Effects of Pranayama on human body systems

प्राणायाम का शारीररक तंत्रों पर प्रभाव
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ”
( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग नवज्ञति
Effect of pranayama on human body systems
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ”
( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग नवज्ञति
- देव संस्कृ नत नवश्वनवद्यतलय)
अध्ययन की आवश्यकता
प्राणायाम परिचय अर्थ –परिभाषा
प्राणायाम के प्रकाि
हठ प्रदीपपका एवं घेिंड संपहता के प्राणायाम
शािीरिक तंत्र का परिचय
मुख्य शािीरिक तंत्र
प्राणायाम का पियापवज्ञान (Physiology of
pranayama)
प्राणायाम का शािीरिक तंत्रो पि प्रभाव
पनष्कषथ
सन्दभथ सूची
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
• प्रतणतयतम शब्द प्राण व आयाम
इन दो शब्दों से बना है ,
प्राण ये हमारी जीवनी शक्ति (वाईटल फ़ोसस/लाइफ) है
क्तजसके कारण मन से लेकर सभी इक्तरियों को कायस करने क्तक
शक्ति (प्रेरणा) क्तमलती है ! रि का क्तवसरण श्वसन आक्तद कायस
इसी प्राण शक्ति के कारण चलते है
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
प्राणायाम परिचय अर्थ –
प्राण शक्ति पर ऐक्तछिक क्तनयंत्रण लाना
और उसका क्तवस्तार करना !
• “तनस्मि सनतश्वतसप्रश्वतसयोगानत नवच्छेद: प्रतणतयतम:!” –प.यो.-२/४९
अर्स – आसन में क्तस्र्रता का अभ्यास हो जाने पर श्वास – प्रश्वास की गक्तत का क्तवछिेद करना (रोकना ) ही प्राणायाम
है !
“ आदौ स्थतिम तथत कतलं नमततहतरं तथत परम |
ितडीशुनधंश्च तत: पश्चतत्प्प्रतणतयतमं च सतधयेत |”| घे.स.५/२ ||
अर्स- प्रर्म , स्र्ान और कल का चुनाव क्तमताहार और नाडी शुक्ति करे इसके पश्चात् प्राणायाम का अभ्यास करना
चाक्तहए !
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
परिभाषा
प्रतणतयतम के प्रकतर
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
हठ योगगक
ग्रन्थ में
प्रतणतयतम
हठ प्रदीपिका के प्राणायाम-
सुयाभेदश्च उज्जतयी शितकतरी िीतली तथत |
भ्रस्त्स्िकत भ्रतमरी मूर्च्ता प्लतव्िीचतष्टकु म्भ्कत: ||ह.प्र.२/४४||
घेरंड संहहता के प्राणायाम
सहहत: सूयाभेदतश्च उज्जतयी िीतली तथत |
भ्रस्त्स्िकत भ्रतमरी मूर्च्ता के वली चतष्टकु म्भभकत:||घे.स.५/४६||
1. सूयसभेदी
2. उज्जायी
3. क्तशत्कारी
4. शीतली
5. भ्रक्तिका
6. भ्रामरी
7. मूछिास
8. प्लावनी
1. सक्तहत
2. सूयसभेदी
3. उज्जायी
4. शीतली
5. भ्रक्तिका
6. भ्रामरी
7. मूछिास
8. केवली
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
१.सूययभेदी
(२/४८-५०)ह.प्र
(५/५८-६९)
२.उज्जायी
(२/५०-५३)
(५/70-७३)
३.शीतकारी
(२/५४-५६)
सहहत (५/४७-५७)
ह.प्र.२/७१
4.शीतली
(२/५७-५८)
(५/७४-७५)
दतहहिे िथुिे से वतयु को खीच
कर अन्दर रोके फिर बतए बतये
िथुिे बहतर निकल दे !
मुह को बंद करके दोिों िथुिों
से वतयु को आवतज के सतथ
अन्दर ले स्त्जससे कं ठ से ह्रदय
तक उसके स्पिा अिुभव हो |
फिर बतए ितशसकत से निकल दे
मुख से िी- िी की आवतज के सतथ पूरक
करे और रेचक के वल ितशसकत से करे !
जब प्रतणतयतम रेचक और पूरक के सतथ
फकयत जतय तब सहहत कु म्भभक होतत है!
जीभ को दोिों और
से मोड़कर वतयु को
अन्दर खीचकर
कु म्भभक कत अ्यतस
करे !
सूया ितडी से पूरक करे फिर
जतलंधर बंध एवं कु म्भभक और
जब तक पताँव से के ि पयंत
पसीित ि आ जतय तब तक
तब तक कु म्भभक द्वतरत वतयु
धतरण फकये रहे !
दोिो ितशसकतओ से पुरक करते
हुए श्वतस को अन्दर खीचित है
और वतयु को मुह में ही रखित
है , कं ठ को संकु गचत कर
सूक्षम ध्वनि उत्त्पन्ि करते हुए
ह्रदय एवं गले से वतयु को
खीचित है !इस वतयु कत योग
पूरक के द्वतरत खखची गयी
वतयु से करित है !
सगर्भ - बीज मन्ि कत प्रयोग
सुखतसि में उत्तर की और मुख कर बैठे
पूरक(रजोगुण ब्रह्मत “अं” बीज16 बतर
जप )- उड्डडयति बंध , सतोगुणी कृ ष्ण
“उ”बीज 64मति कु म्भभक, तमोगुणी िुक्ल
शिव जी “मं” बीज कत जतप करते हुए
रेचक | तजािी
मध्यमत कत प्रयोग ि करे !
