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प्यार
प्यार मैं ना कोई इजाजत होती है , ना ही कोई बंदिशे होती है !
प्यार तो बहता हुआ पानी हैं , चाहत उसकी लहर होती है !
प्यार तो बहुत रहगुज़र होता है , बस एक मंज़ज़ल वही धुन होती है !
चाहत में कब कहााँ कोई उलझने , वक्त ही उसका अक
े ला साथी होता है !
प्यार मुहब्बत ही सच्चा साथी , िो जान एक ज़जस्म जो हो गये !
वही ज़ज़ंिगी मैं खो गये ! वही ज़ज़ंिगी मैं खो गये !!
वीरेंद्र श्रीवास्तव / उर्
फ कक्क
ू .... 10/07/2021
मुसाफर्र
तू एक मुसाफर्र ही हैं ! कहााँ से आया कहााँ जाना हैं ?
तू एक मुसाफर्र ही हैं ! जहां सबको जाना हैं , वहीं तुझे भी जाना हैं !!
यहााँ न कोई पता लेकर आया हैं ! न कोई बबना पता भटका हैं !
तू एक मुसाफर्र दह हैं ! तू एक मुसाफर्र दह है !!
वीरेंद्र श्रीवास्तव / उर्
फ कक्क
ू .... 10/07/2021
मुझे पता नही
ज़ज़ंिगी तू क्या ? मुझे पता नहीं !
जो जी ललया वही एक सपना था !
आगे क्या क
ु छ पता नहीं ?
आखेँ मेरी , रोशनी तेरी हैं !
मेंरा तो क
ु छ भी नहीं !
साया तेरा , सहारा तेरा हैं !
हम समझिार समझते रहें !
तूने कोई मोहरा छोड़ा नहीं !
ज़ज़ंिगी तू क्या ? मुझे पता नही !
जो जी ललया वही एक सपना था !
ज़ज़ंिगी तू क्या ? मुझे पता नही !!
वीरेंद्र श्रीवास्तव / उर्
फ कक्क
ू .... 10/07/2021
कविता ..... प्यार

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  • 2. मुझे पता नही ज़ज़ंिगी तू क्या ? मुझे पता नहीं ! जो जी ललया वही एक सपना था ! आगे क्या क ु छ पता नहीं ? आखेँ मेरी , रोशनी तेरी हैं ! मेंरा तो क ु छ भी नहीं ! साया तेरा , सहारा तेरा हैं ! हम समझिार समझते रहें ! तूने कोई मोहरा छोड़ा नहीं ! ज़ज़ंिगी तू क्या ? मुझे पता नही ! जो जी ललया वही एक सपना था ! ज़ज़ंिगी तू क्या ? मुझे पता नही !! वीरेंद्र श्रीवास्तव / उर् फ कक्क ू .... 10/07/2021