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गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका                       अगस्त- 2012




                           NON PROFIT PUBLICATION
We are Celebrate 32 years of Success




We are Happy to Complete 32 years of its Establishment and that its work are a proof
enough of its achievements of our Goal. We Are World's Leading Mantra Siddha Kavach
Maker And We Are Expert in Advanced Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Advice.
We would like to Thank You For Your Continued Support and Contributions with us.
We are Also Thanks and Salute to SRI BHUPENDRA BHAI JOSHI (Founder and
Former Managing      Director of GURUTVA KARYALAY) For her Bright Visionary in
Spiritual Subject.
                                                           CHINTAN JOSHI
                     All Team Member of GURUTVA JARYALAY And GURUTVA JYOTISH
GURUTVA JYOTISH
            In July-2012 We are Successfully Published
 Our 24th Edition of GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine




We are Thanks all of you, In 2 Years and 24 Edition of Online Publishing Experience We
Received Lots of Suggestion and Feedback by our Readers. Our Some Readers Are Regularly
Sent us Their Feedback us to Improve Our Publication Quality They also sending Us Lots of
knowledgeable E-Book, Magazine, Article E.t.c Spiritual Material.

 Dear All Readers Thank You For Your Continued Support and Contributions.
Behind Our Success We are Also Thanks Our Freelance Graphics Designing Team
SWASTIK.N.JOSHI, Digital Graph, Deepak Joshi, Shriya Joshi, Manish Joshi, Ajay Sharma,
Ashish Patel And All Team Member of SWASTIK SOFTECH INDIA
Our Freelance Writers Swastik.N.Joshi, Deepak Joshi, Shriya Joshi, Vijay Thakur, Rakesh
Panda, Alok Sharma, Pt.Sri Bhagvandas Trivedi Jee, Shandip Sharma, E.t.c Team Member
                                                         CHINTAN JOSHI
                   All Team Member of GURUTVA JARYALAY And GURUTVA JYOTISH
FREE
        E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका                       ई- जन्भ ऩत्रिका
अगस्त 2012

                                    अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्धसत द्राया
सॊऩादक
सिॊतन जोशी
सॊऩका
गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग               उत्कृ द्श बत्रवष्मवाणी क साथ
                                                              े
गुरुत्व कामाारम
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                                           १००+ ऩेज भं प्रस्तुत
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                                       Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
सोफ्टे क इस्न्िमा सर)                     Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in,
                                                gurutva.karyalay@gmail.com
गुरु ऩुष्म मोग क फाये भं त्रवद्रान ज्मोसतत्रषमो का कहना हं फक ऩुष्म नऺि भं धन प्रासद्ऱ,
                                            े
                            िाॊदी, सोना, नमे वाहन, फही-खातं की खयीदायी एवॊ गुरु ग्रह से सॊफॊसधत वस्तुए अत्मासधक
                            राब प्रदान कयती है ।….53

                           बायतीम त्रवद्रानं क भतानुशाय अॊक त्रवऻान ज्मोसतष शास्त्र का एक असबऻ अॊग हं , क्मोफक
                                              े
                           सॊऩूणा ज्मोसतष शास्त्र एवॊ उसकी गणनाओॊ का भूख्म आधाय गस्णत हं औय गस्णत का भूख्म
                           आधाय अॊक हं । हजायं वषा ऩूवा बायतीम त्रवद्रानो ने अऩने ऻान फर…6
                                                   अॊक ज्मोसतष भूराॊक त्रवशेष भं
                                       त्रवशेष भं                            हभाये उत्ऩाद 
                                                                             द्रादश भहा मॊि
 सवा कामा ससत्रद्ध         भूराॊक 1 स्वाभी सूमा                         8                                         11
                           भूराॊक 2 स्वाभी िन्रभा                       12   सवा कामा ससत्रद्ध कवि                19
    कवि …19                                                                  बाग्म रक्ष्भी फदब्फी
                           भूराॊक 3 स्वाभी गुरू                         16                                        21
                           भूराॊक 4 स्वाभी याहु                         20   दगाा फीसा मॊि
                                                                              ु                                   23
                           भूराॊक 5 स्वाभी फुध                          24   भॊिससद्ध स्पफटक श्री मॊि             28
                           भूराॊक 6      स्वाभी शुक्र                   27   कनकधाया मॊि                          35
                           भूराॊक 7 स्वाभी कतु
                                            े                           31   धन वृत्रद्ध फिब्फी                   36
गणेश रक्ष्भी मॊि…37
                           भूराॊक 8 स्वाभी शसन                          34   सयस्वती कवि औय मॊि                   41
                           अॊक ज्मोसतष भूराॊक 9 स्वाभी भॊगर             38   सवाससत्रद्धदामक भुफरका               42
                           अॊक ज्मोसतष से जाने शुब यत्न                 42   प्रद्ल किरी त्रवद्ऴेषण
                                                                                     ुॊ                           45
                           वास्तु एवॊ योग 44                            44   ऩुरुषाकाय शसन मॊि                    54
                           धन प्रासद्ऱ भं फाधक हं भकिी क जारे 48
                                                        े               48   नवयत्न जफित श्री मॊि                 55
नवयत्न जफित श्रीमॊि.. 55
                           असधक भास का धासभाक भहत्व 49                  49   श्री हनुभान मॊि                      56
                           गुरु ऩुष्माभृत मोग                           53   भॊिससद्ध रक्ष्भी मॊिसूसि             57
   ऩुरुषाकाय शसन
                            स्थामी औय अन्म रेख                         भॊि ससद्ध दै वी मॊि सूसि             57
      मॊि…54               सॊऩादकीम                                     6    यासश यत्न                            58
                           भाससक यासश पर                                65   भॊि ससद्ध रूराऺ                      59
                           अगस्त 2102 भाससक ऩॊिाॊग                      69   भॊि ससद्ध दरब साभग्री
                                                                                        ु ा                       59
                           अगस्त-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय            71   श्रीकृ ष्ण फीसा मॊिकवि /             60
                           अगस्त 2102 -त्रवशेष मोग                      76   याभ यऺा मॊि                          61
    यासश यत्न…58           दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका           76   जैन धभाक त्रवसशद्श मॊि
                                                                                     े                            62
                           फदन-यात क िौघफिमे
                                    े                                   77   घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि   63
                           फदन-यात फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक      78   अभोद्य भहाभृत्मुॊजम कवि              64
                           ग्रह िरन अगस्त -2012                         79   याशी यत्न एवॊ उऩयत्न                 64
                           सूिना                                        87   शसन ऩीिा सनवायक                      70
  भॊि ससद्ध रूराऺ …59
                           हभाया उद्दे श्म                              89   सवा योगनाशक मॊि/                     80
                                                                             भॊि ससद्ध कवि
अभोद्य भहाभृत्मुजम
                ॊ
                                                                                                                  82
                                                                             YANTRA LIST                          83
     कवि …64                                                                 GEM STONE                            85
त्रप्रम आस्त्भम

         फॊध/ फफहन
            ु

                     जम गुरुदे व
       बायतीम त्रवद्रानं क भतानुशाय अॊक त्रवऻान ज्मोसतष शास्त्र का एक असबऻ अॊग हं , क्मोफक सॊऩूणा ज्मोसतष शास्त्र
                          े
एवॊ उसकी गणनाओॊ का भूख्म आधाय गस्णत हं औय गस्णत का भूख्म आधाय अॊक हं । हजायं वषा ऩूवा बायतीम त्रवद्रानो
ने अऩने ऻान फर एवॊ खोज से अॊकं क गूढ़ यहस्म को ऻात कय सरमा था। अॊक ज्मोसतष क आधाय ऩय फकसी भनुष्म
                                े                                           े
क िरयिगत रऺण, जीवन भं घफटत होने वारी शुब-अशुब घटना आफद को असत सयरता से ऻात फकमा जा सकता हं ।
 े
अॊक त्रवद्या बत्रवष्म ऻात कयने की सफसे सयर त्रवसध हं , रेफकन इस त्रवद्या क आधाय ऩय ज्मोसतष शास्त्र की तयह
                                                                          े
एकदभ स्स्टक बत्रवष्मवाणी कयना कफिन हं । अॊक शास्त्र क गूढ यहस्मं को उजागय कय उसे असत सयर भाध्मभ फनाने
                                                     े
भं बायतीम त्रवद्रानो ने अऩना त्रवशेष मोगदान फदमा हं । आज क आधुसनक मुग भं सभम फदरने क साथ-साथ कछ
                                                          े                         े         ु
रोगं ने अॊक शास्त्र को ऩद्ळात्म दे शं की दे न भान सरमा जो की सिाई से ऩये हं ।
बायतीम त्रवद्रानो का भत हं की अॊक ज्मोसतष बत्रवष्म जानने की असत सयर प्रणारी होने क कायण सॊबवत इसका
                                                                                  े
त्रवदे श भं असधक प्रिर यहा हं । क्मोफक अॊक ज्मोसतष भं ज्मोसतष शास्त्र क सभान असधक रम्फी गणनाएॊ मा ग्रहं का
                                                                       े
सूक्ष्भ अवरोकन आफद का सनयीऺण कयने की आवश्मक्ता नहीॊ होती हं । अॊक ज्मोसतष की गणनाएॊ अत्मॊत सयर होती
हं , स्जसे कोई बी गस्णत का थोिा़ फहुत ऻान यखने वारा व्मत्रक्त बी आसानी से सभझ सकता हं । रेफकन ज्मोसतष
शास्त्र की गणनाएॊ इतनी आसान नहीॊ होती।
अॊकं क आधाय ऩय ही फदनाॊक औय भफहनं का सनणाम फकमा गमा हं । जानकायं का भत हं की हय फदनाॊक औय उससे
      े
प्राद्ऱ होने वारे भूराॊक फकसी ना फकसी ग्रह क प्रसतसनसधत्व कयते हं । भूराॊक क स्वाभी ग्रह का प्रबाव सॊफॊसधत व्मत्रक्त
                                            े                               े
क जीवन ऩय त्रवशेष रुऩ से ऩिता हं ।
 े
भूराॊक व्मत्रक्त जन्भ तारयख से प्राद्ऱ होता हं । अॊक ज्मोसतष की भहत्वता को सभझते हुवे बायतीम त्रवद्रानं ने त्रवसबन्न
यहस्मं को उजागय कयक भनुष्म क बूत, बत्रवष्म औय वताभान स्स्थती का आॊकरन कयने की सयर त्रवसध प्रदान की हं ।
                   े        े
इस अॊक ज्मोसतष त्रवशेष अॊक भं कवर भं भूराॊक से सॊफॊसधत जानकायीमा सॊरग्न की गई हं ।
                               े
ऩािकं क भागादशान क सरमे अॊक ज्मोसतष भूराॊक त्रवशेषाॊक फक प्रस्तुसत फक गई हं ।
       े          े
सबी ऩािको क भागादशान मा ऻानवधान क सरए भूराॊक से सॊफॊसधत त्रवसबन्न उऩमोगी जानकायी इस अॊक भं त्रवसबन्न
           े                     े
ग्रॊथो एवॊ सनजी अनुबवो क आधाय ऩय सॊकसरत की गई हं । जानकाय एवॊ त्रवद्रान ऩािको से अनुयोध हं , मफद अॊक
                        े
ज्मोसतष भं भूराॊक से सॊफॊसधत त्रवषम भं सभम, स्थान, वस्तु, स्स्थसत इत्माफद क सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भं,
                                                                           े
फिजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाशन भं कोई िुफट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रं मा फकसी मोग्म जानकाय
मा त्रवद्रान से सराह त्रवभशा कय रे । क्मोफक जानकाय भूराॊक त्रवद्ऴेषण कयने वारे एवॊ त्रवद्रानो क सनजी अनुबव व
                                                                                               े
त्रवसबन्न ग्रॊथो भं वस्णात अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत जानकायीमं भं एवॊ त्रवद्रानो क स्वमॊ क अनुबवो भं सबन्नता होने क
                                                                               े       े                        े
कायण अॊक ज्मोसतष भं परकथन की बाग्माॊक, नाभाॊक आफद प्रभुख ऩद्धसत का बी त्रवशेष भहत्व होने क कायण पर
                                                                                          े
कथन भं सबन्नता सॊबव हं ।



