क तन नामक धा मक गीत
गाते ह। कृ ण क
े मं दर को सजाया जाता है। दुकान , पो टर और घर म कृ ण क
े
पांकन ह।
बां लादेश
ज मा टमी बां लादेश म एक रा य अवकाश है। ज मा टमी पर, बां लादेश क
े
रा य मं दर, ढाक
े वर मं दर ढाका से एक जुलूस शु होता है, और फर पुराने ढाका
क सड़क से आगे बढ़ता है। जुलूस 1902 का है, ले कन 1948 म रोक दया गया था।
जुलूस 1989 म फर से शु कया गया था।
फ़जी
फजी म कम से कम एक चौथाई आबाद हंदू धम का पालन करती है, और यह
अवकाश फजी म तब से मनाया जाता है जब से पहले भारतीय गर म टया मजदूर
वहां पहुंचे थे। फजी म ज मा टमी को "कृ णा अ टमी" क
े प म जाना जाता है।
फ़जी म अ धकांश हंदुओं क
े पूवज उ र देश, बहार और त मलनाडु से उ प न हुए
ह, िजससे यह उनक
े लए वशेष प से मह वपूण योहार है। फजी का ज मा टमी
उ सव इस मायने म अनोखा है क वे आठ दन तक चलते ह, जो आठव दन तक
चलता है, िजस दन कृ ण का ज म हुआ था। इन आठ दन क
े दौरान, हंदू घर और
मं दर म अपनी 'मंड लय ' या भि त समूह क
े साथ शाम और रात म इक ठा होते
ह, और भागवत पुराण का पाठ करते ह, कृ ण क
े लए भि त गीत गाते ह, और साद
वत रत करते ह।
र यू नयन
ांसीसी वीप र यू नयन क
े मालबार म, क
ै थो लक और हंदू धम का एक सम वय
वक सत हो सकता है। ज मा टमी को ईसा मसीह क ज म त थ माना जाता है।
अ य
ए रज़ोना, संयु त रा य अमे रका म, गवनर जेनेट नेपो लटानो इ कॉन को वीकार
करते हुए ज मा टमी पर संदेश देने वाले पहले अमे रक नेता थे। यह योहार
क
ै र बयन म गुयाना, नदाद और टोबैगो, जमैका और पूव टश उप नवेश फजी क
े
साथ-साथ सूर नाम क
े पूव डच उप नवेश म हंदुओं वारा यापक प से मनाया
जाता है। इन देश म बहुत से हंदू त मलनाडु, उ र देश और बहार से आते ह;
त मलनाडु, उ र देश, बहार, बंगाल और उड़ीसा क
े गर म टया वा सय क
े वंशज।
मथुरा जभू म क
े वो 8 थान जहां कण-कण म समाए ह ीकृ ण
जभू म म यहां आज भी का हा को कर सकते ह महसूस
कृ ण ज मा टमी 30 अग त दन सोमवार को है। यह योहार हर साल भा पद मास
क कृ ण प क अ टमी त थ को मनाया जाता है। ऐसे म हम आपको भगवान
कृ ण क
े उन आठ थान क
े बारे म बताने जा रहे ह, जहां पहुंचने पर आप भगवान
को अपने बेहद कर ब महसूस करगे। यह थान आज भी कृ ण क ल लाओं का
गुणगान करते ह। अगर आप भी कृ ण क ल लाओं का अनुभव करना चाहते ह तो
जभू म चले आइए। यहां आकर आपको महसूस होगा क भगवान कृ ण आपक
े
आसपास ह ह। यहां एक जगह ऐसी भी है क आप का हा क बंसी क तान महसूस
कर सकते ह।
कृ ण ज मभू म
भगवान कृ ण को अपने कर ब महसूस करना है तो ज मभू म चले आइए। मा यता
है क वापर युग म यहां क
ं स का कारावास हुआ करता था, यह ं पर बाल गोपाल का
ज म हुआ था। कृ ण ज मभू म मं दर म एक ऊ
ं चा चबूतरा बना हुआ है, बताया जाता
है क ज म क
े बाद वह ं पर कृ णजी क
े थम चरण पड़े थे। उस समय मथुरा
शूरसेन देश क राजधानी हुआ करती थी। क
ं स ने कृ ण क
े पता वासुदेव और माता
देवक को कारागार म डाल दया था, जहां उनक आठवीं संतान क
े प म कृ ण ने
ज म लया।
यमुना
बताया जाता है क तीथराज याग यमुना क
े घाट पर ीयमुना महारानी क छ छाया
म ीकृ ण क आराधना करते ह। भगवान कृ ण क
े ज म क
े बाद उनक
े पता
वासुदेव यमुना से होकर मथुरा से गोक
ु ल ले गए थे, तब यमुनाजी ने कृ णजी क
े
चरण पश कए थे। साथ ह यमुना क
े आसपास कृ णजी ने कई ल लाएं क ह। इन
ल लाओं क
े य आज भी यमुना क
े आसपास देखने को मल जाएंगे। यहां नान
करने से मनु य क
े सभी पाप दूर हो जाते ह और कृ ण क
े होने क
े आभास भी होता
है।
गोवधन
अगर आपको कृ ण ल लाओं क
े दशन करने ह और उनक मह ा को जानना है तो
गोवधन क प र मा करने एकबार ज र आएं। गोवधन म आपको कृ ण क
े बारे म
ऐसी-ऐसी छोट -छोट जानकार मलेगी, जो आप कह ं नह ं जान सकते। यहां हर पल
