2. प्रेमचन्द प रचय
⚫ प्रेमचन्द (धनपत राय)
⚫ जन्म-सन 1880,लमही
गाँव (उत्तर प्रदेश)
⚫ रचनाएँ- नमर्थला, गबन,
प्रेमा म, रंगभू म,
कमर्थभू म, कायाक प,
प्र तज्ञा, वरदान, गोदान
⚫ प्रेमचंद की सभी कहा नयाँ
मानसरोवर क
े आठ भागों
में संक लत है।
3. नमक का दारोगा कहानी क
े प्रमुख पात्र
⚫ वंशीधर–दारोगा
⚫ बूढ़े मुंशी जी–वंशीधर क
े
पता
⚫ हवलदार बदलू संह
⚫ पं डत आलो पदीन
⚫ वकील
⚫ जज
⚫ वंशीधर की माँ और पत्नी
4. नमक का दारोगा कहानी का भाव
⚫ नमक का दारोगा कहानी का प्रथम प्रकशन 1914 में हुआ था ।
⚫ यह प्रेमचंद की बहुच चर्थत कहानी है िजसे आदश न्मुख यथाथर्थवाद का अच्छा
उदाहरण कहा जा सकता है ।
⚫ यह धन क
े ऊपर धमर्थ की जीत की कहानी है ।
⚫ धन पर धमर्थ की ,असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की जीत भी कह
सकते हैं ।
⚫ यह कहानी प्रशास नक और न्याय क व्यवस्था में व्याप्त ष्टाचार और उसकी
व्यापक सामािजक स्वीकायर्थता को अत्यंत साह सक तरीक
े से हमारे सामने
उजागर करती है ।
⚫ ईमानदार व्यि त क
े अ भमन्यु क
े समान नहत्थे और अक
े ले पड़ते जाने की
यथाथर्थ तस्वीर इस कहानी की बहुत बड़ी खूबी है ।
⚫ प्रेमचंद इस कहानी को यथाथर्थ क
े धरातल पर नहीं छोड़ना चाहते थे यों क
उनका मानना था क इससे समाज में नराशावाद पनप सकता है ।
⚫ मानव-च रत्र पर से हमारा वश्वास उठ जाता और चारों तरफ बुराई-ही-बुराई
नज़र आने लगती ।
⚫ इस लए कहानी का अंत सत्य की जीत क
े साथ होता है ।
5. नमक का दारोगा कहानी का सार
⚫ कहानी में प्र त न धत्व क्रमश: प डत अलोपीदीन और मुंशी
वंशीधर नामक पात्रों ने कया है।
⚫ ईमानदार कमर्थयोगी मुंशी वंशीधर को खरीदने में असफल रहने
क
े बाद पं डत अलोपीदीन अपने धन की म हमा का उपयोग कर
उन्हें नौकरी से हटवा देते हैं, ले कन अंत: सत्य क
े आगे उनका
सर झुक जाता है।
⚫ वे सरकारी वभाग से बखार्थस्त वंशीधर को बहुत ऊ
ँ चे वेतन और
भत्ते क
े साथ अपनी सारी जायदाद का स्थायी मैनेजर नयु त
करते हैं और गहरे अपराध-बोध से भरी हुई वाणी में नवेदन
करते हैं –
⚫ ‘‘ परमात्मा से यही प्राथर्थना है क वह आपको सदैव वही नदी क
े
कनारे वाला बेमुरौवत, उद्दंड, कं तु धमर्थ नष्ठ दारोगा बनाए
6. नमक का दारोगा
❖ कहानी आजादी से पहले की है।
नमक का नया वभाग बना।
वभाग में ऊपरी कमाई बहुत
यादा थी इस लए सभी व्यि त
इस वभाग में काम करने को
उत्सुक थे।
❖ उस दौर में फारसी का बोलबाला
था और उच्च ज्ञान क
े बजाय
क
े वल फारसी की प्रेम-कथाएँ
और शृंगार रस क
े काव्य पढ़कर
ही लोग उच्च पदों पर पहुँच
जाते थे।
