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SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th
Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC)
SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th
Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC)
Hkkjr vkSj ledkyhu fo”o
v/;k; 1- ;wjksi esa jk’Vªokn dk mn;
1. निम्िलिखित पर टिप्पणी लििें-
(क) ज्युसेपे मेजििी
(ि) काउंि क
ै लमिो दे कावूर
(ग) यूिािी स्वतंत्रता युद्ध
(घ) फ्र
ैं कफिट संसद
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में मटििाओं की भूलमका
उत्तर (क) ज्युसेपे मेजििी इििी क
े क्रजततकारी थे। उिका ितम 1807 में िेिोवा में िुआ था। वे
कार्बोिारी क
े गुप्त संगठि क
े सदस्य र्बि गए और 24 साि की युवावस्था में लिगुररया में क्रांनत करिे
क
े लिए र्बटिष्ट्कृ त कर टदया गया। उतिोंिे दो भूलमगत संगठिों की स्थापिा की, पििा था मसोई में
यंग इििी और दूसरा र्बिट में यंग यूरोप. इििी क
े एकीकरण में मेजििी की मित्वपूणट भूलमका रिी।
उतिोंिे रािततत्र का घोर ववरोध करक
े और प्रिाताजतत्रक गणतंत्रों क
े स्वप्ि से रूटिवाटदयों को िराया।
(ि) काउंि क
ै लमिो दे कावूर सार्डटिीया-पीडमॉति का मंत्री प्रमुि था जिसिे इििी क
े प्रदें ों को
एकीकृ त करिे वािे आंदोिि का िेतृत्व ककया। वि िा तो एक क्रजततकारी था और िा िी िितंत्र में
ववश्वास करिे वािा। इतािवी अलभिात वगट क
े तमाम अमीर और लं क्षित सदस्यों की तरि वि
इतािवी भार्षा से किीं र्बेितर फ़्र
ें च र्बोिता था। फ़्रांस से सार्डटिीया-वपडमॉति की एक चतुर क
ू ििीनतक
संधध, जिसक
े पीछे कावूर का िाथ था, से सार्डटिीया-वपडमॉति 1859 में ऑजस्रयाई र्बिों को िरा पािे में
कामयार्ब िुआ, इससे इििी का उत्तरी भाग िो ऑजस्रयाई िैब्सवगों क
े अधीि था मुक्त िुआ।
(ग) 1821 में यूरोप में क्रजततकारी राष्ट्रवाद की प्रगनत से यूिानियों का आिादी क
े लिए संघर्षट आरंभ
िो गया। प्राचीि यूिािी संस्कृ नत क
े प्रनत सिािुभूनत रििे वािे पजश्चमी यूरोप क
े िोगों का समथटि
पाकर यूिािी राष्ट्रवाटदयों िे मुजस्िम साम्राज्य क
े ववरुद्ध यूिाि क
े संघर्षट क
े लिए ििमत िुिाया।
अंततः 1832 की क
ु स्तुततुनिया की संधध िे यूिाि को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मातयता दी।
(घ) 1848 में िमटि इिाकों में र्बड़ी संख्या में राििीनतक संगठिों िे फ्र
ैं कफिट ं िर में लमिकर एक
सवट-िमटि िें िि असेंर्बिी क
े पि में मतदाि करिे का फ
ै सिा ककया। 18 मई 1848 को 831 निवाधचटत
प्रनतनिधधयों िे फ्र
ैं कफिट संसद में अपिा स्थाि ग्रिण ककया। यि संसद सेंि पॉि चचट में आयोजित िुई।
इसमें िमटि राष्ट्र क
े लिए एक संववधाि का प्रारूप तैयार ककया गया। इस राष्ट्र की अध्यिता एक ऐसे
रािा को सौंपी गई जिसे संसद क
े अधीि रििा था। िर्ब प्रनतनिधधयों िे प्रं ा क
े रािा को ताि
पििािे की पें कं  की तो उसिे उसे अस्वीकार कर उि रािाओं का साथ टदया िो निवाटधचत सभा क
े
ववरोधी थे। ििााँ क
ु िीि वगट और सेिा का ववरोध र्बि गया, विीं संसद का सामाजिक आधार कमिोर
िो गया। संसद में मध्य वगों का प्रभाव अधधक था जितिोंिे मिदूरों और कारीगरों क
े मााँग का ववरोध
ककया जिससे वे उिका समथटि िो र्बैठे। अंत में सैनिकों को र्बुिाकर एसेम्र्बिी को भंग कर टदया
गया।
(ङ) उदारवादी आंदोिि क
े अंदर मटििाओं को रािनिनतक अधधकार प्रदाि करिे का मुद्दा वववादस्पद
था िािााँकक आतदोिि में वर्षों से र्बड़ी संख्या में मटििाओं िे सकक्रय रूप से भाग लिया। उतिोंिे अपिे
राििीनतक संगठि स्थावपत ककये, अख़र्बार ं ुरू ककये, और राििीनतक र्बैठकों और प्रदं टिों में लं रकत
की। इसक
े र्बाविूद उतिें एसेंर्बिी क
े चुिाव क
े दौराि मताधधकार से वंधचत रिा गया था। िर्ब सेंि
पॉि चचट में फ़्र
ैं कटिट संसद की सभा आयोजित की गई थी तर्ब मटििाओं को क
े वि प्रेिकों की िैलसयत
से दं टक-दीघाट में िड़े िोिे टदया गया।
2. फ्रांसीसी िोगों क
े र्बीच सामूटिक पिचाि का भाव पैदा करिे क
े लिए फ्रांसीसी क्रांनतकाररयों िे क्या
कदम उठाये?
उत्तर -फ्रांसीसी क्रांनतकाररयों िे ऐसे अिेक कदम उठाये जििसे फ्रांसीसी िोगों में एक सामूटिक भाविा
पैदा िो सकती थी, वे इस प्रकार िैं -
• वपतृभूलम और िागररक िैसे ववचारों िे एक संयुक्त समुदाय क
े ववचार पर र्बि टदया, जिसे एक
संववधाि क
े अंतगटत समाि अधधकार प्राप्त थे।
• एक िए फ्रांसीसी झंडे- नतरंगा को चुिा गया जिसिे पििे क
े रािध्वि की िगि िे िी।
• इस्िेि िेिरि का चुिाव सकक्रय िागररकों क
े समूि द्वारा ककया िािे िगा और उसका िाम र्बदिकर
िें िि एसेंर्बिी कर टदया गया।
• ियी स्तुनतयााँ रची गईं, ं िीदों का गुणगाि िुआ - और यि सर्ब राष्ट्र क
े िाम पर िुआ।
• एक क
ें द्रीय प्रं ासनिक यवयवस्था िागू की गई जिसिे अपिे भू-भाग में रििे वािे सभी िागररकों क
े
लिए समाि कािूि र्बिाए।
• िेत्रीय र्बोलियों को ितोत्साटित ककया गया और पेररस में फ्र
ें च िैसी र्बोिी और लििी िाती थी, विी
राष्ट्र की साझा भार्षा र्बि गयी।
3. मारीआि और िमेनिया कौि थे? जिस तरि उतिें धचत्रत्रत ककया गया उसका क्या मित्व था?
उत्तर मारीआि और िमेनिया क्रमं ः फ़्रांस और िमटिी राष्ट्र की मटििा रूपक थीं। उतिीसवीं सदी
में फ्रांसीसी क्रांनत क
े दौराि किाकारों िे स्वतंत्रता, तयाय और गणतंत्र िैसे ववचारों को यवयक्त करिे क
े
लिए िारी रूपक का प्रयोग ककया। मारीयाि क
े धचह्ि स्वतंत्रता और गणतंत्र क
े थे िैसे कक-िाि िोपी,
नतरंगा और किगी. इसी तरि िमेनिया भी र्बिूत वृि क
े पत्तों का मुक
ु ि पििती िै क्योंकक िमटि
र्बिूत वीरता का प्रतीक िै।
4. िमटि एकीकरण की प्रकक्रया का संिेप में पता िगाएाँ।
उत्तर राष्ट्रवादी भाविाएाँ मध्यवगीय िमटि िोगों में काटी यवयाप्त थीं और उतिोंिे 1848 में
उदारवाटदयों िे िमटि मिासंघ क
े ववलभति इिाकों को िोड़ कर एक निवाटधचत संसद द्वारा ं ालसत
राष्ट्र-राज्य र्बिािे का प्रयास ककया था। मगर रािं ािी और फौिी ताकतों द्वारा राष्ट्र निमाटण की यि
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पिि प्रं ा क
े मदद से दर्बा दी गई। र्बाद में प्रं ा िे राष्ट्रीय एकीकरण क
े आतदोिि का िेतृत्व साँभाि
लिया। प्रं ा का प्रमुि मंत्री ऑिो वॉि त्रर्बस्माक
ट िे प्रं ा की सेिा और िौकरं ािी की मदद से साथ वर्षट
क
े दौराि ऑजस्रया, डेिमाक
ट , और फ्रांस से तीि युद्धों में वविय प्राप्त की तथा िमटिी क
े एकीकरण की
प्रकक्रया पूरी की। ििवरी 1871 में, वसाटय में िुए एक सामरोि में प्रं ा क
े रािा ववलियम प्रथम को
िमटिी का सम्राि घोवर्षत ककया गया।
5. अपिे ं ासि वािे िेत्रों में ं ासि यवयवस्था को ज्यादा क
ु ं ि र्बिािे क
े लिए िेपोलियि िे क्या
र्बदिाव ककए?
उत्तर अपिे ं ासि वािे िेत्रों में ं ासि यवयवस्था को ज्यादा क
ु ं ि र्बिािे क
े लिए िेपोलियि िे
निम्िलिखित र्बदिाव ककए -
• िेपोलियि िे 1804 की िागररक संटिता जिसे आमतौर पर 'िेपोलियि की संटिता' क
े िाम से िािा
िाता िै को िागू ककया, जिसक
े तित ितम पर आधाररत ववं ेर्षाधधकार समाप्त कर टदए गए। उसिे
क़ािूि क
े समि र्बरार्बरी संपजत्त क
े अधधकार को सुरक्षित र्बिाया।
• डच गणतंत्र, स्वीििरिैंड, इििी और िमटिी में िेपोलियि िे प्रं ासनिक ववभाििों को सरि र्बिाया,
सामंती यवयवस्था को समाप्त ककया और ककसािों भू-दासत्व और िागीरदारी ं ुल्कों से मुजक्त टदिाई।
• ं िरों में भी कारीगरों क
े श्रेणी-संघों क
े नियंत्रणों को ििा टदया गया। यातायात और संचार-यवयवस्था
को सुधार गया।
चचचा करें:
1. उदारवाटदयों की 1848 की क्रांनत का क्या अथट िगाया िाता िै? उदारवाटदयों िे ककि राििीनतक,
सामाजिक एवं आधथटक ववचारों को र्बिावा टदया?
उत्तर 1848 में िर्ब अिेक यूरोपीय दें ों में गरीर्बी, र्बेरोिगारी और भुिमरी से ग्रस्त ककसाि-मिदूर
ववद्रोि कर रिे थे तर्ब विां क
े उदारवादी मध्यवगों क
े स्त्री-पुरूर्षों िे संववधािवाद की मााँग को राष्ट्रीय
एकीकरण क
े मााँग से िोड़ टदया। उतिोंिे र्बिते िि असंतोर्ष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र-राज्य क
े
मााँग क
े निमाटण की मााँगों को आगे र्बढाया।
इस आतदोिि में उदारवाटदयों िे राष्ट्र-राज्य संववधाि, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठि र्बिािे की
आिादी मे िैसे संसदीय लसद्धाततों को आधार र्बिाया। उदारवादी आतदोिि क
े अतदर मटििाओं को
राििीनतक अधधकार प्रदाि करिे का मुद्दा उठाया गया।
2. यूरोप में राष्ट्रवाद क
े ववकास में संस्कृ नत क
े योगदाि को दं ाटिे क
े लिए तीि उदिारण दें।
उत्तर राष्ट्रवाद क
े ववकास में संस्कृ नत िे अिम भूलमका निभाई-
(क) पोिैंड में पोलिं  भार्षा को रूसी प्रभुत्व क
े ववरूद्ध संघर्षट क
े प्रनतक क
े रूप में देिी िािे िगी।
(ि) स्थािीय र्बोलियों पर र्बि और स्थािीय िोक-साटित्य को एकत्र कर आधुनिक राष्ट्रीय सतदें  को
ज्यादा िोगों तक पिुाँचाया गया, जििमे से अधधकांं  निरिर थे।
(ग) फ्रांस में एक िी भार्षा को र्बिावा देिे से विां क
े िोगों को एक राष्ट्र क
े रूप में पिचाि ववकलसत
करिे में काफी मदद लमिी।
3. ककतिीं दो दें ों पर ध्याि क
े जतद्रत करते िुए र्बताएाँ कक उतिीसवीं सदी में राष्ट्र ककस प्रकार ववकलसत
िुए?
उत्तर 1821 में यूरोप में क्रजततकारी राष्ट्रवाद की प्रगनत से यूिानियों का आिादी क
े लिए संघर्षट
आरंभ िो गया।राष्ट्रवाटदयों िे प्राचीि यूिािी संस्कृ नत क
े समथटकों क
े साथ लमिकर एक मुजस्िम
साम्राज्य क
े खििाफ यूिाि क
े संघर्षट क
े लिए ििमत िुिाया। 1832 में यूिाि को एक स्वतंत्र राष्ट्र की
मातयता प्राप्त िुई।
प्रं ा क
े मंत्री प्रमुि ऑिो वॉि त्रर्बस्माक
ट क
े िेतृत्व में िमटिी क
े एकीकरण की प्रकक्रया पूरी िुई। उसिे
प्रं ा की सेिा और िौकरं ािों की मदद से फ्रांस, ऑजस्रया और डेिमाक
ट को िराकर िीत िालसि की
और िए एकीकृ त िमटि राष्ट्र की स्थापिा की।
4. त्रििेि में राष्ट्रवाद का इनतिास ं ेर्ष यूरोप की तुििा में ककस प्रकार लभति था?
उत्तर त्रििेि में राष्ट्रवाद का इनतिास ं ेर्ष यूरोप की तुििा में इस प्रकार लभति था। अठारिवीं सदी
से पििे त्रितािी राष्ट्र था िी ििीं। त्रिटिं  द्वीप मुख्य रूप से चार भागों में र्बंिा था- अंग्रेि, वेल्ं ,
स्कॉि और आयररं  तथा िरेक की अपिी सांस्कृ नतक और राििीनतक परम्पराएाँ थीं। आंग्ि राष्ट्र धि-
दौित और सत्ता क
े वृवद्ध क
े साथ-साथ द्वीप क
े अतय सभी राष्ट्रों पर अपिा प्रभुत्व र्बििे में सफि
िुआ। 1688 में आंग्ि संसद िे रािततत्र से ताकत छीिकर एक राष्ट्र-राज्य की स्थापिा की। कफर
इंग्िैंड और स्कॉििैंड क
े र्बीच एक्ि ऑट यूनियि (1707) से ‘यूिाइिेड ककं गडम ऑट ग्रेि त्रििेि’ का
गठि िुआ।
5. र्बाल्कि प्रदें ों में राष्ट्रवादी तिाव क्यों पिपा?
उत्तर र्बाल्कि िेत्र क
े अंतगटत आधुनिक रोमानिया, र्बुल्गाररया, अल्र्बेनिया, यूिाि, मेलसडोनिया,
क्रोएलसया, र्बोजस्िया-ििेगोवविा, स्िोवेनिया, सत्रर्बटया और मोंिीनिग्रो आते थे। इस िेत्र का एक र्बड़ा
टिस्सा ओिोमि साम्राज्य क
े नियंत्रण में था। इि िेत्र क
े निवालसयों को आमतौर पर स्िाव क
े िाम से
पुकारा िाता था। ववलभति स्िाव राष्ट्रीय समूिों क
े अपिी पिचाि और स्वतंत्रता की पररभार्षा तय
करिे की कोलं ं  क
े कारण र्बाल्कि िेत्र िकराव का िेत्र र्बि गया। रूमािी राष्ट्रवाद क
े ववचारों क
े
फ
ै ििे और ओिोमि साम्राज्य क
े ववघिि से जस्थनत ववस्फोिक िो गयी थी। साथ िी इि िेत्रों में र्बड़ी
ं जक्तयों क
े र्बीच ताकत िधथयािे क
े लिए िर्बरदस्त िड़ाई िारी थी। यिी र्बाल्कि िेत्र में राष्ट्रवादी
तिाव पिपिे का कारण र्बिा।
v/;k; 2- Hkkjr esa jk’Vªokn
Q1. यवयाख्या करें -
)
क
(
उपनिवें ो में राष्ट्रवाद क
े उदय की प्रकक्रया उपनिवें वाद ववरोधी आंदोिि से
िुड़ी िुई क्यों थी| (ि (
पििे ववश्व युद्ध में भारत िे राष्ट्रीय आंदोिि क
े ववकास में ककस प्रकार
योगदाि टदया
)
ग
(
भारत क
े िोग रौिि एक्ि क
े ववरोध में क्यों थे
)
घ
(
गांधी िी िे असियोग आंदोिि
को वापस िेिे का फ
ै सिा क्यों लिया?
SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th
Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC)
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Answer. (क (
उपनिवें वाद िे िोगों की स्वतंत्रता को प्रभाववत ककया , और साम्राज्यवादी वचटस्व क
े
खििाफ संघर्षट की प्रकक्रया क
े दौराि राष्ट्रवादी भाविाओं में वृवद्ध िुई। उत्पीड़ि और ं ोर्षण की भाविा
ववलभति िेत्रों क
े िोगों क
े लिए एक आम र्बंधि र्बि गई, और इसक
े पररणामस्वरूप राष्ट्रवादी आदं ों
की वृवद्ध िुई। इस प्रकार, उपनिवें ों में राष्ट्रवाद का ववकास उपनिवें  ववरोधी आंदोििों से िुड़ा िुआ
िै। )
ि
(
प्रथम ववश्व युद्ध क
े दौराि , त्रिटिं  सेिा िे भारत में ग्रामीण िेत्रों से िर्बरि भती की। रिा
यवयय को ववत्त करिे क
े लिए, उच्च कस्िम कतटयवयों और आय करों को िगाया गया था। इसक
े अिावा,
इस दौराि भारत क
े कई टिस्सों में फसिें िरार्ब िुईं, जिससे िाद्याति की कमी िुई। यि सर्ब त्रिटिं 
औपनिवेलं क ं ासि क
े खििाफ यवयापक क्रोध और ववरोध का कारण र्बिा, और भारत का राष्ट्रीय
आंदोिि एक मिर्बूत, अधधक निजश्चत टदं ा की ओर अग्रसर िुआ। )
ग
(
रोिेि एक्ि को भारतीय
सदस्यों क
े ववरोध क
े र्बाविूद इम्पीररयि िेजिस्िेटिव काउंलसि क
े माध्यम से िल्दर्बािी में पाररत
ककया गया। इसिे सरकारी निरंक
ु ं  ं जक्तयों को दो साि तक त्रर्बिा ककसीमुकदमे क
े राििीनतक
क
ै टदयों को रििे की अिुमनत देिे क
े अिावा राििीनतक गनतववधधयों को दर्बािे क
े लिए टदया। इस
अधधनियम से भारतीय िाराज़ थे, क्योंकक यि स्पष्ट्ि रूप से अिोकतांत्रत्रक और दमिकारी था, और
राष्ट्रीय भाविाओं और गररमा को चोि पिुंचाई। )
घ
(
गांधी िी िे 1922 में ििता द्वारा टिंसा की
ववलभति घििाओं क
े कारण असियोग आंदोिि को वापस िेिे का निणटय लिया, ववं ेर्षकर चौरी चौरा
की घििा ििााँ िोगों िे पुलिस क
े साथ झड़प की, एक पुलिस -
स्िें ि को आग िगा दी। गााँधीिी िे
मिसूस ककया कक िोग अभी तक एक र्बड़े संघर्षट क
े लिए तैयार ििीं थे, और सत्याग्रटियों को अटिंसक
प्रदं टिों क
े लिए ठीक से प्रलं क्षित िोिे की आवश्यकता थी।
Q2. सत्याग्रि क
े ववचार का क्या मतिर्ब िै?
Answer. सत्याग्रि का ववचार िि आंदोिि की एक अिूठी ववधध का अथट िै िो सत्य की ं जक्त पर
िोर देता िै, और सत्य की िोि करिे की आवश्यकता िै। यि इस ववश्वास को र्बिाता िै कक यटद
कारण सत्य िै और िड़ाई अतयाय क
े खििाफ िै, तो उत्पीड़क क
े खििाफ ं ारीररक र्बि या ज़र्बरदस्ती
की आवश्यकता ििीं िै। सत्याग्रि अटिंसक आंदोिि का पयाटय िै, ििां तयाय की िोि क
े लिए
उत्पीड़क की अंतरात्मा की आवाज़ पर अपीि की िाती िै। गााँधीिी का माििा था कक अटिंसा का यि
धमट राष्ट्रीय एकता और सद्भाव का कारण िो सकता िै।
Q3. निम्िलिखित पर अिर्बार क
े लिए ररपोिट लििें –
(क) िलियााँवािा र्बाग ित्याकांड (ि) साइमि कमीं ि
Answer. (क) िलियााँवािा र्बाग ित्याकांड — 13 अप्रैि, 1919 को ििरि डायर िे िलियााँवािा र्बाग क
े
संिग्ि मैदाि से निकास त्रर्बंदुओं को अवरुद्ध कर टदया, ििााँ र्बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठा िो गई थी -
क
ु छ िोग त्रिटिं  सरकार क
े दमिकारी उपायों क
े ववरोध में, अतय िोग वावर्षटक र्बैसािी मेिे में भाग
िेिे क
े लिए । डायर का उद्देश्य "िैनतक प्रभाव पैदा करिा" और सत्याग्रटियों को आतंककत करिा था।
त्रिटिं  सैनिकों द्वारा की गई अंधाधुंध गोिीर्बारी में इस टदि मटििाओं और र्बच्चों सटित सैकड़ों
निदोर्ष िोग मारे गए। इसक
े कारण र्बड़े पैमािे पर िमिे िुए, पुलिस क
े साथ झड़पें िुईं और क्रोधधत
भारतीय िोगों द्वारा सरकारी इमारतों पर िमिे ककए गए। (ि) साइमि कमीं ि- यि 1928 में भारत
में आया और "गो र्बैक साइमि" क
े ववरोध िारों का सामिा ककया। ऐसा इसलिए था क्योंकक यि
निकाय भारतीय ं ासि में संवैधानिक पररवतटिों का सुझाव देिे क
े लिए था, िेककि इसमें कोई भी
भारतीय सदस्य ििीं था। कांग्रेस और मुजस्िम िीग िे संयुक्त रूप से इसक
े खििाफ प्रदं टि ककया।
िॉडट इरववि िे भारत को आंदोिि को समाप्त करिे क
े लिए एक अस्पष्ट्ि "प्रभुत्व जस्थनत" की घोर्षणा
की, अक्िूर्बर 1929 में एक गोिमेि सम्मेिि क
े लिए अग्रणी।
Q4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवव और अध्याय 1 में दी गई िमेनिया की छवव की
तुििा कीजिए |
Answer. रवींद्रिाथ िैगोर द्वारा धचत्रत्रत भारत माता की छवव उतिें सवटश्रेष्ट्ठ लं िण, भोिि और वस्त्र
क
े रूप में टदिाती िै। वि सौंदयट गुणवत्ता को अपिे द्वारा धारण ककए गए मािा द्वारा दं ाटती िै।
यि कफलिप वीि द्वारा धचत्रत्रत िमटि की छवव क
े समाि िै, ििां वि एक तिवार रिती िै, िेककि
अधधक स्त्री िगती िै। भारत माता की अतय पेंटिंग उसक
े प्रनतनिधधत्व में अधधक मदाटिा िै। इसमें, उसे
ं ेर क
े रूप में ं ेर और िाथी द्वारा दं ाटए गए ं जक्त और अधधकार क
े रूप में टदिाया गया िै। र्बाद
की छवव िोरेंि क्िसेि द्वारा िमटनिया की छवव क
े समाि अधधक िै, ििां वि एक तिवार और ढाि
का निमाटण करती िै, और िड़िे क
े लिए तैयार टदिती िै।
ppkZ djsa
Q1. 1921 में आंदोिि में ं ालमि िोिे वािे सभी सामाजिक समूिों की सूची र्बिाइए | इसक
े र्बाद उिकी
आं ाओं क
े र्बारे में लििते िुए आंदोिि में ं ालमि िुए िुए
Answer. 1921 क
े असियोग आंदोिि में ं ालमि िोिे वािे ववलभति सामाजिक समूि ं िरी मध्य वगट
थे जििमें वकीि, लं िक और प्रधािाध्यापक, छात्र, ककसाि, आटदवासी और श्रलमक ं ालमि थे। ककसाि,
आटदवासी और श्रलमक देिात िेत्र से आंदोिि में ं ालमि िुए। उतिोंिे आत्म-मुजक्त की आं ाओं क
े
साथ ऐसा ककया। ककसािों िे तािुकदारों और िमींदारों क
े खििाफ ववद्रोि ककया जितिोंिे उच्च ककराए
की मांग की और उतिें लभिारी या मुक्त श्रम करिे क
े लिए भी मिर्बूर ककया। िििातीय ककसािों िे
त्रिटिं  सरकार द्वारा र्बड़े वि पथों क
े र्बाड़े क
े खििाफ ववद्रोि ककया, जिससे उतिें आिीववका क
े साथ-
साथ पारंपररक अधधकारों से भी रटित िोिा पड़ा। दूसरी ओर, वृिारोपण श्रलमकों िे उि गांवों क
े साथ
संर्बंध र्बिािे और उिक
े साथ संर्बंध र्बिाए रििे की स्वतंत्रता की इच्छा की। इि तीिों का माििा था
कक गांधी राि असियोग आंदोिि क
े साथ आएगा, और इससे उिक
े दुिों का अंत िोगा। इसलिए, वे
उपनिवें  ववरोधी संघर्षट में ं ालमि िो गए।
Q2. िमक यात्रा की चचाट करते िुए स्पष्ट्ि करें कक यि उपनिवें वाद क
े खििाफ प्रनतरोध का एक
असरदार प्रतीक था
Answer. िमक माचट उपनिवें वाद क
े खििाफ प्रनतरोध का एक प्रभावी प्रतीक था क्योंकक यि अमीर
और गरीर्बों द्वारा इस्तेमाि ककए िािे वािे एक कमोर्डिी-िमक क
े खििाफ ववद्रोि में ककया गया था।
िमक पर कर, और इसक
े उत्पादि पर सरकार का एकाधधकार एक गंभीर दमिकारी प्रं ासनिक कदम
था। िमक माचट प्रभावी भी था क्योंकक गांधीिी माचट क
े दौराि र्बड़ी संख्या में आम िोगों से लमिे थे
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और उतिोंिे उतिें स्वराि और अटिंसा का सिी अथट लसिाया था। ं ांनतपूवटक एक कािूि को धता
र्बताते िुए और सरकारी आदें ों क
े खििाफ िमक र्बिाते िुए, गांधीिी िे पूरे दें  क
े लिए एक उदािरण
पें  ककया कक क
ै से अत्याचारी का अटिंसात्मक तरीक
े से सामिा ककया िा सकता िै। इसिे 1930 में
सवविय अवज्ञा आंदोिि का भी िेतृत्व ककया।
Q3. कल्पिा कीजिए कक आप लसववि िाफरमािी आंदोिि में टिस्सा िेिे वािी मटििा िै | र्बताइए कक
इि अिुभव का आपक
े िीवि में क्या अथट िोता ?
Answer. गााँधीिी क
े सवविय अवज्ञा आंदोिि में र्बड़ी संख्या में मटििाओं िे भाग लिया था। इस
आंदोिि में भाग िेिे क
े लिए विााँ से िज़ारो मटििाएाँ घरों से निकिी थीं | उतिोंिे माचट में टिस्सा
लिया, िमक निलमटत ककया, ववदें ी कपड़ों और ं रार्ब की दुकािों की चोरी में भाग लिया एवं ववदें ी
वस्तुओ का र्बटिष्ट्कार ककया | कईयों को िेि में डाि टदया गया। भारत में एक मटििा िे राष्ट्र को
उिक
े पववत्र कतटयवय क
े रूप में देििा ं ुरू ककया |
Q4. राििीनतक िेता पृथक निवाटचक का क
े सवाि पर क्यों र्बाँिे िुए थे ?
Answer. राय में मतभेद क
े कारण अिग-अिग मतदाताओं क
े सवाि पर राििीनतक िेताओं में तेिी
से मतभेद थे। िर्बकक अल्पसंख्यकों और दलितों क
े कारण का समथटि करिे वािों का माििा था कक
क
े वि राििीनतक सं क्तीकरण उिक
े सामाजिक वपछड़ेपि को िि करेगा, गांधीिी िैसे अतय िोगों िे
सोचा कक अिग-अिग मतदाता समाि में उिक
े एकीकरण की प्रकक्रया को धीमा कर देंगे। इसक
े
अिावा, यि आं ंका थी कक अिग निवाटचकों की प्रणािी धीरे-धीरे दें  को कई िुकड़ों में ववभाजित
करेगी क्योंकक प्रत्येक समुदाय या वगट तर्ब अिग-अिग प्रनतनिधधत्व मांगेगा।
v/;k; 3- Hkwe.Myhd`r fo”o dk cuuk
Q1. 17 वी सदी से पििे िोिे वािे आदाि-प्रदाि क
े दो उदािरण दीजिए | एक उदािरण एलं या से और
एक उदािरण अमेररका मिाद्वीप क
े र्बारे में चुिे |
Answer. (i) यूरोप से सोिे और चााँदी क
े र्बदिे में चीि, भारत और दक्षिण पूवट एलं या द्वारा कपड़ा,
मसािों और चीिी र्बतटिों का आदाि-प्रदाि ककया गया। (ii) सोिे और िाद्य पदाथट िैसे आिू, सोया,
मूंगफिी, िमािर और लमचट को पििे अमेररका से यूरोप में नियाटत ककया गया था।
Q2. र्बताइए पूवट आधुनिक ववश्व में र्बीमाररयों क
े वैजश्वक प्रसार िे अमेररकी भूभागो उपनिवें ीकरण में
ककस प्रकार मदद की |
Answer. पूवट-आधुनिक दुनिया में र्बीमारी क
े वैजश्वक िस्तांतरण िे अमेररका क
े उपनिवें ीकरण में मदद
की क्योंकक मूि अमेररकी भारतीय उि र्बीमाररयों क
े प्रनत प्रनतरिा ििीं थे िो कक र्बसिे वािे और
उपनिवें  करिे वािे अपिे साथ िाए थे। छोिे चेचक क
े लिए यूरोपीय अधधक या कम प्रनतरिा थे,
िेककि दें ी अमेररककयों को िािों वर्षों क
े लिए दुनिया क
े र्बाकी टिस्सों से काि टदया गया था, इसक
े
खििाफ कोई र्बचाव ििीं था। इि कीिाणुओं िे मारे गए और पूरे समुदायों को लमिा टदया, ववदें ी
वचटस्व का मागट प्रं स्त ककया। िधथयारों और सैनिकों को िष्ट्ि या कब्ज़ा ककया िा सकता था, िेककि
र्बीमाररयों से ििीं िड़ा िा सकता था।
Q3. निम्िलिखित क
े प्रभावों की यवयाख्या करते िुए संक्षिप्त टिप्पणी लििें : (क) कॉिट िॉ को समाप्त
करिे क
े र्बारे में त्रिटिं  सरकार का फ
ै सिा | (ि) अफ्रीका में ररंडरपेस्ि आिा | (ग) ववश्व युद्ध क
े
कारण यूरोप में कामकािी उम्र क
े पुरुर्षों की मौत | (घ) भारतीय अथटयवयवस्था पर मिामंदी का प्रभाव |
(ड) र्बिु राष्ट्रीय क
ं पनियों द्वारा अपिे उत्पादि को एलं याई दें ों में स्थािांतररत करिे का फ
ै सिा |
Answer. (क) कॉिट िॉ को ित्म करिे क
े त्रिटिं  सरकार क
े फ
ै सिे से कृ वर्ष िेत्र को िुकसाि िुआ,
िेककि औद्योधगक िेत्र में प्रगनत िुई। भोिि त्रििेि में सस्ते में आयात ककया िािे िगा और िेती में
ं ालमि ििारों श्रलमक र्बेरोिगार िो गए। िािांकक, िपत में वृवद्ध िुई और औद्योधगक िेत्र में वृवद्ध िुई,
ग्रामीण िेत्रों की तुििा में ं िरों में अधधक श्रलमक उपिब्ध थे। (ि) अफ्रीका में ररंडरपेस्ि क
े आिे से
अिधगित अफ्रीककयों की आिीववका का िुकसाि िुआ। अपिे िाभ क
े लिए इस जस्थनत का उपयोग
करते िुए, उपनिवें ी राष्ट्रों िे अफ्रीका को श्रम र्बािार में िािे क
े लिए दुिटभ मवेलं यों क
े संसाधिों पर
एकाधधकार करक
े अफ्रीका को िीत लिया और वं  में कर लिया। (ग) ववश्व युद्ध क
े कारण यूरोप में
कामकािी उम्र क
े पुरुर्षों की मृत्यु िे यूरोप में सिम ं ारीररक श्रम को कम कर टदया, जिससे घरेिू
आय में िगातार धगरावि आई और इसक
े पररणामस्वरूप उि पररवारों द्वारा रििे वािे िचट को पूरा
करिे क
े लिए संघर्षट ककया गया जििक
े पुरुर्ष ववकिांग थे या मारे गए थे। (घ) मिामंदी का भारतीय
अथटयवयवस्था पर एक र्बड़ा प्रभाव था। 1928 और 1934 क
े र्बीच, इसिे भारतीय आयात और नियाटत को
िगभग आधा कर टदया। इस दौराि गेिूं की कीमतें भी 50% तक धगर गईं। ं िरी िेत्रों से अधधक,
कृ वर्ष िेत्र मिामंदी से र्बुरी तरि प्रभाववत िुआ था। (ड) एलं याई दें ों में उत्पादि को स्थािांतररत करिे
क
े लिए र्बिुराष्ट्रीय क
ं पनियों क
े निणटय से ववश्व यवयापार और पूाँिी प्रवाि में उत्तेििा िुई। यि पुिवाटस
एलं याई दें ों में कम िागत वािी संरचिा और कम मिदूरी क
े कारण था। इसिे एलं याई दें ों को
भी िाभाजतवत ककया क्योंकक रोज़गार में वृवद्ध िुई, और इसक
े पररणामस्वरूप त्वररत आधथटक पररवतटि
भी िुआ।
Q4. िाद्य उपिब्धता पर तकिीक क
े प्रभाव को दं ाटिे क
े लिए इनतिास से दो उदािरण दें |
Answer. उतिीसवीं ं ताब्दी क
े उत्तराधट में िाद्य उपिब्धता पर प्रौद्योधगकी का प्रभाव कई गुिा
अधधक था। तेज़ रेिवे, िाइिर वैगिों और र्बड़े ििाज़ों िे उत्पादि इकाइयों से िेकर दूर क
े र्बािारों तक
सस्ते और तेज़ी से िाद्य पररविि में मदद की। इसक
े अिावा, प्रं ीनतत ििािों िे िंर्बी दूरी पर मााँस,
मक्िि और अंडे िैसे िरार्ब िोिे वािे िाद्य पदाथों क
े पररविि में मदद की।
Q5. त्रििेि वुड्स समझौते का क्या अथट िै ?
