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डॉ. िवराग सोनट े
धम का अथ और प
डॉ. िवराग सोनट े
सहायक ा ापक
ाचीन भारतीय इितहास, सं ृ ित और पुरात िवभाग
बनारस िहंदू िव ापीठ, वाराणसी
धम का अथ और प
डॉ. िवराग सोनट े
ावना
• धम जीवन का मूलाधार माना गया है
• धम का मानवी जीवन म अ ंत मह पूण ान रहा है।
• ाचीन काल से ही भारतीय जीवन धम और धािमक चेतना से
भािवत रहा है।
• धम का ावहा रक मह मनु के कत ों का समु चत पालन
करना था, जसके मा म से लौिकक उ े को ा िकया जाए।
• िव म भारत जैसा कोई देश नही है, जहां धम का इतना ापक
योग आ हो और जसने जन-जीवन के ेक पहलू को भािवत
िकया हो।
डॉ. िवराग सोनट े
धम का अथ
• Code of Conduct: के आचरण और वहार िक संिहता
• िहंदू समाज म धम का अथ ापक है, इससे क सामा जक
ित और सामा जक रीकरण क व ा िनधा रत क जाती है।
• ऋ ेद म “धम” िवशेषण या सं ा के प मे उ े खत है।
• “धम” श “धृ” धातू से िन है, जसका अथ धारण करना,आल न
देना तथा पालन करना होता है।
• मनु ृित: आचार और सदाचार को धम का ल ण माना गया है।
• बौ सािह म धम को बु क स ूण श ा कहा गया है।
• धम से अ भ ाय ऐसी जीवन प ित से है, जो नैितकता और सदाचरण से
संबं धत हो।
• धम आचरण क संिहता है, जसके मा म से समाज के सद के
प म िनयंि त और िवक सत होता है और अंत म चरम उ े क ा
करता है।
डॉ. िवराग सोनट े
धम क कृ ित
• धम श क िन “धृ” धातु म “मन” का य लगने से ई है,
जसका अथ है धारण करना।
• महाभारत म कहा गया है, धारण करने से ही इसे धम कहते है, इसने
जा को धारण कर र ा है।
• वैशेिषक सू : जससे आनंद क ा हो उसे धम कहा है।
• जो लोक धारण करे वही धम है।
• जो धारण करने यो है वही धम है।
• पूवमीमांसा सू (जै मिन): वेदों म यु अनुशासनों के अनुसार
चलना ही धम
डॉ. िवराग सोनट े
ोत
1. ऋ ेद म “धम” ५६ बार उ े खत आ है, जसका उ ेख
धािमक िवषयों और धािमक सं ारो के प म आ है।
2. अथववेद: “धम” श का योग धािमक ि या सं ार करने से
अ जत गुण के अथ म यु आ है।
3. ऐतरेय ा ंण : सकल धािमक कत ों के प म।
4. छादो उपिनषद म धम क तीन शाखाय का उ ेख है
a. य , अ यन एवं दान
b. तप ा (तापस धम)
c. च र
५ तैत रय उपिनषद: आचार िव ध तथा स वं द
७ महाभारत: अिहंसा परमो धम, आचार परमो धम
डॉ. िवराग सोनट े
धम के आधार
• गौतम धम सू के अनुसार वेद धम का मूल है।
üजो धम है, वेदों को जानते है, उनका मत ही धम माण है।
• मनु के अनुसार : धम के आधार ोत/ल ण
1. वेद ( ुित)
2. ृित (धमशा )
3. सदाचार (अ ा वहार)
4. आ तुि
• वेदों और ृितयों म मनु के कत का िन ापूवक पालन ही धम है।
• या व ृित:
१) वेद, २) ृित, ३) सदाचार, ४) अपने को ि य, ५) उ चत संक से
उ इ ा
डॉ. िवराग सोनट े
धम का वग करण/ प
१) सामा धम (साधारण धम, िन धम):
यह धम सवसाधारण के लए और जो देशकाल व पा के अनु प
प रवितत न होता हो।
२) िव श धम:
जो देशकाल व पा के अनु प प रवितत होता हो। वण धम, आ म
