Email Marketing Kya Hai aur benefits of email marketing
My presentation ppt
1. MY PRESENTATION
GURUDAKSHITA
FACULTY INDUCTION PROGRAMME-3
ORGANISED BY
HUMAN RESOURCE DEVELOPMENT CENTRE
GURU JAMBHESHWAR UNIVERSITY OF SCIENCE AND
TECHNOLOGY, HISAR (HARYANA)
SUBMITTED BY:
MRS. SONIA(Sr.n.25)
ASSISTANT PROFESSOR(HISTORY)
SMGCG, MOKHRA (ROHTAK)
2. TOPIC:ससिंधुघाटी की सभ्यता(हड़प्पासभ्यता)
:विश्ि की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओिं में से एक प्रमुख सभ्यता थी. यह हड़प्पा
सभ्यता और ससिंधु-सरस्िती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है. इसका विकास
ससिंधु और घघ्घर/हकडा (प्राचीन सरस्िती) के ककनारे हुआ. मोहनजोदडो, कालीबिंगा,
लोथल, धोलािीरा, राखीगढी और हड़प्पा इसके प्रमुख कें द्र थे.इसका काल 2350-
1750ईसापूिव माना जाता है.यह नगरीय सभ्यता थी.इसकी खोज से पूर्व र्ैदिक
सभ्यता से भारतीय इततहास का आरिंभ माना जाता था।इसकी खोज 1921-22 मे
डा.दायराम साहनी ि राखलदास बनजी ने की। इसके ग्रामीण जीिन की जानकारी
बहुत कम है.विदेसों से इनके व्यापाररक सिंबिंध थे.आर्थवक रूप से समृद्ध थे.खेती-
बाडी तथा पशुपालन भी करते थे.गेंहू ि जो उनकी प्रमुख फसलें थी.कला भी काफी
विकससत थी.ये लोग धमव मे भी विश्िास रखते थे.ससधू घाटी की सभ्यता के हम
हमेशा ऋणी रहेंगे.इन लोगों ने हमारे विकास का मागव प्रशस्त ककया.
4. DISCOVERY
ससिंधु घाटी सभ्यता विश्ि की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओिं में से एक प्रमुख सभ्यता थी।
यह हडप्पा सभ्यता और ससिंधु-सरस्र्ती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है। आज से
लगभग 100 िर्व पूिव पाककस्तान के 'पश्श्चमी पिंजाब प्रािंत' के 'माण्टगोमरी श़्िले' में श्स्थत
'हररयाणा' के ननिाससयों को शायद इस बात का ककिं र्चत्मात्र भी आभास नहीिं था कक िे अपने
आस-पास की ़िमीन में दबी श्जन ईटों का प्रयोग इतने धडल्ले से अपने मकानों के ननमावण
में कर रहे हैं, िह कोई साधारण ईटें नहीिं, बश्ल्क लगभग 5,000 िर्व पुरानी और पूरी तरह
विकससत सभ्यता के अिशेर् हैं। इसका आभास उन्हें तब हुआ जब 1856 ई. में 'जॉन
विसलयम ब्रन्टम' ने कराची से लाहौर तक रेलिे लाइन बबछिाने हेतु ईटों की आपूनतव के इन
खण्डहरों की खुदाई प्रारम्भ करिायी। खुदाई के दौरान ही इस सभ्यता के प्रथम अिशेर् प्राप्त
हुए, 1920 में, भारतीय पुरातत्त्ि विभाग द्िारा डा.दयाराम साहनी ि राखलदास बनजी के
ननदेशन मे ककये गए ससिंधु घाटी के उत्खनन से प्राप्त अिशेर्ों से हडप्पा तथा मोहनजोदडो
जैसे दो प्राचीन नगरों की खोज हुई।भारतीय पुरातत्त्ि विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल
जॉन माशवल ने सन1924 में ससिंधु घाटी में एक नई सभ्यता की खोज की घोर्णा की।
5. AGE
सैंधि सभ्यता के काल को ननधावररत करना ननिःसिंदेह बडा ही कठिन काम है, कफर भी
विसभन्न विद्धानों ने इस वििादास्पद विर्य पर अपने विचार व्यक्त ककये हैं।हडप्पाई
सभ्यता का काल ननधावरण मुख्य रूप से 'मेसोपोटासमया' में 'उर' और 'ककश' स्थलों पर
पाए गए हडप्पाई मुद्राओिं के आधार पर ककया गया। इस क्षेत्र में सिवप्रथम प्रयास 'जॉन
माशवल' का रहा। उन्होंने 1931 ई. में इस सभ्यता का काल 3250 ई.पू. 2750 ई.पू.