भि तमय माहौल रहता है और हर पल कृ ण को अपने आसपास महसूस कर सकते
ह। गोवधन म कृ ण क
ुं ड और राधा क
ुं ड क प र मा क जाती है। गोवधन वह पवत
है, िजसको कृ णजी ने अपनी एक उंगल से उठा लया था और जवा सय क र ा
क थी।
नंदरायजी का मं दर
क
ं स से र ा करने क
े लए वसुदेवजी नंदगांव म अपने म नंदरायजी क
े यहां पहुंचे
थे। पहले जहां नंदरायजी का घर हुआ करता था, आज वहां मं दर बना हुआ है। यहां
आकर आपको बाल गोपाल क ल लाओं क
े बारे म जानकार मलेगी। आपको यहां
आकर ऐसा महसूस होगा क जैसे बाल गोपाल आपक
े आसपास ह कलकार मार रहे
ह । साथ ह उ ह ने यहां पर अपना पूरा बचपन बताया था तो आपको वह भी य
देखने को मल जाएंगे।
न धवन
वृंदावन राधा-कृ ण क ल लाओं क नगर रह है और यहां पर ि थत न धवन तो
रह य का सागर है। बताया जाता है क इसी वन से बांक
े बहार जी का व ह कट
हुआ था। यहां भगवान कृ ण ने रासल ला रचाई थीं। इस वन म एक मं दर भी है,
िजसम हर रोज भगवान क
े लए सेज सजाई जाती है। मा यता है क यहां हर रोज
बांक
े बहार राधा रानी क
े साथ व ाम करते ह और सुबह दातुन करक
े चले जाते ह।
मं दर का जब दरवाजा खुलता है तो दातुन गल मलती है और सजा हुआ ब तर
फ
ै ला हुआ रहता है, जैसे क कोई उस पर सोया हो। न धवन म आज भी न सफ
यि त बि क कोई जानवर भी एक रात नह ं कता।
भांडीरवन
मथुरा से कर ब 20 कमी क दूर पर भांडार वन जगह है। मवैवत पुराण क
े
अनुसार, माजी ने यह ं पर भगवान कृ ण का राधा क
े साथ ववाह करवाया था।
आज भी इस वन म राधा-कृ ण क
े ववाह को जीवंत कर रखा है। यहां आज भी
कृ ण क
े जमाने क
े पेड़ देखने को मल जाएंगे। यह ं पास म एक बंसीवट वन नाम
क जगह भी है, जहां ीकृ ण गाय को चराते हुए राधा को बंसी क तान सुनाया
करते थे। बताया जाता है क जब भगवान कृ ण बंसी बजाते थे तब सभी वट वृ
कान लगाकर यान से सुनते थे। अगर आप यान से सुनगे तो आज भी बंसी क
तान सुनाई पड़ेगी।
का यवन
मथुरा से 50 कमी क दूर पर का यवन ि थत है, िजसे कामां भी कहा जाता है। यहां
पर एक पहाड़ी है, जहां पर आज भी एक थाल और कटोर का च ह बना हुआ है।
मा यता है क भगवान कृ ण ने यह ं पर योमासुर नामक एक असुर का वध कया
था, जो पास क ह एक गुफा म रहता है। साथ ह बताया जाता है क परशुराम
भगवान ने यह ं पर तप या भी क थी। महाभारत काल म पांडव ने अपना क
ु छ
समय इसी वन म बताया था। अगर आप यहां आते ह तो आज भी आप कृ ण क
ल लाओं क
े दशन कर सकते ह।
मोर क
ु ट
मथुरा क
े बरसाने म मांचल पवत पर ाचीन मोरक
ु ट थल है। बताया जाता है क
आज भी यामसुंदर मोर प म यहां वचरण करते ह। मा यता है क एक बार
राधारानी मोर क
ु ट म मोर देखने क
े लए पहुंची थीं ले कन उनको एक भी मोर नह ं
मला। िजससे राधाराधी मायूस हो ग । जब भगवान कृ ण ने देखा क राधारानी
मायूस हो गई ह तो उ ह ने मोर प धारण नृ य करने लगे, इसे देखकर राधारानी
स न हो ग और ल डू खलाने लगीं। तभी उनक स खयां पहचान गई थीं क
कृ ण खुद मोर बनकर आ गए ह। स खया कहती ह क राधा ने बुलायो का हा मोर
बन आयो।
Shree Krishna Janmashtami 2021:
हर साल भा पद मास क
े कृ ण प क अ टमी त थ को ीकृ ण ज मा टमी मनाई
जाती है। मा यता है क इस दन भगवान व णु क
े आठव अवतार भगवान ीकृ ण
का ज म हुआ था। ीकृ ण ज मा टमी का पव हंदू धम क
े मुख योहार म से
एक है।
इस साल ज मा टमी का पव 30 अग त, सोमवार को मनाया जाएगा। मा यता है क
भगवान ीकृ ण का ज म आधी रात को हुआ था। इस लए भगवान क
े भ त रात 12
बजे ह उनका ज मो सव मनाते ह। यो तषाचाय क
े अनुसार, इस साल ज मा टमी
पर ह-न का वशेष संयोग बन रहा है। ह क
े वशेष संयोग क
े कारण इस
साल क ज मा टमी बहुत खास मानी जा रह है।
बन रहा वशेष संयोग-
शा क
े अनुसार भगवान ीकृ ण का ज म रो हणी न म हुआ था।
यो तषाचाय क