Answer. िेिि वुड्स समझौते को िुिाई 1944 में अमेररका क
े तयू िैम्पं ायर क
े िेिि वुड्स में अंनतम
रूप टदया गया था। इसिे वैजश्वक आधथटक जस्थरता और औद्योधगक दुनिया में पूणट रोिगार क
े संरिण
क
े लिए अंतराटष्ट्रीय मुद्रा कोर्ष और ववश्व र्बैंक की स्थापिा की। इि संस्थािों िे सदस्य राष्ट्रों क
े र्बािरी
अधधं ेर्ष और घािे से भी निपिा, और युद्ध क
े र्बाद क
े पुिनिटमाटणों को ववत्तपोवर्षत ककया।
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Q6. कल्पिा कीजिए कक आप क
ै ररत्रर्बयाई िेत्र में काम करिे वािे धगरलमटिया मज़दूर िै | इस अध्याय
में टदए गए वववरण क
े आधार पर अपिे िािात और अपिी भाविाओं का वणटि करते िुए अपिे
पररवार क
े िाम पर एक पत्र लििें |
Answer. मैं एक धगरलमटिया मज़दूर क
े रूप में क
ै ररत्रर्बयाई िेत्र में काम कर रिा िूं। इस पत्र क
े
माध्यम से, मैं आपको अपिी कटठिाई और ठेक
े दार क
े दुयवयटविार क
े र्बारे में र्बतािा चािता िूं। मुझे
काम पर रििे क
े समय ठेक
े दार िे काम की िगि, यात्रा क
े तरीक
े और रििे और काम करिे की
जस्थनत क
े र्बारे में सिी िािकारी ििीं दी। िमें र्बिुत कम कािूिी अधधकार प्रदाि ककए िाते िैं। ठेक
े दार
कायटस्थि पर कठोर और अपमाि ििक भार्षा का उपयोग करता िै। वि िमारे साथ क
ू लियों की तरि
यवयविार करता िै और िम क
ै ररत्रर्बयाई िेत्र क
े कोको प्िांिें ि में एक असिि अल्पसंख्यक िैं। कभी-
कभी एिेंि मुझे िर्बरि अगवा भी कर िेते िैं िािांकक मैं काम करिे को तैयार ििीं था। िर्ब भी मैं
अपिे काम में ं ालमि ििीं िोता िूं, मेरे खििाफ मुकदमा चिाया िाता िै और िेि भेिा िाता िै।
एक भारी कायटभार क
े साथ वृिारोपण में र्बिुत काम िै और कभी-कभी मुझे एक टदि यि सर्ब ित्म
करिा पड़ता िै। असंतोर्षििक कायट क
े मामिे में, मेरी मिदूरी कि िाती िै। मैं एक गुिाम का िीवि
िी रिा िूं और र्बड़ी परें ािी में िूं।
Q7. अंतरराष्ट्रीय आधथटक ववनिमयों मे 3 तरि की गनतयों या प्रभावों की यवयाख्या करें | तीिों प्रकार की
गनतयों क
े भारत और भारतीयों से संर्बंधधत एक एक उदािरण दे और उिक
े र्बारे में संिेप में लििें |
Answer. अंतरराष्ट्रीय आधथटक ववनिमय क
े भीतर तीि प्रकार क
े आंदोिि या प्रवाि यवयापार प्रवाि,
मािव पूंिी प्रवाि और पूंिी प्रवाि या निवें  िैं। इिकी यवयाख्या इस प्रकार की िा सकती िै - कृ वर्ष
उत्पादों में यवयापार, श्रम का प्रवास और अतय राष्ट्रों से ववत्तीय ऋण। भारत पूवट-आधुनिक दुनिया में
यवयापार का एक क
ें द्र था, और इसिे यूरोप से सोिे और चााँदी क
े र्बदिे में वस्त्र और मसािों का नियाटत
ककया। कोिंर्बस की िोि क
े र्बाद कई अिग-अिग िाद्य पदाथट िैसे आिू, सोया, मूंगफिी, मक्का,
िमािर, लमचट और ं करक
ं द अमेररका से भारत आए। श्रम क
े िेत्र में, उतिीसवीं ं ताब्दी में, भारी संख्या
में, ववदें ों में िािों, र्बागािों और कारिािों क
े लिए धगरलमटिया श्रम उपिब्ध कराया गया था। यि
अंग्रेिों द्वारा औपनिवेलं क वचटस्व का एक उपकरण था। अतत में, त्रििेि िे ववश्व युद्ध क
े ववत्तपोर्षण
क
े लिए अमरीका से उदार ऋण लिया। चूंकक भारत एक अंग्रेिी उपनिवें  था, इसलिए इि ऋण ऋणों
का प्रभाव भारत में भी मिसूस ककया गया। त्रिटिं  सरकार िे करों, ब्याि दरों में वृवद्ध की, और
कॉिोिी से िरीदे गए उत्पादों की कीमतों को कम कर टदया। अप्रत्यि रूप से, िेककि दृिता से, इसिे
भारतीय अथटयवयवस्था और िोगों को प्रभाववत ककया।
Q8. मिामंदी क
े कारणों की यवयाख्या करें |
Answer. मिामंदी कई अिग-अिग कारकों का एक पररणाम था। युद्ध क
े र्बाद की वैजश्वक अथटयवयवस्था
कमिोर थी। इसक
े अिावा, कृ वर्ष अनत-उत्पादि एक उपद्रव सात्रर्बत िुआ, जिसे िाद्य अिाि की कीमतों
में धगरावि से र्बदतर र्बिाया गया था। इसका मुकार्बिा करिे क
े लिए, ककसािों िे अपिे वावर्षटक आय
को र्बिाए रििे क
े लिए उत्पादि र्बिािे और र्बािारों में और अधधक उपि िािे क
े लिए ं ुरू ककया।
इससे िाद्यातिों की ऐसी चमक पैदा िुई कक कीमतों में और धगरावि आई और कृ वर्ष उपि को सड़िे
क
े लिए छोड़ टदया गया। अधधकांं  दें ों िे अमेररका से ऋण लिया, िेककि अमेररकी ववदें ी ऋणदाता
उसी क
े र्बारे में सावधाि थे। िर्ब उतिोंिे ऋण की मात्रा कम कर दी, तो आधथटक रूप से अमेररकी ऋणों
पर निभटर दें ों को तीव्र संकि का सामिा करिा पड़ा। यूरोप में, इसिे त्रिटिं  पाउंड स्िलििंग िैसी
प्रमुि र्बैंकों और मुद्राओं की ववफिता का कारण र्बिा। अमेररकी अथटयवयवस्था की रिा क
े लिए, यूएसए
िे आयात ं ुल्क को दोगुिा कर टदया। इससे ववश्व यवयापार पररदृश्य त्रर्बगड़ गया। इि सभी कारकों िे
मिामंदी में योगदाि टदया। इसिे वैजश्वक ऋण प्रदाता और सर्बसे र्बड़े औद्योधगक राष्ट्र िोिे क
े कारण
यूएसए को सर्बसे अधधक प्रभाववत ककया।
Q9. िी-77 दें ों से आप क्या समझते िैं | िी-77 को ककस आधार पर त्रििेि वुड्स की िुड़वा संतािों
की प्रनतकक्रया किा िा सकता िै यवयाख्या करें |
Answer. G-77 दें  77 दें ों क
े समूि क
े लिए एक संक्षिप्त िाम िै जितिोंिे एक िए अंतराटष्ट्रीय
आधथटक आदें  ) की मांग की; एक ऐसी प्रणािी िो िव-उपनिवें वाद का लं कार ि िोकर, पूवट
औपनिवेलं क ं जक्तयों द्वारा ककए गए यवयापार में उपनिवें वाद का एक िया रूप िोिे क
े त्रर्बिा, उतिें
अपिे प्राकृ नतक संसाधिों पर वास्तववक नियंत्रण प्रदाि करेगी। G-77 को िेिि वुड्स ट्ववतस की
गनतववधधयों की प्रनतकक्रया क
े रूप में देिा िा सकता िै क्योंकक इि दोिों संस्थािों को औद्योधगक और
ववकलसत दें ों की ववत्तीय ज़रूरतों को पूरा करिे क
े लिए र्डज़ाइि ककया गया था, और इसक
े लिए
क
ु छ भी ििीं ककया गया था। पूवट उपनिवें ों और ववकासं ीि राष्ट्रों की आधथटक वृवद्ध।
v/;k; 4- vkS|ksxhdj.k dk ;qx
Q1. निम्िलिखित की यवयाख्या करें- (क) त्रििेि की मटििा कामगारों िे जस्पनिंग िेिी मं ीिों पर
िमिे ककए| (ि) 17 वीं ं ताब्दी में यूरोपीय ं िरों क
े सौदागर गांव में ककसािों और कारीगरों से काम
करवािे िगे | (ग) सूरत र्बंदरगाि 18 वीं सदी क
े अंत तक िालं ए पर पिुंच गया था | (घ) ईस्ि इंर्डया
क
ं पिी िे भारत में र्बुिकरों पर निगरािी रििे क
े लिए गुमाश्तों को नियुक्त ककया था |
Answer. (क) त्रििेि में मटििा श्रलमकों िे जस्पनिंग िेिी पर िमिा ककया क्योंकक इसिे कताई प्रकक्रया
को गनत दी, और पररणामस्वरूप, श्रम की मांग कम िो गई। इससे ऊिी उद्योग में काम करिे वािी
मटििाओं में र्बेरोज़गारी का एक वैध डर पैदा िो गया। अर्ब तक, वे िाथ से कताई करिे से र्बच गए थे,
िेककि इसे िई मं ीि द्वारा िरार्ब कर टदया गया था। (ि) सत्रिवीं ं ताब्दी में, यूरोप क
े ं िरों क
े
यवयापाररयों िे गााँवों क
े भीतर ककसािों और कारीगरों को नियुक्त करिा ं ुरू कर टदया क्योंकक
ं जक्तं ािी यवयापार धगल्ड की उपजस्थनत क
े कारण ं िरी िेत्रों में उत्पादि ििीं र्बिाया िा सकता था।
ये उत्पादि, नियंत्रत्रत कीमतों और प्रनतस्पधाट पर नियंत्रण र्बिाए रिते थे और यवयापार में िए िोगों क
े
प्रवें  को प्रनतर्बंधधत करते थे। एकाधधकार भी एक सामातय रणिीनत थी। ग्रामीण इिाकों में, ऐसे कोई
नियम ििीं थे, और गरीर्ब ककसािों िे इि यवयापाररयों का स्वागत ककया। (ग) भारत क
े साथ यवयापार में
यूरोपीय क
ं पनियों की र्बिती ं जक्त क
े कारण अठारिवीं ं ताब्दी क
े अंत तक सूरत क
े र्बंदरगाि में
धगरावि आई। उतिोंिे स्थािीय अदाितों से कई ररयायतें िालसि कीं और साथ िी यवयापार क
े
एकाधधकार को भी िालसि ककया। इसक
े कारण सूरत और िुगिी क
े पुरािे र्बंदरगािों में धगरावि आई,
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ििां से स्थािीय यवयापाररयों िे काम ककया था। नियाटत धीमा िो गया और यिां क
े स्थािीय र्बैंक
टदवालिया िो गए। (घ) कपड़ा कारोर्बार में मौिूदा यवयापाररयों और दिािों से मुक्त िोकर र्बुिकरों पर
अधधक प्रत्यि नियंत्रण स्थावपत करिे क
े लिए ईस्ि इंर्डया क
ं पिी िे भारत में र्बुिकरों की निगरािी क
े
लिए गोमाता की नियुजक्त की। गोमस्त वे सवेति सेवक थे िो र्बुिकरों की निगरािी करते थे, आपूनतट
एकत्र करते थे और कपड़े की गुणवत्ता की िांच करते थे। गोमास्थों िे यि सुनिजश्चत ककया कक कपड़ा
उद्योग क
े सभी प्रर्बंधि और नियंत्रण अंग्रेिों क
े अधीि आ गए। इससे प्रनतस्पधाट को ित्म करिे,
िागत को नियंत्रत्रत करिे और कपास और रें म उत्पादों की नियलमत आपूनतट सुनिजश्चत करिे में
मदद लमिी।
Q2. प्रत्येक वक्तयवय क
े आगे सिी या गित लििें - (क) 19 वी सदी क
े आखिर में यूरोप की क
ु ि
श्रमं जक्त का 80% तकिीकी रूप से ववकलसत औद्योधगक िेत्र में काम कर रिा था | (ि) 18 वीं सदी
तक मिीि कपड़े क
े अंतरराष्ट्रीय र्बािार पर भारत का दर्बदर्बा था | (ग) अमेररकी गृि युद्ध क
े
फिस्वरूप भारत क
े कपास नियाटत में कमी आई | (घ) फ्िाई ं िि क
े आिे से िथकरघा कामगारों की
उत्पादकता में सुधार िुआ |
Answer. (क) असत्य (ि) सत्य (ग) असत्य (घ) सत्य
Q3. पूवट-औद्योधगकरण का मतिर्ब र्बताएं ?
Answer. पूवट -औद्योधगकीकरण औद्योधगकीकरण का वि चरण िै िो कारिािे प्रणािी पर आधाररत
ििीं था। कारख़ािों क
े आिे से पििे, एक अंतरराष्ट्रीय र्बािार क
े लिए र्बड़े पैमािे पर औद्योधगक
उत्पादि था। औद्योधगक इनतिास क
े इस भाग को पूवट-औद्योधगकीकरण क
े रूप में िािा िाता िै।
Q1. 19वीं सदी क
े यूरोप में क
ु छ उद्योगपनत मं ीिों क
े िाथ से काम करिे वािे श्रलमकों को
प्राथलमकता क्यों देते थे?
Answer. उतिीसवीं ं ताब्दी क
े इंग्िैंड क
े क
ु छ उद्योगपनतयों िे मं ीिों पर िाथ से काम करिा पसंद
ककया क्योंकक र्बािार में कोई श्रलमक कमी ििीं थी, और पररणामस्वरूप, उच्च मिदूरी िागतों की कोई
समस्या ििीं थी। उद्योगपनत ऐसी मं ीिों क
े साथ िाथ श्रम को र्बदििा ििीं चािते थे, जििक
े लिए
र्बड़े पूाँिी निवें  की आवश्यकता िोगी। इसक
े अिावा, जिि उद्योगों में उत्पादि और आवश्यक श्रम की
मात्रा मौसमों पर निभटर थी, विां िाथ श्रम को उसकी कम िागत क
े लिए पसंद ककया गया था। इसक
े
अिावा, कई सामाि क
े वि िाथ से निलमटत ककए िा सकते थे। मं ीिें एक समाि उत्पाद की र्बड़े पैमािे
पर मात्रा प्रदाि कर सकती िैं। िेककि मांग िटिि र्डज़ाइि और आकार क
े लिए थी; इसक
े लिए मािव
कौं ि की आवश्यकता थी, ि कक यांत्रत्रक तकिीक की। िस्तनिलमटत उत्पाद भी ं ोधि और वगट की
जस्थनत क
े लिए िड़े थे। आमतौर पर यि मािा िाता था कक मं ीि-निलमटत सामाि कािोनियों क
े
नियाटत क
े लिए थे।
Q2. ईस्ि इंर्डया क
ं पिी िे भारतीय र्बुिकरों से सूती और रें मी कपड़े की नियलमत आपूनतट सुनिजश्चत
करिे क
े लिए क्या ककया ?