                                                                                                 सिॊतन जोशी
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             *****         अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत त्रवशेष सूिना*****
 ऩत्रिका भं प्रकासशत अॊक ज्मोसतष से सम्फस्न्धत सबी जानकायीमाॊ गुरुत्व कामाारम क असधकायं क साथ ही
                                                                                े         े
   आयस्ऺत हं ।
 अॊक शास्त्र ऩय अत्रवद्वास यखने वारे व्मत्रक्त अॊक ज्मोसतष क त्रवषम को भाि ऩिन साभग्री सभझ सकते हं ।
                                                             े
 अॊक ज्मोसतष का त्रवषम ज्मोसतष से सॊफॊसधत होने क कायण इस अॊकभं वस्णात सबी जानकायीमा बायसतम
                                                 े
   अॊक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरखी गई हं ।
 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी
   कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।
 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत बत्रवष्मवाणी फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक
   नहीॊ हं औय ना हीॊ प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी क फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक
                                                             े
   फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं ।
 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत रेखो भं ऩािक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष को
   फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम उनका स्वमॊ का होगा।
 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत ऩािक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।
 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत रेख अॊक शास्त्र क प्राभास्णक ग्रॊथो, हभाये वषो क अनुबव एव अनुशॊधान क
                                          े                              े                   े
   आधाय ऩय फदमे गमे हं ।
 हभ फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष द्राया अॊक ज्मोसतष ऩय त्रवद्वास फकए जाने ऩय उसक राब मा नुक्शान की
                                                                              े
   स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं । मह स्जन्भेदायी अॊक ज्मोसतष ऩय त्रवद्वास कयने वारे मा उसका प्रमोग कयने वारे
   व्मत्रक्त फक स्वमॊ फक होगी।
 क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ िं, साभास्जक, कानूनी सनमभं क स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्वाथा
                                                               े
   ऩूसता हे तु अॊक ज्मोसतष का प्रमोग कताा हं अथवा अॊक ज्मोसतष का सूक्ष्भ अध्ममन कयने भे िुफट यखता हं
   मा उससे िुफट होती हं तो इस कायण से प्रसतकर अथवा त्रवऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी सॊबव हं ।
                                            ू
 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत जानकायी को भानकय उससे प्राद्ऱ होने वारे राब, हानी फक स्जन्भेदायी कामाारम मा
   सॊऩादक फक नहीॊ हं ।
 हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे अॊक ज्मोसतष ऩय आधारयत रेखं भं वस्णात जानकायी को हभने सैकिोफाय स्वमॊ
   ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधगण ने बी अऩने नीजी जीवन भं अनुबव फकमा हं । स्जस्से हभ अनेको फाय अॊक
                        ु
   ज्मोसतष क आधाय ऩय स्स्टक उत्तय की प्रासद्ऱ हुई हं । असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩक कय सकते
            े                                                                               ा
   हं ।
                             (सबी त्रववादो कसरमे कवर बुवनेद्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
                                            े     े
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                                             भूराॊक 1 स्वाभी सूमा
                                                                                     सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
                                                                   अत्मासधक सहनशीर, सफहष्णु एवॊ गॊबीय होते हं । व्मत्रक्त
भूराॊक:- 1
                                                                   क जीवन भं सनयॊ तय उत्थान-ऩतन होत यहते हं तथा
                                                                    े
स्वाभी ग्रह:- सूम
                                                                   सॊघषा इनक जीवन का भुख्म अॊश होता हं । व्मत्रक्त का
                                                                            े
सभि अॊक:- 2,3,9
                                                                   आसथाक ऩऺ भजफुत होता हं । व्मत्रक्त सनयॊ तय धन अस्जात
शिु अॊक:- 6,8
                                                                   कयने वारा होता हं ।
सभ-5-
                                                                       भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त मफद नौकयी कयते हं तो वह
स्व अॊक-1
                                                                   शीध्र उच्ि ऩद ऩय आसीन होने का प्रमास कयते हं तथा
तत्व:- अस्ग्न
                                                                   मफद वह व्माऩायी हं तो फदन-यात ऩरयश्रभ कय अऩने
                                                                   व्माऩायी वगा भं प्रभुख स्थान फनाने भं सभथा होते हं ।
        मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 1,
                                                                   व्मत्रक्त िाहे व्माऩाय क ऺेि भं हो मा नौकयी क उसक
                                                                                           े                    े   े
10, 19 व 28 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 1
                                                                   नेतत्व कयने भं कोई कभी नहीॊ आएगी।
                                                                      ृ
होता है ।
                                                                       एसे व्मत्रक्त सनणाम रेने भं ितुय होते हं , स्वतॊि एवॊ
        भूराॊक 1 अॊक क व्मत्रक्त भेहनती, उद्यभी औय
                      े
                                                                   स्वस्थ सिॊतन इनकी प्रभुख त्रवशेषता होती हं । इनका
स्स्थय त्रविाय धाया वारे दृढ़ सनद्ळमी होते हं । व्मत्रक्त की
                                                                   व्मत्रक्तत्व स्वत् ही दसयं से अरग फदखाई दे गा, फकसी क
                                                                                          ू                             े
प्रकृ सत कामा ऺेि भं असधक स्स्थयता मुक्त होती हं ।
                                                                                दफाव भं मे व्मत्रक्त कामा नहीॊ कय सकते हं ।
        भूराॊक 1 का स्वाभी ग्रह सूमा हं ,
                                                                                         व्मत्रक्त अऩने जीवन का असधकतय
इस सरए भूराॊक 1 भं जन्भ रेने
                                                                                         सभम         प्रत्मेक    ऺेि        भं    ऩरयवतान
वारे व्मत्रक्त क उऩय सूमा का
                े
                                                                                              कयने     भं       खिा      कय        दे ते    हं
त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता
                                                                                               ऩरयवतान इनका स्वाबाव होता
हं , क्मोफक 1 भूराॊक भं जन्भ
                                                                                                 हं , ऩूयानी जीवन शैरी ऩय
रेने   के    कायण    व्मत्रक्त   के
                                                                                                 िरने क अभ्मस्त नहीॊ होते
                                                                                                       े
सबतय सूमा ग्रह की अनुकरता
                      ू
                                                                                                 हं । सुॊदय, सुरूसिऩूणा जीवन
क कायण सूमा ग्रह क गुणं
 े                े
                                                                                                 भं     मे      त्रवद्वास        यखते      हं ।
का सभावेश अन्म ग्रहं की
                                                                                               व्मत्रक्त जीवन को जीना अच्छी
अऩेऺा बयऩूय भािा भं हो जाता
                                                                                          तयह जानते हं ।
हं । सूमा ग्रह क इस त्रवशेष प्रबात्रव
                े
                                                                                                     भूराॊक 1 भं जन्भं व्मत्रक्त
गुणं क कायण ही व्मत्रक्त भं नेतत्व
      े                        ृ
                                                                                   अत्मासधक          अनुशासन          त्रप्रम     होते     हं ।
की बावना बी प्रफर होती हं । एसे व्मत्रक्त
                                                                          व्मत्रक्त को फकसी क दफाव भं मा फकसी क दफाव
                                                                                             े                 े
स्जस कामा को बी अऩने हाथ भं रेते हं , उस कामा को
                                                                   भं अॊदय यहकय कामा कयना ऩसॊद नहीॊ होता व्मत्रक्त
अच्छी तयह सनबाते हं व्मत्रक्त क सबतय उस कामा को
                               े
                                                                   स्वतॊिता त्रप्रम होते हं     इस सरए व्मत्रक्त को अऩने
सॊऩन्न कयने का साभर्थमा त्रवशेष रुऩ से होता हं । व्मत्रक्त
                                                                   उच्िासधकायी मा फकसी औय का हस्तऺेऩ ऩसॊद नहीॊ होता
9                             अगस्त 2012



हं । स्जस प्रकाय ज्मोसतष ग्रॊथं भं उल्रेख हं की सूमा ग्रह                 भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त स्जससे सभिता कयते हं उसे
की प्रधानता वारे व्मत्रक्त जीवन भं याजमोग का सुख                   ऩूणत् वपादायी से सनबाते हं , औय मफद फकसी से शिुता
                                                                      ा
बोगते हं (अथाात याजा क सभान सुख प्राद्ऱ कयने वारे
                      े                                            कयते हं तो उसे जल्द बुराते नहीॊ औय उस शिुताको
होते हं ) िीक उसी प्रकाय अॊक शास्त्र क अनुशाय बी
                                      े                            रम्फे सभम तक स्खिने का प्रमत्न कयने से ऩीछे नहीॊ
भूराॊक एक वारे व्मत्रक्त बी जीवन भं अऩने कभा से याजा               हटते। व्मत्रक्त सनयॊ तय अऩने शिु ऩऺ ऩय हात्रव होने का
क सभान सुख को शीघ्र प्राद्ऱ कयने भं सऺभ होते हं ।
 े                                                                 प्रमत्न कयते यहते हं औय असधकतय भाभरं भं व्मत्रक्त शिु
           भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त सूमा क प्रबाव से स्स्थय
                                         े                         को ऩये शान कयक मा ऩयास्जत कयक ही दभ रेते हं ।
                                                                                 े              े
त्रविायधाया वारे अऩने सनद्ळम ऩय दृढ़ यहने वारे होते हं ।           व्मत्रक्त को गुद्ऱ शिुओॊ का हभेशाॊ खतया यहता हं , व्मत्रक्त
इस सरए व्मत्रक्त जीवन भं जफ बी फकसी को अऩना विन                    क असधकतय शिु उससे सीधे सबिने से कतयाते हं रेफकन
                                                                    े
दे ते हं , तो व्मत्रक्त उस विन को सनबाने का ऩूणा प्रमत्न           उसक शिु ऩीछे से वाय कयने की ताकभं यहते हं , इस सरए
                                                                      े
कयता हं । व्मत्रक्त थोिे ़ स्िद्दी स्वबाव क होते हं स्जस
                                           े                       व्मत्रक्त को शिु ऩऺ से हभेशा सावधान यहना िाफहए, शिु
कायण व्मत्रक्तफकसी भहत्वऩूणा सनणाम रेने भं राऩयिाही                क त्रवषम भं व्मत्रक्त को फकसी बी प्रकाय की गरतफ़हभी,
                                                                    े
फयते हं औय अऩने जीवन क फकसी भोि ऩय उसका
                      े                                            अपवाह मा उसे कभजो़य सभझ ने की बूर नहीॊ कयनी
खासभमाजा बुगतते हं । व्मत्रक्त अऩनी स्िद्द क कायण कबी
                                            े                      िाफहए क्मोफक जरूयत से असधक आत्भत्रवद्वास हानीकायक
कबी        अनुसित    कभं    भं   सरग्न   हो   जाते   हं   औय       होता हं । इस सरए व्मत्रक्त को अऩनी यऺा हे तु हभेशा
ऩारयवायीक रोगं एवॊ त्रप्रमजनो से अऩभासनत होते हं ।                 सिेत औय सजग यहना िाफहए।
क्मोफक एसे व्मत्रक्त क फदभाग भं एक फाय जो फात फैि
                      े                                                   भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त न्माम त्रप्रम एवॊ उदाय रृदम
जाती हं वह असधक सभम तक सनकरती नहीॊ। फपय िाहं                       क होते हं , इस सरए व्मत्रक्त दसयं की सहामता कयने भं
                                                                    े                            ू
वह फात सही हो मा गरत व्मत्रक्त उसी फात ऩय अिे ़ यहते               बी तत्ऩय होते हं । व्मत्रक्त भं सभाज क सरए कछ कय
                                                                                                         े     ु
हं ।                                                               गुियने की बावना बी प्रफर होती हं , इस कायण व्मत्रक्त