धम, गुण धम,नै म क धम, युग धम।
३) आपद म
िवप और ितकू ल प र ित म एक वग के सद दूसरे वग के धम
को अपनाते थे।
डॉ. िवराग सोनट े
सामा धम (साधारण धम, िन धम):
• सामा धम मनु के नैितक धम से संबं धत है जो मानवी मू ों का िनयोजन करते ए सभी के लए
अनुकरणीय है।
• धम का मु ल मु ा करना है और इस ल को ा करने के लए मानवी स णो का
िवकास करना मह पूण है।
• सामा धम के ३० ल ण बताए है।
• मनु ने १० ल ण बताए है।
1. धैय
2. मा
3. दम (इंि य दमन)
4. अ ेय
5. शु चता (पिव ता)
6. इंि यिन ह
7. बु
8. िव ा
9. स
10. अ ोध
(दया, ाग, अिहंसा,मौन, आ चंतन, संतोष, स क् Úि , सेवा,इ ािद)
डॉ. िवराग सोनट े
स
1. मनु के जीवन म स का ान सव प र है
2. वेदों म कहा गया है, स बोलो और धम का आचरण करो
3. महाभारत: स से बढ़कर कोई धम नही है
4. मनु: स बोलना चािहए परंतु स अि य नही होना चािहए
5. स से और समाज क उ ित होती है
6. अस से मन और जीवन कलुिषत और समाज दूिषत होता है।
7. वेदों “स म वद धमम चर” स बोलो और धम का आचरण
करो।
डॉ. िवराग सोनट े
चय
• तप, अनुशासन,और माग का अनुसरण ही चय है
• दम का अथ इंि यो पर िनयं ण रखना है।
• संयम से जीवन तीत करना चय है
• चय धम के अनुपालन से मनु शरीर और मन से े
तथा समाज म आद शत होता है।
डॉ. िवराग सोनट े
अिहंसा
• अिहंसा भारतीय धम का मूल है
• अिहंसा परमोधम
• वचन और कम से िकसी को हािन न प ँचाना ही अिहंसा है।
• अिहंसा से दया, मा आिद गुण ा होते है।
• मनु अपने अिहंसा क वहार से समाज म ि य होता है।
डॉ. िवराग सोनट े
इंि य-िन ह
• अपने कमि यो को पूण पेण वश म करना ही इंि य-िन ह है।
• इंि य पर िनयं ण न रखने से िवषयों म आस बढ़ती है।
• िवषय कामनाओं क पूित न होने से ोध उ होता है,
• ोध से मूढ़ता आती है,
• मूढ़ता से ृित-िव ांित होती है,
• ृित के लु होने से बु िवन होती है और
• इससे का िवनाश होता है।
• मनु को अपने म और शरीर पर संयम रखना चािहए।
• जो ऐसा नही कर पाते वह ज और मृ ु के च से मु नही हो पाते।
डॉ. िवराग सोनट े
मा
• महान म मा क भावना होती है।
• वीर पु ष म मा का होना शं सनीय है।
• िनबल के ित मा क भावना होनी चािहए।
• मनु का मा-धम उसके महानता का तीक है।
डॉ. िवराग सोनट े
ा
• माता-िपता और गु के ित ा और आदर से नत रहना
चािहए ।
• मनु के लए ा क भावना ेय र भाव दशाती है ।
• गु के ित ा और आदर मनु को परलोक म िव ात
करता है ।
• वण कु मार, एकल , अजुन इसके उदाहरण है ।
डॉ. िवराग सोनट े
मधुर वचन, शील और अित थ सेवा
• मनु: कटु स को भी मधुर वचन म कहने का िनदश ।
• संभाषण और दान देते समय भी मधुर वचन ही बोलना चािहए ।
• शलवान पु ष आदरणीय होता है।
• मनु का च र , वहार और आचरण शील से हाई उ होता है ।
• अित थ पूजा करने से मनु को धन, आयु, यश, और ण मलता
है ।
डॉ. िवराग सोनट े
िव श धम
• मनु के अ सामा जक धम ( धम) का समावेश िव श
धम होता है।
• मनु के कत ों का िनवाहन
1. वण धम
2. आ म धम
3. कु ल धम
