3. Acknowledgement
Acknowledgement is the best opportunity to express my
gratitude.
With the help of Acknowledgement I can thank to the
teachers who helped me in making this presentation.
I would like to thank Mrs. Rachna Dangi, who had helped
me in completing this
Presentation and guiding me in every field.
I would also like to thank my school’s principal Mr.
Simanchal Panigrahi for providing all the resources which
would help me & other student for preparing different
presentation.
4. परिभाषा- दो या दो से अधिक शब्दो के मेल से जो
नया शब्द बनता है उसे समस्त पद कहते है! इस
मेल की प्रक्रिया को समास कहते है! समास होने पि
बीच की विभक्ततयो शब्दो तथा ‘औि’ आदद अव्ययो
का लोप हो जाता है!
जैस- गंगा का जल का सामस हूआ - गंगाजल
5. (
समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूिवपद औि
दूसिे पद को उत्तिपद कहते हैं।
जैसे-गंगाजल। इसमें गंगा पूिवपद औि जल उत्तिपद है।
6. सामस विग्रह
सामाससक शब्दों के बीच के संबंि को स्पष्ट किना
समास-विग्रह कहलाता है।
जैसे- िाजपुत्र - िाजा का पुत्र।
7. समास के भेद
अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास
द्वन्दद्व समास
बहुव्रीहह समास
क्जस समास का पहला पद प्रिान हो औि िह
अव्यय हो उसे अव्ययीभाि समास कहते हैं। जैसे
- यथामतत (मतत के अनुसाि), आमिण (मृत्यु
कि) इनमें यथा औि आ अव्यय हैं।
तत्पुरुष समास - क्जस समास का उत्तिपद प्रिान हो औि
पूिवपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे -
तुलसीदासकृ त = तुलसी द्िािा कृ त (िधचत)
क्जस समास के दोनों पद प्रिान होते हैं तथा विग्रह
किने पि ‘औि’, अथिा, ‘या’, एिं लगता है, िह
द्िंद्ि समास कहलाता है।
क्जस समास के दोनों पद अप्रिान हों औि
समस्तपद के अथव के अततरितत कोई
सांके ततक अथव प्रिान हो उसे बहुव्रीदह समास
कहते हैं।
8. अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास की पहचान
इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अथावत समास होने
के बाद उसका रूप कभी नह ं बदलता है। इसके साथ
विभक्तत धचह्न भी नह ं लगता।
आजीिन - जीिन-भि
यथासामर्थयव - सामर्थयव के अनुसाि
यथाशक्तत - शक्तत के अनुसाि
यथाविधि विधि के अनुसाि
यथािम - िम के अनुसाि
भिपेट - पेट भिकि
हििोज़ - िोज़-िोज़
जैसे-
9. तत्पुरुष समास के प्रकार
ज्ञातव्य- विग्रह में जो कािक प्रकट हो
उसी कािक िाला िह समास होता है।
कमव तत्पुरुष
धगिहकट
धगिह को काटने
िाला किण तत्पुरुष
मनचाहा
मन
से चाहा
संप्रदान
तत्पुरुष
िसोईघि
िसोई के सलए
घि
अपादान
तत्पुरुष
देशतनकाला
देश से
तनकाला
अधिकिण
तत्पुरुष
नगििास
नगि में
िास
10. तत्पुरुष समास के प्रकार
नञ तत्पुरुष समास
क्जस समास में पहला पद तनषेिात्मक हो उसे
नञ तत्पुरुष समास कहते हैं।
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
असभ्य
अनादद
अनंत न अंतन सभ्य
न आदद असंभि न संभि
11. कममधारय समास
क्जस समास का उत्तिपद प्रिान हो औि
पूिवपद ि उत्तिपद में विशेषण-विशेष्य
अथिा उपमान-उपमेय का संबंि हो िह
कमविािय समास कहलाता है।
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
देहलता देह रूपी लता दह बडा दह में डूबा बडा
नीलकमल
सज्जन
नीला कमल पीतांबि पीला अंबि (िस्त्र)
सत् (अच्छा) जन निससंह निों में ससंह के समान
12. त्रत्रलोक तीनों लोकों का समाहाि
निग्रह नौ ग्रहों का समूह
नििात्र नौ िात्रत्रयों का समूह
द्ववगु समास
क्जस समास का पूिवपद संख्यािाचक विशेषण
हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह
अथिा समाहाि का बोि होता है।
समस्त पद समास-विग्रह
अठन्नी आठ आनों का समूह
13. द्वन्दद्व समास
समस्त पद समास-ववग्रह
पाप-पुण्य पाप औि पुण्य
सीता-िाम सीता औि िाम
ऊँ च-नीच ऊँ च औि नीच
अन्न-जल अन्न औि जल
खिा-खोटा खिा औि खोटा
िािा-कृ ष्ण िािा औि कृ ष्ण
क्जस समास के दोनों पद प्रिान होते हैं तथा
विग्रह किने पि ‘औि’, अथिा, ‘या’, एिं लगता
है, िह द्िंद्ि समास कहलाता है।
14. बहुव्रीहह समास
क्जस समास के दोनों पद अप्रिान हों औि
समस्तपद के अथव के अततरितत कोई
सांके ततक अथव प्रिान हो उसे बहुव्रीदह समास
कहते हैं। समस्त पद समास-ववग्रह
दशानन दश है आनन (मुख) क्जसके अथावत् िािण
नीलकं ठ नीला है कं ठ क्जसका अथावत् सशि
सुलोचना सुंदि है लोचन क्जसके अथावत् मेघनाद की
पत्नी
पीतांबि पीले है अम्बि (िस्त्र) क्जसके अथावत् श्रीकृ ष्ण
लंबोदि लंबा है उदि (पेट) क्जसका अथावत् गणेशजी
दुिात्मा बुि आत्मा िाला (कोई दुष्ट)
श्िेतांबि श्िेत है क्जसके अंबि (िस्त्र) अथावत् सिस्िती
जी
15. कममधारय और बहुव्रीहह समास में अतर
कमविािय में समस्त-पद का एक पद दूसिे
का विशेषण होता है। इसमें शब्दाथव प्रिान
होता है। जैसे - नीलकं ठ = नीला कं ठ।
बहुव्रीदह में समस्त पद के दोनों पदों में
विशेषण-विशेष्य का संबंि नह ं होता अवपतु
िह समस्त पद ह क्रकसी अन्य संज्ञादद का
विशेषण होता है। इसके साथ ह शब्दाथव गौण
होता है औि कोई सभन्नाथव ह प्रिान हो
जाता है। जैसे - नील+कं ठ = नीला है कं ठ
क्जसका अथावत सशि।