           क्मा आऩक फच्िे कसॊगती क सशकाय हं ?
                    े       ु      े

           क्मा आऩक फच्िे आऩका कहना नहीॊ भान यहे हं ?
                    े

           क्मा आऩक फच्िे घय भं अशाॊसत ऩैदा कय यहे हं ?
                    े
                                        ु         ु
       घय ऩरयवाय भं शाॊसत एवॊ फच्िे को कसॊगती से छिाने हे तु फच्िे क नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-
                                                                    े
       त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने
       घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ तो आऩ भॊि
       ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩक इस कय सकते हं ।
                                                                  ा

                                          GURUTVA KARYALAY
                    92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA),
                                        Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
                             Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
10                                  अगस्त 2012



सनयॊ तय अऩने कामा से ज्मादा दसयं की कामं भं उरझा
                             ू                                भूराॊक-1 हं वे फकसी ना फकसी रूऩ भं रृदम से सॊफॊसध
यहता हं । एसे व्मत्रक्त साभास्जक कामं से खुफ नाभ औय           योगं से ऩीफित होते हं । फदर की धिकने औय यक्त प्रवाह
मश प्राद्ऱ कयते हं । भूराॊक 1 वारे कछ व्मत्रक्तमं भं कछ
                                    ु                 ु       असनमसभत हो जाता हं । आॉख का दखना एवॊ
                                                                                           ु                          दृस्श्ट दोश
भािा भं अहॊ बी ऩामा जाता हं । व्मत्रक्त क कभाऺेि क
                                         े        े           जैसे योग होते हं । उसित हं आऩ सभम-सभम ऩय आॉखं
अनुशाय उसकी प्रशॊसा कयने वारे असधक होते हं स्जस               का ऩरयऺण कयवाते यहं ।
कायण व्मत्रक्त को कबी फकसी सिज औय ऩैसं की कभी
भहसूस नहीॊ होती। आवश्मक्ता ऩिने ऩय व्मत्रक्त को               उऩमुक्त आहाय्
त्रवसबन्न स्त्रोत से ऩैसे की भदद बी सभर जाती है ।                         फकशसभश, संप, कसय, रंग, जामपर, सॊतये ,
                                                                                        े
         प्रेभ सॊफॊसधत भाभरं भं व्मत्रक्त असधक बावुक होते     नीॊफू, भोसॊफी, खजूय, अदयक, जौ, ऩारक, गाजय आफद
हं , मफद फकसी से एक फाय प्रेभ कयरे तो उसक सरए कछ
                                         े     ु              उऩमोगी हं । रृदम योग क नभक कभ खना िाफहमे।
                                                                                    े
बी कयने को तैमाय हो जाते हं , प्रेभ क भाभरं भं एसे
                                     े
व्मत्रक्त उसित अनुसित कामा कयने से बी ऩीछे नहीॊ हटते।         अनुकर व्मवसाम:
                                                                  ू
         भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त सुॊदय, स्वरुऩवान औय अच्छे                व्मत्रक्त   त्रफजरी,   सिफकत्सा,   याजदत,
                                                                                                                 ू       त्रवऻान,
दे हधायी होते हं । इन रोगं की आखं तेजस्वी होती हं             आबूषण, नेतत्व, सभृरी व्मवसाम, प्रधान ऩद, हुकभत,
                                                                        ृ                                 ु
स्जसभं अद्भत तेज होता है । भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त थोिे ़
           ु                                                  श्रभशीर कामा, सैन्म त्रवबाग, सयकायी कामो की िे कदायी,
                                                                                                              े
खिॉरे होते हं । भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त का अध्मात्भ की        प्रशाससनक सेवा, खोज कामा, जहाजं से सॊफॊध यखने वारे
ओय त्रवशेष रुझान यहता है ।                                    कर-ऩुजे तथा जवाहयात आफद व्मवसाम भं असधक सपर
                                                              होते हं ।
शुब फदन:
         भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त क सरए शुब वषा 19, 28,
                                  े                           शुब फदशा:
37, 46, 55, 64, 73 वाॊ वषा हं , हय भफहने की 1, 10,                        भूराॊक 1 क व्मत्रक्त क सरए ईशान, वामव्म एवॊ
                                                                                    े           े
19, 28 सतसथमाॊ शुब दामक होती हं , व्मत्रक्त क सरए
                                             े                दस्ऺण फदशा शुब होती है व्मत्रक्त क सरए भास्णक्म, भूॉगा,
                                                                                                े
यत्रववाय, सोभवाय व गुरुवाय का फदन शुब होता है । मफद           भोती एवॊ ऩोखयाज यत्न अनुकर परादामी हंगे।
                                                                                       ू
सम्फस्न्धत तायीखं भं सम्फस्न्धत फदन का मोग हो तो              ऩीरा हीया बी धायण कयना अनुकर होगा। व्मत्रक्त क
                                                                                         ू                  े
वह फदन उसक सरए अभृत ससद्ध मोग फन जाता है ।
          े                                                   सरए द्वेत, गुराफी, ताम्रवणा एवॊ ऩीरा यॊ ग अनुकर हं ।
                                                                                                            ू
व्मत्रक्त क सरए जनवयी, अप्रैर, जुराई एवॊ
           े                                 अक्टू फय, भाह
शुब होता है । भािा, जून, ससतम्फय क भहीने भं सावधान
                                  े                           भूराॊक 1 क व्मत्रक्त क सरए कद्श सनवायक उऩाम
                                                                        े           े
यहं ।                                                             आऩका भूराॊक क स्वाभी ग्रह सूमा क शुब प्रबावो
                                                                                 े                  े
                                                                          की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी अनासभका उॊ गरी भं
स्वास्र्थम्                                                               भास्णक धायण कय सकते हं । अऩने ऩूजा स्थान
         भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त को तीव्र ज्वय, रृदम योग,                 भं प्राण-प्रसतत्रद्षत भॊगर गणेश, सूमा मॊि को
आॉख का दखना, िभा योग, िोट, कोढ़, भस्स्तश्क सॊफॊसध
        ु                                                                 स्थात्रऩत कय सकते हं ।
ऩये षासन, अऩि, गफिआ, स्नामुत्रवकाय, आॊतं क योग तथा
                                          े                       मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि
घुटने आफद की त्रषकामते होती हं । स्जन व्मत्रक्तमं का                      का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा।
11                                अगस्त 2012



ग्रह शाॊसत क सरए व्रत उऩवास:
            े                                                       वाय:- यत्रववाय
यत्रववाय का व्रत: सूमा ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु यत्रववाय          सूमा ग्रह फक शाॊसत हे तु गेहूॉ, ताॉफा, घी, गुि, भास्णक्म, रार
का व्रत फकमा जाता हं । सूमा का व्रत कयने से हिीमा                   कऩिा, भसूयकी दार, कनेय मा कभर क पर, गौ दान
                                                                                                   े ू

भजफूत होती हं , ऩेट सॊफॊधी सबी योगो का त्रवनाश होता हं ,            कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं

आॊखो फक योशनी फढती हं , व्मत्रक्त का साहय एवॊ ऺभता भं               ग्रह शाॊसत क अन्म सयर उऩाम:
                                                                                े
वृत्रद्ध होकय उसका मश िायं औय फढता हं । यत्रववाय का                   स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा दय कयने हे तु शुक्रवाय क
                                                                                                   ू                      े

व्रत कयने से सूमा क प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम
                   े                                                      फदन फहते ऩानी भं सात फादाभ औय एक नारयमर
                                                                          प्रवाफहत कयं ।
एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।
                                                                      कामा ससत्रद्ध हे तु सात शुक्रवाय कएॊ भं फपटकयी का
                                                                                                          ु
ग्रह शाॊसत क सरए उऩमुक्त रुराऺ:
            े                                                             टु किा िारं।
आऩका भूराॊक स्वाभी सूमा हं अत् सूमा ग्रह क अशुब
                                          े                           सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा            दय कयने क सरए कत्ते
                                                                                                           ू       े     ु
प्रबाव को दय कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ क सरए 1
           ू                             े                                को योटी स्खराएॊ।
भुखी मा 12 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩक सरए
                                   े                                  बाग्मोदम हे तु रार यॊ ग का रुभार अऩने ऩास यखं।
उऩमुक्त यहे गा। आऩ 1 भुखी मा 12 भुखी रुराऺ क साथ
                                            े                         सौबाग्म वृत्रद्ध हे तु गणेश जी को सुखा भेवा िढाएॊ।
भं 5 भुखी औय 3 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको                        अऩने भान-सम्भान एवॊ प्रसतद्षा फढाने हे तु सनमसभत
त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।                                     सूमा को अध्म दं औय रार िॊदन का टीका रगाएॊ।
शाॊसत क सरए दान
       े
ग्रह:- सूमा
                                                                                                ***

                                                        द्रादश भहा मॊि
  मॊि को असत प्रासिन एवॊ दरब मॊिो क सॊकरन से हभाये वषो क अनुसॊधान द्राया फनामा गमा हं ।
                          ु ा      े                    े
        ऩयभ दरब वशीकयण मॊि,
              ु ा                                                     सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्ध मॊि
        बाग्मोदम मॊि                                                 आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि
        भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्ध मॊि                                  ऩूणा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदे व मॊि
        याज्म फाधा सनवृत्रत्त मॊि                                    योग सनवृत्रत्त मॊि
        गृहस्थ सुख मॊि                                               साधना ससत्रद्ध मॊि
        शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि                           शिु दभन मॊि

  उऩयोक्त सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि क रुऩ भं शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ िैतन्म मुक्त फकमे
                                      े
  जाते हं । स्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं ।

                                                 GURUTVA KARYALAY
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12                                       अगस्त 2012




                                                    भूराॊक 2 स्वाभी िन्रभा

                                                                                      सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
भूराॊक 2                                                        जन्भ रेने क कायण व्मत्रक्त क सबतय िन्र ग्रह की
                                                                           े                े

स्वाभी ग्रह:- िन्रभा                                            अनुकरता क कायण िन्र ग्रह क गुणं का सभावेश
                                                                    ू    े                े
                                                                अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । िन्र
सभि अॊक:- 1,3,5, 9
                                                                ग्रह क इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं क कायण ही व्मत्रक्त
                                                                      े                           े
शिु अॊक:- -                                                     असधक       कल्ऩनाशीर,         बावुक,         स्नेहशीर,    सरृदम      एवॊ
सभ:-6,8-                                                        सयरसित्त     होते    हं ।    व्मस्क्त्त     असधक      सभम       नई-नई

स्व अॊक:-2                                                      कल्ऩनाओॊ की दसनमा भं यभं यहते हं । एसे व्मत्रक्त न तो
                                                                             ु
                                                                असधक सभम तक फकसी एक कामा ऩय स्स्थय यहते हं
तत्व:- जर
                                                                औय न ही रम्फे सभम तक फकसी त्रवषम ऩय सोि सकते
        मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की               हं । इनक भन-भस्स्तष्क भं सनत्म नमे-नमे त्रविाय सूझते
                                                                        े
2,11,20 व 29 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 2                  यहते हं औय उन त्रविायं को फक्रमाशीर कयने क सरए मे
                                                                                                          े
होता है ।                                                       जूझते हुए फदखाई दे ते हं । स्जस प्रकाय िन्रभाॊ स्स्थय नहीॊ
        भूराॊक      2        अॊक   के   व्मत्रक्त    असधक              यहता अथाात घटता-फढ़ता फदखाई दे ता हं इसी
कल्ऩनाशीर औय िॊिर त्रविाय धाया                                                      प्रकाय भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे रोगं
वारे होते हं । व्मत्रक्त की प्रकृ सत कामा                                               क भहत्वऩूणा सनणाम मा मोजनाएॊ
                                                                                         े
ऺेि भं असधक करात्भक एवॊ                                                                       स्स्थय       नहीॊ   यहती    इस        कायण
करात्रप्रम होती हं ।                                                                              उनके          असधकतय      कामा      मा

