Exploring Rural-Urban Dynamics: A Study of Inter-State Migrants in Gurgaon (Hindi)
In the light of on‐going structural changes in India and consequently changing contours of the rural economy, the nature and pattern of migration has been changing over time. During the last two decades, there has been a general change in the destination of migration from rural‐rural to rural‐urban. However, the intensity of migration is generally reported to be low in India due to the conventional approach of defining migration.
Planning for the poor in the destination cities is conspicuous by its absence. As the mind‐set of the urban planners is to treat migrants as outsiders and a burden on the existing civic infrastructure, they get excluded from most urban planning processes and mechanisms, compounding the problems that they are already plagued with.
Inter‐State Migrant Workmen (Regulation of Employment and Conditions of Service) Act, 1979 was promulgated for the purpose of regulation of the service condition of the migrant workers, but in status today, it is an ineffective piece of legislation. In today’s scenario, there is an urgent need to revisit the debate on legislation for the welfare of migrant workers.
Death and Ensuing violence at the Grand Arch Project of IREO Private Limited ...
Exploring Rural-Urban Dynamics: A Study of Inter-State Migrants in Gurgaon (Hindi)
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आभार
यह रिपोर्ट कई लोगों की कड़ी मेहनत औि समपटण का परिणाम है। मैं सोसायर्ी फॉि लेबि एण्ड डेव्लपमेंर् (SLD)
की ओि से उन सभ़ी का ईमानदािी से धन्यवाद औि आभाि व्यक्त किता हूँ।
मैं अनन्या भट्टाचािज़ी, अध्यक्ष, गािमेंर् औि एलाइड वकट सट यननयन (GAWU), हरियाणा, को अनुसंधान के ववभभन्न
चिणों में इस रिपोर्ट में उनकी मदद के भलए अपना हार्दटक आभाि प्रकर् किता हूँ। इन्होने श्रम मुद्दों पि मागटदर्टन
औि अनुसंधान का संचालन किने में अपऩी अंतर्दटष्टर् से इस रिपोर्ट की सामग्ऱी को समृद्ध ककया है। गुडगांव में
प्रवास़ी मजदिों के मध्य फी्ड के काम के संचालन में इनका सम्टन सहायक िहा।
नािी र्ष्क्त मंच औि मजदि एकता मंच, गुडगांव, जो जम़ीऩी स्ति के संगठनों में से हैं, प्रवास़ी कामगािों तक
पहुूँच प्रदान किने में महत्वपणट भभमका ननभाई। श्रभमकों के भलए FGDs के आयोजन में मदद किने के भलए मैं
अऩीता, संतोष, अमिना्, जलालुद्द़ीन, भर्वना् औि र्मर्ाद को आभाि देता हूँ। मैं अपना आभाि िेतु औि
ववकास को ष्जन्होने मेि स््ाऩीय अधधकारियों औि गुडगांव में श्रम अधधकाि के उ्लंघन पि र्दष्टर्कोण प्रदान किने
के भलए ककया। उत्ति प्रदेर्, बबहाि औि झािखंड िाज्यों में समुदाय के आयोजक –तौकीि, सुगिा औि िाके र्
ष्जन्होने पलायन के स्रोत में ग्राम़ीण क्षेत्रों में ष्स््नत की पुष्टर् किने में महत्वपणट भभमका ननभाई ़्ी। मैं उनकी
कड़ी मेहनत औि प्रनतबद्धता के भलए उन सभ़ी को धन्यवाद किता हूँ। कानपि देहात के ववभभन्न गाूँव के लोग औि
जन-प्रनतननध़ी ष्जन्होंने कफ्ड में सहयोग प्रदान ककया उन्हें मेिा ववर्ेष धन्यवाद्। उनके सहयोग बबना यह
अनुसंधान पणट किना असंभव ्ा।
ईर्ा औि र्ादाब ने पलायन पि सार्हत्य ढूँढने में मदद की। आंकडो का ववश्लेषण किने औि सामग्ऱी का संपादन में
क्रमर्: िजऩीर् औि मंजि के प्रयासों में रिपोर्ट को अंनतम रूप देने में काफी मदद की। गुंजन ने अनुवादक के रूप
में अम्य मदत की है ष्जसके भलए मै गुंजन को धन्यवाद् देता हूँ।मै ईर्ा, र्ादाब, मंजि औि िजऩीर् के प्रत़ी
आभाि व्यक्त किता हूँ। नदीम का रिपोर्ट को डडजाइन किने औि संध्या का रिपोर्ट की छपाई किने के भलए मैं पिे
मन से आभािी हूँ। इस रिपोर्ट पि काम किने के भलए एस॰एल॰ड़ी॰ में कमटचारियों का अनुकल माहौल प्रदान किने
औि उनके दैननक सम्टन इस रिपोर्ट को बनाने में महत्वपणट िहा। सुऩीला, प्रव़ीण, पाओ, ककं जल, इंर्ा, जयदेव
औि व़ीिेंद्र को मेिा आभाि।
मैं, इस परियोजना के भलए अनतआवश्यक ववत्त़ीय सहायता प्रदान किने के भलए िोजा लक्समबगट फाउंडेर्न, दक्षक्षण
एभर्या के प्रनत आभािी हूँ। श्रम मुद्दों पि उनका ननिंति सम्टन औि प्रोत्साहन हवषटत किता है।
अंततः मैं, अपऩी ननटठा औि ईमानदािी से प्रवास़ी कामगािों के प्रत़ी आभाि प्रकर् किता हूँ ष्जन्होने मुद्दों औि
ष्स््नतयों का वणटन किने, अनुकल जानकािी देने मे व्यावहारिकता का परिचय र्दया। ववषम औि कर्ठन
परिष्स््नतयो मे िहते हुए अपने परिवाि के भलए स्वर्णटम भववटय बनाने की उनकी आर्ा इस अनुसंधान का संचालन
किने की प्रेिणा स्रोत बऩी है।
पररमल माया सुधाकर
वरिटठ परियोजना प्रबंधक – अनुसंधान
सोसायर्ी फॉि लेबि एंड डेवलपमेंर् , नई र्द्ली
parimal.sudhakar@sldindia.net
+91-8800241099
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सूची
विषय क्र.
कायटकािी सािांर् ०३
परिचय ०८
पलायन आंकडो के स्रोत १२
पलायन के ववभभन्न प्रवाह १४
पलायन के कािण १७
अंतिाटज्य़ीय पलायन २०
परियोजना का औधचत्य २६
परियोजना के उद्देश्य २७
कायटप्रणाली २८
अनुसंधान के नत़ीजे २९
ननटकषट ४३
सुझाव ४६
परिभर्टर् १ ५१
परिभर्टर् २ ५३
परिभर्टर् ३ ६३
परिभर्टर् ४ ६७
परिभर्टर् १
अंतिाटज्य़ीय प्रवास़ी कामगाि (सेवा के िोजगाि औि र्तों का ववननयमन) ववधेयक २०११
परिभर्टर् २
प्रवाभसयों औि उनके ब़ीच काम कि िहे संगठन
परिभर्टर् ३
पलायन पि काम कि िही ववववध संस््ाए औि क़ानन
परिभर्टर् ४
Inter-State Migrants in Gurgaon – A Reality Check
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काययकारी साराांश
भमंडलीकिण के युग में भाित में हो िहे सामाष्जक औि आध्टक परिवतटन पि आंतरिक पलायन प्रकक्रया
की एक मजबत छाप है। भाित में आध्टक सुधािोंका दौि र्ुरू होने से पहले १९८० के दर्क में आंतरिक
पलायन की गनतऱ्ीलता में धगिावर् के संके त भमले ्े। हालांकक, बाद के आध्टक सुधाि के दौि ने
आंतरिक पलायन में उछाल को देखा है ष्जसकी पुष्टर् भाित की जनगणना २००१ औि २००७-०८ के दौिान
ककए गए एनएसएसओ अध्ययन मे देख़ी गय़ीं है। आध्टक सुधािोंके सम्टक औि वविोधक दोनों द्वािा
यह तकट र्दया जाता है की आध्टक सुधािों से आबादी के आंतरिक पलायन में भािी वृवद्ध हुई है।
अधधकति प्रवास़ी मजदिों को समाज के आध्टक, सामाष्जक, सांस्कृ नतक औि िाजऩीनतक ज़ीवन से बाहि
िखा गया है। इनके सा् अक्सि, कभ़ी स््ाऩीय समुदाय द्वािा तो कभ़ी स््ाऩीय अधधकारियों द्वािा,
दसिी श्रेण़ी के नागरिक के रूप में व्यवहाि ककया जाता हैं । अपऩी िोजमिाट की ष्जंदग़ी मे प्रवास़ी मजदिों
को स््ाऩीय पहचान के सबत, िाजऩीनतक प्रनतननधधत्व की कम़ी, स््ाऩीय ननवास या ककिायेदाि अधधकािों
की कम़ी, सस्ते िार्न या बच्चों के भलए मुफ्त स्कली भर्क्षा जैसे सामाष्जक सुिक्षा लाभ आर्द की कम़ी
जैस़ी कर्ठनाइयों का सामना किना पडता है। कम वेतन होने पि भ़ी असुिक्षक्षत खतिनाक काम ज्यादा