े अनुसार, इस साल ज मा टमी पर रो हणी न और अ टमी त थ
व यमान रहेगी। इसक
े अलावा वृषभ रा श म चं मा संचार करेगा। इस दुलभ संयोग
क
े कारण ज मा टमी का मह व और बढ़ रहा है। मा यता है क इस दौरान स चे
मन से भगवान ीकृ ण क पूजा-अचना करने वाले भ त क मनोकामनाएं पूर होती
ह।
ज मा टमी शुभ मुहूत-
29 अग त क रात 11 बजकर 25 मनट से अ टमी त थ ारंभ हो जाएगी, जो क 31
अग त क रात 1 बजकर 59 मनट पर समा त होगी। रो हणी न 30 अग त को
सुबह 06 बजकर 39 मनट से लगेगा, जो क 31 अग त क सुबह 09 बजकर 44
मनट पर समा त होगा।
पूजा का अ भजीत मुहूत-
ज मा टमी क
े दन अ भजीत मुहूत 30 अग त क सुबह 11 बजकर 56 मनट से देर
रात 12 बजकर 47 मनट तक रहेगा।
पूजा- व ध
सुबह ज द उठकर नान आ द से नवृ हो जाएं।
घर क
े मं दर म साफ- सफाई कर।
घर क
े मं दर म द प व लत कर।
सभी देवी- देवताओं का जला भषेक कर।
इस दन भगवान ी कृ ण क
े बाल प यानी ल डू गोपाल क पूजा क जाती
है।
ल डू गोपाल का जला भषेक कर।
इस दन ल डू गोपाल को झूले म बैठाएं।
ल डू गोपाल को झूला झूलाएं।
अपनी इ छानुसार ल डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का यान रख क
भगवान को सफ साि वक चीज का भोग लगाया जाता है।
ल डू गोपाल क सेवा पु क तरह कर।
इस दन रा पूजा का मह व होता है, य क भगवान ी कृ ण का ज म
रात म हुआ था।
रा म भगवान ी कृ ण क वशेष पूजा- अचना कर।
ल डू गोपाल को म ी, मेवा का भोग भी लगाएं।
ल डू गोपाल क आरती कर।
इस दन अ धक से अ धक ल डू गोपाल का यान रख।
इस दन ल डू गोपाल क अ धक से अ धक सेवा कर।
Krishna Janmashtami 2021: ी कृ ण मुरल और मोर पंख य रखते थे अपने
साथ, जान धा मक मह व
ी कृ ण ज मा टमी का पव 30 अग त को मनाया जाएगा. कृ ण क
े भ त उनक
े
ज मो सव, ज मा टमी का पव मनाने क तैयार कर रह ह. ऐसे म यह जान लेना
उपयु त होगा क भगवान ी कृ ण क
े साथ मोर पंख और उनक य मुरल हमेशा
साथ रहती थी. आ खर य ? आइए जानते ह क भगवान कृ ण से जुड़ी मुरल और
मोरपंख का धा मक एवं आ याि मक मह व है.
ी कृ ण य धारण करते ह मुरल ?
भगवान ी कृ ण को मुरल धर भी कहते ह, य क ये हमेशा अपने साथ मुरल
धारण कये रहते ह. इसक व न बहुत ह सुर ल और मं मु ध कर देने वाल होती
है. ये मुरल , िजसे बांसुर भी कहते ह. यह सीख देती है क हम सभी लोग क
े साथ
मीठा बोलना चा हए और सबक
े साथ सु दर एवं सरल यवहार करना चा हए. इस
बासुंर म कोई गांठ नह ं होती. भगवान कृ ण जब चाहते ह तभी इसे बजाते ह. बना
ज रत क
े यह नह ं बजती है. इसी कार मनु य क
े अंदर कसी भी दूसरे यि त क
े
लए गाँठ बनाकर नह ं रखनी चा हए और नह ं बना ज रत क
े बोलना चा हए. जब
कोई ज र बात कहनी हो तभी बोलना उ म होता है.
मुक
ु ट म मोर पंख
भगवान ी कृ ण क
े मुक
ु ट म हमेशा मोर पंख लगा रहता है. य क भगवान ी
कृ ण को मोर पंख और गाय अ त य होती है. इसी लए वे अपने मुक
ु ट म मोर
पंख लगाये रहते थे. कहा जाता है क मोर एक मचार ाणी होता है. भगवान ी
कृ ण भी ेम म मचय क महान भावना को समा हत कये हुए है . इसी लए
मचय क
े तीक व प मोर पंख धारण कये रहते थे. यह भी मा यता है क
भगवान कृ ण क क
ुं डल म कालसप दोष था. कालसप दोष से मुि त पाने क
े लए वे
सदैव अपने मुक
ु ट म मोर पंख लगाये रहते थे.
Janmashtami कृ ण ज मा टमी: कहानी कृ ण ज म क
मुरल मनोहर क
ृ ण क हैया जमुना क
े तट पे वराजे ह
मोर मुक
ु ट पर कान म क
ु डल कर म मुर लया साजे है
मानव जीवन सबसे सुंदर और सव म होता है. मानव जीवन क खु शय का क
ु छ
ऐसा जलवा है क भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय-समय पर धरती पर
आते ह. शा क
े अनुसार भगवान व णु ने भी समय-समय पर मानव प लेकर
इस धरती क
े सुख को भोगा है. भगवान व णु का ह एक प कृ ण जी का भी है
िज ह ल लाधर और ल लाओं का देवता माना जाता है.