निगर्भ – बीज मन्ि रहहत
पूरक-कु म्भभक,रेचक प्रतणतयतम की १-१००
तक की मतितए होती है ! उत्तम- 20
मतितए , मतध्यम -१६ एवं अधम -12
मितए !
स्त्जह्वत के द्वतरत
वतयु को खीच कर
उदर में भरे , फिर
कु ् समय तक
कु म्भभक कर दोिों
ितशसकत से निकल दे
!
शािीरिक तंत्र का परिचय
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
कोपशका
उत्तक
अंग
तंत्र
शिीि
मानव एक बहुकोक्तशकीय प्राणी है , जो मूलतः असंख्य कोक्तशकाओं से
क्तनक्तमसत होते है |
इन कोक्तशकाओं से उत्तको का तर्ा उत्तको से अंगो का और अंगो से
क्तवक्तभरन तंत्रों (जैसे – श्वसन तंत्र , पाचन तंत्र, पेशीय तंत्र आक्तद|) का
अंतत: इन तंत्रों के सक्तममलन सामंजस्य से मानवीय शरीर क्तनक्तमसत होते है !
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योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
तंत्रिका
• कं कतलीय तंत्र – शरीर क्तनमासण को आधार एवं आकार प्रदान करता है |
मुख्यत:२०६ अक्तस्र्यााँ होते है |
• पेशीय तंत्र –शरीर को गक्तत करने की शक्ति प्रदान करती है | ६०० कं कालीय
पेशी|
• पतचि तंत्र – ग्रहण क्तकये गए भोजन को यांक्तत्रक – रासायक्तनक प्रक्तियायों द्वारा
अत्यंत सूक्षम कणों में क्तवभाजन और अवशोषण !
• श्वसि तंत्र – जीवन के क्तलए अक्तनवायस आक्सीजन को ग्रहण और काबसन
डाईआक्साईड को बाहर क्तनकालने की क्तिया – अरतः व बाह्य श्वसन का
सञ्चालन |
• रक्त पररसंचरण तंत्र - रि ,आक्सीजन , पोषक तत्त्व आक्तद का समस्त शरीर
के कोक्तशकाओ तक पहुचना व वहां के व्यर्स पदार्स को लाकर बाहर
क्तनष्काक्तसत करने की व्यवस्र्ा !
• उत्प्सर्ाि तंत्र – वज्यस पदार्ो का शरीर से क्तनष्काक्तसत करना !
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं
योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
• अन्तः स्रतवी तंत्र – तंक्तत्रका तंत्र के सार् क्तमलकर शरीर
के क्तवक्तभरन क्तियायों का क्तनयमन करता है |
• तंनत्रकत तंत्र – शरीर की तर्ा उसके क्तवक्तभरन भागो व
अंगो की समस्त क्तियायों का क्तनयंत्रण , क्तनयमन तर्ा
समरवयन करता है!
• अच्छतदीय तंत्र – त्वचा, नाख़ून , बाल .. आक्तद|
• लतनसकीय संस्थति- रोग रोधी क्षमता
• प्रर्िि संस्थति- वंश िम बनाये रखना
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प्राणायाम
आसन –
चटाई , कु श
ध्यानात्मक
आसन-
पूिक
( श्वास को
अन्दि लेना)
कु म्भक ( १.
अन्दि िोकना
)
२. बाहि
िोकना
िेचक ( प्रश्वास
को बाहि
छोड़ना )
मुद्रा (प्राण को
उपयुक्त पदशा
प्रदान किना )
बन्ध (पनपित
क्षेत्र में प्राण
को िोकना )
ध्यान
(सजगता )
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Steps & Components of pranayama
• आसि – चटाई , कुश आक्तद – शारीररक जैव क्तवद्युत को धरती में
जाकर नष्ट होने से बचाकर उर्धवस क्तदशा प्रदान करता है |
• शतरीररक नस्थनत – खाली पेट होने से पाचन क्तिया का
अनावश्यक अक्ततररि भार का न होना क्तजससे उजास का उपयोगी
कायो में क्तनयोजन , पाचन तंत्र को प्रयाप्त क्तवरामाम व पोषण |
• ध्यतितत्प्मक आसि- क्तस्र्र शारीररक अवस्र्ा प्रदान करना क्तजससे
एकाग्रता पूणस अचल दृढ क्तस्र्क्तत , क्तनक्तश्चत पेशीयों , तंक्तत्रका एवं
ग्रंक्तर्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है !जैसे – पद्मासन , सुखासन
,स्वक्तस्तकासन , क्तसिासन आक्तद |
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं
योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Physiology of pranayama
• पूरक ( श्वतस को अन्दर लेित ) –
बाह्य वातावरण से वायु को नाक्तसका से खीचने पर – नाक्तसका ,
श्वासनली , ग्रसनी , स्वर यरत्र, में घषसण व दबाव तर्ा फेफड़े,
डायफ्राम आक्तद पेक्तशयों में क्तखचाव उत्त्परन होता है |
संबंक्तधत अंगो में चेतनता , शुक्ति , तरयता एवं शुि रि की
आपूक्ततस में वृक्ति
• कु म्भक( वतयु को रोकित )
• १.अन्दर रोकित -स्वर यरत्र पर कं ठ संकुचन से प्रयाप्त दबाव
से सकारात्मक प्रभाव,
• श्वासनली सक्तहत वायुकुक्तपकयों में प्रयाप्त दबाव से पेशीय क्षमता
में वृक्ति ,
• कुि देर तक रोके रहने से अक्तधक मात्र में co2 और O2 गैसों
का क्तवक्तनमय से अक्तधक मात्र में co2का क्तनष्कासन होने से
