1. नैदा नक एवं उपचारा मक पोषण
CLINICAL AND THERAPEUTIC
NUTRITION
आहार नयोजन क मूल अवधारणाआहार नयोजन क मूल अवधारणा
डॉ0 ी त बोरा
गृह &व'ान &वभाग
उ तराख*ड मु,त &व-व&व.यालय
1
2. आहार नयोजन से अ1भ ाय
सभी भो2य समूह के भो2य पदाथ4 क मा5ा को आहार म6
इस तरह से सि9म1लत करना िजससे :क प;रवार के सभी
सद<य= को सभी पौि?टक त व पयाABत मा5ा म6 1मल सक6
तथा वे <व<थ एवं नरोगी रहकर अपने-अपने काय4 एवंतथा वे <व<थ एवं नरोगी रहकर अपने-अपने काय4 एवं
उ तरदा य व= का नवAहन पूणA कु शलता से कर सक6 , आहार
नयोजन कहलाता है।
2
3. आहार नयोजन क :Fया
आहार आयोजन पूरे Gदन (24 घ*टे) को एक
इकाई मानकर :कया जाना चाGहए।
एक Gदन के 6 आहार (3 मुLय आहार तथा
3 अ त;र,त आहार) के 1लए एक साथ
आहार नयोजन :कया जाना चाGहए।
आहार नयोजन ातः 6-7 बजे से शुN करके
राO5 के 8:30-9:30 बजे के मPय होना
चाGहए।
प;रवार के सभी सद<य= क आयु, 1लंग,
अव<था, :Fयाशीलता आGद के आधार पर
नयोजन होना चाGहए ता:क Qयि,त क
आRथAक ि<थ त म6 असSतुलन न हो।
आहार नयोजन करते समय सवA थम
गृGहणी को भारतीय Rच:क सा अनुसSधान
प;रष. (ICMR) .वारा &व1भSन, आयु, 1लंग
एवं काय4 के अनुसार पोषक त व= क दै नक
<ता&वत मा5ा क ता1लका के .वारा अपने
प;रवार के &व1भSन सद<य= क तGदन क
पोषण स9बSधी आव-यकताएं 'ात करनी
आव-यक हT।
आहार म6 पौि?टकता बढ़ाने के 1लए येक
खा.य समूह से कम से कम एक खा.यअव<था, :Fयाशीलता आGद के आधार पर
पौि?टक त व= क माँग के अनुसार भो2य
पदाथ4 क आव-यक मा5ा का 'ान होना
चाGहए।
भोजन के सभी भो2य समूह= (अनाज, दाल,
हरW प तेदार सिXजयाँ व अSय सिXजयाँ,
माँस- मछलW, घी, तेल, गुड़, श,कर, फल, दूध
आGद) के अनुसार आहार नयोजन होना
चाGहए।
एक वषA तक के 1शशु को उपभो,ता इकाई म6
सि9म1लत नहWं :कया जाना चाGहए।
आRथAक ि<थ त के अनुNप हW आहार
खा.य समूह से कम से कम एक खा.य
पदाथA शा1मल करना आव-यक है। इससे
प;रवार को सभी पोषक त व उRचत अनुपात
म6 सSतु1लत Nप से ाBत हो सकते हT।
3
4. आहार आयोजन के लाभ
प;रवार के येक सद<य को उसक शरWर क माँग के अनुसार सSतु1लत
आहार क पू तA करना िजससे वे शारW;रक व मान1सक Nप से <व<थ रह6।
अछे आहार नयोजन से समय क बचत होती है।
कम समय म6 अRधक काम :कया जा सकता है तथा पूणA योजना के कारण
शि,त क बचत होती है।
आहार नयोजन से धन क भी बचत होती है। इसके .वारा खा.य बजट
बहुत अछ] तरह Qयवि<थत रखा जा सकता है।
प;रवार म6 येक सद<य क ^Rच का Pयान रखा जा सकता है। भोजन केप;रवार म6 येक सद<य क ^Rच का Pयान रखा जा सकता है। भोजन के
<वाद, रंग-Nप तथा पकाने क &वRधय= म6 &व1भSनता सद<य= क भूख बढ़ाती
है तथा भोजन अRधक चाव से खाया जाता है।
भो2य पदाथ4 का दोहराव नहWं होता इससे भोजन म6 उदासीनता नहWं होती।
&वशेष &वकास अव<था से गुजरने वाले प;रवार के सद<य जैसे गभाAव<था,
धा5ीव<था, :कशोराव<था आGद क उRचत देखभाल आसान हो जाती है।
आहार नयोजन से सXजी, फल आGद क खरWददारW सरल व ज_दW हो जाती
है। 4
5. भो2य पदाथA म6 पौि?टक मू_य मालूम रहने से भोजन के चुनाव म6 कGठनाई
नहWं होती है, साथ हW भोजन म6 &व&वधता लायी जा सकती है।
िजन प;रवार= म6 घी, दूध, अ*डा, दहW आGद भो2य पदाथA आRथAक &वपSनता के
कारण नहWं खरWदे जा सकते हT, वहाँ आहार नयोजन के .वारा &वटा1मन एवं
ख नज लवण= क पू तA स<ते फल एवं सिXजयाँ जैसे-पालक, बथुआ, गाजर, मूलW,
