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कई नवयुवक मानिसक रोगी होते ह�
वा�व म� उ�� बीमारी नहीं होती है चालाक और बाजारी हकीम
इनकी कमजोरी से लाभ उठाकर इनक
े स�ेह को बढ़ाते ह� और
�स्थ पु�ष को रोगी बना देते ह�।
ऐसे नवयुवक अपनी अ�ानता क
े कारण कभी कभी आ�ह�ा
कर लेते ह�। �ोंिक वे समझते ह� िक उनका जीवन अब �थ� हो
गया है वे अपनी पूण� अवस्था पर नहीं आ सकते। मगर यह
उनकी भूल है ऐसे रोिगयो को हम िबना दवाई िदये खुराक आिद
क
े बारे म� उिचत सलाह देकर उनको ठीक कर देते ह�। िचिक�ा
स��ी िनः शु� परामश� क
े िलए िमले या या फोन कर परामश�
ल�।
भूिमका
म�ने अपने अनुभव क
े �ारा अिधकतर नवयुवकों को अ�ानता क
े
कारण गलत माग� पर िनराशा क
े अंधकार म� भटकते �ए देखा है
�ोंिक यौन िवषय तथा इसकी अ�ाई बुराई न तो कोई माता-
िपता अपनी संतान को बताते ह� और न ही हमारे देश म� अभी
इस िश�ा का प्रचार िकया जाता है िजस कारण अिधकतर
नवयुवक सही िदशा से भटक जाते ह� तथा कई प्रकार की यौन
संबंधी ��दोष, प्रेमह, शीघ्रपतन, नपुंसकता आिद कमजो�रयों
क
े िशकार हो जाते ह�। इन रोगों से पीि़डत रोगों को घबराना नहीं
चािहए िजस प्रकार बुखार, खांसी जुकाम आिद का इलाज कराने
से रोग म� आराम आ जाता है उसी प्रकार अ�ी िचिक�ा से
सभी यौन रोगों की िशकायत दूर होकर मनु� को नया �ा�
प्रा� हो जाता है।
एक स�े िचिक�क क
े नाते नवयुवकों एवं पु�षों क
े मन म� बैठी
�ई गलत धारणाओं को िनकालकर उ�� पूण� �प से �स्थ
बनाने म� सहयोग देना ही हमारा उ�े� है। हमारा हाशमी
दवाखाना सन! 1929 से अपनी वै�ािनक सलाह एवं सफल
इलाज से रोिगयों को अिधक से अिधक ��� िनरोग हों यही
हमारी अिभलाषा है।
म�ने यह वेबसाइट उ�ीं भटक
े �ए नौजवानों क
े िलए बनाई है
तािक वे इसे पढ़क
े अपनी असली श�� को पहचाने, अपने मन
म� बैठी �ई हीन भावना को दूर करक
े अपना �ा� ठीक कर
सक
े िजससे वे भी अपने जीवन को सुखी एवं आन�मय बना
सक
े ।
सफल जीवन का मह�
पूरे संसार का चक्र �ी और पु�ष पर आधा�रत होता है। कोई
भी बालक अपने बचपन की सीमा लांघकर जब �� होकर
पु�ष कहलाने लगता है तो ही पु�ष की यही इ�ा होती है िक
वह सुन्र �ी का पित बन सक
े और उसक
े साथ अपना गृहस्थ
जीवन सुखमय िबताए तथा �स्थ व िनरोग संतान उ�� करक
े
अपनी वंश बेल को आगे बढ़ाए मगर संसार म� च� ��� ही
ऐसे भा�शाली होते ह� जो इस गृहस्थ सुख का आन� उठाने म�
समथ� होते ह� अ�था अिधकांश ��� तो बचपन की क
ु संगित
एवं गलितयों क
े कारण अपनी जवानी क
े िदनों म� बुढ़ापे को गले
लगा लेते ह� तथा िज�गी का असली आन� िलए िबना ही
असमथ� एवं िनढाल हो जाते ह�।
प्रक
ृ ित ने पु�ष एवं �ी को एक दूसरे का पूरक एवं सहयोगी
बनाया है तथा वे एक दूसरे क
े िबना अधूरे ह�। जब दोनों िमलकर
एक होते ह� तथा दोनों ही अपने जीवन का वा�िवक आन�
उठाते ह� तभी उनका जीवन सफल कहलाता है। �ी पु�ष क
े
जीवन को सफल बनाने क
े िलए सै� का ब�त योगदान है।
यिद पित प�ी का वैवािहक जीवन पूरी तरह से स�ु� रहता है
तो वे दोनों मानिसक व शारी�रक �प से पूरी तरह �स्थ एवं
िनराश रह सकते ह�। अ�था उनक
े बीच रोग, रोग क�, कलह
की दीवार खड़ी हो जाती है जो धीरे धीरे पित प�ी क
े मधुर एवं
पिवत्र �र�ों की नींव िहला देती है तथा अ� म� कई तरह क
े
भयानक प�रणाम सामने आते ह�। इन सभी बातों का कारण कई
बार सै� अंगों क
े प्रित अ�ानता होती है �ोंिक यह तो आपको
मालूम ही है िक जब भी ब�ों को सै� क
े प्रित क
ु छ जानने की
िज�ासा होती है अिधकांश मां बाप इस िवषय को झूठ मूठ बातों
से ब�ों को टाल देते ह� लेिकन ब�ों क
े मन म� इस िवषय को
जानने क
े िलए उ�ुकता ही बनी रहती है तथा वे अपने से बड़े
ब�ों एवं गली मौह�े क
े बुरी संगत वाले िमत्रों आिद से सै�
का बेतुका �ान प्रा� करक
े अपना कोमल मन म��� ग�ा
करक
े अपने जीवन को बबा�द कर लेते ह�। �ान रहे, सै� क
े
प्रित ब�ों को सही �ान देने से इतना नुकसान नहीं होता है
िजतना िक इस िवषय को िछपाने से होता है इसिलए मां बाप को
चािहए िक वे ब�ों क
े �� होने पर उ�� इस बात क
े बारे म�
अ�ी तरह से समझाएं तािक वे गलत रा�े पर भटक कर अपने
जीवन क
े साथ �खलवाड़ न कर सक
� िजससे उनका जीवन
हमेशा क
े िलए सुखमय बन सक
े ।
यह वेबसाइट उन भटक
े �ए नवयुवकों क
े िलए िलखी गई है जो
सै� की अ�ानता क
े कारण गलत संगत एवं गलितयों क
े कारण
�यं अपने ही हाथों अपने जीवन को बबा�दी क
े रा�े पर डाल
चुक
े ह� तथा सही िदशा की तलाश म� नीम हकीमों एव राजा
महाराजाओं वाले चकाच�ध िव�ापनों क
े चुंगल म� फ
ं सकर अपने
जीवन को दुखदायी बना चुक
े ह�। संसार म� सभी ��� एवं
िचिक�क एक जैसे नहीं होते। हमारा भी यह पु�क िलखने का
एक मात्र यही उ�े� है िक आप अपने सै� रोग एवं कमजोरी
दूर करने क
े िलए सही िचिक�ा �ारा अपने शरीर को �स्थ एवं
िनरोग बनाकर अपने भिव� एवं िववािहत जीवन को मधुर एवं
आन�मयी बना सक
�
बचपन की भूल – जवानी का खून
ई�र ने पु�ष को श��शाली इंसान बनाकर इस संसार म�
इसिलए भेजा है िक वह नारी सौ�य� क
े सिमश्रण से नई पौध
लगाकर क
ु दरत का सौंपा काम पूरा कर सक
े िदन भर म� इंसान
को जो क� और परेशािनयां िमलती ह� वह उन सबको रात की
िवश्राम बेला म� रित सुख क
े साथ भूलकर हर नई सुबह िफर से
ताजा और चु� होकर अपना काय� प्रार� कर सक
े । उिचत
परामश� एवं सलाह िलए िबना शादी परेशानी का कारण बन
सकती है। हमारे पास रोज ब�त से पस�नल लैटर आते ह� िजनम�
ब�त से पु�ष अपनी कमजोरी एवं िववािहत जीवन की
परेशानी क
े कारण आ�ह�ा करने का िजक्र करते है। लेिकन
जो आ�ह�ा नहीं करते वे घर से भाग जाते ह� और उनकी
पि�यां लाज शम� छोड़कर पराए पु�षों का सहारा लेने पर
मजबूर हो जाती ह�। यह सब इसिलए होता है िक समय पर उ��
सही माग� दश�न नहीं िमलता । �
ू लों म� उ�� यह बात तो बताई
जाती है िक ग�े नाखूनों को मुंह से नहीं काटना चािहए �ोंिक
ग�े नाखूनों क
े ज�रए ग�ी पेट म� जाकर बीमा�रयां पैदा करती
है लेिकन यह कोई नहीं समझता िक ग�े िवचारों से मनु� का
शारी�रक व मानिसक �प से िकतना बड़ा नुकसान होता है
िजसक
े िकतने भयंकर प�रणाम िनकलते ह�। फल��प नतीजा
यह होता है िक िजस अंग से मनु� को सबसे अिधक सुख
िमलना िनि�त है उसी अंग को क�ी अवस्था म� तिकए या हाथ
की रगड़ से िवक
ृ त कर िदया जाता है उसको इ�ीं साधनों �ारा
क� करक
े अपने जीवन को मझधार म� छोड़ िदया जाता है।
जीवन र�-वीय�
जवानी जीने का सबसे सुहावना समय है। कई नौजवान तो सीधे
ही बचपन से बुढ़ापे की तरफ चले जाते ह�, उ�� पता ही नहीं
होता िक जवानों की कीमत व जवानी का स�ा आन� �ा है?
अिधकतर नवयुवक गलत संगत क
े कारण अपने शरीर से �यं
ही �खलवाड़ करते ह� तथा सही रा�े से भटककर वे यौन
स��ी अनेकों रोगो से िघरकर अपनी सुनहरी िज�गी को
तबाह कर देते ह�। आजकल लगभग 75 प्रितशत नौजवान िकसी
न िकसी �प से यौन रोगों से पीि़डत ह� तथा अपने जीवन क
े
वा�िवक आन� से अंजान ह�। आज क
े नवयुवक �िणक
आन� क
े िलए अपने ही हाथों अपनी िज�गी खराब करने पर
तुले �ए ह�। वे इधर-उधर क
े ग�े वातावरण अ�ील िफ�� व
सै�ी उप�ास व पित्रकाएं देखकर व पढ़कर अपने जीवन का
अनमोल र� वीय�� बबा�द कर देते ह�। वे इधर उधर क
े क ग�े
वातावरण अ�ील िफ�� व सै�ी उप�ास व पित्रकाऐं देखकर
व पढ़कर अपने जीवन का अनमोल र� वीय�� बबा�द कर देते
ह�। तथा कई प्रकार क
े घृिणत रोगों से िघरकर अपनी िज�गी
बबा�द कर लेते ह�। यही शरीर की जान है िजसे ��� िनकालने
म� आन� प्रा� करता है। इसी वीय� को अपनी शरीर म� संग्रह
िकया जाये तो आप �यं ही सोिचए िकतना आन� प्रा� होगा।
वीय� न� होने क
े बाद भटक
े �ए नवयुवक सही िदशा क
े आस
मक
� चकाच�ध वाले िव�ापनों व प्रचार वाली फाम�िसयों एव
��िनकों क
े च�र म� पड़कर अपना धन समय व �ा�
गवांकर अपने जीवन से िनराश हो जाते ह�। वीय� िकस प्रकार से
न� होता है और उससे शरीर को �ा �ा हािन उठानी पड़ती है
उसका िववरण आगे िदया जा रहा है उन िनराश रोिगयों को हम
स�े �दय से अपना परामश� द�गे तथा सही िदशा का �ान
कराएं गे।
ह�मैथुन
हाथ से अपने वीय� को न� करने को हस्थमैथुन कहते ह�, क
ु छ
नवयुवक व िकशोर गलत संगत म� बैठकर, उ�ेजक िफ�े
देखकर या अ�ील पु�क
� पढ़कर अपने मन को काबू म� नहीं
रख पाते तथा िकसी एका� म� जाकर सबसे आसान तरीका
अपने ही हाथों से अपना वीय� िनकालने को अपनाते ह� उ�� यह
नहीं पता िक वे ऐसा काम करक
े अपनी िज�गी म� जहर घोल
रहे ह� िजसका प�रणाम यह होता है िक इ�ी िनब�ल हो जाती है
पतलापन, टेढ़ापन, छोटापन व नीली नस� उभरनी शु� हो
जाती ह� और अ� म� ��� नपुंसकता की ओर बढ़ जाता है।
शरीर म� अ�िधक कमजोरी आ जाती है।
थोड़ी सी बातचीत करक
े िदमाग चकरा जाता है तथा चाहकर भी
इस िक्रया को छोड़ नहीं पाता। हम अपने सफल इलाज से ऐसे
अनिगनत नौजवानों की हस्थमैथुन की आदत छु ड़ा चुक
े ह� जो
यह कहते थे िक यह आदत छ
ू टती नहीं है।
��दोष
सोते समय िदन या रात कोई भी समय हो अपने मन म� बुरे व ग�े
िवचारों क
े कारण सोते समय �� म� िकसी सु�री �ी को
देखकर या अपनी क
ु संगित का �ाल आते ही अपने आप वीय�
िनकल जाता है इसी को ��दोष कहते ह�। यिद ��दोष महीने
म� दो-तीन बार हो तो कोई बात नहीं िक�ु हर रोज़ या स�ाह म�
दो तीन बार हो जाये तो यह रोग भी कम भयंकर नहीं है। यूं तो
��दोष प्रायः सोते �ए इ�ी म� तनाव आने क
े बाद ही होता है
िक�ु यह रोग बढ़ जाने पर इ�ी म� िबना तनाव भी हो जाता है जो
िक गंभीर �स्थित है। इस प्रकार वीय� का नाश होना शरीर को
खोखला बना देता है िजसका असर िदमाग पर पड़ता है। या�ा�
कमजोर हो जाती है वीय� पतला हो जाता है। अ� म� नपुंसकता
की नौबत आ जाती है लेिकन हमारे पास ऐसे नु�े ह� िजनक
े
सेवन से उपरो� सभी िवकार न� होकर शरीर को श�� स��
बनाते ह�।
शीघ्रपतन
स�ोग क
े समय तुरंत वीय� का िनकल जाना शीघ्रपतन कहलाता
है। अ�िधक �ी-प्रसंग, ह�मैथुन, ��दोष, प्रमेह इ�ािद
कारणों से ही यह रोग होता है। सहवास म� लगभग 10-20 िमनट
का समय लगता है लेिकन 3-4 िमनट से पहले ही िबना �ी को
स�ु� िकए अगर �लन हो जाए तो इसे शीघ्रपतन का रोग
समझना चािहए। जब यह रोग अिधकता पर होता है तो �ी से
संभोग करने से पहले ही स�ोग का �ाल करने पर या कपड़े
की रगड़ से ही िचपिचपी लार क
े �प म� वीय�पात हो जाता है।
यिद थोड़ी सी उ�ेजना आती भी है तो इ�ी प्रवेश करते ही
�लन हो जाता है। उस समय पु�ष को िकतनी शिम��गी
उठानी पड़ती है तथा �ी से आंख िमलाने का भी साहस नहीं
रहता। �ी शम� व संकोच क
े कारण अपने पित की इस कमजोरी
को िकसी क
े सामने नहीं कहती लेिकन अ�र ही अ�र ऐसे
कमजोर पित से घृणा करने लगती है िजस कारण उसका
िववािहत जीवन दुखमय बन जाता है। मद� की कमजोरी और
शीघ्रपतन की बीमारी से औरत भी बीमार हो सकती है। ऐसे रोग
का समय रहते उिचत इलाज अव� करना लेना चािहए तािक
रहा सहा जोश एवं �ा� भी समा� न हो जाए। हमारे पास
ऐसी िशकायत� दूर करने क
े िलए ऐसे श��शाली नु�ों वाला
इलाज है िजसक
े सेवन से जीवन का वा�िवक आन� िमलता
है। स�ोग का समय बढ़ जाता है शरीर ह�पु� तथा श��
स�� हो जाता है। �ी को पूण� �प से स�ुि� होकर स�ोग की
चम�सीमा प्रा� होती है। िववािहत जीवन का वा�िवक आन�
प्रा� होकर उनका जीवन सुखमय बन जाता है।
नपुंसकता
युवा अवस्था म� �ी स�ोग या संतान पैदा करने की अयो�ता
को नपुंसकता कहते ह�। इस दशा म� संभोग की कामना होते �ए
भी पु�ष की इ�ी म� उ�ेजना नहीं होती इ�ी बेजान मांग क
े
लोथड़े की तरह िगरी रहती है। उसका आकार भी कम �ादा,
