2. वैश्ववकरण-यह एक ऐसी
प्रक्रिया जहााँ वववव भर के
लोग, एक साथ मिल कर
एक सिाज बनाते हैं और
कायय करते हैं।
आि तौर पर इस शब्द का
उपयोग आर्थयक वैश्ववकरण
के संदभय िें क्रकया जाता है।
3. इसके अलावा सिाज,भाषा,संस्कृ तत और साहहत्य आहद िें
भी वैश्ववकरण हुआ है।
4.
5.
6. राम-सुग्रीव मैत्री और पंचवटी
प्रसंग दोनों श्री राि को
संबोर्ित करते हैं।
राि-सुग्रीव िैत्री के कवव-
गोस्वामी तुलसीदास
पंचवटी प्रसंग के कवव-श्री
मैथिलीशरण गुप्त
तुलसीदास जी की रचना दोहे
और चौपाई के रुप िें है।
7. अलंकारों,छंद और रस का कि से कि उपयोग होना
कववताओं िें अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग होना
व्याकरण का गलत उपयोग
गेय कववताओं का लुप्त होना
नए शब्दों की वृद्र्ि
भाषा की नींव का डग-िगाना
8.
9. पश्वचिी संस्कृ तत को
अपनाने के कारण सिाज
और पररवार बबखर रहे हैं।
लोगों के बीच एक दूसरे के
मलए प्रेि और सम्िान कि
हो रहा है।
लोगों िें लालसा,ईर्षयाय और
स्वाथय की भावना उत्पन्न हो
रही है।
हि दुतनया को जीतना
चाहते हैं।
10. कववओं का लोगों के िन को पढ़ना
सिाज का पूणय ज्ञान प्राप्त होना
भश्तत की रचनाओं का लुप्त होना
सिाज िें हो रहे हर ववषय का लोगों से पररचय कराना
लोगों के बीच जागरुकता पैदा करना