Answer. राििीनतक ं जक्त स्थावपत करिे क
े र्बाद, ईस्ि इंर्डया क
ं पिी िे भारतीय र्बुिकरों से ववलभति
प्रकार क
े कायों क
े माध्यम से सफितापूवटक सूती और रें मी वस्त्रों की नियलमत आपूनतट की। इि
कायों का उद्देश्य अतय औपनिवेलं क ं जक्तयों से प्रनतस्पधाट को समाप्त करिा, िागत को नियंत्रत्रत
करिा और त्रििेि क
े लिए कपास और रें म क
े सामािों की नियलमत आपूनतट सुनिजश्चत करिा था।
सर्बसे पििे, इसिे र्बुिकरों की देिरेि, आपूनतट इकट्ठा करिे और कपड़ा गुणवत्ता की िांच करिे क
े
लिए गोमस्त या सं ुल्क िौकर नियुक्त ककए। दूसरे, इसिे क
ं पिी क
े र्बुिकरों को अतय िरीदारों से
निपििे से रोक टदया। र्बुिकरों को कच्चे माि की िरीद क
े लिए अधग्रम देिे की प्रणािी द्वारा यि
पता िगाया गया था। िो िोग इि ऋणों को िेते थे, वे अपिा कपड़ा ककसी और को ििीं र्बेच सकते
थे, िेककि गोमास्थों को।
Q3. कल्पिा कीजिए कक आप को त्रििेि तथा कपास क
े इनतिास क
े र्बारे में ववश्वकों  क
े लिए िेि
लिििे को किा गया िै | इस अध्याय में दी गई िािकाररयों क
े आधार पर अपिा िेि लिखिए।
Answer. त्रििेि और कपास का इनतिास सत्रिवीं और अठारिवीं ं ताब्दी क
े दौराि, यवयापारी कपड़ा
उत्पादि में ग्रामीण िोगों क
े साथ यवयापार करते थे। एक कपड़ा एक ऊि स्िेपिर से ऊि िरीदता िै,
इसे जस्पिरों तक िे िाता िै, और कफर, उत्पादि क
े आगे क
े स्तरों क
े लिए यािट को र्बुिकरों, फ
ु िर और
िरीदारों क
े पास िे िाता िै। इि सामािों क
े लिए िंदि पररष्ट्करण क
ें द्र था। त्रिटिं  निमाटण क
े
इनतिास में इस चरण को प्रोिो-औद्योधगकीकरण क
े रूप में िािा िाता िै। इस चरण में, कारिािे
उद्योग का एक अनिवायट टिस्सा ििीं थे। इसक
े र्बिाय िो मौिूद था वि वाखणजज्यक आदाि-प्रदाि का
एक िेिवक
ट था। कारिािों क
े िए युग का पििा प्रतीक कपास था। उतिीसवीं ं ताब्दी क
े उत्तराधट में
इसका उत्पादि तेिी से र्बिा। कच्चे कपास का आयात 1760 में 2.5 लमलियि पाउंड से र्बिकर 1787 में
22 लमलियि पाउंड िो गया। कॉिि लमि और िई मं ीिों क
े आववष्ट्कार और एक छत क
े िीचे र्बेितर
प्रर्बंधि क
े कारण ऐसा िुआ। 1840 तक, औद्योधगकीकरण क
े पििे चरण में कपास प्रमुि िेत्र था।
कपड़ा उत्पादि िेत्र में अधधकांं  आववष्ट्कार श्रलमकों द्वारा अविेििा और घृणा क
े साथ ककए गए
क्योंकक मं ीिों िे कम श्रम और रोिगार की कम िरूरतों को निटित ककया। द जस्पनिंग िेिी एक
ऐसा िी आववष्ट्कार था। ऊिी उद्योग में मटििाओं िे ववरोध ककया और इसे िष्ट्ि करिे की मांग की
क्योंकक यि श्रम र्बािार में अपिी िगि िे रिा था। इस तरि की तकिीकी प्रगनत से पििे, त्रििेि िे
र्बड़ी संख्या में भारत से रें म और कपास का सामाि आयात ककया। भारत से िलित वस्त्र इंग्िैंड में
उच्च मांग में थे। िर्ब ईस्ि इंर्डया क
ं पिी िे राििीनतक ं जक्त प्राप्त की, तो उतिोंिे त्रििेि क
े िाभ क
े
लिए भारत में र्बुिकरों और कपड़ा उद्योग का ं ोर्षण ककया। र्बाद में, मैिचेस्िर कपास उत्पादि का
क
ें द्र र्बि गया। इसक
े र्बाद, भारत को त्रिटिं  कपास वस्तुओं क
े प्रमुि िरीदार क
े रूप में र्बदि टदया
गया। प्रथम ववश्व युद्ध क
े दौराि, त्रिटिं  कारिािे युद्ध की िरूरतों को पूरा करिे में र्बिुत यवयस्त थे।
इसलिए, भारतीय वस्त्रों की मांग एक र्बार कफर र्बि गई। त्रििेि में कपास का इनतिास मांग और
आपूनतट क
े ऐसे उतार-चिाव से भरा िुआ था।
SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th
Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC)
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Q4. पििे ववश्व युद्ध क
े समय भारत का औद्योधगक उत्पादि क्यों र्बिा ?
Answer. प्रथम ववश्व युद्ध क
े दौराि भारत में औद्योधगक उत्पादि में वृवद्ध िुई क्योंकक त्रिटिं  लमिें
युद्ध की ज़रूरतों को पूरा करिे में यवयस्त िो गईं। मैिचेस्िर आयात में कमी आई, और भारतीय लमिों
को अचािक आपूनतट करिे क
े लिए एक र्बड़ा घर र्बािार था। र्बाद में, उतिें िूि र्बैग, सेिा की वदी क
े
लिए कपड़ा, िेंि, चमड़े क
े िूते, काठी और अतय सामािों की आपूनतट करिे क
े लिए किा गया। इतिी
मांग थी कक पुरािे कारख़ािों को कई लं फ्िों में चिािे पर भी िए कारिािे िगािे पड़े। िए श्रलमकों
और िंर्बे समय तक काम क
े घंिों क
े साथ औद्योधगक उत्पादि में उछाि आया।
v/;k; 5- eqnz.k laLd`fr vkSj vk/kqfud nqfu;k
Q1. निम्िलिखित क
े कारण दें- (क) वुडब्िॉक वप्रंि या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 क
े र्बाद आई |
(ि) माटिटि िूथर मुद्रण क
े पि में था और उसिे इसकी िुिे आम प्रं ंसा की | (ग) रोमि क
ै थोलिक
चचट िे सोिवीं सदी क
े मध्य से प्रनतर्बंधधत ककतार्बों की सूची रििी ं ुरू कर दी | (घ) मिात्मा गांधी िे
किा कक स्वराि की िड़ाई दरअसि अलभयवयजक्त, प्रेस और सामूटिकता क
े लिए िड़ाई िै|
Answer. (क) वुडब्िॉक वप्रंि का आववष्ट्कार चीि में छठी ं ताब्दी क
े आसपास िुआ था। यि माको
पोिो क
े साथ 1295 में यूरोप में आया। माको पोिो चीि में कई वर्षों की िोि क
े र्बाद इििी िौिे और
उतिोंिे अपिी वापसी पर वुडब्िॉक वप्रंि का ज्ञाि अपिे साथ िाया। (ि) माटिटि िूथर वप्रंि क
े पि में
थे और इसकी प्रं ंसा में र्बोिते थे क्योंकक वप्रंि मीर्डया िे अपिे ववचारों को िोकवप्रय र्बिािे और
फ
ै िािे में मदद की। 1517 में, उतिोंिे रोमि क
ै थोलिक चचट की प्रथाओं और रीनत-ररवाज़ों की आिोचिा
करते िुए िब्र्बे फाइव धथलसस लििा। इि िेिि को तुरंत र्बड़ी संख्या में पुि: प्रस्तुत ककया गया और
यवयापक रूप से पिा गया। तयू िेस्िामेंि क
े उिक
े अिुवाद को भी ििारों िोगों िे स्वीकार ककया और
पिा। यि क
े वि वप्रंि तकिीक में सुधार क
े कारण िी संभव िो पाया था, जिसिे कामकािी वगों को
पुस्तकों तक पिुंच प्राप्त करिे की अिुमनत दी थी। (ग) रोमि क
ै थोलिक चचट िे सोििवीं ं ताब्दी क
े
मध्य से निवर्षद्ध पुस्तकों का एक सूचकांक रििा ं ुरू कर टदया क्योंकक इसक
े अधधकार को कई
यवयजक्तगत और ववलं ष्ट्ि रीर्डंग और ववश्वास क
े सवािों द्वारा आसािी से सुिभ िोकवप्रय धालमटक
साटित्य द्वारा ितरे में डाि टदया गया था। इसक
े क
ै थोलिक चचट िे जिज्ञासु ववचारों और इसक
े दमि
क
े पूरक क
े लिए, प्रकां कों और र्बुकसेिरों पर कठोर नियंत्रण ककया, और 1558 से प्रनतर्बंधधत पुस्तकों
का सूचकांक भी रििा ं ुरू ककया। (घ) गांधी िे किा कक स्वराि की िड़ाई भार्षण की स्वतंत्रता, प्रेस
की स्वतंत्रता और संघ की स्वतंत्रता क
े लिए िड़ाई िै क्योंकक वि इतिें अलभयवयजक्त और िि मािस
की साधिा का सं क्त माध्यम मािते थे। इि स्वतंत्रताओं का िंडि स्व-ं ासि और स्वतंत्रता क
े
ववचार क
े अिुक
ू ि ििीं था। इसलिए, उसक
े अिुसार इि स्वतंत्रता क
े लिए िड़ाई, स्वराि या स्व ं ासि
क
े लिए आंतररक रूप से िड़ाई थी।
Q2. छोिी टिप्पणी में इिक
े र्बारे में र्बताएं- (क)गुिेिर्बगट प्रेस (ि)छपी ककतार्ब को िेकर इरैस्मस क
े
ववचार (ग) विाटक्यूिर या देसी प्रेस एक्ि
Answer. (क) गुिेिर्बगट प्रेस: इसकी स्थापिा िोिाि गुिेिर्बगट िे की थी। 1448 तक, उतिोंिे समकािीि
तकिीकी िवाचारों का उपयोग करते िुए, िैतूि और वाइि प्रेस क
े साथ मुद्रण की प्रणािी को पूरा
ककया था। पििी ककतार्ब िो उतिोंिे छापी वि थी र्बाइर्बि, 3 साि में 180 प्रनतयााँ। िािााँकक इि
पुस्तकों को मुटद्रत ककया गया था, िेककि सामिे क
े पृष्ट्ठ, प्रर्बुद्ध सीमाओं और क्र
े ता-निटदटष्ट्ि र्डज़ाइिों
की िस्तनिलमटत सिावि में एक अिूठा स्पं ट र्बिा रिा। गुिेिर्बगट प्रेस 1430 क
े दं क में पििा ज्ञात
वप्रंटिंग प्रेस था। (ि) इरैस्मस क
े मुटद्रत पुस्तक क
े ववचार: वि वप्रंि माध्यम क
े आिोचक थे। उिका
माििा था कक िािांकक क
ु छ पुस्तक
ें साथटक ज्ञाि प्रदाि करती िैं, िेककि अतय क
े वि छात्रवृजत्त क
े
लिए एक प्रनतर्बंध िैं। इरास्मस िे उि पुस्तकों को प्रकालं त करिे का आरोप िगाया, िो मिि त्रासद
ििीं थीं, र्बजल्क "मूिट, निंदिीय, निंदिीय, असभ्य, अधालमटक और दें द्रोिी" थीं। उतिोंिे यि भी मिसूस
ककया कक र्बड़ी संख्या में ऐसी ककतार्बें गुणवत्ता िेिि क
े मूल्य को कम करती िैं। (ग) विाटक्युिर प्रेस
एक्ि: आइररं  प्रेस िॉज़ पर आधाररत, इसे 1878 में पाररत ककया गया था। इस कािूि िे सरकार को
विाटक्यूिर प्रेस में सेंसर ररपोिट और संपादकीय क
े लिए अत्याचारी अधधकार टदए। यटद एक दें द्रोिी
ररपोिट प्रकालं त की गई थी और अिर्बार िे ं ुरुआती चेताविी पर ध्याि ििीं टदया था, तो प्रेस को
िब्त कर लिया गया था और वप्रंटिंग मं ीिरी को िब्त कर लिया गया था। यि अलभयवयजक्त की
स्वतंत्रता का पूणट उल्िंघि था।
Q3. 19 वीं सदी में भारत में मुद्रण संस्कृ नत क
े प्रसार का इिक
े लिए क्या मतिर्ब था (क) मटििाएं
(ि) गरीर्ब ििता (ग) सुधारक
Answer. (क) मटििाएं: उतिीसवीं ं ताब्दी क
े भारत में वप्रंि संस्कृ नत क
े प्रसार िे मटििाओं क
े लिए
ं ैक्षिक सुधार िाए। उदार पनत और वपता िे अपिे मटििाओं को घर पर लं क्षित ककया या उतिें
मटििाओं क
े लिए स्क
ू िों में भेिा। िो मटििाएं पीटियों से घरेिू िीवि तक सीलमत थीं, अर्ब उतिें
मिोरंिि का एक िया माध्यम लमि गया िै। उतिोंिे मटििाओं की लं िा और सािरता क
े पि में,
पत्रत्रकाओं क
े लिए िेि लिििा भी ं ुरू ककया। क
ु छ िे ककतार्बें भी लििीं; रां सुंदरी देवी की आत्मकथा
"अमर िीवि" पििी पूणट आत्मकथा थी, जिसे 1876 में प्रकालं त ककया गया था। परंपरावाटदयों का
माििा था कक लं िा और पठि मटििाओं को ववधवा र्बिा देगा, या उतिें भ्रष्ट्ि कर देगा। कई मटििाओं
िे ऐसे परंपरावादी वातावरण में गुप्त रूप से पििा और लिििा सीिा। (ि) गरीर्ब ििता : कम
कीमत की पुस्तकों और सावटिनिक पुस्तकाियों की उपिब्धता क
े कारण भारत में वप्रंि संस्कृ नत क
े
प्रसार से उतिें िाभ िुआ। िानतगत भेदभाव और उसक
े निटित अतयाय क
े खििाफ ज्ञािवधटक निर्बंध
लििे गए। इतिें दें भर क
े िोगों िे पिा था। समाि सुधारकों क
े प्रोत्सािि और समथटि पर, अधधक
काम करिे वािे कारिािे क
े श्रलमकों िे स्व-लं िा क
े लिए पुस्तकािय स्थावपत ककए, और उिमें से
क
ु छ िे अपिे स्वयं क
े कायों को भी प्रकालं त ककया, उदािरण क
े लिए, कां ीर्बार्बा | (ग) सुधारक: वप्रंि
संस्कृ नत की िोकवप्रयता सामाजिक और धालमटक सुधारकों क
े लिए एक िाभ थी क्योंकक वे अर्ब अपिी
राय अिर्बारों और पुस्तकों क
े माध्यम से, आम ििता में फ
ै िा सकते थे। इि ववचारों पर िोगों क
े
ववलभति समूिों द्वारा र्बिस की िा सकती िै। आम िोगों की स्थािीय, रोज़मराट की भार्षाओं में
सुधारवादी ववचारों को आगे रिा गया ताकक उसी क
े लिए एक यवयापक मंच र्बिाया िा सक
े ।
SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th
Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC)
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Q1. 18 वीं सदी क
े यूरोप में क
ु छ िोग को क्यों ऐसा िगता था कक मुद्रण संस्कृ नत से निरंक
ु ं वाद का
अंत और ज्ञािोदय िोगा ?
Answer. 18 वीं सदी क
े यूरोप में क
ु छ िोगों िे सोचा था कक वप्रंि संस्कृ नत आत्मज्ञाि िाएगी और
निरां ा को समाप्त करेगी। इसकी आसाि और सस्ती उपिब्धता का मतिर्ब था कक सािरता अर्ब
उच्च वगों तक सीलमत ििीं रिेगी। िर्बकक पादरी और रािाओं को इस र्बात की आं ंका थी कक एक
ववं ाि पठि ििता को िाभ िोगा, माटिटि िूथर िैसे सुधारकों िे पररवतटि का स्वागत ककया। उतिें
िगा कक यि ं ासकों की ववचारधारा क
े अंधे पािि का अंत िोगा। यि फ्रांसीसी क्रांनत में भी देिा िा
सकता िै। वप्रंि माध्यम िे स्वतंत्रता, समािता और भाईचारे क
े आदं ों को रूसो और वोल्िेयर द्वारा
उिक
े िेिि में ििता तक पिुंचिे की अिुमनत दी। इसिे संवाद और र्बिस की एक िई संस्कृ नत का
निमाटण ककया जिसिे श्रलमक वगट को सामाजिक रीनत-ररवािों और मािदंडों का मूल्यांकि और
पुिमूटल्यांकि करिे की पिि की। कारण यि िै कक ििता िे सामाजिक सुधार की पिि की, और
निरंक
ु ं ता का अंत ककया।
Q3. 19 वी सदी में भारत में गरीर्ब ििता पर मुद्रण संस्कृ नत का क्या असर िुआ ?
Answer. गरीर्ब िोगों को कम कीमत की पुस्तकों और सावटिनिक पुस्तकाियों की उपिब्धता क
े
कारण भारत में मुद्रण संस्कृ नत क
े प्रसार से िाभ िुआ। िानतगत भेदभाव और उसक
े निटित अतयाय
क
े खििाफ ज्ञािवधटक निर्बंध लििे गए। इतिें दें भर क
े िोगों िे पिा था। समाि सुधारकों क
े
प्रोत्सािि और समथटि पर, अधधक काम करिे वािे कारिािे क
े श्रलमकों िे स्व-लं िा क
े लिए
पुस्तकािय स्थावपत ककए, और उिमें से क
ु छ िे अपिे स्वयं क
े कायों को भी प्रकालं त ककया, उदािरण
क
े लिए, कां ीर्बार्बा और उिक
े "छोिे और र्बडे का सांवि"।
Q4. मुद्रण संस्कृ नत िे भारत में राष्ट्रवाद क
े ववकास में क्या मदद की?
