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ज़ िंदगी का एक सफर
कभी तुही ही अनमोल होगा , कभी तेरा भी क
ु छ मोल होगा !
हर उगते हुये सूरज जैसा तू तेज भी होगा ,चााँद जैसा शाांत भी होगा !
हर एक हादसे क
े बाद , उसक
े जैसा कोई हादसा नहीां होता !
हर उम्र का अपना हह एक तकाजा होता है , उसे भी अपनी वही उम्र भुला देती है !
हर बार वह उसे हह क्यों डुबोता था ? क्यों कक उसे पता था , उसे हह बार बार उभर कर आना है !
बार बार उभर कर आना है !!
बबरेन्द्र श्रीवास्तव
29/07/2021

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