पपीता, लौक , आGद खरWदकर आहार म6 सि9म1लत :कये जा सकते हT।
आहार नयोजन न के वल घर म6 हW आव-यक है बि_क इसका उपयोग
छा5ावास, होटल, कै SटWन, अ<पताल, वायुयान भोजन सेवा, रेलवे कै SटWन आGद
<थान= म6 भी :कया जा सकता है।<थान= म6 भी :कया जा सकता है।
गृGहणी को इस बात क भी जानकारW हो जाती है :क स<ते भो2य पदाथA भी
सभी पौि?टक त व= से प;रपू;रत एवं भरपूर होते हT। ऐसा नहWं है :क महँगे फल
एवं महँगी सिXजयाँ हW पोषक त व= से प;रपूणA होते हT। अतः वह आRथAक
ि<थ त को Pयान म6 रखकर भोजन तैयार कर सकती है।
आहार नयोजन म6 सुबह या दोपहर क बची हुई व<तुओं का उपयोग नवीन
QयSजन बनाने हेतु :कया जा सकता है। जैसे दोपहर म6 दाल या सXजी बच
गयी है तो इसका उपयोग राO5 के खाने म6 आटे के साथ गूँथकर पराँठे बनाने
म6 :कया जा सकता है। 5
6. आहार नयोजन को भा&वत करने वाले
कारक
1. आयु
2. 1लंग
3. शारW;रक आकार
4. Qयवसाय-
5. प;रवार क आय
6. &वशेष अव<था6. &वशेष अव<था
7. जलवायु एवं मौसम
8. धमA
9. एलजc व रोग
10. खा.य= क उपलXधता
11. समय एवं शि,त क उपलXधता
12. आदत6-
13. ^Rच
14. सद<य= क संLया
6
7. आहार नयोजन के 1सdाSत
पोषणीय उपयु,तता- पोषणीय उपयु,तता से ता पयA है :क
येक सद<य क पोषक त व= क मा5ा क पू तA हो।
बजट स9बSधी 1मतQय यता
भो2य पदाथ4 क <वीकायAता एवं <वाGद?टताभो2य पदाथ4 क <वीकायAता एवं <वाGद?टता
यह न9न गुण= पर नभAर करती है-
रंग म6 &व&वधता
गंध म6 &व&वधता
रचना म6 &व&वधता
7
8. अRधकतम तृिBत मू_य दान करे
इसके 1लए न9न OबSदुओं पर Pयान देना चाGहए
भोजन क पयाABत मा5ा
शाकाहारW एवं माँसाहारW भोजन
कु छ अवRध के 1लए भो2य पदाथA नहWं eहण करनाकु छ अवRध के 1लए भो2य पदाथA नहWं eहण करना
समय, शि,त व fधन क बचत हो
आहार नयोजन लचीला हो
दै नक आहार नयोजन म6 ह_के तथा भारW दोन= हW तरह के
QयSजन ह=
मौसमी फल= एवं सिXजय= का समावेश
8
9. आहार नयोजन करते समय Pयान देने योgय
बात6
एक बार म6 कम से कम एक सBताह के आहार का नयोजन करना
चाGहए।
बाजार म6 से जो भी सामान लाना हो उसक तैयार करनी चाGहए
िजससे बार-बार बाजार न जाना पड़े।
साधारण एवं उपलXध सामeी को आहार ता1लका म6 सि9म1लत
करना चाGहए िजससे सरलता से आहार तैयार :कया जा सके ।
रसोईघर म6 उपकरण= एवं सामeी के सरलWकरण क hि?ट से
करना चाGहए िजससे सरलता से आहार तैयार :कया जा सके ।
रसोईघर म6 उपकरण= एवं सामeी के सरलWकरण क hि?ट से
Qयव<था करनी चाGहए िजससे कायA कु शलता म6 वृ&d हो सके । जैसे
ेशर कु कर, 1म,सर eाइSडर आGद का योग :कया जाना चाGहए।
QयSजन= का दोहराव कम हो इसके 1लए खा.य= म6 &व&वधता का
यास करना चाGहए।
एक हW समय के आहार म6 एक हW पोषक त व को मुखता नहWं
दW जानी चाGहए। ोटWन, काबiहाइjेट व वसा आGद सभी को आहार
म6 <थान देना चाGहए।
9
10. आहार नयोजन करते समय सवA थम शरWर नमाAणा मक,
:फर शरWर सुरkा मक और बाद म6 ऊजाAदायक पदाथ4 का
चयन करना चाGहए।
आहार नयोजन करते समय ऐसी पाक &वRधयाँ चुननी चाGहए
िजससे पोषक त व कम से कम न?ट ह=।
तGदन एक अथवा दो कचे फल और सिXजय= का भी
आहार म6 योग :कया जाना चाGहए। इससे अनेक पोषकआहार म6 योग :कया जाना चाGहए। इससे अनेक पोषक
त व तो 1मलते हW हT साथ हW रेशा भी शरWर म6 पहुँचता है
जो आँत= क ग त&वRध को <व<थ बनाये रखने म6 सहायक
है।
भोजन के प-चात् खीर, फल अथवा आइसF म आGद मीठ]
व<तु से Rच त सSन रहता है। अतः आहार नयोजन म6
1म?ठान का भी &वधान होना चाGहए। 10