उत्तम स्वास््य लाभ |
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Physiology of pranayama
कु म्भक
• २. बतहर रोकित–
• फेफड़े में इधर उधर एकक्तत्रत गैसों का अक्तधकतम उपयोग
• समपूणस ताज्य गैसों का क्तनष्कासन
• शुि आक्सीजन को सुगमता से अक्तधक मात्र में ग्रहण
• श्वसन तंत्र को स्वास््य लाभ और रोगों के मुक्ति के सार् – सार्
अरय समस्त तंत्रों व शारीररक अंगो को शुि आक्सीजन और पोषक
तत्वों से युि रि की आपूक्ततस
• रेचक ( प्रश्वतस को बतहर छोड़ित )– इस क्तिया के द्वारा भी ताज्य
गैसों का क्तनष्कासन और उससे उत्त्परन घषसण , दबाव तर्ा गक्तत
आक्तद का भी समबंक्तधत अंगो पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है |
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Physiology of pranayama
Physiology of pranayama
• मुद्रा (प्राण को उपयुक्त पदशा प्रदान किना ) –
अलग –अलग मुद्रा जैसे – ज्ञान,प्रणव,पचन मुद्रा आपद से शिीि में प्रवापहत जैव पवद्युत को उपयुक्त पदशा
पमलता है |
• बन्ध (पनपित क्षेत्र में प्राण को िोकना )-
• जालंधि बंध से कं ठ ( स्वि यंत्र ) पि
• उड् डीयान बंध से उदिीय पेशी ,नापभ चि, अमाशय, छोटी एवं बड़ी आंत , लीवि , अग्नाशय आपद पि तर्ा
• मूलबंध से गुदा, जननांग एवं मूलाधाि चि पि प्रभाव पड़ता है
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
• मुद्रत (प्रतण को उपयुक्त नदशत प्रदति करित ) – अलग –अलग मुिा जैसे –
ज्ञान,प्रणव,क्तचन मुिा आक्तद से शरीर में प्रवाक्तहत जैव क्तवद्युत को उपयुि क्तदशा
क्तमलता है |
• बन्ध (निनश्चत क्षेत्र में प्रतण को रोकित )- जालंधर बंध से कं ठ ( स्वर यंत्र ) ,
उड्डीयान बंध से उदरीय पेशी ,नाक्तभ चि, अमाशय, िोटी एवं बड़ी आंत ,
लीवर , अग्नाशय आक्तद पर तर्ा मूलबंध से गुदा, जननांग एवं मूलाधार चि पर
प्रभाव पड़ता है |
उपरोि कारणों से समग्र रूप में प्राणायाम का श्वसन तंत्र से लेकर अरय सभी
तंत्रों पर प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | क्तजससे आरोग्य, बल,
प्रसरनता, सुख शांक्तत एवं दीघस आयुष्य की प्राक्तप्त होती है |
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Physiology of pranayama
प्राणायाम का शािीरिक तंत्रो पि प्रभाव
• कं कालीय – पेशीय तंत्र पि प्रभाव
• शुद्ध व पोषक तत्वों से युक्त िक्त की
पयाथप्त आपूपतथ ,पजससे वे स्वस्र् एवं
सबल बनते है परिणाम स्वरुप सम्पूणथ
शिीि स्वस्र् ,सबल व सुगपठत बनता
|
• फे फड़े , डायफ्राम एवं उदिीय
पेशीय स्वस्र् लचीला एवं मजबूत
बनती है | पजससे सम्बंपधत िोगों की
आशंका नहीं िहती औि िोगों का
शमन हो जाता है |
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Psychophysiologic effects of Hatha Yoga on
musculoskeletal and cardiopulmonary function: a literature
review
JA Raub - The Journal of Alternative & Complementary
…, 2002 - online.liebertpub.com
This gly- colytic enzyme (LDH) provides energy to
exercising muscle and normally increases
about twofold after long-duration submaximal exercise,
indicating that yoga can have an effect
similar to endurance training. ... The effects of two
pranayama yoga breathing ...
RESEARCH
श्वसन तंत्र पि प्रभाव
• प्रतणयतम कत
सवतागधक प्रभतव
श्वसि तंि पर
पड़तत है जैसत की
स्पष्ट है की यह
श्वतस – प्रश्वतस की
फियत से संबंगधत
ववज्ञति सम्भमत
अ्यतस है स्त्जससे
ितक , श्वसि
िली, िे िड़े,
डतयफ्रतम से लेकर
समस्त श्वसि तंि
पर व्यतपक प्रभतव
डतलतत है | इससे
श्वसि तंि संबंगधत
रोगों कत िमि
और अर्च्ु न्ि
स्वतस््य की प्रतस्त्प्त
होती है |
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
EFFECT OF PRANAYAMA PRACTICES ON SELECTED RESPIRATORY PARAMETERS
XM Raj - ijpehss.org
... The findings of this study showed that the respiratory parameters such as
tidal volume, inspiratory
reserve volume and vital capacity has increased due to the pranayama
practices. ... (2006) “Yoga
Versus Aerobic Activity: Effects on Spirometry Results ... (2008) “Effect of
Alternate ...