        व्मत्रक्त की शायीरयक                                                                           मोजनाए ऩूणा होने से ऩहरे

फनावट       भध्मभ        फरशारी                                                                        ही कोई नई मोजना मा कामा

होते हुवे बी उनकी भानससक                                                                               कयने हे तु प्रस्तुत हो जाते हं ।

शत्रक्त प्रफर होती हं । भूराॊक                                                                         भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे

2 वारे व्मत्रक्त का फदभाग कामा                                                                    व्मत्रक्त की प्राम् कल्ऩनाएॊ उच्ि

ऺेि    भं   अन्म        के    भुकाफरे                                                            कोफट की यहती है । व्मत्रक्त की

असधक तेज एवॊ फुत्रद्धभान होते हं ।                                                          फुत्रद्ध      एवॊ     कशरता
                                                                                                                   ु           से     वह
                                                                                       भहत्वऩूणा कामं भं दसयं क भुकाफरे
                                                                                                          ू    े
        2 भूराॊक वारं क सरए
                       े                यत्रववाय
                                                                             आगे सनकर जाते हं ।
सोभवाय,      भॊगरवाय          एवॊ गुरूवाय    का फदन बी
शुबसूिक होगा।                                                          भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त असधय
                                                                स्वबाव क होते हं , व्मत्रक्त फकसी कामा को कयते सभम
                                                                        े
        भूराॊक 2 का स्वाभी ग्रह िन्रभा हं , इस सरए
                                                                जल्दी जल्द घफया जाते हं , एसे भं कई फाय इनक सबतय
                                                                                                           े
भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त क उऩय िन्रभा का
                                      े
                                                                                                         ु
                                                                कामा को ऩूणा कयने की त्रवरऺण शत्रक्तमाॊ छऩी होने के
त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता हं , क्मोफक 2 भूराॊक भं
13                          अगस्त 2012



फावजुद मह रोग आत्भ त्रवद्वास एवॊ सधयज की कभी के                        भूराॊक 2 वारं क सरए फकसी बी कामा भं हभेशा
                                                                                      े
कायण कामा को अधूया छोि दे ते हं ।                              शान्त यहना एवॊ एकाग्रता से कामा का सॊऩादन कयना

        व्मत्रक्त अऩनी कामा कशरता से शीघ्र ही सभाज भं
                             ु                                 अनुकर यहे गा। क्मोकी व्मत्रक्त क फाय-फाय सनणाम फदरने
                                                                   ू                           े

एक सम्भासनम एवॊ रोकत्रप्रम व्मत्रक्त फन सकते हं । व्मत्रक्त    वारे स्वबाव क कायण उसे शीघ्र सपरता नहीॊ सभरती
                                                                            े

भं आत्भ त्रवद्वास की कभी होने क परस्वरूऩ मे तुयॊत
                               े                               हं ।

सनणाम नहीॊ रे ऩाते। जीवन बय व्मत्रक्त क साभने िाहे
                                       े                               व्मत्रक्त भं आत्भत्रवद्वास की कभी होने क कायण
                                                                                                               े
छोटी से छोटी मा फिी से फिी सभस्मा हो, मे उसभं                  व्मत्रक्त थोिे से ऩरयश्रभ से मा कामा भं त्रफरम्फ होने से
उरझे ही यहते हं ।                                              सनयाश एवॊ हताश हो जाते हं । इस सरए मफद व्मत्रक्त

        भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त स्वाबाव से        अऩनी फाय-फाय सनणाम फदरने वारी भानससकता मा

थोिे ़ शॊकाशीर होते हं । व्मत्रक्त अऩने त्रप्रमजनं एवॊ         आदत ऩय सनमॊिण कय रे तो उसे फकसी बी कामा भं

आस्त्भमं क अनेक फाय शक की नियं से दे खता हं ,
          े                                                    सनस्द्ळत रूऩ से सपर सभर सकती हं ।

स्जस कायण उसे स्वजनं से त्रवयोध सहना ऩिता हं ।                         भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त की खास फात होती हं की
व्मत्रक्त हभेशा दसयं का ऩूया ध्मान यखते हं । व्मत्रक्त अऩने
                 ू                                             मह     रोग   जीवन    भं   फकसी    भुसीफत     तथा    कफिन
त्रप्रमजनो एवॊ फॊधओॊ की बराई क सरए प्रमास यत यहता
                  ु           े                                ऩरयस्स्थसतमं भं बी भुस्कयाते यहते हं । व्मत्रक्त फकसी बी
हं । व्मत्रक्त सहामता हे तु तत्ऩय होते हं व्मत्रक्त फकसी को    फाधा, सॊकट मा ऩये शानी से सफक रेकय उससे द्दढ़
भना नहीॊ कय सकते।                                              सॊकल्ऩ, जोश औय रगन से अवश्म ऩूणा कयने का बी

        भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त दसयं क भन की फात जान
                                 ू    े                        साभर्थमा यखता हं । भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त को ऩुयानी वस्तु

रेने भं सनऩुण होते हं । भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त प्रकृ सत से    से असधक रगाव होता हं ।

सशद्श, उदाय, शाॊतसित्त, कल्ऩनाशीर, कराप्रेभी, भृदबाषी
                                                 ु                     व्मत्रक्त सभाज भं अऩना भान-प्रसतद्षा फनामे यखने
एवॊ थोिे व्माकर स्वबाव क होते हं । असधकतय भूराॊक 2
              ु         े                                      का सनयॊ तय प्रमास कयते हं । व्मत्रक्त को धन प्राद्ऱ कयने
वारे व्मत्रक्त भं स्त्रीगुणं की प्रधानता होती है ।             औय सॊग्रह कयने की इच्छा बी प्रफर होती हं ।



                                       ऩसत-ऩत्नी भं करह सनवायण हे तु
   मफद ऩरयवायं भं सुख-सुत्रवधा क सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩत्नी क त्रफि भे करह होता
                                े                                                     े
   यहता हं , तो घय क स्जतने सदस्म हो उन सफक नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध
                    े                      े
   प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ गृह करह नाशक फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं त्रफना
   फकसी ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध ऩसत वशीकयण मा ऩत्नी
   वशीकयण एवॊ गृह करह नाशक फिब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩक आऩ कय सकते हं ।
                                                           ा

                                            GURUTVA KARYALAY
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14                             अगस्त 2012



         व्मत्रक्त क िॊिर स्वबाव अक कायण उसक स्वजन
                    े              े        े                  उऩमुक्त आहाय:
अनेक फाय उसकी बावनाओॊ की कदय नहीॊ कयते स्जस                    फकशसभश, संप, कसय, रंग, जामपर, सॊतये , नीॊफू,
                                                                             े
कायण व्मत्रक्त असधक उदास औय सनयाश फदखामी दे ता हं ।            भोसॊफी, खजूय, अदयक, जौ, ऩारक, गाजय आफद उऩमोगी
भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त प्रेभ सॊफॊसधत भाभरं भं बी असधक         हं । रृदम योग क नभक कभ खना िाफहमे।
                                                                              े
कल्ऩनाशीर होते हं इस सरए व्मत्रक्त स्वजनं का त्रवयोध
कयक मा सहन कयक ऩय स्त्री-ऩुरुष से सॊफॊध फनाने से
   े          े
                                                               अनुकर व्मवसाम:
                                                                   ू
ऩीछे नहीॊ यहते। व्मत्रक्त अनैसतक सॊऩक क ऩीछे अऩना
                                     ा े
सफ कछ रुटाने से नहीॊ फहिफकिाते। व्मत्रक्त को ऩरयजनो
    ु                                                                   व्मत्रक्त दरारी, होटर, तयर मा यसदाय ऩदाथा,

से बावनात्भक सहमोग नहीॊ सभरने क कायण वह
                               े                               जर मािा, तैयाकी, कागज, दवाई, भ्रभ कामा, सॊगीत,
                                                               िीनी, सिफकत्सा, ऩिकारयता, नृत्म, रेखन, बूसभ, अन्न,
सयरता से ऩय स्त्री-ऩुरुष क िुगर भं पस जाते हं औय
                          े  ॊ
                                                               ऩानी, िाॊदी, िे यी, कृ सश, बूगब कामा, ऩषुऩारन, ट्रावेर,
                                                                                             ा
धीये -धीये उनका भन औय असधक फैिेन औय अशाॊत होता
                                                               ट्राॊसऩोटा , यत्न, त्रवसबन्न करा, आफकटे क्िय आफद सॊफॊसधत
                                                                                                    ा
जाता हं । व्मत्रक्त क फॊधु-फाॊधव एवॊ सभिं का दामया
                     े
                                                               कामो भं असधक सपर होते हं ।
असधक फिा होता हं ।


                                                               शुब फदशा:
शुब फदन:
                                                               भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त क सरए उत्तय, उत्तयऩूवा एवॊ ऩस्द्ळभ
                                                                                        े
              शुब वषा 20,29,38,47,56,65,74 वाॊ वषा हं ,
                                                               फदशाएॉ शुब सूिक हं । द्वेत, अॊगूयी, हया एवॊ क्रीभ यॊ ग
सतसथ 2,11,20,29 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं
                                                               अनुकर एवॊ बाग्मवधाक हं । नीरा, रार, कारा यॊ ग
                                                                   ू
सपरता प्राद्ऱ कयने क सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना
                    े
                                                               प्रसतकर परदामी हं ।
                                                                     ू
िाफहमे, इन सतसथमं भं सोभवाय का फदन ऩिे तो फहुत
शुब होता हं ।
                                                               भूराॊक 2 क व्मत्रक्त क सरए कद्श सनवायक उऩाम
                                                                         े           े
                                                                   आऩका भूराॊक स्वाभी ग्रह िॊर क शुब प्रबावो की
                                                                                                  े
स्वास्र्थम्
                                                                      वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी कसनत्रद्षका उॊ गरी भं भोसत,
         व्मत्रक्त को तीव्र ज्वय, रृदम योग, आॉख का दखना,
                                                    ु                 िॊरकाॊत भस्ण धायण कय सकते हं ।
िभा योग, िोट, कोढ़, भस्स्तश्क सॊफॊसध ऩये षासन, अऩि,                अऩने    ऩूजा    स्थान    भं   प्राण-प्रसतत्रद्षत   स्पफटक

गफिआ, स्नामुत्रवकाय, आॊतं क योग तथा घुटने आफद की
                           े                                          सशवसरॊग, िॊर मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं ।
                                                                   मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि
त्रषकामते होती हं । स्जन व्मत्रक्तमं का भूराॊक-1 हं वे फकसी
                                                                      का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा।
ना फकसी रूऩ भं ऩेटकी त्रफभायी से ऩीफित होते हं । फदर
की धिकने औय यक्त प्रवाह असनमसभत हो जाता हं । आॉख
                                                               ग्रह शाॊसत क सरए व्रत उऩवास:
                                                                           े
का दखना एवॊ
    ु               दृस्श्ट दोष जैसे योग होते हं । उसित हं
                                                               सोभवाय का व्रत: िॊर ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु सोभवाय
आऩ सभम-सभम ऩय आॉखं का ऩरयऺण कयवाते यहं ।
                                                               का व्रत फकमा जाता हं । स्जस्से व्मत्रक्तने पपिे क योग,
                                                                                                           े    े
15                           अगस्त 2012