पतला या टेढ़ा हो सकता है। नस� उभरी प्रतीत होती ह�। कामे�ा
होते �ए भी इ�ी म� तनाव नहीं आता यिद पु�ष क
े अपने
भरसक प्रय� से थोड़ी ब�त उ�ेजना इ�ी म� आती भी है तो
स�ोग क
े समय शीघ्र ही �िलत हो जाता है। ऐसे पु�ष को न
तो �ी ही �ार करती है और न ही संतान पैदा होती है। हमारे
सफल नु�ों वाले इलाज से नपुंसकता क
े सभी िवकार ठीक हो
जाते ह� तथा रोगी को िफर से पु�ष� व स�ोग �मता प्रा�
होकर एक नई श��, �
ू ित�, उ�ाह व �ा� प्रा� हो जाता
है।
इंिद्रय-आकार क
े भेद
अब �ी और पु�ष क
े गु�ा स्थानो क
े आकार प्रकार पर िवचार
कर�गे। पु�ष का िलंग लंबाई से और �ी की योिन गहराई से
नापी जाती है।
संभोग का स�� मन और काया दोनों से होता है। जहां तक
मन क
े स�� का �ान है, इसम� �ी और पु�ष का पार��रक
आकष�ण और पर�र शरीर िमलने की प्रबल आकां�ा है। जहां
तक काया अथा�त शरीर क
े स�� का प्र� है, इसम� पु�ष क
े
िश� अथा�त िलंग और �ी की योिन क
े स�ोग की तीव्र इ�ा है,
िजसम� एक या दोनों प�ों का िवशेष िविध से िनज जनने��यों का
पर�र िघसना या रगड़ना, फल��प पु�ष का वीय�पात होना
और �ी को एक िवशेष प्रकार क
े सुख या आन� की अनुभूित
होना, मैथुन काय� म� काल की अिधकता और इस काय� की िविध
ही मु� कारण है।
िलंग क
े आकार क
े अनुसार पु�ष क
े तीन भेद
ह�।
1. शश (खरगोश), 2. वृष (बैल) और 3. अ� (घोड़ा) । यिद
पु�ष का िश� छोटा है तो वह ‘शश’, यिद म�म हो तो ‘वृष’
और यिद बड़ा हो तो ‘अ�’ कहलाता है।
इसी प्रकार �ी क
े तीन भेद होते ह�।
1. मृगी (ह�रणी), 2. बढ़वा (घोड़ी) और 3. ह��नी (हिथनी)।
यिद �ी की योिन छोटी यानी कम गहरी हो तो वह ‘मृगी’, यिद
म�म गहरी हो तो ‘बढ़़वा’ और यिद अिधक गहरी हो तो वह
‘ह��नी’ कहलाती है।
िलंग की मोटाई और ल�ाई म� कमी आते जाना
उ�ेिजत अवस्था म� िश� की ल�ाई ओर मोटाई ब�त हद तक
इस बात पर िनभ�र करती है िक उ�ान क
े � िकतना सश� है।
जैसे ही म��� म� काम जाग्रत होता है वैसे ही सेरीब्रम
(cerebrum) उ�ान क
े � को िलंग क
े �ंजी िटशू म� र� भेजने
का आदेश भेजता है। यिद उ�ान क
े � सश� है तो वह उसी
अनुपात म� उतना ही अिधक र� िलंग म� एकित्रत करने म� समथ�
होता है िजसक
े फल��प िलंग का आकार उसी अनुपात म�
बड़ा हो जाता है। अगर उ�ान क
े � दुब�ल हो चुका है तो िलंग की
ल�ाई, चैड़ाई अपे�ाक
ृ त कम होती है। नपुंसकता की ओर बढ़
रहे युवकों म� जहां काम क
े � दुब�ल पड़ जाते ह� वहां उ�ान क
े �
िवशेष �प से प्रभािवत होता है और दुब�ल उ�ान क
े � पया��
मात्रा म� िलंग म� र� एकित्रत करने म� असमथ� होने क
े कारण
िलंग का आकर प्राक
ृ त �प म� नहींआ पाता है। जैसे-जैसे उ�ान
क
े � की दुब�लता बढ़ती जाती है वैसे-वैसे िलंग की ल�ाई� और
चैड़़ाई कम होती जाती है। उ�ेिजत िलंग क
े सामा� से कम
आकार को देखकर िन�ष� िनकालना चािहए िक उ�ान क
े �
िनब�ल हो चुका है। यिद यह दुब�लता बढ़ती रहती है तो एक
अवस्था ऐसी आती है जब उ�ान क
े � म� िब�
ु ल र� नहीं भर
पाता और प�रणाम��प िलंग म� उ�ान नहीं होता। इसको ही
पूण� नपुंसकता कहते ह�। ऐसी अवस्था उ�� हो इसिलए
उ�ेिजत िलंग क
े आकार म� कमी देखते ही उिचत िचिक�ा
समय रहते ही करा लेनी चािहए।
िलंग म� वृ�� क
ै से स�व है?
जब कोई ��� सै� से स���त कामुक िच�न करता है या
कोई अ�ील िकताब, या उसक
े बारे म� सोचता है, या �ी से
स�ोग की इ�ा रखता है तो उसक
े म��� क
ु छ िवशेष
हाम�न का स्रवण करते ह� जो िलंग म� र� क
े प्रवाह को तीव्र कर
देता है और कॉप�स क
े वेरनोसम (Corpus Cavermosum)
नामक ऊतक म� र� इक�ा होकर िलंग का आकार बढ़ा देता
है। पूण� उ�ेिजत अवस्था म� िलंग क
े इन उतकों म� र� अपनी
अिधकतम मात्रा म� होता है। इस अवस्था म� िलंग अिधक ठोस,
�ढ़ व सीधा हो जाता है। वीय� �लन क
े समय जब ���
मानिसक �प से संतु� हो जाता है तो दूसरे हाम�न कॉप�स
�ो�न्जयोसम को उ�ेिजत करते है जो वीय� को वेग व गित प्रदान
करते ह�। इस पूरी प्रिक्रया म� िकसी भी कमी की वजह से पूरा तंत्र
ही गड़बड़ा जाता है।
पतले, टेढे, छोटे व आगे से मोटे व पीछे से पतले िलंग उ� पूरी
प्रिक्रया म� िकसी न िकसी दोष से पीि़डत होते ह�। इस प्रकार क
े
िलंग वाले लोगों म� क
े वेरनोसम और �ा�न्जयोसम की कोिशकाऐं
पूरी तरह से सुगिठत नहीं होती िजनसे इनम� अिधक र� ग्रहण
करने की �मता व इन कोिशकाओं म� अिधक समय तक र�
रोक
े रखने की �मता नहीं होती।
हमारे हब�ल खाने व लगाने क
े इलाज से कॉप�स क
े वेरनोसम और
कॉप�स �ा�न्जयोसम ऊतकों म� वृ�� होती है, इन ऊतकों की
कोिशकाओं का आकार बढ जाता है िजनम� र� इक�ा होता है
िजसक
े फल��प िलंग क
े आकार म� वृ�� होती है और
इसक
े साथ-साथ िलंग म� उ�ान �मता भी बढ़ जाती है।
इस इलाज से 20-30 प्रितशत िलंग आयतन वृ�� स�व है तथा
िलंग म� .5 इंच से 2 इंच तक की वृ�� हो जाती है। िलंग क
े इन
ऊतकों व पेशी को सुगिठत करने क
े िलए हब�ल इलाज की
आव�कता होती है िजससे शीघ्र लाभ होता है। इस इलाज से
शीघ्रपतन दूर होता है, नपुंसकता व यौन सम�ाओं से मु��,
िलंग की ल�ाई व मोटाई म� वृ��, वीय� म� शुक्राणुओं की वृ��,
प्रो�ेट ग्र�� की काय��मता को बढ़ाता है, बार-बार पेशाब से
छु टकारा होता है, यौन �मता बढ़ाता है, िलंग म� पूण� कठोरता व
उ�ेजना होती है, आ�िव�ास बढ़ाता है, टे�ो�ेरोन हाम�न की
वृ�� करता है। इस इलाज का कोई साईड इफ
ै � भी नहीं होता
है।
शुक्रहीनता
कई पु�षों को यौन स��ी कोई रोग नहीं होता तथा सहवास क
े
समय उनक
े िशशन म� उ�ेजना व तनाव भी सामा� ��� जैसा
ही होता है। स�ोग श�� भी पूण� होती है िक�ु उनक
े वीय� म�
संतान उ�� करने वाले शुक्राणु या तो िब�
ु ल ही नहीं होते या
ब�त कमजोर एवं मंदगित से चलने वाले होते ह� िजससे पु�ष
संतान उ�� करने यो� नहीं माना जाता सकता। कई बार इस
रोग क
े साथ ��� की िपछली गलितयों क
े कारण या अ�िधक
वीय� नाश क
े कारण और भी कई रोग लगे �ए होते ह� तो ऐसे
रोगों क
े िलए यूनानी एवं श��शाली नु�ों �ारा तैयार इलाज
सबसे बेहतर माना जाता है। हमारे ऐसे ही सफल इलाज म�
असं� रोगी भाई जो िनराश होकर संतान पैदा करने की चाहत
ही मन म� से िनकाल चुक
े थे अब व िनराशा को आशा म� बलकर
संतान पैदा करने यो� बन चुक
े ह�।
सुजाक :
यह रोग भयानक एवं छ
ू त का रोग है यह रोग ग�ी ��यों व
वे�ाओं क
े साथ स�ोग करने से होता है। इसकी िनशानी यह है
िक स�ोग क
े क
ु छ िदन बाद रोगी क
े पेशाब म� जलन होनी
शु� हो जाती है। पेशाब लाल और गम� आता है पेशाब करते
इतनी जलन होती है िक रोगी सचमुच कराहने लगता है। क
ु छ
िदनों क
े बाद गु� इंद्री म� से पीप िनकलनी शु� हो जाती है और
कभी कभी पेशाब क
े साथ खून भी आना शु� हो जाता है। �ों
�ों यह रोग पुराना होता है दद� जलन एवं चुभन घटती जाती है।
क
े वल पीप बहता रहता है। यह पीप इतना जहरीला होता है िक
यिद बे�ानी म� िकसी रोगी की आंख पर लग जाए तो अ�ा होने
की आशंका रहती है। इस रोग क
े कीटाणु धीरे धीरे र� मे प्रवेश
करक
े अ� अंगों पर भी असर डालते है। यिद रोग क
े जरा भी
ल�ण िदखाई द� तो आप तुरंत िचिक�ा कराएं । हमारे इलाज से
इस रोग क
े अनेकों रोगी ठीक होकर तन्दु�� जीवन �तीत
कर रहे ह�।
गम� (आतशक)
यह रोग भी सुजाक की तरह अ�� भयानक रोगों म� से एक है।
यह भी बाजा� औरतों क
े संसग� से होता है। इस रोग म� स�ोग
क
े क
ु छ िदन बाद इ�ी पर एक मसूर क
े दाने की तरह फ
ु �ी
होती है जो ज�ी ही फ
ै लकर ज� बन जाता है। आतशक दो
प्रकार का होता है। एक का प्रभाव इ�ी पर होता है तथा दूसरे का
प्रभाव र� पर होता है। शरीर क
े िकसी भी भाग पर फ
ू ट
िनकलता है। इसका पहला भाग मामूली होता है। यिद इसक
े
इलाज म� देरी या लापरवाही की जाए तो यह रोग ��� की कई
पीि़ढयों तक पीछा नहीं छोड़ता। पहली श्रेणी का घाव इ�ी पर
होता है लेिकन दूसरी श्रेणी म� आतशक का जहर र� म� फ
ै लने
क
े कारण शरीर पर काले काले दाग तथा खुजली व तांबे क
े रंग
की छोटी छोटी फ
ु ��यां उ�� हो जाती है। जब यह रोग बढ़
जाता है तो इसका प्रभाव हि�यों म� चला जाता है। कोि़ढयों की
तरह बड़े बड़े घाव हो जाते ह�। नाक की ह�ी गल जाती है। यिद
इस रोग क
े कीटाणु िदमाग पर असर कर� तो अंधा भी हो सकता
है तथा अ� म� मृ�ु तक संभव है। इसिलए इस रोग क
े जरा भी
प्रकट होते ही तुर� इसका इलाज करा लेना चािहए �ोंिक ययह
छ
ू त का रोग है िकसी और से लगकर िकसी ओर को लगता रहता
है। हमारे सफल इलाज से ऐसे रोगों से िनराश रोगी �स्थ होकर
अपना िनरोगी जीवन �तीत कर रहे ह�।
�ी रोग
मािलक ने �ी और पु�ष को एक दूसरे क
े िलए बनाया है लेिकन
दोनों की शरीर संरचना अलग अलग होती है। जो लोग क
े वल
�ी संरचना म� क
े वल �ी को ही होते ह� उ�� �ी रोग कहते ह�।
ये रोग भी काफी क�कारी होते ह�। कमर, शरीर म� दद� होता है,
शरीर थका थका सा रहता है, कामकाज म� मन नहीं लगता तथा
�ी अपनी आयु से पहले ही �ा� व सौ�य� खो बैठती है।
अपनी उम्र से बड़ी िदखाई देने लगती है मैथुन श�� भी कम हो
जाती है तथा अपने पित को पूरी तरह से सहयोग नहीं दे पाती,
िजस कारण पित प�ी दोनों का िववािहत जीवन दुखमय हो जाता
है। इसका असर आने वाली स�ान या ब�ों पर भी पड़ता है।
पा�रवा�रक ढांचा चरमरा जाता है। �ी रोग कई प्रकार क
े होते
ह�। लेिकन क
ु छ रोग ��यों म� अिधकतर खानपान, रहन, सहन,
जलवायु या वातावरण क
े कारण होते ह�।
जो िभ� िभ� प्रकार क
े होते ह�-
मािसक-धम� स��ी दोषः
�ी योिन क
े प्र�ेक मास जो र� आता है उसे मािसक धम�
कहते ह�। �ी की सेहत व स�ान उ�ि� इसी मािसक धम� क
े
चक्र पर आधा�रत है। मािसक धम� ठीक समय पर िबना क� व
उिचत मात्रा म� आने से गभा�धारण की �मता रहती है और
स�ोग भी आन�पूण� होता है लेिकन यिद मािसक धम� िनयिमत
मात्रा या अविध से कम �ादा हो तथा अिधक क�पूण� हो तो
इससे �ी क
े �ा� पर बुरा असर पड़ता है तथा तरह तरह क
े
रोग लग जाते ह�। �ी िनब�ल और कमजोर हो जाती है। यौवन
समा� हो जाता है। हमारे सफल इलाज से अिनयिमत मािसक
धम� िनयिमत होकर िबना क� क
े खुलकर आने लगता है। ब�
मािसक धम� चालू हो जाता है तथा मािसक का अिधक आना
ठीक होकर �ी का चेहरा िनखरकर खोया सौ�य� पुनः लौटने
लगता है।
क�पूण� मािसक धम�ः
यूं तो यह िशकायत िकसी भी �ी को हो सकती है लेिकन
िवशेषकर कम उम्र की युवितयों म� अ�र पाई जाती है उ��
मािसक धम� आने पर इतना क� व दद� होता है जो कहा नहीं जा
सकता। एक दो िदन पहले से ही बैचेनी होने लगती है तथा
मसिक क
े िदन पेट व टांगों म� दद� क
े कारण शरीर बेजान हो
जाता है। तथा मािसक अिनयिमत हो जाता है।
अिधक �ावः
इस दशा म� मािसक धम� िनयिमत होता है लेिकन र� �ाव
मात्रा से काफी अिधक होता है। साधारणतः मािसक �ाव 4-5
िदन म� ही ब� हो जाना चािहए िक�ु इस िवकार म� 6 से 8 िदन
तक या कभी कभी इससे भी अिधक होता है। ऐसी हालत म� �ी
क
े �ा� पर ब�त बुरा असर पड़ता है। कमजोरी, च�र,
अंधेरा, हाथ, पैर, शरीर म� दद� आिद की िशकायत हो जाती है।
उिचत इलाज �ारा ऐसी हालत ठीक हो जाती है।
�ेत प्रदर (िलको�रया)
यह रोग ��यों क
े �ा� पर बुरा असर डालता है। सामा� �प
से योिन का गीला रहना कोई दोष नहीं है लेिकन क
ु छ ��यों को
गभा�शय की िझ�ी व योिन माग� से तरल द्र� का �ाव इतना
अिधक होता है िक पहने �ए अ�र क
े कपड़ों पर भी दाग या
ध�े पड़ जाते ह�। यह �ाव पानी जैसा पतला भी हो सकता है
और अंडे की जद� जैसा गाढ़ा भी। �ी की जब कामे�ा बढ़ती है
तथा स�ोग क
े प्रित लालसा अिधक होती है तो �ाव और
अिधक होता है। योिन माग� म� खुजली भी रहती है। यिद अिधक