Effect of yoga breathing exercises (pranayama) on airway reactivity in subjects
with asthma
V Singh, A Wisniewski, J Britton, A Tattersfield - The Lancet, 1990 - Elsevier
... after the exercises were done, but it seems unlikely that pranayama alone
would ... Dose related
effects of salbutamol and ipratropium bromide on airway calibre and reactivity
in ... The effect of
ipratropium and fenoterol on methacholine- and histamine-induced
bronchoconstriction. ...
RESEARCH
• अन्तः स्रावी तंत्र पि
प्रभाव –
• अंत: स्रावी तंत्रों के
अंतगथत पवपभन्न अंत:
स्रावी ग्रंपर्यों पि
प्राणायाम का
सकािात्मक प्रभाव
पड़ता है
• पजससे उससे स्रापवत
होने वाले हािमोंस
संतुपलत व पनयंपत्रत
मात्रा में होने से स्वस्र्
लाभ होता है |
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Biopsychosocial Effects of Yoga in Patients with Diabetes: A Focused Review.
SP Kumar, P Adhikari… - Indian Journal of Ancient …, 2011 -
search.ebscohost.com
... EFFECT ON LABORATORY TEST MEASURES Kyziom et al5 found the effects
of Pranayama
and yoga compared to conventional medical therapy alone on P300 (or P3 is
a ... Surprisingly though,
the authors did not find any additional beneficial effects for the yoga group.
...
Effect of regular yogic training on growth hormone and
dehydroepiandrosterone sulfate as an endocrine marker of aging
S Chatterjee, S Mondal - Evidence-Based Complementary and …, 2014 -
hindawi.com
... SS Saraswati, Asana Pranayama Mudra Bandha, Yoga Publication Trust,
Munger, India, 2002. ...
T.-L. Chen, H.-C. Mao, C.-H. Lai, C.-Y. Li, and C.-H. Kuo, “The effect of yoga ...
View at Scopus; P.
Sarang and S. Telles, “Effects of two yoga based relaxation techniques on
Heart Rate ...
RESEARCH
• िक्त परिसंचिण
तंत्र पि प्रभाव –
• यह शिीि के
महत्वपूणथ अंगो में
से एक है ,
प्राणायाम का
व्यापक औि गहिा
प्रभाव इस पि भी
देखने को पमलता
है | पजसमे िक्त ,
ह्रदय , फे फड़े,
धमपनया, पशिा
सपहत समस्त
परिसंचिण तंत्र पि
सकािात्मक
प्रभाव पड़ता है |
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Effect of yoga on cardiovascular system in subjects above 40 years
JR Bharshankar, RN Bharshankar… - Indian journal of …, 2003 - ijpp.com
... 4. Pathak JD, Mehrotra PP, Joshi SD. A plea for 'Pranayama' for elderly. ... Effects of
yogasanas
and pranayams on blood pressure, pulse rate and some respiratory functions. ... 15. Nayar
HS,
Mathus RM, Sampath Kumar R. Effect of yogic exercises on human physical efficacy. ...
Immediate effect of slow pace bhastrika pranayama on blood pressure and heart rate
T Pramanik, HO Sharma, S Mishra… - The Journal of …, 2009 - online.liebertpub.com
... J Prev Med Hyg 2007;48:83–84. 9. Ramdev S. Pranayama Rahasya. ... Zöllei. 2014.
Hemodynamic
effects of slow breathing: Does the pattern matter beyond the rate?. ... Acute Effect of
Breathing
Exercises on Heart Rate Variability in Type 2 Diabetes: A Pilot Study. ...
RESEARCH
• तंपत्रका तंत्र पि प्रभाव –
• जीवनी शपक्त (प्राण तत्त्व) की वृपद्ध होने से
तंपत्रकाओंमें आवेगों का उत्तम प्रवाह होता
है !
• ७२००० नापडयो की शुपद्ध होती है !
• ह्रदय, फे फड़े , मपस्तष्क , अन्तः स्रावी
ग्रंपर् ,सुषुम्ना पस्र्त नापड़यो की सम्पूणथ
शुपद्ध होती है !
• तंपत्रका संवेदनशीलता में वृपद्ध !
• सुप्त मपस्तष्कीय कोपशकाओंका
जागिण, बुपद्ध व स्मिण क्षमता वृपद्ध- जैसे
- भ्रामिी प्राणायाम का अभ्यास से !
• पचंता, तनाव, अशांपत ,अपनद्रा ,पनिाशा,
आत्म हीनता से मुपक्त – सूयथ-भेदी से !
• अनुकम्पी- पिानुकं पी तंपत्रका तंत्र पि
सकािात्मक प्रभाव पड़ता है
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Effect of fast and slow pranayama on perceived stress and
cardiovascular parameters in young health-care students
VK Sharma, M Trakroo, V Subramaniam… - International journal of
…, 2013 - ijoy.org.in
... 11. 12. Madanmohan, Udupa K, Bhavanani AB, Vijayalakshmi P,
Surendiran A. Effect of slow
and fast pranayams on reaction time and cardiorespiratory
variables. ... 12. 13. Singh S, Gaurav
V, Parkash V. Effects of a 6-week nadi-shodhana pranayama
training on cardio ...
Anuloma-Viloma pranayama and anxiety and depression among
the aged
PK Gupta, M Kumar, R Kumari, JM Deo - Journal of the Indian …,
2010 - medind.nic.in
... The effect of pranayama was evident from the scores from the
comparison between the two
conditions namely before and after pranayama suggesting that
pranayama has an important ... To
date, there have been no significant side-effects reported. ...
impact of pranayama Page 5. ...