Janmashtami कृ ण ज मा टमी: कहानी कृ ण ज म क
Special Days
त- यौहार, सतार क
े ज म दन, रा य-अंतररा य मह व क
े घो षत दन पर
आधा रत लॉग
Janmashtami – Story of Lord Krishna
मुरल मनोहर क
ृ ण क हैया जमुना क
े तट पे वराजे ह
मोर मुक
ु ट पर कान म क
ु डल कर म मुर लया साजे है
मानव जीवन सबसे सुंदर और सव म होता है. मानव जीवन क खु शय का क
ु छ
ऐसा जलवा है क भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय-समय पर धरती पर
आते ह. शा क
े अनुसार भगवान व णु ने भी समय-समय पर मानव प लेकर
इस धरती क
े सुख को भोगा है. भगवान व णु का ह एक प कृ ण जी का भी है
िज ह ल लाधर और ल लाओं का देवता माना जाता है. Read: Krishna and Radha
Krishna Janmashtami
कृ ण को लोग रास र सया, ल लाधर, देवक नंदन, ग रधर जैसे हजार नाम से जानते
ह. कृ ण भगवान वारा बताई गई गीता को हंदू धम क
े सबसे बड़े ंथ और पथ
दशक क
े प म माना जाता है. कृ ण ज मा टमी (Janmashtami) कृ ण जी क
े ह
ज म दवस क
े प म स ध है.
कृ ण ज मकथा
ीकृ ण का ज म भा पद कृ ण अ टमी क म यरा को रो हणी न म देवक व
ीवसुदेव क
े पु प म हुआ था. क
ं स ने अपनी मृ यु क
े भय से अपनी बहन देवक
और वसुदेव को कारागार म क
ै द कया हुआ था. कृ ण जी ज म क
े समय घनघोर
वषा हो रह थी. चारो तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था. भगवान क
े नदशानुसार
क
ु ण जी को रात म ह मथुरा क
े कारागार से गोक
ु ल म नंद बाबा क
े घर ले जाया
गया.
न द जी क प नी यशोदा को एक क या हुई थी. वासुदेव ीकृ ण को यशोदा क
े पास
सुलाकर उस क या को अपने साथ ले गए. क
ं स ने उस क या को वासुदेव और देवक
क संतान समझ पटककर मार डालना चाहा ले कन वह इस काय म असफल ह रहा.
दैवयोग से वह क या जी वत बच गई. इसक
े बाद ीकृ ण का लालन–पालन यशोदा
व न द ने कया. जब ीकृ ण जी बड़े हुए तो उ ह ने क
ं स का वध कर अपने माता-
पता को उसक क
ै द से मु त कराया.
ज मा टमी म हांडी फोड़
ीकृ ण जी का ज म मा एक पूजा अचना का वषय नह ं बि क एक उ सव क
े
प म मनाया जाता है. इस उ सव म भगवान क
े ी व ह पर कपूर, ह द , दह , घी,
तेल, क
े सर तथा जल आ द चढ़ाने क
े बाद लोग बडे हष लास क
े साथ इन व तुओं का
पर पर वलेपन और सेवन करते ह. कई थान पर हांडी म दूध-दह भरकर, उसे
काफ ऊ
ं चाई पर टांगा जाता है. युवक क टो लयां उसे फोडकर इनाम लूटने क होड़
म बहुत बढ-चढकर इस उ सव म भाग लेती ह. व तुत: ीकृ ण ज मा टमी का त
क
े वल उपवास का दवस नह ं, बि क यह दन महो सव क
े साथ जुड़कर तो सव बन
जाता है.
ी कृ ण चाल सा
बंशी शो भत कर मधुर, नील जलद तन याम।
अ णअधरजनु ब बफल, नयनकमलअ भराम॥
पूण इ , अर व द मुख, पीता बर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छ व, कृ णच महाराज॥
जय यदुनंदन जय जगवंदन।
जय वसुदेव देवक न दन॥
जय यशुदा सुत न द दुलारे।
जय भु भ तन क
े ग तारे॥
जय नट-नागर, नाग नथइया॥
कृ ण क हइया धेनु चरइया॥
पु न नख पर भु ग रवर धारो।
आओ द नन क ट नवारो॥
वंशी मधुर अधर ध र टेरौ।
होवे पूण वनय यह मेरौ॥
आओ ह र पु न माखन चाखो।
आज लाज भारत क राखो॥
गोल कपोल, चबुक अ णारे।
मृदु मु कान मो हनी डारे॥
रािजत रािजव नयन वशाला।
मोर मुक
ु ट वैज तीमाला॥
क
ुं डल वण, पीत पट आछे।
क ट कं कणी काछनी काछे॥
नील जलज सु दर तनु सोहे।
छ ब ल ख, सुर नर मु नमन मोहे॥
म तक तलक, अलक घुंघराले।
आओ कृ ण बांसुर वाले॥
क र पय पान, पूतन ह तार्यो।
अका बका कागासुर मार्यो॥
मधुवन जलत अ गन जब वाला।
भै शीतल लखत हं नंदलाला॥
सुरप त जब ज च यो रसाई।
मूसर धार वा र वषाई॥
लगत लगत ज चहन बहायो।
गोवधन नख धा र बचायो॥
ल ख यसुदा मन म अ धकाई।
मुख मंह चौदह भुवन दखाई॥
दु ट क
ं स अ त उधम मचायो॥
को ट कमल जब फ
ू ल मंगायो॥
ना थ का लय हं तब तुम ल ह।
चरण च न दै नभय क ह॥
क र गो पन संग रास वलासा।
सबक पूरण कर अ भलाषा॥
क
े तक महा असुर संहार्यो।
क
ं स ह क
े स पक ड़ दै मार्यो॥
