1. गुप्त कालीन
अर्थव्यवस्र्ा
Prachi Virag Sontakke
Assistant Professor
Center for Advanced Studies
Department of A.I.H.C. & Archaeology,
Banaras Hindu University
2.
3. प्रस्तावना
• गुप्त काल : राजनीततक एकीकरण एवं
सुव्यवस्र्ा का काल
• भारतीय इततहास का स्वणथ युग ?
• सुदृढ़ अर्थव्यवस्र्ा : राज्य का आधार
• ववववध क्षेत्रों पर आधाररत अर्थव्यवस्र्ा
• व्यवसायों का बाहुल्य
• शिल्प कलाओं में प्रगतत
6. कृ वि
• काशलदास : कृ वि = राष्ट्रीय समृद्धध का महववपूणथ साधन
• नारद : काला धन कमाने क
े 7 साधनों में कृ वि भी
• अमरकोि : कई प्रकार की कृ वि एवं कृ िकों का उल्लेख
• गुप्त अशभलेख : कई प्रकार की भूशम-
a) क्षेत्र = कृ वि की गई भूशम
b) खखल = भूशम त्जस पर कृ वि नहीं
c) अप्रहहत = जंगली भूशम
d) वस्ती = रहने योग्य भूशम
• खखल भूशम को कृ वि योग्य भूशम बनाने हेतु तनरंतर प्रयास
• खेतों को खाली छोड़ना अनुधित एवं हातनकारक
• भूशम मापन हेतु ववशभन्न मानदंड
• फसल की सुरक्षा की समुधित व्यवस्र्ा करना उनक
े स्वाशमयों का उत्तरदातयवव
• अमरकोि : कई प्रकार क
े हलों क
े वववरण- हल, लांगल, सीर, गोदारण
• बृहस्पतत : हल क
े आकार-प्रकार की ििाथ
• वराहशमहहर :सालाना दो फसल-पवथसस्य(पतझड़ में तैयार=धान), अपरसस्य(ग्रीष्ट्म में तैयार= गेंहू,जौ)
7. कृ वि उवपाद : साहहत्वयक साक्ष्य
• अन्न : गेंहू, बाजरा, धान
• दलहन : उदथ, मूंग, मसूर, अरहर
• ततलहन : ततल, सरसों
• सत्ज़ियााँ : खीरा, प्याि, लहसन, अदरक, लौकी, कद्दू, मटर
• फल : आम, नाररयल, कटहल, अनार, अंगूर, क
े ला
• नकदी फ़सले : कपास, गन्ना , सुपारी
• अन्य : िना , क
ु लर्ी , खजूर
• काशलदास : धान की खेती अधधक; शभन्न प्रकार क
े धान; मगध का धन सुगंधधत
8. शसंिाई
• अमरकोि: कृ वि हेतु शसंिाई आवश्यक
• राज्य में शसंिाई क
े पयाथप्त साधनों की व्यवस्र्ा
करना धमथतनष्ट्ठ राजा की वविेिता
• स्क
ं दगुप्त का जूनागढ़ अशभलेख : मौयथ काल में
तनशमथत सुदिथन झील, अिोक क
े प्रांताधधकारी
द्वारा नहरों का तनमाथण, महाक्षत्रप रुद्रदामन क
े
काल मे जीणोद्धार, गुप्त अधधकारी पणथदत्त
तर्ा उसक
े पुत्र िक्रपाशलत द्वारा पुनरुद्धार
9. शसंिाई क
े साधन
• मुख्यतः विाथ पर आधाररत
• अमरकोि : विाथ क
े कृ वि मे महवव पर गहन ििाथ
• क
ु एं क
े माध्यम से
• विथ क
े जल को तालाबों, जलाियों में संधित कर क
े
• बांधों क
े माध्यम से
• नारद : शसंिाई हेतु 1 तड़ाग, क
ु एं से सौ गुणा अधधक
महववपूणथ
• कावयायन : तड़ाग क
े सीमा एवं प्रयोग वववादों की ििाथ
10. कृ िक
• अमरकोि : कृ िक क
े 4 नाम- क्षेत्राजीव,किथक, कृ विक, कृ विवल
• अन्य कालों की अपेक्षा, कृ िकों की त्स्र्तत में धगरावट
• भूशम दान की प्रर्ा से कृ िक प्रभाववत
• करों की संख्या में वृद्धध
• वृत्ष्ट्ट = बेगार का प्रिालन
11. पिुपालन
• साहहत्वयक साक्ष्य : िरवाहा = गोप, गोसंख्य, गोपालक, वल्लभ, आभीर
• पिु उवपादों का उपभोग, यातायात-बोझा ढोने में प्रयोग,बाजी लगाकर पिुओं क
े युद्ध,शिकार
• कमंदक, कावयायन : पिुपालन वैश्य वणथ का प्रमुख व्यवसाय
• नारद : पिुपालन से अत्जथत धन = श्वेत धन
• वराहशमहहर : गुप्त काल मे पिुओं की अच्छी त्स्र्तत
• कावयायन : पाररवाररक संपवत्त क
े ववभाजन पर िरागाह का बंटवारा नहीं
• पिु िोरी पर दंड का ववधान
• अमरकोि : 9 प्रकार क