दभा, भानससक योग से भुत्रक्त भरती हं । व्मत्रक्तनी िॊरता      ग्रह:- िॊर (वाय:- सोभवाय)
 ू                      ु
दय होती हं , नशे फक रत छिाने हे तु राब प्राद्ऱ होता हं ,     िॊर ग्रह फक शाॊसत हे तु भोती, िाॉदी, िावर, िीनी, जर से
स्त्रीओॊ भं भाससक यक्त-स्त्राव फक ऩीिा कभ होती हं ।          बया हुवा करश, सपद कऩिा, दही, शॊख, सपद पर, साॉि
                                                                             े                   े  ू
सोभवाय का व्रत सशव को त्रप्रम हं इस सरमे अत्रववाफहत          आफद का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
रिकीमो क 16 सोभवाय का व्रत कयने से उत्तभ वय फक
        ं                                                    ग्रह शाॊसत क अन्म सयर उऩाम:
                                                                         े
प्रासद्ऱ होती हं । सोभवाय का व्रत कयने से िॊर क प्रबाव भं
                                               े                 अनावश्मक फकसी से वाद-त्रववाद से फिने हे तु रार

आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता                 िॊदन सशव भॊफदय भं दान कयं ।

हं ।                                                             धन सॊिम हे तु फकसी दे वी भॊफदय भं गुद्ऱ दान कयं
                                                                    औय अऩनी भाॊ की सेवा कयं ।
ग्रह शाॊसत क सरए उऩमुक्त रुराऺ:
            े
                                                                 कामा ससत्रद्ध हे तु सनमसभत ऩूजन क फाद िॊदन का
                                                                                                    े
आऩका भूराॊक स्वाभी िॊर हं अत् िॊर ग्रह क अशुब
                                        े
                                                                    टीका रगाएॊ।
प्रबाव को दय कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ क सरए 3
           ू                             े
                                                                 स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा दय कयने हे तु फिे -फुजुगं
                                                                                              ू
नॊग मा 5 नॊग 2 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩक सरए
                                       े
उऩमुक्त यहे गा। आऩ 2 भुखी रुराऺ क साथ भं 3 भुखी
                                 े                                  फक फात का आदय, सम्भान कयं ।

औय 5 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब                 फकसी नमे कामा फक शुरुवात कयने से ऩूयव त्रऩतयं
ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।                                           को माद कयं ।
                                                                 धन की इच्छा हो तो घय भं रार पर क ऩौधे
                                                                                                ू  े
शाॊसत क सरए दान
       े
                                                                    रगाएॊ।