RESEARCH
Any Questions ...??????
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
Thanks..!
धन्यवाद ..!
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ”
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Effects of Pranayama on human body systems

  • 1. प्राणायाम का शारीररक तंत्रों पर प्रभाव प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग नवज्ञति Effect of pranayama on human body systems प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग नवज्ञति - देव संस्कृ नत नवश्वनवद्यतलय)
  • 2. अध्ययन की आवश्यकता प्राणायाम परिचय अर्थ –परिभाषा प्राणायाम के प्रकाि हठ प्रदीपपका एवं घेिंड संपहता के प्राणायाम शािीरिक तंत्र का परिचय मुख्य शािीरिक तंत्र प्राणायाम का पियापवज्ञान (Physiology of pranayama) प्राणायाम का शािीरिक तंत्रो पि प्रभाव पनष्कषथ सन्दभथ सूची प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
  • 3. • प्रतणतयतम शब्द प्राण व आयाम इन दो शब्दों से बना है , प्राण ये हमारी जीवनी शक्ति (वाईटल फ़ोसस/लाइफ) है क्तजसके कारण मन से लेकर सभी इक्तरियों को कायस करने क्तक शक्ति (प्रेरणा) क्तमलती है ! रि का क्तवसरण श्वसन आक्तद कायस इसी प्राण शक्ति के कारण चलते है प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) प्राणायाम परिचय अर्थ – प्राण शक्ति पर ऐक्तछिक क्तनयंत्रण लाना और उसका क्तवस्तार करना !
  • 4. • “तनस्मि सनतश्वतसप्रश्वतसयोगानत नवच्छेद: प्रतणतयतम:!” –प.यो.-२/४९ अर्स – आसन में क्तस्र्रता का अभ्यास हो जाने पर श्वास – प्रश्वास की गक्तत का क्तवछिेद करना (रोकना ) ही प्राणायाम है ! “ आदौ स्थतिम तथत कतलं नमततहतरं तथत परम | ितडीशुनधंश्च तत: पश्चतत्प्प्रतणतयतमं च सतधयेत |”| घे.स.५/२ || अर्स- प्रर्म , स्र्ान और कल का चुनाव क्तमताहार और नाडी शुक्ति करे इसके पश्चात् प्राणायाम का अभ्यास करना चाक्तहए ! प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) परिभाषा
  • 5. प्रतणतयतम के प्रकतर प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) हठ योगगक ग्रन्थ में प्रतणतयतम हठ प्रदीपिका के प्राणायाम- सुयाभेदश्च उज्जतयी शितकतरी िीतली तथत | भ्रस्त्स्िकत भ्रतमरी मूर्च्ता प्लतव्िीचतष्टकु म्भ्कत: ||ह.प्र.२/४४|| घेरंड संहहता के प्राणायाम सहहत: सूयाभेदतश्च उज्जतयी िीतली तथत | भ्रस्त्स्िकत भ्रतमरी मूर्च्ता के वली चतष्टकु म्भभकत:||घे.स.५/४६|| 1. सूयसभेदी 2. उज्जायी 3. क्तशत्कारी 4. शीतली 5. भ्रक्तिका 6. भ्रामरी 7. मूछिास 8. प्लावनी 1. सक्तहत 2. सूयसभेदी 3. उज्जायी 4. शीतली 5. भ्रक्तिका 6. भ्रामरी 7. मूछिास 8. केवली
  • 6. प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) १.सूययभेदी (२/४८-५०)ह.प्र (५/५८-६९) २.उज्जायी (२/५०-५३) (५/70-७३) ३.शीतकारी (२/५४-५६) सहहत (५/४७-५७) ह.प्र.२/७१ 4.शीतली (२/५७-५८) (५/७४-७५) दतहहिे िथुिे से वतयु को खीच कर अन्दर रोके फिर बतए बतये िथुिे बहतर निकल दे ! मुह को बंद करके दोिों िथुिों से वतयु को आवतज के सतथ अन्दर ले स्त्जससे कं ठ से ह्रदय तक उसके स्पिा अिुभव हो | फिर बतए ितशसकत से निकल दे मुख से िी- िी की आवतज के सतथ पूरक करे और रेचक के वल ितशसकत से करे ! जब प्रतणतयतम रेचक और पूरक के सतथ फकयत जतय तब सहहत कु म्भभक होतत है! जीभ को दोिों और से मोड़कर वतयु को अन्दर खीचकर कु म्भभक कत अ्यतस करे ! सूया ितडी से पूरक करे फिर जतलंधर बंध एवं कु म्भभक और जब तक पताँव से के ि पयंत पसीित ि आ जतय तब तक तब तक कु म्भभक द्वतरत वतयु धतरण फकये रहे ! दोिो ितशसकतओ से पुरक करते हुए श्वतस को अन्दर खीचित है और वतयु को मुह में ही रखित है , कं ठ को संकु गचत कर सूक्षम ध्वनि उत्त्पन्ि करते हुए ह्रदय एवं गले से वतयु को खीचित है !इस वतयु कत योग पूरक के द्वतरत खखची गयी वतयु से करित है ! सगर्भ - बीज मन्ि कत प्रयोग सुखतसि में उत्तर की और मुख कर बैठे पूरक(रजोगुण ब्रह्मत “अं” बीज16 बतर जप )- उड्डडयति बंध , सतोगुणी कृ ष्ण “उ”बीज 64मति कु म्भभक, तमोगुणी िुक्ल शिव जी “मं” बीज कत जतप करते हुए रेचक | तजािी मध्यमत कत प्रयोग ि करे ! निगर्भ – बीज मन्ि रहहत पूरक-कु म्भभक,रेचक प्रतणतयतम की १-१०० तक की मतितए होती है ! उत्तम- 20 मतितए , मतध्यम -१६ एवं अधम -12 मितए ! स्त्जह्वत के द्वतरत वतयु को खीच कर उदर में भरे , फिर कु ् समय तक कु म्भभक कर दोिों ितशसकत से निकल दे !
