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डर और विश्िास
दोस्तों आज मैं आपको मनुष्य जीिन क
े दो महतिपूर्ण अहसासों / पहेलु पर
क
ु छ रोशनी डालना चाहता हूूँ !
यह दो अहसास “ डर और विश्िास “ इन्सान इन दोनों अहसासों को कभी भी
अपने आप से दूर कर ही नहीीं सकता हैं !
यह भी आपक
े पूरे जीिन साथ में रहेगें , आप भी इन दोनों आहसासों को
अपने पास ही रहने दो , परींतु आप भी इन्हे रेल्िे लाइन की पटररयरों की तरह
ही रखें !
यह दोनों हमारे साथ ही ज़ ींदगी का सफर तय करेंगे साथ साथ चलेगें , परींतु
कभी भी एक साथ ममलेगें नहीीं !
कोई भी इन्सान दुननया में डर लेकर नहीीं आता हैं ! परींतु पैदा होने की बाद से
अींत कल तक िह डर बटोरता रहता हैं !
डर आखखर ककया हैं ? डर कोयों लगता हैं ? कब लगता हैं ? डर कहाूँ से आता
हैं ?
डर का मतलब हैं lack of confidence / आज्ञानता !!
हम अपना डर क
ै से हटयाींगें ?
हमे हमेशा अपने डर का भय का कारर् मालूम होना चाहहये और उसे दूर करने
क
े मलये हमारा क्या लक्ष्य / गौल उसे पहचानना होगा कफर प्रयत्न करना होगा
उसे दूर करने क
े मलए ! हमे विचार विमशण भी करना पढ़ेगा उसे दूर भागने
क
े मलए ! पढ़ना मलखना और सारी ची मसखाना भी पढ़ेगी !
जैसे ही आपका डर दूर हो जायगा , उसी िक्त आपका विश्िास िहाूँ पैदा होने
लगेगा !
और जहाीं पर विश्िास हैं , िहाूँ पर “ आननींद का भी जन्म होना तय हैं ! और
जहाीं आनींद हैं िहाूँ ज़ ींदगी में सब क
ु छ , हर तरफ खुशी खुशी का माहूल होगा
!
ज़ ींदगी की हर पहेली / mystery को पहचानना हर इन्सान क
े बस की बात
नहीीं होती हैं !
इन्सान को ज्याद से ज्यादा पढ़ाई मलखाई करना चाहहये, अींधविश्िास से दूर
रहना चाहहये !
अपने आप पर विश्िास रखों / विश्िास पैदा करो अपने आप हमेशा और
ननडर बन कर जीिन ज़जयों !
जीिन का भरपूर आनींद लो और दुरसों को भी ननडर बनाओ , ज़जतना हो सक
े
दूसरों की मदद करो !
जीवन जीने का हर इन्सान / पशु / प्राणी / पक्षी आदि आदि को समान हक
हैं !
धन्यबाद
िीरेंद्र श्रीिासति 22/09/2020

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Dar डर और विश्वास

  • 1. डर और विश्िास दोस्तों आज मैं आपको मनुष्य जीिन क े दो महतिपूर्ण अहसासों / पहेलु पर क ु छ रोशनी डालना चाहता हूूँ ! यह दो अहसास “ डर और विश्िास “ इन्सान इन दोनों अहसासों को कभी भी अपने आप से दूर कर ही नहीीं सकता हैं ! यह भी आपक े पूरे जीिन साथ में रहेगें , आप भी इन दोनों आहसासों को अपने पास ही रहने दो , परींतु आप भी इन्हे रेल्िे लाइन की पटररयरों की तरह ही रखें ! यह दोनों हमारे साथ ही ज़ ींदगी का सफर तय करेंगे साथ साथ चलेगें , परींतु कभी भी एक साथ ममलेगें नहीीं ! कोई भी इन्सान दुननया में डर लेकर नहीीं आता हैं ! परींतु पैदा होने की बाद से अींत कल तक िह डर बटोरता रहता हैं ! डर आखखर ककया हैं ? डर कोयों लगता हैं ? कब लगता हैं ? डर कहाूँ से आता हैं ? डर का मतलब हैं lack of confidence / आज्ञानता !! हम अपना डर क ै से हटयाींगें ? हमे हमेशा अपने डर का भय का कारर् मालूम होना चाहहये और उसे दूर करने क े मलये हमारा क्या लक्ष्य / गौल उसे पहचानना होगा कफर प्रयत्न करना होगा उसे दूर करने क े मलए ! हमे विचार विमशण भी करना पढ़ेगा उसे दूर भागने क े मलए ! पढ़ना मलखना और सारी ची मसखाना भी पढ़ेगी ! जैसे ही आपका डर दूर हो जायगा , उसी िक्त आपका विश्िास िहाूँ पैदा होने लगेगा !
  • 2. और जहाीं पर विश्िास हैं , िहाूँ पर “ आननींद का भी जन्म होना तय हैं ! और जहाीं आनींद हैं िहाूँ ज़ ींदगी में सब क ु छ , हर तरफ खुशी खुशी का माहूल होगा ! ज़ ींदगी की हर पहेली / mystery को पहचानना हर इन्सान क े बस की बात नहीीं होती हैं ! इन्सान को ज्याद से ज्यादा पढ़ाई मलखाई करना चाहहये, अींधविश्िास से दूर रहना चाहहये ! अपने आप पर विश्िास रखों / विश्िास पैदा करो अपने आप हमेशा और ननडर बन कर जीिन ज़जयों ! जीिन का भरपूर आनींद लो और दुरसों को भी ननडर बनाओ , ज़जतना हो सक े दूसरों की मदद करो ! जीवन जीने का हर इन्सान / पशु / प्राणी / पक्षी आदि आदि को समान हक हैं ! धन्यबाद िीरेंद्र श्रीिासति 22/09/2020