हिक्स तथा ऐलन (Hicks and Allen) ने 1934 में तटस्थता वक्र विश्लेषण को माँग सिद्धांत का महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में अपनी पुस्तक “मूल्य तथा पूँजी” (Value and Capital) में की । तटस्थता वक्र विश्लेषण उपयोगिता के क्रम वाचक दृष्टिकोण पर आधारित है जिसमें यह तथ्य निहित है कि उपयोगिता मापनीय नहीं अपितु तुलनीय है। उपभोक्ता केवल एक स्थिति में प्राप्त होने वाली उपयोगिता की तुलना दूसरी स्थिति में प्राप्त होने वाली उपयोगिता से कर सकता है। उपभोक्ता अपने अधिमान (preference) के अनुसार वस्तुओं के संयोगों को प्राप्त उपयोगिता के आधार पर क्रमबद्ध करता है और प्रत्येक क्रम सन्तुष्टि या उपयोगिता के एक निश्चित स्तर का सूचक होता है। इस प्रकार संतुष्टि के विभिन्न स्तरों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय या चतुर्थ आदि क्रम सूचक संख्याओं में रखा जाता है। इसी आधार पर उपभोक्ता यह बता सकता है कि उसे वस्तुओं के संयोग A की तुलना में संयोग B अधिक पसन्द है या कम, या वह दोनों से समान सन्तुष्टि प्राप्त कर रहा है और इसलिए उनके बीच तटस्थ (Indifferent) है।