3. भारत के शहरी पिरवेश के
'राजनीितक अथरववसथा': कु छ
िवचार
21 वी सदी के भारतीय शहर:
शहरीकरण के िलए एक एजेडा का
िवकास
4. भूिमका
िपछले कु छ वषो मे देश के सभी राजयो मे शहरीकरण अतयंत तीव गित से हआ है और इसके दुषपिरणाम
भी उसी तीवता से दृिषगोचर होने लगे है। इस तीव गित का एक सबसे बडा कारण है जनसंखया
िवसफोटजो भारत की िवकास की राह का बहत बडा रोडा सािबत हो रहा है। शहरीकरण की समसया
सीधी जनसंखया िवसफोट से ही जुडी हई है। बढ़ती आबादी के कारण ही रोजगार और संसाधनो तथा
सुिवधाओ का अभाव हो रहा है एवं गांवो से शहरो की ओर पलायन हो रहा है।
एक जानकारी के अनुसार लगभग 48000 गांव बेिचराग (उजाड) हो गए है। गांवो की रौनक समाप
होती जा रही है। लोगो मे यह पवृित बल पकडती जा रही है िक अपना गांव छोडकर िनकट के बडे
गांव या शहर मे जाकर बसना। गामीण लोग शहरो की चकाचौध ही नही अिपतु शहरो मे सवासथय
सुिवधाओ, िशका और रोजगार िमलने की लालसा मे आकिषत हो गांवो से पलायन कर शहरो का रख
कर रहे है। कयोिक गांवो मे या तो ये सुिवधाएं उनहे हािसल नही या है भी तो दोययम दजे की। गांवो
की दुदरशा यह है िक गांवो तक के पहंच मागर कचे है उनहे पकी सडक की सुिवधा नही, िबजली-पानी
नही, ऐसे मे वे करे भी तो कया करे िसवाय शहरो की ओर पलायन के ।
यह अवशय है िक शहरीकरण के अपने कु छ लाभ है जैसेिक शहरीकरण के कारण िशका का सतर सुधरता
है, रोजगार के अवसर अिधक उपलबध होते है साथ ही आसपास के गांवो का भी िवकास होता है। देश
का िवकास मुखयतः शहरो के िवकास से जुडा होता है। जाितगत भेदभाव कम होते है। बुिदजीिवयो को
अिधक अवसर िमलते है। उदिमयो, ववसािययो को समाज मे िवशेष दजार िमलता है, संपित मे
बढ़ोतरी होती है। गांवो की अपेका परंपरागत आचार-िवचारो से मुिक िमलने कारण विकगत
सवतंतता अिधक िमलती है। लेिकन इसके कु छ दुषपिरणाम भी समाज को भुगतने पडते है जैसेिक
रोकटोक ना होने कारण विकयो मे कु पवृितयां बलवती होती है। कयोिक, गांवो मे संबंध भावनाओ पर
आधािरत होते है जबिक शहरो मे उपयोिगता पर इसके कारण जो सामािजक बंधन कु पवृितयो को
थामने के काम आते है वे िशिथल हो जाते है।
6. भारत नगर और अनय मिलन बिसतयो, रोली
जंकशन
एकिवरा नगर, सालट पैन भूिम
गणेश मूती नगर हवाई अडे के पास
मुंबई: मिलन बिसतयो की एक पार अनुभाग
7. मुंबई के सलम सेवाएं: जल आपूित
भारत नगर शांित नगर
धारावी अमबेडकर नगर
िचखावादी
8. मुंबई के सलम सेवाएं: ठोस अपिशष
मैली पिरवेश, अना नगर
कचरा डंिपग जगह, आंध एसोिसएशन
कचरा िबन, पास खोतवादी
सवचछ सटीट, दादाभाई सूप
9. मुंबई के औपचािरक और अनौपचािरक भूिम की
कीमत िभनता
Average developed land and property value by ward, 2005
0
20000
40000
60000
80000
100000
120000
A
C
E
F
S
G
S
H
W
K
W
M
P
N
R
T
Ward Name
Value(Rs.per.sqm)
Average developed land value
(FSI-1) Rs. per.sq.m
Average property value Rs.