4. युग धम
5. राजधम
6. आपद धम
डॉ. िवराग सोनट े
वण धम
• िव भ वण के कम,कत और िनयम से है।
• हर वण के काय
1. ा ण
2. ि य
3. वै
4. शू
डॉ. िवराग सोनट े
आ म धम
Ø चय
Ø गृह
Ø वान
Ø स ास
डॉ. िवराग सोनट े
कु ल धम
• का प रवार के सद के ित वहार, आचरण
• कु ल + प रवार+ वं श म धम का पालन
• प रवार, कु टु के कत
• िपता धम, माता धम, पु धम, प ी धम
डॉ. िवराग सोनट े
युग धम
युग और काल के अनु प धम म प रवतन होता है
1. सतयुग : तप
2. ेतायुग: ान
3. ापर युग: य
4. कली युग: दान
डॉ. िवराग सोनट े
राजधम
• राजा का जा के ित धम
• राजा अशोक का धम उ ृ उदाहरण
• राजा के परम धम
1. बा आ मण से सुर ा
2. देश-समाज को िनयंि त रखना
3. लोगों को धम का पालन करने के लए िनयंि त करना।
• यथा राजा तथा जा
डॉ. िवराग सोनट े
३) आपद म
• िवप और ितकू ल प र ित म एक वग के सद दूसरे
वग के धम को अपनाते थे।
• ा ण: ि य का
• ि य: वै का
• वै : शू का
डॉ. िवराग सोनट े
धम क िवशेषता
धम
सावभौ मक
सावदे शक
प रवतनशील
सवका लक
उपयोिगतावादी
नैितकद -िवधान
कत
िनयं क
सदाचारी
लोिकक
समृ
पारलौिकक
समृ
डॉ. िवराग सोनट े
सारांश
vभारतीय सं ृ ित का आधार धम है।
vसम सामा जक व ाए धम के आधार पर िन त ई
है।
vइहलौिकक और पारलौिकक सुख क ा ।
vभौितक और आ ा क सुख क ा ।
vमनु का कम धम पर ही िनभर है।

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Meaning and nature of religion

  • 1. डॉ. िवराग सोनट े धम का अथ और प डॉ. िवराग सोनट े सहायक ा ापक ाचीन भारतीय इितहास, सं ृ ित और पुरात िवभाग बनारस िहंदू िव ापीठ, वाराणसी
  • 2. धम का अथ और प
  • 3. डॉ. िवराग सोनट े ावना • धम जीवन का मूलाधार माना गया है • धम का मानवी जीवन म अ ंत मह पूण ान रहा है। • ाचीन काल से ही भारतीय जीवन धम और धािमक चेतना से भािवत रहा है। • धम का ावहा रक मह मनु के कत ों का समु चत पालन करना था, जसके मा म से लौिकक उ े को ा िकया जाए। • िव म भारत जैसा कोई देश नही है, जहां धम का इतना ापक योग आ हो और जसने जन-जीवन के ेक पहलू को भािवत िकया हो।
  • 4. डॉ. िवराग सोनट े धम का अथ • Code of Conduct: के आचरण और वहार िक संिहता • िहंदू समाज म धम का अथ ापक है, इससे क सामा जक ित और सामा जक रीकरण क व ा िनधा रत क जाती है। • ऋ ेद म “धम” िवशेषण या सं ा के प मे उ े खत है। • “धम” श “धृ” धातू से िन है, जसका अथ धारण करना,आल न देना तथा पालन करना होता है। • मनु ृित: आचार और सदाचार को धम का ल ण माना गया है। • बौ सािह म धम को बु क स ूण श ा कहा गया है। • धम से अ भ ाय ऐसी जीवन प ित से है, जो नैितकता और सदाचरण से संबं धत हो। • धम आचरण क संिहता है, जसके मा म से समाज के सद के प म िनयंि त और िवक सत होता है और अंत म चरम उ े क ा करता है।
