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तथ्य संकलन की विधियां -
प्रश्नावली
https://clipground.com/images/questionnaire-clipart-4.jpg
द्वारा- डॉक्टर ममता उपाध्याय
एसोसिएट प्रोफ
े सर, राजनीति विज्ञान
क
ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय
बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश
उद्देश्य-
● वैज्ञानिक सामाजिक- राजनीतिक शोध हेतु प्राथमिक तथ्यों क
े संकलन की
प्रविधियों की जानकारी
● प्राथमिक तथ्यों क
े संकलन की प्रविधि क
े रूप में प्रश्नावली क
े निर्माण का ज्ञान
● प्रश्नावली क
े विभिन्न प्रकारों का ज्ञान
● प्रश्नावली विधि क
े प्रयोग की सीमाओं का ज्ञान
● अच्छी प्रश्नावली क
े निर्माण की क्षमता का विकास
वैज्ञानिक सामाजिक- राजनीतिक अनुसंधान तथ्यों पर आधारित होता है । तथ्य, समंक
या आंकड़े सामाजिक राजनीतिक जीवन क
े यथार्थ को व्यक्त करते हैं और अनुसंधानकर्ता
इन्हीं तथ्यों का विश्लेषण करक
े विषय क
े संबंध में किसी निष्कर्ष तक पहुंचता है। शोध
कार्य क
े प्रारंभिक चरण में जिन उपकल्पनाओं का निर्माण किया जाता है, तथ्यों क
े
आधार पर या तो वे सत्य सिद्ध होती है अथवा असत्य । दोनों ही स्थितियां सिद्धांत
निर्माण को प्रेरित करती हैं।
तथ्य शब्द अंग्रेजी क
े ‘ Data ‘ शब्द का हिंदी रूपांतर है जो विषय क
े संबंध में पहले से
मौजूद सूचनाओं एवं क्षेत्र से संकलित सूचनाओं को इंगित करता है। प्रकृ ति क
े आधार
पर आंकड़े गणनात्मक हो सकते हैं जिनकी गणना की जा सकती है। साथ ही वे
गुणात्मक भी हो सकते हैं, जो विषय की विशेषताओं को प्रकट करते हैं। मौलिकता क
े
आधार पर भी आंकड़े दो तरह क
े होते हैं- 1. प्राथमिक आंकड़े [ Primary Data] 2.
द्वितीयक आंकड़े [ Secondary Data ] प्राथमिक आंकड़े उन्हें कहते हैं जिनका संकलन
शोधकर्ता क
े द्वारा स्वयं क्षेत्र में जाकर संबंधित व्यक्तियों से साक्षात्कार ,प्रश्नावली और
अनुसूची क
े माध्यम से करता है। यह तथ्य प्राथमिक इसलिए कहलाते हैं क्योंकि इनका
संकलन शोधकर्ता पहली बार मूल स्रोत से करता है। द्वितीयक आंकड़े उन्हें कहते हैं
जिनका पहले ही अन्य व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा संकलन एवं प्रकाशन किया जा चुका
है एवं अनुसंधानकर्ता अपने शोध कार्य हेतु क
े वल उनका उपयोग करता है । द्वितीयक
तत्वों क
े प्रमुख स्रोत डायरी ,संस्मरण, पत्र ,आत्मकथा, पांडुलिपि, सरकारी
रिपोर्ट,अनुसंधान प्रतिवेदन, शिलालेख ,पुस्तक
ें एवं अन्य रिकॉर्ड है।
प्राथमिक तथ्यों क
े संकलन की विधि - प्रश्नावली
सामाजिक -राजनीतिक अनुसंधान में प्राथमिक तथ्यों क
े संकलन हेतु जिन विधियों या
तकनीक का प्रयोग किया जाता है, उनमें प्रश्नावली प्रमुख है। प्रश्नावली कई प्रश्नों से
युक्त ऐसा प्रलेख है , जिसमें अध्ययन विषय से संबंधित विभिन्न पक्षों क
े बारे में पहले से
तैयार किए गए प्रश्न सम्मिलित होते हैं। शोधकर्ता इसे डाक क
े माध्यम से उत्तर दाताओं
क
े पास भेजता है और उत्तर दाता उसे पढ़कर, समझ कर और पूछे गए प्रश्नों क
े उत्तर देकर
पुनः डाक क
े माध्यम से शोधकर्ता को वापस भेज देते हैं, इसलिए प्रश्नावली विधि को डाक
प्रश्नावली विधि भी कहते हैं।
परिभाषाएं-
विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से प्रश्नावली को परिभाषित करने का प्रयास किया
है। क
ु छ प्रमुख परिभाषाएं इस प्रकार है-
यंग क
े अनुसार,’’ प्रश्नावली की परिभाषा ऐसे प्रपत्र क
े रूप में दी जा सकती है जिसे डाक
द्वारा उत्तर दाताओं क
े पास भेजा जाता है जिसमें उत्तर दाता स्वयं अपना मूल्यांकन
प्रस्तुत करते हैं तथा इसकी सामग्री का उद्देश्य तथ्यों या मतों की या दोनों की जानकारी
प्राप्त करना होता है। इसमें प्रश्नों की रचना स्वयं व्यक्तियों क
े ,उनक
े परिवारों और
उनक
े काम धंधे क
े संबंध में होती है. ‘’
गुडे एवं हट क
े अनुसार, ‘’सामान्य रूप में प्रश्नावली का अर्थ प्रश्नों क
े उत्तर प्राप्त करने
की प्रणाली से है जिसमें एक पत्र प्रारूप या प्रपत्र का उपयोग किया जाता है जिसे उत्तर
दाता स्वयं भरता है।’’
सिंन पाओ यंग क
े अनुसार,’’ अपने सरलतम रूप में प्रश्नावली प्रश्नों की वह अनुसूची
है जिसे अनुसूचित या सर्वेक्षण प्रतिदर्श क
े रूप में चुने गए व्यक्तियों क
े पास डाक द्वारा
भेजा जाता है। इसकी सहायता से बड़े और विस्तृत लोगों क
े समूह से शीघ्र और सरलता
पूर्वक सूचना एकत्रित की जाती है। ‘’
बार, डेविस तथा जॉनसन क
े अनुसार , ‘’ प्रश्नावली प्रश्नों का व्यवस्थित संग्रह है जिसे
एक निदर्शित जनसंख्या को उत्तर प्राप्त करने क
े लिए दिया जाता है। ‘’
अच्छी प्रश्नावली की विशेषताएं-
ए. एल .बाउले क
े अनुसार एक अच्छी प्रश्नावली में
● प्रश्नों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम होनी चाहिए । हालांकि बहुत कम प्रश्न पर्याप्त
सूचनाएं नहीं दे सक
ें गे,किं तु संख्या बहुत अधिक होने से अधिकांश उत्तर दाता इसको
भरने में रुचि नहीं लेंगे।
● प्रश्नावली में प्रश्न क्रमिक ढंग से रखे जाने चाहिए अर्थात पिछले प्रश्न क
े उत्तर का अगले
प्रश्न से क्रमिक संबंध होना चाहिए।
● पीवी यंग क
े शब्दों में,’’ रुचि उत्पन्न करने वाले प्रश्नों को आरंभ में रखना लाभकारी होता
है। प्रश्नावली क
े प्रारंभ में ऐसे प्रश्न रखने चाहिए जिनका उत्तर देना सबसे अधिक सरल
हो ।
● प्रश्नों की भाषा सरल होनी चाहिए जिससे उत्तर दाता उन्हें आसानी से समझ कर सही
उत्तर दे सक
ें ।
● प्रश्नों की प्रकृ ति ऐसी नहीं होनी चाहिए कि उत्तर दाता को उत्तर देने में संकोच हो। जैसे-
अत्यंत व्यक्तिगत एवं गोपनीय प्रश्नों को पूछने से बचना चाहिए।
● प्रश्नावली तैयार करने से पूर्व अध्ययन विषय से संबंधित विभिन्न पक्षों को वर्गीकृ त कर
देना चाहिए और प्रत्येक वर्ग से कितनी संख्या में प्रश्न पूछे जाने हैं यह निश्चित कर लेना
