गुर्दों का डायबिटीज बीमारी के कारण कार्य करने मे असफलता की दिशा
गुर्दों का डायबिटीज िीमारी के कारण कायय करने मे असफलता की दर्दशा
डायबिटीज के रोगगयों में गुर्दों की यानी ककडनी की स्ततगि क्या और कैसे खराि होती है , इसका सटीक
जवाि तो नही दर्दया जा सकता लेककन मानव किया शारीर के अध्धयन से इस िात का अब्र्दाजा जरुर लगा
सकते हैं की ककडनी कैसे खराि हो सकती है मधुमेह् के कारण से /
पहले समझ लें की मानव शारीर में ककडनी का क्या काम है ? ककडनी का मुख्य काम शरीर के रक्त को
छानना है यानी जो भी गन्र्दगी शारीर के अन्र्दर मेटािाललज्म किया की वजह से खनू के अन्र्दर गन्र्दगी पैर्दा
कराती है उस गन्र्दगी को ककडनी छान र्देती है और ति शुध्ध ककया गया खनू हृर्दय की ओर पहुचा दर्दया
जाता है जहाां आक्सीजन लमलकर रक्त शरीर के सेलों तक पहुचा दर्दया जाता है /
renal system ; गुर्दों की स्ततगि शरीर में इस तरह से होती है
खनू में शक्कर यानी रक्त सूगर के कारण शरीर की अन्गों की ररपेयररन्ग कमजोर हो जाती है और
इन््लेमेटरी कन्डीशन पैर्दा होने के कारण सेलूलर डैमेज पैर्दा हो जाता है स्जसके कारण गुर्दॊं में रक्त
छाननेवाली छलनी स्जसे नेफ्रान कहते है , की स्ततगि नेफ्राइदटस में िर्दल जाती है / िस यहीां से गुर्दों की
कायय क्षमता कमजोर होने लगती है / क्षतत ग्रतत अन्ग डायबिटीज के कारण ररपेयर नही हो पाते / क्योंकक
डायबिटीज के िारे मे कहा गया है कक अगर शरीर में एक हजार बीमाररयों की मौजूदगी है और उसमे से एक
“डायबबटीज” है तो सबसे पहले डायबबटीज को ठीक करो / इससे यही निष्कर्ष निकलता है कक बिना
डायबिटीज को कन्रोल ककये र्दसूरी िीमाररयाां ठीक नही हो सकती हैं /
अि यह साफ है कक अगर डायबिटीज को कन्रोल नही ककया गया तो कीडनी inflamed होकर खराि होने
लगेगी और कफर इस अन्ग में तरह तरह की िीमाररयाां पैर्दा हो जायेन्गी /
गुर्दाय अगर िचाना है तो हमेशा डायबिटीज को कन्रोल करो /
ई०टी०जी० आयुवेर्दतकैन आधाररत इलाज से डायबिटीज ठीक हो जाती है और डायबिटीज के साि पैर्दा होने
वाली अन्य सभी िीमाररयाां भी ठीक हो जाती हैं , चाहे उस िीमारी का कोई भी नाम डाक्टरों नें िताया हो
या declare ककया हो और िीमाररयों के नाम चाहे कैसा भी भयावह हो और डर पैर्दा करने वाले हों /
आयुवेर्द की इस आधुतनक तकनीक से अवश्य लाभ होता है //
गुर्दे की पिरी[सांपादर्दत करें]
गुदे की पथरी(वृक्कीय कैल्कली, नेफरोललगियालसस)(अांग्रेजी:Kidney stones) मूत्रतांत्र की एक ऐसी स्तितत है
स्जसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्र्दर छोटे-छोटे पत्िर सदृश कठोर वततुओ ांका तनमायण होता है। गुर्दें में एक समय म ेंएक या अगधक
पिरी हो सकती है। सामान्यत: ये पिररयााँ बिना ककसी तकलीफ मूत्रमाग यसे शरीर से िाहर तनकाल र्दी जाती ह ैं, ककन्तु यदर्द ये
पयायप्त रूप से िडी हो जाएां ( २-३ लममी आकार के) तो ये मूत्रवादहनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्तितत में मूत्राांगो
के आसपास असहनीय पीडा होती है।
यह स्तितत आमतौर से 30 से 60 वर् यके आय ुके व्यस्क्तयों में पाई जाती है और स्तत्रयों की अपेक्षा पुरूर्ों में चार गुना अगधक
पाई जाती है। िच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पिरी ज्यार्दा िनती है, जिकक वयतको में अगधकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली
में पिरी िन जाती है। आज भारत के प्रत्येक 2000 पररवारों में से एक पररवार इस पीडार्दायक स्तितत से पीडडत है, लेककन
सिसे र्द:ुखर्द िात यह है कक इनमें से कुछ प्रततशत रोगी ही इसका इलाज करवाते हैं।
