सहसम्बन्ध की अवधारणा , प्रकार ,सहसम्बन्ध गुणांक की गुणात्मक व्याख्या
तथा स्पीयरमैन कोटि/अनुस्थिति अन्तर विधि (Spearman Rank Difference Method) एवं पियरसन गुणनफल-आघूर्ण विधि (Pearson Product Moment Method ) द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक के मान की गणना विधि प्रस्तुत है |
2. सहसम्बन्ध (Correlation)
1. अमभप्रायः
• दो या दो से अमधक चरों के बीच पाये जाने वाले
साहचयाात्िक सम्बन्ध (Associative relationship) को
सहसम्बन्ध की संज्ञा दी गई है।
• दो चल-रामियों के पारस्पररक सम्बन्धों का बोध।
• जब एक चल-रामि के बढ़ने पर (↑) दूसरी चल रामि िें भी
वृमि (↑) हो, तथा एक चल रामि के घटने (↓) पर दूसरी
चलरामि िें भी घटाव (↓) हो अथवा एक चलरामि के बढ़ने
पर (↑) दूसरे के घटाव (↓) तथा एक चलरामि के घटने पर
(↓) दूसरे िें बढ़ाव (↑) हो, तो दोनों पररमस्थमतयों िें
सहसम्बन्ध पाया जाता है।
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4. 2. पररभाषा
- फरग्यूसन, ‘‘सह-सम्बन्ध का उद्देश्य दो चरों िें पायी
जाने वाली सम्बन्धों की िात्रा का पता लगाना है।’’
- डाउनी तथा हील्थ, ‘‘सहसम्बन्ध िूल रूप से दो चरों
के सम्बन्ध का िाप है।
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3.सहसम्बन्ध गुणांक (r या 𝜼) िान दो चरों के बीच सम्बन्ध की
िात्रा बताता है।
4. सह सम्बन्ध की िात्रा ‘+1’ से ‘-1’ के बीच होती है।
5. सहसम्बन्ध गुणाांक का
मान
गुणात्मक व्याख्या
+1-00
0.99-0.81
0.80-0.61
0.60-0.41
0.40-0.21
0.20-0.01
पूणण धनात्मक सहसम्बन्ध (Perfect +ive Correlation)
अति उच्च धनात्मक सहसम्बन्ध (Very High +ive Correlation)
उच्च धनात्मक सहसम्बन्ध (High +ive Correlation)
साधारण कोटि धनात्मक सहसम्बन्ध (Moderate +ive Co.)
तनम्न धनात्मक सहसम्बन्ध (Low +ive Correlation)
अल्प कोटि धनात्मक सहसम्बन्ध (Very Low +ive Correlation)
0.00 शून्य सहसम्बन्ध
-0.01 से -0.20
-0.21 से -0.40
-0.41 से -0.60
-0.61 से -0.80
-0.81 से -0.99
-1.00
अल्प कोटि ऋणात्मक सहसम्बन्ध (Very Low -ive Correlation)
तनम्न कोटि ऋणात्मक सहसम्बन्ध (Low -ive Correlation)
साधारण कोटि ऋणात्मक सहसम्बन्ध (Moderate -ive Co.)
उच्च कोटि ऋणात्मक सहसम्बन्ध (High -ive Correlation)
अति उच्च कोटि ऋणात्मक सहसम्बन्ध (Very High -ive Co.)
पूणण ऋणात्मक सहसम्बन्ध (Perfect -ive Correlation)
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6. कोरट/अनुमस्थमत अन्तर मवमध
Rank Differance Method
1. प्रमतपादक - चाल्सा स्पीयरिैन (Charles Spearman)
2. अनुमस्थमत का अथा- जब प्राप्ांकों को आकार के
अनुसार सजाया जाता है और सवोच्च प्राप्ांक को
पहला स्थान इसके बाद वाले को दूसरा और इसी
क्रि से बाद के प्राप्ांकों को स्थान ददया जाता है
तो उन्हें अनुमस्थमत कहते है।
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7. (i) प्राप्ांकों को अनुमस्थमतयों िें पररवर्तात करना (R)
(ii) अनुमस्थमतयों िें अन्तर ज्ञात करना (R1∽R2)=D
(iii) अन्तरों का वगा ज्ञात करना (D2)
(iv) अन्तरों के वगों का योग ज्ञात करना (ƩD2)
(v) सूत्र द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात करना
𝝆 = 𝟏 −
𝟔Ʃ𝑫𝟐
𝑵(𝑵𝟐 − 𝟏)
𝝆 (𝑹𝒉𝒐)= सहसम्बन्ध गुणांक
ƩD2 =अन्तरों के वगों का योग
N = सम्पूणा संख्या
अनुस्थिति अन्िर विधध-सोपान
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𝜌
10. गुणनफल-आघूणा मवमध
Product Moment Method
1. प्रमतपादक - काला मपयरसन (Karl Pearson)
2. आघूणा का अथा- दकन्हीं अंकों का आघूणा इन
अंकों के िध्यिान से उनकी दूररयों का िध्यिान
होता है।
σ(𝑿−𝑴)
𝑵
or
σ 𝒅
𝑵
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14. (i) ‘X’ प्राप्ांकों का योग ज्ञात करना (ƩX)
ƩX=25 -(i)
(ii) ‘Y’ प्राप्ांकों का योग ज्ञात करना (ƩY)
ƩY=30 -(ii)
(iii) ‘X’ प्राप्ांकों का वगा ज्ञात करना (X2)
64; 25; 36; 4; 16
(iv) ‘X’ प्राप्ांकों के वगों का योग ज्ञात करना (ƩX2)
ƩX2=145
गुणनफल-आघूणण सहसम्बन्ध गुण ांक
ज्ञ त करने हेतु गणन विधध
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15. (v) ‘Y’ प्राप्ांकों का वगा ज्ञात करना (Y2)
9; 144; 81; 1; 25
(vi) ‘Y’ प्राप्ांकों के वगों का योग ज्ञात करना (ƩY2)
ƩY2=260
(vii) ‘X’ व ‘Y’ प्राप्ांकों का गुणनफल ज्ञात करना (X.Y)
24; 60; 54; 2; 20
(viii) ‘X’ व ‘Y’ प्राप्ांकों के गुणनफल का योग ज्ञात करना
(ƩXY) ƩXY=160
गुणनफल-आघूणण सहसम्बन्ध गुण ांक
ज्ञ त करने हेतु गणन विधध
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