खुजलाया जाये तो उस स्थान पर सूजन भी आ जाती है जब यह
रोग बढ़ जाता है तो कमर व पेड
ू म� दद�, भूख न लगना व चेहरा
मुरझा जाना, चेहरे पर ध�े, िदल धड़कना, िसर चकराना आिद
अनेकों िशकायत� �ी को हो जाती है। िजससे गभ�धारण की
�मता कम हो जाती है। इसका इलाज समय पर ही करा लेना
आव�क है। अ�था रोग बढ़ जाता है तथा िफर िचिक�ा म�
किठनाई पैदा होती है।
िनसंतान लोगों क
े ज�र परामश�
िववाह क
े बाद हर �ी पु�ष की यही इ�ा होती है िक उनक
े
घर भी एक न�ा मु�ा िशशु फ
ू ल क
े �प म� उनकी गृहस्थी की
बिगया म� �खले। पु�ष की कामना यही रहती है िक उस िशशु क
े
�प म� उसकी वंश बेल िवकिसत हो तथा पीढ़ी दर पीढ़ी उसका
भी नाम चलता रहे लेिकन संतान न होने पर घर की खुशी, कलह
और अशांित म� बदल जाती है। कई भोले-भाले लोग तो ढोंगी साधु
संतों व ताबीज ग�ों क
े च�र म� पड़कर अपना समय और
पैसा �थ� म� ही गवां देते ह�। िजनक
े यहां संतान नहीं होती उ��
पहले स�ान न होने क
े कारण �ी को ही दोष देते ह� लेिकन दोष
�यं म� ही होता है और व संतान क
े िलए दूसरी शादी भी कर लेते
ह�। ऐसी �स्थित िज�गी को और भी अिधक अ� �� कर देती
है। िनस�ान लोगों को हमारा यही परामश� है िक सबसे पहले
पित प�ी दोनों अपना भली भांित शारी�रक जांच व ज�री टे�
करवाएं तािक असली दोष का पता चल सक
े िफर उसी दोष का
उपयु� इलाज िकसी यो� िचिक�क से कराएं तािक उनको
ज�ी ही स�ान सुख प्रा� हो सक
े । यमं तो जह जगह आपको
संतान प्रा�� क
े बड़े बड़े िव�ापन देखने को िमल जाएं गे लेिकन
असली इलाज वही िजससे क
ु छ लाभ की आशा िमले इसक
े िलए
हम आपको सही और उिचत परामश� द�गे तथा हमारा यही
उ�े� रहेगा िक आप इधर उधर न भटक
� �थ म� अपना समय
और पैसे बबा�द न कर� तथा सही लाभ व सही िदशा �ान प्रा�
कर सक
� ।
�ी रोग जिनत स�ान हीनता
ऐसी अवस्था म� पु�ष तो स�ान पैदा करने यो� होता है तथा
उनम� शुक्राणु भी सामा� अवस्था म� पाये जाते ह�। लेिकन उनकी
प�ी की गभ�धारण �मता कम या समा� हो जाती है। कभी कभी
�ी गभा�शय म� सूजन होती है िजससे नलों व पूडे म� दद� बना
रहता है, मािसक चक्र अिनयिमत हो जाता है। प्र�ेक �ी क
े
गभा�शय क
े साथ दो िड� नली होती है िजसम� से प्र�ेक मास
मािसक धम� क
े बाद गभ� धारण करने वाले िड� िनकलते ह� तथा
पु�ष संसग� से िनकले �ए वीय� म� िमले �ए शुक्राणुओं की प्रती�ा
करते ह�। �ान रहे, पु�ष क
े वीय� म� असं� शुक्राणु होते ह� यिद
�ी �स्थ व िनरोग हो तो उसक
े िड� क
े िलए एक ही शुक्राणु
काफी होता है जो िड� निलका म� ही िड� से िमलकर तथा नली
क
े आ��रक नसों म� प्रवािहत होकर गभा�शय म� प�ंच जाता है
जहां वह अंक
ु �रत होने लगता है िजससे संतान की नींव पड़ जाती
है। गभा�शय क
े मुख से लेकर योिन मुख तक कई प्रकार की
ग्र��या होती ह�, िजनम� कई प्रकार क
े रस बनते ह� जो पु�ष �ारा
रोिपत शुक्राणुओं को लेकर िड� तक सुरि�त प�ंचाते ह� तथा
�ी को गभ�वती होने से पूरा सहयोग देते ह�। यिद इन ग्र��यों म�
कोई खराबी होगी तो इनम� शुक्राणु एवं िड� र�क रस नहीं
बन�गे फल��प शुक्राणु योिन एवं गभा�शय क
े बीच ही न� हो
जाने पर गभ� नहीं ठहरेगा। ऐसी हालत म� �ी को िकसी यो� व
अनुभवी िचिक�क से उिचत परामश� एवं ज�री टै� क
े बाद
अपना इलाज करा लेना चािहए �ी क
े प्रजनन ग्र��यां ठीक
प्रकार से काम करने लगे गभा�शय म� यिद सूजन हो तो समा� हो
सक
े , नलों व पेड
ू का दद� आिद दूर होकर मािसक चक्र िनयिमत
हो जाए तथा गभ�धारण श�� बढ़कर गभा�धान हो सक
े । हमारे
पास भी ऐसा सफल् इलाज है िजनक
े सेवन से �ी स�ान उ�ि�
म� बाधक सभी िवकारों को दूर करक
े अपनी गभ�धारण �मता
बढ़ सकती है तथा गभ�वती हो सकती है।
कामयाबी का राज
हाशमी दवाखाना िव� म� अपनी तरह का एक मात्र अ�ाधुिनक
दवाखाना है िजसम� �ी पु�षो की शारी�रक व मदा�ना
कमजो�रयों का अपने तजुब� क
े आधार पर हब�ल इलाज िकया
जाता है। रोगी की �स्थित, प्रक
ृ ित, उम्र और मौसम को �ान म�
रखकर पूरी हमदद� व गंभीरता क
े साथ रोगी क
े िलए जड़ी-
बूिटयों, रस, द्र� एवं भ�ों से यु� नु�ों से तैयार इलाज चुना
जाता है तािक रोगी को अपनी सम�ाओं व कमजो�रयों से
हमेशा क
े िलए ज�ी ही छु टकारा िमल जाए। इसी कारण से
रोगी ब�त दूर-दूर से हमारे दवाखाने म� �यं इलाज प्रा� करने
क
े िलए आते ह�। हम रोगी को असली व शीघ्र गुणकारी औषिधयों
से बना �आ हब�ल इलाज देते ह� और उसम� सौ फीसदी असली
जड़ी-बूिटयों, भ�ों का इ�ेमाल करते ह�। हमारे पास अनिगनत
रोगी भाईयों पर आजमाए �ए गु� प्राचीन नु�े है जो रोगी को
िनरोग व त��� बनाकर िज�गी भर सुखी बनाए रखते ह�।
धातु, ��दोष, नामद�, शीघ्रपतन,
संतानहीनता, �ी रोग आिद रोग कोई घृिणत व
लाइलाज रोग नहीं ह� इसिलए इन रोगों से पीि़डत
रोिगयों को घबराना नहीं चािहए ब�� समझदारी
से काम लेना चािहए, उ�म िचिक�ा से यह रोग
हमेशा क
े िलए दू र हो जाते ह�। इन रोगों से पीि़डत
होना कोई पाप नहीं है, इसिलए कभी भी शम�
संकोच नहीं करनी चािहए। वा�व म� अ�ानतावश
भटक
े �ए रोिगयों क
े मन म� से गलत धारणाओ को
िनकाल कर िनरोग बनाना और सही इलाज करना
ही हमारा उ�े� है।
अनेक रोगों की दवा-सै�
सै� अनेक रोगों की दवा भी है। जहां पर िववािहत जीवन म�
सै� एक दूजे क
े बीच सुख, आनंद, अपनापन लाता है, वहीं
एक दूजे क
े �ा� एवं सौ�य� को भी बनाए रखता है। सै� से
शरीर म� अनेक प्रकार क
े हाम�� उ�� होते ह�, जो शरीर क
े
�ा� एवं सौ�य� को बनाए रखने म� सहायक होते ह�। सै� म�
एं डािफ
� न हाम�न की मात्रा बढ जाती है, िजससे �चा सुंदर,
िचकनी, व चमकदार बनती है। ए�ोजन हाम�न शरीर क
े िलए
चम�ार है, जो एक अनोखे सुख की अनुभूित कराता है। उनम�
उ�ेजना, उ�ाह, उमंग और आ�िव�ास भी अिधक होता
है। सै� से परहेज करने वाले शम�, संकोच व तनाव से पीि़डत
रहते ह�। िदमाग को तरोताजा रखने व तनाव को दूर करने क
े
िलए िनयिमत सै� एक अ�ा उपाय है। सै� �दय रोग,
मानिसक तनाव, र�चाप और िदल क
े दौरे से दूर रखता है।
सै� से दूर भागने वाले इन रोगों से अिधक पीि़डत रहते ह�।
सै� एक प्रकार का �ायाम भी है। इसक
े िलए खास िक� क
े
सूट, शूज या मंहगी ए�रसाइज सामग्री की आव�कता नहीं
होती। सै� �ायाम, शरीर की मांसपेिशयों क
े �खंचाव को दूर
करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार संभोग
िक्रया करने से, िकसी थका देने वाले �ायाम या तैराकी क
े 10-
20 च�रों से अिधक असरदार होती है। सै� िवशेष�ों क
े
अनुसार मोटापा दूर करने क
े िलए सै� काफी सहायक िस(
होता है। सै� से शारी�रक ऊजा� खच� होती है, िजससे िक चब�
घटती है। एक बार की संभोग िक्रया म� 100 से 500 क
ै लोरी ऊजा�
खच� होती है।
आह, उह, आउच, कमरदद�, पीठ दद�, गद�न दद� से परेशान प�ी
आज नहीं, अभी नहीं करती ह�, लेिकन यिद वह िबना िकसी भय
क
े पित क
े साथ संभोग िक्रया म� शािमल हो जाए तो उसक
े दद�
को उड़न छ
ू होने म� देर नहीं लगती । िसर दद�, माइग्रेन, िदमाग
की नसों म� िसक
ु ड़न, उ�ाद, िह�ी�रया आिद का सै� एक
सफल इलाज है। अिनद्रा की बीमारी म� िब�र पर करवट
बदलने या बालकनी म� रातभर टहलने क
े बजाए बेड पर बगल
म� लेटी या लेटे साथी से सै� की पहल कर�, िफर देख� िक खरा�ट�
आने म� �ादा देर नहीं लगती। िनयिमत �प से संभोग िक्रया म�
पित को सहयोग देने वाली �ी माहवारी क
े सम� िवकारों से
दूर रहती है। राित्र क
े अ��म पहर म� िकया गया सै� िदनभर
क
े िलए तरोताजा कर देता है। सै� को िसफ
� यौन स�� तक
ही सीिमत न रख�। इसम� अपनी िदनचया� की छोटी-छोटी बांते,
हंसी-मजाक, �श�, आिलंगन, चुंबन आिद को शािमल कर�।
संभोग िक्रया तभी पूण� मानी जाएगी। सै� क
े बारे म� यह बात
�ान रख� िक अपनी प�ी क
े साथ या अपने पित क
े साथ िकया
गया सै� �ा� एवं सौंदय� को बनाए रखता है। इस प्रसंग म�
यह बात िवशेष �ान देने यो� है िक जहां िववािहत जीवन म�
प�ी क
े साथ संभोग िक्रया अनेक तरह से लाभप्रद है, वहीं अवैध
�प से वे�ाओं व बाजा� औरतों क
े साथ बनाए गये सै�
स��ों से अिनद्रा, �दय रोग, मानिसक िवकार, ठं डापन,
िसफिलस, सुजाक, गने�रया, एड्स जैसी अनेक प्रकार की
बीमा�रयाँ उ�� हो सकती ह�। यिद आप सफल व संतुि�दायक
सै� करने म� असमथ� ह� और सै� से स���त िकसी भी
कमजोरी या िशकायत से परेशान ह� तो बेिझझक िमल�।
स�ोग का समय िकतना होना चािहए
यह एक ऐसा प्र� है है जो प्रायः रोगी भाई हमसे पूछते रहते ह� िक
स�ोग का समय िकतना होना चािहए? इस स�� म� अलग
अलग िचिक�कों की अलग अलग राय है, क
ु छ िचिक�क यह
मानते ह� िक स�ोग की अविध 3-4 िमनट होनी चािहए,
जबिक क
ु छ यह मानते ह� िक योिन म� िलंग प्रवेश क
े बाद 15
िमनट तक स�ोग िकया जाना चािहए। इस स�� म� हमारी राय
यही है िक स�ोग की आदश� अविध वह होनी चािहए िजसम� �ी
व पु�ष दोनों उ�ेजना की चरम सीमा पर प�ंच जाए और दोनों
ही स�ोग का शारी�रक व मानिसक आन� प्रा� कर सक
े ।
यिद िकसी �ी व पु�ष क
े बीच स�ोग क
े समय दोनों क
े
आन� की चरम सीमा तक प�ंचने क
े पहले ही �स्ख्लत हो जाता
है और स�ोग म� िकसी एक को पूरा आन� प्रा� न हो तो उन
दोनों का िववािहक जीवन बेकार हो जाता है। ऐसे म� िकसी यो�
िचिक�क की सलाह लेनी चािहए, िजससे स्थायी इलाज कराने
क ◌े बाद पित प�ी दोनों पूरी तरह स�ु� होकर अपने वैवािहक
जीवन का वा�िवक आन� उठाते �ए सुखमय जीवन �तीत
कर सक
े ।
शा�ो�-यूनानी नु�े
सिदयों से यूनानी इलाज को हर वग� की तरफ से यहाँ तक िक
देश िवदेश म� भी मा�ता िमलती आ रही है �ोंिक आज की
आधुिनक ऐलोपैिथक िचिक�ा मनु� की िजन तकलीफों का
इलाज नहीं कर सकती उ�ीं तकलीफों का इलाज यूनानी
िचिक�ा से सुलभ है। यूनानी इलाज से जिटल से जिटल
शारी�रक �ािधयों का भी सफल इलाज हो सकता है।
हजारों वष� पहले ऐलोपैथी इलाज का चलन नहीं था तब मनु� क
े
सभी रोगों का इलाज यूनानी प�ित से ही होता था। िजससे
मनु� पूरी तरह से आराम पा जाता था। आज क
े युग म� भी वही
नु��, जड़ी-बूिटयां, खिनजों, द्र�ों, क
ु �ों, रसायनों एवं कीमती
भ�ों आिद से प�र�
ृ त वै�ािनक प(ित �ारा तैयार िकये जाते ह�
िजनका असर भी काफी तेज व प्रभावशाली होता है।
क
ु छ लोगों ने लालचवश अिधक धन बटोरने क
े िलए शु� जड़ी
बूिटयों व द्र�ों क
े बदले नकली रंगो व रसायनों का प्रयोग करक
े
अपने इलाज को राजा महाराजा व नवावों वाला इलाज बताकर
यूनानी को बदनाम कर िदया है इसका मतलब तो यही है िक
पहले यूनानी इलाज िसफ
� राजा महाराजाओं का ही िकया जाता
था, साधारण जनता का नहीं। इ�ीं सब बातों को �ान म� रखकर
हमन� शु� यूनानी तरीक
े से दुल�भ असली जड़ी-बूटी, असली
द्र�ों व रसायनों तथा कीमती भ�ों, क
ु �ों से इलाज तैयार
करक
े उन िनराश रोिगयों की सेवा करने का संक� िलया है जो
कई प्रकार क
े रोगों से िघरकर अपने जीवन को नक
� बना चुक
े
ह�। तथा राजा महाराजा व नवाबों वाले इलाज की साम�य नहीं
रखते। ऐसे रोगी िनराश न हों हमसे िमल� या िलख� उ�� सही
रा�ा बताकर भटक
े �ए तथा िनराश �ए रोिगयों को �ा�
लाभ प्रा� कराकर उ�� सही िदशा प्रदान कर�गे।
आज क
े युग म� पहले तो असली व�ु को प्रा� करना ही किठन
है यिद प्रा� भी हो गई तो कौन िचिक�क इतना किठन प�रश्रम
या पैसा खच� करता है लेिकन हमारे पास िसफ
� रोगी का क�ाण
है, रोगी का रोग दूर हो तथा वह जीवन भर सुखी रहे तािक हम�
भी यश प्रा� हो हम इसी उ�े� को लेकर उ�म से उ�म
इलाज तैयार करते ह�। इलाज वही िजससे रोग उम्र भर क
े िलए
कट जाये और रोगी को एकदम �स्थ व िनरोग बना दे। ऐसे