चाहिए।
● एक वर्ग या पक्ष से संबंधित प्रश्न एक साथ पूछे जाने चाहिए।जैसे -किसी क्षेत्र की
जनसंख्या की विशेषताओं को जानने क
े लिए जो प्रश्न पूछे जाएंगे वे उनकी भाषा, जीवन
शैली, आर्थिक स्थिति एवं राजनीतिक सहभागिता क
े संबंध में होंगे किं तु भाषा संबंधी
जितने भी प्रश्न होंगे एक साथ होंगे, आर्थिक स्थिति से संबंधित प्रश्न एक साथ होंगे,
जिससे उत्तर में एक तारतम्य बना रहता है, जो शोधकर्ता क
े लिए तथ्यों का विश्लेषण
करने में सहायक सिद्ध होता है और उत्तर दाता को उत्तर देने में भी आसानी होती है।
● प्रश्न अशिष्टतापूर्ण , धृष्टता पूर्ण एवं परीक्षात्मक नहीं होने चाहिए। प्रश्न इस प्रकार
पूछे जाने चाहिए कि उनसे उत्तर दाता की भावना को ठेस न पहुंचे।
● प्रश्नावली का निर्माण करते समय उसक
े भौतिक पक्ष पर भी ध्यान देना चाहिए अर्थात
उसका आकार बहुत अधिक छोटा या बड़ा नहीं होना चाहिए, कागज का रंग आकर्षक होना
चाहिए ,छपाई सुंदर और स्पष्ट होनी चाहिए।
● प्रश्नावली क
े साथ एक आमुखपत्र भी भेजा जाना चाहिए जिसमें प्रश्नावली क
े उद्देश्य
एवं सूचना दाता क
े सहयोग क
े महत्व को स्पष्ट किया गया है।
● प्रश्नावली क
े माध्यम से शोधकर्ता द्वारा उत्तर दाता को यह विश्वास दिलाया जाना चाहती
थी उसक
े द्वारा दिए गए प्रश्नों क
े उत्तर को गोपनीय रखा जाएगा, ताकि वह निसंकोच
भाव से उत्तर दे सक
ें ।
● प्रश्नावली मे क
ु छ प्रति प्रश्न भी रखे जाने चाहिए जिनसे उत्तर दाता क
े उत्तर की शुद्धता
और यथार्थता की परस्पर जांच की जा सक
े ।
○ प्रश्नावली विधि क
े लाभ
प्रश्नावली क
े माध्यम से शोधकर्ता को शोध कार्य में निम्नांकित लाभ मिलते हैं।
○ प्रश्नावली क
े माध्यम से तथ्य संकलित करना अपेक्षाकृ त आसान होता है,
शोधकर्ता को सूचना दाताओं से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता नहीं
होती है।
○ प्रश्नावली क
े माध्यम से भौगोलिक दृष्टि से सुदूर क्षेत्रों में अवस्थित उत्तर
दाताओं से सरलता पूर्वक संपर्क स्थापित किया जा सकता है क्योंकि प्रश्नावली
डाक क
े माध्यम से भेजी जाती है।
○ प्रश्नावली व्यवस्थित अध्ययन को प्रोत्साहित करती है, क्योंकि उपकल्पना क
े
अनुसार विषय से संबंधित विभिन्न पक्षों क
े बारे में क्रमिक ढंग से सूचनाएं प्राप्त
की जाती है।
○ प्रश्नावली क
े माध्यम से विषय का वस्तुपरक अध्ययन संभव हो पाता है, क्योंकि
शोधकर्ता क
े उपस्थित न होने से उत्तर दाता पर उसक
े विचारों, मतों और
भावनाओं का प्रभाव नहीं पड़ता है।
○ इस तकनीक क
े माध्यम से कम समय और कम लागत पर अधिक सूचनाएं
एकत्रित की जा सकती है।
○ वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी क
े प्रयोग से प्रश्नावली क
े माध्यम से सूचनाएं अति
शीघ्र एकत्रित हो जाती है। प्रश्नावली डाक क
े माध्यम से भेजी जाती है और लौटती
डाक क
े टिकट संलग्न होने क
े कारण उसक
े वापस लौटने की संभावना बढ़ जाती
है।
प्रश्नावली क
े प्रकार
अध्ययन विषय की प्रकृ ति, प्रश्नों क
े प्रकार एवं उत्तर दाताओं की विशेषताओं क
े
दृष्टिकोण से प्रश्नावली अलग-अलग तरह की हो सकती है।
लुंडबर्ग ने प्रश्नावली क
े दो प्रकार बताए हैं-
1. तथ्य संबंधित प्रश्नावली 2. मत संबंधी प्रश्नावली।
पी. वी .यंग ने भी प्रश्नावली क
े दो प्रकार बताए हैं-
1. संरचित प्रश्नावली 2. असंरचित प्रश्नावली।
करलिंगेर क
े अनुसार ,प्रश्नावली दो प्रकार की होती है-
1. बंद प्रश्न वाली प्रश्नावली
2. निश्चित विकल्प वाले प्रश्नों की प्रश्नावली
सामान्य रूप से प्रश्नावली क
े निम्नलिखित प्रकार बताया जा सकते हैं-
1. संरचित प्रश्नावली [ Structured Questionnaire]
संरचित प्रश्नावली,प्रश्नावली का वह रूप है, जिसमें उसका निर्माण वास्तविक अध्ययन
कार्य प्रारंभ करने से पहले ही सोच विचार कर किया जाता है और साधारणतया बाद में
उसमे कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। ऐसी प्रश्नावली में जिन प्रश्नों का समावेश
किया जाता है ,वे अत्यधिक निश्चित, क्रमबद्ध तथा स्पष्ट होते हैं। ऐसी प्रश्नावली का
प्रयोग बड़े अध्ययन क्षेत्र में फ
ै ले हुए व्यक्तियों से प्राथमिक तथ्यों का संकलन करने तथा
संकलित तथ्यों की पुनर परीक्षा क
े लिए किया जाता है।
2. असंरचित प्रश्नावली [ Unstructured Questionnaire]
असंरचित प्रश्नावली क
े अंतर्गत प्रश्नों का निर्माण पहले से नहीं किया जाता, बल्कि जब
शोधकर्ता क्षेत्रीय अध्ययन क
े लिए जाता है या शोध क
े विभिन्न पक्षों का अध्ययन कर रहा होता
है, तब उसक
े मन मस्तिष्क में जो प्रश्न उभरते हैं, वह उन्हें लिख लेता है और उत्तर दाताओं क
े
पास उत्तर क
े लिए भेज देता है । ऐसी प्रश्नावली साक्षात्कार निर्देशिका क
े समान होती है जिसकी
सहायता से शोधकर्ता आरंभ में यह ज्ञात करने का प्रयत्न करता है कि किस प्रकार क
े प्रश्नों और
उनक
े किस क्रम क
े द्वारा सर्वोत्तम सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है। किं तु ऐसी प्रश्नावली तभी
लाभदायक सिद्ध होती है जब अध्ययन का क्षेत्र सीमित हो तथा प्रत्येक उत्तर दाता से संपर्क
स्थापित करना संभव हो। साक्षात्कार निर्देशिका क
े रूप में होने क
े कारण असंरचित प्रश्नावली
को बहुत से विद्वान प्रश्नावली नहीं मानते हैं।
3. बंद प्रश्नावली-
बंद प्रश्नावली क
े अंतर्गत प्रश्नों क
े साथ उत्तर क
े विकल्प दिए जाते हैं और उत्तर दाता को उन्हीं
विकल्पों में से उत्तर का चयन करना होता है। ऐसी प्रश्नावली में उत्तर दाता अपने मत व्यक्त
करने क
े लिए स्वतंत्र नहीं होता है, बल्कि उसक
े उत्तर पर विकल्पों का प्रतिबंध होता है, किं तु ऐसी
प्रश्नावली का लाभ यह है कि इन में दिए गए प्रश्नों का वर्गीकरण और सारणीयन करना आसान
होता है। इस प्रकार की प्रश्नावली का उदाहरण निम्न वत है-
प्रश्न-
पिछले आम चुनाव में आपने अपना अमूल्य मत किस राजनीतिक दल को दिया था?
