3. त्राटक की व्याख्या
अटात् त्रायते ईन्द्त त्राटकं ।
भ्रमण करनेर्ाले मन का रक्षण
(protect mind from wandering)
न्द्नरीक्षेन्द्रनश्चलदृशा सूक्ष्मलक्ष्यं समान्द्ित: ।
अश्रुसंपात पयवरतम् आचाये त्राटकं स्मृतम् ह ि.प्र. २.३१
Looking intently with an unwavering gaze at a small
point until tears are shed is known as Trataka by the
Acharyas (Teachers)
4. त्राटक
Why is it Shuddhikriya ?
त्राटक शुन्द्िन्द्िया क्यों िै ?
नेत्र शुन्द्ि के साथ साथ गांधारी और िन्द्स्त न्द्िव्िा नाडीयों की भी शुन्द्ि
िोती िै | िो िमारी दोनों आखों के साथ िुडी िुई िै |
5. त्राटक के प्रकार
सुदूर त्राटक – (िैसे की उदय िोता िुआ सुयव)
समीप त्राटक – (िैसे की मोमबत्ती की ज्योत)
ज्योत, न्द्बंदु, मून्द्तव, सूयव, चरि, ॐ,
6. त्राटक के उप प्रकार
अ) बाह्य त्राटक (खुली आंखो से)
ब) आंतरत्राटक (बंद आंखो से)
7. त्राटक करने की तकनीक
त्राटक करने के पिले आँखो का सूक्ष्म व्यायाम करना लाभदायी िै.
न्द्स्थर और न्द्शन्द्थल बैठक
ध्येय न्द्र्षय १.५ से २ फ़ीट की दूरी पर और निर के न्द्र्स्तार मे िो.
दृष्टा (दशवक)
दृश्य,
दशवन
8. त्राटक न्द्कसे निीं करना िै
दृन्द्ष्ट दोष या आखों मे न्द्र्कार िो
आंखो मे ज्यादा नंबर िो, ग्लुकोमा िो, लेरस पिना िो
सरददव रिता िो
न्द्मगी की तकलीफ र्ालो को मोमबत्ती पे त्राटक निीं करना िै.
सुचना
चश्मा न्द्नकालकर त्राटक का अभ्यास ऊत्तम िै । न्द्फ़र भी डाँक्टर की
सलाि लेना उन्द्चत िै
कमिोर नेत्र ज्योन्द्त र्ालों को इस साधना को शनैैः-शनैैः र्ृन्द्ििम में
करना चान्द्िए
10. त्राटक के लाभ
शारीररक और मानन्द्सक स्र्ास््य प्राप्त िोता िै
नेत्र / नान्द्ियों की शुन्द्ि करके आंखो के दोष, नेत्र गोलक के
न्द्र्कार दूर िोते िै
घ्येय न्द्र्षयों के गुणों का ज्ञान िोता िै, न्द्दव्य िस्टी प्राप्त िो ती िै
मन्द्स्तष्क में अल्फा तरंगे बढती िै
एकाग्रता, स्मरणशन्द्कत, संकल्प शन्द्ि बढती िै
प्रत्यािार, ध्यान में प्रर्ेश (अरतरंग योग की और प्रर्ास)
न्द्र्द्यान्द्थवयों का पढाई में ध्यान बढ़ाता िै और आत्म न्द्र्श्वाश बढ़ता िै
11. त्राटक
आध्यान्द्त्मक लाभ
शाम्भवी की सिसि प्राप्त होती है
तमो गुण कम कर देता है और रजो गुण बढ़ता है
त्राटक एकाग्रता और भीतरी दृश्य, इन क्षमताओंको सवकसित करता है
व्यसि अंतमुुखी हो जाता है
त्राटक धारणा की एक तकनीक है
त्राटक की मदद िे ध्यान करने के सिए तैयार हो िकते हैं
एक व्यसि त्राटक का अभ्याि करके आत्म बोध प्राप्त कर िकता हैं
त्राटक का अभ्याि आज्ञा चक्र जगा िकता है
12. त्राटक
• अविाद (depression), सचंता, भय, अिुरक्षा, असनद्रा, एिजी,
आिनीय िमस्याके सिए सचसकत्िा के तौर पे सकया जा िकता है.
• भ्रम, िंघर्ु, तनाव, मन ध्यान केंसद्रत करने के सिए और कोसशकाओं
को आराम के सिए िबिे प्रभावी तकनीक है.
14. कपालभान्द्त
र्ात्िमेण व्युत्िमेण शीत्िमेण न्द्र्शेषत: |
भालभान्द्त न्द्त्रधा कु यावत्कफ़दोष न्द्नर्ारयेत || घे.सं. १.५५ ||
Vaatkrama, vyutkrama and sheetkrama are the
three types of bhalbhati (kapalbhati). Practising
them eliminates phlegm and mucus from the
body.