Answer. वप्रंि संस्कृ नत िे राष्ट्रवादी आदं ों और स्वतंत्रता और समािता क
े ववचारों को िि-िि तक
आसािी से पिुाँचाकर भारत में राष्ट्रवाद क
े ववकास में सिायता की। समाि सुधारक अर्ब अिर्बारों में
अपिी राय छाप सकते िैं, जिससे सावटिनिक र्बिस नछड़ गई। कारण की ं जक्त िे आम िोगों को
औपनिवेलं क सत्ता क
े अधधकार पर सवाि उठाया। टदिचस्प र्बात यि िै कक िर्ब अंग्रेिों िे वप्रंि
मीर्डया को सेंसर करिे और नियंत्रत्रत करिे की कोलं ं  की, तर्ब दें  में िर िगि राष्ट्रवादी अिर्बार
संख्या में र्बि गए। उतिोंिे औपनिवेलं क क
ु ं ासि की सूचिा दी और िोगों को राष्ट्रवादी गनतववधधयों
में भाग िेिे क
े लिए प्रोत्साटित ककया। उपनिवें वाद-ववरोधी प्रकां िों को रोकिे की कोलं ं ों से
उग्रवादी ववरोध भी िुआ।

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  • 1. SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) Hkkjr vkSj ledkyhu fo”o v/;k; 1- ;wjksi esa jk’Vªokn dk mn; 1. निम्िलिखित पर टिप्पणी लििें- (क) ज्युसेपे मेजििी (ि) काउंि क ै लमिो दे कावूर (ग) यूिािी स्वतंत्रता युद्ध (घ) फ्र ैं कफिट संसद (ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में मटििाओं की भूलमका उत्तर (क) ज्युसेपे मेजििी इििी क े क्रजततकारी थे। उिका ितम 1807 में िेिोवा में िुआ था। वे कार्बोिारी क े गुप्त संगठि क े सदस्य र्बि गए और 24 साि की युवावस्था में लिगुररया में क्रांनत करिे क े लिए र्बटिष्ट्कृ त कर टदया गया। उतिोंिे दो भूलमगत संगठिों की स्थापिा की, पििा था मसोई में यंग इििी और दूसरा र्बिट में यंग यूरोप. इििी क े एकीकरण में मेजििी की मित्वपूणट भूलमका रिी। उतिोंिे रािततत्र का घोर ववरोध करक े और प्रिाताजतत्रक गणतंत्रों क े स्वप्ि से रूटिवाटदयों को िराया। (ि) काउंि क ै लमिो दे कावूर सार्डटिीया-पीडमॉति का मंत्री प्रमुि था जिसिे इििी क े प्रदें ों को एकीकृ त करिे वािे आंदोिि का िेतृत्व ककया। वि िा तो एक क्रजततकारी था और िा िी िितंत्र में ववश्वास करिे वािा। इतािवी अलभिात वगट क े तमाम अमीर और लं क्षित सदस्यों की तरि वि इतािवी भार्षा से किीं र्बेितर फ़्र ें च र्बोिता था। फ़्रांस से सार्डटिीया-वपडमॉति की एक चतुर क ू ििीनतक संधध, जिसक े पीछे कावूर का िाथ था, से सार्डटिीया-वपडमॉति 1859 में ऑजस्रयाई र्बिों को िरा पािे में कामयार्ब िुआ, इससे इििी का उत्तरी भाग िो ऑजस्रयाई िैब्सवगों क े अधीि था मुक्त िुआ। (ग) 1821 में यूरोप में क्रजततकारी राष्ट्रवाद की प्रगनत से यूिानियों का आिादी क े लिए संघर्षट आरंभ िो गया। प्राचीि यूिािी संस्कृ नत क े प्रनत सिािुभूनत रििे वािे पजश्चमी यूरोप क े िोगों का समथटि पाकर यूिािी राष्ट्रवाटदयों िे मुजस्िम साम्राज्य क े ववरुद्ध यूिाि क े संघर्षट क े लिए ििमत िुिाया। अंततः 1832 की क ु स्तुततुनिया की संधध िे यूिाि को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मातयता दी। (घ) 1848 में िमटि इिाकों में र्बड़ी संख्या में राििीनतक संगठिों िे फ्र ैं कफिट ं िर में लमिकर एक सवट-िमटि िें िि असेंर्बिी क े पि में मतदाि करिे का फ ै सिा ककया। 18 मई 1848 को 831 निवाधचटत प्रनतनिधधयों िे फ्र ैं कफिट संसद में अपिा स्थाि ग्रिण ककया। यि संसद सेंि पॉि चचट में आयोजित िुई। इसमें िमटि राष्ट्र क े लिए एक संववधाि का प्रारूप तैयार ककया गया। इस राष्ट्र की अध्यिता एक ऐसे रािा को सौंपी गई जिसे संसद क े अधीि रििा था। िर्ब प्रनतनिधधयों िे प्रं ा क े रािा को ताि पििािे की पें कं की तो उसिे उसे अस्वीकार कर उि रािाओं का साथ टदया िो निवाटधचत सभा क े ववरोधी थे। ििााँ क ु िीि वगट और सेिा का ववरोध र्बि गया, विीं संसद का सामाजिक आधार कमिोर िो गया। संसद में मध्य वगों का प्रभाव अधधक था जितिोंिे मिदूरों और कारीगरों क े मााँग का ववरोध ककया जिससे वे उिका समथटि िो र्बैठे। अंत में सैनिकों को र्बुिाकर एसेम्र्बिी को भंग कर टदया गया। (ङ) उदारवादी आंदोिि क े अंदर मटििाओं को रािनिनतक अधधकार प्रदाि करिे का मुद्दा वववादस्पद था िािााँकक आतदोिि में वर्षों से र्बड़ी संख्या में मटििाओं िे सकक्रय रूप से भाग लिया। उतिोंिे अपिे राििीनतक संगठि स्थावपत ककये, अख़र्बार ं ुरू ककये, और राििीनतक र्बैठकों और प्रदं टिों में लं रकत की। इसक े र्बाविूद उतिें एसेंर्बिी क े चुिाव क े दौराि मताधधकार से वंधचत रिा गया था। िर्ब सेंि पॉि चचट में फ़्र ैं कटिट संसद की सभा आयोजित की गई थी तर्ब मटििाओं को क े वि प्रेिकों की िैलसयत से दं टक-दीघाट में िड़े िोिे टदया गया। 2. फ्रांसीसी िोगों क े र्बीच सामूटिक पिचाि का भाव पैदा करिे क े लिए फ्रांसीसी क्रांनतकाररयों िे क्या कदम उठाये? उत्तर -फ्रांसीसी क्रांनतकाररयों िे ऐसे अिेक कदम उठाये जििसे फ्रांसीसी िोगों में एक सामूटिक भाविा पैदा िो सकती थी, वे इस प्रकार िैं - • वपतृभूलम और िागररक िैसे ववचारों िे एक संयुक्त समुदाय क े ववचार पर र्बि टदया, जिसे एक संववधाि क े अंतगटत समाि अधधकार प्राप्त थे। • एक िए फ्रांसीसी झंडे- नतरंगा को चुिा गया जिसिे पििे क े रािध्वि की िगि िे िी। • इस्िेि िेिरि का चुिाव सकक्रय िागररकों क े समूि द्वारा ककया िािे िगा और उसका िाम र्बदिकर िें िि एसेंर्बिी कर टदया गया। • ियी स्तुनतयााँ रची गईं, ं िीदों का गुणगाि िुआ - और यि सर्ब राष्ट्र क े िाम पर िुआ। • एक क ें द्रीय प्रं ासनिक यवयवस्था िागू की गई जिसिे अपिे भू-भाग में रििे वािे सभी िागररकों क े लिए समाि कािूि र्बिाए। • िेत्रीय र्बोलियों को ितोत्साटित ककया गया और पेररस में फ्र ें च िैसी र्बोिी और लििी िाती थी, विी राष्ट्र की साझा भार्षा र्बि गयी। 3. मारीआि और िमेनिया कौि थे? जिस तरि उतिें धचत्रत्रत ककया गया उसका क्या मित्व था? उत्तर मारीआि और िमेनिया क्रमं ः फ़्रांस और िमटिी राष्ट्र की मटििा रूपक थीं। उतिीसवीं सदी में फ्रांसीसी क्रांनत क े दौराि किाकारों िे स्वतंत्रता, तयाय और गणतंत्र िैसे ववचारों को यवयक्त करिे क े लिए िारी रूपक का प्रयोग ककया। मारीयाि क े धचह्ि स्वतंत्रता और गणतंत्र क े थे िैसे कक-िाि िोपी, नतरंगा और किगी. इसी तरि िमेनिया भी र्बिूत वृि क े पत्तों का मुक ु ि पििती िै क्योंकक िमटि र्बिूत वीरता का प्रतीक िै। 4. िमटि एकीकरण की प्रकक्रया का संिेप में पता िगाएाँ। उत्तर राष्ट्रवादी भाविाएाँ मध्यवगीय िमटि िोगों में काटी यवयाप्त थीं और उतिोंिे 1848 में उदारवाटदयों िे िमटि मिासंघ क े ववलभति इिाकों को िोड़ कर एक निवाटधचत संसद द्वारा ं ालसत राष्ट्र-राज्य र्बिािे का प्रयास ककया था। मगर रािं ािी और फौिी ताकतों द्वारा राष्ट्र निमाटण की यि
  • 2. SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) पिि प्रं ा क े मदद से दर्बा दी गई। र्बाद में प्रं ा िे राष्ट्रीय एकीकरण क े आतदोिि का िेतृत्व साँभाि लिया। प्रं ा का प्रमुि मंत्री ऑिो वॉि त्रर्बस्माक ट िे प्रं ा की सेिा और िौकरं ािी की मदद से साथ वर्षट क े दौराि ऑजस्रया, डेिमाक ट , और फ्रांस से तीि युद्धों में वविय प्राप्त की तथा िमटिी क े एकीकरण की प्रकक्रया पूरी की। ििवरी 1871 में, वसाटय में िुए एक सामरोि में प्रं ा क े रािा ववलियम प्रथम को िमटिी का सम्राि घोवर्षत ककया गया। 5. अपिे ं ासि वािे िेत्रों में ं ासि यवयवस्था को ज्यादा क ु ं ि र्बिािे क े लिए िेपोलियि िे क्या र्बदिाव ककए? उत्तर अपिे ं ासि वािे िेत्रों में ं ासि यवयवस्था को ज्यादा क ु ं ि र्बिािे क े लिए िेपोलियि िे निम्िलिखित र्बदिाव ककए - • िेपोलियि िे 1804 की िागररक संटिता जिसे आमतौर पर 'िेपोलियि की संटिता' क े िाम से िािा िाता िै को िागू ककया, जिसक े तित ितम पर आधाररत ववं ेर्षाधधकार समाप्त कर टदए गए। उसिे क़ािूि क े समि र्बरार्बरी संपजत्त क े अधधकार को सुरक्षित र्बिाया। • डच गणतंत्र, स्वीििरिैंड, इििी और िमटिी में िेपोलियि िे प्रं ासनिक ववभाििों को सरि र्बिाया, सामंती यवयवस्था को समाप्त ककया और ककसािों भू-दासत्व और िागीरदारी ं ुल्कों से मुजक्त टदिाई। • ं िरों में भी कारीगरों क े श्रेणी-संघों क े नियंत्रणों को ििा टदया गया। यातायात और संचार-यवयवस्था को सुधार गया। चचचा करें: 1. उदारवाटदयों की 1848 की क्रांनत का क्या अथट िगाया िाता िै? उदारवाटदयों िे ककि राििीनतक, सामाजिक एवं आधथटक ववचारों को र्बिावा टदया? उत्तर 1848 में िर्ब अिेक यूरोपीय दें ों में गरीर्बी, र्बेरोिगारी और भुिमरी से ग्रस्त ककसाि-मिदूर ववद्रोि कर रिे थे तर्ब विां क े उदारवादी मध्यवगों क े स्त्री-पुरूर्षों िे संववधािवाद की मााँग को राष्ट्रीय एकीकरण क े मााँग से िोड़ टदया। उतिोंिे र्बिते िि असंतोर्ष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र-राज्य क े मााँग क े निमाटण की मााँगों को आगे र्बढाया। इस आतदोिि में उदारवाटदयों िे राष्ट्र-राज्य संववधाि, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठि र्बिािे की आिादी मे िैसे संसदीय लसद्धाततों को आधार र्बिाया। उदारवादी आतदोिि क े अतदर मटििाओं को राििीनतक अधधकार प्रदाि करिे का मुद्दा उठाया गया। 2. यूरोप में राष्ट्रवाद क े ववकास में संस्कृ नत क े योगदाि को दं ाटिे क े लिए तीि उदिारण दें। उत्तर राष्ट्रवाद क े ववकास में संस्कृ नत िे अिम भूलमका निभाई- (क) पोिैंड में पोलिं भार्षा को रूसी प्रभुत्व क े ववरूद्ध संघर्षट क े प्रनतक क े रूप में देिी िािे िगी। (ि) स्थािीय र्बोलियों पर र्बि और स्थािीय िोक-साटित्य को एकत्र कर आधुनिक राष्ट्रीय सतदें को ज्यादा िोगों तक पिुाँचाया गया, जििमे से अधधकांं निरिर थे। (ग) फ्रांस में एक िी भार्षा को र्बिावा देिे से विां क े िोगों को एक राष्ट्र क े रूप में पिचाि ववकलसत करिे में काफी मदद लमिी। 3. ककतिीं दो दें ों पर ध्याि क े जतद्रत करते िुए र्बताएाँ कक उतिीसवीं सदी में राष्ट्र ककस प्रकार ववकलसत िुए? उत्तर 1821 में यूरोप में क्रजततकारी राष्ट्रवाद की प्रगनत से यूिानियों का आिादी क े लिए संघर्षट आरंभ िो गया।राष्ट्रवाटदयों िे प्राचीि यूिािी संस्कृ नत क े समथटकों क े साथ लमिकर एक मुजस्िम साम्राज्य क े खििाफ यूिाि क े संघर्षट क े लिए ििमत िुिाया। 1832 में यूिाि को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मातयता प्राप्त िुई। प्रं ा क े मंत्री प्रमुि ऑिो वॉि त्रर्बस्माक ट क े िेतृत्व में िमटिी क े एकीकरण की प्रकक्रया पूरी िुई। उसिे प्रं ा की सेिा और िौकरं ािों की मदद से फ्रांस, ऑजस्रया और डेिमाक ट को िराकर िीत िालसि की और िए एकीकृ त िमटि राष्ट्र की स्थापिा की। 4. त्रििेि में राष्ट्रवाद का इनतिास ं ेर्ष यूरोप की तुििा में ककस प्रकार लभति था? उत्तर त्रििेि में राष्ट्रवाद का इनतिास ं ेर्ष यूरोप की तुििा में इस प्रकार लभति था। अठारिवीं सदी से पििे त्रितािी राष्ट्र था िी ििीं। त्रिटिं द्वीप मुख्य रूप से चार भागों में र्बंिा था- अंग्रेि, वेल्ं , स्कॉि और आयररं तथा िरेक की अपिी सांस्कृ नतक और राििीनतक परम्पराएाँ थीं। आंग्ि राष्ट्र धि- दौित और सत्ता क े वृवद्ध क े साथ-साथ द्वीप क े अतय सभी राष्ट्रों पर अपिा प्रभुत्व र्बििे में सफि िुआ। 1688 में आंग्ि संसद िे रािततत्र से ताकत छीिकर एक राष्ट्र-राज्य की स्थापिा की। कफर इंग्िैंड और स्कॉििैंड क े र्बीच एक्ि ऑट यूनियि (1707) से ‘यूिाइिेड ककं गडम ऑट ग्रेि त्रििेि’ का गठि िुआ। 5. र्बाल्कि प्रदें ों में राष्ट्रवादी तिाव क्यों पिपा? उत्तर र्बाल्कि िेत्र क े अंतगटत आधुनिक रोमानिया, र्बुल्गाररया, अल्र्बेनिया, यूिाि, मेलसडोनिया, क्रोएलसया, र्बोजस्िया-ििेगोवविा, स्िोवेनिया, सत्रर्बटया और मोंिीनिग्रो आते थे। इस िेत्र का एक र्बड़ा टिस्सा ओिोमि साम्राज्य क े नियंत्रण में था। इि िेत्र क े निवालसयों को आमतौर पर स्िाव क े िाम से पुकारा िाता था। ववलभति स्िाव राष्ट्रीय समूिों क े अपिी पिचाि और स्वतंत्रता की पररभार्षा तय करिे की कोलं ं क े कारण र्बाल्कि िेत्र िकराव का िेत्र र्बि गया। रूमािी राष्ट्रवाद क े ववचारों क े फ ै ििे और ओिोमि साम्राज्य क े ववघिि से जस्थनत ववस्फोिक िो गयी थी। साथ िी इि िेत्रों में र्बड़ी ं जक्तयों क े र्बीच ताकत िधथयािे क े लिए िर्बरदस्त िड़ाई िारी थी। यिी र्बाल्कि िेत्र में राष्ट्रवादी तिाव पिपिे का कारण र्बिा। v/;k; 2- Hkkjr esa jk’Vªokn Q1. यवयाख्या करें - ) क ( उपनिवें ो में राष्ट्रवाद क े उदय की प्रकक्रया उपनिवें वाद ववरोधी आंदोिि से िुड़ी िुई क्यों थी| (ि ( पििे ववश्व युद्ध में भारत िे राष्ट्रीय आंदोिि क े ववकास में ककस प्रकार योगदाि टदया ) ग ( भारत क े िोग रौिि एक्ि क े ववरोध में क्यों थे ) घ ( गांधी िी िे असियोग आंदोिि को वापस िेिे का फ ै सिा क्यों लिया?