ति प्रवास़ी मजदि ही किते है। प्रवास़ी श्रभमकों की बहुत बड़ी संख्या अनौपचारिक क्षेत्र में काम कित़ी
है ष्जनमे ज्यादाति श्रभमक असंगर्ठत हैं औि उन्हें बहुत कम या कोई सामाष्जक सुिक्षा लाभ नहीं है।
इसके अलावा, उनके काम की परिष्स््नतयां ज्यादाति असुिक्षक्षत, र्ोषक औि गरिमा को चोर् पहुंचाने
वाली हैं। इसके अनतरिक्त इनके र्खलाफ एक नफित का अभभयान भ़ी चलता िहता है।
प्रवास़ी मजदिों की स्त्रोत जगंहो पे कम आय, ननम्न साक्षिता, गिीब़ी औि कृ वष की दरिद्री हालत पलायन
के कािकों में प्रमुख है। दसिी ओि अधधक आय, उच्च साक्षिता, उद्योग औि सेवाओं के प्रसाि औि
ज़ीवन में प्रगत़ी की अभभलाषा गंतव्य स््ानों के सा् जुडे र्खचाव के प्रमुख कािक हैं। प्रवास़ी मजदिों का
पलायन इन दोनों कािकों के भमलन का ही परिणाम है।
आंतरिक पलायन की त़ीव्रता मापने का प्रयास एन.एस.एस.ओ. ने लगाताि ककया है। सन १९९३ के
एन.एस.एस.ओ. अध्ययन के नुसाि भाित में किीब ३% घि ऐसे ्े ष्जन मे कम से कम १ व्यक्त़ी ने
आंतरिक पलायन ककया ्ा। सन २००७ के अध्ययन में यह संख्या बढ़कि कु ल घिों के ८% हुई औि इस
वक्त यह संख्या १४-१५% होने का अनुमान लगाया जा िहा है। उ्लेखऩीय है की सन १९९१ से २००१ के
ब़ीच अंतिाटज्य़ीय पलायन में ५४.५% की भािी वृद्ध़ी हुई। इस दर्क में अंतिाटज्य़ीय पलायन ककये प्रवाभसयों
की संख्या २७.२ भमभलयन से बढ़कि ४२.१ भमभलयन हुई।
आज के दौि मे हो िहे संिचनात्मक परिवतटन के कािण, खासकि ग्राम़ीण अ्टव्यवस््ा के बदलते स्वरूप
मे, पलायन का स्वभाव औि प्रकृ नत भ़ी बदली है। तदनुसाि, पलायन की अवधािणा अब पािंपरिक
अवधािणा की तुलना में अधधक व्यापक आयाम को स््ावपत कि पाय़ी है। अब पलायन के परिप्रेक्ष में
दैननक रूप में काम औि ननवास के ब़ीच आने-जाने से लेकि कु छ दि के स््ानों से लेकि अनत दि के
स््ानों पि ननवास का स््ाय़ी बदलाव आदी प्रकाि र्ाभमल है। इस के अलावा, ग्राम़ीण प्रवाभसयों मे
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समरूपता नहीं है। इस कािण पलायन की प्रकृ नत औि प्रवृनत एक समह से दसिे सामाष्जक समह में
भभन्न होत़ी हैं।
वपछले दो दर्कों के दौिान, ग्राम़ीण क्षेत्रों से पलायन की घर्ना एक धचंता का ववषय बऩी हुई है। ग्राम़ीण
लोग बेहति िोजगाि की तलार् में बड़ी संख्या में कृ वष को छोडकि पलायन कि िहे हैं जो की गांव मे की
गय़ी पछताछ औि अन्य दस्तावेजो से स्पटर् होता है। वपछले दो दर्कों के दौिान पलायन की त़ीव्रता
औि प्रकृ नत मे बदलाव आया है। प्रवाभसयों के अनुपात में व्यापकता आई है। इसके अलावा, पलायन की
प्रकृ नत अ्पावधध से लंब़ी अवधध मे बदल गय़ी है। कु ल प्रवाभसयों मे अब श्रभमकों का बहुमत होने को इस
बदलाव के भलए ष्जम्मेदाि ठहिाया गया है। गंतव्य को चुनने के संदभट में, पलायन अब औि अधधक
व्यापक है।
पररयोजना का औचचत्य: एस एल ड़ी को पलायन के स्रोत को अपने काम में र्ाभमल किने की जरूित
गुडगांव में प्रवास़ी श्रभमकों के सा् अपने हस्तक्षेप के दौिान ननकल कि सामने आय़ी, क्यंकी एस एल ड़ी
का काम उत्ति प्रदेर्, बबहाि औि झािखंड में प्रािंभभक िहा है, औि इस काम के र्हस्से को मजबत बनाने
औि फै लाने की प्रकक्रया जािी है। क्यंकी प्रवाभसयों के परिवाि औि उनके समुदाए के लोगों को उन
परिष्स््नतयों के बािे में बहुत कम मालमात होत़ी है ष्जन परिष्स््नतयों का सामना उनके प्रवास़ी संबंध़ी
औि दोस्तों को गंतव्य स््ान पे किना पडता है। पिा ज्ञान न होने की वजह से उनके मन में उन िाज्यों
के प्रनत गलत धािणा पैदा होत़ी है जहां वो प्रवास किते हैं सा् ही वो प्रवास़ी श्रभमकों की बाधाओं के बािे
में भ़ी अज्ञान िहते हैं। र्ोध का ये र्हस्सा उत्ति प्रदेर् के कानपि देहात औि गोिखपुि ष्जलों से र्हिों में
पलायन किने वाले श्रभमकों के परिवाि की आध्टक-सामाष्जक ष्स््त़ी का ववश्लेषण औि पलायन के
कािकों का पता लगाने की भभमका अदा कि िहा है। ये ररपोर्य “घर और गांतव्य राज्यों के बीच श्रम और
प्रिासन शोध और एक समग्र ग्रामीण और शहरी विकससत दृष्टर्कोण” पररयोजना का दूसरा हहस्सा है।
पहली ररपोर्य गुडगााँि में बसे प्रिासी श्रसमकों की ष्स्िती पर है और अगली दो ररपोर्ें क्रमश: बबहार और
झारखांड के ग्रामीण क्षेत्रों से शहर की ओर पलायन के कारणों और प्रक्रक्रयाओां पर आधाररत होगी।
काययप्रणाली: उत्ति प्रदेर् में, ये सवेक्षण ऊपि र्दये गए २ ष्जलों के लगभग ४०० परिवािों के ब़ीच
आयोष्जत ककया गया ष्जन के घिों से कम से कम १ व्यक्त़ी ने र्हि में िोजगाि के भलए पलायन ककया
है। इस सवेक्षण में स््ाऩीय मजदि संगठन औि अन्य स््ाऩीय संगठनों के कायटकताटओं ने आयोजन
किाने व ऊपि र्दये गए ष्जलों के प्रवास़ी श्रभमकों के परिवाि की पहचान किने में काफी मदद की।
उत्तिदाताओं के ब़ीच एक भलंग संतुलन बनाए िखने की पिी कोभर्र् की गई। हालांकक, इसे हाभसल नहीं
ककया जा सका। इसका कािण गाूँव के घिों में मर्हलाओं की तुलना में पुरुषों ने बातच़ीत में र्ाभमल होना
जायज माना। गावों में कें र्द्रत समह चचाटओं का (FGD) आयोजन ककया गया ष्जसमे कु छ चचाटये भसफट
मर्हलाओं के सा् की गय़ीं।
उत्तरदाताओां की आचियक ष्स्ितत: उत्तिदाताओं की भािी संख्या अपने ननज़ी घिों में िह िही है। ककिाए
के घिों में िहने वाले लोगों का प्रनतर्त के वल २.२६ है। ५१.८९% परिवािों के पास अपऩी स्वयं की कृ वष
भभम है। अध्ययन ककए गए ४८% परिवािों ने अपऩी माभसक आय तकिीबन ५००० रूपये बताय़ी जबकक
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३७% उत्तिदाताओं ने अपने परिवाि की माभसक आय ५००० से १०००० रूपये के ब़ीच बताय़ी। १४%
परिवाि हि महीने लगभग १०००१ से २०००० रुपये कमा लेते हैं। सवेक्षण परिवािों में के वल ३५% लोगों
ने ये कहा की उन्हे साल भि गांव या आसपास के क्षेत्र में िोजगाि भमल जाता है। ५५% उत्तिदाताओं ने
कहा की गांव या आसपास के क्षेत्र में िोजगाि ४ से ११ महीने तक ही उपलब्ध हो सकता है। १०%
उत्तिदाताओं ने कहा की गांव या आसपास के क्षेत्र में िोजगाि भसफट ३ महीने तक ही भमल सकता है।
८०% परिवाि खाना पकाने के भलए च्हे का उपयोग किते जबकक १४% परिवाि दैननक भोजन पकाने के
भलए िसोई गैस भसलेंडि का उपयोग किते हैं। ६% घिों में खाना पकाने के भलए ईंधन के रूप में भमट्ट़ी के
तेल का उपयोग ककया जाता है।
पहचान दस्तािेज और सामाष्जक लाभ योजनायें: वोर्ि आईड़ी काडट ग्राम़ीणों का आम तौि पि
उपलब्ध उनका पहचान दस्तावेज है, ९४% उत्तिदाता मतदाता पहचान पत्र िखने का दावा किते हैं।
इसके ववपिीत, १३% उत्तिदाता सवेक्षण के समय आधाि काडट प्राप्त कि चुके ्े या इसे प्राप्त किने
की प्रकक्रया में ्े। के वल १३% लोगों के पास ही िाटरीय स्वास्ीय ब़ीमा योजना काडट या स्मार्ट काडट है
ष्जसे सिकाि के अधधकारियों द्वािा बडे ही लोकवप्रय ढंग से प्रस्तुत ककया गया है। ७१% परिवािों का
उनके अपने नाम पि बैंक में खाता है। सवेक्षण के समय, बहुत कम लोग भाित सिकाि की प्रत्यक्ष नकद
हस्तांतिण लाभ योजना (Direct Cash Transfer Benefit) के बािे में जानते ्े। १८% परिवािों के
पास अंत्योदय िार्न काडट है जबकक ३२% परिवािों के पास ब़ीप़ीएल काडट है। अन्य के पास ए.प़ी.एल.