प्रभावशाली इलाज का वण�न प्राचीन शा�ों व ग्र�ों म� है। हमारे
इलाज का भी मूल आधार यही ग्र� ह�।
जड़ी-बूिटयों एवं भ�ों का मह�
यूं तो इलाज म� प्रयोग होने वाली अनिगनत जड़ी-बूिटयां, खिनज
व भ�� ह� यिद हम सभी का वण�न करने तो इसक
े िलए एक
मोटी पु�क अलग से िलखनी पड़ जाएगी लेिकन हम यहां
आपकी जानकारी क
े िलए क
ु छ चुनी �ई जड़ी बूिटयों एवं भ�ों
क
े नाम िलख रहे ह� िजनक
े गुण अलग-अलग ह� तथा ये सब रोगी
की पूरी हालत, रोग, उम्र व मौसम क
े अनुसार इलाज म� प्रयोग
की जाती ह�।
हीरक भ�, मु�ा भ�, �ण� भ�, अभ्रक भ�, लोहा भ�,
य� भ�, िस( मकर�ज, कहरवा, िप�ी,जाफरान, अ�र,
मु�, जायफल, जािवत्री, वंशलोचन, अ�गंधा, िशलाजीत, छोटी
इलायची, हरड़, बहेड़ा, आँवला, गोख�, कोंच बीज, मूसली,
शतावरी, सालब िमश्री, मुलहठी, अकरकरा, सेमल की जड़,
िवधारा आिद अनेकों ऐसे रस-रसायन ह� िजनक
े प्रभाव अलग-
अलग होते ह� तथा इनक
े सेवन से िदमागी नाि़डयों और ग्र��यों
की श�� बढ़ती है,वीय� पु� होता है। िदमाग, िजगर, गुदा�,
मसाना, अ�कोष आिद अंगों की कमजोरी दूर हो जाती है।
थकावट, डर, वहम, घबराहट, क्रोध, च�र, बैचेनी,
िचड़िचड़ापन, काम म� मन न लगना, टांगों, बांहों व कमर म� दद�,
थोड़ा सा काम करने से सांस फ
ू लना, भूख कम लगना, क�,
पेट गैस, र� की कमी, शीघ्रपतन,��दोष, प्रमेह, पेशाब का
बार बार आना, नपुंसकता, कमजोरी आिद सभी िशकायत� दूर
हो जाती ह� इसम� ऐसी जड़ी-बूिटयां व भ�� भी ह� िजनसे खाया-
िपया शीघ्र ही पच जाता है शरीर को भी लगने लगता है, नया खून
बनता है, िजससे चेहरे पर नई रौनक व चमक आ जाती है िदल
म� उ�ाह और शरीर म� �
ू ित� पैदा होती है खोई �ई मदा�ना व
शारी�रक ताकत वापस लौट आती है शरीर उमंगों व जवानी
की बहारों म� लह लहा उठता है। ��� को पूण� �प से पु�ष
कहलाने का अिधकार प्रा� होता है।
सफल जीवन का रह�
1.सुबह सवेरे उठकर प्रितिदन सैर कर� यिद हो सक
े तो क
ु छ
�ायाम कर�। भोजन ह�ा, स�ुिलत व ज�ी ही हज़म
होने वाला कर�। राित्र को भोजन सोने से 2-3 घंट� पहले ही
कर ल�। क� न रहने दे।
2.ह�मैथुन न करे, ग�े उप�ास तथा अ�ील सािह� न
पढ़े मन क
े िवचार शु� अ�ा सािह� पढ़े जब भी मन म�
बुरे िवचार आय� तो अपने प्रभु को याद कर�।
3.सोने से पहले मूत्र �ाग अव� कर ल� तथा रात म� जब भी
नींद खुले तो पेशाब कर ल�, सुबह शौच समय पर जाय�।
अपनी गु�े�ी की सफाई हर रोज नहाते समय कर�।
अ�था मैल जम कर खुजली उ�� करेगी।
4.वे�ाओं क
े संपक
� से हमेशा दूर रह� उनका स�क
� ही
अनेक रोगों का मूल कारण है। एड्स जैसी प्राण घातक
बीमारी भी हो सकती है तथा तन,मन धन तीनों का ही नाश
होता है।
5.मािसक समय म� �ी से सं�ोग कदािप न कर� इससे कई
तरह की बीमा�रयाँ हो जाती है। अिधक स�ोग न करे।
िदन प्रितिदन क
े स�ोग से न तो �ी को संतुि� होती है
तथा न ही पु�ष म� श�� रहती है। याद रख�, ��या
अिधक सं�ोग से प्रस� नही रहती जब भी स�ोग कर� जी
भर क
े करे तािक �ी को परम संतुि� प्रा� हो।
6.कभी-कभी शरीर म� तेल की मािलश कर�। मािलश करने से
शरीर सुगिठत होगा कमजो◌े री सु�ी दूर होगी तथा चेहरे
पर चमक आयेगी राित्र को अिधक कपड़े पहन कर नहीं
सोना चािहए।
7.िववाह से पहले शारी�रक िनरी�ण िकसी अनुभवी व यो�
िचिक�क से अव� करा लेना चािहए �ां◌े िक थोड़ी सी
कमी आपक
े पूरे िववािहत जीवन म� दरार डाल सकती है।
8.िकसी रोग का संक्रमण होते ही तुर� अपना इलाज कराना
चािहए �ोंिक समय पर इलाज न होने पर रोग क
े अिधक
बढ़ जाने का डर रहता है िफर रोग को पूरी तरह दूर करने
क
े िलए अिधक किठनाई उठानी पड़ सकती है।
9.बाद एक प�ात् एक ठीक िनि�त अ�राल पर भोग िवलास
करना गृहस्थ जीवन का ब्र�चाय� है। स�ोग का उ�म
समय राित्र 12 बजे से 4 बजे तक है। स�ोग से पहले िकसी
प्रकार का नशा न कर�।
10. प्र�ेक ��� म� एक अमृतक
ु � है जो इ�ी �ारा
टपक-टपक कर बह जाता है। इ�ी क
े ऊपर िनय�ण
रखकर इस अमृतक
ु � की र�ा की जा सकती है।
पित-प�ी का पहला िमलन सुहागरात
सुहागरात का यह प्रथम िमलन क
े वल शारी�रक िमलन ही नहीं
होता ब�� मानिसक व आ��क िमलन है। इस घड़ी म� दो
िज� एक जान हो जाते ह� तथा दो जाने अब तक अलग अलग
थीं। इस रात को पहली बार एक हो जाती है तथा यही घड़ी
वैवािहक जीवन की नींव का प�र बन जाती है। तथा सफल
जीवन क
े सुनहरी भिव� का िनमा�ण करती है। इस रात की नींव
ब�त ही मजबूत हो जानी चािहए तािक कभी भी थोड़ी हलचल
क
े कारण वैवािहक जीवन म� दरार पड़ जाये। यह रात एक
दूसरे को समझने की रात होती है यही कारण है िक क
ु छ लोग
शादी होने पर शादी म� आए �ए �र�ेदारों व अ� प�रवार जनों
से भरे घर पर पित प�ी एक दूसरे को समझने म� किठनाई
महसूस करते ह� तथा व कहीं पव�तीय स्थान या िकसी रमणीक
स्थल पर एका� म� जाकर एक दूसरे को गहराई से जानने की
िज�ासा रखते ह�। हनीमून या सुहागरात सभी देशों व सभी
जाितयों म� प्रचिलत है तथा सभी जगह इसका समान मह� है।
यिद आप अपनी नई दु�न क
े स�े जीवन साथी न बन पाए तो
सेज क
े साथी भी न बन पाएं गे। नई दु�न क
े वल आपको एक
कामी ��� व वासना का लोभी भंवरा समझकर �यं को बिल
का बकरा समझने लगेी इसिलए प्रथम िमलन की घि़डया जीवन
की ब�त ही अनमोल घि़डया होती है। यिद अपने �खे �वहार
पर ज�बाजी से कोई पु�ष अपने को संभाल नहीं पाता तो
उसकी सुहागरात दुभा�� राित्र म� बदल जाती है। आज क
े युग म�
लड़िकयां भी िशि�त होती ह� तथा समाज म� वातावरण को भली
प्रकार से समझती ह� इसी क
े फल��प प्र�ेक लड़की अपने
िववािहत जीवन का एक शुखहाल िचत्र अपने िदल िदमाग म�
रखती है तथा उसी िचत्र क
े अनुसार ही अपना पित चाहती है।
यिद पित अपनी नई दु�न क
े �दय को जीत लेने म� सफल हो
जाता है तो िन�य ही यह उनक
े वैवािहक जीवन का शुभारंभ है।
पहली रात म� पित को स�ोग क
े िलए कभी भी उतावला नहीं
होना चािहए ब�� उसक
े प्र�ेक व�ु जैसे �प रंग, आंख�,
होंठ, नाक, चेहरे की बनावट, कपड़ों की आिद की खूब प्रशंसा
करनी चािहए। अपनी नई दु�न क
े सामने भूलकर भी िकसी
दूसरी लड़की या �ी क
े सौ�य�, गुणों व कपड़ों आिद की प्रशंसा
न कर� इसक
े आपकी प�ी म� हीनभावना आ जाएगी तथा आपक
े
साथ पूरा सहयोग दे पायेगी। पहले आप प�ी क
े मन को वश म�
करे और अपने ऊपर एक सीमा तक िनयंत्रण रख�, जब उसे
आपका यह प्रेमी व सफल पु�ष का �प मु� कर देगा तो वह
आपको खुशी व पूण� सहयोग क
े साथ अपना सव�� अप�ण कर
देगी। नई दु�न क
े िलए पहला सहवास क�दायक होता है
इसिलए पहले शु� म� उसक
े क� का �ान रखते �ए धीरे धीरे
ही उसका संकोच िझझक दू र करने की चे�ा कर�।
प्र�ेक नविववािहता क
े िलए यह अ�� आव�क है िक वे
अपनी सुहागरात की घड़ी म� कोई शराब या नशे की व�ु का
सेवन न कर� िजससे उनक
े आगामी िववािहत जीवन पर बुरा
प्रभाव पड़े। यह रात जीवन म� क
े वल एक ही बात आती है। इसी
रात की याद� �ी पु�ष अपने जीवन भर क
े िलए गांठ म� बांध लेते
ह� तथा क
ु छ अ�ानी लोग यही समझते ह� िक पहली रात स�ोग
म� र� आना ज�री है जो नववधु क
े कौमाय� की िनशानी होती
है उनकी यह धारणा िब�
ु ल गलत है �ोंिक क
ु छ लड़िकयों म�
योिन�े द की िझ�ी ब�त स� होती है तथा क
ु छ की यह
िझ�ी ब�त पतली व कोमल होती है जो बचपन म� खेलक
ू द,
बस, गाड़ी म� चढ़ते उतरते समय साधारण चोट से भी फट जाती
है। फल��प स�ोग से पहले ही फट चुकने क
े कारण र�
आने का प्र� ही पैदा नहीं होता इसिलए र� न आने पर अपनी
नई दु�न क
े च�रत्र का �थ� ही शक नहीं करना चािहए अ�था
िववािहत जीवन एक दुखों की �ाला बनकर सारी िज�गी
आपको जलाती रहेगी।
एक असफल पु�ष का दुख, ह�मैथुन
कई िदन पहले म� अपने दवाखाने म� हमेशा की तरह अपने रोगी
भाइयों को देख रहा था तो उनम� एक रोगी काफी िनराश उदास
व सहमा �आ सा बैठा था। जब उसकी बारी आई तो म�ने उससे
सबसे पहले यही पूछा िक तुम इतने घबराये �ए �ों हो तो उस
युवक रोगी का सब्र बांध टू ट गया तथा उसकी आंख� म� आंसू
छलछला आए। म�ने उसे पूरी तस�ी दी तथा म�ने कहा िक
अपनी परेशानी बताओ तथा िच�ा की कोई बात नहीं है तब
उसने बताया िक म� एक स�ािनत म�वग�य प�रवार से स��
रखता �ं तथा अभी थोड़े ही िदन �ए अपनी कॉलेज की पढ़ाई
पूरी की है। अतः अपने िव�ाथ� जीवन म� गलत संगत म� पड़
गया। ह�मैथुन भी िकया। जब क
ु छ समझ आई तो ह�मैथुन
की इ�ा को दबाया तथा ��दोष होने लगा िफर पेशाब म� लार
सी िनकलने लगी िजससे मुझे बेहद कमजोरी महसूस होने लगी।
उठते-बैठते शरीर दद�, च�र, अंधेरा व सांस फ
ू लने तथा िदन
भर सु�ी छायी रहती है, िकसी काम म� मन नहीं लगता। चूंिक
अब म� �� हो या �ं मेरे माता िपता मेरी शादी करने पर जोर
दे रहे ह� लेिकन न जाने �ों म� शादी क
े नाम से परेशान हो गया
�ं �ोंिक म� अपने आपको उपरो� कमजो�रयों क
े कारण
िववाह यो� नहीं समझता और न ही यह चाहता �ं िक मेरी
कमजोरी व हालत की वजह से मेरी आने वाली प�ी का जीवन
भी दुखमय हो जाये अतः म� आपका नाम व इलाज की प्रशंसा
सुनकर आपक
े पास आया �ं। म�ने उसकी पूरी हालत जानकर
उसकी पूरी तरह शारी�रक जांच की। अब वह िब�
ु ल ठीक
बोल रहा था। वा�व म� ही वह अपनी अ�ानता वश अपनी
जवानी को दोनों हाथों से लुटाकर अपने पु�ष� म� घुन लगवा
चुका था। म�ने उसे अपना परामश� िया तथा पूरी लगन व मेहनत
से असली व नायाब नु�ों �ारा उसका इलाज तैयार करवाया
िजसक
े सेवन से उसकी खोई �ई शारी�रक व मदा�ना श�� उसे
दोबारा िमलनी शु� हो गई। एक महीने क
े बाद ही उसकी शादी
हो गई तथा पहली रात से अब तक पूरी तरह स�ु� है तथा
अपने िववािहत जीवन का भरपूर लु� उठा रहा है।
इसी प्रकार क
े अनेकों रोगी भाई �यं हमारे पास आकर या
अपनी पूरी हालत पत्र म� िलखकर अपना इलाज प्रा� करते ह�
िजनक
े सेवन से व पूरी तरह से �स्थ व िनरोग होकर हमारे
इलाज की प्रशंसा करना नहीं भूलते। आ भी िमले या िलख�, पत्र
�वहार पूण�तः गु� रखा जाता है। प्र�ेक पत्र को �ान से
पढ़कर रोगी की पूरी हालत पर िवचार करने क
े बाद ही परामश�
या इलाज संभव होता है।
मदा�ना कमजोरी का इलाज
क
े सर क�ूरी वाला हाशमी हाई पावर कोस� नया खून पैदा करक
े
न क
े वल कमजोरी दूर करता है, ब�� प्रेमह रोग, ��दोष,
शीघ्रपतन न� कर कमर, गुद� व िज� म� जबद�� ताकत बढ़ाता
है, खोई �ई सेहत, ताकत जवानी वापस लाने क
े िलए दुिनयां क
े
कोने कोने म� हाशमी हाई पावर कोस� क
े पास�ल रोजाना जाते ह�
तथा लाखों लोग हाशमी हाई पावर इलाज से नया जीवन �तीत
कर रहे ह� कमजोरी चाहे िकसी भी कारण हो कमजोर से
कमजोर इंसान बूढ़े तथा िववािहत भी सेहत, ताकत, जवानी प्रा�
कर सकते ह�, �स्थ नवयुवक भी हाशमी हाई पावर कोस� का
प्रयोग करक
े अपनी ताकत कई ◌ु ना बढ़ सकते ह�। वीय� शहद
की तरह गाढ़ा हो जाता है शरीर की सारी कमजोरी दू र होकर
शरीर ह�पु� होकर ताकतवर व फ
ु त�ला हो जाता है, मुदा� से मुदा�
नसों, नाि़डयों म� खोई ताकत िफर से प्रा� करने क
े िलए ितला
इरानी हाशमी हाई पावर कोस� क
े साथ होने पर सोने पर सुहागे
का काम करता है यह कोस� िब�
ु ल शु� मौिलक एवं अ��
ब�मू� औषिधयों से तैयार िकया जाता है हाशमी हाई पावर
कोस� का मू� मौसम, आयु, रोग अनुसार।
सम� हाल व पता गु� रखा जाता ह�
िमलने का समय:
प्रा�: 10 बजे से सांय 6 बजे तक दवाखाना प्रित िदन खुलता ह�
हमारी कही कोई ब्रांच नही ह�
हाशमी दवाखाना , मौह ० काजीजादा, अमरोहा
िनः शु� �ा� परामश� क
े िलए
कॉल कर�, 9997782987