                                          नवयत्न जफित श्री मॊि
  शास्त्र विन क अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि क िायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न
               े                                              े
  जफित श्री मॊि कहराता हं । सबी यत्नो को उसक सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकट क रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रक्त
                                            े                           े  े
  को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रक्त को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसक साथ हं ।
                                                                                                     े
  नवग्रह को श्री मॊि क साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं ।
                      े
  गरे भं होने क कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को
               े
  रगते हं , वह गॊगा जर क सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे
                        े
  अभृत से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ क सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा
                                                            े
  शास्त्रोक्त विन हं । इस प्रकाय क नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयक
                                  े                                                                                े
  फनावाए जाते हं ।
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  • 1. Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका अगस्त- 2012 NON PROFIT PUBLICATION
  • 2. We are Celebrate 32 years of Success We are Happy to Complete 32 years of its Establishment and that its work are a proof enough of its achievements of our Goal. We Are World's Leading Mantra Siddha Kavach Maker And We Are Expert in Advanced Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual Advice. We would like to Thank You For Your Continued Support and Contributions with us. We are Also Thanks and Salute to SRI BHUPENDRA BHAI JOSHI (Founder and Former Managing Director of GURUTVA KARYALAY) For her Bright Visionary in Spiritual Subject. CHINTAN JOSHI All Team Member of GURUTVA JARYALAY And GURUTVA JYOTISH
  • 3. GURUTVA JYOTISH In July-2012 We are Successfully Published Our 24th Edition of GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine We are Thanks all of you, In 2 Years and 24 Edition of Online Publishing Experience We Received Lots of Suggestion and Feedback by our Readers. Our Some Readers Are Regularly Sent us Their Feedback us to Improve Our Publication Quality They also sending Us Lots of knowledgeable E-Book, Magazine, Article E.t.c Spiritual Material. Dear All Readers Thank You For Your Continued Support and Contributions. Behind Our Success We are Also Thanks Our Freelance Graphics Designing Team SWASTIK.N.JOSHI, Digital Graph, Deepak Joshi, Shriya Joshi, Manish Joshi, Ajay Sharma, Ashish Patel And All Team Member of SWASTIK SOFTECH INDIA Our Freelance Writers Swastik.N.Joshi, Deepak Joshi, Shriya Joshi, Vijay Thakur, Rakesh Panda, Alok Sharma, Pt.Sri Bhagvandas Trivedi Jee, Shandip Sharma, E.t.c Team Member CHINTAN JOSHI All Team Member of GURUTVA JARYALAY And GURUTVA JYOTISH
  • 4. FREE E CIRCULAR गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका ई- जन्भ ऩत्रिका अगस्त 2012 अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्धसत द्राया सॊऩादक सिॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग उत्कृ द्श बत्रवष्मवाणी क साथ े गुरुत्व कामाारम 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, १००+ ऩेज भं प्रस्तुत (ORISSA) INDIA पोन 91+9338213418, 91+9238328785, E HOROSCOPE ईभेर gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, Create By Advanced वेफ www.gurutvakaryalay.com http://gk.yolasite.com/ Astrology www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ ऩत्रिका प्रस्तुसत Excellent Prediction सिॊतन जोशी, 100+ Pages स्वस्स्तक.ऎन.जोशी पोटो ग्राफपक्स फहॊ दी/ English भं भूल्म भाि 750/- सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक आटा हभाये भुख्म सहमोगी GURUTVA KARYALAY स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 सोफ्टे क इस्न्िमा सर) Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
  • 5. गुरु ऩुष्म मोग क फाये भं त्रवद्रान ज्मोसतत्रषमो का कहना हं फक ऩुष्म नऺि भं धन प्रासद्ऱ, े िाॊदी, सोना, नमे वाहन, फही-खातं की खयीदायी एवॊ गुरु ग्रह से सॊफॊसधत वस्तुए अत्मासधक राब प्रदान कयती है ।….53 बायतीम त्रवद्रानं क भतानुशाय अॊक त्रवऻान ज्मोसतष शास्त्र का एक असबऻ अॊग हं , क्मोफक े सॊऩूणा ज्मोसतष शास्त्र एवॊ उसकी गणनाओॊ का भूख्म आधाय गस्णत हं औय गस्णत का भूख्म आधाय अॊक हं । हजायं वषा ऩूवा बायतीम त्रवद्रानो ने अऩने ऻान फर…6 अॊक ज्मोसतष भूराॊक त्रवशेष भं त्रवशेष भं  हभाये उत्ऩाद  द्रादश भहा मॊि सवा कामा ससत्रद्ध भूराॊक 1 स्वाभी सूमा 8 11 भूराॊक 2 स्वाभी िन्रभा 12 सवा कामा ससत्रद्ध कवि 19 कवि …19 बाग्म रक्ष्भी फदब्फी भूराॊक 3 स्वाभी गुरू 16 21 भूराॊक 4 स्वाभी याहु 20 दगाा फीसा मॊि ु 23 भूराॊक 5 स्वाभी फुध 24 भॊिससद्ध स्पफटक श्री मॊि 28 भूराॊक 6 स्वाभी शुक्र 27 कनकधाया मॊि 35 भूराॊक 7 स्वाभी कतु े 31 धन वृत्रद्ध फिब्फी 36 गणेश रक्ष्भी मॊि…37 भूराॊक 8 स्वाभी शसन 34 सयस्वती कवि औय मॊि 41 अॊक ज्मोसतष भूराॊक 9 स्वाभी भॊगर 38 सवाससत्रद्धदामक भुफरका 42 अॊक ज्मोसतष से जाने शुब यत्न 42 प्रद्ल किरी त्रवद्ऴेषण ुॊ 45 वास्तु एवॊ योग 44 44 ऩुरुषाकाय शसन मॊि 54 धन प्रासद्ऱ भं फाधक हं भकिी क जारे 48 े 48 नवयत्न जफित श्री मॊि 55 नवयत्न जफित श्रीमॊि.. 55 असधक भास का धासभाक भहत्व 49 49 श्री हनुभान मॊि 56 गुरु ऩुष्माभृत मोग 53 भॊिससद्ध रक्ष्भी मॊिसूसि 57 ऩुरुषाकाय शसन  स्थामी औय अन्म रेख  भॊि ससद्ध दै वी मॊि सूसि 57 मॊि…54 सॊऩादकीम 6 यासश यत्न 58 भाससक यासश पर 65 भॊि ससद्ध रूराऺ 59 अगस्त 2102 भाससक ऩॊिाॊग 69 भॊि ससद्ध दरब साभग्री ु ा 59 अगस्त-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय 71 श्रीकृ ष्ण फीसा मॊिकवि / 60 अगस्त 2102 -त्रवशेष मोग 76 याभ यऺा मॊि 61 यासश यत्न…58 दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका 76 जैन धभाक त्रवसशद्श मॊि े 62 फदन-यात क िौघफिमे े 77 घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि 63 फदन-यात फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक 78 अभोद्य भहाभृत्मुॊजम कवि 64 ग्रह िरन अगस्त -2012 79 याशी यत्न एवॊ उऩयत्न 64 सूिना 87 शसन ऩीिा सनवायक 70 भॊि ससद्ध रूराऺ …59 हभाया उद्दे श्म 89 सवा योगनाशक मॊि/ 80 भॊि ससद्ध कवि अभोद्य भहाभृत्मुजम ॊ 82 YANTRA LIST 83 कवि …64 GEM STONE 85
  • 6. त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ फफहन ु जम गुरुदे व बायतीम त्रवद्रानं क भतानुशाय अॊक त्रवऻान ज्मोसतष शास्त्र का एक असबऻ अॊग हं , क्मोफक सॊऩूणा ज्मोसतष शास्त्र े एवॊ उसकी गणनाओॊ का भूख्म आधाय गस्णत हं औय गस्णत का भूख्म आधाय अॊक हं । हजायं वषा ऩूवा बायतीम त्रवद्रानो ने अऩने ऻान फर एवॊ खोज से अॊकं क गूढ़ यहस्म को ऻात कय सरमा था। अॊक ज्मोसतष क आधाय ऩय फकसी भनुष्म े े क िरयिगत रऺण, जीवन भं घफटत होने वारी शुब-अशुब घटना आफद को असत सयरता से ऻात फकमा जा सकता हं । े अॊक त्रवद्या बत्रवष्म ऻात कयने की सफसे सयर त्रवसध हं , रेफकन इस त्रवद्या क आधाय ऩय ज्मोसतष शास्त्र की तयह े एकदभ स्स्टक बत्रवष्मवाणी कयना कफिन हं । अॊक शास्त्र क गूढ यहस्मं को उजागय कय उसे असत सयर भाध्मभ फनाने े भं बायतीम त्रवद्रानो ने अऩना त्रवशेष मोगदान फदमा हं । आज क आधुसनक मुग भं सभम फदरने क साथ-साथ कछ े े ु रोगं ने अॊक शास्त्र को ऩद्ळात्म दे शं की दे न भान सरमा जो की सिाई से ऩये हं । बायतीम त्रवद्रानो का भत हं की अॊक ज्मोसतष बत्रवष्म जानने की असत सयर प्रणारी होने क कायण सॊबवत इसका े त्रवदे श भं असधक प्रिर यहा हं । क्मोफक अॊक ज्मोसतष भं ज्मोसतष शास्त्र क सभान असधक रम्फी गणनाएॊ मा ग्रहं का े सूक्ष्भ अवरोकन आफद का सनयीऺण कयने की आवश्मक्ता नहीॊ होती हं । अॊक ज्मोसतष की गणनाएॊ अत्मॊत सयर होती हं , स्जसे कोई बी गस्णत का थोिा़ फहुत ऻान यखने वारा व्मत्रक्त बी आसानी से सभझ सकता हं । रेफकन ज्मोसतष शास्त्र की गणनाएॊ इतनी आसान नहीॊ होती। अॊकं क आधाय ऩय ही फदनाॊक औय भफहनं का सनणाम फकमा गमा हं । जानकायं का भत हं की हय फदनाॊक औय उससे े प्राद्ऱ होने वारे भूराॊक फकसी ना फकसी ग्रह क प्रसतसनसधत्व कयते हं । भूराॊक क स्वाभी ग्रह का प्रबाव सॊफॊसधत व्मत्रक्त े े क जीवन ऩय त्रवशेष रुऩ से ऩिता हं । े भूराॊक व्मत्रक्त जन्भ तारयख से प्राद्ऱ होता हं । अॊक ज्मोसतष की भहत्वता को सभझते हुवे बायतीम त्रवद्रानं ने त्रवसबन्न यहस्मं को उजागय कयक भनुष्म क बूत, बत्रवष्म औय वताभान स्स्थती का आॊकरन कयने की सयर त्रवसध प्रदान की हं । े े इस अॊक ज्मोसतष त्रवशेष अॊक भं कवर भं भूराॊक से सॊफॊसधत जानकायीमा सॊरग्न की गई हं । े ऩािकं क भागादशान क सरमे अॊक ज्मोसतष भूराॊक त्रवशेषाॊक फक प्रस्तुसत फक गई हं । े े सबी ऩािको क भागादशान मा ऻानवधान क सरए भूराॊक से सॊफॊसधत त्रवसबन्न उऩमोगी जानकायी इस अॊक भं त्रवसबन्न े े ग्रॊथो एवॊ सनजी अनुबवो क आधाय ऩय सॊकसरत की गई हं । जानकाय एवॊ त्रवद्रान ऩािको से अनुयोध हं , मफद अॊक े ज्मोसतष भं भूराॊक से सॊफॊसधत त्रवषम भं सभम, स्थान, वस्तु, स्स्थसत इत्माफद क सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भं, े फिजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाशन भं कोई िुफट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रं मा फकसी मोग्म जानकाय मा त्रवद्रान से सराह त्रवभशा कय रे । क्मोफक जानकाय भूराॊक त्रवद्ऴेषण कयने वारे एवॊ त्रवद्रानो क सनजी अनुबव व े त्रवसबन्न ग्रॊथो भं वस्णात अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत जानकायीमं भं एवॊ त्रवद्रानो क स्वमॊ क अनुबवो भं सबन्नता होने क े े े कायण अॊक ज्मोसतष भं परकथन की बाग्माॊक, नाभाॊक आफद प्रभुख ऩद्धसत का बी त्रवशेष भहत्व होने क कायण पर े कथन भं सबन्नता सॊबव हं । सिॊतन जोशी
  • 7. 7 अगस्त 2012 ***** अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत त्रवशेष सूिना*****  ऩत्रिका भं प्रकासशत अॊक ज्मोसतष से सम्फस्न्धत सबी जानकायीमाॊ गुरुत्व कामाारम क असधकायं क साथ ही े े आयस्ऺत हं ।  अॊक शास्त्र ऩय अत्रवद्वास यखने वारे व्मत्रक्त अॊक ज्मोसतष क त्रवषम को भाि ऩिन साभग्री सभझ सकते हं । े  अॊक ज्मोसतष का त्रवषम ज्मोसतष से सॊफॊसधत होने क कायण इस अॊकभं वस्णात सबी जानकायीमा बायसतम े अॊक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरखी गई हं ।  अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।  अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत बत्रवष्मवाणी फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं औय ना हीॊ प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी क फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक े फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं ।  अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत रेखो भं ऩािक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष को फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम उनका स्वमॊ का होगा।  अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत ऩािक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।  अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत रेख अॊक शास्त्र क प्राभास्णक ग्रॊथो, हभाये वषो क अनुबव एव अनुशॊधान क े े े आधाय ऩय फदमे गमे हं ।  हभ फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष द्राया अॊक ज्मोसतष ऩय त्रवद्वास फकए जाने ऩय उसक राब मा नुक्शान की े स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं । मह स्जन्भेदायी अॊक ज्मोसतष ऩय त्रवद्वास कयने वारे मा उसका प्रमोग कयने वारे व्मत्रक्त फक स्वमॊ फक होगी।  क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ िं, साभास्जक, कानूनी सनमभं क स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्वाथा े ऩूसता हे तु अॊक ज्मोसतष का प्रमोग कताा हं अथवा अॊक ज्मोसतष का सूक्ष्भ अध्ममन कयने भे िुफट यखता हं मा उससे िुफट होती हं तो इस कायण से प्रसतकर अथवा त्रवऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी सॊबव हं । ू  अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत जानकायी को भानकय उससे प्राद्ऱ होने वारे राब, हानी फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।  हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे अॊक ज्मोसतष ऩय आधारयत रेखं भं वस्णात जानकायी को हभने सैकिोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधगण ने बी अऩने नीजी जीवन भं अनुबव फकमा हं । स्जस्से हभ अनेको फाय अॊक ु ज्मोसतष क आधाय ऩय स्स्टक उत्तय की प्रासद्ऱ हुई हं । असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩक कय सकते े ा हं । (सबी त्रववादो कसरमे कवर बुवनेद्वय न्मामारम ही भान्म होगा।) े े