काडट है। मात्र महात्मा गाूँध़ी िाटरीय ग्राम़ीण िोजगाि अधधकाि योजना ही कें द्र सिकाि की ऐस़ी योजना है
ष्जसके बािे अधधकति ग्राम़ीणों को पता है।
चचक्रकत्सा व्यय: धचककत्सा व्यय पि एक प्रश्न के उत्ति में ७६% उत्तिदाताओं ने कहा की परिवाि के
सदस्यों के धचककत्सा उपचाि पि ५०००-१०००० रुपये के ब़ीच खचट ककए हैं। लगभग १४% उत्तिदाताओं ने
कहा की उन्होने एक वषट में धचककत्सा खचट के भलए १०००१-२०००० रुपए तक खचट कि र्दये। १०%
उत्तिदाताओं ने २०००० रुपए से अधधक खचट धचककत्सा उपचाि पि ककया ्ा ष्जसकी वजह से उनका
बजर् बबगड गया।
कारण और पलायन की प्रक्रक्रया: ७२% उत्तिदाताओं ने कहा की उनके परिवाि के सदस्यों को गांव में
अपयाटप्त िोजगाि के अवसिों की कम़ी के कािण र्हि पलायन किना पडा जबकक १४% उत्तिदाताओं ने
कहा की परिवाि की पिंपिागत आज़ीववका से आय में कम़ी की वजह से परिवाि के सदस्यों को र्हि
पलायन किना पडा। १२% उत्तिदाताओं का कहना ्ा की वो अपने बच्चों के भववटय को लेकि बहुत
धचंनतत हैं औि र्ादी ब्याह व भर्क्षा आर्द में मदद के भलए अनतरिक्त आय की तलार् में परिवाि के
सदस्य पलायन पि मजबि हुए। १४% लोगों ने पलायन बबचोभलयों या ठेके दािों के माध्यम से ककया ्ा
जबकक ८६% लोगों ने पलायन बबचोभलयों या ठेके दािों के माध्यम के बबना ककया ्ा। ८७% परिवािों में से
के वल एक ही व्यष्क्त ने, ज्यादाति पुरुष, िोजगाि की तलार् में या बेहति िोजगाि के भलए पलायन
ककया। ९% परिवािों के २ औि ४% परिवािों के ३ या उससे अधधक सदस्यों ने र्हिी क्षेत्रों में पलायन
ककया।
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प्रिासी मजदूरों की आय और प्रेषण: उत्तिदाताओं के अनुसाि २६% प्रवाभसयों की आय प्रनत माह
५००० रुपये है जबकक ६२% प्रवाभसयों की प्रनत माह आय ५००१-७००० रुपये के ब़ीच है। तकिीबन १२%
प्रवास़ी हि महीने ७००१-१०००० रुपये तक कमा लेते हैं। कोई भ़ी परिवाि इस बात का दावा नहीं किता
की उनके सदस्य १०००० रुपये से अधधक कमा पाते हैं। कु ल सवेक्षण परिवािों में ५५% परिवािों ने कहा
की उन्हे प्रवाभसयों से ननयभमत तौि पि पैसा भमलता िहता है, २०% परिवािों ने अननयभमतता की बात
कही यानन उन्हे कभ़ी कभ़ी पैसा भमलता है औि १०% लोगों ने कहा की उन्हें पैसा भसफट जरूित पडने पि
ही भमलता है जेंसे उपचाि आर्द के भलए। जबकक १५% परिवािों का कहना ्ा की उन्हें अभ़ी तक
प्रवाभसयों की ओि से कोई पैसा नहीं भमला है। उन परिवािों में से ष्जन्हें ननयभमत तौि पि पैसा भमलता
है, हि महीने ६०% परिवािों को २००० रुपये तक औि ३५% परिवािों को २००१ से ५००० रुपये भमलते हैं।
भसफट ५% परिवािों का ही कहना ्ा की वो हि महीने ५००१ रुपये प्राप्त किते हैं। उन परिवािों में से
ष्जन्हें ननयभमत तौि पि पैसा भमल िहा है उनमें से ६१% लोगों का कहना है की मुख्य रूप से पैसा
माभसक जरूितों को पिा किने के भलए इस्तेमाल ककया जाता है जैसे भोजन, ईंधन, कपडे, दवाई, बच्चों
के स्कल से संबंधधत खचे औि अन्य दैननक उपयोग की च़ीजें। २७% परिवािों का कहना ्ा की उन्होने
पैसा मुख्यत: पक्का घि बनाने पि खचट ककया है या कि िहे हैं। बचे हुए १२% उत्तिदाताओं का कहना
्ा की उन्होने कजट चुकाने में पैसे का इस्तेमाल ककया। र्दलचस्प बात ये है की १४% उत्तिदाताओं ने
कहा की र्हिी क्षेत्र में िोजगाि के भलए उनके परिवाि के सदस्य के पलायन के बाद से घि की समग्र
ववत्त़ीय ष्स््नत में सुधाि हुआ है। जबकक ८०% उत्तिदाताओं ने कहा की र्हिी क्षेत्र में िोजगाि के भलए
उनके परिवाि के सदस्य के पलायन के बाद से भ़ी घि की समग्र ववत्त़ीय ष्स््नत में कोई सुधाि नहीं
हुआ है। इसके अलावा ६% उत्तिदाताओं ने भर्कायत भ़ी की कक परिवाि के सदस्य के पलायन के बाद
उनके घि की ववत्त़ीय ष्स््नत औि खिाब हो गय़ी।
पलायन के नकारात्मक प्रभाि: परिवािों पि प्रवास के नकािात्मक प्रभाव पि, प्रवास़ी औि परिवाि के
ब़ीच भौनतक दिी उत्तिदाताओं को सबसे ज़्यादा पिेर्ान कित़ी है। ६८% उत्तिदाताओं ने कहा की कई
बाि ये बात घाव की तिह चुभत़ी है की आपके अपने प्यािे आपसे इतऩी दि अके ले िह िहे हैं। १४%
परिवािों का कहना ्ा की प्रवाभसयों द्वािा परिवाि के अन्य सदस्यों के बािे में धचंता ना किना या बढ़े
माूँ बाप की कोई पिवाह ना किना पलायन का सबसे खिाब पहल है। ८% उत्तिदाताओं ने कहा की
बच्चों का अपने बाप की संगनत से वंधचत िह जाना धचंता का ववषय है औि इसका नत़ीजा बच्चों के
व्यवहाि में असभ्यता होता है। ६% उत्तिदाताओं ने कहा की गांव में प्रवास़ी पनतयों औि पत्ऩी के ब़ीच
लंब़ी दिी परिवाि में आपस़ी संदेह औि तनाव का माहौल पैदा कित़ी है। ४% उत्तिदाताओं का कहना ्ा
की प्रवास़ी र्हिो की संस्कृ नत गाूँव में लाते हैं जो एक खतिनाक प्रवृष्त्त है।
सरकारी उदासीनता: क्षेत्र में काम के दौिान ये देखा गया की कोई सिकािी अधधकािी या संस््ा पलायन
की प्रकक्रया पि नजि नहीं िखे हुए है। सिपंच औि अन्य ग्राम पंचायत के सदस्यों के सा् ही ष्जला
प्रर्ासन भ़ी इस बात से भली भांनत अवगत हैं की सवेक्षण ष्जलों से बड़ी संख्या में लोग पलायन कि िहे
हैं। आधधकारिक तौि पि, ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्ति प्रर्ासन या ष्जला प्रर्ासन के पास प्रवास के बािे में
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डेर्ा बनाए िखने के भलए कोई व्यवस््ा नहीं है। उन्हें अंतिाटज्य़ीय प्रवास़ी पुरुष औि मर्हला अधधननयम,
1979 के प्रावधानों की भ़ी कोई जानकािी नहीं है।
प्रमुख सुझाि
1. अ्पकाभलक प्रवास पि भलंग औि उम्र के अनुसाि अलग अलग ववविण, प्रवास के ववभभन्न
कािण, मर्हलाओं के प्रवास के ववभभन्न कािण औि बच्चों के प्रवास के ववभभन्न कािणों के