[ अ ] भारतीय जनता पार्टी [ ब ] भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस [ स ] कांग्रेस नेशनलिस्ट पार्टी[ द ]
नोटा
4. खुली प्रश्नावली-
इस प्रकार की प्रश्नावली में प्रश्नों क
े सम्मुख विकल्प नहीं दिए जाते हैं बल्कि उत्तर दाता से यह
उम्मीद की जाती है कि वह अपनी इच्छा अनुसार कोई भी उत्तर दें। इस प्रकार की प्रश्नावली में
प्रश्न क
े साथ क
ु छ रिक्त स्थान छोड़ दिया जाता है, ताकि खाली स्थान पर उत्तर दाता अपना उत्तर
लिख सक
े । ऐसी प्रश्नावली का निर्माण किसी समस्या यह घटना क
े विषय में विस्तृत गुणात्मक
विवरण प्राप्त करने क
े लिए किया जाता है। जैसे-
प्रश्न-
1. भारत में सामाजिक- राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार क
े लिए आप किसे उत्तरदाई
समझते हैं?
...... ... ... ..................................................................................................
2. भ्रष्टाचार को दूर करने क
े लिए क्या उपाय सुझाना चाहेंगे?
.....................................................................................................
5. तथ्य संबंधी प्रश्नावली-
जिस प्रश्नावली का उद्देश्य अनुसंधान विषय से संबंधित तथ्यों का संग्रह करना होता है उसे
तथ्य संबंधित प्रश्नावली कहते हैं।
6. मत संबंधी प्रश्नावली-
इस प्रकार की प्रश्नावली उत्तर दाताओं क
े मतों या अभिवृत्तियों क
े अध्ययन क
े लिए बनाई जाती
है।
7. चित्रमय प्रश्नावली-
सामान्यतया प्रश्नावली का प्रयोग शिक्षित उत्तर दाताओं से तथ्य प्राप्त करने क
े लिए किया जाता
है, किं तु यदि विषय की मांग है कि अशिक्षित उत्तर दाताओं से भी सूचनाएं प्राप्त की जानी
चाहिए अथवा विषय की प्रकृ ति कठिन हो तो ऐसी स्थिति में प्रश्नों क
े साथ चित्रों को संलग्न कर
तथ्य संग्रह करने का प्रयास किया जाता है। ऐसी प्रश्नावली आकर्षक और सरल होती है। बच्चों
की मनोवृति और रुचियों का पता लगाने क
े लिए भी ऐसी प्रश्नावली प्रयोग में लाई जाती है।
https://www.questionpro.com/images/qphome/tour/sample-question/popup
s/Image_Multimedia.png
8. मिश्रित प्रश्नावली-
मिश्रित प्रश्नावली क
े अंतर्गत प्रश्नों की प्रकृ ति एक जैसी नहीं होती है, बल्कि विभिन्न प्रकार क
े
मिले-जुले प्रश्न होते हैं। प्रश्न खुली प्रकृ ति क
े हो सकते हैं या बंद प्रकृ ति क
े , तथ्यपरक हो सकते
हैं यह अभिवृत्ति परक। ऐसी प्रश्नावली निर्मित करने क
े पीछे सामाजिक तथ्यों की जटिलता और
विविधता उत्तरदाई है। जटिल सामाजिक समस्याओं से संबंधित प्रश्नों क
े उत्तर मिश्रित
प्रश्नावली क
े माध्यम से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। सामाजिक- राजनीतिक अनुसंधान में सबसे
ज्यादा प्रयोग में लाई जाने वाली मिश्रित प्रश्नावली ही होती है।
प्रश्नावली क
े दोष या सीमाएं
यद्यपि प्रश्नावली विधि प्राथमिक तथ्यों को संकलित करने की दृष्टि से बहुत उपयोगी है, किं तु
इस पद्धति की भी अपनी सीमाएं हैं, जो इस प्रकार हैं-
● प्रतिनिधित्व पूर्ण निदर्शन से तथ्य संकलित करने में कठिनाई-
क्योंकि प्रश्नावली विधि क
े माध्यम से शिक्षित लोगों से ही तत्व संचालित किए जा सकते हैं,
निदर्शन क
े रूप में जिन्हें चुना जाएगा वह शिक्षित लोग ही होंगे, जबकि शोध कार्य की प्रकृ ति ऐसी
हो सकती है जिसमें अशिक्षित लोगों से भी तथ्य प्राप्त करना जरूरी हो और महत्वपूर्ण में
निदर्शन क
े रूप में चुने जा सकते हैं, किं तु प्रश्नावली विधि का प्रयोग ऐसे नि दर्शनों पर नहीं
किया जा सकता है।
● गहन अध्ययन की दृष्टि से उपयोगी नहीं-
प्रश्नावली विधि क
े माध्यम से क
े वल मोटे मोटे तथ्यों को एकत्रित किया जा सकता है, क्योंकि
गहराई तक विषय का अध्ययन करने क
े लिए निदर्शन क
े रूप में चुने गए लोगों क
े मनोभाव,
प्रवृत्तियों और आंतरिक मूल्यों का अध्ययन किया जाना आवश्यक होता है, जिसमें साक्षात्कार
अधिक सहायक हो सकता है।
● समय अंतर्गत पूर्ण सूचना की कम संभावना-
प्रश्नावली विधि में प्रश्नावली डाक क
े माध्यम से उत्तर दाताओं क
े पास भेज दी जाती है किं तु
अनुभव यह बताता है कि उत्तर दाता अकसर प्रश्नावली भरने में रुचि नहीं लेते,शोधकर्ता की
मौजूदगी ना होने क
े कारण उन्हें बार-बार प्रेरित करने वाला कोई नहीं होता है। साथ ही उत्तर दाता
का प्रत्यक्ष रूप से इससे कोई लाभ न होने क
े कारण वे लापरवाही से इसका जवाब देते हैं, शब्दों क
े
अलग-अलग अर्थ लगाते हैं और उनक
े उत्तर भी विश्वसनीय नहीं होते।
● सर्वाधिक उपयुक्त प्रश्नों का निर्माण कठिन -
शोधकर्ता द्वारा अत्यधिक सावधानी बरतने क
े बावजूद ऐसे प्रश्नों का निर्माण कठिन होता है,
जिनक
े आशय को प्रत्येक उत्तर दाता समान रूप से समझ सक
े ।
● अनुसंधानकर्ता की गैर मौजूदगी से प्रश्नावली भरने में कठिनाई-
प्रश्नावली डाक द्वारा भेजी जाती है और वहां पर शोधकर्ता मौजूद नहीं होता, अतः जब उत्तर
दाता प्रश्नावली भरता है और किसी प्रश्न का आशय उसे समझ में नहीं आता तो वहाँ
स्पष्टीकरण क
े लिए शोधकर्ता मौजूद नहीं होता है। ऐसे में प्रश्नों क
े सही उत्तर प्राप्त करने में
कठिनाई आती है।
● अस्पष्ट लिखावट-
प्रश्नावली विधि में एक व्यावहारिक कठिनाई यह आती है कि प्रश्नों का उत्तर देने वाले उत्तर
दाताओं की लिखावट अस्पष्ट होती है, जिसे समझ कर उसे तथ्य क
े रूप में संकलित करना
शोधकर्ता क
े लिए मुश्किल हो जाता है ।
प्रश्नावली विधि की क