मात- पता क बि द छ
ु ड़ाई।
उ सेन कहं राज दलाई॥
म ह से मृतक छह सुत लायो।
मातु देवक शोक मटायो॥
भौमासुर मुर दै य संहार ।
लाये षट दश सहसक
ु मार ॥
दै भीम हं तृण चीर सहारा।
जरा संधु रा स कहं मारा॥
असुर बकासुर आ दक मार्यो।
भ तन क
े तब क ट नवार्यो॥
द न सुदामा क
े दुख टार्यो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डार्यो॥
ेम क
े साग वदुर घर मांगे।
दुय धन क
े मेवा यागे॥
लखी ेम क म हमा भार ।
ऐसे याम द न हतकार ॥
भारत क
े पारथ रथ हांक
े ।
लये च कर न हं बल थाक
े ॥
नज गीता क
े ान सुनाए।
भ तन दय सुधा वषाए॥
मीरा थी ऐसी मतवाल ।
वष पी गई बजाकर ताल ॥
राना भेजा सांप पटार ।
शाल ाम बने बनवार ॥
नज माया तुम व ध हं दखायो।
उर ते संशय सकल मटायो॥
तब शत न दा क र त काला।
जीवन मु त भयो शशुपाला॥
जब हं ौपद टेर लगाई।
द नानाथ लाज अब जाई॥
तुरत ह वसन बने नंदलाला।
बढ़े चीर भै अ र मुंह काला॥
अस अनाथ क
े नाथ क हइया।
डूबत भंवर बचावइ नइया॥
'सु दरदास' आस उर धार ।
दया ि ट क जै बनवार ॥
नाथ सकल मम क
ु म त नवारो।
महु बे ग अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दशन द जै।
बोलो कृ ण क हइया क जै॥
दोहा
यह चाल सा कृ ण का, पाठ करै उर धा र।
अ ट स ध नव न ध फल, लहै पदारथ चा र॥
ी राधा चाल सा
॥ दोहा ॥
ी राधे वुषभानुजा,
भ त न ाणाधार ।
वृ दा व पन वहा रणी,
ानावौ बार बार ॥
।। चौपाई ।।
जय वृषभान क
ुं वार ी यामा ।
क र त नं दनी शोभा धामा ॥
न य वहा रणी याम अधर ।
अ मत बोध मंगल दातार ॥
रास वहा रणी रस व ता रन ।
सहचर सुभाग यूथ मन भावनी ॥
न य कशोर राधा गोर ।
याम नाधन अ त िजया भोर ॥
क ना सागर हय उमं गनी ।
ल लता दक स खयाँ क संगनी ॥
दनकर क या क
ू ल वहा रणी ।
कृ ण ण य हय हु सवानी ॥
न य याम तु हारो गुण गाव ।
ी राधा राधा कह हशवाह ं ॥
मुरल म नत नाम उचार ।
तुम कारण ल ला वपु धर ॥
ेमा व पणी अ त सुक
ु मार ।
याम य वृषभानु दुलार ॥
नावाला कशोर अ त चाबी धामा ।
यु त लघु लाग को ट र त कामा ॥
गौरांगी श श नंदक वदना ।
सुभाग चपल अ नयारे नैना ॥10॥
जावक यूथ पद पंकज चरण ।
नूपुर वनी ीतम मन हारना ॥
स तता सहचर सेवा करह ं ।
महा मोड़ मंगल मन भरह ं ॥
र सकन जीवन ण अधर ।
राधा नाम सकल सुख सारा ॥
अगम अगोचर न य व प ।
यान धरत न श दन जभूपा ॥
उ जेऊ जासु अंश गुण खानी ।
को टन उमा राम म ण ॥
न य धाम गोलोक बहा रनी ।
जन र क दुःख दोष नासवानी ॥
शव अज मु न सनका दक नारद ।
पार न पायं सेष अ शरद ॥
राधा शुभ गुण पा उजार ।
नर ख स ना हॉट बनवार ॥
ज जीवन धन राधा रानी ।
म हमा अ मत न जय बखानी ॥
ीतम संग दए गल बाह ं ।
बहारता नत वृ दावन माह ं ॥
राधा कृ ण कृ ण है राधा ।
एक प दौऊ - ीती अगाधा ॥
ी राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख दा फ
ु ि लत बदानी ॥
को टक प धरे न द नंदा ।
दरश कारन हत गोक
ु ल चंदा ॥
रास क
े ल कर तु ह रझाव ।
मान करो जब अ त दुःख पाव ॥
फ
ु ि लत होठ दरश जब पाव ।
व वध भां त नत वनय सुनाव ॥
वृ दरं य वहा र नी याम ।
नाम लेथ पूरण सब कम ॥
को टन य तप या क हू ।
व वध नेम त हय म धरहु ॥
तू न याम भ ताह अपनाव ।
जब लगी नाम न राधा गाव ॥
वृंदा व पन वा मनी राधा ।
ल ला वपु तुवा अ मत अगाध ॥
वयं कृ ण नह ं पावह ं पारा ।
और तु ह को जननी हारा ॥
ीराधा रस ीती अभेद ।
सादर गान करत नत वेदा ॥
राधा यागी कृ ण को भािजह ।
ते सपनेहूं जग जल ध न त रह ॥
क र त क
ु मार लाडल राधा ।
सु मरत सकल मट हं भाव बड़ा ॥
नाम अमंगल मूल नासवानी ।
व वध ताप हर हर मन भवानी ॥
राधा नाम ले जो कोई ।
सहजह दामोदर वश होई ॥
राधा नाम परम सुखदायी ।
सहज हं कृ पा कर यदुराई ॥
यदुप त नंदन पीछे फ रहैन ।
जो कौउ राधा नाम सु म रहैन ॥
रास वहा रणी यामा यार ।
क हू कृ पा बरसाने वा र ॥
वृ दावन है शरण तु हार ।
जय जय जय शभाणु दुलार ॥
॥ दोहा ॥
ी राधा सव वर ,
र सक
े वर धन याम ।
करहूँ नरंतर बास मै,
ी वृ दावन धाम ॥40॥
आरती क
ुं ज बहार क
आरती क