ननधावररत ककया।ह्िीलर ने इसका काल 2500 - 1500 ई.पू. माना है। बाद के समय में
काल ननधावरण की रेडडयो विर्ध का अविष्कार हुआ और इस विर्ध से इस सभ्यता का
काल ननधावरण इस प्रकार है:-
1. पूिव हडप्पाई चरण: लगभग 3500-2600 ई.पू.
2.पररपक्िहडप्पाई चरण: लगभग2600-1900 ई.पू.
3.उत्तर हडप्पाई चरण: लगभग 1900-1300 ई.पू.
रेडडयो कार्वन ‘सी-14‘ जैसी नर्ीन वर्श्लेषण पद्धतत के द्र्ारा हड़प्पा सभ्यता का सर्वमान्य
काल 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. को माना गया है।
6. EXTENT
अर् तक इस सभ्यता के अर्शेष पाककस्तान और भारत के पिंजार्, ससिंध,ब्लूचि-
स्तान, गुजरात, राजस्थान, हररयाणा, पश्श्िमी उत्तर प्रिेश, जम्मू-कश्मीर के भागों में पाये जा िुके हैं।
इस सभ्यता का फै लार् उत्तर में 'जम्मू' के 'मािंिा' से लेकर िक्षिण में नमविा के मुहाने 'भगतरार्' तक
और पश्श्िमी में 'मकरान' समुद्र तट पर 'सुत्कागेनडोर' से लेकर पूर्व में पश्श्िमी उत्तर प्रिेश में मेरठ तक
है। इस सभ्यता का सर्ावचधक पश्श्िमी पुरास्थल 'सुत्कागेनडोर', पूर्ी पुरास्थल 'आलमगीर', उत्तरी पुरास्थल
'मािंडा' तथा िक्षिणी पुरास्थल 'िायमार्ाि' है। लगभग त्रिभुजाकार र्ाला यह भाग कु ल क़रीर् 12,99,600
र्गव ककलोमीटर के िेि में फै ला हुआ है। ससन्धु सभ्यता का वर्स्तार पूर्व से पश्श्िमी तक 1600
ककलोमीटर तथा उत्तर से िक्षिण तक 1400 ककलोमीटर था। इस प्रकार ससिंधु सभ्यता समकालीन समस्र या
'सुमेररयन सभ्यता' से अचधक वर्स्तृत िेि में फै ली थी।
7. TOWN PLANNING
1.हडप्पाई सभ्यता अपनी नगरीय योजना प्रणाली के सलये जानी जाती है।
2.मोहनजोदडो और हडप्पा के नगरों में अपने- अपने िुगव थे जो नगर से कु छ ऊँ चाई पर श्स्थत होते थे
श्जसमें अनुमानतिः उच्च िगव के लोग ननिास करते थे ।
3. दुगव से नीचे सामान्यतिः ईंटों से ननसमवत नगर होते थे,श्जनमें सामान्य लोग ननिास करते थे।
4. हडप्पा सभ्यता की एक ध्यान देने योग्य बात यह भी है कक इस सभ्यता में चिड प्रणाली मौजूद थी
श्जसके अिंतगवत सडकें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीिं.
5. इसमे अन्न भिंडारों का ननमावण हडप्पा सभ्यता के नगरों की प्रमुख विशेर्ता थे.