  • 7. शािीरिक तंत्र का परिचय प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) कोपशका उत्तक अंग तंत्र शिीि मानव एक बहुकोक्तशकीय प्राणी है , जो मूलतः असंख्य कोक्तशकाओं से क्तनक्तमसत होते है | इन कोक्तशकाओं से उत्तको का तर्ा उत्तको से अंगो का और अंगो से क्तवक्तभरन तंत्रों (जैसे – श्वसन तंत्र , पाचन तंत्र, पेशीय तंत्र आक्तद|) का अंतत: इन तंत्रों के सक्तममलन सामंजस्य से मानवीय शरीर क्तनक्तमसत होते है !
  • 8. प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) तंत्रिका
  • 9. • कं कतलीय तंत्र – शरीर क्तनमासण को आधार एवं आकार प्रदान करता है | मुख्यत:२०६ अक्तस्र्यााँ होते है | • पेशीय तंत्र –शरीर को गक्तत करने की शक्ति प्रदान करती है | ६०० कं कालीय पेशी| • पतचि तंत्र – ग्रहण क्तकये गए भोजन को यांक्तत्रक – रासायक्तनक प्रक्तियायों द्वारा अत्यंत सूक्षम कणों में क्तवभाजन और अवशोषण ! • श्वसि तंत्र – जीवन के क्तलए अक्तनवायस आक्सीजन को ग्रहण और काबसन डाईआक्साईड को बाहर क्तनकालने की क्तिया – अरतः व बाह्य श्वसन का सञ्चालन | • रक्त पररसंचरण तंत्र - रि ,आक्सीजन , पोषक तत्त्व आक्तद का समस्त शरीर के कोक्तशकाओ तक पहुचना व वहां के व्यर्स पदार्स को लाकर बाहर क्तनष्काक्तसत करने की व्यवस्र्ा ! • उत्प्सर्ाि तंत्र – वज्यस पदार्ो का शरीर से क्तनष्काक्तसत करना ! प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
  • 10. • अन्तः स्रतवी तंत्र – तंक्तत्रका तंत्र के सार् क्तमलकर शरीर के क्तवक्तभरन क्तियायों का क्तनयमन करता है | • तंनत्रकत तंत्र – शरीर की तर्ा उसके क्तवक्तभरन भागो व अंगो की समस्त क्तियायों का क्तनयंत्रण , क्तनयमन तर्ा समरवयन करता है! • अच्छतदीय तंत्र – त्वचा, नाख़ून , बाल .. आक्तद| • लतनसकीय संस्थति- रोग रोधी क्षमता • प्रर्िि संस्थति- वंश िम बनाये रखना प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
  • 11. प्राणायाम आसन – चटाई , कु श ध्यानात्मक आसन- पूिक ( श्वास को अन्दि लेना) कु म्भक ( १. अन्दि िोकना ) २. बाहि िोकना िेचक ( प्रश्वास को बाहि छोड़ना ) मुद्रा (प्राण को उपयुक्त पदशा प्रदान किना ) बन्ध (पनपित क्षेत्र में प्राण को िोकना ) ध्यान (सजगता ) प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Steps & Components of pranayama
  • 12. • आसि – चटाई , कुश आक्तद – शारीररक जैव क्तवद्युत को धरती में जाकर नष्ट होने से बचाकर उर्धवस क्तदशा प्रदान करता है | • शतरीररक नस्थनत – खाली पेट होने से पाचन क्तिया का अनावश्यक अक्ततररि भार का न होना क्तजससे उजास का उपयोगी कायो में क्तनयोजन , पाचन तंत्र को प्रयाप्त क्तवरामाम व पोषण | • ध्यतितत्प्मक आसि- क्तस्र्र शारीररक अवस्र्ा प्रदान करना क्तजससे एकाग्रता पूणस अचल दृढ क्तस्र्क्तत , क्तनक्तश्चत पेशीयों , तंक्तत्रका एवं ग्रंक्तर्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है !जैसे – पद्मासन , सुखासन ,स्वक्तस्तकासन , क्तसिासन आक्तद | प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Physiology of pranayama
  • 13. • पूरक ( श्वतस को अन्दर लेित ) – बाह्य वातावरण से वायु को नाक्तसका से खीचने पर – नाक्तसका , श्वासनली , ग्रसनी , स्वर यरत्र, में घषसण व दबाव तर्ा फेफड़े, डायफ्राम आक्तद पेक्तशयों में क्तखचाव उत्त्परन होता है | संबंक्तधत अंगो में चेतनता , शुक्ति , तरयता एवं शुि रि की आपूक्ततस में वृक्ति • कु म्भक( वतयु को रोकित ) • १.अन्दर रोकित -स्वर यरत्र पर कं ठ संकुचन से प्रयाप्त दबाव से सकारात्मक प्रभाव, • श्वासनली सक्तहत वायुकुक्तपकयों में प्रयाप्त दबाव से पेशीय क्षमता में वृक्ति , • कुि देर तक रोके रहने से अक्तधक मात्र में co2 और O2 गैसों का क्तवक्तनमय से अक्तधक मात्र में co2का क्तनष्कासन होने से उत्तम स्वास््य लाभ | प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Physiology of pranayama कु म्भक
  • 14. • २. बतहर रोकित– • फेफड़े में इधर उधर एकक्तत्रत गैसों का अक्तधकतम उपयोग • समपूणस ताज्य गैसों का क्तनष्कासन • शुि आक्सीजन को सुगमता से अक्तधक मात्र में ग्रहण • श्वसन तंत्र को स्वास््य लाभ और रोगों के मुक्ति के सार् – सार् अरय समस्त तंत्रों व शारीररक अंगो को शुि आक्सीजन और पोषक तत्वों से युि रि की आपूक्ततस • रेचक ( प्रश्वतस को बतहर छोड़ित )– इस क्तिया के द्वारा भी ताज्य गैसों का क्तनष्कासन और उससे उत्त्परन घषसण , दबाव तर्ा गक्तत आक्तद का भी समबंक्तधत अंगो पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Physiology of pranayama