स्जन मरीजों को मधुमेह की िीमारी है उन्हें गुर्दे की िीमारी होने की काफी सांभावनाएां रहती हैं। अगर ककसी मरीज को रक्तचाप
की िीमारी है तो उसे तनयलमत र्दवा से रक्तचाप को तनयांत्रण करने पर ध्यान र्देना चादहए क्योंकक अगर रक्तचाप िढ़ता है, तो
भी गुर्दे खराि हो सकते हैं।
कारण[सांपादर्दत करें]
ककसी पर्दाि यके कारण जि मूत्र सान्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पिरी तनलमयत होने लगती है। इस पर्दाि यम ेंछोटे छोटे र्दाने िनते ह ैं
जो िार्द म ेंपिरी म ेंतब्र्दील हो जाते है। इसके लक्षण जि तक दर्दखाई नहीां र्देते ति तक ये मूत्रमाग यमें िढ़ने लगते है और र्दर्द य
होने लगता है। इसमें काफी तेज र्दर्द यहोता है जो िाजू से शुरु होकर उरू मूल तक िढ़ता है।
िहूत अछा
लक्षण[सांपादर्दत करें]
गुर्दे की पिरी की अवतिा में र्दर्दय की स्तितत
पीठ के तनचले दहतसे में अिवा पेट के तनचले भाग म ेंअचानक तेज र्दर्द,य जो पेट व जाांघ के सांगध क्षेत्र तक जाता है। र्दर्द यफैल
सकता ह ैया िाजू, श्रोणण, उरू मूल, गुप्ताांगो तक िढ़ सकता है, यह र्दर्द यकुछ लमनटो या घांटो तक िना रहता ह ैतिा िीच-िीच
में आराम लमलता है। र्दर्दो के साि जी लमचलाने तिा उल्टी होने की लशकायत भीहो सकती है। यदर्द मूत्र सांिांधी प्रणाली के
ककसी भाग म ेंसांिमण है तो इसके लक्षणों में िुखार, कांपकांपी, पसीना आना, पेशाि आने के साि-साि र्दर्द यहोना आदर्द भी
शालमल हो सकते हैं ; िार िार और एकर्दम से पेशाि आना, रुक रुक कर पेशाि आना, रात में अगधक पेशाि आना, मूत्र में रक्त
भी आ सकता है। अांडकोशों म ेंर्दर्द,य पेशाि का रांग असामान्य होना।
गुर्दे की पिरी के ज्यार्दातर रोगी पीठ से पेट की तरफ आते भयांकर र्दर्द यकी लशकायत करते हैं। यह र्दर्द यरह-रह कर उठता है और
कुछ लमनटो से कई घांटो तक िना रहता है इसे ”रीलन िोतनन” कहते हैं। यह रोग का प्रमुख लक्षण है, इसमें मूत्रवाहक नली की
पिरी में र्दर्दो पीठ के तनचले दहतसे से उठकर जाांघों की ओर जाता है।
पिरी के प्रकार[सांपादर्दत करें]
सिसे आम पिरी कैस्ल्शयम पिरी है। पुरुर्ों म,ें मदहलाओ ांकी तुलना में र्दो से तीन गुणा ज्यार्दा होती है। सामान्यतः 20
से 30 आय ुवग यके पुरुर् इससे प्रभाववत होते है। कैस्ल्शयम अन्य पर्दािों जैसे आक्सलेट(सिसे सामान्य पर्दाि)य फातफेट
या कािोनेट से लमलकर पिरी का तनमायण करते है। आक्सलेट कुछ खाद्य पर्दािों में ववद्यमान रहता है।
पुरुर्ों में यूररक एलसड पिरी भी सामान्यतः पाई जाती है। ककस्तटनूररया वाले व्यस्क्तयों में ककतटाइन पिरी तनलमयत होती
है। मदहला और पुरुर् र्दोनों में यह वांशानुगत हो सकता है।
मूत्रमाग यम ेंहोने वाले सांिमण की वजह से तरवाइट पिरी होती है जो आमतौर पर मदहलाओ ांमें पायी जाती है। तरवाइट
पिरी िढ़कर गुर्दे, मूत्रवादहनी या मूत्राशय को अवरुद्ध कर सकती है।
तनर्दान[सांपादर्दत करें]
सांपूण यगचककत्सा जाांच, एक्सरे-सोनोग्राफी, डाई-इजांेक्शन अिवा अल्रासाउांड परीक्षणों से गुर्दे की पिररयों का रोग-तनर्दान
ककया जाता है।
िचाव के कुछ उपाय[सांपादर्दत करें]
पयायप्त जल पीयें ताकक २ से २.५ लीटर मूत्र रोज िने।
आहार में प्रोटीन, नाइरोजन तिा सोडडयम की मात्रा कम हो।
ऐसे पर्दाि यन ललये जाएां स्जनमें आक्जेलेट् की मात्रा अगधक हो; जैसे चाकलेट, सोयािीन, मांूगफली, पालक आदर्द
कोका कोला एवां इसी तरह के अन्य पेय से िचें।
ववटालमन-सी की भारी मात्रा न ली जाय।
नारांगी आदर्द का रस (जूस) लेने से पिरी का खतरा कम होता है।
र्दवाईयाां : पिरी के तनमायण के कारणों के अनुसार thiazides, potassium citrate, magnesium citrate and
allopurinol आदर्द र्दवाइयााँ लेनी चादहये।
ररतेश श्रीवततव