6. जली हुई ईंटों का प्रयोग हडप्पा सभ्यता की एक प्रमुख विशेर्ता थी क्योंकक समकालीन समस्र में
मकानों के ननमावण के सलये शुष्क ईंटों का प्रयोग होता था।
7.इसमे हर छोटे और बडे घर के अिंदर स्ििंय का स्नानघर और आँगन होता था।
8.ससिंधुसभ्यता में जल ननकासी प्रणाली बहुत प्रभािी थी।
9. कालीबिंगा के बहुत से घरों में कु एँ नही पाए जाते थे।
10.कु छ स्थान जैसे लोथल और धौलािीरा में सिंपूणव विन्यास म़िबूत और नगर दीिारों द्िारा भागों
में विभाश्जत थे।
8. ECONOMY
हडप्पाई गाँि मुख्यतिः प्लािन मैदानों के पास श्स्थत थे,जो
पयावप्त मात्रा में अनाज काउत्पादनकरते थे।ससिंधु सभ्यता के
मनुष्यों ने सर्वप्रथम कपास की खेती प्रारिंभ की थी।
पुराताश्त्त्िक खुदाई से र्ैलों से जुते हुए खेत के साक्ष्य समले
हैं।हडप्पा सभ्यता के अर्धकतम स्थान अद्वध शुष्क क्षेत्रों में
समले हैं,जहाँ खेती के सलये ससिंचाई की आिश्यकता होती
है।नहरों के अिशेर् हडप्पाई स्थल शोतुवगई अफगाननस्तान में
पाए गए हैं ,लेककन पिंजाब और ससिंध में नहीिं।अनर्गनत
सिंख्या में समली मुहरें ,एकसमान सलवप,िजन और मापन की
विर्धयों से ससिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के जीिन में व्यापार
के महत्ति के बारे में पता चलता है।हडप्पाई लोग कृ वर् के
साथ -साथ बडे पैमाने पर पशुपालन भी करते थे ।धातु मुद्रा
का प्रयोग नहीिं होता था। व्यापार की र्स्तु वर्तनमय प्रणाली
मौजूद थी।अरब सागर के तट पर उनके पास कु शल नौर्हन
प्रणाली भी मौजूद थी।उन्होंने उत्तरी अफगाननस्तान में अपनी
व्यापाररक बश्स्तयाँ स्थावपत की थीिं जहाँ से प्रमाणणक रूप से
मध्य एसशया से सुगम व्यापार होता था।दजला -फरात
नठदयों की भूसम िाले क्षेत्र से हडप्पा िाससयों के िाणणश्ययक
सिंबिंध थे।
9. RELIGION
हडप्पाई पृथ्र्ी को उर्वरता की िेर्ी मानते थे और पृथ्िी की पूजा उसी तरह करते
थे, श्जस प्रकार समस्र के लोग नील नदी की पूजा देिी के रूप में करते थे ।पुरुर्
देिता के रूप में मुहरों पर तीन शृिंगी र्चत्र पाए गए हैं जो कक योगी की मुद्रा में बैिे
हुए हैं ।देिता के एक तरफ हाथी, एक तरफ बाघ, एक तरफ गैंडा तथा उनके
ससिंहासन के पीछे भैंसा का र्चत्र बनाया गया है। उनके पैरों के पास दो ठहरनों के
र्चत्र है। र्चबत्रत भगिान की मूनतव को पशुपततनाथ महािेर् की सिंज्ञा दी गई है।अनेक
पत्थरों पर सलिंग तथा स्िी जनन अिंगों के र्चत्र पाए गए हैं।ससिंधु घाटी सभ्यता के
लोग र्ृिों तथा पशुओिं की पूजा ककया करते थे।ससिंधु घाटी सभ्यता में सबसे
महत्त्िपूणव पशु एक सीिंग र्ाला गैंडा था तथा दूसरा महत्त्िपूणव पशु कू र्ड़ र्ाला सािंड
था।अत्यर्धक मात्रा में ताबीज भी प्राप्त ककये गए हैं।आज की तरह पीपल,जल,अश्ग्न
ि सपव पूजा की जाती थी।
10. DECAY
ससिंधु घाटी सभ्यता का लगभग 1800 ई.पू. में पतन हो गया था, परिंतु उसके पतन
के कारण अभी भी वििाठदत हैं।
एक ससद्धािंत यह कहता है कक इिंडो -यूरोवपयन जनजानतयों जैसे- आयों ने ससिंधु
घाटी सभ्यता पर आक्रमण कर ठदया तथा उसे हरा ठदया ।
ससिंधु घाटी सभ्यता के बाद की सिंस्कृ नतयों में ऐसे कई तत्त्ि पाए गए श्जनसे यह
ससद्ध होता है कक यह सभ्यता आक्रमण के कारण एकदम विलुप्त नहीिं हुई थी ।
दूसरी तरफ से बहुत से पुरातत्त्िविद ससिंधु घाटी सभ्यता के पतन का कारण प्रकृ नत
जन्य मानते हैं।
प्राकृ नतक कारण भूगभीय और जलिायु सिंबिंधी हो सकते हैं।
यह भी कहा जाता है कक ससिंधु घाटी सभ्यता के क्षेत्र में अत्यर्धक वििनतवननकी
विक्षोभों की उत्पवत्त हुई श्जसके कारण अत्यर्धक मात्रा में भूकिं पों की उत्पवत्त हुई।
एक अन्य कारण यह भी हो सकता है कक नठदयों द्िारा अपना मागव बदलने के
कारण खाद्य उत्पादन क्षेत्रों में बाढआ गई हो ।
इन प्राकृ नतक आपदाओिं को ससिंधु घाटी सभ्यता के पतन का मिंद गनत से हुआ, परिंतु
ननश्श्चत कारण माना गया है।