2. बाह्योपचारार्थ कल्पना
औषध द्रव्य क
े वल आभ्यन्तर प्रयोग से ही
नहीीं, अपितु बाह्य प्रयोग से भी रोगोीं क
े
पनवारण में उियोगी होते हैं ।
बाह्य प्रयोग से त्वचा क
े द्वारा औषध क
े
काययकारी तत्त्ोीं का शरीर में अवशोषण होता
है। औषध का बाह्य प्रयोग कई प्रकार से जैसे-
लेप, मलहर, उद्वर्थन, अवचूर्थन, उपनाह
(पुलटिस), स्नेह द्रव्ोों का अभ्योंग, स्वेदन,
3. पररचय
--क
ु छ लेि शोथ को कम करने,
--क
ु छ पवद्रपध को फोड़ने,
--क
ु छ पवद्रपध फटने क
े बाद लगाने क
े पलए प्रयोग होते हैं ।
आचायय सुश्रुर् ने व्रर् तथा सभी प्रकार क
े शोफोीं में आलेि (लेि)
को प्रर्म और प्रधान उिक्रम कहा है।
लेि कल्पना कल्क का ही रूि हैं। यह मृदु स्वरूि का कल्प हैं
। लेि और कल्क में अन्तर यह है पक लेि का क
े वल बाह्य
प्रयोग होता है, जबपक कल्क का दोनोीं प्रकार से आभ्यन्तर
और बाह्य प्रयोग होता है।
4. पररभाषा
द्रव्माद्रथ टिलाटपष्टों िुष्क
ों वा सद्रवों र्नु
।
देहे प्रलेपनार्ं र्ल्लेप इत्युच्यर्े बुधैैः
।।
(द्र.
गु. पव. उ. 2/100)
अथायत् औषपध द्रव्य को आद्रथ लेकर या िुष्क होने
िर जल आपद द्रव द्रव्योीं क
े साथ ित्थर की पशला
िर िीसकर कल्कवत् बनाकर शरीर िर बाह्य लेि
5. लेप क
े पयाथय
आलेपस्य च नामाटम टलप्तो लेपश्च लेपनम् ।
अथायत् आलेि क
े तीन ियायय लेप, टलप्त और लेपन
होते हैं।
6. लेप क
े भेद
दोषघ्न लेप, टवषघ्न लेप और वर्ण्थ लेप भेद से
मुखलेप को तीन प्रकार का माना गया है।
दोषघ्न लेप की मोिाई एक चौर्ाई अोंगुल,
टवषघ्न लेप की एक टर्हाई अोंगुल,
वर्ण्थ लेप की आधा अोंगुल होर्ी है।
जब तक लेि आद्रथ रहता है तब तक रोग को दू र
करता है और सूखने िर कान्ति को नष्ट करता है
।
7. मुखलेि से अपतररक्त आचायय शार्ङ्
य धर ने लेि को
प्रलेप और प्रदेह भेद से दो प्रकार का माना है। इन
दोनोों की मोिाई भैंस क
े गीले चमडे क
े समान
होर्ी है |
आचायय सुश्रुत ने प्रलेप, प्रदेह एवों आलेप भेद से लेि
को तीन प्रकार का माना है। प्रलेप िीर्, र्नु,
टविोषी (आद्रयता को सुखाने वाला) होता है, जो
रक्त एवों टपत्तज रोगोीं में उियोगी होता है। जबपक
प्रदेह उष्ण, मोिा और अटविोषी होता है, जो
वार्कफनािक होता है । प्रलेि एवम् प्रदेह दोनोीं
का सन्तिटलर् लक्षर् वाला आलेप होर्ा है,
8. लेप क
े गुर्
पजस प्रकार जलते हुए घर िर जल डालने से शीघ्र ही
अपि शान्त हो जाती है, उसी प्रकार व्रण िर लेि करने
से शीघ्र ही िीड़ा शान्त हो जाती है।
लेि करने से शोधन, शोथहर, उत्सादन और व्रण का
रोिण हो जाता है।
अपवदग्ध शोथ में लेि पहतकर, दोषशामक,
दाहकण्ड
ू रूजाहर, त्वकमाींसरक्त प्रसादन, दाहशमन,
तोद और कण्ड
ू नाशक होता है ।
9. लेप में स्नेह प्रमार्
लेि में स्नेह का पनदेश होने िर -
टपत्तज िोर् में कल्क का षड़ भाग (⅙भाग)