ववविण को पयाटप्त रूप से दर्ाटने के भलए प्रवास पि जनगणना औि िाटरीय नमना सवेक्षण के
डडजाइन को संर्ोधधत किना। आंतरिक प्रवास का ववस्तृत देर्व्याप़ी मानधचत्रण का संचालन
(नागरिक समाज संगठनों औि श्रम ववभागों के सहयोग से पंचायत स्ति पि) किना। िाज्य स्ति
के अनुसंधान संस््ानों को िाज्यवाि पलायन की प्रकृ नत का मानधचत्रण, समय ननधाटिण, अवधध,
प्रवास चक्र का ववस्ताि सर्हत िाज्य प्रवासन प्रोफाइल को ववकभसत किने के भलए प्रोत्सार्हत
किना।
2. िाज्य सिकािों को पलायन की आर्ंका वाले ष्जलों की पहचान किऩी चार्हए जहां मनिेगा को
ठीक से लाग नहीं ककया गया है, ष्जला मष्जस्रेर् को युद्ध स्ति पि समस्याओं का समाधान किने
के भलए ननदेर् जािी ककए जाने चार्हए। गांवों में भसंचाई औि बबजली की आपनतट को बढ़ावा देने
के भलए पलायन की आर्ंका वाले क्षेत्रों में व्यापक ष्जला स्तिीय योजनाओं की आवश्यकता है।
इससे गांवों में कृ वष औि ज़ीवन स्ति में सुधाि लाने में मदद भमलेग़ी। िाटरीय ग्राम़ीण आज़ीववका
भमर्न को ठीक से प्रवास की आर्ंका वाले ष्जलों में लाग ककया जाना चार्हए।
3. ग्राम पंचायतों को पलायन से पहले प्रवास़ी मजदिों को प्रमार्णत किने के भलए अधधकृ त ककया
जाना चार्हए इसके अलावा प्रवाभसयों को आवश्यक फोन नंबि के सा् प्रमाण पत्र औि एक काडट
जािी ककया जा सकता है जहां वो गंतव्य जगह से ककस़ी भ़ी संकर् के मामले में कॉल कि सकते
हैं।
4. प्रवास़ी आबादी के भलए सभ़ी सामाष्जक सुिक्षा औि क्याण योजनाओं का लाभ सुननष्श्चत किने
के सा् ही प्रवाभसयों के र्खलाफ ककस़ी भ़ी तिह के भेदभावपणट व्यवहाि पि िोक लगाने के भलए
एक व्यापक प्रवाभसयों के अधधकािों का कानन बनाना। ववधान में पंज़ीकिण, प्ऱीभमयम का
भुगतान (जहां लाग हो) औि सभ़ी के न्द्र प्रायोष्जत सामाष्जक सुिक्षा कायटक्रमों के लाभों की प्राष्प्त
के मामले में पिी पोर्ेबबभलर्ी को र्ाभमल किना चार्हए इस बात की पिवाह ककए बगैि की प्रवास़ी
कहाूँ िहते हैं। ववर्ेष रूप से, सावटजननक ववतिण प्रणाली औि खाना पकाने के ईंधन के भलए
रियायत़ी िसोई गैस कनेक्र्न के माध्यम से सस्ते िार्न के लाभ की पोर्ेबबभलर्ी को सुननष्श्चत
ककया जाना चार्हए।
5. सभ़ी क्षेत्रों में न्यनतम मजदिी में वृवद्ध त्ा प्रनत माह न्यनतम मजदिी १०,००० रुपये की दि से
बढ़ाने की सभ़ी रेड यननयनों की मांग को पिा किना।
8. 8 | P a g e
पररचय
आंतरिक पलायन ककस़ी भ़ी देर् के आध्टक औि सामाष्जक ज़ीवन का एक अननवायट औि अपरिहायट घर्क
है। प्रवास़ी मजदि अस््ाय़ी औि अर्दश्य जनसंख्या है। वे स्रोत औि गंतव्य क्षेत्रों के मध्य त्ा समाज
की परिधध पि िहते है1
। भमंडलीकिण के युग में भाित में हो िहे सामाष्जक औि आध्टक परिवतटन पि
आंतरिक पलायन प्रकक्रया की एक मजबत छाप है। भाित में आध्टक सुधािोंका दौि र्ुरू होने से पहले
१९८० के दर्क में आंतरिक पलायन की गनतऱ्ीलता में धगिावर् के संके त भमले ्े2
। हालांकक, बाद के
आध्टक सुधाि के दौि ने आंतरिक पलायन में उछाल को देखा है ष्जसकी पुष्टर् भाित की जनगणना
२००१ औि २००७-०८ के दौिान ककए गए एनएसएसओ अध्ययन मे देख़ी गय़ीं है। आध्टक सुधाि ऩीनत का
उद्देश्य िाजकोष़ीय घार्े को कम कि सिकािी खचट को कम किना, ननयाटत आधारित ववकास को बढ़ावा
देना, सिकािी ननयंत्रण औि लाइसेंभसंग को कम किना, औि प्रनतस्पधाट औि दक्षता के भलए ननज़ी
भाग़ीदािी को प्रोत्सार्हत किना है।
आध्टक सुधािोंके सम्टक औि वविोधक दोनों द्वािा यह तकट र्दया जाता है की आध्टक सुधािों से आबादी
के आंतरिक पलायन में भािी वृवद्ध हुई है। सम्टकों के नुसाि ववदेऱ्ी ननवेर् औि प्रनतस्पधाट से आध्टक
वृवद्ध औि िोजगाि के अवसिों को बढ़ावा भमला है। इससे ग्राम से र्हिी पलायन की प्रकक्रया प्रेरित हुई है।
दसिी ओि, आध्टक सुधाि के वविोधधयों का आिोप है की नई ऩीनत ने कृ वष के सा् सा् ग्राम़ीण औि
कु र्ीि उद्योगों को दरिद्री ककया है ष्जसके परिणामस्वरूप ग्राम़ीण आबादी बुिी तिह से प्रभाववत हुई है।
यह ष्स््त़ी आज़ीववका की खोज में र्हिी क्षेत्रों की ओि लोगो को पलायन किने के भलए प्रेरित कि िही
है3
।
प्रख्यात पत्रकाि प़ी. साईना् के नुसाि, १९९३ में मुंबई के भलए आंध्र प्रदेर् के महबब नगि से हि हफ्ते
भसफट एक ही बस सेवा ़्ी वही २००३ में, ननज़ी बस सेवा को छोडकि, इन दोनों स््ानों के ब़ीच हि हफ्ते
चलने वाली ४५ बसे ़्ी। साईना् कहते है की २००८ के बाद से, महात्मा गांध़ी िाटरीय ग्राम़ीण िोजगाि
गािंर्ी योजना )मनिेगा( के कािण सप्ताह में २८ बसे ही हो गय़ी।4
एक अन्य उदाहिण में, भाित़ीय िेलवे
ने ववर्ेष स््लों के ब़ीच त्योहािी स़ीजन के दौिान अपऩी सेवाओं को बढ़ाने की बात कही है। उदाहिण के
भलए, २०११ में, उत्ति िेलवे ने छट्ट त्योहाि के दौिान यात्रा किने वाले याबत्रयों की भ़ीड को कम किने के
1
According to the Indian Census, a person is considered as migrant if his place of birth is different from
the place where he is being enumerated or if the place in which he is being enumerated during the
census is other than his place of last residence.
2
Amitabh Kundu and Shalini Gupta, “Migration, Urbanization and Regional Inequality,”Economic and
Political Weekly, XXVIII(29), pp. 3079--98, 1996.
3
Amitabh Kundu, “Trends and Structure of Employment in the 1990s: Implication for Urban Growth’,
Economic and Political Weekly, 32(4), pp. 1399--1405, 1997.
4
P. Sainath, “The Bus to Mumbai”, The Hindu, June 1, 2003 and P. Sainath, NREGA Hits Buses to
Mumbai, The Hindu, May 31, 2008.