ु छ अन्य कठिनाइयों की है। जैसे-
1. इसक
े माध्यम से बच्चों का अध्ययन नहीं किया जा सकता, क्योंकि बच्चों से तथ्यों का
संकलन उनकी शारीरिक चेष्टाओं और मनोभावों का अध्ययन करक
े ही अच्छी तरह किया जा
सकता है।
2. जब प्रश्नावली में बहु वैकल्पिक प्रश्न होते हैं, तो अक्सर उत्तर दाता बिना सोचे समझे उत्तर
ऊपर टिक लगा देते हैं।
3. प्राप्त उत्तरों क
े संबंध में यह अनुमान लगाना कठिन होता है हकीकत उत्तरदाता ने जानबूझकर
गलत सूचनाएं भरी है या किसी ने लापरवाही क
े कारण गलत सूचनाएं दी है ।
किं तु इन दोषों क
े बावजूद प्रश्नावली द्वारा तथ्य सामग्री को एकत्रित करने में काफी सुविधा
रहती है। इस पद्धति से प्राप्त सूचना अनावश्यक व्यक्तिगत प्रभावों से मुक्त होती है।
अनुसंधानकर्ता क
े विषय में सूचना दाताओं की अज्ञानता भी आंतरिक सूचनाओं को प्राप्त करने
में सहायक होती है। गुडे एवं हट्ट ने उचित ही लिखा है कि ‘’अनेक कमियों क
े होते हुए भी स्वयं
प्रशासित डाक प्रेषित प्रश्नावली अनुसंधान में अत्यंत लाभदायक सिद्ध होती है।’’
मुख्य शब्द-
प्राथमिक तथ्य, द्वितीयक तथ्य, प्रश्नावली, संरचित प्रश्नावली, बंद प्रश्नावली, खुली
प्रश्नावली, सीमाएं
REFERENCES AND SUGGESTED READINGS
● http;//simplypsychology.org
● www.sciencedirect.com
● www.merriyam-webster.com
● C. R. Kothari,Research Methodology;Methods and Techniques
● Catherine Dawson, Practical Research Methods; A
User-FriendlyGuide to Mastering Research Techniques and Projects
प्रश्न-
निबंधात्मक-
1. प्रश्नावली किसे कहते हैं. एक अच्छी प्रश्नावली की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए.
2. प्रश्नावली विधि क
े लाभों को बताते हुए इसकी सीमाओं को स्पष्ट कीजिए.
3. प्रश्नावली क
े प्रमुख प्रकार कौन से हैं, विवेचना कीजिए.
वस्तुनिष्ठ-
1. संकलन क
े स्रोतों क
े आधार पर तथ्य कितने प्रकार क
े होते हैं।
[ अ ] प्राथमिक तथ्य और द्वितीयक तथ्य
[ ब ] संकलित तथ्य और असंकलित तथ्य
[ स ] सरकारी तथ्य और गैर सरकारी तथ्य
[ द ] गणनात्मक तथ्य और मात्रात्मक तथ्य
2 . प्रकृ ति क
े आधार पर तथ्य क
े प्रमुख प्रकार क्या है ।
[ अ ] प्राथमिक तथ्य और द्वितीयक तथ्य
[ ब ] गणनात्मक तथ्य और मात्रात्मक तथ्य
[ स ] सरकारी तथ्य और गैर सरकारी तथ्य
[ द ] सार्वभौमिक तथ्य और स्थानीय तथ्य
3. प्रश्नावली विधि क
े माध्यम से किस प्रकार क
े तथ्यों का संकलन किया जाता है।
[ अ ] प्राथमिक [ ब ] द्वितीयक [ स ] दोनों [ द ] रुचि संबंधी
4. एक अच्छी प्रश्नावली में प्रश्नों की संख्या और क्रम क्या होना चाहिए।
[ अ ] प्रश्न सीमित संख्या में होनी चाहिए।
[ ब ] एक वर्ग से संबंधित प्रश्न एक साथ होने चाहिए।
[ स ] प्रश्न उत्तर दाता की भावना को आहत करने वाले नहीं होने चाहिए।
[ द ] उपर्युक्त सभी सही है।
5. प्रश्नों क
े साथ उत्तर क
े विकल्प वाली प्रश्नावली किस श्रेणी में आती है।
[ अ ] खुली प्रश्नावली [ ब ] बंद प्रश्नावली [ स ] तब से संबंधित प्रश्नावली [ द ] मत
संबंधित प्रश्नावली।
6. किसी रिपोर्ट, डायरी, आत्मकथा या लेख से प्राप्त तथ्य किस श्रेणी में आते हैं।
[ अ ] प्राथमिक तथ्य [ब ] द्वितीयक तथ्य [ स ] उपर्युक्त दोनों [ द ] उपर्युक्त में से कोई
नहीं।
7. शोध कार्य प्रारंभ करने से पूर्व शोधकर्ता क
े द्वारा सोच विचार कर योजनाबद्ध ढंग से बनाई
गई प्रश्नावली किस श्रेणी में आती है।
[ अ ] असंरचित प्रश्नावली [ ब ] संरचित प्रश्नावली [ स ] खुली प्रश्नावली [द ] मत संबंधित
प्रश्नावली
8. प्रश्नावली विधि से तत्व संकलित करने में क्या कठिनाइयां आती है।
[ अ ] उत्तर दाता की अस्पष्ट लिखावट [ ब ] विषय से संबंधित उपयुक्त प्रश्नों का निर्माण
कठिन है। [ स ] उत्तर की विश्वसनीयता ज्ञात करना कठिन [ द ] उपर्युक्त सभी
9. प्रश्नावली किस जनसमूह से तथ्य संकलित करने में अनुपयोगी सिद्ध होती है।
[ अ ] वृद्धों [ ब ] बच्चों [ स ] अशिक्षित जनसमुदाय [ द ] ‘ ब’ और ‘ स’ दोनों से
10. प्रश्नावली क
े माध्यम से तथ्य संकलित करना आसान क्यों होता है ।
[ अ ] यह डाक क
े माध्यम से भेजी जाती है और उत्तर दाताओं से प्रत्यक्ष संपर्क नहीं स्थापित
करना पड़ता है।
[ ब ] कम समय और लागत में ज्यादा सूचनाएं एकत्रित की जा सकती हैं।
[ स ] विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले उत्तर दाताओं से सूचनाएं प्राप्त की जा सकती हैं।
[ द ] उपर्युक्त सभी
11. चित्रमय प्रश्नावली का निर्माण कब किया जाता है।
[ अ ] जब उत्तर दाता कम शिक्षित हों ।
[ ब ] बच्चों की मनोवृति और रूचियों का पता करना हो ।
[ स ] अनुसंधान का विषय अत्यंत जटिल हो ।
[ द ] उपर्युक्त सभी
12 .सामाजिक -राजनीतिक अनुसंधान में ज्यादातर किस तरह की प्रश्नावली का प्रयोग किया
जाता है।
[ अ ] तथ्य संबंधी प्रश्नावली [ ब ] मत संबंधित प्रश्नावली [ स ] खुली प्रश्नावली [ द ]
मिश्रित प्रश्नावली

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Method s of primary data collection questionnaire

  • 1. तथ्य संकलन की विधियां - प्रश्नावली https://clipground.com/images/questionnaire-clipart-4.jpg द्वारा- डॉक्टर ममता उपाध्याय एसोसिएट प्रोफ े सर, राजनीति विज्ञान क ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश
  • 2. उद्देश्य- ● वैज्ञानिक सामाजिक- राजनीतिक शोध हेतु प्राथमिक तथ्यों क े संकलन की प्रविधियों की जानकारी ● प्राथमिक तथ्यों क े संकलन की प्रविधि क े रूप में प्रश्नावली क े निर्माण का ज्ञान ● प्रश्नावली क े विभिन्न प्रकारों का ज्ञान ● प्रश्नावली विधि क े प्रयोग की सीमाओं का ज्ञान ● अच्छी प्रश्नावली क े निर्माण की क्षमता का विकास वैज्ञानिक सामाजिक- राजनीतिक अनुसंधान तथ्यों पर आधारित होता है । तथ्य, समंक या आंकड़े सामाजिक राजनीतिक जीवन क े यथार्थ को व्यक्त करते हैं और अनुसंधानकर्ता इन्हीं तथ्यों का विश्लेषण करक े विषय क े संबंध में किसी निष्कर्ष तक पहुंचता है। शोध कार्य क े प्रारंभिक चरण में जिन उपकल्पनाओं का निर्माण किया जाता है, तथ्यों क े आधार पर या तो वे सत्य सिद्ध होती है अथवा असत्य । दोनों ही स्थितियां सिद्धांत निर्माण को प्रेरित करती हैं। तथ्य शब्द अंग्रेजी क े ‘ Data ‘ शब्द का हिंदी रूपांतर है जो विषय क े संबंध में पहले से मौजूद सूचनाओं एवं क्षेत्र से संकलित सूचनाओं को इंगित करता है। प्रकृ ति क े आधार पर आंकड़े गणनात्मक हो सकते हैं जिनकी गणना की जा सकती है। साथ ही वे गुणात्मक भी हो सकते हैं, जो विषय की विशेषताओं को प्रकट करते हैं। मौलिकता क े आधार पर भी आंकड़े दो तरह क े होते हैं- 1. प्राथमिक आंकड़े [ Primary Data] 2. द्वितीयक आंकड़े [ Secondary Data ] प्राथमिक आंकड़े उन्हें कहते हैं जिनका संकलन शोधकर्ता क े द्वारा स्वयं क्षेत्र में जाकर संबंधित व्यक्तियों से साक्षात्कार ,प्रश्नावली और अनुसूची क े माध्यम से करता है। यह तथ्य प्राथमिक इसलिए कहलाते हैं क्योंकि इनका संकलन शोधकर्ता पहली बार मूल स्रोत से करता है। द्वितीयक आंकड़े उन्हें कहते हैं जिनका पहले ही अन्य व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा संकलन एवं प्रकाशन किया जा चुका है एवं अनुसंधानकर्ता अपने शोध कार्य हेतु क े वल उनका उपयोग करता है । द्वितीयक तत्वों क े प्रमुख स्रोत डायरी ,संस्मरण, पत्र ,आत्मकथा, पांडुलिपि, सरकारी रिपोर्ट,अनुसंधान प्रतिवेदन, शिलालेख ,पुस्तक ें एवं अन्य रिकॉर्ड है। प्राथमिक तथ्यों क े संकलन की विधि - प्रश्नावली
  • 3. सामाजिक -राजनीतिक अनुसंधान में प्राथमिक तथ्यों क े संकलन हेतु जिन विधियों या तकनीक का प्रयोग किया जाता है, उनमें प्रश्नावली प्रमुख है। प्रश्नावली कई प्रश्नों से युक्त ऐसा प्रलेख है , जिसमें अध्ययन विषय से संबंधित विभिन्न पक्षों क े बारे में पहले से तैयार किए गए प्रश्न सम्मिलित होते हैं। शोधकर्ता इसे डाक क े माध्यम से उत्तर दाताओं क े पास भेजता है और उत्तर दाता उसे पढ़कर, समझ कर और पूछे गए प्रश्नों क े उत्तर देकर पुनः डाक क े माध्यम से शोधकर्ता को वापस भेज देते हैं, इसलिए प्रश्नावली विधि को डाक प्रश्नावली विधि भी कहते हैं। परिभाषाएं- विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से प्रश्नावली को परिभाषित करने का प्रयास किया है। क ु छ प्रमुख परिभाषाएं इस प्रकार है- यंग क े अनुसार,’’ प्रश्नावली की परिभाषा ऐसे प्रपत्र क े रूप में दी जा सकती है जिसे डाक द्वारा उत्तर दाताओं क े पास भेजा जाता है जिसमें उत्तर दाता स्वयं अपना मूल्यांकन प्रस्तुत करते हैं तथा इसकी सामग्री का उद्देश्य तथ्यों या मतों की या दोनों की जानकारी प्राप्त करना होता है। इसमें प्रश्नों की रचना स्वयं व्यक्तियों क े ,उनक े परिवारों और उनक े काम धंधे क े संबंध में होती है. ‘’ गुडे एवं हट क े अनुसार, ‘’सामान्य रूप में प्रश्नावली का अर्थ प्रश्नों क े उत्तर प्राप्त करने की प्रणाली से है जिसमें एक पत्र प्रारूप या प्रपत्र का उपयोग किया जाता है जिसे उत्तर दाता स्वयं भरता है।’’ सिंन पाओ यंग क े अनुसार,’’ अपने सरलतम रूप में प्रश्नावली प्रश्नों की वह अनुसूची है जिसे अनुसूचित या सर्वेक्षण प्रतिदर्श क े रूप में चुने गए व्यक्तियों क े पास डाक द्वारा भेजा जाता है। इसकी सहायता से बड़े और विस्तृत लोगों क े समूह से शीघ्र और सरलता पूर्वक सूचना एकत्रित की जाती है। ‘’ बार, डेविस तथा जॉनसन क े अनुसार , ‘’ प्रश्नावली प्रश्नों का व्यवस्थित संग्रह है जिसे एक निदर्शित जनसंख्या को उत्तर प्राप्त करने क े लिए दिया जाता है। ‘’ अच्छी प्रश्नावली की विशेषताएं- ए. एल .बाउले क े अनुसार एक अच्छी प्रश्नावली में
  • 4. ● प्रश्नों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम होनी चाहिए । हालांकि बहुत कम प्रश्न पर्याप्त सूचनाएं नहीं दे सक ें गे,किं तु संख्या बहुत अधिक होने से अधिकांश उत्तर दाता इसको भरने में रुचि नहीं लेंगे। ● प्रश्नावली में प्रश्न क्रमिक ढंग से रखे जाने चाहिए अर्थात पिछले प्रश्न क े उत्तर का अगले प्रश्न से क्रमिक संबंध होना चाहिए। ● पीवी यंग क े शब्दों में,’’ रुचि उत्पन्न करने वाले प्रश्नों को आरंभ में रखना लाभकारी होता है। प्रश्नावली क े प्रारंभ में ऐसे प्रश्न रखने चाहिए जिनका उत्तर देना सबसे अधिक सरल हो । ● प्रश्नों की भाषा सरल होनी चाहिए जिससे उत्तर दाता उन्हें आसानी से समझ कर सही उत्तर दे सक ें । ● प्रश्नों की प्रकृ ति ऐसी नहीं होनी चाहिए कि उत्तर दाता को उत्तर देने में संकोच हो। जैसे- अत्यंत व्यक्तिगत एवं गोपनीय प्रश्नों को पूछने से बचना चाहिए। ● प्रश्नावली तैयार करने से पूर्व अध्ययन विषय से संबंधित विभिन्न पक्षों को वर्गीकृ त कर देना चाहिए और प्रत्येक वर्ग से कितनी संख्या में प्रश्न पूछे जाने हैं यह निश्चित कर लेना चाहिए। ● एक वर्ग या पक्ष से संबंधित प्रश्न एक साथ पूछे जाने चाहिए।