15. कपालभान्द्त / भालभान्द्त
कपाल – कपाल गुिा
सप्त पथ
फे फिे, श्वासपटल, र्ायुकोन्द्िका, लन्द्सका ग्रन्द्रथ
रेचक – िागरूकता के साथ, पूरक – सिि
श्वसन न्द्नयंत्रण – अधव अनैन्द्छिक
रि में CO2 का प्रमाण कम िोता िै
सिि कु म्भक
16. कपालभान्द्त कै से करनी िै
• दोनों नाक से बारी बारी श्वसन मागव की शुन्द्ि कर ले
• सुखासन, मेरुदंड को सीधा रखकर बैठे
• पेट के भाग को झटका देकर रेचक करे ५ से ७ बार से बढ़ते िुए १२० तक
• न्द्सफव पेट की िलनचलन, िाती को न्द्स्थर रखे
17. कपालभान्द्त न्द्कसे निीं करनी
• High B.P., Heart Problem
• Ulcer, Fever, Constipation, Hernia
• Excessive restlessness
• Pregnancy
• Extremely hot weather, When dehydrated
• Suffering from irritability or anger
• If nose is blocked or during cold n cough
• Insomnia
18. कपालभान्द्त के लाभ
श्विन प्रणािी, नासिका मागु और िाइनिाइसटि शुि करता है
ब्रोसककयि ट्यूबों में मरोड़ कम करता है
अस्थमा िे छुटकारा सदिाता है और कुछ िमय में ठीक सकया जा िकता है
वातस्फीसत, ब्रोंकाइसटि, क्षय रोग को ठीक सकया जा िकता है
रि की अशुसियों बाहर करता है
बैक्टीररया के प्रजनन के सिए एक उपयुि जगह का नाश करता है
फेफड़े अच्छी तरह िे सवकसित, िीओ 2 काफी हद तक बाहर फेंक देता है
19. कपालभान्द्त के लाभ
पूणु स्वास््य में िुधार, पेट की चबी कम कर देता है, चेहरे और
माथे चमक बढ़ाता है
पेट के अंगों की मासिश, गैि और कब्ज को खत्म करता है
इडा और सपंगिा नाडी का शुसिकरण होता है.
िहज कुम्भक की अनुभूसत
20. व्युत्िम
नासाभ्यां िलमाकृ ष्य पुनर्वक्त्रेण रेचयेत |
पायं पायं व्युत्िमेण श्लेष्मदोष न्द्नर्रयेत् || घे.सं. १.५७ ||
तंत्र:
• पूणव रेचक
• बाह्य कु म्भक
• पूरक (पानी नाक से अंदर)
• मुंि से बािर न्द्नकालना
• न्द्बंदु चि िागृत
• खेचरी के अंशत: लाभ
22. शीत्क्रम
शीत्कृ त्य पीत्र्ा र्क्त्रेण नासानाले न्द्र्रेचयेत् |
एबमभ्यासयोगेन कामदेर्समोभर्ेत् || घे.सं. १.५८ ||
तंत्र:
• मुंि से पानी अंदर लेना
• गदवन पीिे और ठोिी नीचे करे
• रेचक नाक से
• लाभ: कफ़दोष न्द्नर्ारण, चिेरे पर कांन्द्त, स्र्ायत्त
तंन्द्त्रका प्रणाली (Autonomic nervous system)
पर न्द्नयंत्रण
23. सारांश
शुन्द्िन्द्िया आिकी आर्श्यकता
स्र्ाभान्द्र्क ति न्द्र्षारी िव्य को बािर न्द्नकालने की न्द्िया िमारे
शरीर मे तीन रुप से िोती िै
१) उछिर्ास के द्वारा - र्ायु रुप मे
२) मुत्र और पसीने के द्वारा - प्रर्ािी रुप मे
३) मल के द्वारा - घन स्र्रुप मे
योग मे शरीर शुन्द्ि, नाडी शुन्द्ि, और न्द्चत्त शुन्द्ि का मित्र् िै. और
उसके न्द्लए शुन्द्िन्द्िया करना आर्श्यक िै | और यि कै से करनी िै
उसका र्णवन घेरंड संन्द्िता मे एक श्लोक द्वारा बताया गया िै |
24. धौन्द्तबवन्द्स्त स्तथा नेन्द्त लौन्द्लकी त्राटकं तथा ।
कपालभान्द्त श्चैतान्द्न षट्कमावन्द्ण समाचरेत् ।। १.१२ ।। (घेरंड संन्द्िता)
१. घौन्द्त
२. बन्द्स्त
३. नेन्द्त
४. लौन्द्लकी
५. त्राटक
६. कपालभान्द्त
इन सभी शुन्द्िन्द्ियाओ के बारेमे िमने िानकारी ली िै
25. “सर्े रोगा: प्रिायरते िायरते मल संचयात्।"
भार्ाथव: शरीरमे संन्द्चत मल दूर करने से समस्त रोग न्द्नकल िाते िै
और शरीर न्द्नरोगी बनता िै