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  • 1. कई नवयुवक मानिसक रोगी होते ह� वा�व म� उ�� बीमारी नहीं होती है चालाक और बाजारी हकीम इनकी कमजोरी से लाभ उठाकर इनक े स�ेह को बढ़ाते ह� और �स्थ पु�ष को रोगी बना देते ह�। ऐसे नवयुवक अपनी अ�ानता क े कारण कभी कभी आ�ह�ा कर लेते ह�। �ोंिक वे समझते ह� िक उनका जीवन अब �थ� हो गया है वे अपनी पूण� अवस्था पर नहीं आ सकते। मगर यह उनकी भूल है ऐसे रोिगयो को हम िबना दवाई िदये खुराक आिद क े बारे म� उिचत सलाह देकर उनको ठीक कर देते ह�। िचिक�ा स��ी िनः शु� परामश� क े िलए िमले या या फोन कर परामश� ल�।
  • 2. भूिमका म�ने अपने अनुभव क े �ारा अिधकतर नवयुवकों को अ�ानता क े कारण गलत माग� पर िनराशा क े अंधकार म� भटकते �ए देखा है �ोंिक यौन िवषय तथा इसकी अ�ाई बुराई न तो कोई माता- िपता अपनी संतान को बताते ह� और न ही हमारे देश म� अभी इस िश�ा का प्रचार िकया जाता है िजस कारण अिधकतर नवयुवक सही िदशा से भटक जाते ह� तथा कई प्रकार की यौन संबंधी ��दोष, प्रेमह, शीघ्रपतन, नपुंसकता आिद कमजो�रयों क े िशकार हो जाते ह�। इन रोगों से पीि़डत रोगों को घबराना नहीं चािहए िजस प्रकार बुखार, खांसी जुकाम आिद का इलाज कराने से रोग म� आराम आ जाता है उसी प्रकार अ�ी िचिक�ा से सभी यौन रोगों की िशकायत दूर होकर मनु� को नया �ा� प्रा� हो जाता है। एक स�े िचिक�क क े नाते नवयुवकों एवं पु�षों क े मन म� बैठी �ई गलत धारणाओं को िनकालकर उ�� पूण� �प से �स्थ बनाने म� सहयोग देना ही हमारा उ�े� है। हमारा हाशमी दवाखाना सन! 1929 से अपनी वै�ािनक सलाह एवं सफल इलाज से रोिगयों को अिधक से अिधक ��� िनरोग हों यही हमारी अिभलाषा है।
  • 3. म�ने यह वेबसाइट उ�ीं भटक े �ए नौजवानों क े िलए बनाई है तािक वे इसे पढ़क े अपनी असली श�� को पहचाने, अपने मन म� बैठी �ई हीन भावना को दूर करक े अपना �ा� ठीक कर सक े िजससे वे भी अपने जीवन को सुखी एवं आन�मय बना सक े । सफल जीवन का मह� पूरे संसार का चक्र �ी और पु�ष पर आधा�रत होता है। कोई भी बालक अपने बचपन की सीमा लांघकर जब �� होकर पु�ष कहलाने लगता है तो ही पु�ष की यही इ�ा होती है िक वह सुन्र �ी का पित बन सक े और उसक े साथ अपना गृहस्थ जीवन सुखमय िबताए तथा �स्थ व िनरोग संतान उ�� करक े अपनी वंश बेल को आगे बढ़ाए मगर संसार म� च� ��� ही ऐसे भा�शाली होते ह� जो इस गृहस्थ सुख का आन� उठाने म� समथ� होते ह� अ�था अिधकांश ��� तो बचपन की क ु संगित एवं गलितयों क े कारण अपनी जवानी क े िदनों म� बुढ़ापे को गले लगा लेते ह� तथा िज�गी का असली आन� िलए िबना ही असमथ� एवं िनढाल हो जाते ह�। प्रक ृ ित ने पु�ष एवं �ी को एक दूसरे का पूरक एवं सहयोगी बनाया है तथा वे एक दूसरे क े िबना अधूरे ह�। जब दोनों िमलकर एक होते ह� तथा दोनों ही अपने जीवन का वा�िवक आन�
  • 4. उठाते ह� तभी उनका जीवन सफल कहलाता है। �ी पु�ष क े जीवन को सफल बनाने क े िलए सै� का ब�त योगदान है। यिद पित प�ी का वैवािहक जीवन पूरी तरह से स�ु� रहता है तो वे दोनों मानिसक व शारी�रक �प से पूरी तरह �स्थ एवं िनराश रह सकते ह�। अ�था उनक े बीच रोग, रोग क�, कलह की दीवार खड़ी हो जाती है जो धीरे धीरे पित प�ी क े मधुर एवं पिवत्र �र�ों की नींव िहला देती है तथा अ� म� कई तरह क े भयानक प�रणाम सामने आते ह�। इन सभी बातों का कारण कई बार सै� अंगों क े प्रित अ�ानता होती है �ोंिक यह तो आपको मालूम ही है िक जब भी ब�ों को सै� क े प्रित क ु छ जानने की िज�ासा होती है अिधकांश मां बाप इस िवषय को झूठ मूठ बातों से ब�ों को टाल देते ह� लेिकन ब�ों क े मन म� इस िवषय को जानने क े िलए उ�ुकता ही बनी रहती है तथा वे अपने से बड़े ब�ों एवं गली मौह�े क े बुरी संगत वाले िमत्रों आिद से सै� का बेतुका �ान प्रा� करक े अपना कोमल मन म��� ग�ा करक े अपने जीवन को बबा�द कर लेते ह�। �ान रहे, सै� क े प्रित ब�ों को सही �ान देने से इतना नुकसान नहीं होता है िजतना िक इस िवषय को िछपाने से होता है इसिलए मां बाप को चािहए िक वे ब�ों क े �� होने पर उ�� इस बात क े बारे म� अ�ी तरह से समझाएं तािक वे गलत रा�े पर भटक कर अपने जीवन क े साथ �खलवाड़ न कर सक � िजससे उनका जीवन हमेशा क े िलए सुखमय बन सक े ।
  • 5. यह वेबसाइट उन भटक े �ए नवयुवकों क े िलए िलखी गई है जो सै� की अ�ानता क े कारण गलत संगत एवं गलितयों क े कारण �यं अपने ही हाथों अपने जीवन को बबा�दी क े रा�े पर डाल चुक े ह� तथा सही िदशा की तलाश म� नीम हकीमों एव राजा महाराजाओं वाले चकाच�ध िव�ापनों क े चुंगल म� फ ं सकर अपने जीवन को दुखदायी बना चुक े ह�। संसार म� सभी ��� एवं िचिक�क एक जैसे नहीं होते। हमारा भी यह पु�क िलखने का एक मात्र यही उ�े� है िक आप अपने सै� रोग एवं कमजोरी दूर करने क े िलए सही िचिक�ा �ारा अपने शरीर को �स्थ एवं िनरोग बनाकर अपने भिव� एवं िववािहत जीवन को मधुर एवं आन�मयी बना सक � बचपन की भूल – जवानी का खून ई�र ने पु�ष को श��शाली इंसान बनाकर इस संसार म� इसिलए भेजा है िक वह नारी सौ�य� क े सिमश्रण से नई पौध लगाकर क ु दरत का सौंपा काम पूरा कर सक े िदन भर म� इंसान को जो क� और परेशािनयां िमलती ह� वह उन सबको रात की िवश्राम बेला म� रित सुख क े साथ भूलकर हर नई सुबह िफर से ताजा और चु� होकर अपना काय� प्रार� कर सक े । उिचत परामश� एवं सलाह िलए िबना शादी परेशानी का कारण बन सकती है। हमारे पास रोज ब�त से पस�नल लैटर आते ह� िजनम� ब�त से पु�ष अपनी कमजोरी एवं िववािहत जीवन की परेशानी क े कारण आ�ह�ा करने का िजक्र करते है। लेिकन जो आ�ह�ा नहीं करते वे घर से भाग जाते ह� और उनकी
  • 6. पि�यां लाज शम� छोड़कर पराए पु�षों का सहारा लेने पर मजबूर हो जाती ह�। यह सब इसिलए होता है िक समय पर उ�� सही माग� दश�न नहीं िमलता । � ू लों म� उ�� यह बात तो बताई जाती है िक ग�े नाखूनों को मुंह से नहीं काटना चािहए �ोंिक ग�े नाखूनों क े ज�रए ग�ी पेट म� जाकर बीमा�रयां पैदा करती है लेिकन यह कोई नहीं समझता िक ग�े िवचारों से मनु� का शारी�रक व मानिसक �प से िकतना बड़ा नुकसान होता है िजसक े िकतने भयंकर प�रणाम िनकलते ह�। फल��प नतीजा यह होता है िक िजस अंग से मनु� को सबसे अिधक सुख िमलना िनि�त है उसी अंग को क�ी अवस्था म� तिकए या हाथ की रगड़ से िवक ृ त कर िदया जाता है उसको इ�ीं साधनों �ारा क� करक े अपने जीवन को मझधार म� छोड़ िदया जाता है। जीवन र�-वीय� जवानी जीने का सबसे सुहावना समय है। कई नौजवान तो सीधे ही बचपन से बुढ़ापे की तरफ चले जाते ह�, उ�� पता ही नहीं होता िक जवानों की कीमत व जवानी का स�ा आन� �ा है? अिधकतर नवयुवक गलत संगत क े कारण अपने शरीर से �यं ही �खलवाड़ करते ह� तथा सही रा�े से भटककर वे यौन स��ी अनेकों रोगो से िघरकर अपनी सुनहरी िज�गी को तबाह कर देते ह�। आजकल लगभग 75 प्रितशत नौजवान िकसी न िकसी �प से यौन रोगों से पीि़डत ह� तथा अपने जीवन क े वा�िवक आन� से अंजान ह�। आज क े नवयुवक �िणक आन� क े िलए अपने ही हाथों अपनी िज�गी खराब करने पर
  • 7. तुले �ए ह�। वे इधर-उधर क े ग�े वातावरण अ�ील िफ�� व सै�ी उप�ास व पित्रकाएं देखकर व पढ़कर अपने जीवन का अनमोल र� वीय�� बबा�द कर देते ह�। वे इधर उधर क े क ग�े वातावरण अ�ील िफ�� व सै�ी उप�ास व पित्रकाऐं देखकर व पढ़कर अपने जीवन का अनमोल र� वीय�� बबा�द कर देते ह�। तथा कई प्रकार क े घृिणत रोगों से िघरकर अपनी िज�गी बबा�द कर लेते ह�। यही शरीर की जान है िजसे ��� िनकालने म� आन� प्रा� करता है। इसी वीय� को अपनी शरीर म� संग्रह िकया जाये तो आप �यं ही सोिचए िकतना आन� प्रा� होगा। वीय� न� होने क े बाद भटक े �ए नवयुवक सही िदशा क े आस मक � चकाच�ध वाले िव�ापनों व प्रचार वाली फाम�िसयों एव ��िनकों क े च�र म� पड़कर अपना धन समय व �ा� गवांकर अपने जीवन से िनराश हो जाते ह�। वीय� िकस प्रकार से न� होता है और उससे शरीर को �ा �ा हािन उठानी पड़ती है उसका िववरण आगे िदया जा रहा है उन िनराश रोिगयों को हम स�े �दय से अपना परामश� द�गे तथा सही िदशा का �ान कराएं गे। ह�मैथुन हाथ से अपने वीय� को न� करने को हस्थमैथुन कहते ह�, क ु छ नवयुवक व िकशोर गलत संगत म� बैठकर, उ�ेजक िफ�े देखकर या अ�ील पु�क � पढ़कर अपने मन को काबू म� नहीं रख पाते तथा िकसी एका� म� जाकर सबसे आसान तरीका अपने ही हाथों से अपना वीय� िनकालने को अपनाते ह� उ�� यह
  • 8. नहीं पता िक वे ऐसा काम करक े अपनी िज�गी म� जहर घोल रहे ह� िजसका प�रणाम यह होता है िक इ�ी िनब�ल हो जाती है पतलापन, टेढ़ापन, छोटापन व नीली नस� उभरनी शु� हो जाती ह� और अ� म� ��� नपुंसकता की ओर बढ़ जाता है। शरीर म� अ�िधक कमजोरी आ जाती है। थोड़ी सी बातचीत करक े िदमाग चकरा जाता है तथा चाहकर भी इस िक्रया को छोड़ नहीं पाता। हम अपने सफल इलाज से ऐसे अनिगनत नौजवानों की हस्थमैथुन की आदत छु ड़ा चुक े ह� जो यह कहते थे िक यह आदत छ ू टती नहीं है। ��दोष सोते समय िदन या रात कोई भी समय हो अपने मन म� बुरे व ग�े िवचारों क े कारण सोते समय �� म� िकसी सु�री �ी को देखकर या अपनी क ु संगित का �ाल आते ही अपने आप वीय� िनकल जाता है इसी को ��दोष कहते ह�। यिद ��दोष महीने म� दो-तीन बार हो तो कोई बात नहीं िक�ु हर रोज़ या स�ाह म� दो तीन बार हो जाये तो यह रोग भी कम भयंकर नहीं है। यूं तो ��दोष प्रायः सोते �ए इ�ी म� तनाव आने क े बाद ही होता है िक�ु यह रोग बढ़ जाने पर इ�ी म� िबना तनाव भी हो जाता है जो िक गंभीर �स्थित है। इस प्रकार वीय� का नाश होना शरीर को खोखला बना देता है िजसका असर िदमाग पर पड़ता है। या�ा� कमजोर हो जाती है वीय� पतला हो जाता है। अ� म� नपुंसकता
  • 9. की नौबत आ जाती है लेिकन हमारे पास ऐसे नु�े ह� िजनक े सेवन से उपरो� सभी िवकार न� होकर शरीर को श�� स�� बनाते ह�। शीघ्रपतन स�ोग क े समय तुरंत वीय� का िनकल जाना शीघ्रपतन कहलाता है। अ�िधक �ी-प्रसंग, ह�मैथुन, ��दोष, प्रमेह इ�ािद कारणों से ही यह रोग होता है। सहवास म� लगभग 10-20 िमनट का समय लगता है लेिकन 3-4 िमनट से पहले ही िबना �ी को स�ु� िकए अगर �लन हो जाए तो इसे शीघ्रपतन का रोग समझना चािहए। जब यह रोग अिधकता पर होता है तो �ी से संभोग करने से पहले ही स�ोग का �ाल करने पर या कपड़े की रगड़ से ही िचपिचपी लार क े �प म� वीय�पात हो जाता है। यिद थोड़ी सी उ�ेजना आती भी है तो इ�ी प्रवेश करते ही �लन हो जाता है। उस समय पु�ष को िकतनी शिम��गी उठानी पड़ती है तथा �ी से आंख िमलाने का भी साहस नहीं रहता। �ी शम� व संकोच क े कारण अपने पित की इस कमजोरी को िकसी क े सामने नहीं कहती लेिकन अ�र ही अ�र ऐसे कमजोर पित से घृणा करने लगती है िजस कारण उसका िववािहत जीवन दुखमय बन जाता है। मद� की कमजोरी और शीघ्रपतन की बीमारी से औरत भी बीमार हो सकती है। ऐसे रोग
  • 10. का समय रहते उिचत इलाज अव� करना लेना चािहए तािक रहा सहा जोश एवं �ा� भी समा� न हो जाए। हमारे पास ऐसी िशकायत� दूर करने क े िलए ऐसे श��शाली नु�ों वाला इलाज है िजसक े सेवन से जीवन का वा�िवक आन� िमलता है। स�ोग का समय बढ़ जाता है शरीर ह�पु� तथा श�� स�� हो जाता है। �ी को पूण� �प से स�ुि� होकर स�ोग की चम�सीमा प्रा� होती है। िववािहत जीवन का वा�िवक आन� प्रा� होकर उनका जीवन सुखमय बन जाता है। नपुंसकता युवा अवस्था म� �ी स�ोग या संतान पैदा करने की अयो�ता को नपुंसकता कहते ह�। इस दशा म� संभोग की कामना होते �ए भी पु�ष की इ�ी म� उ�ेजना नहीं होती इ�ी बेजान मांग क े लोथड़े की तरह िगरी रहती है। उसका आकार भी कम �ादा, पतला या टेढ़ा हो सकता है। नस� उभरी प्रतीत होती ह�। कामे�ा होते �ए भी इ�ी म� तनाव नहीं आता यिद पु�ष क े अपने भरसक प्रय� से थोड़ी ब�त उ�ेजना इ�ी म� आती भी है तो स�ोग क े समय शीघ्र ही �िलत हो जाता है। ऐसे पु�ष को न तो �ी ही �ार करती है और न ही संतान पैदा होती है। हमारे सफल नु�ों वाले इलाज से नपुंसकता क े सभी िवकार ठीक हो जाते ह� तथा रोगी को िफर से पु�ष� व स�ोग �मता प्रा�
  • 11. होकर एक नई श��, � ू ित�, उ�ाह व �ा� प्रा� हो जाता है। इंिद्रय-आकार क े भेद अब �ी और पु�ष क े गु�ा स्थानो क े आकार प्रकार पर िवचार कर�गे। पु�ष का िलंग लंबाई से और �ी की योिन गहराई से नापी जाती है। संभोग का स�� मन और काया दोनों से होता है। जहां तक मन क े स�� का �ान है, इसम� �ी और पु�ष का पार��रक आकष�ण और पर�र शरीर िमलने की प्रबल आकां�ा है। जहां तक काया अथा�त शरीर क े स�� का प्र� है, इसम� पु�ष क े िश� अथा�त िलंग और �ी की योिन क े स�ोग की तीव्र इ�ा है, िजसम� एक या दोनों प�ों का िवशेष िविध से िनज जनने��यों का पर�र िघसना या रगड़ना, फल��प पु�ष का वीय�पात होना और �ी को एक िवशेष प्रकार क े सुख या आन� की अनुभूित होना, मैथुन काय� म� काल की अिधकता और इस काय� की िविध ही मु� कारण है।
  • 12. िलंग क े आकार क े अनुसार पु�ष क े तीन भेद ह�। 1. शश (खरगोश), 2. वृष (बैल) और 3. अ� (घोड़ा) । यिद पु�ष का िश� छोटा है तो वह ‘शश’, यिद म�म हो तो ‘वृष’ और यिद बड़ा हो तो ‘अ�’ कहलाता है। इसी प्रकार �ी क े तीन भेद होते ह�। 1. मृगी (ह�रणी), 2. बढ़वा (घोड़ी) और 3. ह��नी (हिथनी)। यिद �ी की योिन छोटी यानी कम गहरी हो तो वह ‘मृगी’, यिद म�म गहरी हो तो ‘बढ़़वा’ और यिद अिधक गहरी हो तो वह ‘ह��नी’ कहलाती है। िलंग की मोटाई और ल�ाई म� कमी आते जाना उ�ेिजत अवस्था म� िश� की ल�ाई ओर मोटाई ब�त हद तक इस बात पर िनभ�र करती है िक उ�ान क े � िकतना सश� है। जैसे ही म��� म� काम जाग्रत होता है वैसे ही सेरीब्रम (cerebrum) उ�ान क े � को िलंग क े �ंजी िटशू म� र� भेजने का आदेश भेजता है। यिद उ�ान क े � सश� है तो वह उसी अनुपात म� उतना ही अिधक र� िलंग म� एकित्रत करने म� समथ� होता है िजसक े फल��प िलंग का आकार उसी अनुपात म� बड़ा हो जाता है। अगर उ�ान क े � दुब�ल हो चुका है तो िलंग की
  • 13. ल�ाई, चैड़ाई अपे�ाक ृ त कम होती है। नपुंसकता की ओर बढ़ रहे युवकों म� जहां काम क े � दुब�ल पड़ जाते ह� वहां उ�ान क े � िवशेष �प से प्रभािवत होता है और दुब�ल उ�ान क े � पया�� मात्रा म� िलंग म� र� एकित्रत करने म� असमथ� होने क े कारण िलंग का आकर प्राक ृ त �प म� नहींआ पाता है। जैसे-जैसे उ�ान क े � की दुब�लता बढ़ती जाती है वैसे-वैसे िलंग की ल�ाई� और चैड़़ाई कम होती जाती है। उ�ेिजत िलंग क े सामा� से कम आकार को देखकर िन�ष� िनकालना चािहए िक उ�ान क े � िनब�ल हो चुका है। यिद यह दुब�लता बढ़ती रहती है तो एक अवस्था ऐसी आती है जब उ�ान क े � म� िब� ु ल र� नहीं भर पाता और प�रणाम��प िलंग म� उ�ान नहीं होता। इसको ही पूण� नपुंसकता कहते ह�। ऐसी अवस्था उ�� हो इसिलए उ�ेिजत िलंग क े आकार म� कमी देखते ही उिचत िचिक�ा समय रहते ही करा लेनी चािहए। िलंग म� वृ�� क ै से स�व है? जब कोई ��� सै� से स���त कामुक िच�न करता है या कोई अ�ील िकताब, या उसक े बारे म� सोचता है, या �ी से स�ोग की इ�ा रखता है तो उसक े म��� क ु छ िवशेष हाम�न का स्रवण करते ह� जो िलंग म� र� क े प्रवाह को तीव्र कर देता है और कॉप�स क े वेरनोसम (Corpus Cavermosum)
  • 14. नामक ऊतक म� र� इक�ा होकर िलंग का आकार बढ़ा देता है। पूण� उ�ेिजत अवस्था म� िलंग क े इन उतकों म� र� अपनी अिधकतम मात्रा म� होता है। इस अवस्था म� िलंग अिधक ठोस, �ढ़ व सीधा हो जाता है। वीय� �लन क े समय जब ��� मानिसक �प से संतु� हो जाता है तो दूसरे हाम�न कॉप�स �ो�न्जयोसम को उ�ेिजत करते है जो वीय� को वेग व गित प्रदान करते ह�। इस पूरी प्रिक्रया म� िकसी भी कमी की वजह से पूरा तंत्र ही गड़बड़ा जाता है। पतले, टेढे, छोटे व आगे से मोटे व पीछे से पतले िलंग उ� पूरी प्रिक्रया म� िकसी न िकसी दोष से पीि़डत होते ह�। इस प्रकार क े िलंग वाले लोगों म� क े वेरनोसम और �ा�न्जयोसम की कोिशकाऐं पूरी तरह से सुगिठत नहीं होती िजनसे इनम� अिधक र� ग्रहण करने की �मता व इन कोिशकाओं म� अिधक समय तक र� रोक े रखने की �मता नहीं होती। हमारे हब�ल खाने व लगाने क े इलाज से कॉप�स क े वेरनोसम और कॉप�स �ा�न्जयोसम ऊतकों म� वृ�� होती है, इन ऊतकों की कोिशकाओं का आकार बढ जाता है िजनम� र� इक�ा होता है िजसक े फल��प िलंग क े आकार म� वृ�� होती है और इसक े साथ-साथ िलंग म� उ�ान �मता भी बढ़ जाती है। इस इलाज से 20-30 प्रितशत िलंग आयतन वृ�� स�व है तथा िलंग म� .5 इंच से 2 इंच तक की वृ�� हो जाती है। िलंग क े इन ऊतकों व पेशी को सुगिठत करने क े िलए हब�ल इलाज की
  • 15. आव�कता होती है िजससे शीघ्र लाभ होता है। इस इलाज से शीघ्रपतन दूर होता है, नपुंसकता व यौन सम�ाओं से मु��, िलंग की ल�ाई व मोटाई म� वृ��, वीय� म� शुक्राणुओं की वृ��, प्रो�ेट ग्र�� की काय��मता को बढ़ाता है, बार-बार पेशाब से छु टकारा होता है, यौन �मता बढ़ाता है, िलंग म� पूण� कठोरता व उ�ेजना होती है, आ�िव�ास बढ़ाता है, टे�ो�ेरोन हाम�न की वृ�� करता है। इस इलाज का कोई साईड इफ ै � भी नहीं होता है। शुक्रहीनता कई पु�षों को यौन स��ी कोई रोग नहीं होता तथा सहवास क े समय उनक े िशशन म� उ�ेजना व तनाव भी सामा� ��� जैसा ही होता है। स�ोग श�� भी पूण� होती है िक�ु उनक े वीय� म� संतान उ�� करने वाले शुक्राणु या तो िब� ु ल ही नहीं होते या ब�त कमजोर एवं मंदगित से चलने वाले होते ह� िजससे पु�ष संतान उ�� करने यो� नहीं माना जाता सकता। कई बार इस रोग क े साथ ��� की िपछली गलितयों क े कारण या अ�िधक वीय� नाश क े कारण और भी कई रोग लगे �ए होते ह� तो ऐसे रोगों क े िलए यूनानी एवं श��शाली नु�ों �ारा तैयार इलाज सबसे बेहतर माना जाता है। हमारे ऐसे ही सफल इलाज म� असं� रोगी भाई जो िनराश होकर संतान पैदा करने की चाहत ही मन म� से िनकाल चुक े थे अब व िनराशा को आशा म� बलकर संतान पैदा करने यो� बन चुक े ह�।
  • 16. सुजाक : यह रोग भयानक एवं छ ू त का रोग है यह रोग ग�ी ��यों व वे�ाओं क े साथ स�ोग करने से होता है। इसकी िनशानी यह है िक स�ोग क े क ु छ िदन बाद रोगी क े पेशाब म� जलन होनी शु� हो जाती है। पेशाब लाल और गम� आता है पेशाब करते इतनी जलन होती है िक रोगी सचमुच कराहने लगता है। क ु छ िदनों क े बाद गु� इंद्री म� से पीप िनकलनी शु� हो जाती है और कभी कभी पेशाब क े साथ खून भी आना शु� हो जाता है। �ों �ों यह रोग पुराना होता है दद� जलन एवं चुभन घटती जाती है। क े वल पीप बहता रहता है। यह पीप इतना जहरीला होता है िक यिद बे�ानी म� िकसी रोगी की आंख पर लग जाए तो अ�ा होने की आशंका रहती है। इस रोग क े कीटाणु धीरे धीरे र� मे प्रवेश करक े अ� अंगों पर भी असर डालते है। यिद रोग क े जरा भी ल�ण िदखाई द� तो आप तुरंत िचिक�ा कराएं । हमारे इलाज से इस रोग क े अनेकों रोगी ठीक होकर तन्दु�� जीवन �तीत कर रहे ह�। गम� (आतशक) यह रोग भी सुजाक की तरह अ�� भयानक रोगों म� से एक है। यह भी बाजा� औरतों क े संसग� से होता है। इस रोग म� स�ोग क े क ु छ िदन बाद इ�ी पर एक मसूर क े दाने की तरह फ ु �ी होती है जो ज�ी ही फ ै लकर ज� बन जाता है। आतशक दो
  • 17. प्रकार का होता है। एक का प्रभाव इ�ी पर होता है तथा दूसरे का प्रभाव र� पर होता है। शरीर क े िकसी भी भाग पर फ ू ट िनकलता है। इसका पहला भाग मामूली होता है। यिद इसक े इलाज म� देरी या लापरवाही की जाए तो यह रोग ��� की कई पीि़ढयों तक पीछा नहीं छोड़ता। पहली श्रेणी का घाव इ�ी पर होता है लेिकन दूसरी श्रेणी म� आतशक का जहर र� म� फ ै लने क े कारण शरीर पर काले काले दाग तथा खुजली व तांबे क े रंग की छोटी छोटी फ ु ��यां उ�� हो जाती है। जब यह रोग बढ़ जाता है तो इसका प्रभाव हि�यों म� चला जाता है। कोि़ढयों की तरह बड़े बड़े घाव हो जाते ह�। नाक की ह�ी गल जाती है। यिद इस रोग क े कीटाणु िदमाग पर असर कर� तो अंधा भी हो सकता है तथा अ� म� मृ�ु तक संभव है। इसिलए इस रोग क े जरा भी प्रकट होते ही तुर� इसका इलाज करा लेना चािहए �ोंिक ययह छ ू त का रोग है िकसी और से लगकर िकसी ओर को लगता रहता है। हमारे सफल इलाज से ऐसे रोगों से िनराश रोगी �स्थ होकर अपना िनरोगी जीवन �तीत कर रहे ह�। �ी रोग मािलक ने �ी और पु�ष को एक दूसरे क े िलए बनाया है लेिकन दोनों की शरीर संरचना अलग अलग होती है। जो लोग क े वल �ी संरचना म� क े वल �ी को ही होते ह� उ�� �ी रोग कहते ह�।
  • 18. ये रोग भी काफी क�कारी होते ह�। कमर, शरीर म� दद� होता है, शरीर थका थका सा रहता है, कामकाज म� मन नहीं लगता तथा �ी अपनी आयु से पहले ही �ा� व सौ�य� खो बैठती है। अपनी उम्र से बड़ी िदखाई देने लगती है मैथुन श�� भी कम हो जाती है तथा अपने पित को पूरी तरह से सहयोग नहीं दे पाती, िजस कारण पित प�ी दोनों का िववािहत जीवन दुखमय हो जाता है। इसका असर आने वाली स�ान या ब�ों पर भी पड़ता है। पा�रवा�रक ढांचा चरमरा जाता है। �ी रोग कई प्रकार क े होते ह�। लेिकन क ु छ रोग ��यों म� अिधकतर खानपान, रहन, सहन, जलवायु या वातावरण क े कारण होते ह�। जो िभ� िभ� प्रकार क े होते ह�- मािसक-धम� स��ी दोषः �ी योिन क े प्र�ेक मास जो र� आता है उसे मािसक धम� कहते ह�। �ी की सेहत व स�ान उ�ि� इसी मािसक धम� क े चक्र पर आधा�रत है। मािसक धम� ठीक समय पर िबना क� व उिचत मात्रा म� आने से गभा�धारण की �मता रहती है और स�ोग भी आन�पूण� होता है लेिकन यिद मािसक धम� िनयिमत मात्रा या अविध से कम �ादा हो तथा अिधक क�पूण� हो तो इससे �ी क े �ा� पर बुरा असर पड़ता है तथा तरह तरह क े रोग लग जाते ह�। �ी िनब�ल और कमजोर हो जाती है। यौवन समा� हो जाता है। हमारे सफल इलाज से अिनयिमत मािसक धम� िनयिमत होकर िबना क� क े खुलकर आने लगता है। ब�
  • 19. मािसक धम� चालू हो जाता है तथा मािसक का अिधक आना ठीक होकर �ी का चेहरा िनखरकर खोया सौ�य� पुनः लौटने लगता है। क�पूण� मािसक धम�ः यूं तो यह िशकायत िकसी भी �ी को हो सकती है लेिकन िवशेषकर कम उम्र की युवितयों म� अ�र पाई जाती है उ�� मािसक धम� आने पर इतना क� व दद� होता है जो कहा नहीं जा सकता। एक दो िदन पहले से ही बैचेनी होने लगती है तथा मसिक क े िदन पेट व टांगों म� दद� क े कारण शरीर बेजान हो जाता है। तथा मािसक अिनयिमत हो जाता है। अिधक �ावः इस दशा म� मािसक धम� िनयिमत होता है लेिकन र� �ाव मात्रा से काफी अिधक होता है। साधारणतः मािसक �ाव 4-5 िदन म� ही ब� हो जाना चािहए िक�ु इस िवकार म� 6 से 8 िदन तक या कभी कभी इससे भी अिधक होता है। ऐसी हालत म� �ी क े �ा� पर ब�त बुरा असर पड़ता है। कमजोरी, च�र, अंधेरा, हाथ, पैर, शरीर म� दद� आिद की िशकायत हो जाती है। उिचत इलाज �ारा ऐसी हालत ठीक हो जाती है।