ुं ज बहार क ी ग रधर कृ ण मुरार क ।
गले म बैज तीमाला बजाव मुर ल मधुर बाला॥
वण म क
ुं डल झलकाता नंद क
े आनंद न दलाला क । आरती...।
गगन सम अंगकाि त काल रा धका चमक रह आल ।
लतन म ठाढ़े बनमाल मर-सी अलक क तूर तलक।
चं -सी झलक ल लत छ ब यामा यार क । आरती...।
कनकमय मोर मुक
ु ट बलस देवता दरसन को तरस।
गगन से सुमन रा श बरस बजै मुरचंग मधुर मृदंग।
वा लनी संग-अतुल र त गोपक
ु मार क । आरती...।
जहां से गट भई गंगा कलुष क लहा रणी गंगा।
मरण से होत मोहभंगा बसी शव शीश जटा क
े बीच।
हरै अघ-क च चरण छ व ी बनवार क । आरती...।
चमकती उ वल तट रेनू बज रह बृंदावन बेनू।
चहुं द श गोपी वालधेनु हंसत मृदुम द चांदनी चंद।
कटत भवफ द टेर सुनु द न भखार क । आरती...।
ज मा टमी पर जप भगवान ीकृ ण क
े ये 3 सरल एवं पौरा णक मं
गवान ीकृ ण संबंधी मं तो बहुत ह, ले कन क
ु छ खास मं का ह चलन और
मह व है। यहां तुत ह ज मा टमी पर
कृ ण क
े सरल एवं पौरा णक मं ।
सभी मं को जपने से पूव एक बार 'ॐ ी कृ णाय शरणं मम।' मं का उ चारण
अव य कर।
(1) पहले मं क
े लए प व ता का वशेष यान रख। नान प चा य क
ु श क
े आसन
पर बैठकर सुबह और शाम सं या वंदन क
े समय उ त मं का 108 बार जाप कर।
यह मं जीवन म कसी भी कार क
े संकट को पास फटकने नह ं देगा।
पहला मं - 'ॐ कृ णाय वासुदेवाय हरये परमा मने ।। णतः लेशनाशाय गो वंदाय
नमो नमः।।'
(2) दूसरा मं संकटकाल म दोहराया जाता है। जब कभी भी यि त को आकि मक
संकट का सामना करना पड़ता है तो तुरंत ह पूण धा और व वास क
े साथ उ त
मं का जाप कर संकट से मुि त पाई जा सकती है।
दूसरा मं - 'ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृ णाय लेशनाशाय गो वंदाय नमो नमः।'
(3) तीसरा मं नरंतर दोहराते रहना चा हए। उ त मं को चलते- फरते, उठते-बैठते
और कह ं भी कसी भी ण म दोहराते रहने से कृ ण से जुड़ाव रहता है। इस तरह
से कृ ण का नरंतर यान करने से यि त कृ ण धारा से जुड़कर मो ाि त का
माग पु ट कर लेता है।
तीसरा मं - 'हरे कृ ण हरे कृ ण, कृ ण-कृ ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम-राम हरे
हरे।'
कृ ण मं का मह व : अत: उ त मं क
े मह व को समझते हुए अ य क ओर जो
अपना मन नह ं लगाता वह कृ ण क शरण म होता है और जो कृ ण क शरण म है
उसे कसी भी कार से रोग और शोक सता नह ं सकते।
ीकृ ण क
े इन 7 मं का कर जाप, दूर ह गी सार परेशा नयां
हंदू मा यताओं क
े अनुसार, ीकृ ण भगवान व णु क
े आठव अवतार माने जाने ह.
उनक
े भ त क सं या भी बेशुमार है. ी कृ ण क
े भ त सफ भारत म ह नह ं वरन
पूर दु नया म फ
ै ले हुए ह. मा यताओं क
े अनुसार, ी कृ ण ने अपने जीवन म कई
ल लाएं क ं िजनसे पूर दु नया प र चत है. ी कृ ण वारा कई रा स का वध करने
से लेकर गीता म दए गए उपदेश तक कई ऐसे काय कए जो भ त क
े लए संदेश
का काम करती ह.
धा मक मानयताओं क
े अनुसार, मं का सह उ चारण सह फल दान करता है.
इस लए आज हम आपको ीकृ ण से जुड़े क
ु छ ऐसे मं बताने जा रहे ह जो जीवन
म धन-स प त, ऐ वय और ान क ाि त कराते ह.
1. "कृं कृ णाय नमः" ... यह ीकृ ण का बताया मूलमं है िजसका जाप करने से
यि त को अटका हुआ धन ा त होता है. आप इस मं का उ चारण अपने
दै नक जीवन म कर सकते ह.
2. "ॐ दे वकान दनाय वधमहे वासुदेवाय धीम ह त नो कृ ण: चोदयात"....
ीकृ ण क
े इस मं का जाप करने से यि त क
े जीवन और मन से सभी
दुख दूर हो जाते ह.
3. "हरे कृ ण, हरे कृ ण, कृ ण कृ ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे".... यह
16 श द का वै णव मं है जो भगवान कृ ण का सबसे स ध मं है. इस
द य मं का उ चारण करने से यि त ीकृ ण क भि त म ल न हो जाता
है.
4. "ऊ
ं ीं नमः ीकृ णाय प रपूणतमाय वाहा" ... यह कोई साधारण मं नह ं
बि क ीकृ ण का स तदशा र महामं है. अ य मं शा ीय मा यताओं क
े
अनुसार 108 बार जाप करने से ह स ध हो जाते ह ले कन इस महामं का
पांच लाख जाप करने से ह स ध हो पाता है.