जैसे -किसी क्षेत्र की जनसंख्या की विशेषताओं को जानने क े लिए जो प्रश्न पूछे जाएंगे वे उनकी भाषा, जीवन शैली, आर्थिक स्थिति एवं राजनीतिक सहभागिता क े संबंध में होंगे किं तु भाषा संबंधी जितने भी प्रश्न होंगे एक साथ होंगे, आर्थिक स्थिति से संबंधित प्रश्न एक साथ होंगे, जिससे उत्तर में एक तारतम्य बना रहता है, जो शोधकर्ता क े लिए तथ्यों का विश्लेषण करने में सहायक सिद्ध होता है और उत्तर दाता को उत्तर देने में भी आसानी होती है। ● प्रश्न अशिष्टतापूर्ण , धृष्टता पूर्ण एवं परीक्षात्मक नहीं होने चाहिए। प्रश्न इस प्रकार पूछे जाने चाहिए कि उनसे उत्तर दाता की भावना को ठेस न पहुंचे। ● प्रश्नावली का निर्माण करते समय उसक े भौतिक पक्ष पर भी ध्यान देना चाहिए अर्थात उसका आकार बहुत अधिक छोटा या बड़ा नहीं होना चाहिए, कागज का रंग आकर्षक होना चाहिए ,छपाई सुंदर और स्पष्ट होनी चाहिए। ● प्रश्नावली क े साथ एक आमुखपत्र भी भेजा जाना चाहिए जिसमें प्रश्नावली क े उद्देश्य एवं सूचना दाता क े सहयोग क े महत्व को स्पष्ट किया गया है।
  • 5. ● प्रश्नावली क े माध्यम से शोधकर्ता द्वारा उत्तर दाता को यह विश्वास दिलाया जाना चाहती थी उसक े द्वारा दिए गए प्रश्नों क े उत्तर को गोपनीय रखा जाएगा, ताकि वह निसंकोच भाव से उत्तर दे सक ें । ● प्रश्नावली मे क ु छ प्रति प्रश्न भी रखे जाने चाहिए जिनसे उत्तर दाता क े उत्तर की शुद्धता और यथार्थता की परस्पर जांच की जा सक े । ○ प्रश्नावली विधि क े लाभ प्रश्नावली क े माध्यम से शोधकर्ता को शोध कार्य में निम्नांकित लाभ मिलते हैं। ○ प्रश्नावली क े माध्यम से तथ्य संकलित करना अपेक्षाकृ त आसान होता है, शोधकर्ता को सूचना दाताओं से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती है। ○ प्रश्नावली क े माध्यम से भौगोलिक दृष्टि से सुदूर क्षेत्रों में अवस्थित उत्तर दाताओं से सरलता पूर्वक संपर्क स्थापित किया जा सकता है क्योंकि प्रश्नावली डाक क े माध्यम से भेजी जाती है। ○ प्रश्नावली व्यवस्थित अध्ययन को प्रोत्साहित करती है, क्योंकि उपकल्पना क े अनुसार विषय से संबंधित विभिन्न पक्षों क े बारे में क्रमिक ढंग से सूचनाएं प्राप्त की जाती है। ○ प्रश्नावली क े माध्यम से विषय का वस्तुपरक अध्ययन संभव हो पाता है, क्योंकि शोधकर्ता क े उपस्थित न होने से उत्तर दाता पर उसक े विचारों, मतों और भावनाओं का प्रभाव नहीं पड़ता है। ○ इस तकनीक क े माध्यम से कम समय और कम लागत पर अधिक सूचनाएं एकत्रित की जा सकती है। ○ वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी क े प्रयोग से प्रश्नावली क े माध्यम से सूचनाएं अति शीघ्र एकत्रित हो जाती है। प्रश्नावली डाक क े माध्यम से भेजी जाती है और लौटती डाक क े टिकट संलग्न होने क े कारण उसक े वापस लौटने की संभावना बढ़ जाती है। प्रश्नावली क े प्रकार
  • 6. अध्ययन विषय की प्रकृ ति, प्रश्नों क े प्रकार एवं उत्तर दाताओं की विशेषताओं क े दृष्टिकोण से प्रश्नावली अलग-अलग तरह की हो सकती है। लुंडबर्ग ने प्रश्नावली क े दो प्रकार बताए हैं- 1. तथ्य संबंधित प्रश्नावली 2. मत संबंधी प्रश्नावली। पी. वी .यंग ने भी प्रश्नावली क े दो प्रकार बताए हैं- 1. संरचित प्रश्नावली 2. असंरचित प्रश्नावली। करलिंगेर क े अनुसार ,प्रश्नावली दो प्रकार की होती है- 1. बंद प्रश्न वाली प्रश्नावली 2. निश्चित विकल्प वाले प्रश्नों की प्रश्नावली सामान्य रूप से प्रश्नावली क े निम्नलिखित प्रकार बताया जा सकते हैं- 1. संरचित प्रश्नावली [ Structured Questionnaire] संरचित प्रश्नावली,प्रश्नावली का वह रूप है, जिसमें उसका निर्माण वास्तविक अध्ययन कार्य प्रारंभ करने से पहले ही सोच विचार कर किया जाता है और साधारणतया बाद में उसमे कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। ऐसी प्रश्नावली में जिन प्रश्नों का समावेश किया जाता है ,वे अत्यधिक निश्चित, क्रमबद्ध तथा स्पष्ट होते हैं। ऐसी प्रश्नावली का प्रयोग बड़े अध्ययन क्षेत्र में फ ै ले हुए व्यक्तियों से प्राथमिक तथ्यों का संकलन करने तथा संकलित तथ्यों की पुनर परीक्षा क े लिए किया जाता है। 2. असंरचित प्रश्नावली [ Unstructured Questionnaire] असंरचित प्रश्नावली क े अंतर्गत प्रश्नों का निर्माण पहले से नहीं किया जाता, बल्कि जब शोधकर्ता क्षेत्रीय अध्ययन क े लिए जाता है या शोध क े विभिन्न पक्षों का अध्ययन कर रहा होता है, तब उसक े मन मस्तिष्क में जो प्रश्न उभरते हैं, वह उन्हें लिख लेता है और उत्तर दाताओं क े पास उत्तर क े लिए भेज देता है । ऐसी प्रश्नावली साक्षात्कार निर्देशिका क े समान होती है जिसकी सहायता से शोधकर्ता आरंभ में यह ज्ञात करने का प्रयत्न करता है कि किस प्रकार क े प्रश्नों और उनक े किस क्रम क े द्वारा सर्वोत्तम सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है। किं तु ऐसी प्रश्नावली तभी लाभदायक सिद्ध होती है जब अध्ययन का क्षेत्र सीमित हो तथा प्रत्येक उत्तर दाता से संपर्क स्थापित करना संभव हो। साक्षात्कार निर्देशिका क े रूप में होने क े कारण असंरचित प्रश्नावली को बहुत से विद्वान प्रश्नावली नहीं मानते हैं। 3. बंद प्रश्नावली-