  • 3. SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) Answer. (क ( उपनिवें वाद िे िोगों की स्वतंत्रता को प्रभाववत ककया , और साम्राज्यवादी वचटस्व क े खििाफ संघर्षट की प्रकक्रया क े दौराि राष्ट्रवादी भाविाओं में वृवद्ध िुई। उत्पीड़ि और ं ोर्षण की भाविा ववलभति िेत्रों क े िोगों क े लिए एक आम र्बंधि र्बि गई, और इसक े पररणामस्वरूप राष्ट्रवादी आदं ों की वृवद्ध िुई। इस प्रकार, उपनिवें ों में राष्ट्रवाद का ववकास उपनिवें ववरोधी आंदोििों से िुड़ा िुआ िै। ) ि ( प्रथम ववश्व युद्ध क े दौराि , त्रिटिं सेिा िे भारत में ग्रामीण िेत्रों से िर्बरि भती की। रिा यवयय को ववत्त करिे क े लिए, उच्च कस्िम कतटयवयों और आय करों को िगाया गया था। इसक े अिावा, इस दौराि भारत क े कई टिस्सों में फसिें िरार्ब िुईं, जिससे िाद्याति की कमी िुई। यि सर्ब त्रिटिं औपनिवेलं क ं ासि क े खििाफ यवयापक क्रोध और ववरोध का कारण र्बिा, और भारत का राष्ट्रीय आंदोिि एक मिर्बूत, अधधक निजश्चत टदं ा की ओर अग्रसर िुआ। ) ग ( रोिेि एक्ि को भारतीय सदस्यों क े ववरोध क े र्बाविूद इम्पीररयि िेजिस्िेटिव काउंलसि क े माध्यम से िल्दर्बािी में पाररत ककया गया। इसिे सरकारी निरंक ु ं ं जक्तयों को दो साि तक त्रर्बिा ककसीमुकदमे क े राििीनतक क ै टदयों को रििे की अिुमनत देिे क े अिावा राििीनतक गनतववधधयों को दर्बािे क े लिए टदया। इस अधधनियम से भारतीय िाराज़ थे, क्योंकक यि स्पष्ट्ि रूप से अिोकतांत्रत्रक और दमिकारी था, और राष्ट्रीय भाविाओं और गररमा को चोि पिुंचाई। ) घ ( गांधी िी िे 1922 में ििता द्वारा टिंसा की ववलभति घििाओं क े कारण असियोग आंदोिि को वापस िेिे का निणटय लिया, ववं ेर्षकर चौरी चौरा की घििा ििााँ िोगों िे पुलिस क े साथ झड़प की, एक पुलिस - स्िें ि को आग िगा दी। गााँधीिी िे मिसूस ककया कक िोग अभी तक एक र्बड़े संघर्षट क े लिए तैयार ििीं थे, और सत्याग्रटियों को अटिंसक प्रदं टिों क े लिए ठीक से प्रलं क्षित िोिे की आवश्यकता थी। Q2. सत्याग्रि क े ववचार का क्या मतिर्ब िै? Answer. सत्याग्रि का ववचार िि आंदोिि की एक अिूठी ववधध का अथट िै िो सत्य की ं जक्त पर िोर देता िै, और सत्य की िोि करिे की आवश्यकता िै। यि इस ववश्वास को र्बिाता िै कक यटद कारण सत्य िै और िड़ाई अतयाय क े खििाफ िै, तो उत्पीड़क क े खििाफ ं ारीररक र्बि या ज़र्बरदस्ती की आवश्यकता ििीं िै। सत्याग्रि अटिंसक आंदोिि का पयाटय िै, ििां तयाय की िोि क े लिए उत्पीड़क की अंतरात्मा की आवाज़ पर अपीि की िाती िै। गााँधीिी का माििा था कक अटिंसा का यि धमट राष्ट्रीय एकता और सद्भाव का कारण िो सकता िै। Q3. निम्िलिखित पर अिर्बार क े लिए ररपोिट लििें – (क) िलियााँवािा र्बाग ित्याकांड (ि) साइमि कमीं ि Answer. (क) िलियााँवािा र्बाग ित्याकांड — 13 अप्रैि, 1919 को ििरि डायर िे िलियााँवािा र्बाग क े संिग्ि मैदाि से निकास त्रर्बंदुओं को अवरुद्ध कर टदया, ििााँ र्बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठा िो गई थी - क ु छ िोग त्रिटिं सरकार क े दमिकारी उपायों क े ववरोध में, अतय िोग वावर्षटक र्बैसािी मेिे में भाग िेिे क े लिए । डायर का उद्देश्य "िैनतक प्रभाव पैदा करिा" और सत्याग्रटियों को आतंककत करिा था। त्रिटिं सैनिकों द्वारा की गई अंधाधुंध गोिीर्बारी में इस टदि मटििाओं और र्बच्चों सटित सैकड़ों निदोर्ष िोग मारे गए। इसक े कारण र्बड़े पैमािे पर िमिे िुए, पुलिस क े साथ झड़पें िुईं और क्रोधधत भारतीय िोगों द्वारा सरकारी इमारतों पर िमिे ककए गए। (ि) साइमि कमीं ि- यि 1928 में भारत में आया और "गो र्बैक साइमि" क े ववरोध िारों का सामिा ककया। ऐसा इसलिए था क्योंकक यि निकाय भारतीय ं ासि में संवैधानिक पररवतटिों का सुझाव देिे क े लिए था, िेककि इसमें कोई भी भारतीय सदस्य ििीं था। कांग्रेस और मुजस्िम िीग िे संयुक्त रूप से इसक े खििाफ प्रदं टि ककया। िॉडट इरववि िे भारत को आंदोिि को समाप्त करिे क े लिए एक अस्पष्ट्ि "प्रभुत्व जस्थनत" की घोर्षणा की, अक्िूर्बर 1929 में एक गोिमेि सम्मेिि क े लिए अग्रणी। Q4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवव और अध्याय 1 में दी गई िमेनिया की छवव की तुििा कीजिए | Answer. रवींद्रिाथ िैगोर द्वारा धचत्रत्रत भारत माता की छवव उतिें सवटश्रेष्ट्ठ लं िण, भोिि और वस्त्र क े रूप में टदिाती िै। वि सौंदयट गुणवत्ता को अपिे द्वारा धारण ककए गए मािा द्वारा दं ाटती िै। यि कफलिप वीि द्वारा धचत्रत्रत िमटि की छवव क े समाि िै, ििां वि एक तिवार रिती िै, िेककि अधधक स्त्री िगती िै। भारत माता की अतय पेंटिंग उसक े प्रनतनिधधत्व में अधधक मदाटिा िै। इसमें, उसे ं ेर क े रूप में ं ेर और िाथी द्वारा दं ाटए गए ं जक्त और अधधकार क े रूप में टदिाया गया िै। र्बाद की छवव िोरेंि क्िसेि द्वारा िमटनिया की छवव क े समाि अधधक िै, ििां वि एक तिवार और ढाि का निमाटण करती िै, और िड़िे क े लिए तैयार टदिती िै। ppkZ djsa Q1. 1921 में आंदोिि में ं ालमि िोिे वािे सभी सामाजिक समूिों की सूची र्बिाइए | इसक े र्बाद उिकी आं ाओं क े र्बारे में लििते िुए आंदोिि में ं ालमि िुए िुए Answer. 1921 क े असियोग आंदोिि में ं ालमि िोिे वािे ववलभति सामाजिक समूि ं िरी मध्य वगट थे जििमें वकीि, लं िक और प्रधािाध्यापक, छात्र, ककसाि, आटदवासी और श्रलमक ं ालमि थे। ककसाि, आटदवासी और श्रलमक देिात िेत्र से आंदोिि में ं ालमि िुए। उतिोंिे आत्म-मुजक्त की आं ाओं क े साथ ऐसा ककया। ककसािों िे तािुकदारों और िमींदारों क े खििाफ ववद्रोि ककया जितिोंिे उच्च ककराए की मांग की और उतिें लभिारी या मुक्त श्रम करिे क े लिए भी मिर्बूर ककया। िििातीय ककसािों िे त्रिटिं सरकार द्वारा र्बड़े वि पथों क े र्बाड़े क े खििाफ ववद्रोि ककया, जिससे उतिें आिीववका क े साथ- साथ पारंपररक अधधकारों से भी रटित िोिा पड़ा। दूसरी ओर, वृिारोपण श्रलमकों िे उि गांवों क े साथ संर्बंध र्बिािे और उिक े साथ संर्बंध र्बिाए रििे की स्वतंत्रता की इच्छा की। इि तीिों का माििा था कक गांधी राि असियोग आंदोिि क े साथ आएगा, और इससे उिक े दुिों का अंत िोगा। इसलिए, वे उपनिवें ववरोधी संघर्षट में ं ालमि िो गए। Q2. िमक यात्रा की चचाट करते िुए स्पष्ट्ि करें कक यि उपनिवें वाद क े खििाफ प्रनतरोध का एक असरदार प्रतीक था Answer. िमक माचट उपनिवें वाद क े खििाफ प्रनतरोध का एक प्रभावी प्रतीक था क्योंकक यि अमीर और गरीर्बों द्वारा इस्तेमाि ककए िािे वािे एक कमोर्डिी-िमक क े खििाफ ववद्रोि में ककया गया था। िमक पर कर, और इसक े उत्पादि पर सरकार का एकाधधकार एक गंभीर दमिकारी प्रं ासनिक कदम था। िमक माचट प्रभावी भी था क्योंकक गांधीिी माचट क े दौराि र्बड़ी संख्या में आम िोगों से लमिे थे
  • 4. SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) और उतिोंिे उतिें स्वराि और अटिंसा का सिी अथट लसिाया था। ं ांनतपूवटक एक कािूि को धता र्बताते िुए और सरकारी आदें ों क े खििाफ िमक र्बिाते िुए, गांधीिी िे पूरे दें क े लिए एक उदािरण पें ककया कक क ै से अत्याचारी का अटिंसात्मक तरीक े से सामिा ककया िा सकता िै। इसिे 1930 में सवविय अवज्ञा आंदोिि का भी िेतृत्व ककया। Q3. कल्पिा कीजिए कक आप लसववि िाफरमािी आंदोिि में टिस्सा िेिे वािी मटििा िै | र्बताइए कक इि अिुभव का आपक े िीवि में क्या अथट िोता ? Answer. गााँधीिी क े सवविय अवज्ञा आंदोिि में र्बड़ी संख्या में मटििाओं िे भाग लिया था। इस आंदोिि में भाग िेिे क े लिए विााँ से िज़ारो मटििाएाँ घरों से निकिी थीं | उतिोंिे माचट में टिस्सा लिया, िमक निलमटत ककया, ववदें ी कपड़ों और ं रार्ब की दुकािों की चोरी में भाग लिया एवं ववदें ी वस्तुओ का र्बटिष्ट्कार ककया | कईयों को िेि में डाि टदया गया। भारत में एक मटििा िे राष्ट्र को उिक े पववत्र कतटयवय क े रूप में देििा ं ुरू ककया | Q4. राििीनतक िेता पृथक निवाटचक का क े सवाि पर क्यों र्बाँिे िुए थे ? Answer. राय में मतभेद क े कारण अिग-अिग मतदाताओं क े सवाि पर राििीनतक िेताओं में तेिी से मतभेद थे। िर्बकक अल्पसंख्यकों और दलितों क े कारण का समथटि करिे वािों का माििा था कक क े वि राििीनतक सं क्तीकरण उिक े सामाजिक वपछड़ेपि को िि करेगा, गांधीिी िैसे अतय िोगों िे सोचा कक अिग-अिग मतदाता समाि में उिक े एकीकरण की प्रकक्रया को धीमा कर देंगे। इसक े अिावा, यि आं ंका थी कक अिग निवाटचकों की प्रणािी धीरे-धीरे दें को कई िुकड़ों में ववभाजित करेगी क्योंकक प्रत्येक समुदाय या वगट तर्ब अिग-अिग प्रनतनिधधत्व मांगेगा। v/;k; 3- Hkwe.Myhd`r fo”o dk cuuk Q1. 17 वी सदी से पििे िोिे वािे आदाि-प्रदाि क े दो उदािरण दीजिए | एक उदािरण एलं या से और एक उदािरण अमेररका मिाद्वीप क े र्बारे में चुिे | Answer. (i) यूरोप से सोिे और चााँदी क े र्बदिे में चीि, भारत और दक्षिण पूवट एलं या द्वारा कपड़ा, मसािों और चीिी र्बतटिों का आदाि-प्रदाि ककया गया। (ii) सोिे और िाद्य पदाथट िैसे आिू, सोया, मूंगफिी, िमािर और लमचट को पििे अमेररका से यूरोप में नियाटत ककया गया था। Q2. र्बताइए पूवट आधुनिक ववश्व में र्बीमाररयों क े वैजश्वक प्रसार िे अमेररकी भूभागो उपनिवें ीकरण में ककस प्रकार मदद की | Answer. पूवट-आधुनिक दुनिया में र्बीमारी क े वैजश्वक िस्तांतरण िे अमेररका क े उपनिवें ीकरण में मदद की क्योंकक मूि अमेररकी भारतीय उि र्बीमाररयों क े प्रनत प्रनतरिा ििीं थे िो कक र्बसिे वािे और उपनिवें करिे वािे अपिे साथ िाए थे। छोिे चेचक क े लिए यूरोपीय अधधक या कम प्रनतरिा थे, िेककि दें ी अमेररककयों को िािों वर्षों क े लिए दुनिया क े र्बाकी टिस्सों से काि टदया गया था, इसक े खििाफ कोई र्बचाव ििीं था। इि कीिाणुओं िे मारे गए और पूरे समुदायों को लमिा टदया, ववदें ी वचटस्व का मागट प्रं स्त ककया। िधथयारों और सैनिकों को िष्ट्ि या कब्ज़ा ककया िा सकता था, िेककि र्बीमाररयों से ििीं िड़ा िा सकता था। Q3. निम्िलिखित क े प्रभावों की यवयाख्या करते िुए संक्षिप्त टिप्पणी लििें : (क) कॉिट िॉ को समाप्त करिे क े र्बारे में त्रिटिं सरकार का फ ै सिा | (ि) अफ्रीका में ररंडरपेस्ि आिा | (ग) ववश्व युद्ध क े कारण यूरोप में कामकािी उम्र क े पुरुर्षों की मौत | (घ) भारतीय अथटयवयवस्था पर मिामंदी का प्रभाव | (ड) र्बिु राष्ट्रीय क ं पनियों द्वारा अपिे उत्पादि को एलं याई दें ों में स्थािांतररत करिे का फ ै सिा | Answer. (क) कॉिट िॉ को ित्म करिे क े त्रिटिं सरकार क े फ ै सिे से कृ वर्ष िेत्र को िुकसाि िुआ, िेककि औद्योधगक िेत्र में प्रगनत िुई। भोिि त्रििेि में सस्ते में आयात ककया िािे िगा और िेती में ं ालमि ििारों श्रलमक र्बेरोिगार िो गए। िािांकक, िपत में वृवद्ध िुई और औद्योधगक िेत्र में वृवद्ध िुई, ग्रामीण िेत्रों की तुििा में ं िरों में अधधक श्रलमक उपिब्ध थे। (ि) अफ्रीका में ररंडरपेस्ि क े आिे से अिधगित अफ्रीककयों की आिीववका का िुकसाि िुआ। अपिे िाभ क े लिए इस जस्थनत का उपयोग करते िुए, उपनिवें ी राष्ट्रों िे अफ्रीका को श्रम र्बािार में िािे क े लिए दुिटभ मवेलं यों क े संसाधिों पर एकाधधकार करक े अफ्रीका को िीत लिया और वं में कर लिया। (ग) ववश्व युद्ध क े कारण यूरोप में कामकािी उम्र क े पुरुर्षों की मृत्यु िे यूरोप में सिम ं ारीररक श्रम को कम कर टदया, जिससे घरेिू आय में िगातार धगरावि आई और इसक े पररणामस्वरूप उि पररवारों द्वारा रििे वािे िचट को पूरा करिे क े लिए संघर्षट ककया गया जििक े पुरुर्ष ववकिांग थे या मारे गए थे। (घ) मिामंदी का भारतीय अथटयवयवस्था पर एक र्बड़ा प्रभाव था। 1928 और 1934 क े र्बीच, इसिे भारतीय आयात और नियाटत को िगभग आधा कर टदया। इस दौराि गेिूं की कीमतें भी 50% तक धगर गईं। ं िरी िेत्रों से अधधक, कृ वर्ष िेत्र मिामंदी से र्बुरी तरि प्रभाववत िुआ था। (ड) एलं याई दें ों में उत्पादि को स्थािांतररत करिे क े लिए र्बिुराष्ट्रीय क ं पनियों क े निणटय से ववश्व यवयापार और पूाँिी प्रवाि में उत्तेििा िुई। यि पुिवाटस एलं याई दें ों में कम िागत वािी संरचिा और कम मिदूरी क े कारण था। इसिे एलं याई दें ों को भी िाभाजतवत ककया क्योंकक रोज़गार में वृवद्ध िुई, और इसक े पररणामस्वरूप त्वररत आधथटक पररवतटि भी िुआ। Q4. िाद्य उपिब्धता पर तकिीक क े प्रभाव को दं ाटिे क े लिए इनतिास से दो उदािरण दें | Answer. उतिीसवीं ं ताब्दी क े उत्तराधट में िाद्य उपिब्धता पर प्रौद्योधगकी का प्रभाव कई गुिा अधधक था। तेज़ रेिवे, िाइिर वैगिों और र्बड़े ििाज़ों िे उत्पादि इकाइयों से िेकर दूर क े र्बािारों तक सस्ते और तेज़ी से िाद्य पररविि में मदद की। इसक े अिावा, प्रं ीनतत ििािों िे िंर्बी दूरी पर मााँस, मक्िि और अंडे िैसे िरार्ब िोिे वािे िाद्य पदाथों क े पररविि में मदद की। Q5. त्रििेि वुड्स समझौते का क्या अथट िै ? Answer. िेिि वुड्स समझौते को िुिाई 1944 में अमेररका क े तयू िैम्पं ायर क े िेिि वुड्स में अंनतम रूप टदया गया था। इसिे वैजश्वक आधथटक जस्थरता और औद्योधगक दुनिया में पूणट रोिगार क े संरिण क े लिए अंतराटष्ट्रीय मुद्रा कोर्ष और ववश्व र्बैंक की स्थापिा की। इि संस्थािों िे सदस्य राष्ट्रों क े र्बािरी अधधं ेर्ष और घािे से भी निपिा, और युद्ध क े र्बाद क े पुिनिटमाटणों को ववत्तपोवर्षत ककया।