े मवेिी, 13 प्रकार क
े घोड़े, 9 प्रकार क
े बैल, 15 प्रकार क
े हार्ी
• ववष्ट्णुपुराण, सांिी अशभलेख, एरण अशभलेख : गोवध = महापातक
12. कला एवं शिल्प
• नए शिल्प एवं उद्योगों मे उन्नतत
• शित्ल्पयों को िूद्रों की श्रेणी मे रखा गया परंतु उनक
े प्रतत उदार दृत्ष्ट्टकोण रखने की बात
• शित्ल्पयों की त्स्र्तत में सुधार
• अपराध करने पर उनक
े उपकरण लेने का वैधातनक अधधकार नहीं
• बृहस्पतत : सोने, िांदी, धागे, लकड़ी, पवर्र, िमथ से शभन्न वस्तुएाँ बनाने वाला = शिल्पी
• कावयायन : 4 प्रकार क
े शिल्पी - अंतेवासी, क
ु छ प्रशिक्षक्षण प्राप्त शिल्पी, दक्ष शिल्पी,
गुरु शिल्पी
• बृहस्पतत : शिल्प की शिक्षा तनत्श्ित कालावधी में आिायथ क
े पास रहकर प्राप्त
13. कलावमक वस्तुओं क
े प्रकार
मृदभांड,
फनीिर ,
टोकररयााँ,
पकी शमट्टी का सामान,
कांि का सामान,
धातु का सामान इवयाहद
दैतनक-
सामान्य
प्रयोजन
हार्ीदांत की वस्तुएं,
बहुमूल्य मनक
े
स्वणथ आभूिण
िंख की िूड़ड़यााँ,
मलमल,
रेिम
ववलाशसता
पूणथ
प्रयोजन
14. उद्योग- धंधे
• वस्त्र उद्योग : कपास, रेिम, मलमल, ऊनी वस्त्र
• लकड़ी उद्योग
• धातु उद्योग
• मृदभांड उद्योग
• अन्य :माला तनमाथण,मूततथ-स्र्ापवय तनमाथण,शभिग,नाई,नाववक,तेली,गाड़ीवान, िमथकार इवयाहद
15. वस्त्र उद्योग
• अमरकोि : िार प्रकार क
े वस्त्र वखणथत- छाल से बने, फल क
े रेिे से बने, रेिमी वस्त्र,
पिमीना
• गुप्त कालीन साहहवय : वस्त्र तनमाथण तकनीक , जुलाहे एवं करघे का उल्लेख
• नारद स्मृतत : पहाड़ी बकरे क
े ऊन से तनशमथत क
ं बल का उल्लेख
• अमरकोि : क
ं बल क
े प्रकार – भेड़ क
े बालों का, खरगोि क
े बालों का
• रेिम, कपास क
े कई प्रकार ज्ञात
• रेिमी वस्त्रों की मांग बढ़ी
• मंदसौर अशभलेख : तंतुवाय श्रेणी का उल्लेख
• कपास क
े शलए प्रशसद्ध : मर्ुरा, बंगाल, गुजरात तशमलनाडु
• रेिम क
े शलए प्रशसद्ध : बनारस
16. धातु-खतनज उद्योग
• धातु वस्तुओं का बहुतायत मे उवपाद
• स्वणथ, रजत, ताम्र, लौह, सीसा इवयाहद
• वावस्यायन : 64 कलाओं में एक धातुकमथ
• कई धातुओं मे शसक्क
े प्राप्त
• शमधश्रत धातु का ज्ञान : धातु कमथ का ववशिष्ट्ट ज्ञान
• पुरातात्ववक उवखनन : धातुकमथ से संबंधधत गुप्त कालीन भट्हटयााँ प्राप्त
• अमरकोि : स्वणथ कारीगरी का उवकृ ष्ट्ट स्तर
• महरौली का स्तम्भ : लौह तकनीक का सवोच्ि उदाहरण
17. Amarkosh: 7 names of
iron
Mehrouli Iron Pillar.
Excavations Remains:
A) Agricultural Tools
B) Weapons
C) Daily use
D) Carpentry Tools:
plough, chain, sickle,
axes, adze, scissors,
utensils, sword, knife
Amarkosh: 6
names of copper
Excessive use of
copper plates
Coper coins:
(Chandragupt II,
Ramagupt &
Kumaragupt)
Bronze images:
Bihar, UP, MH
Sultanganj
bronze image
Silver: Roupya
Varahmihir:
silver extract
from mines
Silver coins
Silver pots
Silver
implements
Amarkosh: 19
names of copper
Shudrak: difficult
to find loyal gold
smith
Gold coins
Gold ornaments
Mrucchkatikam
Drama: Gold
jewellery shops
in Ujjayani
Bhita: gold ring
and ornament
लौह ताम्र स्वणथ
रजत
22. वराहशमहहर : 22 प्रकार क
े
मनक
े
वराहशमहहर : हीरे क
े स्रोत
-Vena river, Sopara,
South Kosal, Kalinga,
Pundru
बृहदसंहहता : हीरे क
े मनक
े
का उल्लेख .
