Publicidad

Pranayama

navya2106
12 de Aug de 2014
Publicidad

Más contenido relacionado

Publicidad

Pranayama

  1. प्राणायाम प्रस्तुतकर्तार देवेन्द दत श्रीमाली •
  2. श्वास हमारे सबसे महत्वपूर्णर कर्ायों मे से एकर् है. योग कर्े पांच िसद्धांतों मे से एकर् है • प्राणायाम (श्वास व्यायाम) • उचिचत श्वास कर्ो बढ़ावा देता है.
  3. • प्राण, अपान, समान आदिद वायुओं से मन कर्ो रोकर्ने और शरीर कर्ो साधने कर्ा अभ्यास कर्रना अथारत प्राणों कर्ो आदयाम देना ही प्राणायाम है। 'प्राणस्य आदयाम: इत प्राणायाम'। • ''श्वासप्रश्वासयो गितिवच्छेद: प्राणायाम''-(यो.सूर्. 2/49) अथारत प्राण कर्ी स्वाभािवकर् गित श्वास-प्रश्वास कर्ो रोकर्ना प्राणायाम है।
  4. यौगिगकर् िबदु मे, उचिचत श्वास है: रक्त और मिस्तष्कर् कर्ो अिधकर् ऑक्सीजन लाने कर्े िलए प्राण या महत्वपूर्णर जीवन ऊर्जार कर्ो िनयंित्रित कर्रने कर्े िलए.
  5. प्राण-"जीवन शिक्त" या "जीवन ऊर्जार" यम - "अनुशासन" या "िनयंत्रिण" इस प्रकर्ार, प्राणायाम कर्ा मतलब "सांस लेने कर्ी तकर्नीकर्" या "िनयंत्रिण सांस"
  6. दैनिनिक काम की वजह से, परिरिवारि, या अन्य दबाव मे, हम हमारिे श्वास की अनिदेखी करिते है. प्राणायाम के माध्यम से गहरिी साँस लेनिे का अभ्यास,हम हमारिे शरिीरि को परुनिः शिक्तिशाली बनिाते हैन |
  7. प्राणायाम के लाभ श्वास हमारिे जीवनि का एक सामान्य िहस्सा हैन, औरि उस पररि ध्यानि केित द्रित ित कए िबनिा हम यह स्वचािलत रूपर से करिते है तो ित फिरि क्यों हम योग श्वास सीखनिा हैन? प्राणायाम महत्वपरूर्णर्ण क्यों हैन ?
  8. • प्राणायाम से बदनि तंदुरुस्त होता हैन, िजदगी लंबी होती हैन औरि निव्सर्ण को परोषण िमलता हैन, • प्राणायाम की वजह से मानििसक औरि शारिीिरिक कमजोरिी दूर्रि होती हैन औरि तनि-मनि मजबूर्त होता हैन। • प्राणायाम से हमारिे शरिीरि के भीतरि िवषाक्ति परदाथों औरि शरिीरि कचरिे को कम करि देता हैन
  9. • प्राणायाम पराचनि मे मदद करिता हैन. • प्राणायाम हमारिी एकाग्रता औरि ध्यानि को िवकिसत करिता हैन. • प्राणायाम एक बेहतरि आत्म िनियंत्रण प्रदानि करिता हैन.
  10. प्राणायाम के चरिण रिेचक का अथर्ण हैन श्वास छोड़निा। परूर्रिक का अथर्ण हैन श्वास भीतरि लेनिा। कुम्भक का अथर्ण हैन श्वास को भीतरि या बाहरि रिोक देनिा।
  11. • भस्त्रिका स्त्रिका प्राणायाम भस्त्रिका स्त्रिका का शब्दिका ब्दिक अर्थ र्थ है धौंकनी अर्थ ार्थत एक ऐसा प्राणायाम िका जिसमें लोहार की धौंकनी की तरह आवाजि करते हुए वेगपूर्वर्थक शब्दुद्ध प्राणवायु को अर्न्दिर ले जिाते हैं और अर्शब्दुद्ध वायु को बाहर फें कते हैं।भस्त्रिका स्त्रिका प्राणायाम करते समय हमारा डायाफ्राम तेजिी से काम करता है, िका जिससे पेट के अर्ंग मजिबूर्त होकर सुचारु रूप से कायर्थ करते हैं और हमारी पाचन शब्दिका क्ति भस्त्री बढ़ती है।
  12. कपालभस्त्राती प्राणायाम •मिका स्तष्क के अर्ग्र भस्त्राग को कपाल कहते हैं और भस्त्राती का अर्थ र्थ ज्योिका त होता है। कपालभस्त्राती प्राणायाम को हठयोग में शब्दािका मल िकया गया है। प्राणायामों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जिाता है। यह तेजिी से की जिाने वाली रेचक प्रिक्रिया है। कपालभस्त्राती और भस्त्रिका स्त्रिका प्राणायाम में अर्िका धक अर्ंतर नहीं है। भस्त्रिका स्त्रिका में श्वांस लेना और छोड़ना तेजिी से जिारी रहता है जिबिक कपालभस्त्राती में िका सफर्थ श्वास को छोड़ने पर ही जिोर रहता है।
  13. लाभस्त्र •यह प्राणायाम आपके चेहरे की झुिरयां और आंखों के नीचे का कालापन हटाकर चेहरे की चमक बढ़ाता है। दिांतों और बालों के सभस्त्री प्रकार के रोग दिूर्र हो जिाते हैं। शब्दरीर की चरबी कम होती है। कब्जि, गैस, एिका सिका डटी की समस्या में लाभस्त्रदिायक है। शब्दरीर और मन के सभस्त्री प्रकार के नकारात्मक तत्व और िका वचार िका मट जिाते हैं।कपालभस्त्राती प्राणायाम धरती का संजिीवनी कहलाता है.
  14. उज्जायी प्राणायाम •´उज्जायी´ शब्दब्दि का अर्थ र्थ है ´िका वजियी या जिीतने वाला। इस प्राणायाम के अर्भ्यास से श्वसन (वायु) को जिीता जिाता है। यह कुण्डिका लनी शब्दिका क्ति को जिागृत करने में लाभस्त्रकारी होता है। इस प्राणायाम का अर्भ्यास स्त्रिी-पुरुष दिोनों के िका लए लाभस्त्रकारी माना गया है। इस प्राणायाम का अर्भ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थ ान पर करें। इसका अर्भ्यास तीन प्रकार से िकया जिा सकता है- खड़े होकर, लेटकर तथ ा बैठकर।
  15. • इसके लाभस्त्र : श्वास निका लका, थ ॉयराइड, पेराथ ायराइड, स्वर तंत्र आिदि को स्वस्थ व संतुिका लत करती है। कुंडिका लनी का पंचम सोपान है। जिल तत्व पर िका नयंत्रण लाती है।
  16. अनुलोम-िविलोम प्राणायाम •अनुलोम –विविलोम प्रणायाम में सांस लेने वि छोड़ने की िवििधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधिक प्राणायाम' भी कहते है। अनुलोम-िविलोम को रोज करने से शरीर की सभी नािड़यों स्विस्थ वि िनरोग रहती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं। विृद्धाविस्था में अनुलोम-िविलोम प्राणायाम योगा करने से गिठिया, जोड़ों का ददर्द वि सूजन आदिद िशकायतें दूर होती हैं।
  17. आदप स्विस्थ रहे प्रसन रहे
  18. धिन्यविाद
Publicidad