9. 9 | P a g e
भलए ७४ ववर्ेष िेलगाडडयो को चलाया। इस़ी तिह, २०१२ में दक्षक्षण़ी िेलवे ने पोंगल उत्सव के दौिान
याबत्रयों के भलए ववर्ेष रेनों को चलाया5
।
प्रवास़ी मजदिों के प्रमुख गंतव्य क्षेत्रों मे र्द्ली, महािाटर, गुजिात, हरियाणा, पंजाब औि कनाटर्क हैं
जबकक आंतरिक ववस््ावपतों की श्रेण़ी मे उत्ति प्रदेर्, बबहाि, िाजस््ान, मध्य प्रदेर्, आंध्र प्रदेर्,
छत्त़ीसगढ, झािखंड, ओडडर्ा, उत्तिाखंड औि तभमलनाडु जैसे िाज्य सष्म्मभलत हैं। भभन्न िाज्यो के
भ़ीति प्रवास़ी मजदिोंके ववभर्टर् पलायन गभलयािे बने हुए हैं6
। इनमे प्रमुख है बबहाि से िाटरीय
िाजधाऩी क्षेत्र (एन.स़ी.आि.), बबहाि से पंजाब, उत्ति प्रदेर् से महािाटर, ओडडर्ा से गुजिात, ओडडर्ा से
आंध्र प्रदेर् औि िाजस््ान से गुजिात में मजदिों का पलायन। वपछले कु छ सालों मे बंगाल से के िला औि
झािखंड से एन.स़ी.आि. यह नए गभलयािे भ़ी उत्पन्न हुए है।
अधधकति प्रवास़ी मजदिों को समाज के आध्टक, सामाष्जक, सांस्कृ नतक औि िाजऩीनतक ज़ीवन से बाहि
िखा गया है। इनके सा् अक्सि, कभ़ी स््ाऩीय समुदाय द्वािा तो कभ़ी स््ाऩीय अधधकारियों द्वािा,
दसिी श्रेण़ी के नागरिक के रूप में व्यवहाि ककया जाता हैं । अपऩी िोजमिाट की ष्जंदग़ी मे प्रवास़ी मजदिों
को स््ाऩीय पहचान के सबत, िाजऩीनतक प्रनतननधधत्व की कम़ी, स््ाऩीय ननवास या ककिायेदाि अधधकािों
की कम़ी, सस्ते िार्न या बच्चों के भलए मुफ्त स्कली भर्क्षा जैसे सामाष्जक सुिक्षा लाभ आर्द की कम़ी
जैस़ी कर्ठनाइयों का सामना किना पडता है। कम वेतन होने पि भ़ी असुिक्षक्षत खतिनाक काम ज्यादा
ति प्रवास़ी मजदि ही किते है। प्रवास़ी श्रभमकों की बहुत बड़ी संख्या अनौपचारिक क्षेत्र में काम कित़ी
है ष्जनमे ज्यादाति श्रभमक असंगर्ठत हैं औि उन्हें बहुत कम या कोई सामाष्जक सुिक्षा लाभ नहीं है।
इसके अलावा, उनके काम की परिष्स््नतयां ज्यादाति असुिक्षक्षत, र्ोषक औि गरिमा को चोर् पहुंचाने
वाली हैं।
इसके अनतरिक्त इनके र्खलाफ एक नफित का अभभयान भ़ी चलता िहता है। भाित के संववधान का
अनुच्छेद 19 सभ़ी नागरिकों को " भाित के ककस़ी भ़ी क्षेत्र में आसाऩी से आने--जाने के भलए, भाित के
िाज्यक्षेत्र के ककस़ी भ़ी भाग में बसने के भलए स्वतंत्रता प्रदान किता है। इस प्रावधान के बावजद आंतरिक
प्रवाभसयों के र्खलाफ भेदभाव औि पवाटग्रह अधधक तेज़ी के सा् बढ़े हैं।
5
S. Chandrasekhar and Ajay Sharma, “On the Internal Mobility of Indians: Knowledge Gaps and
Emerging Concerns”, WP-2012--023, Indira Gandhi Institute of Development Research, Mumbai,
September 2012 (www.igidr.ac.in/pdf/publication/WP-2012-023.pdf).
6
UNESCO/UNICEF, National Workshop on Migration and Human Development in India, 6--7 December,
२०११ , Workshop Compendium, Vol. 1: Workshop Report, New Delhi, 2012.
10. 10 | P a g e
आंतरिक पलायन की दर्ा की सबसे अच्छी अभभव्यष्क्त हषट मंदि औि गायत्ऱी सहगल द्वािा इस प्रकाि
की गय़ी है -
“भाित के लाखों दरिद्री औि वपड़ीत पुरुष, मर्हला औि बच्चे हि साल ग्राम़ीण इलांको से र्हि में
पलायन किते है। िोजगाि की तलार् में औि ज़ीने की तडप में - अपने भसि पे मामली जरूिते पिा किने
का सामान भलए - कभ़ी भ़ीड भिी रेनों मे, बस की छत पे बैठकि, र्ेम्पो औि रक्स में तो कभ़ी पैदल ही
यह जनसंख्या ननकल पडत़ी है। कु छ लोग अके ले ही आते है तो कु छ भमत्र या परिवाि के सा्। कु छ
लोग एक मौसम ठहिते है तो कु छ कई साल औि कई लोग हमेर्ा के भलए बस जाते है। अधधकति लोगों
को कम भुगतान औि असुिक्षक्षत व्यवसाय जैसे अपभर्टर् उठाना, रिक्र्ा ख़ींचना, इमाितों औि सडकों के
ननमाटण, या लोगों के घिों में काम आदी का सहािा लेना होता है। र्हि को तमाम जरूिी सेवा देने पि
भ़ी इन लोगो का स्वागत नहीं होता। इनके सा् अक्सि घुसपैर्ठयों औि नाजायज नागरिक के रूप में
व्यवहाि ककया जाता है। ये अपऩी सेवा के बावजद अस््ाय़ी झुष्गगयों, प्लाष्स्र्क की चादि के ऩीचे, या
सडकों पि औि िात्ऱी-आश्रयों में िहते हैं। पुभलस औि नगि ननगम के अधधकािी इन्हे बेहद पिेर्ान किते है
औि र्हि से दि िखने मे लगे िहते है। कानन ककताबों मे तो र्ायद इन्हे बचाता है ककन्तु वास्तववकता
मे नहीं। इनकी मजदिी की दिें अक्सि र्ोषक, अवैध औि अननष्श्चत होत़ी है, काम के घंर्े लंबे, औि
िोजगाि की ष्स््नत स्वास्् के भलए हाननकािक औि असुिक्षक्षत हो जात़ी है। वे अक्सि आसाऩी से
मतदान का अधधकाि, िार्न काडट, अपने बच्चों के भलए पिक भोजन औि स्कल दार्खले की तिह र्हि में
भ़ी प्रा्भमक नागरिकता के अधधकाि का उपयोग किने में असम्ट हैं। इनकी संख्या पयाटप्त हैं, इनका
आध्टक योगदान अतु्य है ककन्तु कफि भ़ी आंतरिक प्रवास़ी सावटजननक ऩीनत की परिधध पि ही िह जाते
हैं।7
”
प्रवास़ी मजदिों की पलायन कक्रया का ववश्लेषण दो पिस्पि-वविोध़ी बबंदुयों से ककया जाता है। यह दो बबंदु
है - पंज़ीवादी ववकास का संिचनात्मक तकट बनाम व्यष्क्तगत समझदािी त्ा घिेल व्यवहाि 8
। पहली
ववचािधािा आबादी को ऐनतहाभसक तौि पि ष्स््ि मानत़ी हैं उनके भलए पलायन इच्छा से नहीं होता है
बष््क समाज में ववर्ेष रूप से उत्पन्न परिष्स््त़ी औि गिीब़ी के कािण होता है। इनके अनुसाि,
पलायन के भलए मजबि इस श्रेण़ी में सामाष्जक वपिाभमड के ननचले भाग – जैसे के सबसे गिीब तबके
औि अभर्क्ष़ीत या कम भर्क्षक्षत समह आते है। भाित़ीय संदभट में अधधकति अनुसधचत जानत, अनुसधचत
जनजानत औि अ्पसंख्यांक समह जो संपष्त्त औि कु र्लता की क्षमताओं से वंधचत हैं – इस श्रेण़ी में
आते है। यह तबके ग्राम़ीण इलाकोंसे काम किने के भलए र्हिोंमे पलायन किते है क्योकक लोगों को
7
Harsh Mander and Gayatri Sahgal, Internal Migration in India: Distress and Opportunities, A Study
Commissioned by Dan Church India, 2010.
8
A. de Haan and B. Rogaly, Introduction: Migrant Workers and their Role in Rural Change, Journal of
Development Studies, 37(5), 2002.