  • 20. �ेत प्रदर (िलको�रया) यह रोग ��यों क े �ा� पर बुरा असर डालता है। सामा� �प से योिन का गीला रहना कोई दोष नहीं है लेिकन क ु छ ��यों को गभा�शय की िझ�ी व योिन माग� से तरल द्र� का �ाव इतना अिधक होता है िक पहने �ए अ�र क े कपड़ों पर भी दाग या ध�े पड़ जाते ह�। यह �ाव पानी जैसा पतला भी हो सकता है और अंडे की जद� जैसा गाढ़ा भी। �ी की जब कामे�ा बढ़ती है तथा स�ोग क े प्रित लालसा अिधक होती है तो �ाव और अिधक होता है। योिन माग� म� खुजली भी रहती है। यिद अिधक खुजलाया जाये तो उस स्थान पर सूजन भी आ जाती है जब यह रोग बढ़ जाता है तो कमर व पेड ू म� दद�, भूख न लगना व चेहरा मुरझा जाना, चेहरे पर ध�े, िदल धड़कना, िसर चकराना आिद अनेकों िशकायत� �ी को हो जाती है। िजससे गभ�धारण की �मता कम हो जाती है। इसका इलाज समय पर ही करा लेना आव�क है। अ�था रोग बढ़ जाता है तथा िफर िचिक�ा म� किठनाई पैदा होती है। िनसंतान लोगों क े ज�र परामश� िववाह क े बाद हर �ी पु�ष की यही इ�ा होती है िक उनक े घर भी एक न�ा मु�ा िशशु फ ू ल क े �प म� उनकी गृहस्थी की
  • 21. बिगया म� �खले। पु�ष की कामना यही रहती है िक उस िशशु क े �प म� उसकी वंश बेल िवकिसत हो तथा पीढ़ी दर पीढ़ी उसका भी नाम चलता रहे लेिकन संतान न होने पर घर की खुशी, कलह और अशांित म� बदल जाती है। कई भोले-भाले लोग तो ढोंगी साधु संतों व ताबीज ग�ों क े च�र म� पड़कर अपना समय और पैसा �थ� म� ही गवां देते ह�। िजनक े यहां संतान नहीं होती उ�� पहले स�ान न होने क े कारण �ी को ही दोष देते ह� लेिकन दोष �यं म� ही होता है और व संतान क े िलए दूसरी शादी भी कर लेते ह�। ऐसी �स्थित िज�गी को और भी अिधक अ� �� कर देती है। िनस�ान लोगों को हमारा यही परामश� है िक सबसे पहले पित प�ी दोनों अपना भली भांित शारी�रक जांच व ज�री टे� करवाएं तािक असली दोष का पता चल सक े िफर उसी दोष का उपयु� इलाज िकसी यो� िचिक�क से कराएं तािक उनको ज�ी ही स�ान सुख प्रा� हो सक े । यमं तो जह जगह आपको संतान प्रा�� क े बड़े बड़े िव�ापन देखने को िमल जाएं गे लेिकन असली इलाज वही िजससे क ु छ लाभ की आशा िमले इसक े िलए हम आपको सही और उिचत परामश� द�गे तथा हमारा यही उ�े� रहेगा िक आप इधर उधर न भटक � �थ म� अपना समय और पैसे बबा�द न कर� तथा सही लाभ व सही िदशा �ान प्रा� कर सक � ।
  • 22. �ी रोग जिनत स�ान हीनता ऐसी अवस्था म� पु�ष तो स�ान पैदा करने यो� होता है तथा उनम� शुक्राणु भी सामा� अवस्था म� पाये जाते ह�। लेिकन उनकी प�ी की गभ�धारण �मता कम या समा� हो जाती है। कभी कभी �ी गभा�शय म� सूजन होती है िजससे नलों व पूडे म� दद� बना रहता है, मािसक चक्र अिनयिमत हो जाता है। प्र�ेक �ी क े गभा�शय क े साथ दो िड� नली होती है िजसम� से प्र�ेक मास मािसक धम� क े बाद गभ� धारण करने वाले िड� िनकलते ह� तथा पु�ष संसग� से िनकले �ए वीय� म� िमले �ए शुक्राणुओं की प्रती�ा करते ह�। �ान रहे, पु�ष क े वीय� म� असं� शुक्राणु होते ह� यिद �ी �स्थ व िनरोग हो तो उसक े िड� क े िलए एक ही शुक्राणु काफी होता है जो िड� निलका म� ही िड� से िमलकर तथा नली क े आ��रक नसों म� प्रवािहत होकर गभा�शय म� प�ंच जाता है जहां वह अंक ु �रत होने लगता है िजससे संतान की नींव पड़ जाती है। गभा�शय क े मुख से लेकर योिन मुख तक कई प्रकार की ग्र��या होती ह�, िजनम� कई प्रकार क े रस बनते ह� जो पु�ष �ारा रोिपत शुक्राणुओं को लेकर िड� तक सुरि�त प�ंचाते ह� तथा �ी को गभ�वती होने से पूरा सहयोग देते ह�। यिद इन ग्र��यों म� कोई खराबी होगी तो इनम� शुक्राणु एवं िड� र�क रस नहीं बन�गे फल��प शुक्राणु योिन एवं गभा�शय क े बीच ही न� हो
  • 23. जाने पर गभ� नहीं ठहरेगा। ऐसी हालत म� �ी को िकसी यो� व अनुभवी िचिक�क से उिचत परामश� एवं ज�री टै� क े बाद अपना इलाज करा लेना चािहए �ी क े प्रजनन ग्र��यां ठीक प्रकार से काम करने लगे गभा�शय म� यिद सूजन हो तो समा� हो सक े , नलों व पेड ू का दद� आिद दूर होकर मािसक चक्र िनयिमत हो जाए तथा गभ�धारण श�� बढ़कर गभा�धान हो सक े । हमारे पास भी ऐसा सफल् इलाज है िजनक े सेवन से �ी स�ान उ�ि� म� बाधक सभी िवकारों को दूर करक े अपनी गभ�धारण �मता बढ़ सकती है तथा गभ�वती हो सकती है। कामयाबी का राज हाशमी दवाखाना िव� म� अपनी तरह का एक मात्र अ�ाधुिनक दवाखाना है िजसम� �ी पु�षो की शारी�रक व मदा�ना कमजो�रयों का अपने तजुब� क े आधार पर हब�ल इलाज िकया जाता है। रोगी की �स्थित, प्रक ृ ित, उम्र और मौसम को �ान म� रखकर पूरी हमदद� व गंभीरता क े साथ रोगी क े िलए जड़ी- बूिटयों, रस, द्र� एवं भ�ों से यु� नु�ों से तैयार इलाज चुना जाता है तािक रोगी को अपनी सम�ाओं व कमजो�रयों से हमेशा क े िलए ज�ी ही छु टकारा िमल जाए। इसी कारण से रोगी ब�त दूर-दूर से हमारे दवाखाने म� �यं इलाज प्रा� करने क े िलए आते ह�। हम रोगी को असली व शीघ्र गुणकारी औषिधयों से बना �आ हब�ल इलाज देते ह� और उसम� सौ फीसदी असली
  • 24. जड़ी-बूिटयों, भ�ों का इ�ेमाल करते ह�। हमारे पास अनिगनत रोगी भाईयों पर आजमाए �ए गु� प्राचीन नु�े है जो रोगी को िनरोग व त��� बनाकर िज�गी भर सुखी बनाए रखते ह�। धातु, ��दोष, नामद�, शीघ्रपतन, संतानहीनता, �ी रोग आिद रोग कोई घृिणत व लाइलाज रोग नहीं ह� इसिलए इन रोगों से पीि़डत रोिगयों को घबराना नहीं चािहए ब�� समझदारी से काम लेना चािहए, उ�म िचिक�ा से यह रोग हमेशा क े िलए दू र हो जाते ह�। इन रोगों से पीि़डत होना कोई पाप नहीं है, इसिलए कभी भी शम� संकोच नहीं करनी चािहए। वा�व म� अ�ानतावश भटक े �ए रोिगयों क े मन म� से गलत धारणाओ को िनकाल कर िनरोग बनाना और सही इलाज करना ही हमारा उ�े� है। अनेक रोगों की दवा-सै� सै� अनेक रोगों की दवा भी है। जहां पर िववािहत जीवन म� सै� एक दूजे क े बीच सुख, आनंद, अपनापन लाता है, वहीं एक दूजे क े �ा� एवं सौ�य� को भी बनाए रखता है। सै� से शरीर म� अनेक प्रकार क े हाम�� उ�� होते ह�, जो शरीर क े
  • 25. �ा� एवं सौ�य� को बनाए रखने म� सहायक होते ह�। सै� म� एं डािफ � न हाम�न की मात्रा बढ जाती है, िजससे �चा सुंदर, िचकनी, व चमकदार बनती है। ए�ोजन हाम�न शरीर क े िलए चम�ार है, जो एक अनोखे सुख की अनुभूित कराता है। उनम� उ�ेजना, उ�ाह, उमंग और आ�िव�ास भी अिधक होता है। सै� से परहेज करने वाले शम�, संकोच व तनाव से पीि़डत रहते ह�। िदमाग को तरोताजा रखने व तनाव को दूर करने क े िलए िनयिमत सै� एक अ�ा उपाय है। सै� �दय रोग, मानिसक तनाव, र�चाप और िदल क े दौरे से दूर रखता है। सै� से दूर भागने वाले इन रोगों से अिधक पीि़डत रहते ह�। सै� एक प्रकार का �ायाम भी है। इसक े िलए खास िक� क े सूट, शूज या मंहगी ए�रसाइज सामग्री की आव�कता नहीं होती। सै� �ायाम, शरीर की मांसपेिशयों क े �खंचाव को दूर करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार संभोग िक्रया करने से, िकसी थका देने वाले �ायाम या तैराकी क े 10- 20 च�रों से अिधक असरदार होती है। सै� िवशेष�ों क े अनुसार मोटापा दूर करने क े िलए सै� काफी सहायक िस( होता है। सै� से शारी�रक ऊजा� खच� होती है, िजससे िक चब� घटती है। एक बार की संभोग िक्रया म� 100 से 500 क ै लोरी ऊजा� खच� होती है। आह, उह, आउच, कमरदद�, पीठ दद�, गद�न दद� से परेशान प�ी आज नहीं, अभी नहीं करती ह�, लेिकन यिद वह िबना िकसी भय क े पित क े साथ संभोग िक्रया म� शािमल हो जाए तो उसक े दद�
  • 26. को उड़न छ ू होने म� देर नहीं लगती । िसर दद�, माइग्रेन, िदमाग की नसों म� िसक ु ड़न, उ�ाद, िह�ी�रया आिद का सै� एक सफल इलाज है। अिनद्रा की बीमारी म� िब�र पर करवट बदलने या बालकनी म� रातभर टहलने क े बजाए बेड पर बगल म� लेटी या लेटे साथी से सै� की पहल कर�, िफर देख� िक खरा�ट� आने म� �ादा देर नहीं लगती। िनयिमत �प से संभोग िक्रया म� पित को सहयोग देने वाली �ी माहवारी क े सम� िवकारों से दूर रहती है। राित्र क े अ��म पहर म� िकया गया सै� िदनभर क े िलए तरोताजा कर देता है। सै� को िसफ � यौन स�� तक ही सीिमत न रख�। इसम� अपनी िदनचया� की छोटी-छोटी बांते, हंसी-मजाक, �श�, आिलंगन, चुंबन आिद को शािमल कर�। संभोग िक्रया तभी पूण� मानी जाएगी। सै� क े बारे म� यह बात �ान रख� िक अपनी प�ी क े साथ या अपने पित क े साथ िकया गया सै� �ा� एवं सौंदय� को बनाए रखता है। इस प्रसंग म� यह बात िवशेष �ान देने यो� है िक जहां िववािहत जीवन म� प�ी क े साथ संभोग िक्रया अनेक तरह से लाभप्रद है, वहीं अवैध �प से वे�ाओं व बाजा� औरतों क े साथ बनाए गये सै� स��ों से अिनद्रा, �दय रोग, मानिसक िवकार, ठं डापन, िसफिलस, सुजाक, गने�रया, एड्स जैसी अनेक प्रकार की बीमा�रयाँ उ�� हो सकती ह�। यिद आप सफल व संतुि�दायक सै� करने म� असमथ� ह� और सै� से स���त िकसी भी कमजोरी या िशकायत से परेशान ह� तो बेिझझक िमल�।
  • 27. स�ोग का समय िकतना होना चािहए यह एक ऐसा प्र� है है जो प्रायः रोगी भाई हमसे पूछते रहते ह� िक स�ोग का समय िकतना होना चािहए? इस स�� म� अलग अलग िचिक�कों की अलग अलग राय है, क ु छ िचिक�क यह मानते ह� िक स�ोग की अविध 3-4 िमनट होनी चािहए, जबिक क ु छ यह मानते ह� िक योिन म� िलंग प्रवेश क े बाद 15 िमनट तक स�ोग िकया जाना चािहए। इस स�� म� हमारी राय यही है िक स�ोग की आदश� अविध वह होनी चािहए िजसम� �ी व पु�ष दोनों उ�ेजना की चरम सीमा पर प�ंच जाए और दोनों ही स�ोग का शारी�रक व मानिसक आन� प्रा� कर सक े । यिद िकसी �ी व पु�ष क े बीच स�ोग क े समय दोनों क े आन� की चरम सीमा तक प�ंचने क े पहले ही �स्ख्लत हो जाता है और स�ोग म� िकसी एक को पूरा आन� प्रा� न हो तो उन दोनों का िववािहक जीवन बेकार हो जाता है। ऐसे म� िकसी यो� िचिक�क की सलाह लेनी चािहए, िजससे स्थायी इलाज कराने क ◌े बाद पित प�ी दोनों पूरी तरह स�ु� होकर अपने वैवािहक जीवन का वा�िवक आन� उठाते �ए सुखमय जीवन �तीत कर सक े ।
  • 28. शा�ो�-यूनानी नु�े सिदयों से यूनानी इलाज को हर वग� की तरफ से यहाँ तक िक देश िवदेश म� भी मा�ता िमलती आ रही है �ोंिक आज की आधुिनक ऐलोपैिथक िचिक�ा मनु� की िजन तकलीफों का इलाज नहीं कर सकती उ�ीं तकलीफों का इलाज यूनानी िचिक�ा से सुलभ है। यूनानी इलाज से जिटल से जिटल शारी�रक �ािधयों का भी सफल इलाज हो सकता है। हजारों वष� पहले ऐलोपैथी इलाज का चलन नहीं था तब मनु� क े सभी रोगों का इलाज यूनानी प�ित से ही होता था। िजससे मनु� पूरी तरह से आराम पा जाता था। आज क े युग म� भी वही नु��, जड़ी-बूिटयां, खिनजों, द्र�ों, क ु �ों, रसायनों एवं कीमती भ�ों आिद से प�र� ृ त वै�ािनक प(ित �ारा तैयार िकये जाते ह� िजनका असर भी काफी तेज व प्रभावशाली होता है। क ु छ लोगों ने लालचवश अिधक धन बटोरने क े िलए शु� जड़ी बूिटयों व द्र�ों क े बदले नकली रंगो व रसायनों का प्रयोग करक े अपने इलाज को राजा महाराजा व नवावों वाला इलाज बताकर यूनानी को बदनाम कर िदया है इसका मतलब तो यही है िक पहले यूनानी इलाज िसफ � राजा महाराजाओं का ही िकया जाता था, साधारण जनता का नहीं। इ�ीं सब बातों को �ान म� रखकर हमन� शु� यूनानी तरीक े से दुल�भ असली जड़ी-बूटी, असली द्र�ों व रसायनों तथा कीमती भ�ों, क ु �ों से इलाज तैयार करक े उन िनराश रोिगयों की सेवा करने का संक� िलया है जो
  • 29. कई प्रकार क े रोगों से िघरकर अपने जीवन को नक � बना चुक े ह�। तथा राजा महाराजा व नवाबों वाले इलाज की साम�य नहीं रखते। ऐसे रोगी िनराश न हों हमसे िमल� या िलख� उ�� सही रा�ा बताकर भटक े �ए तथा िनराश �ए रोिगयों को �ा� लाभ प्रा� कराकर उ�� सही िदशा प्रदान कर�गे। आज क े युग म� पहले तो असली व�ु को प्रा� करना ही किठन है यिद प्रा� भी हो गई तो कौन िचिक�क इतना किठन प�रश्रम या पैसा खच� करता है लेिकन हमारे पास िसफ � रोगी का क�ाण है, रोगी का रोग दूर हो तथा वह जीवन भर सुखी रहे तािक हम� भी यश प्रा� हो हम इसी उ�े� को लेकर उ�म से उ�म इलाज तैयार करते ह�। इलाज वही िजससे रोग उम्र भर क े िलए कट जाये और रोगी को एकदम �स्थ व िनरोग बना दे। ऐसे प्रभावशाली इलाज का वण�न प्राचीन शा�ों व ग्र�ों म� है। हमारे इलाज का भी मूल आधार यही ग्र� ह�। जड़ी-बूिटयों एवं भ�ों का मह� यूं तो इलाज म� प्रयोग होने वाली अनिगनत जड़ी-बूिटयां, खिनज व भ�� ह� यिद हम सभी का वण�न करने तो इसक े िलए एक मोटी पु�क अलग से िलखनी पड़ जाएगी लेिकन हम यहां आपकी जानकारी क े िलए क ु छ चुनी �ई जड़ी बूिटयों एवं भ�ों क े नाम िलख रहे ह� िजनक े गुण अलग-अलग ह� तथा ये सब रोगी की पूरी हालत, रोग, उम्र व मौसम क े अनुसार इलाज म� प्रयोग की जाती ह�।