  • 5. डॉ. िवराग सोनट े धम क कृ ित • धम श क िन “धृ” धातु म “मन” का य लगने से ई है, जसका अथ है धारण करना। • महाभारत म कहा गया है, धारण करने से ही इसे धम कहते है, इसने जा को धारण कर र ा है। • वैशेिषक सू : जससे आनंद क ा हो उसे धम कहा है। • जो लोक धारण करे वही धम है। • जो धारण करने यो है वही धम है। • पूवमीमांसा सू (जै मिन): वेदों म यु अनुशासनों के अनुसार चलना ही धम
  • 6. डॉ. िवराग सोनट े ोत 1. ऋ ेद म “धम” ५६ बार उ े खत आ है, जसका उ ेख धािमक िवषयों और धािमक सं ारो के प म आ है। 2. अथववेद: “धम” श का योग धािमक ि या सं ार करने से अ जत गुण के अथ म यु आ है। 3. ऐतरेय ा ंण : सकल धािमक कत ों के प म। 4. छादो उपिनषद म धम क तीन शाखाय का उ ेख है a. य , अ यन एवं दान b. तप ा (तापस धम) c. च र ५ तैत रय उपिनषद: आचार िव ध तथा स वं द ७ महाभारत: अिहंसा परमो धम, आचार परमो धम
  • 7. डॉ. िवराग सोनट े धम के आधार • गौतम धम सू के अनुसार वेद धम का मूल है। üजो धम है, वेदों को जानते है, उनका मत ही धम माण है। • मनु के अनुसार : धम के आधार ोत/ल ण 1. वेद ( ुित) 2. ृित (धमशा ) 3. सदाचार (अ ा वहार) 4. आ तुि • वेदों और ृितयों म मनु के कत का िन ापूवक पालन ही धम है। • या व ृित: १) वेद, २) ृित, ३) सदाचार, ४) अपने को ि य, ५) उ चत संक से उ इ ा
  • 8. डॉ. िवराग सोनट े धम का वग करण/ प १) सामा धम (साधारण धम, िन धम): यह धम सवसाधारण के लए और जो देशकाल व पा के अनु प प रवितत न होता हो। २) िव श धम: जो देशकाल व पा के अनु प प रवितत होता हो। वण धम, आ म धम, गुण धम,नै म क धम, युग धम। ३) आपद म िवप और ितकू ल प र ित म एक वग के सद दूसरे वग के धम को अपनाते थे।
  • 9. डॉ. िवराग सोनट े सामा धम (साधारण धम, िन धम): • सामा धम मनु के नैितक धम से संबं धत है जो मानवी मू ों का िनयोजन करते ए सभी के लए अनुकरणीय है। • धम का मु ल मु ा करना है और इस ल को ा करने के लए मानवी स णो का िवकास करना मह पूण है। • सामा धम के ३० ल ण बताए है। • मनु ने १० ल ण बताए है। 1. धैय 2. मा 3. दम (इंि य दमन) 4. अ ेय 5. शु चता (पिव ता) 6. इंि यिन ह 7. बु 8. िव ा 9. स 10. अ ोध (दया, ाग, अिहंसा,मौन, आ चंतन, संतोष, स क् Úि , सेवा,इ ािद)
  • 10. डॉ. िवराग सोनट े स 1. मनु के जीवन म स का ान सव प र है 2. वेदों म कहा गया है, स बोलो और धम का आचरण करो 3. महाभारत: स से बढ़कर कोई धम नही है 4. मनु: स बोलना चािहए परंतु स अि य नही होना चािहए 5. स से और समाज क उ ित होती है 6. अस से मन और जीवन कलुिषत और समाज दूिषत होता है। 7. वेदों “स म वद धमम चर” स बोलो और धम का आचरण करो।
  • 11. डॉ. िवराग सोनट े चय • तप, अनुशासन,और माग का अनुसरण ही चय है • दम का अथ इंि यो पर िनयं ण रखना है। • संयम से जीवन तीत करना चय है • चय धम के अनुपालन से मनु शरीर और मन से े तथा समाज म आद शत होता है।
  • 12. डॉ. िवराग सोनट े अिहंसा • अिहंसा भारतीय धम का मूल है • अिहंसा परमोधम • वचन और कम से िकसी को हािन न प ँचाना ही अिहंसा है। • अिहंसा से दया, मा आिद गुण ा होते है। • मनु अपने अिहंसा क वहार से समाज म ि य होता है।
