1. क
ु छ रिश्ते
कभी साथ बैठे तो कहूूँ ददद क्या हैं ! यूूं दूर से पूछोगे तो खैररयत ही कहेंगें !
सुख चैन मेरा काूँच सा था ! न जाने ककतनों को क्यों चुभ गया !
आईना मेरा किर आज रोते नजर आया ! ददल मेँ ददद था ! किर भी चहेरा हूँसता हुआ नजर गया !!
वक्त एतवार और झूठ यह एक ऐसा पररूंदा हैं ! जौ एक वार उड़ जायेँ तो वापस नहीूं आते !
दुननया तो एक ही हैं ! किर भी सबको अलग अलग ही कयों नज़र आती हैं !
ररश्तों ननभाने का हुनर सीख लेना मेरें दोस्तों ! जड़ो मेँ जब जख्म लगते हैं !
तो टहननयाूँ भी सुख जाती हैं !
क
ु छ ररश्ते हैं , इसललये चुप है ! चुप हैं इसीललए क
ु छ ररश्ते हैं !!
मोहब्बत और मौत की पसूंद तो देखखये ! एक को ददल चादहये , दूसरे को धड़कन !
जब जब तुम्हारे अरमान आसमान छ
ु यूंगे ! सावधान तब तब तुम्हारे ही तुम्हारे पूंख काटने जरूर आयूंगें !!
हजारो जवावों से खामोशी अच्छी हैं जनाब ! ना जाने ककतने सवालों की आबरू तो रखती हैं !!
कभी साथ बैठे तो कहूूँ ददद क्या हैं ! यूूं दूर से पूछोगे तो खैररयत ही कहेंगें !!
वीरेंद्र श्रीवास्तव
2/10/2020