वार्ज िोर् में कल्क का चतुथय भाग (¼ भाग)
कफ िोर् में कल्क का अष्टम भाग (⅛भाग)
पमलाया जाना चापहए।
10. लेप क
े टनयम
रापि में लेि लगाने से उसकी शीतलता से उस स्थान
की दबी हुई ऊष्मा नहीीं पनकलने से पवकार बढ़
जाता | अतः रापि में लेि का प्रयोग नहीीं करना
चापहए ।
पजस व्रण शोथ में िीडन करना हो वहााँ लेि को सूखने
देना चापहए। इसक
े अपतररक्त अन्य सभी स्थानोीं िर
प्रयुक्त पकए गए लेि को सूखने नहीीं पदया जाना
चापहए।
क्ोींपक लेि क
े सूख जाने िर वह पनरथयक और
िीड़ादायक होता है।
11. िोर्घ्न लेप
--घटक द्रव्य :-
1.पुननथवा -12 ग्राम 2. देवदारू
- 12 ग्राम
3.सोोंठ - 12 ग्राम 4. सषथप बीज
- 12 ग्राम
5. टिग्रुमूलत्वक
् - 12 ग्राम
RATIO - 1:1:1:1:1
--द्रव द्रव्यः- आरनाल (काञ्जी)-यथावश्यक
--पनमायण पवपध: सवयप्रथम उिरोक्त द्रव्योीं का सूक्ष्म चूणय
कर काञ्जी क
े साथ िीसकर लेि का पनमायण पकया
जाना चापहए।
--मािा: यथावश्यक लेिनाथय
12. दिाङ्गलेप
1.पशरीष - 12 ग्राम 2. मुलेठी - 12 ग्राम
3. तगर - 12 ग्राम 4. रक्तचन्दन - 12 ग्राम
5. सूक्ष्मैला - 12 ग्राम 6. जटामाींसी - 12 ग्राम
7. हररद्रा - 12 ग्राम 8. दारूहररद्रा - 12 ग्राम
9. क
ु ष्ठ - 12 ग्राम 10. सुगन्धबाला -12 ग्राम
घटक द्रव्य:
द्रव द्रव् :- गोघृत-24 ग्राम, जल :- यथावश्यक
टनमाथर् टवटध:- सवयप्रथम उिरोक्त वानस्पपतक द्रव्योीं का सूक्ष्म चूणय
करक
े जल क
े साथ पसलबट्टे िर िीसकर लेि का पनमायण करें। पफर इसमें
उक्त मािा में गोघृत पमलाकर प्रयोग में लेना चापहए।
मात्रा:- यथावश्यक लेिनाथय
मुख्य उपयोगैः - पवसिय, पवषरोग, पवस्फोट, शोथनाशक, दुष्टव्रण।
13. OINTMENTS
Ointment is a mild and gentle drug
imaginable for external use, used for skin
or mucous membranes. In these, soluble,
suspended or emulsified drugs are used
as base. Ointment is used for skin
whitening and protective functions. They
are also used as a base for the external
use of medicines.
14. CREAMS
• Creams are similar to ointments, but
due to their water soluble base, they
can be easily removed from the skin. It
is softer and lighter than ointment. Its
presence is not visible even after being
applied on the skin.
15. OINTMENT BASES
CLASSIFICATION
• Oleaginous bases
• (i) Soften paraffinPetrolatum
• (ii) Hard Paraffin
• (iii) Liquid Paraffin
• Absorption bases
• (i) Wool Fat
• (ii) Hydrous wool fat
• (iii) Wool alcohol
• (iv)Bees wax
• (v) Cholestrol
• Emulsion bases
These semi-condensablecreamsare of uniform state. These are of two types.
Oil in water or water in oil emulsion.
• Water soluble bases