  • 5. SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) Q6. कल्पिा कीजिए कक आप क ै ररत्रर्बयाई िेत्र में काम करिे वािे धगरलमटिया मज़दूर िै | इस अध्याय में टदए गए वववरण क े आधार पर अपिे िािात और अपिी भाविाओं का वणटि करते िुए अपिे पररवार क े िाम पर एक पत्र लििें | Answer. मैं एक धगरलमटिया मज़दूर क े रूप में क ै ररत्रर्बयाई िेत्र में काम कर रिा िूं। इस पत्र क े माध्यम से, मैं आपको अपिी कटठिाई और ठेक े दार क े दुयवयटविार क े र्बारे में र्बतािा चािता िूं। मुझे काम पर रििे क े समय ठेक े दार िे काम की िगि, यात्रा क े तरीक े और रििे और काम करिे की जस्थनत क े र्बारे में सिी िािकारी ििीं दी। िमें र्बिुत कम कािूिी अधधकार प्रदाि ककए िाते िैं। ठेक े दार कायटस्थि पर कठोर और अपमाि ििक भार्षा का उपयोग करता िै। वि िमारे साथ क ू लियों की तरि यवयविार करता िै और िम क ै ररत्रर्बयाई िेत्र क े कोको प्िांिें ि में एक असिि अल्पसंख्यक िैं। कभी- कभी एिेंि मुझे िर्बरि अगवा भी कर िेते िैं िािांकक मैं काम करिे को तैयार ििीं था। िर्ब भी मैं अपिे काम में ं ालमि ििीं िोता िूं, मेरे खििाफ मुकदमा चिाया िाता िै और िेि भेिा िाता िै। एक भारी कायटभार क े साथ वृिारोपण में र्बिुत काम िै और कभी-कभी मुझे एक टदि यि सर्ब ित्म करिा पड़ता िै। असंतोर्षििक कायट क े मामिे में, मेरी मिदूरी कि िाती िै। मैं एक गुिाम का िीवि िी रिा िूं और र्बड़ी परें ािी में िूं। Q7. अंतरराष्ट्रीय आधथटक ववनिमयों मे 3 तरि की गनतयों या प्रभावों की यवयाख्या करें | तीिों प्रकार की गनतयों क े भारत और भारतीयों से संर्बंधधत एक एक उदािरण दे और उिक े र्बारे में संिेप में लििें | Answer. अंतरराष्ट्रीय आधथटक ववनिमय क े भीतर तीि प्रकार क े आंदोिि या प्रवाि यवयापार प्रवाि, मािव पूंिी प्रवाि और पूंिी प्रवाि या निवें िैं। इिकी यवयाख्या इस प्रकार की िा सकती िै - कृ वर्ष उत्पादों में यवयापार, श्रम का प्रवास और अतय राष्ट्रों से ववत्तीय ऋण। भारत पूवट-आधुनिक दुनिया में यवयापार का एक क ें द्र था, और इसिे यूरोप से सोिे और चााँदी क े र्बदिे में वस्त्र और मसािों का नियाटत ककया। कोिंर्बस की िोि क े र्बाद कई अिग-अिग िाद्य पदाथट िैसे आिू, सोया, मूंगफिी, मक्का, िमािर, लमचट और ं करक ं द अमेररका से भारत आए। श्रम क े िेत्र में, उतिीसवीं ं ताब्दी में, भारी संख्या में, ववदें ों में िािों, र्बागािों और कारिािों क े लिए धगरलमटिया श्रम उपिब्ध कराया गया था। यि अंग्रेिों द्वारा औपनिवेलं क वचटस्व का एक उपकरण था। अतत में, त्रििेि िे ववश्व युद्ध क े ववत्तपोर्षण क े लिए अमरीका से उदार ऋण लिया। चूंकक भारत एक अंग्रेिी उपनिवें था, इसलिए इि ऋण ऋणों का प्रभाव भारत में भी मिसूस ककया गया। त्रिटिं सरकार िे करों, ब्याि दरों में वृवद्ध की, और कॉिोिी से िरीदे गए उत्पादों की कीमतों को कम कर टदया। अप्रत्यि रूप से, िेककि दृिता से, इसिे भारतीय अथटयवयवस्था और िोगों को प्रभाववत ककया। Q8. मिामंदी क े कारणों की यवयाख्या करें | Answer. मिामंदी कई अिग-अिग कारकों का एक पररणाम था। युद्ध क े र्बाद की वैजश्वक अथटयवयवस्था कमिोर थी। इसक े अिावा, कृ वर्ष अनत-उत्पादि एक उपद्रव सात्रर्बत िुआ, जिसे िाद्य अिाि की कीमतों में धगरावि से र्बदतर र्बिाया गया था। इसका मुकार्बिा करिे क े लिए, ककसािों िे अपिे वावर्षटक आय को र्बिाए रििे क े लिए उत्पादि र्बिािे और र्बािारों में और अधधक उपि िािे क े लिए ं ुरू ककया। इससे िाद्यातिों की ऐसी चमक पैदा िुई कक कीमतों में और धगरावि आई और कृ वर्ष उपि को सड़िे क े लिए छोड़ टदया गया। अधधकांं दें ों िे अमेररका से ऋण लिया, िेककि अमेररकी ववदें ी ऋणदाता उसी क े र्बारे में सावधाि थे। िर्ब उतिोंिे ऋण की मात्रा कम कर दी, तो आधथटक रूप से अमेररकी ऋणों पर निभटर दें ों को तीव्र संकि का सामिा करिा पड़ा। यूरोप में, इसिे त्रिटिं पाउंड स्िलििंग िैसी प्रमुि र्बैंकों और मुद्राओं की ववफिता का कारण र्बिा। अमेररकी अथटयवयवस्था की रिा क े लिए, यूएसए िे आयात ं ुल्क को दोगुिा कर टदया। इससे ववश्व यवयापार पररदृश्य त्रर्बगड़ गया। इि सभी कारकों िे मिामंदी में योगदाि टदया। इसिे वैजश्वक ऋण प्रदाता और सर्बसे र्बड़े औद्योधगक राष्ट्र िोिे क े कारण यूएसए को सर्बसे अधधक प्रभाववत ककया। Q9. िी-77 दें ों से आप क्या समझते िैं | िी-77 को ककस आधार पर त्रििेि वुड्स की िुड़वा संतािों की प्रनतकक्रया किा िा सकता िै यवयाख्या करें | Answer. G-77 दें 77 दें ों क े समूि क े लिए एक संक्षिप्त िाम िै जितिोंिे एक िए अंतराटष्ट्रीय आधथटक आदें ) की मांग की; एक ऐसी प्रणािी िो िव-उपनिवें वाद का लं कार ि िोकर, पूवट औपनिवेलं क ं जक्तयों द्वारा ककए गए यवयापार में उपनिवें वाद का एक िया रूप िोिे क े त्रर्बिा, उतिें अपिे प्राकृ नतक संसाधिों पर वास्तववक नियंत्रण प्रदाि करेगी। G-77 को िेिि वुड्स ट्ववतस की गनतववधधयों की प्रनतकक्रया क े रूप में देिा िा सकता िै क्योंकक इि दोिों संस्थािों को औद्योधगक और ववकलसत दें ों की ववत्तीय ज़रूरतों को पूरा करिे क े लिए र्डज़ाइि ककया गया था, और इसक े लिए क ु छ भी ििीं ककया गया था। पूवट उपनिवें ों और ववकासं ीि राष्ट्रों की आधथटक वृवद्ध। v/;k; 4- vkS|ksxhdj.k dk ;qx Q1. निम्िलिखित की यवयाख्या करें- (क) त्रििेि की मटििा कामगारों िे जस्पनिंग िेिी मं ीिों पर िमिे ककए| (ि) 17 वीं ं ताब्दी में यूरोपीय ं िरों क े सौदागर गांव में ककसािों और कारीगरों से काम करवािे िगे | (ग) सूरत र्बंदरगाि 18 वीं सदी क े अंत तक िालं ए पर पिुंच गया था | (घ) ईस्ि इंर्डया क ं पिी िे भारत में र्बुिकरों पर निगरािी रििे क े लिए गुमाश्तों को नियुक्त ककया था | Answer. (क) त्रििेि में मटििा श्रलमकों िे जस्पनिंग िेिी पर िमिा ककया क्योंकक इसिे कताई प्रकक्रया को गनत दी, और पररणामस्वरूप, श्रम की मांग कम िो गई। इससे ऊिी उद्योग में काम करिे वािी मटििाओं में र्बेरोज़गारी का एक वैध डर पैदा िो गया। अर्ब तक, वे िाथ से कताई करिे से र्बच गए थे, िेककि इसे िई मं ीि द्वारा िरार्ब कर टदया गया था। (ि) सत्रिवीं ं ताब्दी में, यूरोप क े ं िरों क े यवयापाररयों िे गााँवों क े भीतर ककसािों और कारीगरों को नियुक्त करिा ं ुरू कर टदया क्योंकक ं जक्तं ािी यवयापार धगल्ड की उपजस्थनत क े कारण ं िरी िेत्रों में उत्पादि ििीं र्बिाया िा सकता था। ये उत्पादि, नियंत्रत्रत कीमतों और प्रनतस्पधाट पर नियंत्रण र्बिाए रिते थे और यवयापार में िए िोगों क े प्रवें को प्रनतर्बंधधत करते थे। एकाधधकार भी एक सामातय रणिीनत थी। ग्रामीण इिाकों में, ऐसे कोई नियम ििीं थे, और गरीर्ब ककसािों िे इि यवयापाररयों का स्वागत ककया। (ग) भारत क े साथ यवयापार में यूरोपीय क ं पनियों की र्बिती ं जक्त क े कारण अठारिवीं ं ताब्दी क े अंत तक सूरत क े र्बंदरगाि में धगरावि आई। उतिोंिे स्थािीय अदाितों से कई ररयायतें िालसि कीं और साथ िी यवयापार क े एकाधधकार को भी िालसि ककया। इसक े कारण सूरत और िुगिी क े पुरािे र्बंदरगािों में धगरावि आई,
  • 6. SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) ििां से स्थािीय यवयापाररयों िे काम ककया था। नियाटत धीमा िो गया और यिां क े स्थािीय र्बैंक टदवालिया िो गए। (घ) कपड़ा कारोर्बार में मौिूदा यवयापाररयों और दिािों से मुक्त िोकर र्बुिकरों पर अधधक प्रत्यि नियंत्रण स्थावपत करिे क े लिए ईस्ि इंर्डया क ं पिी िे भारत में र्बुिकरों की निगरािी क े लिए गोमाता की नियुजक्त की। गोमस्त वे सवेति सेवक थे िो र्बुिकरों की निगरािी करते थे, आपूनतट एकत्र करते थे और कपड़े की गुणवत्ता की िांच करते थे। गोमास्थों िे यि सुनिजश्चत ककया कक कपड़ा उद्योग क े सभी प्रर्बंधि और नियंत्रण अंग्रेिों क े अधीि आ गए। इससे प्रनतस्पधाट को ित्म करिे, िागत को नियंत्रत्रत करिे और कपास और रें म उत्पादों की नियलमत आपूनतट सुनिजश्चत करिे में मदद लमिी। Q2. प्रत्येक वक्तयवय क े आगे सिी या गित लििें - (क) 19 वी सदी क े आखिर में यूरोप की क ु ि श्रमं जक्त का 80% तकिीकी रूप से ववकलसत औद्योधगक िेत्र में काम कर रिा था | (ि) 18 वीं सदी तक मिीि कपड़े क े अंतरराष्ट्रीय र्बािार पर भारत का दर्बदर्बा था | (ग) अमेररकी गृि युद्ध क े फिस्वरूप भारत क े कपास नियाटत में कमी आई | (घ) फ्िाई ं िि क े आिे से िथकरघा कामगारों की उत्पादकता में सुधार िुआ | Answer. (क) असत्य (ि) सत्य (ग) असत्य (घ) सत्य Q3. पूवट-औद्योधगकरण का मतिर्ब र्बताएं ? Answer. पूवट -औद्योधगकीकरण औद्योधगकीकरण का वि चरण िै िो कारिािे प्रणािी पर आधाररत ििीं था। कारख़ािों क े आिे से पििे, एक अंतरराष्ट्रीय र्बािार क े लिए र्बड़े पैमािे पर औद्योधगक उत्पादि था। औद्योधगक इनतिास क े इस भाग को पूवट-औद्योधगकीकरण क े रूप में िािा िाता िै। Q1. 19वीं सदी क े यूरोप में क ु छ उद्योगपनत मं ीिों क े िाथ से काम करिे वािे श्रलमकों को प्राथलमकता क्यों देते थे? Answer. उतिीसवीं ं ताब्दी क े इंग्िैंड क े क ु छ उद्योगपनतयों िे मं ीिों पर िाथ से काम करिा पसंद ककया क्योंकक र्बािार में कोई श्रलमक कमी ििीं थी, और पररणामस्वरूप, उच्च मिदूरी िागतों की कोई समस्या ििीं थी। उद्योगपनत ऐसी मं ीिों क े साथ िाथ श्रम को र्बदििा ििीं चािते थे, जििक े लिए र्बड़े पूाँिी निवें की आवश्यकता िोगी। इसक े अिावा, जिि उद्योगों में उत्पादि और आवश्यक श्रम की मात्रा मौसमों पर निभटर थी, विां िाथ श्रम को उसकी कम िागत क े लिए पसंद ककया गया था। इसक े अिावा, कई सामाि क े वि िाथ से निलमटत ककए िा सकते थे। मं ीिें एक समाि उत्पाद की र्बड़े पैमािे पर मात्रा प्रदाि कर सकती िैं। िेककि मांग िटिि र्डज़ाइि और आकार क े लिए थी; इसक े लिए मािव कौं ि की आवश्यकता थी, ि कक यांत्रत्रक तकिीक की। िस्तनिलमटत उत्पाद भी ं ोधि और वगट की जस्थनत क े लिए िड़े थे। आमतौर पर यि मािा िाता था कक मं ीि-निलमटत सामाि कािोनियों क े नियाटत क े लिए थे। Q2. ईस्ि इंर्डया क ं पिी िे भारतीय र्बुिकरों से सूती और रें मी कपड़े की नियलमत आपूनतट सुनिजश्चत करिे क े लिए क्या ककया ? Answer. राििीनतक ं जक्त स्थावपत करिे क े र्बाद, ईस्ि इंर्डया क ं पिी िे भारतीय र्बुिकरों से ववलभति प्रकार क े कायों क े माध्यम से सफितापूवटक सूती और रें मी वस्त्रों की नियलमत आपूनतट की। इि कायों का उद्देश्य अतय औपनिवेलं क ं जक्तयों से प्रनतस्पधाट को समाप्त करिा, िागत को नियंत्रत्रत करिा और त्रििेि क े लिए कपास और रें म क े सामािों की नियलमत आपूनतट सुनिजश्चत करिा था। सर्बसे पििे, इसिे र्बुिकरों की देिरेि, आपूनतट इकट्ठा करिे और कपड़ा गुणवत्ता की िांच करिे क े लिए गोमस्त या सं ुल्क िौकर नियुक्त ककए। दूसरे, इसिे क ं पिी क े र्बुिकरों को अतय िरीदारों से निपििे से रोक टदया। र्बुिकरों को कच्चे माि की िरीद क े लिए अधग्रम देिे की प्रणािी द्वारा यि पता िगाया गया था। िो िोग इि ऋणों को िेते थे, वे अपिा कपड़ा ककसी और को ििीं र्बेच सकते थे, िेककि गोमास्थों को। Q3. कल्पिा कीजिए कक आप को त्रििेि तथा कपास क े इनतिास क े र्बारे में ववश्वकों क े लिए िेि लिििे को किा गया िै | इस अध्याय में दी गई िािकाररयों क े आधार पर अपिा िेि लिखिए। Answer. त्रििेि और कपास का इनतिास सत्रिवीं और अठारिवीं ं ताब्दी क े दौराि, यवयापारी कपड़ा उत्पादि में ग्रामीण िोगों क े साथ यवयापार करते थे। एक कपड़ा एक ऊि स्िेपिर से ऊि िरीदता िै, इसे जस्पिरों तक िे िाता िै, और कफर, उत्पादि क े आगे क े स्तरों क े लिए यािट को र्बुिकरों, फ ु िर और िरीदारों क े पास िे िाता िै। इि सामािों क े लिए िंदि पररष्ट्करण क ें द्र था। त्रिटिं निमाटण क े इनतिास में इस चरण को प्रोिो-औद्योधगकीकरण क े रूप में िािा िाता िै। इस चरण में, कारिािे उद्योग का एक अनिवायट टिस्सा ििीं थे। इसक े र्बिाय िो मौिूद था वि वाखणजज्यक आदाि-प्रदाि का एक िेिवक ट था। कारिािों क े िए युग का पििा प्रतीक कपास था। उतिीसवीं ं ताब्दी क े उत्तराधट में इसका उत्पादि तेिी से र्बिा। कच्चे कपास का आयात 1760 में 2.5 लमलियि पाउंड से र्बिकर 1787 में 22 लमलियि पाउंड िो गया। कॉिि लमि और िई मं ीिों क े आववष्ट्कार और एक छत क े िीचे र्बेितर प्रर्बंधि क े कारण ऐसा िुआ। 