  • 8. 8 अगस्त 2012 भूराॊक 1 स्वाभी सूमा  सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी अत्मासधक सहनशीर, सफहष्णु एवॊ गॊबीय होते हं । व्मत्रक्त भूराॊक:- 1 क जीवन भं सनयॊ तय उत्थान-ऩतन होत यहते हं तथा े स्वाभी ग्रह:- सूम सॊघषा इनक जीवन का भुख्म अॊश होता हं । व्मत्रक्त का े सभि अॊक:- 2,3,9 आसथाक ऩऺ भजफुत होता हं । व्मत्रक्त सनयॊ तय धन अस्जात शिु अॊक:- 6,8 कयने वारा होता हं । सभ-5- भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त मफद नौकयी कयते हं तो वह स्व अॊक-1 शीध्र उच्ि ऩद ऩय आसीन होने का प्रमास कयते हं तथा तत्व:- अस्ग्न मफद वह व्माऩायी हं तो फदन-यात ऩरयश्रभ कय अऩने व्माऩायी वगा भं प्रभुख स्थान फनाने भं सभथा होते हं । मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 1, व्मत्रक्त िाहे व्माऩाय क ऺेि भं हो मा नौकयी क उसक े े े 10, 19 व 28 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 1 नेतत्व कयने भं कोई कभी नहीॊ आएगी। ृ होता है । एसे व्मत्रक्त सनणाम रेने भं ितुय होते हं , स्वतॊि एवॊ भूराॊक 1 अॊक क व्मत्रक्त भेहनती, उद्यभी औय े स्वस्थ सिॊतन इनकी प्रभुख त्रवशेषता होती हं । इनका स्स्थय त्रविाय धाया वारे दृढ़ सनद्ळमी होते हं । व्मत्रक्त की व्मत्रक्तत्व स्वत् ही दसयं से अरग फदखाई दे गा, फकसी क ू े प्रकृ सत कामा ऺेि भं असधक स्स्थयता मुक्त होती हं । दफाव भं मे व्मत्रक्त कामा नहीॊ कय सकते हं । भूराॊक 1 का स्वाभी ग्रह सूमा हं , व्मत्रक्त अऩने जीवन का असधकतय इस सरए भूराॊक 1 भं जन्भ रेने सभम प्रत्मेक ऺेि भं ऩरयवतान वारे व्मत्रक्त क उऩय सूमा का े कयने भं खिा कय दे ते हं त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता ऩरयवतान इनका स्वाबाव होता हं , क्मोफक 1 भूराॊक भं जन्भ हं , ऩूयानी जीवन शैरी ऩय रेने के कायण व्मत्रक्त के िरने क अभ्मस्त नहीॊ होते े सबतय सूमा ग्रह की अनुकरता ू हं । सुॊदय, सुरूसिऩूणा जीवन क कायण सूमा ग्रह क गुणं े े भं मे त्रवद्वास यखते हं । का सभावेश अन्म ग्रहं की व्मत्रक्त जीवन को जीना अच्छी अऩेऺा बयऩूय भािा भं हो जाता तयह जानते हं । हं । सूमा ग्रह क इस त्रवशेष प्रबात्रव े भूराॊक 1 भं जन्भं व्मत्रक्त गुणं क कायण ही व्मत्रक्त भं नेतत्व े ृ अत्मासधक अनुशासन त्रप्रम होते हं । की बावना बी प्रफर होती हं । एसे व्मत्रक्त व्मत्रक्त को फकसी क दफाव भं मा फकसी क दफाव े े स्जस कामा को बी अऩने हाथ भं रेते हं , उस कामा को भं अॊदय यहकय कामा कयना ऩसॊद नहीॊ होता व्मत्रक्त अच्छी तयह सनबाते हं व्मत्रक्त क सबतय उस कामा को े स्वतॊिता त्रप्रम होते हं इस सरए व्मत्रक्त को अऩने सॊऩन्न कयने का साभर्थमा त्रवशेष रुऩ से होता हं । व्मत्रक्त उच्िासधकायी मा फकसी औय का हस्तऺेऩ ऩसॊद नहीॊ होता
  • 9. 9 अगस्त 2012 हं । स्जस प्रकाय ज्मोसतष ग्रॊथं भं उल्रेख हं की सूमा ग्रह भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त स्जससे सभिता कयते हं उसे की प्रधानता वारे व्मत्रक्त जीवन भं याजमोग का सुख ऩूणत् वपादायी से सनबाते हं , औय मफद फकसी से शिुता ा बोगते हं (अथाात याजा क सभान सुख प्राद्ऱ कयने वारे े कयते हं तो उसे जल्द बुराते नहीॊ औय उस शिुताको होते हं ) िीक उसी प्रकाय अॊक शास्त्र क अनुशाय बी े रम्फे सभम तक स्खिने का प्रमत्न कयने से ऩीछे नहीॊ भूराॊक एक वारे व्मत्रक्त बी जीवन भं अऩने कभा से याजा हटते। व्मत्रक्त सनयॊ तय अऩने शिु ऩऺ ऩय हात्रव होने का क सभान सुख को शीघ्र प्राद्ऱ कयने भं सऺभ होते हं । े प्रमत्न कयते यहते हं औय असधकतय भाभरं भं व्मत्रक्त शिु भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त सूमा क प्रबाव से स्स्थय े को ऩये शान कयक मा ऩयास्जत कयक ही दभ रेते हं । े े त्रविायधाया वारे अऩने सनद्ळम ऩय दृढ़ यहने वारे होते हं । व्मत्रक्त को गुद्ऱ शिुओॊ का हभेशाॊ खतया यहता हं , व्मत्रक्त इस सरए व्मत्रक्त जीवन भं जफ बी फकसी को अऩना विन क असधकतय शिु उससे सीधे सबिने से कतयाते हं रेफकन े दे ते हं , तो व्मत्रक्त उस विन को सनबाने का ऩूणा प्रमत्न उसक शिु ऩीछे से वाय कयने की ताकभं यहते हं , इस सरए े कयता हं । व्मत्रक्त थोिे ़ स्िद्दी स्वबाव क होते हं स्जस े व्मत्रक्त को शिु ऩऺ से हभेशा सावधान यहना िाफहए, शिु कायण व्मत्रक्तफकसी भहत्वऩूणा सनणाम रेने भं राऩयिाही क त्रवषम भं व्मत्रक्त को फकसी बी प्रकाय की गरतफ़हभी, े फयते हं औय अऩने जीवन क फकसी भोि ऩय उसका े अपवाह मा उसे कभजो़य सभझ ने की बूर नहीॊ कयनी खासभमाजा बुगतते हं । व्मत्रक्त अऩनी स्िद्द क कायण कबी े िाफहए क्मोफक जरूयत से असधक आत्भत्रवद्वास हानीकायक कबी अनुसित कभं भं सरग्न हो जाते हं औय होता हं । इस सरए व्मत्रक्त को अऩनी यऺा हे तु हभेशा ऩारयवायीक रोगं एवॊ त्रप्रमजनो से अऩभासनत होते हं । सिेत औय सजग यहना िाफहए। क्मोफक एसे व्मत्रक्त क फदभाग भं एक फाय जो फात फैि े भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त न्माम त्रप्रम एवॊ उदाय रृदम जाती हं वह असधक सभम तक सनकरती नहीॊ। फपय िाहं क होते हं , इस सरए व्मत्रक्त दसयं की सहामता कयने भं े ू वह फात सही हो मा गरत व्मत्रक्त उसी फात ऩय अिे ़ यहते बी तत्ऩय होते हं । व्मत्रक्त भं सभाज क सरए कछ कय े ु हं । गुियने की बावना बी प्रफर होती हं , इस कायण व्मत्रक्त  क्मा आऩक फच्िे कसॊगती क सशकाय हं ? े ु े  क्मा आऩक फच्िे आऩका कहना नहीॊ भान यहे हं ? े  क्मा आऩक फच्िे घय भं अशाॊसत ऩैदा कय यहे हं ? े ु ु घय ऩरयवाय भं शाॊसत एवॊ फच्िे को कसॊगती से छिाने हे तु फच्िे क नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध- े त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ तो आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩक इस कय सकते हं । ा GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
  • 10. 10 अगस्त 2012 सनयॊ तय अऩने कामा से ज्मादा दसयं की कामं भं उरझा ू भूराॊक-1 हं वे फकसी ना फकसी रूऩ भं रृदम से सॊफॊसध यहता हं । एसे व्मत्रक्त साभास्जक कामं से खुफ नाभ औय योगं से ऩीफित होते हं । फदर की धिकने औय यक्त प्रवाह मश प्राद्ऱ कयते हं । भूराॊक 1 वारे कछ व्मत्रक्तमं भं कछ ु ु असनमसभत हो जाता हं । आॉख का दखना एवॊ ु दृस्श्ट दोश भािा भं अहॊ बी ऩामा जाता हं । व्मत्रक्त क कभाऺेि क े े जैसे योग होते हं । उसित हं आऩ सभम-सभम ऩय आॉखं अनुशाय उसकी प्रशॊसा कयने वारे असधक होते हं स्जस का ऩरयऺण कयवाते यहं । कायण व्मत्रक्त को कबी फकसी सिज औय ऩैसं की कभी भहसूस नहीॊ होती। आवश्मक्ता ऩिने ऩय व्मत्रक्त को उऩमुक्त आहाय् त्रवसबन्न स्त्रोत से ऩैसे की भदद बी सभर जाती है । फकशसभश, संप, कसय, रंग, जामपर, सॊतये , े प्रेभ सॊफॊसधत भाभरं भं व्मत्रक्त असधक बावुक होते नीॊफू, भोसॊफी, खजूय, अदयक, जौ, ऩारक, गाजय आफद हं , मफद फकसी से एक फाय प्रेभ कयरे तो उसक सरए कछ े ु उऩमोगी हं । रृदम योग क नभक कभ खना िाफहमे। े बी कयने को तैमाय हो जाते हं , प्रेभ क भाभरं भं एसे े व्मत्रक्त उसित अनुसित कामा कयने से बी ऩीछे नहीॊ हटते। अनुकर व्मवसाम: ू भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त सुॊदय, स्वरुऩवान औय अच्छे व्मत्रक्त त्रफजरी, सिफकत्सा, याजदत, ू त्रवऻान, दे हधायी होते हं । इन रोगं की आखं तेजस्वी होती हं आबूषण, नेतत्व, सभृरी व्मवसाम, प्रधान ऩद, हुकभत, ृ ु स्जसभं अद्भत तेज होता है । भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त थोिे ़ ु श्रभशीर कामा, सैन्म त्रवबाग, सयकायी कामो की िे कदायी, े खिॉरे होते हं । भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त का अध्मात्भ की प्रशाससनक सेवा, खोज कामा, जहाजं से सॊफॊध यखने वारे ओय त्रवशेष रुझान यहता है । कर-ऩुजे तथा जवाहयात आफद व्मवसाम भं असधक सपर होते हं । शुब फदन: भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त क सरए शुब वषा 19, 28, े शुब फदशा: 37, 46, 55, 64, 73 वाॊ वषा हं , हय भफहने की 1, 10, भूराॊक 1 क व्मत्रक्त क सरए ईशान, वामव्म एवॊ े े 19, 28 सतसथमाॊ शुब दामक होती हं , व्मत्रक्त क सरए े दस्ऺण फदशा शुब होती है व्मत्रक्त क सरए भास्णक्म, भूॉगा, े यत्रववाय, सोभवाय व गुरुवाय का फदन शुब होता है । मफद भोती एवॊ ऩोखयाज यत्न अनुकर परादामी हंगे। ू सम्फस्न्धत तायीखं भं सम्फस्न्धत फदन का मोग हो तो ऩीरा हीया बी धायण कयना अनुकर होगा। व्मत्रक्त क ू े वह फदन उसक सरए अभृत ससद्ध मोग फन जाता है । े सरए द्वेत, गुराफी, ताम्रवणा एवॊ ऩीरा यॊ ग अनुकर हं । ू व्मत्रक्त क सरए जनवयी, अप्रैर, जुराई एवॊ े अक्टू फय, भाह शुब होता है । भािा, जून, ससतम्फय क भहीने भं सावधान े भूराॊक 1 क व्मत्रक्त क सरए कद्श सनवायक उऩाम े े यहं । आऩका भूराॊक क स्वाभी ग्रह सूमा क शुब प्रबावो े े की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी अनासभका उॊ गरी भं स्वास्र्थम् भास्णक धायण कय सकते हं । अऩने ऩूजा स्थान भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त को तीव्र ज्वय, रृदम योग, भं प्राण-प्रसतत्रद्षत भॊगर गणेश, सूमा मॊि को आॉख का दखना, िभा योग, िोट, कोढ़, भस्स्तश्क सॊफॊसध ु स्थात्रऩत कय सकते हं । ऩये षासन, अऩि, गफिआ, स्नामुत्रवकाय, आॊतं क योग तथा े मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि घुटने आफद की त्रषकामते होती हं । स्जन व्मत्रक्तमं का का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा।
  • 11. 11 अगस्त 2012 ग्रह शाॊसत क सरए व्रत उऩवास: े वाय:- यत्रववाय यत्रववाय का व्रत: सूमा ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु यत्रववाय सूमा ग्रह फक शाॊसत हे तु गेहूॉ, ताॉफा, घी, गुि, भास्णक्म, रार का व्रत फकमा जाता हं । सूमा का व्रत कयने से हिीमा कऩिा, भसूयकी दार, कनेय मा कभर क पर, गौ दान े ू भजफूत होती हं , ऩेट सॊफॊधी सबी योगो का त्रवनाश होता हं , कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं आॊखो फक योशनी फढती हं , व्मत्रक्त का साहय एवॊ ऺभता भं ग्रह शाॊसत क अन्म सयर उऩाम: े वृत्रद्ध होकय उसका मश िायं औय फढता हं । यत्रववाय का स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा दय कयने हे तु शुक्रवाय क ू े व्रत कयने से सूमा क प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम े फदन फहते ऩानी भं सात फादाभ औय एक नारयमर प्रवाफहत कयं । एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं । कामा ससत्रद्ध हे तु सात शुक्रवाय कएॊ भं फपटकयी का ु ग्रह शाॊसत क सरए उऩमुक्त रुराऺ: े टु किा िारं। आऩका भूराॊक स्वाभी सूमा हं अत् सूमा ग्रह क अशुब े सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा दय कयने क सरए कत्ते ू े ु प्रबाव को दय कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ क सरए 1 ू े को योटी स्खराएॊ। भुखी मा 12 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩक सरए े बाग्मोदम हे तु रार यॊ ग का रुभार अऩने ऩास यखं। उऩमुक्त यहे गा। आऩ 1 भुखी मा 12 भुखी रुराऺ क साथ े सौबाग्म वृत्रद्ध हे तु गणेश जी को सुखा भेवा िढाएॊ। भं 5 भुखी औय 3 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको अऩने भान-सम्भान एवॊ प्रसतद्षा फढाने हे तु सनमसभत त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी। सूमा को अध्म दं औय रार िॊदन का टीका रगाएॊ। शाॊसत क सरए दान े ग्रह:- सूमा *** द्रादश भहा मॊि मॊि को असत प्रासिन एवॊ दरब मॊिो क सॊकरन से हभाये वषो क अनुसॊधान द्राया फनामा गमा हं । ु ा े े  ऩयभ दरब वशीकयण मॊि, ु ा  सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्ध मॊि  बाग्मोदम मॊि  आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि  भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्ध मॊि  ऩूणा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदे व मॊि  याज्म फाधा सनवृत्रत्त मॊि  योग सनवृत्रत्त मॊि  गृहस्थ सुख मॊि  साधना ससत्रद्ध मॊि  शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि  शिु दभन मॊि उऩयोक्त सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि क रुऩ भं शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ िैतन्म मुक्त फकमे े जाते हं । स्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