  • 30. हीरक भ�, मु�ा भ�, �ण� भ�, अभ्रक भ�, लोहा भ�, य� भ�, िस( मकर�ज, कहरवा, िप�ी,जाफरान, अ�र, मु�, जायफल, जािवत्री, वंशलोचन, अ�गंधा, िशलाजीत, छोटी इलायची, हरड़, बहेड़ा, आँवला, गोख�, कोंच बीज, मूसली, शतावरी, सालब िमश्री, मुलहठी, अकरकरा, सेमल की जड़, िवधारा आिद अनेकों ऐसे रस-रसायन ह� िजनक े प्रभाव अलग- अलग होते ह� तथा इनक े सेवन से िदमागी नाि़डयों और ग्र��यों की श�� बढ़ती है,वीय� पु� होता है। िदमाग, िजगर, गुदा�, मसाना, अ�कोष आिद अंगों की कमजोरी दूर हो जाती है। थकावट, डर, वहम, घबराहट, क्रोध, च�र, बैचेनी, िचड़िचड़ापन, काम म� मन न लगना, टांगों, बांहों व कमर म� दद�, थोड़ा सा काम करने से सांस फ ू लना, भूख कम लगना, क�, पेट गैस, र� की कमी, शीघ्रपतन,��दोष, प्रमेह, पेशाब का बार बार आना, नपुंसकता, कमजोरी आिद सभी िशकायत� दूर हो जाती ह� इसम� ऐसी जड़ी-बूिटयां व भ�� भी ह� िजनसे खाया- िपया शीघ्र ही पच जाता है शरीर को भी लगने लगता है, नया खून बनता है, िजससे चेहरे पर नई रौनक व चमक आ जाती है िदल म� उ�ाह और शरीर म� � ू ित� पैदा होती है खोई �ई मदा�ना व शारी�रक ताकत वापस लौट आती है शरीर उमंगों व जवानी की बहारों म� लह लहा उठता है। ��� को पूण� �प से पु�ष कहलाने का अिधकार प्रा� होता है।
  • 31. सफल जीवन का रह� 1.सुबह सवेरे उठकर प्रितिदन सैर कर� यिद हो सक े तो क ु छ �ायाम कर�। भोजन ह�ा, स�ुिलत व ज�ी ही हज़म होने वाला कर�। राित्र को भोजन सोने से 2-3 घंट� पहले ही कर ल�। क� न रहने दे। 2.ह�मैथुन न करे, ग�े उप�ास तथा अ�ील सािह� न पढ़े मन क े िवचार शु� अ�ा सािह� पढ़े जब भी मन म� बुरे िवचार आय� तो अपने प्रभु को याद कर�। 3.सोने से पहले मूत्र �ाग अव� कर ल� तथा रात म� जब भी नींद खुले तो पेशाब कर ल�, सुबह शौच समय पर जाय�। अपनी गु�े�ी की सफाई हर रोज नहाते समय कर�। अ�था मैल जम कर खुजली उ�� करेगी। 4.वे�ाओं क े संपक � से हमेशा दूर रह� उनका स�क � ही अनेक रोगों का मूल कारण है। एड्स जैसी प्राण घातक बीमारी भी हो सकती है तथा तन,मन धन तीनों का ही नाश होता है। 5.मािसक समय म� �ी से सं�ोग कदािप न कर� इससे कई तरह की बीमा�रयाँ हो जाती है। अिधक स�ोग न करे। िदन प्रितिदन क े स�ोग से न तो �ी को संतुि� होती है तथा न ही पु�ष म� श�� रहती है। याद रख�, ��या अिधक सं�ोग से प्रस� नही रहती जब भी स�ोग कर� जी भर क े करे तािक �ी को परम संतुि� प्रा� हो।
  • 32. 6.कभी-कभी शरीर म� तेल की मािलश कर�। मािलश करने से शरीर सुगिठत होगा कमजो◌े री सु�ी दूर होगी तथा चेहरे पर चमक आयेगी राित्र को अिधक कपड़े पहन कर नहीं सोना चािहए। 7.िववाह से पहले शारी�रक िनरी�ण िकसी अनुभवी व यो� िचिक�क से अव� करा लेना चािहए �ां◌े िक थोड़ी सी कमी आपक े पूरे िववािहत जीवन म� दरार डाल सकती है। 8.िकसी रोग का संक्रमण होते ही तुर� अपना इलाज कराना चािहए �ोंिक समय पर इलाज न होने पर रोग क े अिधक बढ़ जाने का डर रहता है िफर रोग को पूरी तरह दूर करने क े िलए अिधक किठनाई उठानी पड़ सकती है। 9.बाद एक प�ात् एक ठीक िनि�त अ�राल पर भोग िवलास करना गृहस्थ जीवन का ब्र�चाय� है। स�ोग का उ�म समय राित्र 12 बजे से 4 बजे तक है। स�ोग से पहले िकसी प्रकार का नशा न कर�। 10. प्र�ेक ��� म� एक अमृतक ु � है जो इ�ी �ारा टपक-टपक कर बह जाता है। इ�ी क े ऊपर िनय�ण रखकर इस अमृतक ु � की र�ा की जा सकती है। पित-प�ी का पहला िमलन सुहागरात सुहागरात का यह प्रथम िमलन क े वल शारी�रक िमलन ही नहीं होता ब�� मानिसक व आ��क िमलन है। इस घड़ी म� दो
  • 33. िज� एक जान हो जाते ह� तथा दो जाने अब तक अलग अलग थीं। इस रात को पहली बार एक हो जाती है तथा यही घड़ी वैवािहक जीवन की नींव का प�र बन जाती है। तथा सफल जीवन क े सुनहरी भिव� का िनमा�ण करती है। इस रात की नींव ब�त ही मजबूत हो जानी चािहए तािक कभी भी थोड़ी हलचल क े कारण वैवािहक जीवन म� दरार पड़ जाये। यह रात एक दूसरे को समझने की रात होती है यही कारण है िक क ु छ लोग शादी होने पर शादी म� आए �ए �र�ेदारों व अ� प�रवार जनों से भरे घर पर पित प�ी एक दूसरे को समझने म� किठनाई महसूस करते ह� तथा व कहीं पव�तीय स्थान या िकसी रमणीक स्थल पर एका� म� जाकर एक दूसरे को गहराई से जानने की िज�ासा रखते ह�। हनीमून या सुहागरात सभी देशों व सभी जाितयों म� प्रचिलत है तथा सभी जगह इसका समान मह� है। यिद आप अपनी नई दु�न क े स�े जीवन साथी न बन पाए तो सेज क े साथी भी न बन पाएं गे। नई दु�न क े वल आपको एक कामी ��� व वासना का लोभी भंवरा समझकर �यं को बिल का बकरा समझने लगेी इसिलए प्रथम िमलन की घि़डया जीवन की ब�त ही अनमोल घि़डया होती है। यिद अपने �खे �वहार पर ज�बाजी से कोई पु�ष अपने को संभाल नहीं पाता तो उसकी सुहागरात दुभा�� राित्र म� बदल जाती है। आज क े युग म� लड़िकयां भी िशि�त होती ह� तथा समाज म� वातावरण को भली प्रकार से समझती ह� इसी क े फल��प प्र�ेक लड़की अपने िववािहत जीवन का एक शुखहाल िचत्र अपने िदल िदमाग म�
  • 34. रखती है तथा उसी िचत्र क े अनुसार ही अपना पित चाहती है। यिद पित अपनी नई दु�न क े �दय को जीत लेने म� सफल हो जाता है तो िन�य ही यह उनक े वैवािहक जीवन का शुभारंभ है। पहली रात म� पित को स�ोग क े िलए कभी भी उतावला नहीं होना चािहए ब�� उसक े प्र�ेक व�ु जैसे �प रंग, आंख�, होंठ, नाक, चेहरे की बनावट, कपड़ों की आिद की खूब प्रशंसा करनी चािहए। अपनी नई दु�न क े सामने भूलकर भी िकसी दूसरी लड़की या �ी क े सौ�य�, गुणों व कपड़ों आिद की प्रशंसा न कर� इसक े आपकी प�ी म� हीनभावना आ जाएगी तथा आपक े साथ पूरा सहयोग दे पायेगी। पहले आप प�ी क े मन को वश म� करे और अपने ऊपर एक सीमा तक िनयंत्रण रख�, जब उसे आपका यह प्रेमी व सफल पु�ष का �प मु� कर देगा तो वह आपको खुशी व पूण� सहयोग क े साथ अपना सव�� अप�ण कर देगी। नई दु�न क े िलए पहला सहवास क�दायक होता है इसिलए पहले शु� म� उसक े क� का �ान रखते �ए धीरे धीरे ही उसका संकोच िझझक दू र करने की चे�ा कर�। प्र�ेक नविववािहता क े िलए यह अ�� आव�क है िक वे अपनी सुहागरात की घड़ी म� कोई शराब या नशे की व�ु का सेवन न कर� िजससे उनक े आगामी िववािहत जीवन पर बुरा प्रभाव पड़े। यह रात जीवन म� क े वल एक ही बात आती है। इसी रात की याद� �ी पु�ष अपने जीवन भर क े िलए गांठ म� बांध लेते ह� तथा क ु छ अ�ानी लोग यही समझते ह� िक पहली रात स�ोग म� र� आना ज�री है जो नववधु क े कौमाय� की िनशानी होती
  • 35. है उनकी यह धारणा िब� ु ल गलत है �ोंिक क ु छ लड़िकयों म� योिन�े द की िझ�ी ब�त स� होती है तथा क ु छ की यह िझ�ी ब�त पतली व कोमल होती है जो बचपन म� खेलक ू द, बस, गाड़ी म� चढ़ते उतरते समय साधारण चोट से भी फट जाती है। फल��प स�ोग से पहले ही फट चुकने क े कारण र� आने का प्र� ही पैदा नहीं होता इसिलए र� न आने पर अपनी नई दु�न क े च�रत्र का �थ� ही शक नहीं करना चािहए अ�था िववािहत जीवन एक दुखों की �ाला बनकर सारी िज�गी आपको जलाती रहेगी। एक असफल पु�ष का दुख, ह�मैथुन कई िदन पहले म� अपने दवाखाने म� हमेशा की तरह अपने रोगी भाइयों को देख रहा था तो उनम� एक रोगी काफी िनराश उदास व सहमा �आ सा बैठा था। जब उसकी बारी आई तो म�ने उससे सबसे पहले यही पूछा िक तुम इतने घबराये �ए �ों हो तो उस युवक रोगी का सब्र बांध टू ट गया तथा उसकी आंख� म� आंसू छलछला आए। म�ने उसे पूरी तस�ी दी तथा म�ने कहा िक अपनी परेशानी बताओ तथा िच�ा की कोई बात नहीं है तब उसने बताया िक म� एक स�ािनत म�वग�य प�रवार से स�� रखता �ं तथा अभी थोड़े ही िदन �ए अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की है। अतः अपने िव�ाथ� जीवन म� गलत संगत म� पड़ गया। ह�मैथुन भी िकया। जब क ु छ समझ आई तो ह�मैथुन की इ�ा को दबाया तथा ��दोष होने लगा िफर पेशाब म� लार सी िनकलने लगी िजससे मुझे बेहद कमजोरी महसूस होने लगी।
  • 36. उठते-बैठते शरीर दद�, च�र, अंधेरा व सांस फ ू लने तथा िदन भर सु�ी छायी रहती है, िकसी काम म� मन नहीं लगता। चूंिक अब म� �� हो या �ं मेरे माता िपता मेरी शादी करने पर जोर दे रहे ह� लेिकन न जाने �ों म� शादी क े नाम से परेशान हो गया �ं �ोंिक म� अपने आपको उपरो� कमजो�रयों क े कारण िववाह यो� नहीं समझता और न ही यह चाहता �ं िक मेरी कमजोरी व हालत की वजह से मेरी आने वाली प�ी का जीवन भी दुखमय हो जाये अतः म� आपका नाम व इलाज की प्रशंसा सुनकर आपक े पास आया �ं। म�ने उसकी पूरी हालत जानकर उसकी पूरी तरह शारी�रक जांच की। अब वह िब� ु ल ठीक बोल रहा था। वा�व म� ही वह अपनी अ�ानता वश अपनी जवानी को दोनों हाथों से लुटाकर अपने पु�ष� म� घुन लगवा चुका था। म�ने उसे अपना परामश� िया तथा पूरी लगन व मेहनत से असली व नायाब नु�ों �ारा उसका इलाज तैयार करवाया िजसक े सेवन से उसकी खोई �ई शारी�रक व मदा�ना श�� उसे दोबारा िमलनी शु� हो गई। एक महीने क े बाद ही उसकी शादी हो गई तथा पहली रात से अब तक पूरी तरह स�ु� है तथा अपने िववािहत जीवन का भरपूर लु� उठा रहा है। इसी प्रकार क े अनेकों रोगी भाई �यं हमारे पास आकर या अपनी पूरी हालत पत्र म� िलखकर अपना इलाज प्रा� करते ह� िजनक े सेवन से व पूरी तरह से �स्थ व िनरोग होकर हमारे इलाज की प्रशंसा करना नहीं भूलते। आ भी िमले या िलख�, पत्र �वहार पूण�तः गु� रखा जाता है। प्र�ेक पत्र को �ान से
  • 37. पढ़कर रोगी की पूरी हालत पर िवचार करने क े बाद ही परामश� या इलाज संभव होता है। मदा�ना कमजोरी का इलाज क े सर क�ूरी वाला हाशमी हाई पावर कोस� नया खून पैदा करक े न क े वल कमजोरी दूर करता है, ब�� प्रेमह रोग, ��दोष, शीघ्रपतन न� कर कमर, गुद� व िज� म� जबद�� ताकत बढ़ाता है, खोई �ई सेहत, ताकत जवानी वापस लाने क े िलए दुिनयां क े कोने कोने म� हाशमी हाई पावर कोस� क े पास�ल रोजाना जाते ह� तथा लाखों लोग हाशमी हाई पावर इलाज से नया जीवन �तीत कर रहे ह� कमजोरी चाहे िकसी भी कारण हो कमजोर से कमजोर इंसान बूढ़े तथा िववािहत भी सेहत, ताकत, जवानी प्रा� कर सकते ह�, �स्थ नवयुवक भी हाशमी हाई पावर कोस� का प्रयोग करक े अपनी ताकत कई ◌ु ना बढ़ सकते ह�। वीय� शहद की तरह गाढ़ा हो जाता है शरीर की सारी कमजोरी दू र होकर शरीर ह�पु� होकर ताकतवर व फ ु त�ला हो जाता है, मुदा� से मुदा� नसों, नाि़डयों म� खोई ताकत िफर से प्रा� करने क े िलए ितला इरानी हाशमी हाई पावर कोस� क े साथ होने पर सोने पर सुहागे का काम करता है यह कोस� िब� ु ल शु� मौिलक एवं अ��
  • 38. ब�मू� औषिधयों से तैयार िकया जाता है हाशमी हाई पावर कोस� का मू� मौसम, आयु, रोग अनुसार। सम� हाल व पता गु� रखा जाता ह� िमलने का समय: प्रा�: 10 बजे से सांय 6 बजे तक दवाखाना प्रित िदन खुलता ह� हमारी कही कोई ब्रांच नही ह� हाशमी दवाखाना , मौह ० काजीजादा, अमरोहा िनः शु� �ा� परामश� क े िलए कॉल कर�, 9997782987