11. 11 | P a g e
मजदिी की दि अक्सि उनके स्रोत क्षेत्र की तुलना में अधधक लगत़ी है9
। यह पलायन प्रकाि उनके ज़ीवन
स्ति मे कोई उत््ान नहीं लाता पि उन्हें भुखमिी औि मौत से बचने मे मदद किता है10
।
दसिी ववचािधािा ववश्वास िखत़ी है की पलायन या स््ानांतिण में मानव ववकास के ववभभन्न आयामों में
सुधाि लाने की क्षमता है11
। पलायन यह मानव स्वतंत्रता का बुननयादी घर्क है औि मानव इनतहास की
एक प्रमुख ववर्ेषता है12
। आम तौि पि इस श्रेण़ी का पलायन उच्च सामाष्जक ष्स््नत के समह जो
भर्क्षा, कौर्ल औि संपष्त्त से लैस हैं उनके द्वािा ककया जाता है। भाित़ीय संदभट में, अन्य वपछड़ी
जानतयां औि ऊूँ च़ी जात़ी के गिीब इस प्रकाि के पलायन मे प्रबल रूप मे र्दखते है13
। वे छोर्ी
औद्योधगक इकाइयों त्ा सुिक्षा सेवाओं में नौकरियां, पाइपलाइन, बढ़ईग़ीिी आर्द अनौपचारिक क्षेत्र में
ष्स््त काम किते है। हालांकक, यहां पे काम की ष्स््नत को पहले वगट की तुलना में बेहति कहा जा
सकता है। अध्ययनों से पता चलता है इस श्रेण़ी के अधधकति प्रवास़ी मजदि संचय़ी िणऩीनतयों को लाग
कि उनके परिवािों को गिीब़ी िेखा से ऊपि उठाने में सक्षम िहे हैं14
।
वास्तव में, दोनों र्दष्टर्कोण पािस्परिक संबष्न्धत हैं। दोनोंमे यह पाया जाता है की प्रवास़ी मजदिों की
स्त्रोत जगंहो पे कम आय, ननम्न साक्षिता, गिीब़ी औि कृ वष की दरिद्री हालत पलायन के कािकों में
प्रमुख है। दसिी ओि अधधक आय, उच्च साक्षिता, उद्योग औि सेवाओं के प्रसाि औि ज़ीवन में प्रगत़ी
की अभभलाषा गंतव्य स््ानों के सा् जुडे र्खचाव के प्रमुख कािक हैं। प्रवास़ी मजदिों का पलायन इन
दोनों कािकों के भमलन का ही परिणाम है।
9
K Bird and P Deshingkar, “Circular migration in India”, ODI Policy Brief No. 4, 2009.
10
H Waddington and R. Sabates Wheeler, “How Does Poverty Affect Migration Choice? A Review of
Literature”, IDS Working Paper, T3, 2003.
11
UNDP, India Urban Poverty Report, 2009.
12
Harsh Mander and Gayatri Sahgal, Internal Migration in India: Distress and Opportunities, A Study
Commissioned by Dan Church India, 2010.
13
P. Deshingkar, S Akter, J Farrington, P Sharma and S Kumar, “Circular Migration in Madhya Pradesh:
Changing Patterns and Social Protection Needs”, The European Journal of Development, 612–628, 2008.
14
P. Deshingkar, S Akter, J Farrington, P Sharma and S Kumar, “Circular Migration in Madhya Pradesh:
Changing Patterns and Social Protection Needs”, The European Journal of Development, 612–628, 2008
and H Waddington and R. Sabates Wheeler, “How Does Poverty Affect Migration Choice? A Review of
Literature”, IDS Working Paper, T3, 2003.
12. 12 | P a g e
पलायन आांकड़ो के स्रोत
भाित की जनगणना औि िाटरीय नमना सवेक्षण संगठन (एन.एस.एस.ओ.) यह पलायन आंकडे प्राप्त
किने के दो प्रामार्णक स्रोत है। ऐनतहाभसक तौि पि पलायन के बािे में जानकािी १८७२ के बाद एकबत्रत
की गय़ी। यह १९६१ तक के वल जन्म स््ान के बािे में जानकािी तक ही स़ीभमत ़्ी। १९६१ के बाद
पलायन के बािे में जानकािी इकट्ठा किने के भलए ग्राम़ीण या र्हिी जन्म स््ान औि ननवास की अवधध
को सष्म्मभलत ककया गया। १९७१ की जनगणना के बाद से आकडे जन्म स््ान के प्रश्न के अनतरिक्त
वपछले ननवास स््ान के आधाि पि भ़ी एकबत्रत ककये जा िहे है। “जनगणना में पलायन के कािण” की
पछताछ १९८१ से र्ुरू की गय़ीं़्ी। ननवास स््ान से पलायन के भलए ननम्नभलर्खत कािणों पि प्रश्न ककए
जाते है ष्जनमे कायट/िोजगाि, व्यापाि, भर्क्षा, वववाह, घिेल, ककस़ी अन्य के सा् चले गए, जन्म के बाद
चले गए आर्द सष्म्मभलत है।
भाित की जनगणना में पलायन के दो प्रकाि है, पलायन वपछले ननवास स््ान से औि जन्म स््ान से।
जब व्यक्त़ी की गणना उस स््ान पे होत़ी है जो उसके जन्म स््ान से भभन्न है तो उसे जन्मस््ान से
पलायन की श्रेण़ी में िखा जाता है। दो जनगणनाओं में जब व्यक्त़ी के ननवास स््ान भभन्न होते है तब
उसे पलायन की दसिी श्रेण़ी में िखा जाता है। २००१ की जनगणना के अनुसाि भाित में वपछले ननवास
से पलायन की श्रेण़ी में प्रवाभसयों की कु ल संख्या ३१.४ किोड ़्ी। १९९१–२००१ इस दर्क मे ९.८ किोड
लोग अपऩी ननवास जगह से एक नई जगह चले गए। इन प्रवाभसयों में से, ८.१ किोड िाज्य के भ़ीति के
प्रवाभस, १.७ किोड अंतिाटज्य़ीय प्रवास़ी औि ७ लाख आंतििाटरीय प्रवास़ी ्े। सबसे बड़ी संख्या िाज्य के
ककस़ी एक भाग से दसिे भाग में पलायन किने वालों की है। र्ादी के बाद मर्हलाओं द्वािा ननवास का
परिवतटन इस अनुपात का एक महत्वपणट घर्क है।
पलायन का स्त्रोत क्षेत्र औि गंतव्य स््ान इन दोनों जगह पे आध्टक औि सामाष्जक ववकास की ष्स््त़ी
के नुसाि पलायन के भभन्न-भभन्न स्वरुप पाए जाते है। इसमे जबसे मुख्य है ग्राम़ीण से ग्राम़ीण क्षेत्र में
पलायन। सन २००१ की जनगणना के अनुसाि १९९१ से २००१ के ब़ीच ५.३ किोड लोग एक गाूँव से दुसिे
गाूँव चले गए। इस दौिान गाूँवों से र्हिों की औि प्रवाभसयों की संख्या २.१ किोड ़्ी। जहा र्हिी क्षेत्र से
ग्राम़ीण क्षेत्र में गए प्रवाभसयों की संख्या ६२ लाख ़्ी वही एक र्हिी क्षेत्र से दुसिे र्हिी क्षेत्र में गए
प्रवाभसयों की संख्या १.४ किोड ़्ी। २००१ की जनगणना के अनुसाि, वपछले एक दर्क के दौिान
महािाटर िाज्य में कु ल प्रवास़ी सबसे ज्यादा ्े। कु ल प्रवास़ी संख्या उस िाज्य में आने वाले प्रवास़ी
औि िाज्य से बाहि जाने वाले प्रवास़ी इनका अनुपात है। इसके अनुसाि, महािाटर 23.8 लाख कु ल
प्रवाभसयों के सा् ऱ्ीषट पि ्ा जब की इसके बाद र्द्ली (१७.६ लाख), गुजिात (६.८ लाख) औि
हरियाणा (६.७ लाख) इन िाज्यों का स््ान ्ा। यही आंकडे उत्ति प्रदेर् औि बबहाि इन िाज्यों के भलए
क्रमर्: - २६.९ लाख औि – १७.२ लाख ्े। याऩी ष्जतने प्रवास़ी उत्ति प्रदेर् में आये उससे २६.९ लाख
ज्यादा प्रवास़ी यहाूँ से दुसिे िाज्यों में गए।
सन २००१ के जनगणना के अनुसाि देर् के ववभभन्न र्हस्सों से महानगिों में बड़ी तादात में पलायन
हुआ। सबसे ज्यादा पलायन ग्रेर्ि मुंबई में (२४.९ लाख प्रवास़ी ) औि र्द्ली में (२१.१ लाख प्रवास़ी )
13. 13 | P a g e
हुआ। सन २०११ के आिंभभक आकं डो के नुसाि महानगिों में हुए पलायन का आकडा कई गुना बढ़ने के
आसाि है। Indian Institute of Human Settlement (IIHS) इस संस््ा के अध्ययन नुसाि सन २००१-
२०११ के दर्क में र्द्ली र्हि में सबसे ज्यादा प्रवास़ी बसे है। यदी र्द्ली के सा् िाटरीय िाजधाऩी
क्षेत्र के गुडगाूँव, नोएडा, गाष्जयाबाद औि फिीदाबाद र्हिों को जोडा जाए तो यहाूँ पि स््ानांतिीत हुए
प्रवास़ी मजदिोंकी संख्या कई गुना बढ़ जायेग़ी। र्द्ली में भाित़ीय महानगिों के ब़ीच सबसे अधधक प्रनत
व्यष्क्त आय औि आय में वृवद्ध दजट हुई है, वहीं समग्रता में िाटरीय िाजधाऩी क्षेत्र में ववर्ाल धन,
संसाधनों, बुननयादी ढांचे औि र्हिी सेवाओं की एकाग्रता से ज़ीवन स्ति उच्च गुणवत्ता का है। िाटरीय
िाजधाऩी क्षेत्र में सेवा क्षेत्र की नौकरियों की बड़ी संख्या के अनतरिक्त अनौपचारिक क्षेत्र में िोजगाि की
अधधक संभावना उत्पन्न हुई है15
।
२००७-०८ के एनएसएसओ सवेक्षण से पता चलता है की देर् मे ३२६ भमभलयन लोग या आबादी का
२८.५% आंतरिक ववस््ावपतों या प्रवाभसयों का हैं। कु ल आंतरिक ववस््ावपतों में ७०% मर्हलाएं हैं, जबकक
१५-२९ साल के आयु समह के व्यष्क्तयों का प्रनतर्त ३०% है16
। एक अनुमान के अनुसाि लगभग १५
भमभलयन बच्चों का आंतरिक ववस््ापन हुआ है17
। कफि भ़ी, प्रवास़ी आबादी मे मर्हलायें औि बच्चें यह
अर्दश्य घर्क के रूप मे िहते हैं। प्रवास़ी मर्हलाओं की अधधकतम संख्या “वववाह द्वािा प्रवाभस’ श्रेण़ी में
है ककन्तु कई ववद्वानों का मानना है की र्ादी के बाद ववस््ाप़ीत होने के बाद इनमें से ज्यादाति
मर्हलांए अनौपचारिक क्षेत्र में काम कित़ी है। याऩी वे दिअसल प्रवास़ी मजदि है। जनगणना के वल
पलायन की प्रा्भमक वजह को दजट किता है इस़ी भलये उनके परिवािों के भलए कमाई कि िही प्रवास़ी
मर्हलाओं की वास्तववक संख्या अनुमान की तुलना में अधधक है।
15
Anahita Mukherjee, “Flow of Migrants Highest to Delhi, not Maharashtra”, TNN, Dec 6, २०११ .