  • 13. डॉ. िवराग सोनट े इंि य-िन ह • अपने कमि यो को पूण पेण वश म करना ही इंि य-िन ह है। • इंि य पर िनयं ण न रखने से िवषयों म आस बढ़ती है। • िवषय कामनाओं क पूित न होने से ोध उ होता है, • ोध से मूढ़ता आती है, • मूढ़ता से ृित-िव ांित होती है, • ृित के लु होने से बु िवन होती है और • इससे का िवनाश होता है। • मनु को अपने म और शरीर पर संयम रखना चािहए। • जो ऐसा नही कर पाते वह ज और मृ ु के च से मु नही हो पाते।
  • 14. डॉ. िवराग सोनट े मा • महान म मा क भावना होती है। • वीर पु ष म मा का होना शं सनीय है। • िनबल के ित मा क भावना होनी चािहए। • मनु का मा-धम उसके महानता का तीक है।
  • 15. डॉ. िवराग सोनट े ा • माता-िपता और गु के ित ा और आदर से नत रहना चािहए । • मनु के लए ा क भावना ेय र भाव दशाती है । • गु के ित ा और आदर मनु को परलोक म िव ात करता है । • वण कु मार, एकल , अजुन इसके उदाहरण है ।
  • 16. डॉ. िवराग सोनट े मधुर वचन, शील और अित थ सेवा • मनु: कटु स को भी मधुर वचन म कहने का िनदश । • संभाषण और दान देते समय भी मधुर वचन ही बोलना चािहए । • शलवान पु ष आदरणीय होता है। • मनु का च र , वहार और आचरण शील से हाई उ होता है । • अित थ पूजा करने से मनु को धन, आयु, यश, और ण मलता है ।
  • 17. डॉ. िवराग सोनट े िव श धम • मनु के अ सामा जक धम ( धम) का समावेश िव श धम होता है। • मनु के कत ों का िनवाहन 1. वण धम 2. आ म धम 3. कु ल धम 4. युग धम 5. राजधम 6. आपद धम
  • 18. डॉ. िवराग सोनट े वण धम • िव भ वण के कम,कत और िनयम से है। • हर वण के काय 1. ा ण 2. ि य 3. वै 4. शू
  • 19. डॉ. िवराग सोनट े आ म धम Ø चय Ø गृह Ø वान Ø स ास
  • 20. डॉ. िवराग सोनट े कु ल धम • का प रवार के सद के ित वहार, आचरण • कु ल + प रवार+ वं श म धम का पालन • प रवार, कु टु के कत • िपता धम, माता धम, पु धम, प ी धम
  • 21. डॉ. िवराग सोनट े युग धम युग और काल के अनु प धम म प रवतन होता है 1. सतयुग : तप 2. ेतायुग: ान 3. ापर युग: य 4. कली युग: दान
  • 22. डॉ. िवराग सोनट े राजधम • राजा का जा के ित धम • राजा अशोक का धम उ ृ उदाहरण • राजा के परम धम 1. बा आ मण से सुर ा 2. देश-समाज को िनयंि त रखना 3. लोगों को धम का पालन करने के लए िनयंि त करना। • यथा राजा तथा जा
  • 23. डॉ. िवराग सोनट े ३) आपद म • िवप और ितकू ल प र ित म एक वग के सद दूसरे वग के धम को अपनाते थे। • ा ण: ि य का • ि य: वै का • वै : शू का
  • 24. डॉ. िवराग सोनट े धम क िवशेषता धम सावभौ मक सावदे शक प रवतनशील सवका लक उपयोिगतावादी नैितकद -िवधान कत िनयं क सदाचारी लोिकक समृ पारलौिकक समृ
  • 25. डॉ. िवराग सोनट े सारांश vभारतीय सं ृ ित का आधार धम है। vसम सामा जक व ाए धम के आधार पर िन त ई है। vइहलौिकक और पारलौिकक सुख क ा । vभौितक और आ ा क सुख क ा । vमनु का कम धम पर ही िनभर है।