वराहशमहहर: स्वणथकार
द्वारा सोने क
े मनकों का
प्रयोग
Faxian: 80’
wooden Buddha
image on the
bank of Indus.
Vatsyayan: काष्ट्ठ
कला 64 कलाओं
में एक
िमथ उद्योग राज्य
क
े अंतगथत
वराहशमहहर :
िमथशिल्पी
अमरकोि : िमथ
की वस्तुएाँ- जूते,
बस्ते, लगाम,
रस्सी
दैतनक प्रयोग क
े
बतथन-पात्र .
खखलौने-मूततथयााँ
अहहच्छत्र :
मानवाकार गंगा
यमुना की मूततथ
मनका कार बढ़ई क
ु म्हार
िमथकार
25. स्र्ापवय एवं मूततथ तनमाथण उद्योग
• गुप्त मूततथ कला : श्रेष्ट्ठ, पररष्ट्कृ त, सुंदर, समृद्ध
• ववशभन्न माध्यम : पािाण, धातु
• गुप्त कालीन कई मूततथयााँ प्राप्त
• सारनार् कला क
ें द्र : पािाण मूततथ तनमाथण
• धातु की ढली मूततथयााँ
• Faxian : 25 मी. ऊ
ं िी बुद्ध की ताम्र मूततथ का उल्लेख
• गुप्त काल : मंहदर तनमाथण का प्रारंभ
• सांिी का मंहदर संख्या 17, नािना क
ु ठार, देवगढ़ मंहदर, मतनयार मठ,
भीतरगॉव मंहदर इवयाहद
26.
27. धित्रकला
• ववलक्षण धित्रकला
• प्रशिक्षक्षत –दक्ष धित्रकार
• धित्रकला की उन्नत
तकनीक = फ्र
े स्को
• प्राकृ ततक रंगों का प्रयोग
• बाघ गुहाएाँ
• अजंता की कला पर
प्रभाव?
29. कर व्यवस्र्ा
29
• Tax was major source of Revenue collection
• Tax was lesser than Mauryan period
• Inscriptions: 1/6 % of agricultural tax
• Bhag, Bhog and Kar = main taxes
• भाग : Agricultural tax 1/6
• भोग : Periodic taxes in from of fruits, flowers, milk and dairy products
• कर : Not clearly identified.
• हहरण्य : Either cash or collected from cash crop
• िुल्क : Bihar pillar inscription mentions “Shoulkik” an officer who collect this tax.
• उपररकर व उद्रन्ग : new taxes started from this period.
30. श्रेणी संगठन क
े प्रमाण
1. Raghuvansh: Architect Shreni (vastukar)
2. Mudrarakshas: Gold Smiths
3. Varahmihir: Carpenter, Weavers, Leather worker, painter,
4. Indore copper plate of Skandgupta period: Guild of oil-men endowment for
maintenance of oil lamp in sun temple.
5. Mandsore inscription
6. Seals-sealing
a) Bhita: Kulik nigam
b) Vaishali: Shreshthi nigam
c) Basadh (Vaishali): Shershthi-Kulik nigam.
d) Basadh (Vaishali): Shreshthi-Sarthvaha-kulik nigam (joint organization)
31. व्यापार एवं वाखणज्य
• स्र्ल एवं जल मागों का प्रयोग
• पूवी एवं पत्श्िमी देिों से व्यापार
• पत्श्िम : Sri Lanka, Persia, Arabia,
Byzantine Empire, Africa, and even
further west.
• पूवथ : China, Burma, and South East
Asia and Sri lanka.
• प्रमुख वस्तुएाँ : रेिम, मसाले, वस्त्र,
धातु, हार्ीदांत, समुद्रीय वस्तुएाँ
33. आंतररक व्यापार
1. Vaishyas were associated in trade
2. Weekly markets
3. Market known as “Vidani”, where traders assembled
4. Amarkosh: Roads had shops at both sides
5. Excavations at Bhita: Remains of Market area
6. South India: Spices
7. Himalaya: Saffron
8. Elephants: Kalinga, Assam
9. Horse: Kamboj
10. Salt: Sea, Mines
11. Silk: Bengal
12. Wool: Himalayas, Maharashtra
34. ववदेिी व्यापार
• Western coast: Egypt, central Asia, Europe & Africa
• Gupta Gold coin found in Madagaskar
• Eastern coast: South-east Asia, China, Java etc
• पत्तन : Deval, Bhadoch, Shurparak (west) and Kalyan, Tamralipti, Kangod
,Brighukachchha (east)
• Well connected through inland routes from all parts of India.
• India, a part of an international trade network which included other great
classical empires of the day, the Han Dynasty (China) in the east and the
Roman empire in the west.
35. तनष्ट्किथ
• Gupta period: a sophisticated culture with innovative advances in literature,
arts, and sciences.
• The rulers sponsored advances in science, painting, textiles, architecture, and
literature.
• Economy prosperous.
• Agriculture = main source of revenue.
• Beginning of Feudalism.
• Increase in Art & craft faction of economy.
• Slight decline of International trade.