per.sq.m
Land value of studied slums
Rs. per.sq.m
Colaba
Peddar Road
Ghatkopar
Mulund
Bandra
मुंबई के (अधयारोिपत) देश के बाजार मूलय ~ रपए पर 2005 मे अनुमान लगाया
गया। 560000 करोड रपए है। िवशाल (55%) शहर सलम आबादी मे इस बाजार
मे पाथिमक कारक मे िवकृ ितयो
10. पिरणाम मुंबई: दुिनया की
झुग्गी बसती राजधानी
• 'मिलन बिसतयो' मे रहने वाले 7 लाख +
लोगो I
• बेकार भूिम और आवास बाजार I
• सावर्वजिनक सेवाओं और सुरक्षा की गुणवत्ता मे
िगरावट I
• भूिम उपयोग और आिथक कायों की धीमी
पिरवतर्वन I
• शासन की गुणवत्ता मे िगरावट I
• उपमहाद्वीप भर मे िवसतार पािरिसथितक पैरो
के िनशान I
• संसाधन का उपयोग दक्षता मे लगातार
िगरावट I
• धन के बढ़ते धुवीकरण I
यह सपष रप से िटकाऊ नही है …
18. Present consumption requires ~2.0 दुिनया
21st
century Population growth needs 1.5+ दुिनया
Ending poverty at present throughput ~2.0 दुिनया
उपलबध
के वल एक
ही दुिनया
21 वी सदी िसथरता संकमण का चैलेज
This transition will be played out in Indian & Chinese cities
19. भारत के िनपटान संरचना जलवायु अनुकू लन और शमन सह
लाभ देने के िलए िमलान
~ 7,800 urban areas and ~ 0.55 million rural settlements in 20011 – the opportunity
for decentralised production and consumption systems and economic structure
Revi, 2010
21. समस्याओ का सुधार
नगरीय के नदो का योजनावाद िवकास और िनवेश के कायर्याकम की योजना बनाना तथिा रोजगार के
अवसरो की वृिद करना I
नगरीय योजना बनाना एक तदथिर्या उपाय है, िकतु केतीय योजना दारा एक अिधक स्थिाई समाधान हो
सकता है I
उघोगो को िपछड़े केतो मे जाने के िलए पोतसािहत करना I
विक नगरपािलकाओ को कर देने मे आर्थपती नही ँ करते, –यिद उनका पैसा सड़को के रख रखाव
के िलए नािलयो की ववस्थिा के िलये पानी की कमी को कम करने के िलए और िबजली उपलबध
कराने के िलए ठीक पकार से काम मे िलया जाये I
िनजी पिरवहन को पोतसाहन िदया जाना चािहए I
मई 1988 मे के नद सरकार ने एक राषीय आर्थवसीय नीित बनायी थिी, िजसका उददेशय शताबदी के अनत
तक आर्थवासहीनता को समाप करना है और आर्थवास की गुणवता को बढ़ाकर एक िनिशत कम से कम
स्तर पर लाना है Iकु छ महतवपूणर्या कदम भी उठाये जाने की आर्थवशयकता है I
22. िनषकषर्या
जब तक नगरी योजनाऔ मे सुधार नही ँ होगा तब तक
शहरीकरण और नागरीयता के पभावो और नगरो की
समस्याओ का कभी समाधान नही हो सकता और न ही
आर्थधारभूत उपाय िकये जा सकते है I उपाय स्वाथिो से पिरत
नही होने चािहए I करो का, भूिम का पौघौिगकी इतयािद का
उपयोग भी सही िदशा मे एवं स्वाथिर्यारिहत होना चािहए I
राजनैितक दिष से भी सभी लोगो सिकय होना पड़ेगा I
सामािजक तथिा आर्थिथिक ववस्थिाओ मे भी पिरवतर्यान करना
होगा तथिा सामूिहक रप से आर्थनदोलन चलाना होगा I