5. "ओम ल म कृ णाय नमः''.... इस मं का जाप करने से मनु य को सफलता
और वैभव क ाि त होती है, ले कन इसे नयम-कायद क
े साथ जपना चा हए.
अगर आप कसी भी सम या म ह तो इस मं का उपयोग कर सकते ह.
6. " ी कृ ण गो वंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा".... इस मं क
े उ चारण
से ीकृ ण क कृ पा यि त पर बनी रहती है.
7. "गोक
ु ल नाथाय नमः".... इस आठ अ र वाले ीकृ ण मं का जाप जो भी
भ त करता है उसक सभी इ छाएं पूर होती ह.
गोपाल तु त : कृ णाय गोपीनाथाय गो व दाय नमो नमः
नमो व व व पाय व वि थ य तहेतवे।
व वे वराय व वाय गो व दाय नमो नमः॥1॥
नमो व ान पाय परमान द पणे।
कृ णाय गोपीनाथाय गो व दाय नमो नमः॥2॥
नमः कमलने ाय नमः कमलमा लने।
नमः कमलनाभाय कमलापतये नमः॥3॥
बहापीडा भरामाय रामायाक
ु ठमेधसे।
रमामानसहंसाय गो व दाय नमो नमः॥4॥
क
ं सवश वनाशाय क
े शचाणूरघा तने।
का ल द क
ू लल लाय लोलक
ु डलधा रणे॥5॥
वृषभ वज-व याय पाथसारथये नमः।
वेणुवादनशीलाय गोपालाया हम दने॥6॥
ब लवीवदना भोजमा लने नृ यशा लने।
नमः णतपालाय ीकृ णाय नमो नमः॥7॥
नमः पाप णाशाय गोवधनधराय च।
पूतनाजी वता ताय तृणावतासुहा रणे॥8॥
न कलाय वमोहाय शु धायाशु धवै रणे।
अ वतीयाय महते ीकृ णाय नमो नमः॥9॥
सीद परमान द सीद परमे वर।
आ ध- या ध-भुजंगेन द ट मामु धर भो॥10॥
ीकृ ण ि मणीका त गोपीजनमनोहर।
संसारसागरे म नं मामु धर जग गुरो॥11॥
क
े शव लेशहरण नारायण जनादन।
गो व द परमान द मां समु धर माधव॥12॥
यह है ीम भगवत गीता क वह बात जो आपको अपने जीवन म उतार लेनी चा हए
गीता सार, वो संसार है जहां भगवान कृ ण ने ान का भंडार भर रखा है और उसे
पढ़ने क
े बाद सभी को कोई ना कोई ान मलता है. ऐसे म क
ु े क
े रण म
भगवान ीकृ ण ने जो गीता का ान अजुन को दया था वह संदेश पूरे मानव जा त
क
े लए उपयोगी है और बात कर ीम भगवत गीता क
े क
ु छ ान को हम अपने
जीवन म आ मसात कर तो कई क ट से मुि त मल जाएगी. तो आज हम आपको
बताते ह वह 7 उपदेश.
वतमान का आनंद लो : ी कृ ण क
े अनुसार बीते कल और आने वाले कल क चंता
नह ं करनी चा हए, य क जो होना है वह होगा. जो होता है, अ छा ह होता है,
इस लए वतमान का आनंद लो.
आ मभाव म रहना ह मुि त : ी कृ ण क
े अनुसार नाम, पद, त ठा, सं दाय, धम,
ी या पु ष हम नह ं ह और न यह शर र हम ह. ये शर र अि न, जल, वायु, पृ वी,
आकाश से बना है और इसी म मल जाएगा. ले कन आ मा ि थर है और हम
आ मा ह. आ मा कभी न मरती है, न इसका ज म है और न मृ यु! आ मभाव म
रहना ह मुि त है.
यहां सब बदलता है : ी कृ ण क
े अनुसार प रवतन संसार का नयम है. यहां सब
बदलता रहता है. इस लए सुख-दुःख, लाभ-हा न, जय-पराजय, मान-अपमान आ द म
भेद म एक भाव म ि थत रहकर हम जीवन का आनंद ले सकते ह.
ोध श ु है : ी कृ ण क
े अनुसार अपने ोध पर काबू रख. ोध से म पैदा होता
है और म से बु ध वच लत होती है. इससे मृ त का नाश होता है और इस
कार यि त का पतन होने लगता है. ोध, कामवासना और भय ये हमारे श ु ह.
ई वर क
े त समपण : ी कृ ण क
े अनुसार अपने को भगवान क
े लए अ पत कर
दो. फर वो हमार र ा करेगा और हम दुःख, भय, च ता, शोक और बंधन से मु त
हो जाएंगे. नज रए को शु ध कर : हम अपने देखने क
े नज रए को शु ध करना
होगा और ान व कम को एक प म देखना होगा, िजससे हमारा नज रया बदल
जाएगा.
मन को शांत रख : ी कृ ण क
े अनुसार अशांत मन को शांत करने क
े लए अ यास
और वैरा य को प का करते जाओ, अ यथा अ नयं त मन हमारा श ु बन जाएगा.
कम से पहले वचार कर : हम जो भी कम करते ह उसका फल हम ह भोगना
पड़ता है. इस लए कम करने से पहले वचार कर लेना चा हए.
अपना काम कर : ी कृ ण क
े अनुसार कोई और काम पूणता से करने से कह ं
अ छा है क हम अपना ह काम कर. भले वह अपूण य न हो. समता का भाव रख
: सभी क
े त समता का भाव, सभी कम म क
ु शलता और दुःख पी संसार से
वयोग का नाम योग है.