  • 12. 12 अगस्त 2012 भूराॊक 2 स्वाभी िन्रभा  सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 2 जन्भ रेने क कायण व्मत्रक्त क सबतय िन्र ग्रह की े े स्वाभी ग्रह:- िन्रभा अनुकरता क कायण िन्र ग्रह क गुणं का सभावेश ू े े अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । िन्र सभि अॊक:- 1,3,5, 9 ग्रह क इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं क कायण ही व्मत्रक्त े े शिु अॊक:- - असधक कल्ऩनाशीर, बावुक, स्नेहशीर, सरृदम एवॊ सभ:-6,8- सयरसित्त होते हं । व्मस्क्त्त असधक सभम नई-नई स्व अॊक:-2 कल्ऩनाओॊ की दसनमा भं यभं यहते हं । एसे व्मत्रक्त न तो ु असधक सभम तक फकसी एक कामा ऩय स्स्थय यहते हं तत्व:- जर औय न ही रम्फे सभम तक फकसी त्रवषम ऩय सोि सकते मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की हं । इनक भन-भस्स्तष्क भं सनत्म नमे-नमे त्रविाय सूझते े 2,11,20 व 29 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 2 यहते हं औय उन त्रविायं को फक्रमाशीर कयने क सरए मे े होता है । जूझते हुए फदखाई दे ते हं । स्जस प्रकाय िन्रभाॊ स्स्थय नहीॊ भूराॊक 2 अॊक के व्मत्रक्त असधक यहता अथाात घटता-फढ़ता फदखाई दे ता हं इसी कल्ऩनाशीर औय िॊिर त्रविाय धाया प्रकाय भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे रोगं वारे होते हं । व्मत्रक्त की प्रकृ सत कामा क भहत्वऩूणा सनणाम मा मोजनाएॊ े ऺेि भं असधक करात्भक एवॊ स्स्थय नहीॊ यहती इस कायण करात्रप्रम होती हं । उनके असधकतय कामा मा व्मत्रक्त की शायीरयक मोजनाए ऩूणा होने से ऩहरे फनावट भध्मभ फरशारी ही कोई नई मोजना मा कामा होते हुवे बी उनकी भानससक कयने हे तु प्रस्तुत हो जाते हं । शत्रक्त प्रफर होती हं । भूराॊक भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे 2 वारे व्मत्रक्त का फदभाग कामा व्मत्रक्त की प्राम् कल्ऩनाएॊ उच्ि ऺेि भं अन्म के भुकाफरे कोफट की यहती है । व्मत्रक्त की असधक तेज एवॊ फुत्रद्धभान होते हं । फुत्रद्ध एवॊ कशरता ु से वह भहत्वऩूणा कामं भं दसयं क भुकाफरे ू े 2 भूराॊक वारं क सरए े यत्रववाय आगे सनकर जाते हं । सोभवाय, भॊगरवाय एवॊ गुरूवाय का फदन बी शुबसूिक होगा। भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त असधय स्वबाव क होते हं , व्मत्रक्त फकसी कामा को कयते सभम े भूराॊक 2 का स्वाभी ग्रह िन्रभा हं , इस सरए जल्दी जल्द घफया जाते हं , एसे भं कई फाय इनक सबतय े भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त क उऩय िन्रभा का े ु कामा को ऩूणा कयने की त्रवरऺण शत्रक्तमाॊ छऩी होने के त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता हं , क्मोफक 2 भूराॊक भं
  • 13. 13 अगस्त 2012 फावजुद मह रोग आत्भ त्रवद्वास एवॊ सधयज की कभी के भूराॊक 2 वारं क सरए फकसी बी कामा भं हभेशा े कायण कामा को अधूया छोि दे ते हं । शान्त यहना एवॊ एकाग्रता से कामा का सॊऩादन कयना व्मत्रक्त अऩनी कामा कशरता से शीघ्र ही सभाज भं ु अनुकर यहे गा। क्मोकी व्मत्रक्त क फाय-फाय सनणाम फदरने ू े एक सम्भासनम एवॊ रोकत्रप्रम व्मत्रक्त फन सकते हं । व्मत्रक्त वारे स्वबाव क कायण उसे शीघ्र सपरता नहीॊ सभरती े भं आत्भ त्रवद्वास की कभी होने क परस्वरूऩ मे तुयॊत े हं । सनणाम नहीॊ रे ऩाते। जीवन बय व्मत्रक्त क साभने िाहे े व्मत्रक्त भं आत्भत्रवद्वास की कभी होने क कायण े छोटी से छोटी मा फिी से फिी सभस्मा हो, मे उसभं व्मत्रक्त थोिे से ऩरयश्रभ से मा कामा भं त्रफरम्फ होने से उरझे ही यहते हं । सनयाश एवॊ हताश हो जाते हं । इस सरए मफद व्मत्रक्त भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त स्वाबाव से अऩनी फाय-फाय सनणाम फदरने वारी भानससकता मा थोिे ़ शॊकाशीर होते हं । व्मत्रक्त अऩने त्रप्रमजनं एवॊ आदत ऩय सनमॊिण कय रे तो उसे फकसी बी कामा भं आस्त्भमं क अनेक फाय शक की नियं से दे खता हं , े सनस्द्ळत रूऩ से सपर सभर सकती हं । स्जस कायण उसे स्वजनं से त्रवयोध सहना ऩिता हं । भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त की खास फात होती हं की व्मत्रक्त हभेशा दसयं का ऩूया ध्मान यखते हं । व्मत्रक्त अऩने ू मह रोग जीवन भं फकसी भुसीफत तथा कफिन त्रप्रमजनो एवॊ फॊधओॊ की बराई क सरए प्रमास यत यहता ु े ऩरयस्स्थसतमं भं बी भुस्कयाते यहते हं । व्मत्रक्त फकसी बी हं । व्मत्रक्त सहामता हे तु तत्ऩय होते हं व्मत्रक्त फकसी को फाधा, सॊकट मा ऩये शानी से सफक रेकय उससे द्दढ़ भना नहीॊ कय सकते। सॊकल्ऩ, जोश औय रगन से अवश्म ऩूणा कयने का बी भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त दसयं क भन की फात जान ू े साभर्थमा यखता हं । भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त को ऩुयानी वस्तु रेने भं सनऩुण होते हं । भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त प्रकृ सत से से असधक रगाव होता हं । सशद्श, उदाय, शाॊतसित्त, कल्ऩनाशीर, कराप्रेभी, भृदबाषी ु व्मत्रक्त सभाज भं अऩना भान-प्रसतद्षा फनामे यखने एवॊ थोिे व्माकर स्वबाव क होते हं । असधकतय भूराॊक 2 ु े का सनयॊ तय प्रमास कयते हं । व्मत्रक्त को धन प्राद्ऱ कयने वारे व्मत्रक्त भं स्त्रीगुणं की प्रधानता होती है । औय सॊग्रह कयने की इच्छा बी प्रफर होती हं । ऩसत-ऩत्नी भं करह सनवायण हे तु मफद ऩरयवायं भं सुख-सुत्रवधा क सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩत्नी क त्रफि भे करह होता े े यहता हं , तो घय क स्जतने सदस्म हो उन सफक नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध े े प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ गृह करह नाशक फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं त्रफना फकसी ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध ऩसत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गृह करह नाशक फिब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩक आऩ कय सकते हं । ा GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
  • 14. 14 अगस्त 2012 व्मत्रक्त क िॊिर स्वबाव अक कायण उसक स्वजन े े े उऩमुक्त आहाय: अनेक फाय उसकी बावनाओॊ की कदय नहीॊ कयते स्जस फकशसभश, संप, कसय, रंग, जामपर, सॊतये , नीॊफू, े कायण व्मत्रक्त असधक उदास औय सनयाश फदखामी दे ता हं । भोसॊफी, खजूय, अदयक, जौ, ऩारक, गाजय आफद उऩमोगी भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त प्रेभ सॊफॊसधत भाभरं भं बी असधक हं । रृदम योग क नभक कभ खना िाफहमे। े कल्ऩनाशीर होते हं इस सरए व्मत्रक्त स्वजनं का त्रवयोध कयक मा सहन कयक ऩय स्त्री-ऩुरुष से सॊफॊध फनाने से े े अनुकर व्मवसाम: ू ऩीछे नहीॊ यहते। व्मत्रक्त अनैसतक सॊऩक क ऩीछे अऩना ा े सफ कछ रुटाने से नहीॊ फहिफकिाते। व्मत्रक्त को ऩरयजनो ु व्मत्रक्त दरारी, होटर, तयर मा यसदाय ऩदाथा, से बावनात्भक सहमोग नहीॊ सभरने क कायण वह े जर मािा, तैयाकी, कागज, दवाई, भ्रभ कामा, सॊगीत, िीनी, सिफकत्सा, ऩिकारयता, नृत्म, रेखन, बूसभ, अन्न, सयरता से ऩय स्त्री-ऩुरुष क िुगर भं पस जाते हं औय े ॊ ऩानी, िाॊदी, िे यी, कृ सश, बूगब कामा, ऩषुऩारन, ट्रावेर, ा धीये -धीये उनका भन औय असधक फैिेन औय अशाॊत होता ट्राॊसऩोटा , यत्न, त्रवसबन्न करा, आफकटे क्िय आफद सॊफॊसधत ा जाता हं । व्मत्रक्त क फॊधु-फाॊधव एवॊ सभिं का दामया े कामो भं असधक सपर होते हं । असधक फिा होता हं । शुब फदशा: शुब फदन: भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त क सरए उत्तय, उत्तयऩूवा एवॊ ऩस्द्ळभ े शुब वषा 20,29,38,47,56,65,74 वाॊ वषा हं , फदशाएॉ शुब सूिक हं । द्वेत, अॊगूयी, हया एवॊ क्रीभ यॊ ग सतसथ 2,11,20,29 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं अनुकर एवॊ बाग्मवधाक हं । नीरा, रार, कारा यॊ ग ू सपरता प्राद्ऱ कयने क सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना े प्रसतकर परदामी हं । ू िाफहमे, इन सतसथमं भं सोभवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं । भूराॊक 2 क व्मत्रक्त क सरए कद्श सनवायक उऩाम े े आऩका भूराॊक स्वाभी ग्रह िॊर क शुब प्रबावो की े स्वास्र्थम् वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी कसनत्रद्षका उॊ गरी भं भोसत, व्मत्रक्त को तीव्र ज्वय, रृदम योग, आॉख का दखना, ु िॊरकाॊत भस्ण धायण कय सकते हं । िभा योग, िोट, कोढ़, भस्स्तश्क सॊफॊसध ऩये षासन, अऩि, अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत स्पफटक गफिआ, स्नामुत्रवकाय, आॊतं क योग तथा घुटने आफद की े सशवसरॊग, िॊर मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं । मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि त्रषकामते होती हं । स्जन व्मत्रक्तमं का भूराॊक-1 हं वे फकसी का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा। ना फकसी रूऩ भं ऩेटकी त्रफभायी से ऩीफित होते हं । फदर की धिकने औय यक्त प्रवाह असनमसभत हो जाता हं । आॉख ग्रह शाॊसत क सरए व्रत उऩवास: े का दखना एवॊ ु दृस्श्ट दोष जैसे योग होते हं । उसित हं सोभवाय का व्रत: िॊर ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु सोभवाय आऩ सभम-सभम ऩय आॉखं का ऩरयऺण कयवाते यहं । का व्रत फकमा जाता हं । स्जस्से व्मत्रक्तने पपिे क योग, े े
  • 15. 15 अगस्त 2012 दभा, भानससक योग से भुत्रक्त भरती हं । व्मत्रक्तनी िॊरता ग्रह:- िॊर (वाय:- सोभवाय) ू ु दय होती हं , नशे फक रत छिाने हे तु राब प्राद्ऱ होता हं , िॊर ग्रह फक शाॊसत हे तु भोती, िाॉदी, िावर, िीनी, जर से स्त्रीओॊ भं भाससक यक्त-स्त्राव फक ऩीिा कभ होती हं । बया हुवा करश, सपद कऩिा, दही, शॊख, सपद पर, साॉि े े ू सोभवाय का व्रत सशव को त्रप्रम हं इस सरमे अत्रववाफहत आफद का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं रिकीमो क 16 सोभवाय का व्रत कयने से उत्तभ वय फक ं ग्रह शाॊसत क अन्म सयर उऩाम: े प्रासद्ऱ होती हं । सोभवाय का व्रत कयने से िॊर क प्रबाव भं े अनावश्मक फकसी से वाद-त्रववाद से फिने हे तु रार आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता िॊदन सशव भॊफदय भं दान कयं । हं । धन सॊिम हे तु फकसी दे वी भॊफदय भं गुद्ऱ दान कयं औय अऩनी भाॊ की सेवा कयं । ग्रह शाॊसत क सरए उऩमुक्त रुराऺ: े कामा ससत्रद्ध हे तु सनमसभत ऩूजन क फाद िॊदन का े आऩका भूराॊक स्वाभी िॊर हं अत् िॊर ग्रह क अशुब े टीका रगाएॊ। प्रबाव को दय कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ क सरए 3 ू े स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा दय कयने हे तु फिे -फुजुगं ू नॊग मा 5 नॊग 2 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩक सरए े उऩमुक्त यहे गा। आऩ 2 भुखी रुराऺ क साथ भं 3 भुखी े फक फात का आदय, सम्भान कयं । औय 5 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब फकसी नमे कामा फक शुरुवात कयने से ऩूयव त्रऩतयं ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी। को माद कयं । धन की इच्छा हो तो घय भं रार पर क ऩौधे ू े शाॊसत क सरए दान े रगाएॊ। नवयत्न जफित श्री मॊि शास्त्र विन क अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि क िायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न े े जफित श्री मॊि कहराता हं । सबी यत्नो को उसक सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकट क रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रक्त े े े को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रक्त को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसक साथ हं । े नवग्रह को श्री मॊि क साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं । े गरे भं होने क कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को े रगते हं , वह गॊगा जर क सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे े अभृत से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ क सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा े शास्त्रोक्त विन हं । इस प्रकाय क नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयक े े फनावाए जाते हं । GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,