  • 7. बंद प्रश्नावली क े अंतर्गत प्रश्नों क े साथ उत्तर क े विकल्प दिए जाते हैं और उत्तर दाता को उन्हीं विकल्पों में से उत्तर का चयन करना होता है। ऐसी प्रश्नावली में उत्तर दाता अपने मत व्यक्त करने क े लिए स्वतंत्र नहीं होता है, बल्कि उसक े उत्तर पर विकल्पों का प्रतिबंध होता है, किं तु ऐसी प्रश्नावली का लाभ यह है कि इन में दिए गए प्रश्नों का वर्गीकरण और सारणीयन करना आसान होता है। इस प्रकार की प्रश्नावली का उदाहरण निम्न वत है- प्रश्न- पिछले आम चुनाव में आपने अपना अमूल्य मत किस राजनीतिक दल को दिया था? [ अ ] भारतीय जनता पार्टी [ ब ] भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस [ स ] कांग्रेस नेशनलिस्ट पार्टी[ द ] नोटा 4. खुली प्रश्नावली- इस प्रकार की प्रश्नावली में प्रश्नों क े सम्मुख विकल्प नहीं दिए जाते हैं बल्कि उत्तर दाता से यह उम्मीद की जाती है कि वह अपनी इच्छा अनुसार कोई भी उत्तर दें। इस प्रकार की प्रश्नावली में प्रश्न क े साथ क ु छ रिक्त स्थान छोड़ दिया जाता है, ताकि खाली स्थान पर उत्तर दाता अपना उत्तर लिख सक े । ऐसी प्रश्नावली का निर्माण किसी समस्या यह घटना क े विषय में विस्तृत गुणात्मक विवरण प्राप्त करने क े लिए किया जाता है। जैसे- प्रश्न- 1. भारत में सामाजिक- राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार क े लिए आप किसे उत्तरदाई समझते हैं? ...... ... ... .................................................................................................. 2. भ्रष्टाचार को दूर करने क े लिए क्या उपाय सुझाना चाहेंगे? ..................................................................................................... 5. तथ्य संबंधी प्रश्नावली- जिस प्रश्नावली का उद्देश्य अनुसंधान विषय से संबंधित तथ्यों का संग्रह करना होता है उसे तथ्य संबंधित प्रश्नावली कहते हैं। 6. मत संबंधी प्रश्नावली- इस प्रकार की प्रश्नावली उत्तर दाताओं क े मतों या अभिवृत्तियों क े अध्ययन क े लिए बनाई जाती है। 7. चित्रमय प्रश्नावली-
  • 8. सामान्यतया प्रश्नावली का प्रयोग शिक्षित उत्तर दाताओं से तथ्य प्राप्त करने क े लिए किया जाता है, किं तु यदि विषय की मांग है कि अशिक्षित उत्तर दाताओं से भी सूचनाएं प्राप्त की जानी चाहिए अथवा विषय की प्रकृ ति कठिन हो तो ऐसी स्थिति में प्रश्नों क े साथ चित्रों को संलग्न कर तथ्य संग्रह करने का प्रयास किया जाता है। ऐसी प्रश्नावली आकर्षक और सरल होती है। बच्चों की मनोवृति और रुचियों का पता लगाने क े लिए भी ऐसी प्रश्नावली प्रयोग में लाई जाती है। https://www.questionpro.com/images/qphome/tour/sample-question/popup s/Image_Multimedia.png 8. मिश्रित प्रश्नावली- मिश्रित प्रश्नावली क े अंतर्गत प्रश्नों की प्रकृ ति एक जैसी नहीं होती है, बल्कि विभिन्न प्रकार क े मिले-जुले प्रश्न होते हैं। प्रश्न खुली प्रकृ ति क े हो सकते हैं या बंद प्रकृ ति क े , तथ्यपरक हो सकते हैं यह अभिवृत्ति परक। ऐसी प्रश्नावली निर्मित करने क े पीछे सामाजिक तथ्यों की जटिलता और विविधता उत्तरदाई है। जटिल सामाजिक समस्याओं से संबंधित प्रश्नों क े उत्तर मिश्रित प्रश्नावली क े माध्यम से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। सामाजिक- राजनीतिक अनुसंधान में सबसे ज्यादा प्रयोग में लाई जाने वाली मिश्रित प्रश्नावली ही होती है। प्रश्नावली क े दोष या सीमाएं यद्यपि प्रश्नावली विधि प्राथमिक तथ्यों को संकलित करने की दृष्टि से बहुत उपयोगी है, किं तु इस पद्धति की भी अपनी सीमाएं हैं, जो इस प्रकार हैं- ● प्रतिनिधित्व पूर्ण निदर्शन से तथ्य संकलित करने में कठिनाई-
  • 9. क्योंकि प्रश्नावली विधि क े माध्यम से शिक्षित लोगों से ही तत्व संचालित किए जा सकते हैं, निदर्शन क े रूप में जिन्हें चुना जाएगा वह शिक्षित लोग ही होंगे, जबकि शोध कार्य की प्रकृ ति ऐसी हो सकती है जिसमें अशिक्षित लोगों से भी तथ्य प्राप्त करना जरूरी हो और महत्वपूर्ण में निदर्शन क े रूप में चुने जा सकते हैं, किं तु प्रश्नावली विधि का प्रयोग ऐसे नि दर्शनों पर नहीं किया जा सकता है। ● गहन अध्ययन की दृष्टि से उपयोगी नहीं- प्रश्नावली विधि क े माध्यम से क े वल मोटे मोटे तथ्यों को एकत्रित किया जा सकता है, क्योंकि गहराई तक विषय का अध्ययन करने क े लिए निदर्शन क े रूप में चुने गए लोगों क े मनोभाव, प्रवृत्तियों और आंतरिक मूल्यों का अध्ययन किया जाना आवश्यक होता है, जिसमें साक्षात्कार अधिक सहायक हो सकता है। ● समय अंतर्गत पूर्ण सूचना की कम संभावना- प्रश्नावली विधि में प्रश्नावली डाक क े माध्यम से उत्तर दाताओं क े पास भेज दी जाती है किं तु अनुभव यह बताता है कि उत्तर दाता अकसर प्रश्नावली भरने में रुचि नहीं लेते,शोधकर्ता की मौजूदगी ना होने क े कारण उन्हें बार-बार प्रेरित करने वाला कोई नहीं होता है। साथ ही उत्तर दाता का प्रत्यक्ष रूप से इससे कोई लाभ न होने क े कारण वे लापरवाही से इसका जवाब देते हैं, शब्दों क े अलग-अलग अर्थ लगाते हैं और उनक े उत्तर भी विश्वसनीय नहीं होते। ● सर्वाधिक उपयुक्त प्रश्नों का निर्माण कठिन - शोधकर्ता द्वारा अत्यधिक सावधानी बरतने क े बावजूद ऐसे प्रश्नों का निर्माण कठिन होता है, जिनक े आशय को प्रत्येक उत्तर दाता समान रूप से समझ सक े । ● अनुसंधानकर्ता की गैर मौजूदगी से प्रश्नावली भरने में कठिनाई- प्रश्नावली डाक द्वारा भेजी जाती है और वहां पर शोधकर्ता मौजूद नहीं होता, अतः जब उत्तर दाता प्रश्नावली भरता है और किसी प्रश्न का आशय उसे समझ में नहीं आता तो वहाँ स्पष्टीकरण क े लिए शोधकर्ता मौजूद नहीं होता है। ऐसे में प्रश्नों क े सही उत्तर प्राप्त करने में कठिनाई आती है। ● अस्पष्ट लिखावट- प्रश्नावली विधि में एक व्यावहारिक कठिनाई यह आती है कि प्रश्नों का उत्तर देने वाले उत्तर दाताओं की लिखावट अस्पष्ट होती है, जिसे समझ कर उसे तथ्य क े रूप में संकलित करना शोधकर्ता क े लिए मुश्किल हो जाता है । प्रश्नावली विधि की क ु छ अन्य कठिनाइयों की है। जैसे-