16
I S Rajan, Internal Migration and Youth in India: Main Features, Trends and Emerging Challenges, New
Delhi, UNESCO, 2013.
17
Smita, “Distress Seasonal Migration and its Impact on Children’s Education”, Brighton, CREATE
Pathways to Access Research Monograph No. 28, 2008.
14. 14 | P a g e
पलायन के विसभन्न प्रिाह
पलायन चाि प्रकाि के होते है: ग्राम से ग्राम, ग्राम से र्हि, र्हि से र्हि औि र्हि से ग्राम की ओि।
भाित मे एक ही िाज्य में एक जगह से दसिी जगह पि स््ानांतिीत हुये आंतरिक प्रवास़ी कु ल आंतरिक
प्रवाभसयों का ८६% र्हस्सा है जब की एक िाज्य से दुसिे िाज्य में पलायन किने वाले प्रवास़ी १३% है।
अन्य १% लोग भाित से दुसिे देर्ों में जाने वाले है। िाज्य के अंदि के प्रवाभसयों में मर्हलायों की संख्या
पुरुषों की तुलना में कई गुना ज्यादा है। एक िाज्य से दुसिे िाज्य में पलायन किने वाले प्रवाभसयों में
पुरुषों की संख्या मर्हलायों से ज्यादा है। पुरुषों के ववस््ापन में आध्टक वजह को प्रा्भमकता से दजट
ककया गया है।
ग्राम से ग्राम प्रिास: यह देर् में एक प्रमुख पलायन धािा है। देर् की कृ वष अ्टव्यवस््ा इस धािा के
माध्यम से परिलक्षक्षत होत़ी है। इस धािा में, मर्हलाये पुरुषों की तुलना में अधधक संख्या में हैं। यद्यवप
र्ादी से प्रेरित मर्हला पलायन द्वािा अधधक पंज़ीकृ त हुई है।
ग्राम से शहर प्रिास: यह देर् की दसिी प्रमुख धािा है। यह धािा गैि कृ वष क्षेत्रों के भलए कृ वष से लोगों
के पलायन को इंधगत कित़ी है। अंतिाटज्य़ीय प्रवाभसयों में ग्राम से र्हि पलायन किने वालों की संख्या
३७.९% है।
शहर से शहर का प्रिास: पलायन की यह धािा मुख्य रूप से आध्टक कािणों से प्रेरित है औि ‘Step
Migration’ याऩी उच्च स््ान पि पलायन के रूप में देख़ी जात़ी है। िोजगाि की संभावनाओं में सुधाि
किने की र्दष्टर् से लोग एक र्हि से दसिे र्हिी कें द्र में स््ानांतरित होते है। र्दलचस्प बात यह है की
इस श्रेण़ी में मर्हलांए पुरुषों के बिाबि स््ानांतिीत होत़ी है। अनुमान लगाया जा सकता है की पिा
परिवाि एक र्हिी जगह से दसिी र्हिी जगह मे पलायन किता है।
शहर से ग्राम को प्रिास: यह अपेक्षाकृ त कम महत्वपणट धािा है। इस धािा के अष्स्तत्व के त़ीन प्रमुख
कािण हैं। एक, र्हिी क्षेत्रों में िहने की उच्च लागत ने र्हिों के हाभर्ये पि ननवास किने के भलए लोगों
को प्रेरित ककया है। यह हाभर्ये तकऩीकी र्दटर्ी से ग्राम़ीण क्षेत्र में धगने जाते है। दो, सिकािी सेवाओं के
सा् ही र्हिों में ननज़ी काम से अवकार् ग्रहण किने वाले लोगों का उनके पैतृक स््ानों पि वावपस
जाना। त़ीन, आंतरिक औि आंतििाटरीय प्रवाभसयोंका अपने घि/गांव बसने के भलए के भलए लौर्कि
आना।
आंतरिक पलायन की त़ीव्रता मापने का प्रयास एन.एस.एस.ओ. ने लगाताि ककया है। सन १९९३ के
एन.एस.एस.ओ. अध्ययन के नुसाि भाित में किीब ३% घि ऐसे ्े ष्जन मे कम से कम १ व्यक्त़ी ने
आंतरिक पलायन ककया ्ा। सन २००७ के अध्ययन में यह संख्या बढ़कि कु ल घिों के ८% हुई औि इस
वक्त यह संख्या १४-१५% होने का अनुमान लगाया जा िहा है। सन २००७ के एन.एस.एस.ओ. अध्ययन
के नुसाि, सबसे ज्यादा र्हमाचल प्रदेर् में २०% घिों में कम से कम १ व्यक्त़ी ने आंतरिक पलायन
ककया है। हरियाणा में यह संख्या कु ल घिों के १७%, बबहाि औि झािखंड में १६%, उत्ति प्रदेर् में १५%
15. 15 | P a g e
औि के िल, िाजस््ान औि ओडडसा में ११% है। सन १९९३ में, प्रत़ी १००० घिों में ४१ व्यक्त़ी आंतरिक
पलायन किते पाए गए ्े जो आंकडा सन २००७ में १२२ व्यक्त़ी तक पहुच गया ्ा।
भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आांतररक प्रिाससयों की ष्स्ितत, 2007-0818
राज्य ग्रामीण घरों में
कम से कम
एक आांतररक
पलायन %में
ग्रामीण क्षेत्रों
में पुरुष
पलायन का %
शहरी घरों में
कम से कम
एक आांतररक
पलायन %में
शहरी क्षेत्रों में
पुरुष पलायन
का %
ग्रामीण क्षेत्रों
में 15-29
आयु समूह में
आांतररक
पलायन %में
शहरी क्षेत्रों में
15-29 आयु
समूह में
आांतररक
पलायन %में
आंध्र प्रदेर् 3.5 14.1 2.9 19.1 76.6 23.4
बबहाि-झािखंड 16.6 NA 9.5 NA 92.6 7.4
र्द्ली 8.7 60.5 3.8 33.7 13.4 86.6
गोवा 2.8 30.2 2.9 31.0 43.3 56.7
गुजिात 1.9 6.3 2.5 19.5 54.6 45.4
हरियाणा 14.9 57.4 20.3 49.2 63.2 36.8
र्हमाचल प्रदेर् 20.4 53.7 13.1 53.7 92.8 7.2
जम्म-कश्म़ीि 5.2 42.8 4.2 38.2 84.8 15.2
कनाटर्क 4.0 17.9 3.0 20.7 71.8 28.2
के िल 11.5 21.2 10.1 20.8 77.1 22.9
महािाटर 3.1 9.1 3.3 17.3 56.4 43.6
म.प्र.छत्त़ीसगढ़ 3.0 NA 4.5 38.4 69.8 30.2
18
NSSO 2007--08 data on migration.