1840 तक, औद्योधगकीकरण क े पििे चरण में कपास प्रमुि िेत्र था। कपड़ा उत्पादि िेत्र में अधधकांं आववष्ट्कार श्रलमकों द्वारा अविेििा और घृणा क े साथ ककए गए क्योंकक मं ीिों िे कम श्रम और रोिगार की कम िरूरतों को निटित ककया। द जस्पनिंग िेिी एक ऐसा िी आववष्ट्कार था। ऊिी उद्योग में मटििाओं िे ववरोध ककया और इसे िष्ट्ि करिे की मांग की क्योंकक यि श्रम र्बािार में अपिी िगि िे रिा था। इस तरि की तकिीकी प्रगनत से पििे, त्रििेि िे र्बड़ी संख्या में भारत से रें म और कपास का सामाि आयात ककया। भारत से िलित वस्त्र इंग्िैंड में उच्च मांग में थे। िर्ब ईस्ि इंर्डया क ं पिी िे राििीनतक ं जक्त प्राप्त की, तो उतिोंिे त्रििेि क े िाभ क े लिए भारत में र्बुिकरों और कपड़ा उद्योग का ं ोर्षण ककया। र्बाद में, मैिचेस्िर कपास उत्पादि का क ें द्र र्बि गया। इसक े र्बाद, भारत को त्रिटिं कपास वस्तुओं क े प्रमुि िरीदार क े रूप में र्बदि टदया गया। प्रथम ववश्व युद्ध क े दौराि, त्रिटिं कारिािे युद्ध की िरूरतों को पूरा करिे में र्बिुत यवयस्त थे। इसलिए, भारतीय वस्त्रों की मांग एक र्बार कफर र्बि गई। त्रििेि में कपास का इनतिास मांग और आपूनतट क े ऐसे उतार-चिाव से भरा िुआ था।
  • 7. SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) Q4. पििे ववश्व युद्ध क े समय भारत का औद्योधगक उत्पादि क्यों र्बिा ? Answer. प्रथम ववश्व युद्ध क े दौराि भारत में औद्योधगक उत्पादि में वृवद्ध िुई क्योंकक त्रिटिं लमिें युद्ध की ज़रूरतों को पूरा करिे में यवयस्त िो गईं। मैिचेस्िर आयात में कमी आई, और भारतीय लमिों को अचािक आपूनतट करिे क े लिए एक र्बड़ा घर र्बािार था। र्बाद में, उतिें िूि र्बैग, सेिा की वदी क े लिए कपड़ा, िेंि, चमड़े क े िूते, काठी और अतय सामािों की आपूनतट करिे क े लिए किा गया। इतिी मांग थी कक पुरािे कारख़ािों को कई लं फ्िों में चिािे पर भी िए कारिािे िगािे पड़े। िए श्रलमकों और िंर्बे समय तक काम क े घंिों क े साथ औद्योधगक उत्पादि में उछाि आया। v/;k; 5- eqnz.k laLd`fr vkSj vk/kqfud nqfu;k Q1. निम्िलिखित क े कारण दें- (क) वुडब्िॉक वप्रंि या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 क े र्बाद आई | (ि) माटिटि िूथर मुद्रण क े पि में था और उसिे इसकी िुिे आम प्रं ंसा की | (ग) रोमि क ै थोलिक चचट िे सोिवीं सदी क े मध्य से प्रनतर्बंधधत ककतार्बों की सूची रििी ं ुरू कर दी | (घ) मिात्मा गांधी िे किा कक स्वराि की िड़ाई दरअसि अलभयवयजक्त, प्रेस और सामूटिकता क े लिए िड़ाई िै| Answer. (क) वुडब्िॉक वप्रंि का आववष्ट्कार चीि में छठी ं ताब्दी क े आसपास िुआ था। यि माको पोिो क े साथ 1295 में यूरोप में आया। माको पोिो चीि में कई वर्षों की िोि क े र्बाद इििी िौिे और उतिोंिे अपिी वापसी पर वुडब्िॉक वप्रंि का ज्ञाि अपिे साथ िाया। (ि) माटिटि िूथर वप्रंि क े पि में थे और इसकी प्रं ंसा में र्बोिते थे क्योंकक वप्रंि मीर्डया िे अपिे ववचारों को िोकवप्रय र्बिािे और फ ै िािे में मदद की। 1517 में, उतिोंिे रोमि क ै थोलिक चचट की प्रथाओं और रीनत-ररवाज़ों की आिोचिा करते िुए िब्र्बे फाइव धथलसस लििा। इि िेिि को तुरंत र्बड़ी संख्या में पुि: प्रस्तुत ककया गया और यवयापक रूप से पिा गया। तयू िेस्िामेंि क े उिक े अिुवाद को भी ििारों िोगों िे स्वीकार ककया और पिा। यि क े वि वप्रंि तकिीक में सुधार क े कारण िी संभव िो पाया था, जिसिे कामकािी वगों को पुस्तकों तक पिुंच प्राप्त करिे की अिुमनत दी थी। (ग) रोमि क ै थोलिक चचट िे सोििवीं ं ताब्दी क े मध्य से निवर्षद्ध पुस्तकों का एक सूचकांक रििा ं ुरू कर टदया क्योंकक इसक े अधधकार को कई यवयजक्तगत और ववलं ष्ट्ि रीर्डंग और ववश्वास क े सवािों द्वारा आसािी से सुिभ िोकवप्रय धालमटक साटित्य द्वारा ितरे में डाि टदया गया था। इसक े क ै थोलिक चचट िे जिज्ञासु ववचारों और इसक े दमि क े पूरक क े लिए, प्रकां कों और र्बुकसेिरों पर कठोर नियंत्रण ककया, और 1558 से प्रनतर्बंधधत पुस्तकों का सूचकांक भी रििा ं ुरू ककया। (घ) गांधी िे किा कक स्वराि की िड़ाई भार्षण की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और संघ की स्वतंत्रता क े लिए िड़ाई िै क्योंकक वि इतिें अलभयवयजक्त और िि मािस की साधिा का सं क्त माध्यम मािते थे। इि स्वतंत्रताओं का िंडि स्व-ं ासि और स्वतंत्रता क े ववचार क े अिुक ू ि ििीं था। इसलिए, उसक े अिुसार इि स्वतंत्रता क े लिए िड़ाई, स्वराि या स्व ं ासि क े लिए आंतररक रूप से िड़ाई थी। Q2. छोिी टिप्पणी में इिक े र्बारे में र्बताएं- (क)गुिेिर्बगट प्रेस (ि)छपी ककतार्ब को िेकर इरैस्मस क े ववचार (ग) विाटक्यूिर या देसी प्रेस एक्ि Answer. (क) गुिेिर्बगट प्रेस: इसकी स्थापिा िोिाि गुिेिर्बगट िे की थी। 1448 तक, उतिोंिे समकािीि तकिीकी िवाचारों का उपयोग करते िुए, िैतूि और वाइि प्रेस क े साथ मुद्रण की प्रणािी को पूरा ककया था। पििी ककतार्ब िो उतिोंिे छापी वि थी र्बाइर्बि, 3 साि में 180 प्रनतयााँ। िािााँकक इि पुस्तकों को मुटद्रत ककया गया था, िेककि सामिे क े पृष्ट्ठ, प्रर्बुद्ध सीमाओं और क्र े ता-निटदटष्ट्ि र्डज़ाइिों की िस्तनिलमटत सिावि में एक अिूठा स्पं ट र्बिा रिा। गुिेिर्बगट प्रेस 1430 क े दं क में पििा ज्ञात वप्रंटिंग प्रेस था। (ि) इरैस्मस क े मुटद्रत पुस्तक क े ववचार: वि वप्रंि माध्यम क े आिोचक थे। उिका माििा था कक िािांकक क ु छ पुस्तक ें साथटक ज्ञाि प्रदाि करती िैं, िेककि अतय क े वि छात्रवृजत्त क े लिए एक प्रनतर्बंध िैं। इरास्मस िे उि पुस्तकों को प्रकालं त करिे का आरोप िगाया, िो मिि त्रासद ििीं थीं, र्बजल्क "मूिट, निंदिीय, निंदिीय, असभ्य, अधालमटक और दें द्रोिी" थीं। उतिोंिे यि भी मिसूस ककया कक र्बड़ी संख्या में ऐसी ककतार्बें गुणवत्ता िेिि क े मूल्य को कम करती िैं। (ग) विाटक्युिर प्रेस एक्ि: आइररं प्रेस िॉज़ पर आधाररत, इसे 1878 में पाररत ककया गया था। इस कािूि िे सरकार को विाटक्यूिर प्रेस में सेंसर ररपोिट और संपादकीय क े लिए अत्याचारी अधधकार टदए। यटद एक दें द्रोिी ररपोिट प्रकालं त की गई थी और अिर्बार िे ं ुरुआती चेताविी पर ध्याि ििीं टदया था, तो प्रेस को िब्त कर लिया गया था और वप्रंटिंग मं ीिरी को िब्त कर लिया गया था। यि अलभयवयजक्त की स्वतंत्रता का पूणट उल्िंघि था। Q3. 19 वीं सदी में भारत में मुद्रण संस्कृ नत क े प्रसार का इिक े लिए क्या मतिर्ब था (क) मटििाएं (ि) गरीर्ब ििता (ग) सुधारक Answer. (क) मटििाएं: उतिीसवीं ं ताब्दी क े भारत में वप्रंि संस्कृ नत क े प्रसार िे मटििाओं क े लिए ं ैक्षिक सुधार िाए। उदार पनत और वपता िे अपिे मटििाओं को घर पर लं क्षित ककया या उतिें मटििाओं क े लिए स्क ू िों में भेिा। िो मटििाएं पीटियों से घरेिू िीवि तक सीलमत थीं, अर्ब उतिें मिोरंिि का एक िया माध्यम लमि गया िै। उतिोंिे मटििाओं की लं िा और सािरता क े पि में, पत्रत्रकाओं क े लिए िेि लिििा भी ं ुरू ककया। क ु छ िे ककतार्बें भी लििीं; रां सुंदरी देवी की आत्मकथा "अमर िीवि" पििी पूणट आत्मकथा थी, जिसे 1876 में प्रकालं त ककया गया था। परंपरावाटदयों का माििा था कक लं िा और पठि मटििाओं को ववधवा र्बिा देगा, या उतिें भ्रष्ट्ि कर देगा। कई मटििाओं िे ऐसे परंपरावादी वातावरण में गुप्त रूप से पििा और लिििा सीिा। (ि) गरीर्ब ििता : कम कीमत की पुस्तकों और सावटिनिक पुस्तकाियों की उपिब्धता क े कारण भारत में वप्रंि संस्कृ नत क े प्रसार से उतिें िाभ िुआ। िानतगत भेदभाव और उसक े निटित अतयाय क े खििाफ ज्ञािवधटक निर्बंध लििे गए। इतिें दें भर क े िोगों िे पिा था। समाि सुधारकों क े प्रोत्सािि और समथटि पर, अधधक काम करिे वािे कारिािे क े श्रलमकों िे स्व-लं िा क े लिए पुस्तकािय स्थावपत ककए, और उिमें से क ु छ िे अपिे स्वयं क े कायों को भी प्रकालं त ककया, उदािरण क े लिए, कां ीर्बार्बा | (ग) सुधारक: वप्रंि संस्कृ नत की िोकवप्रयता सामाजिक और धालमटक सुधारकों क े लिए एक िाभ थी क्योंकक वे अर्ब अपिी राय अिर्बारों और पुस्तकों क े माध्यम से, आम ििता में फ ै िा सकते थे। इि ववचारों पर िोगों क े ववलभति समूिों द्वारा र्बिस की िा सकती िै। आम िोगों की स्थािीय, रोज़मराट की भार्षाओं में सुधारवादी ववचारों को आगे रिा गया ताकक उसी क े लिए एक यवयापक मंच र्बिाया िा सक े ।
  • 8. SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) SOCIAL SCIENCE NOTES FOR CLASS 10th Prepared by Bhomaram Rao 8890486927 (M.A., B.Ed. , BSTC) Q1. 18 वीं सदी क े यूरोप में क ु छ िोग को क्यों ऐसा िगता था कक मुद्रण संस्कृ नत से निरंक ु ं वाद का अंत और ज्ञािोदय िोगा ? Answer. 18 वीं सदी क े यूरोप में क ु छ िोगों िे सोचा था कक वप्रंि संस्कृ नत आत्मज्ञाि िाएगी और निरां ा को समाप्त करेगी। इसकी आसाि और सस्ती उपिब्धता का मतिर्ब था कक सािरता अर्ब उच्च वगों तक सीलमत ििीं रिेगी। िर्बकक पादरी और रािाओं को इस र्बात की आं ंका थी कक एक ववं ाि पठि ििता को िाभ िोगा, माटिटि िूथर िैसे सुधारकों िे पररवतटि का स्वागत ककया। उतिें िगा कक यि ं ासकों की ववचारधारा क े अंधे पािि का अंत िोगा। यि फ्रांसीसी क्रांनत में भी देिा िा सकता िै। वप्रंि माध्यम िे स्वतंत्रता, समािता और भाईचारे क े आदं ों को रूसो और वोल्िेयर द्वारा उिक े िेिि में ििता तक पिुंचिे की अिुमनत दी। इसिे संवाद और र्बिस की एक िई संस्कृ नत का निमाटण ककया जिसिे श्रलमक वगट को सामाजिक रीनत-ररवािों और मािदंडों का मूल्यांकि और पुिमूटल्यांकि करिे की पिि की। कारण यि िै कक ििता िे सामाजिक सुधार की पिि की, और निरंक ु ं ता का अंत ककया। Q3. 19 वी सदी में भारत में गरीर्ब ििता पर मुद्रण संस्कृ नत का क्या असर िुआ ? Answer. गरीर्ब िोगों को कम कीमत की पुस्तकों और सावटिनिक पुस्तकाियों की उपिब्धता क े कारण भारत में मुद्रण संस्कृ नत क े प्रसार से िाभ िुआ। िानतगत भेदभाव और उसक े निटित अतयाय क े खििाफ ज्ञािवधटक निर्बंध लििे गए। इतिें दें भर क े िोगों िे पिा था। समाि सुधारकों क े प्रोत्सािि और समथटि पर, अधधक काम करिे वािे कारिािे क े श्रलमकों िे स्व-लं िा क े लिए पुस्तकािय स्थावपत ककए, और उिमें से क ु छ िे अपिे स्वयं क े कायों को भी प्रकालं त ककया, उदािरण क े लिए, कां ीर्बार्बा और उिक े "छोिे और र्बडे का सांवि"। Q4. मुद्रण संस्कृ नत िे भारत में राष्ट्रवाद क े ववकास में क्या मदद की? Answer. वप्रंि संस्कृ नत िे राष्ट्रवादी आदं ों और स्वतंत्रता और समािता क े ववचारों को िि-िि तक आसािी से पिुाँचाकर भारत में राष्ट्रवाद क े ववकास में सिायता की। समाि सुधारक अर्ब अिर्बारों में अपिी राय छाप सकते िैं, जिससे सावटिनिक र्बिस नछड़ गई। कारण की ं जक्त िे आम िोगों को औपनिवेलं क सत्ता क े अधधकार पर सवाि उठाया। टदिचस्प र्बात यि िै कक िर्ब अंग्रेिों िे वप्रंि मीर्डया को सेंसर करिे और नियंत्रत्रत करिे की कोलं ं की, तर्ब दें में िर िगि राष्ट्रवादी अिर्बार संख्या में र्बि गए। उतिोंिे औपनिवेलं क क ु ं ासि की सूचिा दी और िोगों को राष्ट्रवादी गनतववधधयों में भाग िेिे क े लिए प्रोत्साटित ककया। उपनिवें वाद-ववरोधी प्रकां िों को रोकिे की कोलं ं ों से उग्रवादी ववरोध भी िुआ।