❖ मुंशी वंशीधर ने भी फारसी पढ़ी
और रोजगार की खोज में
नकल पड़े। उनक
े घर की
आ थर्थक दशा खराब थी।
7. वंशीधर क
े पता सलाह देते हुए
❖ बेटा!घर की दुदर्थशा देख रहे हो ।
ऋण क
े बोझ से दबे हुए हैं।
लड़ कयाँ हैं,वह घास-फ
ू स की तरह
बढ़ती चली जाती हैं ।
❖ मैं कगारे पर का वृक्ष हो रहा हूँ न
मालूम कब गर पड़ूँ ।
❖ नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान
मत देना,यह तो पीर का मज़ार है ।
नगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी
चा हए ।
❖ उनक
े पता ने घर से नकलते
समय उन्हें बहुत समझाया,
िजसका सार यह था क ऐसी
नौकरी करना िजसमें ऊपरी कमाई
हो और आदमी तथा अवसर
देखकर घूस ज र लेना।
8. वंशीधर पता का आशीवार्थद लेकर जाते हुए
❖ वे कहते हैं क मा सक वेतन
तो पूणर्थमासी का चाँद है जो एक
दन दखाई देता है और घटते-
घटते लुप्त हो जाता है।
❖ ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है
िजससे सदैव प्यास बुझती है।
आवश्यकता व अवसर देखकर
ववेक से काम करो।
⚫ वंशीधर पता से आशीवार्थद
लेकर नौकरी की तलाश में
नकल जाते हैं।
9. ⚫ भाग्य से नमक वभाग क
े
दारोग पद की नौकरी मली
जाती है िजसमें वेतन अच्छा
था साथ ही ऊपरी कमाई भी
यादा थी।
⚫ यह खबर जब पता को पता
चली तो वह बहुत खुश हुए।
⚫ मुंशी वंशीधर ने छः महीने में
अपनी कायर्थक
ु शलता और
अच्छे आचरण से सभी
अ धका रयों को मो हत कर
लया।
वंशीधर की दारोगा पद पर नयुि त
10. दारोगा का नमक की गा ड़यों को रोकना
❖ जाड़े क
े समय एक रात वंशीधर अपने
दफ़्तर में सो रहे थे।
❖ गा ड़यों की आवाज़ और म लाहों की
कोलाहल से उनकी नींद खुली। बंदूक जेब
में रखी और घोड़े पर बैठकर पुल पर पहुँचे,
वहाँ गा ड़यों की एक लंबी कतार पुल पार
कर रही थीं।
❖ उन्होंने पूछा कसकी गा ड़याँ हैं तो पता
चला, पं डत अलोपीदीन की हैं। मुंशी
वंशीधर च क पड़े।
❖ पं डत अलोपीदीन इलाक
े क
े सबसे
प्र तिष्ठत जमींदार थे। लाखों रुपयों का
व्यापार था।
❖ वंशीधर ने जब जाँच की तब पता चला क
गा ड़यों में नमक क
े ढेले क
े बोरे हैं। उन्होंने
गा ड़याँ रोक लीं।
11. पं डत अलोपीदीन की दारोगा से मुलाक़ात
❖ पं डत अलोपीदीन अपने सजीले
रथ में ऊ
ँ घते हुए जा रहे थे तभी
गाड़ी वालों ने गा ड़याँ रोकने की
खबर दी।
❖ पं डत सारे संसार में लक्ष्मी को
प्रमुख मानते थे।
❖ न्याय, नी त सब लक्ष्मी क
े
खलौने हैं। उसी घमंड में निश्चत
होकर दारोगा क
े पास पहुँचे।
❖ उन्होंने दारोगा कहा क हमारी
सरकार तो आप ही है । हमारा और
आपका तो घर का मामला है ,हम
कभी आपसे बाहर हो सकते है ?