Sources https://www.newstracklive.com/news/shrimad-bhagwat-geeta-updesh-
hindi-me-sc93-nu-1303120-1.html
Geeta Gyan: ीकृ ण क
े इन उपदेश को जीवन म अपनाएं और सफलता पाएं
भागव गीता म क
े वल धम से जुड़े उपदेश नह ं ह बि क इसम जीवन का ऐसा सार
छपा है िजसे अपने जीवन म अपनाने से यि त का जीवन पूर तरह से बदल
सकता है और वह सफलता ा त कर सकता है.
भगवान व णु क
े आठव अवतार थे भगवान ीकृ ण (Shri Krishna) िज ह ने
महाभारत (Mahabharat) यु ध क
े दौरान अजुन क
े सारथी का करदार नभाया था.
महाभारत क
े इसी यु ध म कृ ण ने क
ु े क
े मैदान म अजुन को गीता (Geeta) का
उपदेश दया था. ीकृ ण क इन बात का अजुन पर ऐसा असर हुआ क वह यु ध
भू म म फर से यु ध करने और अपने ल य क ाि त क ओर चल पड़ा.
ासं गक ह गीता क
े उपदेश
अगर आप सोचते ह क भागव गीता सफ एक धम ंथ है और उसम क
े वल धम
(Religion) से जुड़े उपदेश मौजूद ह तो आप गलत ह. गीता म लखे भगवान कृ ण क
े
ये उपदेश न सफ अनमोल ह बि क आज भी पूर तरह से ासं गक (Relevant) ह.
अगर आप गीता क
े इन उपदेश को अपने जीवन म अपनाने क को शश कर तो
इससे न सफ आपका जीवन आसान हो जाएगा बि क सफलता (Success) हा सल
करने म भी मदद मलेगी.
बात चाहे खुद पर काबू रखने क हो, सामािजक तौर पर कस तरह से यवहार करना
चा हए उसक हो या फर कसी तरह क भावना मक तकल फ क हो- गीता म सभी
का समाधान मौजूद है. इसम कोई शक नह ं क हम गीता क
े उपदेश का पालन कर
न सफ अपना भला कर सकते ह बि क समाज क याण म भी भागीदार नभा
सकते ह. गीता म जीवन जीने क
े सार और सफलता पाने क
े लए जो बात बतायी
गई ह उनक
े बारे म हम आपको यहां बता रहे ह.
जीवन म भी अपनाएं गीता का ान
1. कल क चंता न कर- गीता म लखा है जो कल बीत चुका (Yesterday) और जो
कल आने वाला है (Tomorrow) उसक यथ चंता नह ं करनी चा हए य क जो
पहले से लखा है और जो होना तय है वह होगा. कृ ण कहते ह जो हुआ अ छा
हुआ, जो हो रहा है अ छा हो रहा है और जो होगा वो भी अ छा ह होगा. इस लए
कल क चंता छोड़कर हम आज यानी वतमान (Today) पर अपना जीवन फोकस
करना चा हए और उसी का आनंद उठाना चा हए.
2. गु से पर काबू रख- भगवान कृ ण कहते ह काम, ोध और लोभ आ मा का नाश
कर देता है, इस लए इन तीन दोष का समूल नाश कर देना चा हए. गीता म कहा
गया है क ोध यानी गु से (Anger) से म उ प न होता है और मत यि त
अपने माग से भटक जाता है और मनु य का पतन हो जाता है. इस लए अपने गु से
पर नयं ण रखना बेहद ज र है.
3. अ छे-बुरे दोन व त को वीकार कर- गीता म भगवान कृ ण कहते ह क दन
ख म होने क
े बाद रात आती है, बहुत गम क
े बाद एक सुखद मानसून आता है. ये
बात दखाती ह क प रवतन (Change) ह संसार का नयम है और कोई भी व त
हमेशा एक समान नह ं रहता. इस लए अ छा या बुरा समय, कोई व तु या बात क
े
लए दुखी होने क ज रत नह ं य क इसम बदलाव होना नि चत है. जो जैसा है
उसे वैसा ह वीकार कर.
4. नतीजे क चंता न कर- गीता म ीकृ ण कहते ह क मनु य जैसा कम (Work)
करता है उसक
े अनु प ह उस फल क ाि त होती है. इस लए अ छे कम को ह
मह व देना चा हए. इसका अथ ये भी हुआ क हर बार कोई काम करने से पहले
उसक
े नतीजे क चंता नह ं करनी चा हए य क अगर आप सदकम (Good Work)
कर रहे ह तो उसका फल नि चत ह आपको अ छा मलेगा.
5. अपनी मता क पहचान कर- गीता का उपदेश देते हुए भगवान कृ ण कहते ह क
हर यि त को आ म मंथन करक
े अपनी पहचान करनी चा हए. ऐसा इस लए य क
जब कोई यि त खुद को पहचान लेता है तभी वह अपनी मता (Capability) क भी
पहचान कर पाता है. कसी भी काय को करने क
े लए अपनी मता को जानना बेहद
ज र होता है.
Sources https://zeenews.india.com/hindi/religion/sermons-of-shri-krishna-in-geeta-
will-make-your-life-successful/837880
फोटो ाफ एवं वी डयो
विजट http://educratsweb.com/tag.php?tag=krishna
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Hindi – िजस कार अजुन और भगवान कृ ण क
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े प म
जाना जाता है उसी तरह ी राम च और मह ष योग व श ट क
े बीच हुए संवाद
को ी योगवा स ठ महारामायण क
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