  • 15. Physiology of pranayama • मुद्रा (प्राण को उपयुक्त पदशा प्रदान किना ) – अलग –अलग मुद्रा जैसे – ज्ञान,प्रणव,पचन मुद्रा आपद से शिीि में प्रवापहत जैव पवद्युत को उपयुक्त पदशा पमलता है | • बन्ध (पनपित क्षेत्र में प्राण को िोकना )- • जालंधि बंध से कं ठ ( स्वि यंत्र ) पि • उड् डीयान बंध से उदिीय पेशी ,नापभ चि, अमाशय, छोटी एवं बड़ी आंत , लीवि , अग्नाशय आपद पि तर्ा • मूलबंध से गुदा, जननांग एवं मूलाधाि चि पि प्रभाव पड़ता है प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
  • 16. • मुद्रत (प्रतण को उपयुक्त नदशत प्रदति करित ) – अलग –अलग मुिा जैसे – ज्ञान,प्रणव,क्तचन मुिा आक्तद से शरीर में प्रवाक्तहत जैव क्तवद्युत को उपयुि क्तदशा क्तमलता है | • बन्ध (निनश्चत क्षेत्र में प्रतण को रोकित )- जालंधर बंध से कं ठ ( स्वर यंत्र ) , उड्डीयान बंध से उदरीय पेशी ,नाक्तभ चि, अमाशय, िोटी एवं बड़ी आंत , लीवर , अग्नाशय आक्तद पर तर्ा मूलबंध से गुदा, जननांग एवं मूलाधार चि पर प्रभाव पड़ता है | उपरोि कारणों से समग्र रूप में प्राणायाम का श्वसन तंत्र से लेकर अरय सभी तंत्रों पर प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | क्तजससे आरोग्य, बल, प्रसरनता, सुख शांक्तत एवं दीघस आयुष्य की प्राक्तप्त होती है | प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Physiology of pranayama
  • 17. प्राणायाम का शािीरिक तंत्रो पि प्रभाव • कं कालीय – पेशीय तंत्र पि प्रभाव • शुद्ध व पोषक तत्वों से युक्त िक्त की पयाथप्त आपूपतथ ,पजससे वे स्वस्र् एवं सबल बनते है परिणाम स्वरुप सम्पूणथ शिीि स्वस्र् ,सबल व सुगपठत बनता | • फे फड़े , डायफ्राम एवं उदिीय पेशीय स्वस्र् लचीला एवं मजबूत बनती है | पजससे सम्बंपधत िोगों की आशंका नहीं िहती औि िोगों का शमन हो जाता है | प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Psychophysiologic effects of Hatha Yoga on musculoskeletal and cardiopulmonary function: a literature review JA Raub - The Journal of Alternative & Complementary …, 2002 - online.liebertpub.com This gly- colytic enzyme (LDH) provides energy to exercising muscle and normally increases about twofold after long-duration submaximal exercise, indicating that yoga can have an effect similar to endurance training. ... The effects of two pranayama yoga breathing ... RESEARCH
  • 18. श्वसन तंत्र पि प्रभाव • प्रतणयतम कत सवतागधक प्रभतव श्वसि तंि पर पड़तत है जैसत की स्पष्ट है की यह श्वतस – प्रश्वतस की फियत से संबंगधत ववज्ञति सम्भमत अ्यतस है स्त्जससे ितक , श्वसि िली, िे िड़े, डतयफ्रतम से लेकर समस्त श्वसि तंि पर व्यतपक प्रभतव डतलतत है | इससे श्वसि तंि संबंगधत रोगों कत िमि और अर्च्ु न्ि स्वतस््य की प्रतस्त्प्त होती है | प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) EFFECT OF PRANAYAMA PRACTICES ON SELECTED RESPIRATORY PARAMETERS XM Raj - ijpehss.org ... The findings of this study showed that the respiratory parameters such as tidal volume, inspiratory reserve volume and vital capacity has increased due to the pranayama practices. ... (2006) “Yoga Versus Aerobic Activity: Effects on Spirometry Results ... (2008) “Effect of Alternate ... Effect of yoga breathing exercises (pranayama) on airway reactivity in subjects with asthma V Singh, A Wisniewski, J Britton, A Tattersfield - The Lancet, 1990 - Elsevier ... after the exercises were done, but it seems unlikely that pranayama alone would ... Dose related effects of salbutamol and ipratropium bromide on airway calibre and reactivity in ... The effect of ipratropium and fenoterol on methacholine- and histamine-induced bronchoconstriction. ... RESEARCH