मेरी सरकार तो आप ही हैं। आपने
व्यथर्थ ही कष्ट उठाया।
12. पं डत अलोपीदीन ने दारोगा से रश्वत की पेशकस
⚫ पं डतजी ने वंशीधर को रश्वत
देकर गा ड़यों को छोड़ने को
कहा, परन्तु वंशीधर अपने
कतर्थव्य पर अ डग रहे और
पं डतजी को गरफ़्तार करने का
हु म दे दया।
⚫ पं डतजी आश्चयर्थच कत रह गए
। पं डतजी ने रश्वत को बढ़ाया
भी परन्तु वंशीधर नहीं माने
और पं डतजी को गरफ्तार कर
लया गया।
13. न्यायालय में गवाह और कमर्थचारी
⚫ अगले दन यह खबर हर तरफ
फ
ै ल गयी। पं डत अलोपीदीन क
े
हाथों में हथक ड़याँ डालकर
अदालत में लाया गया।
⚫ हृदय में ग्ला न और क्षोभ और
ल जा से उनकी गदर्थन झुकी हुई
थी।
⚫ सभी लोग च कत थे क
पं डतजी कानून की पकड़ में
क
ै से आ गए।
⚫ सारे वकील और गवाहा
पं डतजी क
े पक्ष में थे, वंशीधर
क
े पास क
े वल सत्य का बल था।
14. मुकदमे का फ
ै सला
⚫ न्याय की अदालत में पक्षपात चल
रहा था। मुकदमा तुरन्त समाप्त हो
गया।
⚫ पं डत अलोपीदीन को सबूतों क
े
अभाव में रहा कर दया गया ।
⚫ वंशीधर की उद्दण्डता और
वचारहीनता क
े बतार्थव पर अदालत
ने दुःख जताया िजसक
े कारण एक
अच्छे व्यि त को कष्ट झेलना पड़ा।
⚫ भ वष्य में उसे अ धक हो शयार
रहने को कहा गया।
⚫ पं डत अलोपीदीन मुस्कराते हुए
बाहर नकले। रुपये बाँटे गए।
⚫ वंशीधर को व्यंग्यबाणों को सहना
पड़ा। एक सप्ताह क
े अंदर
कतर्थव्य नष्ठा का दंड मला और
नौकरी से हटा दया गया।
15. वंशीधर का अपने घर पहुँचना
⚫ परािजत हृदय, शोक और
खेद से व्य थत बंशीधर
अपने घर की ओर चल पड़े।
⚫ घर पहुँचे तो पताजी ने
कड़वीं बातें सुनाई।
⚫ वृद्धा माता को भी दुःख
हुआ।
⚫ पत्नी ने कई दनों तक सीधे
मुँह बात नहीं की।
⚫ एक सप्ताह बीत गया।
संध्या का समय था।
16. पं डत अलो पदीन का वंशीधर क
े घर आना
⚫ वंशीधर क
े पता राम-नाम की
माला जप रहे थे। तभी वहाँ सजा
हुआ एक रथ आकर रुका।
⚫ पता ने देखा पं डत अलोपीदीन
हैं। झुककर उन्हें दंडवत कया
और चापलूसी भरी बातें करने
लगे, साथ ही अपने बेटे को
कोसा भी।
⚫ पं डतजी ने बताया क उन्होंने
कई रईसों और अ धका रयों को
देखा और सबको अपने धनबल
का गुलाम बनाया।
⚫ ऐसा पहली बार हुआ जब कसी
व्यि त ने अपनी कतर्थव्य नष्ठा
द्वारा उन्हें हराया हो।
17. वंशीधर क
े सामने अलो पदीन द्वारा मैनेजरी का प्रस्ताव
❖ वंशीधर ने जब पं डतजी को देखा तो
स्वा भमान स हत उनका सत्कार कया।
उन्हें लगा की पं डतजी उन्हें लि जत
करने आए हैं। परन्तु पं डतजी की बातें
सुनकर उनक