  • 10. 1. इसक े माध्यम से बच्चों का अध्ययन नहीं किया जा सकता, क्योंकि बच्चों से तथ्यों का संकलन उनकी शारीरिक चेष्टाओं और मनोभावों का अध्ययन करक े ही अच्छी तरह किया जा सकता है। 2. जब प्रश्नावली में बहु वैकल्पिक प्रश्न होते हैं, तो अक्सर उत्तर दाता बिना सोचे समझे उत्तर ऊपर टिक लगा देते हैं। 3. प्राप्त उत्तरों क े संबंध में यह अनुमान लगाना कठिन होता है हकीकत उत्तरदाता ने जानबूझकर गलत सूचनाएं भरी है या किसी ने लापरवाही क े कारण गलत सूचनाएं दी है । किं तु इन दोषों क े बावजूद प्रश्नावली द्वारा तथ्य सामग्री को एकत्रित करने में काफी सुविधा रहती है। इस पद्धति से प्राप्त सूचना अनावश्यक व्यक्तिगत प्रभावों से मुक्त होती है। अनुसंधानकर्ता क े विषय में सूचना दाताओं की अज्ञानता भी आंतरिक सूचनाओं को प्राप्त करने में सहायक होती है। गुडे एवं हट्ट ने उचित ही लिखा है कि ‘’अनेक कमियों क े होते हुए भी स्वयं प्रशासित डाक प्रेषित प्रश्नावली अनुसंधान में अत्यंत लाभदायक सिद्ध होती है।’’ मुख्य शब्द- प्राथमिक तथ्य, द्वितीयक तथ्य, प्रश्नावली, संरचित प्रश्नावली, बंद प्रश्नावली, खुली प्रश्नावली, सीमाएं REFERENCES AND SUGGESTED READINGS ● http;//simplypsychology.org ● www.sciencedirect.com ● www.merriyam-webster.com ● C. R. Kothari,Research Methodology;Methods and Techniques ● Catherine Dawson, Practical Research Methods; A User-FriendlyGuide to Mastering Research Techniques and Projects प्रश्न-
  • 11. निबंधात्मक- 1. प्रश्नावली किसे कहते हैं. एक अच्छी प्रश्नावली की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए. 2. प्रश्नावली विधि क े लाभों को बताते हुए इसकी सीमाओं को स्पष्ट कीजिए. 3. प्रश्नावली क े प्रमुख प्रकार कौन से हैं, विवेचना कीजिए. वस्तुनिष्ठ- 1. संकलन क े स्रोतों क े आधार पर तथ्य कितने प्रकार क े होते हैं। [ अ ] प्राथमिक तथ्य और द्वितीयक तथ्य [ ब ] संकलित तथ्य और असंकलित तथ्य [ स ] सरकारी तथ्य और गैर सरकारी तथ्य [ द ] गणनात्मक तथ्य और मात्रात्मक तथ्य 2 . प्रकृ ति क े आधार पर तथ्य क े प्रमुख प्रकार क्या है । [ अ ] प्राथमिक तथ्य और द्वितीयक तथ्य [ ब ] गणनात्मक तथ्य और मात्रात्मक तथ्य [ स ] सरकारी तथ्य और गैर सरकारी तथ्य [ द ] सार्वभौमिक तथ्य और स्थानीय तथ्य 3. प्रश्नावली विधि क े माध्यम से किस प्रकार क े तथ्यों का संकलन किया जाता है। [ अ ] प्राथमिक [ ब ] द्वितीयक [ स ] दोनों [ द ] रुचि संबंधी 4. एक अच्छी प्रश्नावली में प्रश्नों की संख्या और क्रम क्या होना चाहिए। [ अ ] प्रश्न सीमित संख्या में होनी चाहिए। [ ब ] एक वर्ग से संबंधित प्रश्न एक साथ होने चाहिए। [ स ] प्रश्न उत्तर दाता की भावना को आहत करने वाले नहीं होने चाहिए। [ द ] उपर्युक्त सभी सही है। 5. प्रश्नों क े साथ उत्तर क े विकल्प वाली प्रश्नावली किस श्रेणी में आती है। [ अ ] खुली प्रश्नावली [ ब ] बंद प्रश्नावली [ स ] तब से संबंधित प्रश्नावली [ द ] मत संबंधित प्रश्नावली। 6. किसी रिपोर्ट, डायरी, आत्मकथा या लेख से प्राप्त तथ्य किस श्रेणी में आते हैं। [ अ ] प्राथमिक तथ्य [ब ] द्वितीयक तथ्य [ स ] उपर्युक्त दोनों [ द ] उपर्युक्त में से कोई नहीं।
  • 12. 7. शोध कार्य प्रारंभ करने से पूर्व शोधकर्ता क े द्वारा सोच विचार कर योजनाबद्ध ढंग से बनाई गई प्रश्नावली किस श्रेणी में आती है। [ अ ] असंरचित प्रश्नावली [ ब ] संरचित प्रश्नावली [ स ] खुली प्रश्नावली [द ] मत संबंधित प्रश्नावली 8. प्रश्नावली विधि से तत्व संकलित करने में क्या कठिनाइयां आती है। [ अ ] उत्तर दाता की अस्पष्ट लिखावट [ ब ] विषय से संबंधित उपयुक्त प्रश्नों का निर्माण कठिन है। [ स ] उत्तर की विश्वसनीयता ज्ञात करना कठिन [ द ] उपर्युक्त सभी 9. प्रश्नावली किस जनसमूह से तथ्य संकलित करने में अनुपयोगी सिद्ध होती है। [ अ ] वृद्धों [ ब ] बच्चों [ स ] अशिक्षित जनसमुदाय [ द ] ‘ ब’ और ‘ स’ दोनों से 10. प्रश्नावली क े माध्यम से तथ्य संकलित करना आसान क्यों होता है । [ अ ] यह डाक क े माध्यम से भेजी जाती है और उत्तर दाताओं से प्रत्यक्ष संपर्क नहीं स्थापित करना पड़ता है। [ ब ] कम समय और लागत में ज्यादा सूचनाएं एकत्रित की जा सकती हैं। [ स ] विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले उत्तर दाताओं से सूचनाएं प्राप्त की जा सकती हैं। [ द ] उपर्युक्त सभी 11. चित्रमय प्रश्नावली का निर्माण कब किया जाता है। [ अ ] जब उत्तर दाता कम शिक्षित हों । [ ब ] बच्चों की मनोवृति और रूचियों का पता करना हो । [ स ] अनुसंधान का विषय अत्यंत जटिल हो । [ द ] उपर्युक्त सभी 12 .सामाजिक -राजनीतिक अनुसंधान में ज्यादातर किस तरह की प्रश्नावली का प्रयोग किया जाता है। [ अ ] तथ्य संबंधी प्रश्नावली [ ब ] मत संबंधित प्रश्नावली [ स ] खुली प्रश्नावली [ द ] मिश्रित प्रश्नावली