  • 19. • अन्तः स्रावी तंत्र पि प्रभाव – • अंत: स्रावी तंत्रों के अंतगथत पवपभन्न अंत: स्रावी ग्रंपर्यों पि प्राणायाम का सकािात्मक प्रभाव पड़ता है • पजससे उससे स्रापवत होने वाले हािमोंस संतुपलत व पनयंपत्रत मात्रा में होने से स्वस्र् लाभ होता है | प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Biopsychosocial Effects of Yoga in Patients with Diabetes: A Focused Review. SP Kumar, P Adhikari… - Indian Journal of Ancient …, 2011 - search.ebscohost.com ... EFFECT ON LABORATORY TEST MEASURES Kyziom et al5 found the effects of Pranayama and yoga compared to conventional medical therapy alone on P300 (or P3 is a ... Surprisingly though, the authors did not find any additional beneficial effects for the yoga group. ... Effect of regular yogic training on growth hormone and dehydroepiandrosterone sulfate as an endocrine marker of aging S Chatterjee, S Mondal - Evidence-Based Complementary and …, 2014 - hindawi.com ... SS Saraswati, Asana Pranayama Mudra Bandha, Yoga Publication Trust, Munger, India, 2002. ... T.-L. Chen, H.-C. Mao, C.-H. Lai, C.-Y. Li, and C.-H. Kuo, “The effect of yoga ... View at Scopus; P. Sarang and S. Telles, “Effects of two yoga based relaxation techniques on Heart Rate ... RESEARCH
  • 20. • िक्त परिसंचिण तंत्र पि प्रभाव – • यह शिीि के महत्वपूणथ अंगो में से एक है , प्राणायाम का व्यापक औि गहिा प्रभाव इस पि भी देखने को पमलता है | पजसमे िक्त , ह्रदय , फे फड़े, धमपनया, पशिा सपहत समस्त परिसंचिण तंत्र पि सकािात्मक प्रभाव पड़ता है | प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Effect of yoga on cardiovascular system in subjects above 40 years JR Bharshankar, RN Bharshankar… - Indian journal of …, 2003 - ijpp.com ... 4. Pathak JD, Mehrotra PP, Joshi SD. A plea for 'Pranayama' for elderly. ... Effects of yogasanas and pranayams on blood pressure, pulse rate and some respiratory functions. ... 15. Nayar HS, Mathus RM, Sampath Kumar R. Effect of yogic exercises on human physical efficacy. ... Immediate effect of slow pace bhastrika pranayama on blood pressure and heart rate T Pramanik, HO Sharma, S Mishra… - The Journal of …, 2009 - online.liebertpub.com ... J Prev Med Hyg 2007;48:83–84. 9. Ramdev S. Pranayama Rahasya. ... Zöllei. 2014. Hemodynamic effects of slow breathing: Does the pattern matter beyond the rate?. ... Acute Effect of Breathing Exercises on Heart Rate Variability in Type 2 Diabetes: A Pilot Study. ... RESEARCH
  • 21. • तंपत्रका तंत्र पि प्रभाव – • जीवनी शपक्त (प्राण तत्त्व) की वृपद्ध होने से तंपत्रकाओंमें आवेगों का उत्तम प्रवाह होता है ! • ७२००० नापडयो की शुपद्ध होती है ! • ह्रदय, फे फड़े , मपस्तष्क , अन्तः स्रावी ग्रंपर् ,सुषुम्ना पस्र्त नापड़यो की सम्पूणथ शुपद्ध होती है ! • तंपत्रका संवेदनशीलता में वृपद्ध ! • सुप्त मपस्तष्कीय कोपशकाओंका जागिण, बुपद्ध व स्मिण क्षमता वृपद्ध- जैसे - भ्रामिी प्राणायाम का अभ्यास से ! • पचंता, तनाव, अशांपत ,अपनद्रा ,पनिाशा, आत्म हीनता से मुपक्त – सूयथ-भेदी से ! • अनुकम्पी- पिानुकं पी तंपत्रका तंत्र पि सकािात्मक प्रभाव पड़ता है प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) Effect of fast and slow pranayama on perceived stress and cardiovascular parameters in young health-care students VK Sharma, M Trakroo, V Subramaniam… - International journal of …, 2013 - ijoy.org.in ... 11. 12. Madanmohan, Udupa K, Bhavanani AB, Vijayalakshmi P, Surendiran A. Effect of slow and fast pranayams on reaction time and cardiorespiratory variables. ... 12. 13. Singh S, Gaurav V, Parkash V. Effects of a 6-week nadi-shodhana pranayama training on cardio ... Anuloma-Viloma pranayama and anxiety and depression among the aged PK Gupta, M Kumar, R Kumari, JM Deo - Journal of the Indian …, 2010 - medind.nic.in ... The effect of pranayama was evident from the scores from the comparison between the two conditions namely before and after pranayama suggesting that pranayama has an important ... To date, there have been no significant side-effects reported. ... impact of pranayama Page 5. ... RESEARCH
  • 22. Any Questions ...?????? प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय)
  • 23. Thanks..! धन्यवाद ..! प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग ववज्ञति - देव संस्कृ नत ववश्वववद्यतलय) प्रस्तुतकतता – “मोनिकत बंसल ” ( एम.ए. मतिव चेतित एवं योग नवज्ञति - देव संस्कृ नत नवश्वनवद्यतलय)