16. 16 | P a g e
पवोत्ति 3.0 NA 4.0 37.1 80.7 19.3
ओडडर्ा 12.0 58.6 8.0 56.2 89.3 10.7
पंजाब 5.1 24.9 4.5 28.9 64.2 35.8
िाजस््ान 12.1 50.0 8.2 36.2 82.4 17.6
तभमलनाडु 3.6 19.5 3.1 21.3 60.1 39.9
कें .र्ा. प्रदेर् 6.3 28.1 7.8 43.5 47.5 52.5
उ.प्र.-उत्तिांचल 17.3 NA 9.1 NA 86.9 13.1
पष्श्चम बंगाल 7.6 48.2 6.7 47.3 76.2 23.8
समस्त भारत 9.0 NA 5.4 NA 80.7 19.3
17. 17 | P a g e
पलायन के कारण
भाित की जनगणना में १९८१ में पहली बाि पलायन के भलए कािण के बािे में प्रश्न सम्म़ीभलत ककया
्ा। 1991, २००१ औि २०११ की जनगणना में पलायन के कािणों की सच़ी वैस़ी ही िख़ी गय़ी मात्र
१९९१ में सच़ी में ‘व्यापाि’ को जोडा गया औि २००१ में सधच से "प्राकृ नतक आपदाओं" को हर्ा र्दया गया
्ा। सन २००१ में ‘जन्म के बाद’ स््ानांतिण यह कािण भ़ी सधच में र्ाभमल ककया गया। यह इस भलए
ककया गया क्योंकी मर्हलाओं की एक बड़ी संख्या प्रसव के समय बेहति धचककत्सा सुववधा पाने के भलए
अपने माूँ के ननवास मे जात़ी है औि प्रसुत़ी के बाद पत़ी के ननवास स््ान पि लौर् आत़ी है। ऐसे बच्चों
का वगीकिण ‘जन्म के बाद स््ानांतिण’ इस श्रेण़ी में ककया जाता है।
प्रिाससयों के अांततम तनिास से पलायन के कारण19
पलायन के कारण कु ल पलायन का प्रततशत
कु ल पुरुष महहला
कायय /रोजगार 14.7 37.6 3.2
व्यापार 1.2 2.9 0.3
सशक्षा 3.0 6.2 1.3
वििाह 43.8 2.1 64.9
जन्म के पश्चात
पलायन
6.7 10.4 4.8
घर ससमत पलायन 21 25.1 18.9
अन्य 9.7 15.7 6.7
उपिोक्त ताभलका से पता चलता है की पुरुषों औि मर्हलाओं के पलायन मामले में कािणों में काफी
भभन्नता है। काम या िोजगाि पुरुषों के ब़ीच पलायन (37.6%) के भलए सबसे महत्वपणट कािण है,
जबकक वपछले ननवास स््ान से स््ानांतरित किने के भलए र्ादी यह मर्हला प्रवाभसयों (६४.९%) के भलए
सबसे महत्वपणट कािण है।
19
Census of India, २००१ , Tables D-1, D-2, D-3.
18. 18 | P a g e
भारत में दूरी और श्रेणी के आधार पर पलायन के कारण 20
पलायन के
प्रकार
कु ल आांतररक पलायन प्रततशत मे
रोजगार व्यापार सशक्षा वििाह जन्म के
पश्चात
प्रिास
घर ससमत
प्रिास
अन्य कु ल
पुरुष
ष्जले के
भ़ीति
15.28 1.80 2.38 3.17 12.62 16.51 48.24 100
िाज्य के
भ़ीति
35.54 3.06 3.35 1.99 9.71 22.61 23.74 100
अंतििाज्य़ीय 52.25 3.87 2.14 0.93 4.87 19.89 16.05 100
महहला
ष्जले के
भ़ीति
1.01 0.16 0.35 73.85 2.82 6.93 14.88 100
िाज्य के
भ़ीति
2.50 0.25 0.63 66.03 3.38 15.54 11.67 100
अंतििाज्य़ीय 4.02 0.34 0.64 54.63 3.01 26.78 10.58 100
अंतिाटज्य़ीय श्रेण़ी मे 52.25% पुरुष प्रवाभसयों ने अपने पलायन का मुख्य कािण िोजगाि को ठहिाया है।
एक ही ष्जला के अंतगटत पलायन किने वाले पुरुषों में १५.२८% ने िोजगाि यह मुख्य कािण र्दया है वही
एक ही िाज्य के अंतगटत पलायन किने वाले पुरुषों में ३५.५४% ने िोजगाि यह कािण र्दया है। एक ही
ष्जला के अंतगटत पलायन किनेवाली मर्हलाओं में मात्र १.०१% ने िोजगाि यह मुख्य कािण र्दया है वही
एक ही िाज्य के अंतगटत पलायन किनेवाली मर्हलाओं में २.५% ने िोजगाि यह पलायन का कािण र्दया
है। उ्लेखऩीय है की अंतिाटज्य़ीय श्रेण़ी में पलायन किने वाली ४.०२% मर्हलाओं ने पलायन के भलए
िोजगाि यह प्रा्भमक कािण घोवषत ककया है।
क्योंकी जनगणना में दजट पलायन ककये हुए व्यक्त़ीओंमें से लगभग ५०% ने र्ादी यह स््ानांतिण का
प्रा्भमक कािण र्दया है, तो ऐसे व्यक्त़ीओं को पलायन की सधच से हर्ाकि कािणों की सभमक्षा किना
20
Census of India, २००१ , Migration Table (D-03).
19. 19 | P a g e
र्दलचस्प होगा। पलायन के भलए र्ादी यह प्रा्भमक कािण देने वाले व्यक्त़ीयोंको यदी सधच से हर्ा
भलया जाये तो पलायन ककये हुए लोगों की संख्या ९८.३ भमभलयन से घर्कि ५५.२ भमभलयन हो जायेग़ी
(भाित की जनगणना २००१ के नुसाि)। इसमे ३२.२ भमभलयन पुरुष औि २२.९ मर्हलाए है। ननम्न ताभलका
इसका ववस्ताि से ववश्लेषण कित़ी हैं:
प्रिाससयों के अांततम तनिास से पलायन के कारण (वििाह छोड़कर)21
पलायन के कारण कु ल पलायन का प्रततशत
कु ल प्रवास पुरुष महहला
कायय /रोजगार 26.2 38.4 9.0
व्यापार 2.1 2.9 0.8
सशक्षा 5.3 6.3 3.8
वििाह सष्म्मभलत नहीं
जन्म के पश्चात
पलायन
11.9 10.6 13.7
घर ससमत पलायन 37.3 25.6 53.7
अन्य 9.7 15.7 6.7
कु ल 100% 100% 100%
अब ३८.४% पुरुषों में पलायन का प्रा्भमक कािण िोजगाि है औि २५.६% पुरुष ऐसे है जो पुिे घि के
पलायन किने का र्हस्सा ्े। मर्हलाओं में ५३.७% ने समचे घि के सा् स््ानांतिण यह पलायन का
प्रा्भमक कािण र्दया है वही अब कु ल पलायन श्रेण़ी में र्ाभमल कु ल मर्हलाओं की ९% संख्या िोजगाि
के कािण पलायन किने में मजबि हुई है।
21
Census of India, २००१ , Tables D-1, D-2, D-3.
20. 20 | P a g e
अांतरायज्यीय पलायन
उ्लेखऩीय है की सन १९९१ से २००१ के ब़ीच अंतिाटज्य़ीय पलायन में ५४.५% की भािी वृद्ध़ी हुई। इस
दर्क में अंतिाटज्य़ीय पलायन ककये प्रवाभसयों की संख्या २७.२ भमभलयन से बढ़कि ४२.१ भमभलयन हुई।
ननम्मभलर्खत र्ेबल के अनुसाि इस दर्क में महािाटर में ७.९ भमभलयन प्रवास़ी जाकि बसे वही र्द्ली में
५.६ भमभलयन प्रवास़ी ष्स््त हुए। महािाटर की कु ल जनसंख्या में प्रवाभसयों की तादात ८.२% औि र्द्ली
में ४०.८% हुई।
प्रमुख राज्यों में जन्म के स्िान से कु ल अन्तरायज्यीय प्रिास22
States कु ल जनसांख्या कु ल प्रिास कु ल जनसांख्या मे
पलायन का
प्रततशत
कु ल प्रिाससयों
का योगदान
हदल्ली 13,850,507 5,646,277 40.8 11.6
हररयाणा 21,144,564 2,951,752 14.0 6.1
पांजाब 24,358,999 2,130,662 8.7 4.4
महाराटर 96,878,627 7,954,038 8.2 16.4
पष्श्चम बांगाल 80,176,197 5,582,325 7.0 11.5
नगरीय सकें द्रण में पलायन
र्हिी आबादी की बढ़ोत्तिी में पलायन का योगदान महत्वपणट कािकों में से एक है। सन २००१ की
जनगणना में देर् की कु ल र्हिी आबादी (जम्म औि कश्म़ीि छोडकि) में 30.3% की वृवद्ध दि दजट की,
याऩी देर् की र्हिी आबादी २१.७ किोड से बढ़कि २८.८ किोड हुई।
सन २००१ की जनगणना के अनुसाि र्हिों में अंकीत २०.५ भमभलयन लोग दस साल में ग्राम़ीण इलाकों
से पलायन किके आये है। इस़ी दौिान ६.२ भमभलयन लोग र्हिों से गाूँव की ओि गए है। नत़ीजन,
पलायन की वजह से र्हिी आबादी में १४.३ भमभलयन की बढ़ोत्तिी हुई है। र्हिी आबादी में हुई ३०.३%
वृवद्ध में पलायन की मात्रा ६.६% है।23
22
Data Highlights, Census of India, २००१ , Migration Tables, p. 11.
23
Data Highlights, Migration Tables, Census of India, २००१ .