े मन का मैल मट गया।
❖ उन्होंने पं डतजी को कहा क उनका जो
हु म होगा वे करने को तैयार हैं। इस
बात पर पं डतजी ने स्टाम्प लगा हुआ
एक पत्र नकला और उनसे प्राथर्थना
स्वीकार करने को कहा ।
❖ वंशीधर ने जब कागज़ पढ़ा तो उसमें
पं डतजी ने उसे अपनी सारी जायदाद
का स्थायी मैनेजर नयु त कया करने
की बात लखी थी ।
❖ कृ तज्ञता से वंशीधर की आँखों में आँसू
आ गए और उन्होंने कहा क वे इस पद
क
े योग्य नहीं हैं। इसपर पं डतजी ने
मुस्कराते हुए कहा क उन्हें अयोग्य
व्यि त ही चा हए। ।
18. वंशीधर का अलोपीदीन क
े मैनेजर क
े पद को स्वीकार कर लेना
वंशीधर ने कहा क उनमें
इतनी बुद् ध नहीं की वह यह
कायर्थ कर सक
ें ।
पं डतजी ने वंशीधर को कलम
देते हुए कहा क उन्हें
वद्यवान नहीं चा हए बि क
धमर्थ नष्ठ व्यि त चा हए।
वंशीधर ने काँपते हुए मैनेजरी
क
े कागज़ पर दस्तखत कर
दए।
पं डत अलोपीदीन ने वंशीधर
को ख़ुशी से गले लगा लया
19. क ठन शब्दाथर्थ
⚫ दारोगा
⚫ ईश्वर-प्रदत्त
⚫ नषेध
⚫ छल-प्रपंच
⚫ पौ-बारह होना
⚫ बरक
ं दाजी
⚫ फारसीदां
⚫ मुअत्तली
⚫ तजवीज़
⚫ अरदली
⚫ मु तार
⚫ लहाफ़
⚫ ओहदा
⚫ शक
ु न
⚫ ओहदेदार
⚫ ठक
ु र-सुहाती
⚫ बेमुरौवत
⚫ थानेदार,इंसपे टर
⚫ भगवान का दया हुआ
⚫ मनाही
⚫ धोखा म कारी
⚫ आनंद होना
⚫ चौकीदारी,बंदूक लेकर चलने वाला सपाही
⚫ फारसी जानने वाला
⚫ नौकरी से नकालना
⚫ राय, नणर्थय
⚫ अफसर का नजी चपरासी
⚫ सहायक कमर्थचारी
⚫ रजाई
⚫ पदवी
⚫ लक्षण
⚫ ऊ
ँ चे पद वाला
⚫ स्वामी को अच्छ लगने वाली बातें
⚫ बना लहाज़
20. मू यांकन प्रश्न
⚫ ईश्वर प्रदत्त वस्तु या हैं?
⚫ ओहद को पीर की मज़ार यों कहा गया है?
⚫ वेतन को पूणर्थमासी का चाँद यों कहा गया है?
⚫ वंशीधर की स्खाई का या कारण था?
⚫ ‘घाट क
े देवता को भेंट चढ़ाने’ से या तात्पयर्थ हैं?
⚫ ‘दु नया सोती थी, पर दु नया की जीभ जगती थी।’ से या तात्पयर्थ हैं?
⚫ देवताओं की तरह गरदनें चलाने का या मतलब है?
⚫ कचहरी की अगाध वन यों कहा गया?
⚫ ‘घर में औधरा, मिस्जद में दीया अवश्य जलाएँगे। ‘—इस उि त में कस पर या
व्यग्य हैं?
⚫ ‘नमक का दरोगा’ कहानी में पं डत अलोपीदीन क
े व्यि तत्व क
े कौन-से दो पहलू
(पक्ष) उभरकर आते हैं?
⚫ ‘पढ़ना- लखना सब अकारथ गया।’ वृद्ध मुंशी जी दवारा यह बात एक व शष्ट
संदभर्थ में कही गई थी। अपने नजी अनुभवों क
े आधार पर बताइए-
⚫ ‘लड़ कयाँ हैं, वह घास-फ
ू स की तरह बढ़ती चली जाती हैं।’ वा य समाज में
लड़ कयों की िस्थ त की कस वास्त वकता को प्रकट करता है?